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बुधवार, 19 अक्टूबर 2016

करवा-चौथ

करवा-चौथ की महिमा ||
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करवा चौथ का पर्व भारत में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में मुख्य रूप से मनाया जाता है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। करवा-चौथ व्रत के प्रति स्त्रियों में सर्वाधिक श्रद्धा है। यों तो प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी और चंद्रमा का व्रत किया जाता है। परंतु इनमें करवा चौथ का सर्वाधिक महत्त्व है। इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अटल सुहाग, पति की दीर्घायु , उत्तम स्वास्थ्य की मंगलकामना के लिए यह व्रत करती हैं। वामन पुराण में करवा चौथ-व्रत का वर्णन मिलता है।
* करवा चौथ पूजा विधान -
करवा चौथ व्रत को रखने वाली स्त्रियों को प्रात:काल स्नान आदि के बाद आचमन करके पति, पुत्र-पौत्र तथा सुख-सौभाग्य की इच्छा का संकल्प लेकर इस व्रत को करना चाहिए।
करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा का पूजन करने का विधान है।
स्त्रियां चंद्रोदय के बाद चंद्रमा के दर्शन कर अर्ध्य देकर ही जल-भोजन ग्रहण करती हैं।
पूजा के बाद तांबे या मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री जैसे- कंघी, शीशा, सिन्दूर, चूड़ियां, रिबन व रुपया रखकर दान करना चाहिए तथा सास के पांव छूकर फल, मेवा व सुहाग की सारी सामग्री उन्हें देनी चाहिए।
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करवा-चौथ के सम्बन्ध में दो कथाएं प्राप्त होती है। दोनों ही कथाएं हमारी संस्कृति में स्त्रियों के अपने जीवन साथी के प्रति अटूट समर्पण, अदम्य साहस और धैर्य को दर्शाती है।
* प्रथम कथा -
एक बार अर्जुन नीलगिरि पर तपस्या करने गए। द्रौपदी ने सोचा कि यहाँ हर समय अनेक प्रकार की विघ्न-बाधाएं आती रहती हैं। उनके शमन के लिए अर्जुन तो यहाँ हैं नहीं, अत: कोई उपाय करना चाहिए। यह सोचकर उन्होंने भगवान श्री कृष्ण का ध्यान किया। भगवान वहाँ उपस्थित हुए तो द्रौपदी ने अपने कष्टों के निवारण हेतु कोई उपाय बताने को कहा। इस पर श्रीकृष्ण बोले- 'एक बार पार्वती जी ने भी शिव जी से यही प्रश्न किया था तो उन्होंने कहा था कि करवाचौथ का व्रत गृहस्थी में आने वाली विघ्न-बाधाओं को दूर करने वाला है। यह पित्त प्रकोप को भी दूर करता है। फिर श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को एक कथा सुनाई-
प्राचीनकाल में एक धर्मपरायण ब्राह्मण के सात पुत्र तथा एक पुत्री थी। बड़ी होने पर पुत्री का विवाह कर दिया गया। कार्तिक की चतुर्थी को कन्या ने करवा चौथ का व्रत रखा। सात भाइयों की लाड़ली बहन को चंद्रोदय से पहले ही भूख सताने लगी। उसका फूल सा चेहरा मुरझा गया। भाइयों के लिए बहन की यह वेदना असहनीय थी। अत: वे कुछ उपाय सोचने लगे। उन्होंने बहन से चंद्रोदय से पहले ही भोजन करने को कहा, पर बहन न मानी। तब भाइयों ने स्नेहवश पीपल के वृक्ष की आड़ में प्रकाश करके कहा- देखो ! चंद्रोदय हो गया। उठो, अर्ध्य देकर भोजन करो।' बहन उठी और चंद्रमा को अर्ध्य देकर भोजन कर लिया। भोजन करते ही उसका पति मर गया। वह रोने चिल्लाने लगी। दैवयोग से इन्द्राणी (शची) देवदासियों के साथ वहाँ से जा रही थीं। रोने की आवाज़ सुन वे वहाँ गईं और उससे रोने का कारण पूछा।
ब्राह्मण कन्या ने सब हाल कह सुनाया। तब इन्द्राणी ने कहा- 'तुमने करवा चौथ के व्रत में चंद्रोदय से पूर्व ही अन्न-जल ग्रहण कर लिया, इसी से तुम्हारे पति की मृत्यु हुई है। अब यदि तुम मृत पति की सेवा करती हुई बारह महीनों तक प्रत्येक चौथ को यथाविधि व्रत करो, फिर करवा चौथ को विधिवत गौरी, शिव, गणेश, कार्तिकेय सहित चंद्रमा का पूजन करो तथा चंद्रोदय के बाद अर्ध्य देकर अन्न-जल ग्रहण करो तो तुम्हारे पति अवश्य जीवित हो उठेंगे।' ब्राह्मण कन्या ने अगले वर्ष 12 माह की चौथ सहित विधिपूर्वक करवा चौथ का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उनका मृत पति जीवित हो गया। इस प्रकार यह कथा कहकर श्रीकृष्ण द्रौपदी से बोले- 'यदि तुम भी श्रद्धा एवं विधिपूर्वक इस व्रत को करो तो तुम्हारे सारे दुख दूर हो जाएंगे और सुख-सौभाग्य, धन-धान्य में वृद्धि होगी।' फिर द्रौपदी ने श्रीकृष्ण के कथनानुसार करवा चौथ का व्रत रखा। उस व्रत के प्रभाव से महाभारत के युद्ध में कौरवों की हार तथा पाण्डवों की जीत हुई।
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* द्वितीय कथा -
प्राचीन समय में करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री थी। वह अपने पति के साथ नदी किनारे के एक गाँव में रहती थी। उसका पति वृद्ध था। एक दिन वह नदी में स्नान करने गया। नदी में नहाते समय एक मगर ने उसे पकड़ लिया। इस पर व्यक्ति 'करवा करवा' चिल्लाकर अपनी पत्नी को सहायता के लिए पुकारने लगा। करवा पतिव्रता स्त्री थी। आवाज़ को सुनकर करवा भागकर अपने पति के पास पहुँची और दौड़कर कच्चे धागे से मगर को आन देकर बांध दिया। मगर को सूत के कच्चे धागे से बांधने के बाद करवा यमराज के पास पहुँची। वे उस समय चित्रगुप्त के खाते देख रहे थे। करवा ने सात सींक ले उन्हें झाड़ना शुरू किया, यमराज के खाते आकाश में उड़ने लगे। यमराज घबरा गए और बोले- 'देवी! तू क्या चाहती है?' करवा ने कहा- 'हे प्रभु! एक मगर ने नदी के जल में मेरे पति का पैर पकड़ लिया है। उस मगर को आप अपनी शक्ति से अपने लोक (नरक) में ले आओ और मेरे पति को चिरायु करो।' करवा की बात सुनकर यमराज बोले- 'देवी! अभी मगर की आयु शेष है। अतः आयु रहते हुए मैं असमय मगर को मार नहीं सकता।' इस पर करवा ने कहा- 'यदि मगर को मारकर आप मेरे पति की रक्षा नहीं करोगे, तो मैं शाप देकर आपको नष्ट कर दूंगी।' करवा की धमकी से यमराज डर गए। वे करवा के साथ वहाँ आए, जहाँ मगर ने उसके पति को पकड़ रखा था। यमराज ने मगर को मारकर यमलोक पहुँचा दिया और करवा के पति की प्राण रक्षा कर उसे दीर्घायु प्रदान की। जाते समय वह करवा को सुख-समृद्धि देते गए तथा यह वर भी दिया- 'जो स्त्री इस दिन व्रत करेगी, उनके सौभाग्य की मैं रक्षा करूंगा।' करवा ने पतिव्रत के बल से अपने पति के प्राणों की रक्षा की थी। इस घटना के दिन से करवा चौथ का व्रत करवा के नाम से प्रचलित हो गया। जिस दिन करवा ने अपने पति के प्राण बचाए थे, उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चौथ थी। हे करवा माता! जैसे आपने (करवा) अपने पति की प्राण रक्षा की वैसे ही सबके पतियों के जीवन की रक्षा करना।

रविवार, 14 अगस्त 2016

19 अगस्त 2016 शुक्रवार को फिल्म "मीराधा" रिलीज होने जा रही है #meeradha


#MEERADHA | Official Trailer| Film Trailer| # Bollywood Movie

https://youtu.be/VUCmxMqhD_I

19 अगस्त 2016 शुक्रवार को राजस्थान की धरा पर निर्मित बहुप्रतीक्षित फिल्म "मीराधा" रिलीज होने जा रही है.. यह फिल्म पूर्णरूप से त्रिकोणीय प्रेम पक्ष पर आधारित पारिवारिक और सामाजिक फिल्म है जिसका निर्माण किया है भीलवाड़ा (राज.) से हमारे परम मित्र "सूर्यप्रकाश जेठलिया जी" द्वारा...फिल्म में नायिका के रोल में जेठलिया जी की सुपुत्री "सुहानी जेठलिया" भी हैं.. फिल्म के निर्देशक "सूर्यप्रकाश जी" ने ओसवाल ग्रुप ऑफ़ इण्डस्ट्रीज- भीलवाड़ा (राज.) के ग्रुप एडवाईजर पद पर कार्यरत रहते हुए बड़े ही संघर्षों और कड़ी मेहनत से इस फिल्म का निर्माण किया है.... वाकई में शानदार फिल्म बनी है जिसकी अधिकांशशूटिंग भीलवाड़ा में ही हुई है... फिल्म और जेठलिया जी से जुड़ी और भी कई बातें हैं जिन्हें बताते बताते यह पोस्ट इतनी लम्बी हो जाएगी पर खत्म नहीं होंगी..19 अगस्त को "मीराधा" फिल्म सिनेमाघरों में देखना न भूलें ।

Check it out - https://in.bookmyshow.com/movies/Meeradha/ET00044824
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19 अगस्त 2016 फिल्म "मीराधा" रिलीज होने जा रही है #Meeradha # Bollywood Movie

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19 अगस्त 2016 शुक्रवार को राजस्थान की धरा पर निर्मित बहुप्रतीक्षित फिल्म "मीराधा" रिलीज होने जा रही है.. यह फिल्म पूर्णरूप से त्रिकोणीय प्रेम पक्ष पर आधारित पारिवारिक और सामाजिक फिल्म है जिसका निर्माण किया है भीलवाड़ा (राज.) से हमारे परम मित्र "सूर्यप्रकाश जेठलिया जी" द्वारा...फिल्म में नायिका के रोल में जेठलिया जी की सुपुत्री "सुहानी जेठलिया" भी हैं.. फिल्म के निर्देशक "सूर्यप्रकाश जी" ने ओसवाल ग्रुप ऑफ़ इण्डस्ट्रीज- भीलवाड़ा (राज.) के ग्रुप एडवाईजर पद पर कार्यरत रहते हुए बड़े ही संघर्षों और कड़ी मेहनत से इस फिल्म का निर्माण किया है.... वाकई में शानदार फिल्म बनी है जिसकी अधिकांशशूटिंग भीलवाड़ा में ही हुई है... फिल्म और जेठलिया जी से जुड़ी और भी कई बातें हैं जिन्हें बताते बताते यह पोस्ट इतनी लम्बी हो जाएगी पर खत्म नहीं होंगी..19 अगस्त को "मीराधा" फिल्म सिनेमाघरों में देखना न भूलें ।
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Bollywood Movie #MEERADHA | Official Trailer| Film Trailer|


#MEERADHA | Official Trailer| Film Trailer|
#bollywood Movie


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एसपीजे इंटरटेन्मेंट मूवी के बैनर तले बनी बॉलीवुड फिल्म मीराधा में वृंदावन के कृष्ण कन्हैया के प्रेम में बावरी मीरा और उनकी परम प्रिया राधा की प्रेम कहानी आधुनिकता की चाशनी में लपेटकर नये युग के धरातल पर रूपांतरित की गयी है. फिल्म ‘मीराधा’ के निर्माता सूर्य प्रकाश जेठलिया हैं, जबकि इसका निर्देशन आशीष सिन्हा ने किया है. फिल्म में भारतीय पौराणिक गाथा के यादगार किरदारों को नए रूप में प्रदर्शित किया गया है. फिल्म के निर्माताओं के अनुसार ‘मीराधा’ नए जमाने की एक रोमेंटिक फिल्म है जिसमें मीरा, राधा और श्रीकृष्ण के किरदार को स्क्रीन पर आधुनिक रूप में प्रदर्शित किया जाएगा.फिल्म 19 अगस्त को रिलीज होगी.



19 अगस्त 2016 शुक्रवार को राजस्थान की धरा पर निर्मित बहुप्रतीक्षित फिल्म "मीराधा" रिलीज होने जा रही है.. यह फिल्म पूर्णरूप से त्रिकोणीय प्रेम पक्ष पर आधारित पारिवारिक और सामाजिक फिल्म है जिसका निर्माण किया है भीलवाड़ा (राज.) से हमारे परम मित्र "सूर्यप्रकाश जेठलिया जी" द्वारा .फिल्म में नायिका के रोल में जेठलिया जी की सुपुत्री "सुहानी जेठलिया" भी हैं. फिल्म के निर्देशक "सूर्यप्रकाश जी" ने ओसवाल ग्रुप ऑफ़ इण्डस्ट्रीज- भीलवाड़ा (राज.) के ग्रुप एडवाईजर पद पर कार्यरत रहते हुए बड़े ही संघर्षों और कड़ी मेहनत से इस फिल्म का निर्माण किया है. वाकई में शानदार फिल्म बनी है जिसकी अधिकांश शूटिंग भीलवाड़ा में ही हुई है... फिल्म और जेठलिया जी से जुड़ी और भी कई बातें हैं जिन्हें बताते बताते यह पोस्ट इतनी लम्बी हो जाएगी पर खत्म नहीं होंगी..19 अगस्त को "मीराधा" फिल्म सिनेमाघरों में देखना न भूलें ।

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# Bollywood Movie #‎MEERADHA‬ ....Release on 19 August 2016 ALL OVER ‪#‎INDIA‬

एसपीजे इंटरटेन्मेंट मूवी के बैनर तले बनी बॉलीवुड फिल्म मीराधा में वृंदावन के कृष्ण कन्हैया के प्रेम में बावरी मीरा और उनकी परम प्रिया राधा की प्रेम कहानी आधुनिकता की चाशनी में लपेटकर नये युग के धरातल पर रूपांतरित की गयी है. फिल्म ‘मीराधा’ के निर्माता सूर्य प्रकाश जेठलिया हैं, जबकि इसका निर्देशन आशीष सिन्हा ने किया है. फिल्म में भारतीय पौराणिक गाथा के यादगार किरदारों को नए रूप में प्रदर्शित किया गया है. फिल्म के निर्माताओं के अनुसार ‘मीराधा’ नए जमाने की एक रोमेंटिक फिल्म है जिसमें मीरा, राधा और श्रीकृष्ण के किरदार को स्क्रीन पर आधुनिक रूप में प्रदर्शित किया जाएगा.फिल्म 19 अगस्त को रिलीज होगी.



19 अगस्त 2016 शुक्रवार को राजस्थान की धरा पर निर्मित बहुप्रतीक्षित फिल्म "मीराधा" रिलीज होने जा रही है.. यह फिल्म पूर्णरूप से त्रिकोणीय प्रेम पक्ष पर आधारित पारिवारिक और सामाजिक फिल्म है जिसका निर्माण किया है भीलवाड़ा (राज.) से हमारे परम मित्र "सूर्यप्रकाश जेठलिया जी" द्वारा...फिल्म में नायिका के रोल में जेठलिया जी की सुपुत्री "सुहानी जेठलिया" भी हैं.. फिल्म के निर्देशक "सूर्यप्रकाश जी" ने ओसवाल ग्रुप ऑफ़ इण्डस्ट्रीज- भीलवाड़ा (राज.) के ग्रुप एडवाईजर पद पर कार्यरत रहते हुए बड़े ही संघर्षों और कड़ी मेहनत से इस फिल्म का निर्माण किया है.... वाकई में शानदार फिल्म बनी है जिसकी अधिकांशशूटिंग भीलवाड़ा में ही हुई है... फिल्म और जेठलिया जी से जुड़ी और भी कई बातें हैं जिन्हें बताते बताते यह पोस्ट इतनी लम्बी हो जाएगी पर खत्म नहीं होंगी..19 अगस्त को "मीराधा" फिल्म सिनेमाघरों में देखना न भूलें ।

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गुरुवार, 28 जुलाई 2016

Hon’ble Shri Nitin Gadkari unveils posters of Sandesh Gour's upcoming Film #Meeradha


Hon’ble Shri Nitin Gadkari unveils posters of Sandesh Gour's upcoming Film Meeradha

Sandesh Gour, Surya Prakash Jethlia with Hon'ble Nitin Gadkariji and crew
Union Minister of India Hon’ble Shri Nitin Jairam Gadkari launched posters of actor Sandesh Gour's upcoming bollywood movie Meeradha in Nagpur recently. Mr. Nitin Gadkari opened the wrap and unveiled the posters showing the first look of Meeradha to print and electronic media.

The two posters that were unveiled were creatively designed in Mumbai. A modern age romantic film, the posters clearly depict the feel of the film. According to Sandesh Gour, Meeradha is a unique name that’s a mix of Meera and Radha. He added that it was a “dream come true” for the posters to be unveiled by an Hon’ble and eminent personality as Shri Gadkariji as its my debut movie. The new poster for Meeradha clearly depicts the romantic feel of the film. Meeradha is not only unique by its name, but it’s a feel good romantic film with a message.

The event which was organised by SPJ Entertainment in Nagpur recently were attended by the Hon’ble MLA Milid Mane, MLA Vikas Kumbhare, MLA Krishna Kopde, BJP North Nagpur president Mr.Dilip Gour, lead actor Sandesh Gour, lead actress Suhani Jethlia and Venus Jain, Producer Surya Prakash Jethlia, Director Aashish Sinha and the whole cast and crew were present to seek blessings for the film. Road Transport and Shipping Minister Mr. Nitin Gadkari gave his best wishes and blessings to actor Sandesh Gour and the entire cast and crew of Meeradha.

Writer Producer Surya Prakash Jethlia added, “This is one film that one can sit with the family and watch. Having said this, there is enough masala for the youth and never for once the audience will feel bored as we have not done it in a preachy manner.”

The film has beautiful compositions rendered by Shaan, Javed Ali, Raja Hasan, Santosh Kumar, Shahzaad Ali and Suhani Jethlia and the songs are set to tune by Archit Tak, Sugat – Shubham and Santosh Kumar. Shot entirely in Rangeelo Rajasthan, Mumbai and Silvasa, Meeradha is produced and presented by SPJ Entertainment OPC Pvt Ltd. and is set for an all India release next month in August 2016.



गुरुवार, 21 जुलाई 2016

शिवताण्डवस्तोत्रम्


शिवताण्डवस्तोत्रम्

||श्रीगणेशाय नमः ||
जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले, गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम् |

डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं, चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ||१||
जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी, विलो लवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि |
धगद् धगद् धगज्ज्वलल् ललाट पट्ट पावके किशोर चन्द्र शेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ||२|| 
धरा धरेन्द्र नंदिनी विलास बन्धु बन्धुरस् फुरद् दिगन्त सन्तति प्रमोद मानमानसे | 
कृपा कटाक्ष धोरणी निरुद्ध दुर्धरापदि क्वचिद् दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ||३||
 लता भुजङ्ग पिङ्गलस् फुरत्फणा मणिप्रभा कदम्ब कुङ्कुमद्रवप् रलिप्तदिग्व धूमुखे |
मदान्ध सिन्धुरस् फुरत् त्वगुत्तरीयमे दुरे मनो विनोद मद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ||४|| 
सहस्र लोचनप्रभृत्य शेष लेखशेखर प्रसून धूलिधोरणी विधूस राङ्घ्रि पीठभूः | 
भुजङ्ग राजमालया निबद्ध जाटजूटक श्रियै चिराय जायतां चकोर बन्धुशेखरः ||५|| 
ललाट चत्वरज्वलद् धनञ्जयस्फुलिङ्गभा निपीत पञ्चसायकं नमन्निलिम्प नायकम् |
 सुधा मयूखले खया विराजमानशेखरं महाकपालिसम्पदे शिरोज टालमस्तु नः ||६||
 कराल भाल पट्टिका धगद् धगद् धगज्ज्वल द्धनञ्जयाहुती कृतप्रचण्ड पञ्चसायके | 
धरा धरेन्द्र नन्दिनी कुचाग्र चित्रपत्रक प्रकल्प नैक शिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम |||७|| 
नवीन मेघ मण्डली निरुद् धदुर् धरस्फुरत्- कुहू निशीथि नीतमः प्रबन्ध बद्ध कन्धरः | 
निलिम्प निर्झरी धरस् तनोतु कृत्ति सिन्धुरः कला निधान बन्धुरः श्रियं जगद् धुरंधरः ||८|| 
प्रफुल्ल नीलपङ्कज प्रपञ्च कालिम प्रभा- वलम्बि कण्ठकन्दली रुचिप्रबद्ध कन्धरम् | 
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छि दांध कच्छिदं तमंत कच्छिदं भजे ||९|| 
अखर्व सर्व मङ्गला कला कदंब मञ्जरी रस प्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम् |स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं गजान्त कान्ध कान्त कं तमन्त कान्त कं भजे ||१०|| 
जयत् वदभ्र विभ्रम भ्रमद् भुजङ्ग मश्वस – द्विनिर्ग मत् क्रमस्फुरत् कराल भाल हव्यवाट् |
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल  ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ||११|| स्पृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्-गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः |

तृष्णारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समप्रवृत्तिकः ( समं प्रवर्तयन्मनः) कदा सदाशिवं भजे ||१२||
 कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन् विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् | विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ||१३|| 
इदम् हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् | 
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ||१४||

पूजा वसान समये दशवक्त्र गीतं यः शंभु पूजन परं पठति प्रदोषे | तस्य स्थिरां रथगजेन्द्र तुरङ्ग युक्तां लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः ||१५||
इति श्रीरावण- कृतम् शिव- ताण्डव- स्तोत्रम् सम्पूर्णम् --

Jai shree krishna

Thanks,

Regards,

कैलाश चन्द्र लढा(भीलवाड़ा) www.sanwariya.orgsanwariyaa.blogspot.comhttps://www.facebook.com/mastermindkailashhttps://www.youtube.com/watch?v=QvUF4LkmwKo

भगवान महेशजी का प्रिय महीना - सावन


सावन महीने को देवों के देव महादेव भगवान महेशजी का प्रिय महीना माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महादेव-पार्वती ब्रम्हांड की अमर जोड़ी (युगल / कपल) है। महादेव-पार्वती पति-पत्नी के रुप में अमर-अटूट-सफल प्रेम की दास्ताँ है। श्रावण मास को महादेव-पार्वती के मिलन का मास माना जाता है। इस तरह सावन मास शक्ति (पार्वती) और शक्तिमान (शिव) दोनों के मिलन का केन्द्र हैं। श्मशानी रुद्र ग्रहस्थ बनकर विवाह रचाते हैं। यह पुरुष और प्रकृति का मिलन है।

इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह मास विशेष हो गया।

क्यों है सावन की विशेषता? :-
रौद्रावतार भगवान शिव की सौम्य मूर्ति एवं रूप का दर्शन मात्र श्रावण मास में ही संभव है। जैसा कि पुराणों में या विविध ग्रन्थों में या लोकमत के रूप में यह प्रसिद्ध है कि भगवान रुद्र के 11 ही अवतार है। जो भाद्रपद से लेकर आषाढ़ माह तक 11 महीनों में नाम के अनुरूप मासों में पूजित एवं सिद्ध किए जाते हैं। किन्तु श्रावण माह में शान्त, सौम्य, सुन्दर, प्रफुल्लित एवं सन्तुष्ट भगवान शिव की अनुपम एवं मनमोहक मूर्ति सद्यः प्रसन्न एवं वरदायिनी होती है। माहेश्वरी महादेव के सौम्य रूप की आराधना करते है इसलिए माहेश्वरीयों में "पत्नी पार्वती और गोद में पुत्र गणेश के साथ विराजमान महेशजी" इस परिवारपालक, सौम्य रूपकी भक्ति-आराधना की परंपरा रही है।

इस महीने में भगवान शिव मुँह माँगा वरदान देने के लिए तत्पर रहते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि इस श्रावण माह में सीधे-सादे भगवान महेशजी को प्रसन्न करके जो वरदान चाहें वह माँग लें। जगत मोहिनी माता पार्वती के साथ भूतभावन भगवान भोलेनाथ निर्विकार अपने हर्ष से भरे हृदय के साथ उन्मुक्त मन से अपने भक्तों को इस महीने सब कुछ दे देने के लिए सदा तत्पर रहते हैं।

बेलपत्र और समीपत्र (माहेश्वरीयों में रही है महेशजी को 'समीपत्र' चढाने की परंपरा) :-
भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र चढ़ाते हैं। लेकिन माहेश्वरीयों में महेशजी को समीपत्र (शमीपत्र) चढाने की परंपरा रही है। इस संबंध में एक पौराणिक कथा के अनुसार जब 89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की विधि परम पिता ब्रह्मा से पूछी तो ब्रह्मदेव ने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र (शमीपत्र) का महत्व होता है।

चमत्कारिक और अद्भुत होते हैं भगवान शंकर का प्रिय बिल्व-पत्र

बिल्वपत्र का महत्व
बिल्व तथा श्रीफल नाम से प्रसिद्ध (famous) यह फल बहुत ही काम का है। यह जिस पेड़ (tree) पर लगता है वह शिवद्रुम भी कहलाता है। बिल्व का पेड़ संपन्नता का प्रतीक, बहुत पवित्र तथा समृद्धि देने वाला है। बेल के पत्ते शंकर जी (shiv shanker ji) का आहार माने गए हैं, इसलिए भक्त लोग बड़ी श्रद्धा से इन्हें महादेव के ऊपर चढ़ाते हैं। शिव की पूजा के लिए बिल्व-पत्र बहुत ज़रूरी माना जाता है। शिव-भक्तों का विश्वास है कि पत्तों (leaves) के त्रिनेत्रस्वरूप् तीनों पर्णक शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं।
2 भगवान शंकर का प्रिय भगवान शंकर को बिल्व पत्र बेहद प्रिय हैं। भांग धतूरा और बिल्व पत्र से प्रसन्न होने वाले केवल शिव ही हैं। शिवरात्रि (shiv ratri) के अवसर पर बिल्वपत्रों से विशेष रूप से शिव की पूजा की जाती है। तीन पत्तियों वाले बिल्व पत्र आसानी से उपलब्ध (easily available) हो जाते हैं, किंतु कुछ ऐसे बिल्व पत्र भी होते हैं जो दुर्लभ पर चमत्कारिक और अद्भुत होते हैं।
3 बिल्वाष्टक और शिव पुराणबिल्व पत्र का भगवान शंकर के पूजन (poojan) में विशेष महत्व (special importance) है जिसका प्रमाण शास्त्रों में मिलता है। बिल्वाष्टक और शिव पुराण में इसका स्पेशल उल्लेख है। अन्य कई ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है। भगवान शंकर एवं पार्वती को बिल्व पत्र चढ़ाने का विशेष महत्व है।
4 मां भगवती को बिल्व पत्रश्रीमद् देवी भागवत में स्पष्ट वर्णन है कि जो व्यक्ति मां भगवती (ma bhagwati) को बिल्व पत्र अर्पित करता है वह कभी भी किसी भी परिस्थिति में दुखी नहीं होता। उसे हर तरह की सिद्धि प्राप्त होती है और कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और वह भगवान भोले नाथ का प्रिय भक्त हो जाता है। उसकी सभी इच्छाएं (wishes) पूरी होती हैं और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
5 बिल्व पत्र के प्रकारबिल्व पत्र चार प्रकार के होते हैं – अखंड बिल्व पत्र, तीन पत्तियों के बिल्व पत्र, छः से 21 पत्तियों तक के बिल्व पत्र और श्वेत बिल्व पत्र। इन सभी बिल्व पत्रों का अपना-अपना आध्यात्मिक महत्व (spiritual importance) है। आप हैरान हो जाएंगे ये जानकर की कैसे ये बेलपत्र आपको भाग्यवान बना सकते हैं और लक्ष्मी कृपा दिला सकते हैं।
6 अखंड बिल्व पत्रइसका विवरण बिल्वाष्टक में इस प्रकार है – ‘‘अखंड बिल्व पत्रं नंदकेश्वरे सिद्धर्थ लक्ष्मी’’। यह अपने आप में लक्ष्मी सिद्ध है। एकमुखी रुद्राक्ष के समान ही इसका अपना विशेष महत्व है। यह वास्तुदोष का निवारण भी करता है। इसे गल्ले में रखकर नित्य पूजन करने से व्यापार में चैमुखी विकास होता है।
7 तीन पत्तियों वाला बिल्व पत्रइस बिल्व पत्र के महत्व का वर्णन भी बिल्वाष्टक में आया है जो इस प्रकार है- ‘‘त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम् त्रिजन्म पाप सहारं एक बिल्वपत्रं शिवार्पणम’’ यह तीन गणों से युक्त होने के कारण भगवान शिव को प्रिय है। इसके साथ यदि एक फूल धतूरे का चढ़ा दिया जाए, तो फलों (fruits) में बहुत वृद्धि होती है।
8 तीन पत्तियों वाला बिल्व पत्रइस तरह बिल्व पत्र अर्पित करने से भक्त को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। रीतिकालीन कवि ने इसका वर्णन इस प्रकार किया है- ‘‘देखि त्रिपुरारी की उदारता अपार कहां पायो तो फल चार एक फूल दीनो धतूरा को’’ भगवान आशुतोष त्रिपुरारी भंडारी सबका भंडार भर देते हैं।
9 तीन पत्तियों वाला बिल्व पत्रआप भी फूल चढ़ाकर इसका चमत्कार स्वयं देख सकते हैं और सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। तीन पत्तियों वाले बिल्व पत्र में अखंड बिल्व पत्र भी प्राप्त हो जाते हैं। कभी-कभी एक ही वृक्ष पर चार, पांच, छह पत्तियों वाले बिल्व पत्र भी पाए जाते हैं। परंतु ये बहुत दुर्लभ हैं।
10 छह से लेकर 21 पत्तियों वाले बिल्व पत्रये मुख्यतः नेपाल (nepal) में पाए जाते हैं। पर भारत (india) में भी कहीं-कहीं मिलते हैं। जिस तरह रुद्राक्ष कई मुखों वाले होते हैं उसी तरह बिल्व पत्र भी कई पत्तियों वाले होते हैं।
11 श्वेत बिल्व पत्र जिस तरह सफेद सांप, सफेद टांक, सफेद आंख, सफेद दूर्वा आदि होते हैं उसी तरह सफेद बिल्वपत्र भी होता है। यह प्रकृति (nature) की अनमोल देन है। इस बिल्व पत्र के पूरे पेड़ पर श्वेत पत्ते पाए जाते हैं। इसमें हरी पत्तियां नहीं होतीं। इन्हें भगवान शंकर को अर्पित करने का विशेष महत्व है।
12 कैसे आया बेल वृक्षबेल वृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में ‘स्कंदपुराण’ में कहा गया है कि एक बार देवी पार्वती ने अपनी ललाट से पसीना पोछकर फेंका, जिसकी कुछ बूंदें मंदार पर्वत (mandaar mountain) पर गिरीं, जिससे बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तना में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी और फलों में कात्यायनी वास करती हैं।
13 कांटों में भी हैं शक्तियाँकहा जाता है कि बेल वृक्ष के कांटों में भी कई शक्तियाँ समाहित हैं। यह माना जाता है कि देवी महालक्ष्मी का भी बेल वृक्ष में वास है। जो व्यक्ति शिव-पार्वती की पूजा बेलपत्र अर्पित कर करते हैं, उन्हें महादेव और देवी पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है। ‘शिवपुराण’ में इसकी महिमा विस्तृत रूप में बतायी गयी है।
14 ये भी है श्रीफलनारियल (coconut) से पहले बिल्व के फल को श्रीफल माना जाता था क्योंकि बिल्व वृक्ष लक्ष्मी जी का प्रिय वृक्ष माना जाता था। प्राचीन समय में बिल्व फल को लक्ष्मी और सम्पत्ति का प्रतीक मान कर लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए बिल्व के फल की आहुति दी जाती थी जिसका स्थान अब नारियल ने ले लिया है। प्राचीन समय से ही बिल्व वृक्ष और फल पूजनीय रहा है, पहले लक्ष्मी जी के साथ और धीरे-धीरे शिव जी के साथ।
15 यह एक रामबाण दवा भी हैवनस्पति में बेल का अत्यधिक महत्व है। यह मूलतः शक्ति का प्रतीक माना गया है। किसी-किसी पेड़ पर पांच से साढ़े सात किलो वजन वाले चिकित्सा विज्ञान में बेल का विशेष महत्व है। आजकल कई व्यक्ति इसकी खेती करने लगे हैं। इसके फल से शरबत, अचार और मुरब्बा आदि बनाए जाते हैं। यह हृदय रोगियों (heart patients) और उदर विकार से ग्रस्त लोगों के लिए रामबाण औषधि (medicine) है।
16 यह एक रामबाण दवा भी हैधार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण इसे मंदिरों (mandir/temple) के पास लगाया जाता है। बिल्व वृक्ष की तासीर बहुत शीतल होती है। गर्मी की तपिश से बचने के लिए इसके फल का शर्बत बड़ा ही लाभकारी (helpful) होता है। यह शर्बत कुपचन, आंखों की रोशनी (eye sight) में कमी, पेट में कीड़े और लू लगने जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए उत्तम है। औषधीय गुणों से परिपूर्ण बिल्व की पत्तियों मे टैनिन, लोह, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नेशियम (magnesium) जैसे रसायन (chemical) पाए जाते हैं।
क्या हैं बेल पत्र अथवा बिल्व-पत्र?
बिल्व-पत्र एक पेड़ की पत्तियां हैं, जिस के हर पत्ते लगभग तीन-तीन के समूह में मिलते हैं। कुछ पत्तियां चार या पांच के समूह की भी होती हैं। किन्तु चार या पांच के समूह वाली पत्तियां बड़ी दुर्लभ होती हैं। बेल के पेड को बिल्व भी कहते हैं। बिल्व के पेड़ का विशेष धार्मिक महत्व हैं। शास्त्रोक्त मान्यता हैं कि बेल के पेड़ को पानी या गंगाजल से सींचने से समस्त तीर्थो का फल प्राप्त होता हैं एवं भक्त को शिवलोक की प्राप्ति होती हैं। बेल कि पत्तियों में औषधि गुण भी होते हैं। जिसके उचित औषधीय प्रयोग से कई रोग दूर हो जाते हैं। भारतिय संस्कृति में बेल के वृक्ष का धार्मिक महत्व हैं, क्योकि बिल्व का वृक्ष भगवान शिव का ही रूप है। धार्मिक ऐसी मान्यता हैं कि बिल्व-वृक्ष के मूल अर्थात उसकी जड़ में शिव लिंग स्वरूपी भगवान शिव का वास होता हैं। इसी कारण से बिल्व के मूल में भगवान शिव का पूजन किया जाता हैं। पूजन में इसकी मूल यानी जड़ को सींचा जाता हैं।धर्मग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता हैं-
बिल्वमूले महादेवं लिंगरूपिणमव्ययम्।य: पूजयति पुण्यात्मा स शिवं प्राप्नुयाद्॥बिल्वमूले जलैर्यस्तु मूर्धानमभिषिञ्चति।स सर्वतीर्थस्नात: स्यात्स एव भुवि पावन:॥ (शिवपुराण)भावार्थ: बिल्व के मूल में लिंगरूपी अविनाशी महादेव का पूजन जो पुण्यात्मा व्यक्ति करता है, उसका कल्याण होता है। जो व्यक्ति शिवजी के ऊपर बिल्वमूल में जल चढ़ाता है उसे सब तीर्थो में स्नान का फल मिल जाता है।बिल्व पत्र तोड़ने का मंत्रबिल्व-पत्र को सोच-समझ कर ही तोड़ना चाहिए। बेल के पत्ते तोड़ने से पहले निम्न मंत्र का उच्चरण करना चाहिए- अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रियःसदा।गृह्यामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्॥ -(आचारेन्दु)भावार्थ: अमृत से उत्पन्न सौंदर्य व ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष महादेव को हमेशा प्रिय है। भगवान शिव की पूजा के लिए हे वृक्ष में तुम्हारे पत्र तोड़ता हूं।कब न तोड़ें बिल्व कि पत्तियां?*
विशेष दिन या विशेष पर्वो के अवसर पर बिल्व के पेड़ से पत्तियां तोड़ना निषेध हैं। *
शास्त्रों के अनुसार बेल कि पत्तियां इन दिनों में नहीं तोड़ना चाहिए-* 
बेल कि पत्तियां सोमवार के दिन नहीं तोड़ना चाहिए।* 
बेल कि पत्तियां चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या की तिथियों को नहीं तोड़ना चाहिए।* 
बेल कि पत्तियां संक्रांति के दिन नहीं तोड़ना चाहिए।

अमारिक्तासु संक्रान्त्यामष्टम्यामिन्दुवासरे ।बिल्वपत्रं न च छिन्द्याच्छिन्द्याच्चेन्नरकं व्रजेत ॥
(लिंगपुराण)भावार्थ: अमावस्या, संक्रान्ति के समय, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी और चतुर्दशी तिथियों तथा सोमवार के दिन बिल्व-पत्र तोड़ना वर्जित है।चढ़ाया गया पत्र भी पूनः चढ़ा सकते हैं?शास्त्रों में विशेष दिनों पर बिल्व-पत्र तोडकर चढ़ाने से मना किया गया हैं तो यह भी कहा गया है कि इन दिनों में चढ़ाया गया बिल्व-पत्र धोकर पुन: चढ़ा सकते हैं।

अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षाल्यापि पुन: पुन:।शंकरायार्पणीयानि न नवानि यदि चित्॥ (स्कन्दपुराण) और (आचारेन्दु)भावार्थ: अगर भगवान शिव को अर्पित करने के लिए नूतन बिल्व-पत्र न हो तो चढ़ाए गए पत्तों को बार-बार धोकर चढ़ा सकते हैं।बेल पत्र चढाने का मंत्र भगवान शंकर को विल्वपत्र अर्पित करने से मनुष्य कि सर्वकार्य व मनोकामना सिद्ध होती हैं। श्रावण में विल्व पत्र अर्पित करने का विशेष महत्व शास्त्रो में बताया गया हैं। विल्व पत्र अर्पित करते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्।त्रिजन्मपापसंहार, विल्वपत्र शिवार्पणम्
भावार्थ: तीन गुण, तीन नेत्र, त्रिशूल धारण करने वाले और तीन जन्मों के पाप को संहार करने वाले हे शिवजी आपको त्रिदल बिल्व पत्र अर्पित करता हूं।शिव को बिल्व-पत्र चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

HOW A COMMON MAN ( S. P. Jethlia) BECAME A PRODUCER

News on Filmsntv.com
http://www.filmsntv.com/2016/07/the-relationship-between-writer-and.html

The relationship between the writer and director is crucial, says S P Jethlia

Imagine having a dream in your life, but you find that your education, your profession and your life have taken you down on a totally different path. What do you do? Do you chuck everything you've built thus far so that you can pursue your passion? Or you just stay on course and vow to go after the dream later? Neither option is great as you have to give up something either way. Sometimes you just have to walk away from your passion.

When presented with these options, most would choose the convenient one. Most would compromise…  You would say that’s not unusual as many bury their dreams for bread and butter. Life is about compromise, right? No, you are wrong..!! As here is one person who opted for another option. He readied himself to pursue his passion along with his ambitious professional and personal life. Meet the most driven, hard-working, unusual writer-producer you will ever meet - Surya Prakash Jethlia. A tete-a-tete with this unassuming guy who is currently working on the movie release for his forthcoming romantic musical film “Meeradha”
Films & TV World: Did you always want to make a film?
Surya Prakash Jethlia: Yes, I am fan of great Legend Amitabh Bacchan sir since childhood. The very first film I have ever seen in my life was Saat Hindustani. I must have been just 7-8 years then. Early on in my career, I tended to be more interested in acting as I had a passion for acting. I have great singing interest also. I even acted on stage at school and college level. But I never thought I would get on with film making as a producer and writer. It was only later on in life that I developed a decent script on a story idea that had been in my mind for long. And then putting the right ingredients (actors, crew members) together I got involved in the process of getting it turned into a film. Maintaining that creative overview all the way through, I have now got much more interested in what makes a movie as well as the production side of it - how the money got spent and all the rest of it.
F&TV: What was the inspiration behind the making of this film?
SPJ: This film “Meeradha” is about the dream of a father, about a son, about devotion, friendship, love and several emotions of life journey. A love triangle, this is a story of a boy and two girls who are childhood friends, which turns into love as they grow young. The hero is good at heart but has a bad attitude and never cares to listen to his father’s suggestions. However, one day he accidentally finds his father’s old diary that becomes the turning point in his life and changes his life. This story idea has been core to my heart and I had always wanted to picturise this for the larger audiences as the film also conveys a social message to society to eradicate superstitions and social evils that stigmatises lives. However, its put in an entertaining manner without being preachy.
F&TV: What convinced you to make your debut as a writer producer with Meeradha?
SPJ: I had a passion for singing, acting and also being an ex lecturer, there was an inherent writing ability within me. As I have already mentioned that this story is close to my heart as I had seen such a real life situation and it had a deep impact on me. It was later with the help of my younger brother who is very creative, that I wrote Meeradha. I got some help from my facebook friends too. Once the writing was done, I was assured by Sangam Group & Ostwal Group to provide infrastructures. It was then that I was fully sure to venture ahead and follow my dream.
F&TV: So how was your first movie experience?
SPJ: It was extremely nice, irrespective of lots of hurdles, my entire team was quite cooperative, and we completed it successfully. Now, with god’s grace, the movie is almost cleared from Censor board and we are soon going to start with the publicity and promotions. And god willing, the poster of the film will be released by a celebrated personality.


F&TV: How challenging was script writing to you?
SPJ: The script is always a great challenge. You need to adapt a story in a right way and make it understandable for the audience in the cinema. At the same time, you need to keep it interesting as audiences tend to get bored pretty quickly if you do not approach this matter properly. It was necessary to introduce them in the plot in a way that kept them interested. But it seems to me that we managed to do it right.

F&TV: What were some of the challenges you faced in the making of this film?
SPJ: Being a non technical guy, I was totally dependent on the technical unit. So whatever guidance they were providing me, I had to go for that. But there was a great support to me by my film's hero "Sandesh Gour" & all my team members who worked as if it were their own movie, thus overcoming all difficulties. However a serious accident of mine, delayed the project for 6 months. However, the biggest thing within me is the go getting attitude. This made me all the more impulsive to achieve my big dream in life. And we overcame. If you have a dream, just have to go for it as there's never a perfect time, the stars will never align and the best time to start pursuing your passion is right now. My special thanks to my lead actor "Sandesh Gour". He made me feel proud as he performed so well with confidence.
F&TV: How did you zero in on Ashish Sinha as your director?
SPJ: Writing and Direction are a vital part of the creative process in any production and the relationship between the writer and the director is crucial.  However, I being the writer as well as the producer, helped quite in a way as the relationship between me and Ashish Sinha is a wonderful example of how a good director, with a unique, individual approach can shape the story into a beautiful masterpiece (film). Ashish Sinha ji’s name was suggested to me and it was only after that I saw his work, and was impressed a lot with his creativity, his way of working, nature etc. In fact, once I was through, it hardly took me anytime to finalize him. He has done a great job with even some fresher artists.

F&TV: Rajasthani movies carry subsidy. Why did you choose Hindi over Rajasthani?
SPJ: The hardest truth is that in Rajasthan there is not much scope or a good viewer base for Rajasthani Language based movies. Though the government does give subsidy, it is hardly any money. Also the recovery is not possible if you want to spend lavishly and make a good film. This was one reason that forced me to go for Hindi language. Also, I wanted to have an all India release and take the message that my movie carries far and wide. And this was possible only through Hindi.
F&TV: How involved were you in the direction process?
SPJ: I was present during the entire shooting almost all time as it’s my baby. Also being the writer of the film, at times I had to explain the importance of certain scenes and the way it had to be enacted. Or the way I wanted to get it picturised, etc. It was a bit difficult at first but I quickly learned and could thus steer the film into the right direction.
F&TV: Writing or producing – what was more stressful?
SPJ: We do know that writers are outstanding, creative and charismatic personalities. However, to be a producer, I think you’ve got to be a fairly sophisticated jack of a lot of trades and probably king of a few. I would definitely say that working as a producer is extremely stressful as you are not finished with your work until the movie is released. Sometimes it takes even longer. It's a real rollercoaster. I have great respect for filmmakers because it's really hard work, and very often thankless. But I was lucky to work with good people, from whom I could learn a lot. Real producers really love cinema. If not, they shouldn't do it.

F&TV: What was the toughest part in doing this film?
SPJ: We shot almost the whole movie in June, when the temperature was quite high in Rajasthan soaring upto 45 degrees. But my entire team co-operated a lot. Even small kids who were just 5 to 7 years and were on sets with their parents faced all those. And I’m thankful to all of them. We also had to re-shoot some scenes, which was another difficult part for me. But we had an amazing team and they were all willing to work with us and they were fully prepared to act it again for the betterment of the film! It was really great to have such a talented group of people working together. We were almost like a big family on the set.
F&TV: What sort of advice would you give to debutant producers in this industry?
SPJ: The art of producing is ‘herding all in the same direction’ just like the Pied Piper. And herding all in the same direction is the most important thing. I will say that all movies are made up of a group of personalities, usually some pretty big ones. They are made up of a lot of people with different skill bases and different opinions. A good movie always comes about when you manage to get those people working together in a smooth direction. Having said this, I will just advise that have proper financing, make all arrangements before starting any project and select the right team members, so as to complete your project beautifully and on time. 

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