यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 30 जुलाई 2024

क्या रत्नो की जगह जड़ धारण करने से फायदा होता है?

प्राचीन भारतीय ज्योतिष शास्त्र में रत्नों से ज्यादा महत्व जड़ियों को दिया गया है । किसी भी ग्रह को अनुकूल बनाने के लिए उसकी दशा अंतर्दशा में ताज़ी जड़ी दाहिने हाथ की बांह पर पहननी चाहिए । उस ग्रह से संबंधित जड़ी उसी ग्रह के वार को या गुरु पुष्य योग में लाकर पहननी चाहिए ।

ग्रह जड़ ी

1. सूर्य -विल्वमूल

2. चंद्र -खिरनी मूल

3. मंगल - अनंतमूल

4. बुध -विधारा की जड़

5. शुक्र -सिंहपुछ की जड़

6. शनि -बिच्छोल की जड़

7. राहु -चंदन की जड़

8. केतु -अश्वगंध की जड़

9. गुरु -भारंगी/केले की जड़

अच्छे से अच्छे परिणाम के लिए जड़ को 1 सप्ताह बाद बदल देना चाहिए तथा नई जड़ धारण कर लेना चाहिए ।

पुखराज' रत्न किस उंगली में पहनना चाहिए?

वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुखराज, ब्रहस्पति गृह का प्रतिनिधित्व करता है! यह पीले रंग का एक बहुत मूल्यवान रत्न है, जितना यह मूल्यवान है उतनी ही इस रत्न की कार्य क्षमता प्रचलित है! इस रत्न को धारण करने से ईश्वरीय कृपया प्राप्त होती है! इसे धारण करने से विशेषकर आर्थिक परेशानिया खत्म हो जाती है, और धारण करता को अलग अलग रास्तो से आर्थिक लाभ मिलना प्रारम्भ हो जाता है, इसलिए आर्थिक समस्याओ से निजाद प्राप्त करने और जीवन में तरक्की प्राप्त करने के लिए जातक को अवश्य अपनी कुंडली का निरक्षण करवाकर पुखराज धारण करना चाहिए! पुखराज धारण करने से अच्छा स्वास्थ्य, आर्थिक लाभ, लम्बी उम्र और मान प्रतिष्ठा प्राप्त होती है!

जिन कन्याओ के विवाह में विलम्ब हो रहा हो उन्हें पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए, पुखराज धारण करने से कन्याओं का विवाह अच्छे घर में होता है! जिन दम्पत्तियो को पुत्र की लालसा हो उन्हें भी पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए क्योकि ब्रहस्पति पति और पुत्र दोनों कारक होता है, लेकिन किसी भी रत्न को धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह अवश्य लें!

पुखराज धारण करने की विधि

यदि आप ब्रहस्पति देव के रत्न, पुखराज को धारण करना चाहते है, तो 3 से 5 कैरेट के पुखराज को स्वर्ण या चाँदी की अंगूठी में जड्वाकर किसी भी शुक्ल पक्ष के ब्रहस्पति वार को सूर्य उदय होने के पश्चात् इसकी प्राण प्रतिष्ठा करवाकर धारण करें! इसके लिए सबसे पहले अंगुठी को दूध,,,गंगा जल शहद, और शक्कर के घोल में डाल दे, फिर पांच अगरबत्ती वृहस्पति देव के नाम जलाए औ प्रार्थना करे कि हे देव मै आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न पुखराज धारण कर रहा हूँ कृपया करके मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करे ! अंगूठी को निकालकर 108 बारी अगरबत्ती के ऊपर से घुमाते हुए ॐ ब्रह्म ब्रह्स्पतिये नम: का जाप करे तत्पश्चात अंगूठी विष्णु जी के चरणों से स्पर्श कराकर तर्जनी में धारण करे! ब्रहस्पति के अच्छे प्रभावों को प्राप्त करने के लिए उच्च कोटि का सिलोनी पुखराज ही धारण करे, पुखराज धारण करने के 30 दिनों में प्रभाव देना आरम्भ कर देता है और लगभग 4 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है और फिर निष्क्रिय हो जाता है ! निष्क्रिय होने के बाद आप पुन: नया पुखराज धारण कर सकते है ! अच्छे प्रभाव के लिए पुखराज का रंग हल्का पीला और दाग रहित होना चाहिए , पुखराज में कोई दोष नहीं होना चाहिए अन्यथा शुभ प्रभाओं में कमी आ सकती है !

हीरे और सोने में कैरट शब्द के अलग-अलग अर्थ हैं और अंग्रेजी में दोनों के लिए शब्दों की स्पैलिंग भी अलग है।

 हीरे और सोने में कैरट शब्द के अलग-अलग अर्थ हैं और अंग्रेजी में दोनों के लिए शब्दों की स्पैलिंग भी अलग है।

Karat - सोने की शुद्धता की यूनिट है, और

Carat - हीरे के वजन की यूनिट है।

दोनों शब्दों में है न जमीन आसमान का अन्तर।

अब आईये बताते हैं कैसे :—

  • Karat - 24 कैरट को 99.99 या 100% शुद्ध सोने को कहते हैं। इसी तरह से 23 K में 95.8% शुद्ध सोना होता है, 22 K में 91.6%, 18 K में 75%. (Karat को शार्ट में K से रिप्रेजेंट करते हैं।
  • Carat - कैरेट हीरे के वजन नापने का यूनिट है। एक कैरेट का वजन 200मिलीग्राम होता है। हीरे के मामले में एक कैरट बहुत बहुमूल्य चीज है। एक Carat का हीरा ₹3 लाख से लेकर ₹29 लाख तक आता है। ये कीमत निर्धारित होती है हीरे के रंग (Colour), शुद्धता (Clarity) और उसके कट (Cut) पर। चौथा 'C' (Carat) हो जाता है। इस प्रकार हीरे का वैल्यूएशन इन चार C (4 'C's) के आधार पर होता है। हीरे की खरीद में अंकगणित नहीं लगता। ऐसा नही है कि 1 Carat का एक पीस हीरा 29 लाख का तो 2 कैरट का एक पीस हीरा 58 लाख का होगा। 2 Carat का हीरा 58 की जगह 70–80 लाख तक भी हो सकता है। ये मैं प्योरैस्ट हीरे की कीमत की बात कर रहा हूँ। हीरा जितना बड़ा होता जायेगा उसकी कीमत कई गुणा बढ़ जाती है।
  • इसीलिये एक Carat को 100 भागों में बाँटा जाता है। चू्ँँकि एक Carat = 200मिलीग्राम इसलिए एक Carat का सौवाँ भाग होगा (200/100) =2 मिलीग्राम का। इसे एक Point या एक Cent कहते हैं। जैसे एक नोज पिन 1 Cent से 25 Cents तक हो सकती है। यहाँ फिर वही नियम लागू होगा कि जितना छोटा हीरा, उतना ही सस्ता। 10 Cents की तनिष्क की नोज पिन 10 से 15 हजार तक मिल जाएगी। हीरा हमेशा बड़े ब्रांड का बड़े शोरूम से ही खरीदना चाहिए। वह आपको उसकी शुद्धता का सर्टिफिकेट और कैशमेमो देंगे।

ये 10–12 Cents की नोज पिन है। ये मैगनीफाइड इमेजेस हैं। वास्तव में 10 Cents का राउंड हीरा 2.6 मिलीमीटर डायमीटर का होगा।

स्त्रोत :—

Body Jewellery Shop Online Including Nose Studs, Belly Rings & More

ये 'बैजल रिंग (Bezel ring setting)' वाली नोज पिन हैं। इस फिटिंग में डायमंड सिक्योर रहता है। Claw (काँटे) setting में काँटे कपड़ों में उलझते हैं। और काँटे कमजोर होने पर हीरा गिरने का भी डर रहता है।

रत्ती, तोला और माशा क्या होता है? वर्तमान में केवल 'तोला' शब्द ही क्यों प्रचलित है?

ये भारतीय तौल के प्रकार हैं जिनमे रत्ती तोला माशा बहुत प्रसिद्ध हुए है क्योंकि इनके द्वारा मुख्यतः स्वर्ण और चांदी के आभूषणों का भार किया जाता है।

इनके विषय मे कुछ तथ्य आप के साथ साझा कर रही हूँ।

प्राचीन भारतीय नाप-तौल :-

  • 8 खसखस = 1 चावल,
  • 8 चावल = 1 रत्ती, मानक भार 121.497956 मिलीग्राम
  • 8 रत्ती = 1 माशा, मानक भार .9719 ग्राम
  • 4 माशा =1 टंक मानक भार 3.8876 ग्राम
  • 12 माशा = 1 तोला मानक भार 11.66 ग्राम
  • 5 तोला= 1 छटाँक मानक भार 58.3 ग्राम
  • 16 छटाँक= 1 सेर मानक भार 932.8 ग्राम
  • 5 सेर= 1 पंसेरी मानक भार 4.664 किलोग्राम
  • 8 पंसेरी= एक मन मानक भार 37.312 किलोग्राम

'हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार रत्ती के माप को ही मान्यता दी गई है, रत्ती' की विश्वसनीयता पांच सहस्त्र से अधिक वर्षों से स्थापित है।

  • इन सभी भार में रत्ती अधिक प्रसिद्ध हुई क्योंकि ये प्राकृतिक रूप से पाई जाती है।
  • रत्ती ,कृष्णला, और रक्तकाकचिंची के नाम से जानी जाती है।
  • गूंजा' नाम के एक पौधे की फली के अंदर मिलने वाला बीज है
  • जिसका रंग लाल एवं सिरा काला होता है या यह बीज श्वेत रंग मे काले चिन्ह के साथ भी होता है।
  • इसका भार कभी परिवर्तित नहीं हो सकता।

रत्ती पर बनी कहावते

  • रत्ती भर भी मूल्य नहीं होना
  • एक रत्ती भर कर्म एक मन बात के बराबर है।
  • रती भर भी अंतर नहीं पड़ना।

तोला के अधिक प्रचलित होने के कारण

  • आज के समय मे तोला स्वर्ण चांदी के व्यापार में मुख्य रूप से प्रयुक्त होता है,
  • अंतर्राष्ट्रीय बाजार के नशे के पदार्थों के व्यापार में तोला बहुत प्रसिद्ध है।
  • धन्यवाद

चित्रस्त्रोत साभार अंतर्जाल

फिरोजा रत्न के चमत्कारी फायदे ?

फिरोजा रत्न के चमत्कारी फायदे ?

मित्रों फिरोजा रत्न धारण करने के अनेकों चमत्कारी फायदे हैं तो चलिए उन सभी फायदों की और हम अपना ध्यान केंद्रित करते हैं —

  1. समाज में मान सम्मान हेतु एवं सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि हेतु इसे धारण करना चाहिए ।
  2. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, स्वास्थ्य बेहतर होता है एवं मांसपेशियां मजबूत होती हैं ।
  3. इसे धारण करने से ज्ञान में वृद्धि, बुरी शक्तियों से छुटकारा एवं प्रसिद्ध प्राप्त करने में यह अत्यंत सहायक माना गया है ।
  4. इसे धारण करने वाले व्यक्ति के आकर्षित करने की क्षमता में वृद्धि होती है और लोग धारण करता के प्रति जल्दी आकर्षित हो जाते हैं ।
  5. जिन लोगों का गुरु ग्रह (बृहस्पति ग्रह) कमजोर है उन्हें यह अवश्य धारण करना चाहिए ।
  6. जो लोग मानसिक शांति की तलाश में हैं इसके अलावा जिन लोगों में घमंड अधिक है वे लोग इसे जरूर धारण करें उन्हें अधिक लाभ मिलेगा ।
  7. अपने क्षेत्र में सफलता पाने के लिए इसे धारण करना चाहिए इसके अलावा दुर्भाग्य से सौभाग्य की और जाने के लिए भी इसे धारण करना चाहिए इसे धारण करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है और साथ ही यह सुख समृद्धि प्रदान करता है ।
  8. डॉक्टर, इंजीनियरों को भी इसे धारण करना चाहिए साथ ही धनु राशि वाले भी इसे धारण कर सकते है ।
  9. कला के क्षेत्र में सफल अभिनेता, फिल्ममेकर, कलाकार एवं आर्किटेक्चर भी यह धारण कर इसका लाभ प्राप्त कर सकते है।
  10. अवसाद से मुक्ति और उच्च रक्तचाप एवं अवसाद से मुक्ति पाने के लिए इसे धारण करना चाहिए ।

ऐसे ही फिरोजा रत्न के अनेकों चमत्कारी लाभ हैं।

फिरोज़ा रत्न:

मूल रूप से तुर्की में पाए जाने वाले फिरोज़ा को अंग्रेजी में टरक्वाइश (Turquoise) भी कहते हैं। यह गहरे नीले रंग का रत्न होता है। इस रत्न को पहनने के लिए ज़्यादा सोचने-समझने की ज़रूरत नहीं होती है। फिरोज़ा बृहस्पति ग्रह का रत्न होता है इसलिए इसे धारण करने से ज्ञान प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसी कारण इस रत्न को प्राचीन संस्कृति में धन के प्रतीक के रूप में जाना जाता था और इसे इसकी उपचारात्मक शक्तियों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। यह रत्न केवल ज्योतिषीय दुनिया में ही नहीं बल्कि आभूषण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसी कारण मूल और प्राचीन फिरोज़ा को प्राप्त करना मुश्किल होता है। यह एक ख़ूबसूरत व किफ़ायती रत्न है जो सभी चक्रों के बीच संतुलन बनाए रखता है और मन को विचलित होने से बचाता है। फिरोज़ा रत्न कई शेड्स जैसे एप्पल ग्रीन, ग्रीनिश ग्रे, ग्रीनिश ब्लू में उपलब्ध होता है लेकिन सबसे अच्छा रंग आसमानी नीला ही माना जाता है। पुरातन काल में फिरोज़ा को दयालुता व नम्रता पैदा करने के लिहाज़ से भी इस्तेमाल किया जाता था, इसी कारण इस रत्न को ताबीज़ के रूप में भी पहना जाता है। फिरोज़ा रत्न को सबसे कुशल मरहम के रूप में भी जाना जाता है। जब फिरोज़ा रत्न का रंग बदलता है या वह टूट जाता है तब यह भविष्य में आने वाली समस्याओं को इंगित करता है। यह दोस्ती, साहस और आशा का प्रतीक भी है।

फिरोज़ा के फायदे:

फिरोज़ा व्यक्ति को अंजान रास्ते पर भटकने से रोकता है और हानिकारक चीज़ों से बचाता है। फिरोज़ा के कुछ और भी लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं-

  • यह आपकी सामाजिक स्थिति और मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी करता है।
  • फिरोज़ा मानसिक स्थिति को मज़बूत बनाता है और संवाद के अभाव को दूर करता है।
  • इसके प्रभाव से अभूतपूर्व मन की शक्ति प्रदान होती है।
  • यह आपके आत्म-सम्मान और विश्वास को बढ़ाने में मदद करता है।
  • यह आपकी मांसपेशियों की शक्ति को बढ़ाता है और आपको बुरी आत्माओं से बचाता है।
  • फिरोज़ा को सहानुभूति का उपचार रत्न भी कहा जाता है जिससे पहनने वाले की संवेदनशीलता और सोच शक्ति में सुधार होता है।
  • यह दुर्भाग्य को खत्म कर सौभाग्य प्रदान करता है और इस कारण जातक को बेहतर स्वास्थ्य, धन, ज्ञान, प्रसिद्धि और ताकत मिलती है।
  • फिरोज़ा रत्न पहनने से व्यक्तित्व में आकर्षण आता है और रचनात्मक शैली सुधरती है।

फिरोज़ा के नुकसान

सामान्यतः फिरोज़ा का कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है इसलिए इसे पहनने से कोई नुकसान नहीं होता।

फिरोज़ा रत्न का स्वास्थ्य पर प्रभाव:

प्राकृतिक तौर पर हीलिंग यानि उपचार के गुण मौजूद होने के कारण फिरोज़ा रत्न को हीलिंग स्टोन के रूप में भी माना जाता है। इस रत्न को धारण करने से जातक को शारीरिक लाभ प्राप्त होता है और प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। इस पत्थर की मदद से शारीरिक और मानसिक शांति प्राप्त होती है। श्वास संबंधी या दांतों से संबंधित समस्या, उच्च रक्तचाप, संक्रमण, अवसाद और नशे की लत से बीमार लोगों के लिए यह रत्न काफी लाभदायक है। फिरोज़ा के शक्तिशाली प्रभाव के कारण प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से निजात मिलती है। यदि किसी व्यक्ति पर कोई मुसीबत या परेशानी आने वाली होती है, तब यह रत्न अपना रंग बदल देता है। यह बदलाव भविष्य में आने वाली समस्याओं के प्रति सचेत करता है। फिरोज़ा के प्रभाव से थकान व सुस्ती भी दूर होती है। फिरोज़ा रत्न जातक की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देता है और उसे बेहतर संवाद शैली, रचनात्मक गुणों व कौशल से भर देता है।

ओपल रत्न पहनने के क्या फायदे और नुकसान हैं?

ओपल रत्न शुक्र ग्रह का रत्न है और डायमंड का विकल्प है डायमंड के बजाय इसे भी धारण कर सकते हैं यह बहुत ही सुंदर और आकर्षक होता है इसे धारण करने से मनुष्य को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है इस रत्न को कीमती रत्नों की श्रेणियों में रक्खा गया है यदि आपके वैवाहिक जीवन में परेशानी है तो ऐसी स्तिथि में आपको ओपल रत्न अवश्य धारण करना चाहिए।

ज्योतिष शास्त्र में ओपल रत्न को प्रेम और भौतिक सुख का देवता माना गया है यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में सभी प्रकार के सुख पाना चाहता है तो उसे ओपल रत्न धारण करना चाहिए, ओपल अत्यंत सुंदर रत्न है जिस प्रकार यह सुंदर रत्न है उसी प्रकार यह धारण कर्ता के जीवन को भी सुंदर बना देता है ।

ओपल रत्न के ग्रह शुक्र हैं और ये शुभ ग्रह हैं यदि कोई व्यक्ति शुक्र ग्रह को खुश कर ले तो उसे शारीरिक, वैवाहिक और भौतिक सुख की प्राप्ति होती है ।

शुक्र ग्रह को प्रेम, कला, भोग विलास, रोमांस, सौंदर्य एवं सुख का कारक माना गया है ।

ओपल रत्न धारण करने फायदे —

ओपल रत्न धारण के अनेकों फायदे हैं चलिए हम सभी फायदों की और हम अपना ध्यान केंद्रित करते हैं ।

  1. ओपल रत्न वैवाहिक जीवन के प्रेम में वृद्धि करता है और सभी समस्याओं को दूर कर आपसी प्रेम को बढ़ाता है।
  2. ज्वेलरी, फैशन, महंगी कार, कलाकृतियों और कपड़े आदि के व्यापारियों को ओपल रत्न अवश्य धारण करना चाहिए इसे धारण करने से उनके व्यापार में वृद्धि होगी जिससे अधिक धन लाभ होगा ।
  3. ओपल रत्न धारण करने वाले व्यक्ति को जीवन भर प्रेम, भाग्य का साथ और हमेशा खुशी मिलती है ।
  4. पेंटिंग, संगीत, थियेटर और नृत्य से जुड़े कला के लोगों को ओपल धारण करने अत्यधिक लाभ मिलते हैं ।
  5. यदि पति पत्नी इस रत्न को धारण करें तो उनके प्रेम में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती जाती है।
  6. जिन लोगों की नींद टूटती है, लगातार बुरे सपने आते हैं तो ऐसी स्तिथि में ओपल रत्न धारण करना चाहिए।
  7. इसे धारण करने वाले व्यक्ति के आकर्षण में वृद्धि है जिससे लोग धारण करता से जल्दी प्रभावित हो जाते हैं।
  8. यह रत्न सफलता, लोकप्रियता और मान सम्मान में वृद्धि करता है ।
  9. मानसिक शांति एवं एकाग्रता पाने के लिए ओपल धारण करना चाहिए ।
  10. यात्रा, आयत और निर्यात से जुड़े क्षेत्रों के व्यापारियों के लिए यह रत्न अत्यंत लाभकारी है ।
  11. इसे धारण करने से धारण कर्ता की यौन शक्ति में वृद्धि होती है ।
  12. यह रत्न धारण करने से उदासीनता, आलस और तनाव दूर होती है और धारण कर्ता के विचारों में स्पष्टता आती है।
  13. यह किडनी के कार्य एवं मूत्राशय प्रणाली में सुधार लाता है ।
  14. लाल रत्न कोशिकाओं एवं खून से संबंधित विकारों में ओपल रत्न सहायता करता है साथ ही साथ नेत्र रोगों में लाभ पहुंचाता है।

ओपल रत्न पहनने के नुकसान

ओपल रत्न ज्योतिषी के सलाह से ही धारण करें ।

 अभिमंत्रित ओपल रत्न कहां से खरीदें ?

हमारे ज्योतिष केंद्र में  में मिल जाएगा जो साथ ही साथ हमारे पंडित द्वारा अभिमंत्रित करके दिया जाएगा जिससे आपको रत्न का तुरंत लाभ मिलेगा इसके अलावा हमारे यहां सभी प्रकार के रत्न, सभी पूजा की सामग्री, सभी प्रकार की जड़ी बूटी, सभी प्रकार के रुद्राक्ष एवं हवन ऑनलाइन और ऑफलाइन कराए जाते हैं ।

Call and What'sapp — 9414129498

गोमेद रत्न पहनने के क्या फायदे होते हैं?

ज्योतिषी प्रणाली में राहु को एक छाया ग्रह माना गया है। इस ग्रह का अपना कोई अस्तित्व नहीं है, यह जिस भाव, राशि, नक्षत्र या ग्रह के साथ से जुड़ जाता है, उसके अनुसार ही अपना फल देने लगता है। राहु जब नीच का या अशुभ होकर प्रतिकूल फल देने लगता है तो गोमेद पहनने का सुझाव दिया जाता है। गोमेद राहु का रत्न है, इसे पहनने से लाभ और हानि दोनों हो सकते है। इसलिए गोमेद पहनने से पहले उसके बारें में अच्छे से जान लेना जरूरी होता है।

गोमेद को गोमेदक, तपोमणि, पिग स्फटिक, जटकूनिया, जिरकान आदि के नामों से भी जाना जाता है।

गोमेद आकर्षक पारदर्शक पारभासक तथा अपारदर्शक पत्थर है। जो गोमेद दूर से स्वच्छ गोमूत्र अथवा अंगार के समान रंग का हो, वजनी कड़कदार हो, जिसमें परत न हो, जो छूने पर कोमल और चमकदार हो, वह उत्तम जाति का माना जाता ह

गोमेद को तीन वर्गो में बांटा जा सकता है

उच्च वर्ग-जो गोमेद स्वच्छ, पारदर्शक, गोमूत्र के समान पीलापन लिए हुये लाल रंग का बराबर कोण वाला,चमकीला, चिकना सुन्दर हो, उसे उच्च वर्ग का गोमेद कहा जाता है।

मध्यम वर्ग-ऐसा गोमेद भूरापन लिए हुये लाल रंग का होता है।

निम्न वर्ग-जो गोमेद खुदरापन लिए हुये अपारदर्शी, छायारहित छींटो से युक्त पीले कॉच के समान दिखाई देने वाला हो, वह निम्न वर्ग का गोमेद कहलाता है।

दोषयुक्त गोमेद धारण करने से हानि

यदि गोमेद में किसी प्रकार का धब्बा हो तो उसको धारण करने से आकस्मिक मृत्यु का भय बना रहता है।

अगर गोमेद में लाल रंग के छींटे दिखाई दे तो वह आर्थिक नुकसान कराता है एंव पेट की समस्यायें उत्पन्न करता है।

यदि गोमेद में किसी प्रकार का गड्डा दिखाई दे तो वह पुत्र व व्यापार को हानि पहुॅचाता है।

यदि गोमेद में चीरा या क्रास हो तो वह शरीर में रक्त सम्बन्धी विकार उत्पन्न करता है।

अगर गोमेद में किसी प्रकार की कोई चमक न हो तो शरीर को लकवा भी हो सकता है।

कैसे जाने कि गोमेद अच्छी क्वालिटी का है

गोमेद को गोमूत्र में 24 घण्टे के लिए रख दे तो गोमूत्र का रंग बदल जायेगा। ऐसा गोमेद अच्छा माना जाता है।

असली गोमेद को लकड़ी के बुरादे में रगड़ेंगे तो उसकी चमक घट जाएगी।

क्या हैं गोमेद धारण करने के लाभ

जब व्यक्ति के बनते हुये काम में बाधायें आने लगे, भूत-प्रेत का भय हो, किसी ने काम को बॉध दिया हो या फिर अचनाक व्यवसाय में हानि हो रही हो तो गोमेद धारण करने से लाभ मिलता है। यदि किसी के पास धन रूकता न हो तो गोमेद धारण करने लाभ मिलता है। पति-पत्नी में आपसी तनाव रहता हो और तलाक तक की नौबत आ जाये तो गोमेद पहनने से रिश्ते फिर से मधुर हो जाते है। जिस व्यक्ति का मन परेशान रहता हो, घर में दिल न लगे, मन उखड़ा-उखड़ा रहे तो उसे गोमेद अवश्य धारण करना चाहिए।

गोमेद किसे धारण करना चाहिए-

जिन व्यक्तियों की राशि अथवा लग्न वृष, मिथुन, कन्या, तुला या कुम्भ हो उन्हें गोमेद धारण करना चाहिए।

यदि राहु जन्मकुण्डली में केन्द्र 1, 4, 7, 10 इनमें से किसी भाव में हो या फिर पॉचवें व नवम भाव में हो तो गोमेद पहनने से लाभ होता है।

राजनीति में सफलता हासिल करने वाले लोगों को गोमेद धारण करने से विशेष लाभ होता है।

यदि राहु दूसरे , एकादश भाव में हो तो गोमेद पहनने से लाभ होगा किन्तु यदि राहु छठें, आठवें या बारहवें भाव में हो तो गोमेद सोंच-समझकर पहने अन्यथा हानि हो सकती है।

कब करें गोमेद को धारण व उसकी विधि

शनिवार के दिन अष्टधातु या चॉदी की अंगूठी में जड़वाकर षोड़षोपचार पूजन करने के बाद निम्न ‘‘ऊॅ रां राहवे नमः'' मन्त्र की कम से कम एक माला जाप करके मध्यमा ऊंगली में धारण करना चाहिए।

function disabled

Old Post from Sanwariya