दो प्रकार के ग्रह होते हैं,
- एक होता है कारक
- एक होता है अकारक
कारक का मतलब आपका मदद करने वाला और अकारक का मतलब आपकी गर्दन काटने वाला
(रहस्य) राशि के अनुसार धारण किया गया रत्न हर समय फायदा नहीं करता है
रत्न कब फायदा करता है? कब नहीं? आइए जानने की कोशिश करते हैं, अगर मैं ज्योतिष शास्त्र में नौसिखिया होता तो में आपको राशि रत्न के बारे में एक जौहरी अथवा रतन विक्रेता के माफिक इस प्रकार जानकारी देता
- आप की मेष राशि है
- तो मूंगा धारण करें,
- आप की वृष राशि है
- तो हीरा धारण करें,
- आप की मिथुन राशि है
- तो पन्ना धारण करें,
- आप की कर्क राशि है
- तो मोती धारण करें,
- आप की सिंह राशि है
- तो माणिक धारण करें,
- आप की कन्या राशि है
- तो पन्ना धारण करें,
- आप की तुला राशि है
- तो हीरा धारण करें,
- आप की वृश्चिक राशि है
- तो मूंगा धारण करें,
- आप की धनु राशि है
- तो पुखराज धारण करें,
- आप की मकर राशि है
- तो नीलम धारण करें,
- आप की कुंभ राशि है
- तो नीलम धारण करें,
- आप की मीन राशि है
- तो पुखराज धारण करें
अपनी बात एवं रहस्य को आप को समझाने के लिए मूल स्रोत के रूप में प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय की पुस्तक कैसे आए घर में सुख समृद्धि का पृष्ठ अपने मोबाइल कैमरे से खींच कर यहां पर लगा रहा हूं
ज्योतिष आचार्य जी ने यहां पर सोच समझ के रत्न धारण करने की सलाह दी है क्योंकि जो चित्र मैंने लगाया है, इसके पहले पृष्ठ पर (जो यहां पर नहीं लगाया है वहां पर) यह लिखा हुआ है कारक और अकारक ग्रह को देखकर ही रत्न धारण करना चाहिए, राशि का रत्न/ आप जो राशि का रत्न पहन रहे हैं अगर उसका स्वामी कारक है तो वह बहुत काम करेगा और अकारक है तो नुकसान करेगा आप ऊपर पढ़ भी चुके हैं,शत्रु को बलवान करेंगे तो वह आपकी गर्दन निश्चित काटेगा
विशेष नोट: कारक और अकारक ज्योतिष शब्दावली हो सकता है साधारण व्यक्ति की अपेक्षा ज्योतिष विद्यार्थी एवं ज्योतिष आचार्यों को अधिक स्पष्ट रूप से समझ में आए
मूल स्रोत एवं चित्र सोर्स का वर्णन उत्तर में दिया गया है
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