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मंगलवार, 30 जुलाई 2024

लहसुनिया रत्न पहनने के क्या फायदे होते हैं?

लहसुनिया रत्न:

लहसुनिया रत्न शत्रुता का भाव रखने वाले क्रूर ग्रह केतु से संबंधित होता है जिसके चलते यह बहुत महत्वपूर्ण व अमूल्य होता है। जातक की जन्म कुंडली में केतु की संदिग्ध व हावी स्थिति इस बात की ओर इशारा करती है कि उसे लहसुनिया रत्न को धारण कर लेना चाहिए। लहसुनिया एक ऐसा रत्न है जो आध्यात्मिक गुणों के लिए जाना जाता है। यह केतु के दोष पूर्ण प्रभाव से दूर करने में मदद करता है और बढ़ती ठंड के कारण शरीर में होने वाली बीमारियों को भी कम करता है। केतु मुख्यतः वक्रिय स्थिति में रहता है और जब कुंडली में प्रधान होकर स्थित होता है तब वह अप्रत्याशित लाभ व फायदे लेकर आता है। केतु मुख्यतः दादाजी, कुष्ठ रोग, किसी चोट या किसी दुर्घटना, भाग्य व भय के मामलों का संकेत देता है। इतना ही नहीं यह ग्रह यात्रा, बच्चों व जीवन में होने वाली आर्थिक स्थिति को भी दर्शाता है। बात करें यदि रासायनिक समूह की तो लहसुनिया या संस्कृत में वैद्युर्या को क्रिस्सबैरिल परिवार का सदस्य माना जाता है इसलिए इसे क्रिस्बरील कैट्स आई भी कहना गलत नहीं होगा। यह कई रंगों जैसे मटमैला पीला, भूरा, शहद की तरह भूरा, सेब की तरह हरे रंग में उपलब्ध होता है। यह रत्न अपनी चमक के लिए जाना जाता है। लहसुनिया कैबोकाॅन रूप में कटा होता है जिस कारण इसके ऊपर पड़ने वाला प्रकाश एक लंबी रेखा के रूप में दिखाई देता है। इस रत्न के प्रभाव से जातक का मोह-माया व विलास आदि से मन हट जाता है और वह अध्यात्म की ओर झुकने लग जाता है। केतु ग्रह जातक को अध्यात्म, अच्छे-बुरे में अंतर समझने का ज्ञान प्रदान करता है।

लहसुनिया रत्न के फायदे-

लहसुनिया रत्न के कई लाभ हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

  • लहसुनिया उन जातकों के लिए बेहद उत्तम होता है जो शेयर बाजार या जोखिम भरे निवेश कार्य करते हैं। इस रत्न की कृपा से जोखिम भरे निवेशों का कार्य कर रहे व्यक्ति का भाग्य चमकता है।
  • व्यावसायिक क्षेत्र में यदि आपकी तरक्की लंबे समय से रुकी हुई है, तब भी यह रत्न काफी लाभकारी साबित होता है। इसके प्रभाव से आपको प्रोफेशनल लाइफ में सफलता प्राप्त होती है। फंसा हुआ पैसा व खोई हुई आर्थिक संपदा को भी वापस लाने में लहसुनिया लाभदायी होता है।
  • इस रत्न को धारण करने से आप बुरी नज़र के प्रभाव से भी बचे रहते हैं।
  • केतु जीवन को बहुत संघर्ष पूर्ण बना देता है और कड़ा सबक सिखाता है। लहसुनिया केतु का ही रत्न है जो इस चुनौती भरी स्थिति में भी आपको सुख-सुविधाओं का आनंद प्राप्त करवाता है।
  • अध्यात्म की राह पर चलने वालों के लिए भी लहसुनिया रत्न लाभकारी होता है। इसको धारण करने से सांसारिक मोह छूटता है और व्यक्ति अध्यात्म व धर्म की राह पर चलने लग जाता है।
  • लहसुनिया के प्रभाव से शारीरिक कष्ट भी दूर होते हैं। अवसाद, लकवा व कैंसर जैसी बीमारियों में भी यह रत्न लाभदायक होता है।
  • लहसुनिया मन को शांति प्रदान करता है और इसके प्रभाव से स्मरण शक्ति तेज होती है और आप तनाव से दूर रहते हैं।

लहसुनिया रत्न के नुकसान

कुछ रत्न जो व्यक्ति की जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों के साथ यदि मेल नहीं खाते हैं तो उनका बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है इसलिए किसी भी रत्न को धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह ज़रूर लें, तभी खुशहाली व समृद्धि प्राप्त होगी। लहसुनिया से होने वाले कुछ बुरे प्रभाव इस प्रकार हैं:

  • दिल या मस्तिष्क से जुड़े रोग हो सकते हैं।
  • चोट आदि लगने का भी डर रहता है, जिसके चलते खून ज़्यादा बह सकता है।
  • जननांगों में समस्याएं हो सकती हैं।
  • पसीना बहुत ज़्यादा निकलने लग जाता है। हर वक्त थकान व मितली जैसा महसूस होता है।
  • स्वभाव में उग्रता आती है व बेफिज़ूल के झगड़े होने लग जाते हैं।

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