यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

बालों के गिरने का उपचार

बालों के गिरने का उपचार


सुंदरता को बढ़ाने में बालों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन जब बालों की देखभाल में लापरवाही बरती जाती है, तो बालों की समस्याएं उत्पन्न होनी शुरू हो जाती है। बालों का झडऩा ऐसी ही समस्या है, जो किसी को भी तनाव में डाल सकती है। आज हर दूसरे व्यक्ति को बालों की समस्या से जूझना पड़ता है। बाल गिरने का कारण कोई एक नहीं बल्कि कई हैं जैसे- तनाव , इन्फेक्शन ,हार्मोन्स का असंतुलन ,अपर्याप्त पोषण ,विटामिन और पोषक पदार्थों की कमी ,दवाओं के साइड इफेक्ट्स ,लापरवाही बरतना या बालों की सही देखभाल न होना ,घटिया क्वालिटी के शैम्पू का प्रयोग इत्यादि। बालों के गिरने का आयुर्वेदिक उपचार भी मौजूद है और यह फायदेमंद भी सिद्ध हुआ है। आइए जानें आखिर बालों के झड़ने के लिए आयुर्वेदिक उपचार कितना लाभकारी है।


शहद कई बीमारियों को दूर करने में सक्षम है। शहद के प्रयोग से बालों का झडऩा भी रोका जा सकता है।
दालचीनी भी बालों की समस्या को दूर करने का कारगर उपाय है। आयुर्वेद के अनुसार दालचीनी और शहद के मिश्रण से कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
बाल झड़ते हैं, तो गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर उनका पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा लें और कुछ समय बाद सिर धो लें। इससे बालों की समस्या से निजात मिलेगी।
बालों में आमतौर पर कुछ समस्याएं जैसे-बालो का गिरना, सफेद बाल, डैण्ड्रफ, सिर की त्वचा के रोग इत्यादि शामिल हैं। लेकिन बालों की समस्या को थोड़ी सावधानी बरतकर आसानी से दूर किया जा सकता है।
मजबूत तथा स्वस्थ बालों के लिए तेल से मालिश आवश्यक है। सर की मालिश करने से बालों की जड़ो को पोषण मिलता है और बालों के झड़ने में कमी आती है।
सरसो के तेल में मेहंदी की पत्ती गर्म करें। ठंडा कर के बालों में लगायें, इससे बालों का झड़ना रूक सकता हैं।
आँवला,शिकाकाई पावडर को दही में मिलाए। यह मिश्रण बालों में लगाने से बालों की डीप कंडीशनिंग होती है।
बालों की देखभाल के साथ-साथ खाने-पीने का भी खास ध्यान रखें। फलों और सब्जि़यों का सेवन अधिक करें। शहद में अंडा मिलाकर लगाना भी बालों की सेहत के लिए अच्छा रहता है।
नीम की और बेर की पत्तियों को पीसकर नींबू डालकर लगाने और इसके लगातार प्रयोग से बालों का झड़ना बंद हो जाता हैं।
बड़ के दूध में नींबू का रस मिलाकर निरंतर लगाने से बालों का झड़ना बंद हो जाता है।
ग्रीन टी से बालों के झड़ने को आसानी से रोका जा सकता है।
जड़ी बूटियों से बनी औषधी व तेल मालिश से बालों के झड़ने की समस्या को दूर किया जा सकता है।
बालों की समस्या को रोकने के लिए आयुर्वेद में बालों की मालिश को आवश्यक माना गया है। ऐसे में नारियल तेल या बादाम के तेल से सिर की अच्छी तरह से मालिश करनी चाहिए।
यदि आप तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों ध्रूमपान इत्यादि को त्याग देंगे तो आपके बालों का झड़ना अपने आप ही रूक जाएगा।
अन्य सुझाव ः

खूब पानी पियें ः बालों को गिरने से रोकने के लिये पानी भी एक सस्ता और उपयोगी नुस्खा है। कुछ चंद जगहों को छोड़ कर पानी बिना किसी मूल्य के मिलता है। तो क्यों न खूब सारा पानी पीकर आप अपने बालों को झड़ने से रोकें! कई लोग पानी तब पीते हैं जब उन्हें प्यास लगती है। अगर आप भी ऐसा करेंगे तो आपके बालों को गिरने से कोई नहीं रोक सकेगा। प्यास न लगे फिर भी आप हर दो तीन घंटे पर एक ग्लास पानी पीयें। हमारे शरीर की बनावट में पानी की मात्रा कुछ ज्यादा, लगभग दो तिहाई होती है। आपकी त्वचा, बाल, रक्त, शुक्राणु, इन सबको स्वस्थ रहने के लिए और अपना कार्य सक्षमता से करने के लिए पानी की ज़रुरत पड़ती है। आप अगर पानी तब पीते हैं जब आपको प्यास लगती है तो यकीनन आपकी प्यास बुझती है, लेकिन जब बिना प्यास लगे आप पानी पीते हैं तो आप अपने कोशिकाओं और इन्द्रियों को एक तरह से सींचते हैं। इससे आपके रक्तसंचार में सुधार होता है और आप के अन्दर किसी भी रोग को रोकने की शक्ति पैदा होती है। आपके शुक्राणु स्वस्थ हो जाते हैं और आपके बालों की जड़ें भी मज़बूत हो जाती हैं। पानी आपकी त्वचा को एक अनोखी चमक देता है, क्योंकि ये आपके लीवर से और आपकी त्वचा की कई सतहों के नीचे से विषैले तत्व बाहर निकाल फेंकता है। इससे एक और फायदा होता है। आपके अन्दर की पाचन शक्ति बढती है और आपका वज़न भी कम हो जाता है। पानी आपके बालों में भी एक नयी चमक पैदा करता है, और उन्हें स्वस्थ और मज़बूत रखता है। तो अगर आप अपने बालों को गिरने से रोकना चाहते हैं तो जी भर के पानी पीजिये और पूरा दिन अपने शरीर को सींचित और स्वस्थ रखिये।
विटामिन डी की शरीर में कमी न हो ःअन्‍य आवश्‍यकताओं की तरह बालों को विडामिन डी की भी आवश्‍यकता होती है । ये भी एक तरह का निशुल्क नुस्खा है और बालों को गिरने से रोकता है। असल में विटामिन डी बालों को बढ़ने में काफी मददगार साबित होता है और बालों को बढ़ने के लिए यह बहुत ज़रूरी भी है। यह अपने आप में आयरन और कैल्शियम को सोख लेता है। आयरन की कमी भी बालों के गिरने की वजह होती है। लेकिन जब आप अपने शरीर पर कम से कम 15 मिनिट के लिए भी सूर्य की किरणें पड़ने देते हैं, तो आपको उस दिन के लिए ज़रूरी मात्रा में विटामिन डी की खुराक मिल जाती है। लेकिन एक बात याद रहे, जब बहुत ही ज्यादा गर्मी हो तो आप अपने सिर और त्वचा को सूर्य की किरणों से बचाकर रखिये। बहुत ज्यादा गर्मी या तपती धूप आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। तो बेहतर यही होगा की आप सूर्य की किरणों का फायदा या तो सुबह उठाइए या शाम को।
पौष्टिक आहार लें ः कई लोग बालों की झडने का शिकार गलत खाने की वजह से होते हैं। ऐसा नहीं है की वे पौष्टिक खाने पर खर्च नहीं कर सकते लेकिन आदतन वे जंक फ़ूड पर पैसे बर्बाद करते हैं बनिबस्त पौष्टिक आहार पर खर्च करने के । जंक फ़ूड , डब्बाबंद आहार, तैलीय खाना, वगैरह में पौष्टिक तत्वों की कमी होती है लेकिन कई लोग इन्हें बड़े मज़े से खाते हैं। नतीजा यह होता है कि आपके शरीर को सही मात्रा में आयरन, कैल्सियम , जिंक , विटामिन सी और प्रोटीन वगैरह नहीं मिल पाते। यह सब बालों के बढ़ने के लिए बहुत ज़रूरी होते हैं इसीलिए जहाँ तक हो सके ऐसे पोषण रहित आहार का बहिष्कार किजिये और हरी सब्जियां, फल, सूखे मेवे, दूध, अंडे खाइए जिससे कि आपके जीवन में पौष्टिक आहारों की कमी पूरी हो सके।
तनाव से बचे ः बालों के गिरने की एक अहम् वजह तनाव भी है। तनाव से कई और बीमारियाँ भी पैदा होती हैं, इसीलिए इन बीमारियों से बचने के लिए, और बालों को गिरने से बचाने के लिए तनाव से दूर रहिये। हालांकि ऐसा कहना बहुत आसान होता है, लेकिन अगर आप पूरी तरह स तनाव से छुटकारा नहीं पा सकते तो इसे कम तो कर सकते हैं। और तनाव कम करने के लिए आपको अपनी सोच को बदलना होगा, और योग, मेडीटेशन, वगैरह जैसे उपायों से इसे कम कर सकते हैं।
धूम्रपान और शाराब का सेवन बिलकुल न करें ः बालों के गिरने की एक और वजह धूम्रपान भी है, धूम्रपान से अथेरोसेलेरोसिस का विकास होता है। अथेरोसेलेरोसिस की अवस्था में आपकी नसों और रगों पर मैल जमा हो जाती है जिससे आपके पूरे शरीर के रक्तसंचार में अवरोध पैदा होता है। फलस्वरूप, अगर आप पौष्टिक आहार का सेवन भी कर रहे हैं तो भी पौष्टिक तत्व आपके बालों की जड़ों तक नहीं पहुँच पाते क्योंकि आपके सिर तक पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं पहुँचता। इस दशा में आपके बाल कमज़ोर होने लगते हैं और गिरने लगते हैं। धूम्रपान की वजह से, सेक्स समस्याएं , दौरे पड़ना, उच्च रक्त चाप, हार्ट एटेक वगैरह जैसे रोग भी पैदा होते हैं। तो, अगर आपको अपनी ज़िन्दगी से प्यार है (न सिर्फ अपने बालों से) तो आज ही धूम्रपान करना छोड़ दीजिये। शराब आपके लीवर को नुकसान पहुंचाती है और आपके शरीर में ऐसे विषैले तत्व पैदा करती है जो की आपके बालों के लिए बहुत हीं हानिकारक साबित होते हैं। शराब आप नियंत्रित मात्रा में पियें; बेहतर तो यही होगा कि आप शराब को हाथ ही ना लगायें।
हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल न करे ः अक्सर लोग टीवी पर और रंगीन पत्रिकाओं में लुभावने इश्तिहार देखकर ललचा जाते हैं और अपने बालों के लिए, बिना सोचे समझे कोई भी शेंफू और कंडीस्नर खरीद लेते हैं। कोई भी शेंफू खरीदने से पहले उसके अन्दर के मसालों के बारे में अच्छी तरह परख लें। कई शेंफू में कड़क तरह के मसाले डाले जाते हैं, जिनसे कि आपके बालों को हानि पहुँचती है और आपके बाल गिरने लगते हैं और आप गंजे भी हो सकते हैं। एक दो बार खरीदने के बाद अगर आपको लगे है कि कोई शेंफू आपके बालों के लिए ठीक नहीं है तो उसे फ़ौरन इस्तेमाल करना बंद कर दीजिये।
अत्यधिक गर्मी और बाल रंगने से परहेज़ करें ः अत्यधिक गर्मी और बालों को बहुत ज्यादा रंगना या डाई करना आपके बालों के लिए ठीक नहीं होते। जहाँ तक हो सके अपने बालों को गर्मी से बचाएं और बालों को तभी रंगें या डाई करें जब बहुत ही ज्यादा ज़रूरी हो।

इमली के औषधीय गुण

इमली के औषधीय गुण

(१) वीर्य – पुष्टिकर योग : इमली के बीज दूध में कुछ देर पकाकर और उसका छिलका उतारकर सफ़ेद गिरी को बारीक पीस ले और घी में भून लें, इसके बाद सामान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें | इसे प्रातः एवं शाम को ५-५ ग्राम दूध के साथ सेवन करने से वीर्य पुष्ट हो जाता है | बल और स्तम्भन शक्ति बढ़ती है तथा स्व-प्रमेह नष्ट हो जाता है |

(२) शराब एवं भांग का नशा उतारने में : नशा समाप्त करने के लिए पकी इमली का गूदा जल में भिगोकर, मथकर, और छानकर उसमें थोड़ा गुड़ मिलाकर पिलाना चाहिए |

(३) इमली के गूदे का पानी पीने से वमन, पीलिया, प्लेग, गर्मी के ज्वर में भी लाभ होता है |

(४) ह्रदय की दाहकता या जलन को शान्त करने के लिये पकी हुई इमली के रस (गूदे मिले जल) में मिश्री मिलाकर पिलानी चाहियें |

(५) लू-लगना : पकी हुई इमली के गूदे को हाथ और पैरों के तलओं पर मलने से लू का प्रभाव समाप्त हो जाता है | यदि इस गूदे का गाढ़ा धोल बालों से रहित सर पर लगा दें तो लू के प्रभाव से उत्पन्न बेहोसी दूर हो जाती है |

(६) चोट – मोच लगना : इमली की ताजा पत्तियाँ उबालकर, मोच या टूटे अंग को उसी उबले पानी में सेंके या धीरे – धीरे उस स्थान को उँगलियों से हिलाएं ताकि एक जगह जमा हुआ रक्त फ़ैल जाए |

(७) गले की सूजन : इमली १० ग्राम को १ किलो जल में अध्औटा कर (आधा जलाकर) छाने और उसमें थोड़ा सा गुलाबजल मिलाकर रोगी को गरारे या कुल्ला करायें तो गले की सूजन में आराम मिलता है |

(८) खांसी : टी.बी. या क्षय की खांसी हो (जब कफ़ थोड़ा रक्त आता हो) तब इमली के बीजों को तवे पर सेंक, ऊपर से छिलके निकाल कर कपड़े से छानकर चूर्ण रख ले| इसे ३ ग्राम तक घृत या मधु के साथ दिन में ३-४ बार चाटने से शीघ्र ही खांसी का वेग कम होने लगता है | कफ़ सरलता से निकालने लगता है और रक्तश्राव व् पीला कफ़ गिरना भी समाप्त हो जाता है |

(९) ह्रदय में जलन : पकी इमली का रस मिश्री के साथ पिलाने से ह्रदय में जलन कम हो जाती है |

(१०) नेत्रों में गुहेरी होना : इमली के बीजों की गिरी पत्थर पर घिसें और इसे गुहेरी पर लगाने से तत्काल ठण्डक पहुँचती है |

(११) चर्मरोग : लगभग ३० ग्राम इमली (गूदे सहित) को १ गिलाश पानी में मथकर पीयें तो इससे घाव, फोड़े-फुंसी में लाभ होगा |

(१२) उल्टी होने पर पकी इमली को पाने में भिगोयें और इस इमली के रस को पिलाने से उल्टी आनी बंद हो जाती है |

(१३) भांग का नशा उतारने में : नशा उतारने के लिये शीतल जल में इमली को भिगोकर उसका रस निकालकर रोगी को पिलाने से उसका नशा उतर जाएगा |

(१४) खूनी बवासीर : इमली के पत्तों का रस निकालकर रोगी को सेवन कराने से रक्तार्श में लाभ होता है |

(१५) शीघ्रपतन : लगभग ५०० ग्राम इमली ४ दिन के लिए जल में भिगों दे | उसके बाद इमली के छिलके उतारकर छाया में सुखाकर पीस ले | फिर ५०० ग्राम के लगभग मिश्री मिलाकर एक चौथाई चाय की चम्मच चूर्ण (मिश्री और इमली मिला हुआ) दूध के साथ प्रतिदिन दो बार लगभग ५० दिनों तक लेने से लाभ होगा |

(१६) लगभग ५० ग्राम इमली, लगभग ५०० ग्राम पानी में दो घन्टे के लिए भिगोकर रख दें उसके बाद उसको मथकर मसल लें | इसे छानकर पी जाने से लू लगना, जी मिचलाना, बेचैनी, दस्त, शरीर में जलन आदि में लाभ होता है तथा शराब व् भांग का नशा उतर जाता है | हँ का जायेका ठीक होता है |

(१७) बहुमूत्र या महिलाओं का सोमरोग : इमली का गूदा ५ ग्राम रात को थोड़े जल में भिगो दे, दूसरे दिन प्रातः उसके छिलके निकालकर दूध के साथ पीसकर और छानकर रोगी को पिला दे | इससे स्त्री और पुरुष दोनों को लाभ होता है | मूत्र- धारण की शक्ति क्षीण हो गयी हो या मूत्र अधिक बनता हो या मूत्रविकार के कारण शरीर क्षीण होकर हड्डियाँ निकल आयी हो तो इसके प्रयोग से लाभ होगा |

(१८) अण्डकोशों में जल भरना : लगभग ३० ग्राम इमली की ताजा पत्तियाँ को गौमूत्र में औटाये | एकबार मूत्र जल जाने पर पुनः गौमूत्र डालकर पकायें | इसके बाद गरम – गरम पत्तियों को निकालकर किसी अन्डी या बड़े पत्ते पर रखकर सुहाता- सुहाता अंडकोष पर बाँध कपड़े की पट्टी और ऊपर से लगोंट कास दे | सारा पानी निकल जायेगा और अंडकोष पूर्ववत मुलायम हो जायेगें |

(१९) पीलिया या पांडु रोग : इमली के वृक्ष की जली हुई छाल की भष्म १० ग्राम बकरी के दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करने से पान्डु रोग ठीक हो जाता है |

(२०) आग से जल जाने पर : इमली के वृक्ष की जली हुई छाल की भष्म गाय के घी में मिलाकर लगाने से, जलने से पड़े छाले व् घाव ठीक हो जाते है |

(२१) पित्तज ज्वर : इमली २० ग्राम १०० ग्राम पाने में रात भर के लिए भिगो दे | उसके निथरे हुए जल को छानकर उसमे थोड़ा बूरा मिला दे | ४-५ ग्राम इसबगोल की फंकी लेकर ऊपर से इस जल को पीने से लाभ होता है |

(२२) सर्प , बिच्छू आदि का विष : इमली के बीजों को पत्थर पर थोड़े जल के साथ घिसकर रख ले | दंशित स्थान पर चाकू आदि से छत करके १ या २ बीज चिपका दे | वे चिपककर विष चूसने लगेंगे और जब गिर पड़े तो दूसरा बीज चिपका दें | विष रहने तक बीज बदलते रहे |

function disabled

Old Post from Sanwariya