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मंगलवार, 30 जुलाई 2024

पुखराज' रत्न किस उंगली में पहनना चाहिए?

वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुखराज, ब्रहस्पति गृह का प्रतिनिधित्व करता है! यह पीले रंग का एक बहुत मूल्यवान रत्न है, जितना यह मूल्यवान है उतनी ही इस रत्न की कार्य क्षमता प्रचलित है! इस रत्न को धारण करने से ईश्वरीय कृपया प्राप्त होती है! इसे धारण करने से विशेषकर आर्थिक परेशानिया खत्म हो जाती है, और धारण करता को अलग अलग रास्तो से आर्थिक लाभ मिलना प्रारम्भ हो जाता है, इसलिए आर्थिक समस्याओ से निजाद प्राप्त करने और जीवन में तरक्की प्राप्त करने के लिए जातक को अवश्य अपनी कुंडली का निरक्षण करवाकर पुखराज धारण करना चाहिए! पुखराज धारण करने से अच्छा स्वास्थ्य, आर्थिक लाभ, लम्बी उम्र और मान प्रतिष्ठा प्राप्त होती है!

जिन कन्याओ के विवाह में विलम्ब हो रहा हो उन्हें पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए, पुखराज धारण करने से कन्याओं का विवाह अच्छे घर में होता है! जिन दम्पत्तियो को पुत्र की लालसा हो उन्हें भी पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए क्योकि ब्रहस्पति पति और पुत्र दोनों कारक होता है, लेकिन किसी भी रत्न को धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह अवश्य लें!

पुखराज धारण करने की विधि

यदि आप ब्रहस्पति देव के रत्न, पुखराज को धारण करना चाहते है, तो 3 से 5 कैरेट के पुखराज को स्वर्ण या चाँदी की अंगूठी में जड्वाकर किसी भी शुक्ल पक्ष के ब्रहस्पति वार को सूर्य उदय होने के पश्चात् इसकी प्राण प्रतिष्ठा करवाकर धारण करें! इसके लिए सबसे पहले अंगुठी को दूध,,,गंगा जल शहद, और शक्कर के घोल में डाल दे, फिर पांच अगरबत्ती वृहस्पति देव के नाम जलाए औ प्रार्थना करे कि हे देव मै आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न पुखराज धारण कर रहा हूँ कृपया करके मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करे ! अंगूठी को निकालकर 108 बारी अगरबत्ती के ऊपर से घुमाते हुए ॐ ब्रह्म ब्रह्स्पतिये नम: का जाप करे तत्पश्चात अंगूठी विष्णु जी के चरणों से स्पर्श कराकर तर्जनी में धारण करे! ब्रहस्पति के अच्छे प्रभावों को प्राप्त करने के लिए उच्च कोटि का सिलोनी पुखराज ही धारण करे, पुखराज धारण करने के 30 दिनों में प्रभाव देना आरम्भ कर देता है और लगभग 4 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है और फिर निष्क्रिय हो जाता है ! निष्क्रिय होने के बाद आप पुन: नया पुखराज धारण कर सकते है ! अच्छे प्रभाव के लिए पुखराज का रंग हल्का पीला और दाग रहित होना चाहिए , पुखराज में कोई दोष नहीं होना चाहिए अन्यथा शुभ प्रभाओं में कमी आ सकती है !

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