प्राणायाम
स्वस्थ रहने के लिए योगा से अच्छा कोई और विकल्प नहीं। तन और मन को आराम देने वाले इस आसन प्राणायाम श्वास से संबंधी व्यायाम है। यह योग पूरी तरह से हमारी श्वनसन प्रक्रिया पर आधारित है। वास्तविकता यह भी है कि आप एक ही दिन में प्राणायाम करना नहीं सीख सकते, इसके लिए रोज़ अभ्याहस करने की आवश्यकता है। सही प्रकार से किया गया प्राणायाम बीमारियों से आपकी सुरक्षा करता है।
प्राणयाम योग में आप अनुलोग-विलोम कर सकते हैं। अनुलोम विलोम बेहद ही आसान व्यायाम है, इसे आप आसानी से घर बैठे भी कर सकते हैं।
सबसे पहले तो पालथी मारकर बैठ जायें और फिर अपने दाहिने हाथ से बाईं ओर की नाक को बंद कर के सांस लें और छोड़ें।
यही प्रक्रिया बाये हांथों से दोहरायें।
सांस छोड़ने की लय घड़ी की आवाज़ की तरह ही नियमित होनी चाहिए।
एक हफ्ते तक हर एक सेकण्ड में एक बार सांसों को बाहर की ओर लेने की प्रक्रिया को बनाये रखना चाहिए और फिर एक सेकण्ड में दो बार सांसों को बाहर की ओर छोड़ना चाहिए।
ऐसी सलाह दी जाती है कि प्राणयाम की शुरूवात में हर एक दौरे में 10 बार सांसों को अंदर की ओर लेना और बाहर की ओर छोड़ना शामिल होना चाहिए और धीरे धीरे इस प्रक्रिया का समय बढ़ाना चाहिए ।
प्राणायाम में सावधानी
व्यायाम के दौरान किसी प्रकार का कठोर दर्द होने पर कुछ समय के लिए व्यायाम नहीं करना चाहिए।
ऐसी भी सलाह दी जाती है कि व्यायाम करते समय अपने फीज़ीशियन से सम्पर्क करें जो आपको श्वसन से सम्बन्धी व्यायाम समझा सके। उच्च रक्तचाप और हृदय के मरीज़ों को डाक्टरी सलाह के बिना कपालभाती नहीं करनी चाहिए।
यह भी ध्यान रखने योग्य बात है कि इस आसन को खाली पेट ही करना चाहिए।
अगर आपको व्यायाम के दौरान चक्कर आता है या आपके पेट में दर्द होता है तो ऐसे में कुछ समय के लिए व्यायाम करना छोड़ दें।
तन और मन को आराम देने वाले इस आसन प्राणायाम श्वास से संबंधी व्यायाम है।
स्वस्थ रहने के लिए योगा से अच्छा कोई और विकल्प नहीं। तन और मन को आराम देने वाले इस आसन प्राणायाम श्वास से संबंधी व्यायाम है। यह योग पूरी तरह से हमारी श्वनसन प्रक्रिया पर आधारित है। वास्तविकता यह भी है कि आप एक ही दिन में प्राणायाम करना नहीं सीख सकते, इसके लिए रोज़ अभ्याहस करने की आवश्यकता है। सही प्रकार से किया गया प्राणायाम बीमारियों से आपकी सुरक्षा करता है।
प्राणयाम योग में आप अनुलोग-विलोम कर सकते हैं। अनुलोम विलोम बेहद ही आसान व्यायाम है, इसे आप आसानी से घर बैठे भी कर सकते हैं।
सबसे पहले तो पालथी मारकर बैठ जायें और फिर अपने दाहिने हाथ से बाईं ओर की नाक को बंद कर के सांस लें और छोड़ें।
यही प्रक्रिया बाये हांथों से दोहरायें।
सांस छोड़ने की लय घड़ी की आवाज़ की तरह ही नियमित होनी चाहिए।
एक हफ्ते तक हर एक सेकण्ड में एक बार सांसों को बाहर की ओर लेने की प्रक्रिया को बनाये रखना चाहिए और फिर एक सेकण्ड में दो बार सांसों को बाहर की ओर छोड़ना चाहिए।
ऐसी सलाह दी जाती है कि प्राणयाम की शुरूवात में हर एक दौरे में 10 बार सांसों को अंदर की ओर लेना और बाहर की ओर छोड़ना शामिल होना चाहिए और धीरे धीरे इस प्रक्रिया का समय बढ़ाना चाहिए ।
प्राणायाम में सावधानी
व्यायाम के दौरान किसी प्रकार का कठोर दर्द होने पर कुछ समय के लिए व्यायाम नहीं करना चाहिए।
ऐसी भी सलाह दी जाती है कि व्यायाम करते समय अपने फीज़ीशियन से सम्पर्क करें जो आपको श्वसन से सम्बन्धी व्यायाम समझा सके। उच्च रक्तचाप और हृदय के मरीज़ों को डाक्टरी सलाह के बिना कपालभाती नहीं करनी चाहिए।
यह भी ध्यान रखने योग्य बात है कि इस आसन को खाली पेट ही करना चाहिए।
अगर आपको व्यायाम के दौरान चक्कर आता है या आपके पेट में दर्द होता है तो ऐसे में कुछ समय के लिए व्यायाम करना छोड़ दें।
तन और मन को आराम देने वाले इस आसन प्राणायाम श्वास से संबंधी व्यायाम है।
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