प्राचीन भारतीय ज्योतिष शास्त्र में रत्नों से ज्यादा महत्व जड़ियों को दिया गया है । किसी भी ग्रह को अनुकूल बनाने के लिए उसकी दशा अंतर्दशा में ताज़ी जड़ी दाहिने हाथ की बांह पर पहननी चाहिए । उस ग्रह से संबंधित जड़ी उसी ग्रह के वार को या गुरु पुष्य योग में लाकर पहननी चाहिए ।
ग्रह जड़ ी
1. सूर्य -विल्वमूल
2. चंद्र -खिरनी मूल
3. मंगल - अनंतमूल
4. बुध -विधारा की जड़
5. शुक्र -सिंहपुछ की जड़
6. शनि -बिच्छोल की जड़
7. राहु -चंदन की जड़
8. केतु -अश्वगंध की जड़
9. गुरु -भारंगी/केले की जड़
अच्छे से अच्छे परिणाम के लिए जड़ को 1 सप्ताह बाद बदल देना चाहिए तथा नई जड़ धारण कर लेना चाहिए ।
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