यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 8 जुलाई 2021

100% ऑर्गेनिक, हर्बल ओर आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स उपलब्ध


आपके स्वास्थ्य और संसार से जुड़े 100% ऑर्गेनिक, हर्बल ओर आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स उपलब्ध
त्वचा, रक्त, ह्रदय, मोटापा, श्वास, केंसर, अस्थमा, शुगर, अस्थि, पेट, गैस, कब्ज, पथरी,कमजोरी, पाचन, इम्यून डिज़ीज आदि सभी रोगों में कारगर
Call for Pure Organic and Ayurvedic Products
in in all over India
For product list
website
9414129498
9352174466
WHATSAPP NO. 094603 01212
Email : gousrishti@gmail.com
whatsapp link
#organic
#Sanwariya
#chemicalfree
#organicfood
#organicproducts
#chemicalfreeskincare
#chemicalfreeliving
#chemicalfreeproducts
#ayurvedalifestyle
#ayurveda
#chemicalfreeliving
#organicfarming
#chemicalfreebharat

कोरोना की वजह से नौकरियां चली गई मुझसे संपर्क करिए


*जय महेश*
आदरणीय समाज बंधुवर आज के समय में बहुत सारे व्यक्ति बीमारी व बेरोजगारी से ग्रस्त है और बहुत सारे समाज बंधु जो की नौकरी करते हैं उनमें से बहुत सारे व्यक्तियों की कोरोना की वजह से नौकरियां चली गई है और वह बेरोजगार हैं अथवा उनके पास अच्छी इन्कम नहीं है तथा हर परिवार में कोई न कोई व्यक्ति बीमारी के कारण दवाई गोलियां खा रहा है तो यदि आप इन दोनों समस्याओं से छुटकारा चाहते हैं तो हमारे पास ऐसी अपॉर्चुनिटी व प्लेटफार्म है जिसमें आपको बीमारी और बेरोजगारी दोनों का हल मिल सकता है। यदि आपके परिवार में या कोई जान पहचान वाला व्यक्ति इन समस्याओं से जूझ रहा है तो आप उनकी मदद करिए और मुझसे संपर्क करिए ताकि उनको हम अच्छी हेल्थ व अच्छी वेल्थ ( इन्कम) करवाने में मदद कर सकें और  उनको सिखाएंगे कि किस तरीके से वह यह कर सकते हैं । मेरा उद्देश्य है कि समाज बंधु आगे बढ़े , वे चाहे देश के किसी भी कोने में रहते हो । 

ज्यादा जानकारी के लिए मैसेज करिए -
https://wa.me/message/MGAXBXAZ7MHOG1
 कैलाश चंद्र लढ़ा
9352174466


कान्वेंट शब्द पर गर्व न करें...सच समझें।


*कान्वेंट शब्द पर गर्व न करें...*
*सच समझें।*

*" काँन्वेंट "*
*सब से पहले तो यह जानना आवश्यक है कि, ये शब्द आखिर आया कहाँ से है।*
*तो आइये प्रकाश डालते हैं।*

*ब्रिटेन में एक कानून था।*
*" लिव इन रिलेशनशिप "*

*बिना किसी वैवाहिक संबंध के एक लड़का और एक लड़की का साथ में रहना।*
 *तो इस प्रक्रिया के अनुसार संतान भी पैदा हो जाती थी।*
*तो उन संतानों को किसी चर्च में छोड़  दिया जाता था।*

*अब ब्रिटेन की सरकार के सामने यह गम्भीर समस्या हुई कि इन बच्चों का क्या किया जाए।*

*तब वहाँ की सरकार ने काँन्वेंट खोले।*
*अर्थात् जो बच्चे अनाथ होने के साथ साथ नाजायज हैं।*
*उनके लिए ये काँन्वेंट बने।*

*उन अनाथ और नाजायज बच्चों को रिश्तों का एहसास कराने के लिए उन्होंने अनाथालयो में एक फादर, एक मदर, एक सिस्टर की नियुक्ति कर दी।* 
*क्योंकि ना तो उन बच्चों का कोई जायज बाप है ना ही माँ है।*

*तो काँन्वेन्ट बना नाजायज बच्चों के लिए जायज।* 

*इंग्लैंड में पहला काँन्वेंट स्कूल सन् 1609 के आसपास एक चर्च में खोला गया था।*
*जिसके ऐतिहासिक तथ्य भी मौजूद हैं।*
*और भारत में पहला काँन्वेंट स्कूल कलकत्ता में सन् 1842 में खोला गया था।*

*परंतु तब हम गुलाम थे।*
*और आज तो लाखों की संख्या में काँन्वेंट स्कूल चल रहे हैं।*

*जब कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया, उस समय इसे*
*" फ्री स्कूल "* 
*कहा जाता था।*
*इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी।*
*और ये तीनों गुलामी के ज़माने की यूनिवर्सिटी आज भी इस देश में हैं।*

*मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी।*
*बहुत मशहूर चिट्ठी है।*

*उसमें वो लिखता है कि*
*“ इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे*
*लेकिन, दिमाग से अंग्रेज होंगे।*

*इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा।*

*इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा।*

*इनको अपनी परम्पराओं के बारे में भी कुछ पता नहीं होगा।*

*इनको अपने मुहावरे भी नहीं मालूम होंगे।*
*जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो* 
*" अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से, अंग्रेजियत नहीं जाएगी। ”*

*उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़ - साफ़ दिखाई दे रही है। और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है।*

*अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रुवाब पड़ेगा।* 
 
*लोगों का तर्क है कि*
*“अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है ”।*

*दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी सिर्फ 11 देशों में ही बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है ?*

*इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है*
*वो भी अंग्रेजी में नहीं थी*
*और ईसा मसीह भी अंग्रेजी नहीं बोलते थे।*

*ईसा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी।*

*अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी।*

*समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी।*

*दुर्भाग्य की बात यह है कि, जिन चीजों का हमने त्याग किया अंग्रेजो ने वो सभी चीज़ों को पोषित और संचित किया, फिर भी हम सबने उनकी त्यागी हुई गुलामी की सोच को आत्मसात कर गर्वित होने का दुस्साहस किया।*

*आइए आगे से जब भी हमसे कोई आश्रय कॉन्वैंट स्कूल की बात कहेगा या करेगा तो उसे उपरोक्त तथ्यों से परिचित अवश्य कराएंगे।
जय श्री राम
धन्यवाद 💐🙏

बुधवार, 7 जुलाई 2021

हिन्दु (सनातन) धर्म को बदनाम करने के लिए समय समय पर हिन्दु धर्म के वेद पुराणों में मिलावट की गई है


वेदों में " माँसाहार " और " बली " निषेध है
अक्सर ऐसी तस्वीरें और कुछ श्लौक दिखा कर 

हिन्दु ( सनातन ) धर्म  को बदनाम करने की कोशिश की जाती है जानें सत्य....

पहले मुगलों और फिर अंग्रेजों ने मैक्समूलर के द्वारा फिर भीमराव अंबेडकर ने वेद पुराणों का गलत अर्थ बताकर और ई.वी.पेरियार ने ट्रु रामायण नाम की पुस्तक लिखकर जिसका हिन्दी में सच्ची रामायण नाम से अनुवाद हुआ है ऐसे बहुत से नाम हैं ....

हिन्दु (सनातन) धर्म को बदनाम करने के लिए समय समय पर 
हिन्दु धर्म के वेद पुराणों में मिलावट की गई है और अाज भी मुस्लिम संगठन और ईसाई ,नवबौद्ध लगातार इंटरनैट पर ब्लौग लिखकर बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन नकल के लिऐ भी अक्ल की जरूरत होती है एक ही धर्मग्रंथ में दो विपरीत श्लौक नहीं होते इतनी इन्हें अक्ल नहीं थी
और ऐसी तस्वीरें ज्यादातर जहाँ पर बौद्धों की जनसंख्या ज्यादा है वहाँ की हैं क्योंकि बौद्धों में तांत्रिक प्रक्रिया का प्रचलन है वहीं पर ऐसा किया जाता है हिन्दु धर्म ऐसा नहीं किया जाता है....

वेदों में मांसाहार निषेध

वेद में माँस भक्षण का स्पष्ट विरोध

ऋग्वेद ८.१०१.१५ – मैं समझदार मनुष्य को कहे देता हूँ की तू बेचारी बेकसूर गाय की हत्या मत कर, वह अदिति हैं अर्थात काटने- चीरने योग्य नहीं हैं.

ऋग्वेद ८.१०१.१६ – मनुष्य अल्पबुद्धि होकर गाय को मारे कांटे नहीं.

अथर्ववेद १०.१.२९ –तू हमारे गाय, घोरे और पुरुष को मत मार.

अथर्ववेद १२.४.३८ -जो(वृद्ध) गाय को घर में पकाता हैं उसके पुत्र मर जाते हैं.

अथर्ववेद ४.११.३- जो बैलो को नहीं खाता वह कष्ट में नहीं पड़ता हैं

ऋग्वेद ६.२८.४ –गोए वधालय में न जाये

अथर्ववेद ८.३.२४ –जो गोहत्या करके गाय के दूध से लोगो को वंचित करे , तलवार से उसका सर काट दो

यजुर्वेद १३.४३ –गाय का वध मत कर , जो अखंडनिय हैं

अथर्ववेद ७.५.५ –वे लोग मूढ़ हैं जो कुत्ते से या गाय के अंगों से यज्ञ करते हैं

यजुर्वेद ३०.१८-गोहत्यारे को प्राण दंड दो

मनुस्मृती में मांसाहार निषेध

स्वामी दयानंद के अनुसार मनु स्मृति में वही ग्रहण करने योग्य हैं जो वेदानुकुल हैं और वह त्याग करने योग्य हैं जो की वेद विरुद्ध हैं।

महाभारत में मनु स्मृति के प्रक्षिप्त होने की बात का समर्थन इस प्रकार किया हैं:-

महात्मा मनु ने सब कर्मों में अहिंसा बतलाई हैं, लोग अपनी इच्छा के वशीभूत होकर वेदी पर शास्त्र विरुद्ध हिंसा करते हैं। शराब, माँस,द्विजातियों का बली, ये बातें धूर्तों ने फैलाई हैं, वेद में यह नहीं कहा गया हैं। . शांति पर्व मोक्ष धर्म अध्याय २६६

मनुस्मृती में मांसाहार निषेध

माँस खाने के विरुद्ध मनु स्मृति की साक्षी 

जिसकी सम्मति से मारते हो और जो अंगों को काट काट कर अलग करता हैं। मारने वाला तथा क्रय करने वाला,विक्रय करनेवाला,पकानेवाला, परोसने वाला तथा खाने वाला ये ८ सब घातक हैं। जो दूसरों के माँस से अपना माँस बढ़ाने की इच्छा रखता हैं, पितरों,देवताओं और विद्वानों की माँस भक्षण निषेधाज्ञा का भंग रूप अनादर करता हैं उससे बढ़कर कोई भी पाप करने वाला नहीं हैं।

मनु स्मृति ५/५१,५२

मद्य, माँस आदि यक्ष,राक्षस और पिशाचों का भोजन हैं। देवताओं की हवि खाने वाले ब्राह्मणों को इसे कदापि न खाना चाहिए।

मनु स्मृति ११/७५ 

जिस द्विज ने मोह वश मदिरा पी लिया हो उसे चाहिए की आग के समान गर्म की हुई मदिरा पीवे ताकि उससे उसका शरीर जले और वह मद्यपान के पाप से बचे। मनुस्मृति ११/९०

इसी अध्याय में मनु जी ने श्लोक ७१ से ७४ तक मद्य पान के प्रायश्चित बताये हैं। 

जय जय श्रीराम

जीवन में कुछ व्यवहार करते समय नफा नुकसान नहीं देखना चाहिए।


#खुश_कैसे_रहें_?
•••••••••••••••••••••
बहुत दिनो से pleasure scooty का उपयोग नही होने से, वह पड़ी पड़ी खराब होने जैसी स्थिति में पहुंच रही थी। 
विचार आया olx पे बेच दें।
Ad डाली... कीमत Rs. 30000/-

बहुत आफर आये 15 से 28 हजार तक। 
मुझे लगा यदि 28 मिल रहे तो, कोई 29-30 हजार भी देगा।
एक का 29000/- का प्रस्ताव आया। 
उसे भी waiting में रखा।
एक सुबह काल आया, उसने कहा -
साहब नमस्कार, आपकी स्कूटी का Ad देखा। पसंद भी आयी है। परंतु  30 हजार कमाने का बहुत प्रयत्न किया, 24 हजार ही इकठ्ठा कर पाया हूँ। बेटा इंजिनियरिंग के अंतिम वर्ष में है। बहुत मेहनत किया है उसने। कभी पैदल, कभी सायकल, कभी बस, कभी किसी के साथ। सोचा अंतिम वर्ष तो वह अपनी स्कूटी से ही जाये। आप कृपया  pleasure मुझे ही दिजीएगा। नयी स्कूटी दुगनी कीमत से भी ज्यादा है। मेरी हैसियत से बहुत ज्यादा है। थोड़ा समय दीजीए। मै पैसो का इंतजाम करता हूँ। मोबाइल बेच कर कुछ रुपये मिलेंगें। परंतु हाथ जोड़कर कर  निवेदन है साहब, pleasure मुझे ही दिजीएगा।

मैने औपचारिकता में मात्र ok बोलकर फोन रख दिया। 

कुछ विचार मन में आये। 
वापस काल बैक किया और कहा आप अपना मोबाइल मत बेचिए, कल सुबह केवल 24 हजार  लेकर आईए, गाड़ी आप  ही ले जाईए,  वह भी मात्र 24 हज़ार में ही।

मेरे पास 29 हज़ार का प्रस्ताव होने पर भी 24 हजार में किसी अपरिचित व्यक्ति को मैं pleasure स्कूटी देने जा रहा था। 

सोचा.. उस परिवार में आज कितने pleasure यानि आनंद का निर्माण हुआ होगा। कल उनके घर pleasure जाएगी और मुझे ज्यादा नुकसान भी नहीं हो रहा था। ईश्वर ने बहुत दिया है और सबसे बड़ा धन शायद किसी जरूरतमंद की जरूरत पूरी हो जाये। परमात्मा इन्हें खुश रखे।

अगली सुबह उसने कम से कम 6-7 बार फोन किया । साहब कितने बजे आऊँ, आपका समय तो नही खराब होगा। पक्का लेने आऊं, बेटे को लेकर या अकेले आऊँ। पर साहब pleasure गाड़ी किसी और को नही दिजीएगा। 

वह 2000, 500, 200, 100, 50 के नोटों का संग्रह लेकर आया, साथ में बेटा भी था। ऐसा लगा, पता नही कहां कहां से निकाल कर या मांग कर या इकठ्ठा कर यह पैसे लाया है।  

बेटा एकदम आतुरता और कृतज्ञता से स्कूटी pleasure को देख रहा था। मैने उसे दोनो चाबियां दी, कागज दिये। बेटा गाड़ी पर विनम्रतापूर्वक हाथ फेर रहा था। रुमाल निकाल कर पोछ रहा था। 

उसनें पैसे गिनने को कहा, मैने कहा आप गिनकर ही लाये हैं, कोई दिक्कत नहीं।

जब जाने लगे, तो मैने उन्हे 500 का एक नोट वापस करते हुए कहा, घर जाते समय मिठाई लेते जाइएगा। सोच यह थी कि कहीं तेल के पैसे है या नही। और यदि है तो मिठाई और तेल दोनो इसमें आ जायेंगें। 

आँखों  में कृतज्ञता के आंसू लिये उन्होंने हमसे विदा ली और अपनी pleasure ले गए। जाते समय बहुत ही आतुरता और विनम्रता से झुककर अभिवादन किया। बार बार आभार व्यक्त किया।

परंतु आज pleasure बेचते समय ही पता चला कि वास्तव में  pleasure (आनन्द) होता क्या है। 

हम लोग सहज भाव में कहते हैं - it's my pleasure(ये मेरा आनन्द है)
जीवन में कुछ व्यवहार करते समय नफा नुकसान नहीं देखना चाहिए। 

अपने माध्यम से किसी को क्या सच में कुछ आनंद प्राप्त हुआ यह देखना भी होता है।
 
करबद्ध निवेदन है कि ईश्वर ने आपको कुछ देने लायक बनाया हो या नही,
किसी एक व्यक्ति को सुख देने या खुशी देने लायक तो बनाया ही है। 
आज किसी के साथ खुशी बांटकर देखिएगा, वही pleasure(आनन्द) न आये तो कहना।

हरि ॐ🙏🙏

सोमवार, 5 जुलाई 2021

बॉलीवुड फिल्मों के कुछ नो-लॉजिक सीन

यह दृश्य याद है?

इस सीन में चतुर

अपने Samsung Omnia SCH i910 स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हुए फरहान और राजू

को उस दिन की तारीख याद दिला रहे हैं

। इस फोन को नवंबर 2008 में लॉन्च किया गया था।

तो, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि राजू और फरहान चतुर से 5 सितंबर, 2009 को मिले थे।

अब, कुछ गणित में आते हैं । ( क्षमा करें, पीयूष जी!)

ऊपर बताई गई तारीख उस कुख्यात ' चमत्कार

' घटना के ठीक 10 साल बाद

की थी।

तो, राजू , फरहान और रैंचो 1999 के आसपास कॉलेज में थे।

इस फिल्म के क्लाइमेक्स में कटौती करें।

रैंचो ने अपने दोस्तों की मदद से निर्देशक की बेटी की डिलीवरी खुद करने का फैसला किया।

तो, पिया ने रैंचो को ( एक वीडियो कॉल पर )

दिखाया

कि कैसे Youtube ट्यूटोरियल का उपयोग करके बच्चे को जन्म देना है

तथ्य यह है कि, Youtube का आविष्कार फरवरी, 2005 में हुआ था।

इसके अलावा ,

इस सीन में जहां फरहान ने अपना परिचय दिया, उन्होंने बताया कि उनका जन्म 1978 में हुआ था।

इंजीनियरिंग में स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश करने में 18 साल (काफी) लगते हैं।

फरहान ने लिया[गणित] १९९९-१९७८= २१[/गणित]वर्षों।
(
क्षमा करें, पीयूष जी )

फरहान 94% अंकों के साथ एक बहुत ही कमजोर छात्र था ( उसके पिता ने एक दृश्य में इसका उल्लेख किया जहां रैंचो फरहान के पिता से पहली बार मिलता है ) , जो तीन बार असफल रहा और अपने करियर के तीन साल बर्बाद कर दिया।

पढ़ने के लिए धन्यवाद

योगिनी एकादशी : 05 जुलाई


 🌹 योगिनी एकादशी : 05 जुलाई


🌹 युधिष्ठिर ने पूछा : वासुदेव ! आषाढ़ के कृष्णपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका क्या नाम है? कृपया उसका वर्णन कीजिये ।
 
🌹 भगवान श्रीकृष्ण बोले : नृपश्रेष्ठ ! आषाढ़ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार ज्येष्ठ ) के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम ‘योगिनी’ है। यह बड़े बडे पातकों का नाश करनेवाली है। संसारसागर में डूबे हुए प्राणियों के लिए यह सनातन नौका के समान है ।
 
🌹 अलकापुरी के राजाधिराज कुबेर सदा भगवान शिव की भक्ति में तत्पर रहनेवाले हैं । उनका ‘हेममाली’ नामक एक यक्ष सेवक था, जो पूजा के लिए फूल लाया करता था । हेममाली की पत्नी का नाम ‘विशालाक्षी’ था । वह यक्ष कामपाश में आबद्ध होकर सदा अपनी पत्नी में आसक्त रहता था । एक दिन हेममाली मानसरोवर से फूल लाकर अपने घर में ही ठहर गया और पत्नी के प्रेमपाश में खोया रह गया, अत: कुबेर के भवन में न जा सका । इधर कुबेर मन्दिर में बैठकर शिव का पूजन कर रहे थे । उन्होंने दोपहर तक फूल आने की प्रतीक्षा की । जब पूजा का समय व्यतीत हो गया तो यक्षराज ने कुपित होकर सेवकों से कहा : ‘यक्षों ! दुरात्मा हेममाली क्यों नहीं आ रहा है ?’
 
🌹 यक्षों ने कहा: राजन् ! वह तो पत्नी की कामना में आसक्त हो घर में ही रमण कर रहा है । यह सुनकर कुबेर क्रोध से भर गये और तुरन्त ही हेममाली को बुलवाया । वह आकर कुबेर के सामने खड़ा हो गया । उसे देखकर कुबेर बोले : ‘ओ पापी ! अरे दुष्ट ! ओ दुराचारी ! तूने भगवान की अवहेलना की है, अत: कोढ़ से युक्त और अपनी उस प्रियतमा से वियुक्त होकर इस स्थान से भ्रष्ट होकर अन्यत्र चला जा ।’
 
🌹 कुबेर के ऐसा कहने पर वह उस स्थान से नीचे गिर गया । कोढ़ से सारा शरीर पीड़ित था परन्तु शिव पूजा के प्रभाव से उसकी स्मरणशक्ति लुप्त नहीं हुई । तदनन्तर वह पर्वतों में श्रेष्ठ मेरुगिरि के शिखर पर गया । वहाँ पर मुनिवर मार्कण्डेयजी का उसे दर्शन हुआ । पापकर्मा यक्ष ने मुनि के चरणों में प्रणाम किया । मुनिवर मार्कण्डेय ने उसे भय से काँपते देख कहा : ‘तुझे कोढ़ के रोग ने कैसे दबा लिया ?’
 
🌹 यक्ष बोला : मुने ! मैं कुबेर का अनुचर हेममाली हूँ । मैं प्रतिदिन मानसरोवर से फूल लाकर शिव पूजा के समय कुबेर को दिया करता था । एक दिन पत्नी सहवास के सुख में फँस जाने के कारण मुझे समय का ज्ञान ही नहीं रहा, अत: राजाधिराज कुबेर ने कुपित होकर मुझे शाप दे दिया, जिससे मैं कोढ़ से आक्रान्त होकर अपनी प्रियतमा से बिछुड़ गया । मुनिश्रेष्ठ ! संतों का चित्त स्वभावत: परोपकार में लगा रहता है, यह जानकर मुझ अपराधी को कर्त्तव्य का उपदेश दीजिये ।
 
🌹 मार्कण्डेयजी ने कहा: तुमने यहाँ सच्ची बात कही है, इसलिए मैं तुम्हें कल्याणप्रद व्रत का उपदेश करता हूँ । तुम आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष की ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत करो । इस व्रत के पुण्य से तुम्हारा कोढ़ निश्चय ही दूर हो जायेगा ।
 
🌹 भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: राजन् ! मार्कण्डेयजी के उपदेश से उसने ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत किया, जिससे उसके शरीर को कोढ़ दूर हो गया । उस उत्तम व्रत का अनुष्ठान करने पर वह पूर्ण सुखी हो गया ।
 
🌹 नृपश्रेष्ठ ! यह ‘योगिनी’ का व्रत ऐसा पुण्यशाली है कि अठ्ठासी हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने से जो फल मिलता है, वही फल ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत करनेवाले मनुष्य को मिलता है । ‘योगिनी’ महान पापों को शान्त करनेवाली और महान पुण्य फल देनेवाली है । इस माहात्म्य को पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है ।

🌹 व्रत खोलने की विधि :   द्वादशी को सेवापूजा की जगह पर बैठकर भुने हुए सात चनों के चौदह टुकड़े करके अपने सिर के पीछे फेंकना चाहिए । ‘मेरे सात जन्मों के शारीरिक, वाचिक और मानसिक पाप नष्ट हुए’ - यह भावना करके सात अंजलि जल पीना और चने के सात दाने खाकर व्रत खोलना चाहिए

सन् 1947 में 3.5 हजार शराबखानो को सरकार का लाइसेंस.....!!


"हर भारतीय के लिए चुनौती "

सन् 1836 में लार्ड मैकाले अपने पिता को लिखे एक पत्र में कहता है:
"अगर हम इसी प्रकार अंग्रेजी नीतिया चलाते रहे और भारत इसे अपनाता रहा तो आने वाले कुछ सालों में 1 दिन ऐसा आएगा की यहाँ कोई सच्चा भारतीय नहीं बचेगा.....!!"
(सच्चे भारतीय से मतलब......चरित्र में ऊँचा, नैतिकता में ऊँचा, धार्मिक विचारों वाला, धर्मं के रस्ते पर चलने वाला)
भारत को जय करने के लिए, चरित्र गिराने के लिए, अंग्रेजो ने 1758 में कलकत्ता में पहला शराबखाना खोला, जहाँ पहले साल वहाँ सिर्फ अंग्रेज जाते थे। आज पूरा भारत जाता है।
सन् 1947 में 3.5 हजार शराबखानो को सरकार का लाइसेंस.....!!

सन् 2009-10 में लगभग 25,400 दुकानों को मौत का व्यापार करने की इजाजत।

चरित्र से निर्बल बनाने के लिए सन् 1760 में भारत में पहला वेश्याघर कलकत्ता में सोनागाछी में अंग्रेजों ने खोला और लगभग 200 स्त्रियों को जबरदस्ती इस काम में लगाया गया।

अंग्रेजों के जाने के बाद जहाँ इनकी संख्या में कमी होनी चाहिए थी वहीं इनकी संख्या में दिन दुनी रात चौगुनी वृद्धि हो रही है !!

आज हमारे सामने पैसा चुनौती नहीं बल्कि भारत का चारित्रिक पतन चुनौती है।
इसकी रक्षा और इसको वापस लाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए !!!

ईसाईयों द्वारा अपने ईश्वर के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला शब्द ""हमारे" हिन्दू धर्म से चोरी किया गया है


क्या आप जानते हैं कि.... ईसाईयों द्वारा अपने ईश्वर के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला शब्द ""हमारे" हिन्दू धर्म से चोरी किया गया है....

और, GOD शब्द और कुछ नहीं... बल्कि, हमारे अराध्य त्रिदेव का ""अंग्रेजी एवं छोटा रूप"" है...!

दरअसल बात कुछ ऐसी है कि..... जब हमारा सनातन धर्म पूरे विश्व में विजय पताका फहरा रहा था...... और, हमारे यहाँ रेशमी वस्त्र बनाये एवं पहने जा रहे थे..... उस समय तक..... पश्चिमी और आज के आधुनिक कहे जाने वाले देशों के लोग....... जंगलों में नंग-धडंग रहा करते थे....... !
जब हमारे हिंदुस्तान के व्यापारियों ने ... व्यापार के सिलसिले में.... देशों की सीमाओं को लांघना शुरू किया ....... तब उन पश्चिमी लोगों को समाज की स्थापना और ईश्वर के बारे में पता चला....!

भारत के उन्नत समाज .... और, सर्वांगीण विकास को देख कर उनकी आँखें फटी रह गई....!

खोजबीन करने पर उन्हें ये मालूम चला कि..... भारत (हिन्दुओं) के इस उन्नत समाज और सर्वंगीन विकास का प्रमुख आधार उनका ""भगवान पर अटूट श्रद्धा और भक्ति"" है...!

ये राज की बात पता चलते ही .... पश्चिमी देशों के लोगों ने भी...... हमारे हिंदुस्तान के भगवान को आधार बना कर........ उन्होंने अपना एक नया ही भगवान खड़ा कर लिया (जिस प्रकार मुहम्मद ने इस्लाम को खड़ा किया).

इसके लिए उन्होंने ... जीजस अर्थात ...... ईशा मसीह की प्रेरणा ...... भगवान श्री कृष्ण से ली.......( क्योंकि भगवान राम की कॉपी करने पर उन्हें भी नया रावण और नए लंका का निर्माण करना पड़ जाता ... जो कि काफी दुश्कर कार्य होता)

शायद आपने कभी गौर नहीं किया है कि..... ईशा मसीह और भगवान कृष्ण में कितनी समानता है....!

1 . भगवान कृष्ण की ही तरह..... ईशा मसीह का भी....... जन्म रात में बताया गया है....!
2 . भगवान कृष्ण की ही तरह .... ईशा मसीह भी .......... भेड़ बकरियां चराया करते थे....!
3 . भगवान कृष्ण की ही तरह..... ईशा मसीह को भी...... दूसरी माँ ने पाला....!
4 . भगवान कृष्ण की ही तरह... ईशा मसीह के कथन को भी... बाईबल कहा गया...(भगवान कृष्ण के कथन को श्रीभगवत गीता कहा गया है)
5 . हमारे हिन्दू धर्म की ही तरह.... बाईबल में भी दुनिया में प्रलय ..... जलमग्न होकर होना.... बताया गया है...!

अब उन्होंने नया भगवान तो बना लिया ..... लेकिन उन्हें संबोधित करने का तरीका भी उन्हें नहीं आता था.....और, ईश्वर के लिए उतना लम्बा-चौड़ा परिचय लोगों के समझ से परे जाने लगा ..!

जिस कारण.... उन्होंने एक बार फिर.... हमारे हिन्दू धर्म की मुंह ताकना शुरू किया ..... और, यहाँ उन्हें उनका जबाब मिल गया..!

हमारे हिन्दू धर्म में तीन प्रमुख देवता हैं.....
१. रचयिता... अर्थात ....... ब्रह्मा ..!
२. पालनकर्ता .. अर्थात .. विष्णु ...! और ,
३. संहार कर्ता .. अर्थात ..... शिव...!

उन्होंने.... हमारी इस विचारधारा को ... पूरी तरह जस के तस कॉपी कर लिया....... और, उन्होंने अंग्रेजी में अपने ईश्वर को GOD बुलाना शुरू किया..!

GOD अर्थात....

G : Generator ..... (सृष्टि Generate करने वाला........अर्थात........ रचयिता )
O : Operator ...... ( सृष्टि को Operate करने वाला .... अर्थात ... पालनकर्ता )
D : Destroyer...... ( सृष्टि को destroy करने वाला ..... अर्थात... संहार कर्ता..)

सिर्फ इतना ही नहीं.... बल्कि, हमारे ""कृष्णनीति"' को वे ..... अपनी सभ्यता के हिसाब से ""क्रिस्चैनिटी"" ..... बुलाने लगे.... !

इन प्रमाणों से बात एक दम शीशे की तरह साफ है कि..... दुनिया में "हिन्दू सनातन धर्म" को छोड़ कर बाकी सारे धर्म या तो चोरी कर बनाये गए है..... या फिर... उनकी सिर्फ मान्यता है....!

हमारा हिन्दू सनातन धर्म ही ...... ""सभी धर्मों की जननी है"" और, ....... ""अनादि.... अनंत... निरंतर""..... है...!

जय महाकाल...!!!

कभी सोचा है लार्ड (अँग्रेज़ी शब्द) और भगवान (हिन्दी शब्द) में क्या अंतर है…?


कभी सोचा है लार्ड (अँग्रेज़ी शब्द) और भगवान (हिन्दी शब्द) में क्या अंतर है…?
कभी सोचा है आखिर अग्रेजों ने हिन्दू धर्म के देवताओं के नाम के आगे भगवान के बाजय लार्ड अँग्रेज़ी शब्द (Lord English Word) को प्रयोग क्यों किया…?

हिन्दी शब्द भगवान का अर्थ:
भ – भूमि,
ग- गगन,
व- वायु,
आ- अग्नि,
न-नीर

मैकाले की संस्कार विहीन शिक्षापद्दती देश के विकास में बाधक है। शिक्षा व्यवस्था में संस्कारों का अभाव तथा इतिहास को तोड़-
मरोड़कर पेश करने के कारण ही देश का युवा अपने राष्ट्रीय स्वाभिमान से विमुख होकर पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण को विवश है।

अंग्रेज़ चले गये पर उनके मानसपुत्रों की कमी नहीं है। भारत में, भारतीय संसद के सभी सदस्यों के लिए, चाहे वे लोकसभा के सदस्य हों या राज्यसभा के, सांसद शब्द का प्रयोग किया जाता है।

यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन), हाउस ऑफ़ लार्ड्स के सदस्य ‘लार्ड्स ऑफ़ पार्लियामेंट’ कहे जाते हैं। इंग्लैंड सरकार की ओर से लॉर्ड एक उपाधि है ॥ लॉर्ड की उपाधि प्राप्त India के वाइसरॉय एवं गवर्नर जनरल ::::::

• लॉर्ड विलियम बैन्टिक, India के गवर्नर जनरल
(1833–1858)
• लॉर्ड ऑकलैंड
• लॉर्ड ऐलनबरो
• लॉर्ड डलहौज़ी
• लॉर्ड कैनिंग, India के वाइसरॉय एवं गवर्नर-
जनरल (1858–1947)
• लॉर्ड कैनिंग
• लॉर्ड मेयो
• लॉर्ड नैपियर
• लॉर्ड नॉर्थब्रूक
• लॉर्ड लिट्टन
• लॉर्ड रिप्पन
• लॉर्ड डफरिन
• लॉर्ड लैंस्डाउन
• लॉर्ड कर्जन
• लॉर्ड ऐम्प्थिल
• लॉर्ड मिंटो
• लॉर्ड हार्डिंग
• लॉर्ड चेम्स्फोर्ड
• लॉर्ड रीडिंग
• लॉर्ड इर्विन
• लॉर्ड विलिंग्डन
• लॉर्ड माउंटबैटन
इनको अभी भी हमारे इतिहास में लॉर्ड नाम से ही पढ़ाया जाता है।

और लॉर्ड शब्द का इस्तेमाल देवताओं के नाम आगे भी किया जाता है।
• लार्ड कृष्णा (Lord Krishna)
• लार्ड रामा (Lord Rama)
• लार्ड गणेशा (Lord Ganesha)
• लार्ड शिवा (Lord Shiva)
• लार्ड ब्रह्मा (Lord Brahma)
• लार्ड विष्णु (Lord Vishnu)
अब क्या देवताओं के नाम के आगे लॉर्ड लगाना न्यायोचित है…??

जहाँ एक ओर भारतीय संस्कृति का पूरे विश्व मैं बोल बाला था और इसके लिए भारत की पूरी दुनिया मैं एक अलग पहचान है,
वहीँ कुछ गैर ज़िम्मेदार लोग इस संस्कृति को धूमिल करने पर तुले हुए हैं:
जागो भारतीय जागो !! जय हिन्द, जय भारत !

function disabled

Old Post from Sanwariya