शीर्षासन
योगासन कोई भी हो लेकिन उसके कोई ना कोई फायदे जरूर होते हैं। शीर्षासन भी एक ऐसा ही आसन है जो सिर के बल किया जाता है। शीर्षासन को योगासनों में सबसे अच्छा माना जाता है। शीर्षासन को वृक्षासन और कपालासन के नाम से भी जाना जाता हैं। शीर्षासन के कई लाभ हैं इसीलिए इसे बहुत ही उपयोगी माना जाता है। लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि आखिर शीर्षासन क्या है, इसके क्या -क्या लाभ हैं। शीर्षासन कैसे किया जाता है। किन लोगों को शीर्षासन नहीं करना चाहिए। इन्हीं सब बातों को जानने के लिए यह जानना होगा कि शीर्षासन क्या हैं। आइए जानें आखिर शीर्षासन क्या है।
क्या है शीर्षासन
शीर्षासन जैसे की नाम से ही विदित हैं यह सिर के बल किया जाने वाला आसन हैं। हालांकि शीर्षासन को करने के लिए बहुत अभ्यास की जरूरत है क्योंकि इस आसन को करना हर किसी के बस की बात नहीं।
यदि कोई शीर्षासन करना सीख जाएं तो वह व्यक्ति कई गंभीर बीमारियों से आराम से लड़ सकता हैं।
शीर्षासन को ताड़ासन के विपरीत माना गया हैं।
शीर्षासन करने की प्रक्रिया
शीर्षासन किसी चद्दर या फिर कंबल पर करना चाहिए।
इसके लिए आपको किसी सपाट जगह का चयन करना चाहिए।
शीर्षासन के लिए सबसे पहले आपको वज्रासन में बैठना चाहिए। आप इस तरह से बैठें की आगे की ओर झुकने के लिए आपके पास भरपूर जगह हो।
वज्रासन में बैठकर आप दोनों कोहनियों को जमीन पर टिकाकर दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में मिला लें।
दोनों हाथों की अंगुलियों को मिलाकर आपकी हथेलियां ऊपर की ओर होनी चाहिए जिससे आप अपने सिर को हथेलियों का सहारा दे सकें।
धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हए अपने सिर को हथेलियों पर रखें और सांस सामान्य रखें। फिर धीरे-धीरे अपने सिर पर शरीर का भार आने दें।
इस स्थिति में आकर आपको अपने पैरों को आसमान की ओर उठाना है ठीक इस तरह से जैसे आप सीधें पैरों के बल खड़े होते हैं वैसे ही आप उल्टा सिर के बल खड़े हैं।
कुछ देर इसी स्थिती में रहें और फिर सामान्य स्थिति में वापस आ जाएं।
शीर्षासन के लाभ
शीर्षासन को नियमित रूप से करने से आप पाचन संबंधी बीमारियों से आसानी से निजात पा सकते हैं।
शीर्षासन से शरीर में रक्त संचार प्रक्रिया सुचारू रूप से काम करने लगती हैं।
शीर्षासन से शरीर को मजबूती मिलती हैं और शरीर हष्ट -पुष्ट बनता हैं।
शीर्षासन के जरिए ही मस्तिक में रक्त संचार बढ़ता हैं जिससे याददाश्त बढ़ाने में मदद मिलती हैं।
कब्ज, हर्निया जैसी बीमारियों से निजात पाने के लिए शीर्षासन करना चाहिए।
बालों संबंधी समस्याओं, बालों के झड़ने की समस्या हो या फिर समय से पहले बाल सफेद होने की समस्या इनसे निजात पाने के लिए शीर्षासन करना चाहिए।
शरीर को अधिक से अधिक सक्रिय करने और कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए शीर्षासन बहुत ही उपयोगी आसन हैं।
शीर्षासन के दौरान सावधानियां
पहली बार शीर्षासन किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए।
यदि आप थोड़ा सा भी अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं तो आपको शीर्षासन करने से बचना चाहिए।
पहली बार शीर्षासन के दौरान आप दीवार का सहारा भी ले सकते हैं।
आपका रक्तचाप बहुत अधिक बढ़ा रहता है तो आपको शीर्षासन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
यदि आपको सर्वाइकल की समस्या है या फिर गर्दन में दर्द की समस्या है तो आपको शीर्षासन नहीं करना चाहिए।
जिन लोगों को कम दिखाई देता है या फिर आंखों संबंधी कोई और समस्या हैं तो उन्हें शीर्षासन नहीं करना चाहिए।
योगासन कोई भी हो लेकिन उसके कोई ना कोई फायदे जरूर होते हैं। शीर्षासन भी एक ऐसा ही आसन है जो सिर के बल किया जाता है। शीर्षासन को योगासनों में सबसे अच्छा माना जाता है। शीर्षासन को वृक्षासन और कपालासन के नाम से भी जाना जाता हैं। शीर्षासन के कई लाभ हैं इसीलिए इसे बहुत ही उपयोगी माना जाता है। लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि आखिर शीर्षासन क्या है, इसके क्या -क्या लाभ हैं। शीर्षासन कैसे किया जाता है। किन लोगों को शीर्षासन नहीं करना चाहिए। इन्हीं सब बातों को जानने के लिए यह जानना होगा कि शीर्षासन क्या हैं। आइए जानें आखिर शीर्षासन क्या है।
क्या है शीर्षासन
शीर्षासन जैसे की नाम से ही विदित हैं यह सिर के बल किया जाने वाला आसन हैं। हालांकि शीर्षासन को करने के लिए बहुत अभ्यास की जरूरत है क्योंकि इस आसन को करना हर किसी के बस की बात नहीं।
यदि कोई शीर्षासन करना सीख जाएं तो वह व्यक्ति कई गंभीर बीमारियों से आराम से लड़ सकता हैं।
शीर्षासन को ताड़ासन के विपरीत माना गया हैं।
शीर्षासन करने की प्रक्रिया
शीर्षासन किसी चद्दर या फिर कंबल पर करना चाहिए।
इसके लिए आपको किसी सपाट जगह का चयन करना चाहिए।
शीर्षासन के लिए सबसे पहले आपको वज्रासन में बैठना चाहिए। आप इस तरह से बैठें की आगे की ओर झुकने के लिए आपके पास भरपूर जगह हो।
वज्रासन में बैठकर आप दोनों कोहनियों को जमीन पर टिकाकर दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में मिला लें।
दोनों हाथों की अंगुलियों को मिलाकर आपकी हथेलियां ऊपर की ओर होनी चाहिए जिससे आप अपने सिर को हथेलियों का सहारा दे सकें।
धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हए अपने सिर को हथेलियों पर रखें और सांस सामान्य रखें। फिर धीरे-धीरे अपने सिर पर शरीर का भार आने दें।
इस स्थिति में आकर आपको अपने पैरों को आसमान की ओर उठाना है ठीक इस तरह से जैसे आप सीधें पैरों के बल खड़े होते हैं वैसे ही आप उल्टा सिर के बल खड़े हैं।
कुछ देर इसी स्थिती में रहें और फिर सामान्य स्थिति में वापस आ जाएं।
शीर्षासन के लाभ
शीर्षासन को नियमित रूप से करने से आप पाचन संबंधी बीमारियों से आसानी से निजात पा सकते हैं।
शीर्षासन से शरीर में रक्त संचार प्रक्रिया सुचारू रूप से काम करने लगती हैं।
शीर्षासन से शरीर को मजबूती मिलती हैं और शरीर हष्ट -पुष्ट बनता हैं।
शीर्षासन के जरिए ही मस्तिक में रक्त संचार बढ़ता हैं जिससे याददाश्त बढ़ाने में मदद मिलती हैं।
कब्ज, हर्निया जैसी बीमारियों से निजात पाने के लिए शीर्षासन करना चाहिए।
बालों संबंधी समस्याओं, बालों के झड़ने की समस्या हो या फिर समय से पहले बाल सफेद होने की समस्या इनसे निजात पाने के लिए शीर्षासन करना चाहिए।
शरीर को अधिक से अधिक सक्रिय करने और कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए शीर्षासन बहुत ही उपयोगी आसन हैं।
शीर्षासन के दौरान सावधानियां
पहली बार शीर्षासन किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए।
यदि आप थोड़ा सा भी अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं तो आपको शीर्षासन करने से बचना चाहिए।
पहली बार शीर्षासन के दौरान आप दीवार का सहारा भी ले सकते हैं।
आपका रक्तचाप बहुत अधिक बढ़ा रहता है तो आपको शीर्षासन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
यदि आपको सर्वाइकल की समस्या है या फिर गर्दन में दर्द की समस्या है तो आपको शीर्षासन नहीं करना चाहिए।
जिन लोगों को कम दिखाई देता है या फिर आंखों संबंधी कोई और समस्या हैं तो उन्हें शीर्षासन नहीं करना चाहिए।
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