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सोमवार, 12 दिसंबर 2022

मन्त्रों के पीछे का विज्ञान क्या है?

मन्त्रों के पीछे का विज्ञान क्या है?

किसी स्त्री की उत्तेजित आवाज़ से तुमने स्वयं में उत्तेजना महसूस की होगी, किसी व्यक्ति के गाली देने पर तुम भड़क भी गए होंगे, जरा सी डाट से तुम्हे अपमानित भी महसूस होता होगा, पड़ोस में बज रहे गाने पर कई बार तुम्हे नृत्य करने का भी मन हुआ है, किसी से प्रेम भरे शब्दो को सुनकर तुम्हारे दिल को तसल्ली मिली होगी।

देखो, यहाँ सब अनुभव की बात है। कोई दर्शन शास्त्र की बात नही है। कोई रटी रटाई बात नही है। यह सब तुम्हारे ही अनुभव की बात है। तुम किसी गाने में लड़की की अजीब वाली आवाज़ सुनकर उत्तेजित हुए होंगे। वह क्या था? शब्द शक्ति थी। शब्द स्फोट था। जिसने तुम्हारे अंदर यह उत्तेजना पैदा की। जिसने तुम में गाली सुनने के बाद क्रोध पैदा किया है, जिसने तुम में संगीत को सुनकर नृत्य के लिए विवशता पैदा की है। यह सामान्य बात है। आँखों देखी बात है। यह सब शब्द की शक्ति से सम्पन्न हुआ है।

मन्त्र भी शब्द ऊर्जा से ओतप्रोत है। जिनमे भयंकर ऊर्जा है। बड़ी तेज ऊर्जा है। यह ऊर्जा विस्फोटक भी है। प्रत्येक शब्द में ऊर्जा है और यही ऊर्जा तीनो स्तर पर कार्य करती है। आध्यात्मिक, अधिभौतिक और आधिदैविक स्तर पर कार्य करती है।

अगर तुम इस शब्दो की ऊर्जा के रूपांतरण को समझ लोगे तो तुम में सम्मोहन विधि आ जायेगी, तुम अपने शब्दों से घटनाओं को बदल सकते हो।

मन्त्र विज्ञान भी ऐसा ही है। मन्त्र शब्दों की शक्ति का ही रूप है। जिसे स्पष्ट उच्चारण करने पर प्रत्यक्ष प्रभाव होता है।

देखो, जरा सी बात है। सीधी सी बात है। इसमें कोई दुविधा नही है। सरल बात है। तुम जब कोई शब्द सुनते हो तो वह मस्तिष्क तक इलेक्ट्रोकेमिकल ट्रांसमिशन द्वारा पहुँच जाता है। तुम्हारे मस्तिष्क पर प्रभाव करता है। किसी ने गाली दी तो तुम भी गाली दे देते हो, या फिर अपमानित महसूस करते हो। तुम्हारी जैसी वृत्ति है, वैसा ही निर्णय तुम ले लेते हो। कई बार तो तुम किसी के शब्द सुनकर क्रोध में आकर अनिष्ट भी कर देते हो। क्योंकि यह शब्द तुम्हे उकसा देते है।

तुम्हारी भावना बदल देते है। जज्बात बदल देते है। तुम्हारी बॉडी पर बहुत प्रभाव करते है।

अब मन्त्र की बात कर लो। मन्त्र का हर शब्द कम्पन करता है। ब्रह्मण्ड में सब कम्पन ही तो कर रहा है। शब्द ही कम्पन करता है। करेगा ही। ऊर्जा का रूप है, कम्पन तो करेगा ही। तुम कहोगे की शब्द में कम्पन नही होता, तो तुम अपने आस कभी तेज आवाज में संगीत बजाना, ढोल बजाना, फिर देख लेना कि कैसे तुम्हारे कमरे की अलमारी में कम्पन होता है। कैसे तुम्हारे आस पास कम्पन महसूस होता है। यह सब शब्दो का कम्पन है।

मन्त्र के शब्दों में भी कम्पन है। अधिक कम्पन है। हर शब्द में अलग अलग फ्रीक्वेंसी का कम्पन है। यही कम्पन हमारे शरीर में अलग अलग प्रभाव छोड़ते है। अलग अलग तरह की ऊर्जा बदलते है। हर मन्त्र का कार्य अलग अलग होता है। क्योंकि हर शब्द की फ्रीक्वेंसी अलग अलग होती है। जब बार बार एक ही शब्द या एक ही मन्त्र को दोहराया जाता है तो frictional energy उतपन्न होती है। घर्षण शक्ति उतपन्न होती है। जब यह घर्षण शक्ति आने लगे तो अब मन्त्र अपने पूर्ण प्रभाव में आने लगता है। जैसा मन्त्र होगा वैसा ही कार्य करेगा।

मन्त्र का उच्चारण जब स्थूल स्तर पर करते है तब भी आंतरिक रूप में यह सूक्ष्म स्तर पर कम्पन करता है और सूक्ष्म स्तर पर जब कम्पन करते करते घर्षण शक्ति होने लगती है तो फिर हम में परिवर्तन शुरू हो जाता है। हममें परिवर्तन आने लगता है। हम मन्त्र के अनुरूप होने लगते है। मन्त्र की वृत्ति जैसे बनने लगते है।

हमारी वृत्ति मन्त्र से मिलने लगती है। अंत में हम स्वयं ही मन्त्र होते है। मन और बुद्धि के स्तर पर जब कम्पन होता है तो हम अब मन्त्र के उद्देश्य को पूर्ण करने पर आतुर होते है। मन्त्र चार अवस्थाओं से गुजर कर सिद्ध होता है, उसके बाद ही यह अपने पूर्ण रूप में कार्य करता है। इसके लिए मन्त्र सिद्धि की विधान है। मन्त्र सिद्धि में एक निश्चित संख्या में जो कियाजाता है। फिर उस मन्त्र ल दशांश हवन, मार्जन तर्पण आदि किया जाता है तब जाकर मन्त्र के प्रयोग शुरू होते है।

मन्त्रो के बारे में अधिक गूढ़ और विस्तृत विज्ञान है जिसको एक उत्तर में नही समझाया जा सकता।

क्योंकि मन्त्र भी हर व्यक्ति के लिए अलग अलग उपयोगी होते है। कोई मन्त्र किसी के लिए लाभ देता है तो अन्य व्यक्ति के लिए नुकसान दे सकता है। यह मन्त्र के प्रथम शब्दो से स्पष्ट पता चल जाता है।

इसलिए किसी मन्त्र को सिद्ध करने के लिए गुरु की उपयोगिता है। वह जानता है कि कौनसा मन्त्र ठीक रहेगा। कौनसा मन्त्र सही रहेगा। उस का निर्देश तुम्हे देगा। इसलिए किताब से सिद्धि नही मिलती।

मैंने मन्त्रो का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा है। यह रजोगुणी विद्या है। स्पष्ट और लय में रहकर ध्यान के साथ जब मन्त्र उच्चारण करे तो आप कम्पन महसूस कर सकते है। इसमें कोई दोहराय नही। मैंने मन्त्रो के चमत्कार प्रत्यक्ष देखा है। इसलिए मुझे कोई संशय नही है। तुम भी मत रखो, प्रयोग करके देख लो।

चित्र स्त्रोत- गूगल


सम्राट अशोक" की "जन्म- जयंती" हमारे देश में "नहीं मनाई जाती" ??

 "सम्राट अशोक" की "जन्म- जयंती" हमारे देश में "नहीं मनाई जाती" ??
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बहुत सोचने पर भी, "उत्तर" नहीं मिलता! आप भी, इन "प्रश्नों" पर, "विचार" करें!
जिस -"सम्राट" के नाम के साथ, -"संसार" भर के, "इतिहासकार"- “महान” शब्द लगाते हैं
जिस -"सम्राट" का राज चिन्ह "अशोक चक्र"-" भारतीय", "अपने ध्वज" में लगाते है l
जिस -"सम्राट" का -"राज चिन्ह", "चारमुखी शेर" को, "भारतीय",- "राष्ट्रीय प्रतीक" मानकर,:- " सरकार" चलाते हैं l और "सत्यमेव जयते" को "अपनाया" है l
जिस देश में - "सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान", "सम्राट अशोक" के "नाम" पर, "अशोक चक्र" दिया जाता है l
जिस -"सम्राट" से -"पहले या बाद" में :- "कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ"...l जिसने : -"अखंड भारत" (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान) जितने, "बड़े भूभाग" पर:-"एक-छत्र राज" किया हो l
 सम्राट अशोक" के ही, समय में :- "२३ विश्वविद्यालयों" की "स्थापना" की गई l जिसमें :-  तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, कंधार, आदि "विश्वविद्यालय", "प्रमुख" थे l इन्हीं "विश्वविद्यालयों" में "विदेश" से "छात्र", "उच्च शिक्षा" पाने, :- "भारत आया करते थे"
 जिस -"सम्राट" के "शासन काल" को -"विश्व" के "बुद्धिजीवी" और "इतिहासकार", "भारतीय इतिहास" का सबसे -"स्वर्णिम काल" मानते हैं
 जिस -"सम्राट" के "शासन काल" में :- "भारत"-  "विश्व गुरु" था l "सोने की चिड़िया" था l जनता -"खुशहाल" और "भेदभाव-रहित" थी l
जिस सम्राट के शासन काल में, सबसे "प्रख्यात" "महामार्ग", :- "ग्रेड ट्रंक रोड" जैसे कई -"हाईवे" बने l २,००० किलोमीटर लंबी पूरी "सडक" पर, "दोनों ओर", "पेड़" लगाये गए l "सरायें" बनायीं गईं..l मानव तो मानव..,पशुओं के लिए भी, प्रथम बार "चिकित्सा घर" (हॉस्पिटल) खोले गए  l "पशुओं को मारना बंद" करा दिया गया l
 ऐसे -"महान सम्राट अशोक", जिनकी -"जयंती" उनके -"अपने देश भारत" में :-"#क्यों नहीं मनायी जाती"#?? न ही, कोई -"छुट्टी" घोषित की गई है?*
दुख: है, कि :-जिन नागरिकों को ये -"जयंती", "मनानी" चाहिए..? वो अपना -"इतिहास" ही, "भुला" बैठे हैं l और , जो :- "जानते" हैं ? "वो":-  "ना जाने क्यों" ? "मनाना":- "नहीं चाहते"
*पिताजी का नाम - बिन्दुसार गुप्त
*माताजी का नाम - सुभद्राणी
"जो जीता, वही:- "चंद्रगुप्त" ना होकर ...? "जो जीता", वही :-"सिकन्दर" कैसे हो गया
जबकि - "ये बात" सभी जानते हैं, कि:- "सिकन्दर" की सेना ने -"चन्द्रगुप्त मौर्य" के "प्रभाव" को देखते हुए ही, :- "लड़ने से मना कर दिया" था! बहुत ही ,"बुरी तरह" से "मनोबल टूट गया था"! और "वापस लौटना" पड़ा था ।
कृपया - अपने सभी समुहों में भेजने का कष्ट करें l और हम सब मिल कर, बाक़ी साथियों को भी,"जागरूक" करें!
आइए  मिल कर - इस "ऐतिहासिक भूल" को, "सही करने" का,:-


कम से कम पांच ग्रुप मैं जरूर भेजे
कुछ लोग नही भेजेंगे
लेकिन मुझे यकीन है आप जरूर भेजेंगे🙏🙏🙏

रोचक जानकारी - इसे "Tree of Life (जीवन का पेड़)" भी कहा जाता है।

 

ऊपर के फोटो में दिख रहे दैत्याकार पेड़ का नाम है "बाओबाब"

[1]

ये मुख्यत: अफ्रीकन महाद्वीप में पाए जाते हैं। इस प्रजाति के कई पेड़ 1000 वर्ष से भी पुराने हैं।

इनका तना बड़ा ही रोचक आकार लिए हुए होता है जैसे पानी का कोई बड़ा सा ड्रम हो।

और सच में इनके इस ड्रमनुमा तने में ढेर सारा पानी भरा हुआ होता है। इनके तने का व्यास लगभग 30 फीट एवम इनकी हाइट 60 फीट तक चली जाती है। नामीबिया में एक पेड़ तो इस प्रजाति का सूमो बन चुका है जिसका व्यास करीब 87 फीट पहुंच चुका है।

इनके तनो में ये 100,000 लीटर पानी तक जमा कर सकते हैं।

जब बारिश होती है तो ये ढेर सारा पानी जमा कर लेते हैं और फिर सूखे मौसम में अपना काम चलाते हैं। तब भी पत्तियां और फल-फूल उग आते हैं। वहां इसे "Tree of Life (जीवन का पेड़)" भी कहा जाता है। सूखे के समय वे लोग इसकी छाल को खोलकर उसमें से पानी निकालते हैं।

लेकिन…लेकिन एक मिनट रुकिए ! रोचक बात इस अफ्रीकन पेड़ के बारे में नहीं है। रोचक बात तो अब मैं बताने जा रहा हूं।

इसके लिए हम आ जाते हैं सीधे 8000 किमी दूर। याने के अफ्रीका से लगभग 8000 किमी दूर इंदौर के पास मांडू या मांडव नाम की जगह पर।

यहां पर आपको हर जगह एक विशेष फल बिकता हुआ मिल जायेगा जिसे यहां कहा जाता है "मांडू की इमली"

हालांकि जब मैने इसे पहली बार खाया था तब असंतोष हुआ की इसका स्वाद इमली से काफी अलग था। ये इमली इमली जितना खट्टा नहीं होता लेकिन माना जाता है इसमें संतरे से अधिक विटामिन सी होता है।

इसके अंदर से सीताफल के जैसा सफेद गुदा फल के रूप में रहता है। जिसे सुखाकर भी वहां दुकानदार बेचते हैं।

आपको ये जानकर आश्चर्य होगा की ये मांडू की इमली बाओबाब प्रजाति के ही पेड़ का फल है। हालांकि मांडू में अफ्रीका जितने विशाल तो नहीं है लेकिन फिर भी ये मोटे तने के पेड़ जिनमे धरती से बहुत ऊपर थोड़े से पत्ते और फल लगे होते हैं बड़े अजीब लगते हैं दिखने में।

ये निश्चित तौर पर पता नहीं की अपनी जन्मस्थली से इतनी दूर ये अफ्रीका से मध्यप्रदेश कैसे आ गए। हैं ना काफी आश्चर्यजनक बात।

इसके अजीब से आकार के बारे में एक लोक कथा कहती है कि बाओबाब का पेड़ इतना ऊँचा था तो उसे अपने कद का बहुत घमंड हो गया था और वह अन्य सभी पेड़ों का मज़ाक उड़ाता था।

तो..भगवान ने इसे सबक सिखाने के बारे में सोचा। भगवान ने तब पेड़ को उखाड़ा और उसे उल्टा लगा दिया, और इसलिए इसकी शाखाएं जड़ों के गुच्छे के समान दिखती हैं।

प्रकृति बड़ी ही रोचक और अजब-गजब है और साथ ही एम.पी. अजब है…!! जैसा कि टूरिज्म वाली टैग लाइन कहती है।

इसके अलावा मांडू अपने पुराने महलों के लिए काफी फेमस है। अधिकांश अब खंडहर बन चुके हैं। फिर भी उस समय की बेहतरीन सिविल इंजीनियरिंग देखी जा सकती है।

कईं महलों में से एक जहाज महल है जो बारिश के मौसम में चारों तरफ से पानी से घिरा होता है, ऐसा प्रतीत होता है जैसे पानी का जहाज हो। बारिश के समय यहां की प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं।

मेरे कैमरे के सौजन्य से मांडू की कुछ तस्वीरें:

फुटनोट

शनिवार, 10 दिसंबर 2022

 बाप ने पेट काट के बचाया बिटिया की शादी के लिए कुछ लोग आये, नीचता दिखा के चल दिए 😠

 बाप ने पेट काट के बचाया बिटिया की शादी के लिए
कुछ लोग आये, नीचता दिखा के चल दिए 😠


निवेदन :-अगर आपके सामने ऐसा कोई दृश्य दिखाई दे तो उसे टोके जरूर

  ऐसी चीज जो नाभि पर लगाते रहने से 40 साल का भी 25 साल का नजर आने लगता है

 

बचपन से ही नाभि पर साधारण देसी घी/सरसों तेल/ हींग या लौंग वाला देसी घी लगाते हमने देखा है। आजकल तो नाभि से सम्बंधित चीजों की बाढ़ जैसी आ गई है तेल लगाने से लेकर मालिश, लेप, नेवल केंडलिग, विभिन्न प्रकार के नेवल थेरपिज आदि। हमारे यहां इसका इस्तेमाल पीढ़ियों से चला आ रहा है और यह बेहद असरदार साबित होता रहा है।

सबसे पहले जान लेते हैं नाभि की महत्वता:-

  • जब हम कुंडलिनी, नाड़ी तंत्र और क्लासिकल हट योग की बात करते हैं तब आपकी नाभि को ऊर्जा के सबसे महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में देखा जाता है।
  • नाभि को प्राण की उत्पत्ति या बीज के रूप में भी देखा जाता है क्योंकि मां से गर्भ में पल रहे बच्चे को सारे पोषक तत्व नाभि (umbilical cord) से ही प्राप्त होते हैं।
  • कुंडलिनी के संदर्भ में नाभि के स्थान को मणिपुर 👆👆👆चक्र / एनर्जी चैनल के रूप में देखा जाता है इसे सोलर पलक्स …जो शरीर में ऊर्जा को बनाए रखता है…शरीर में वात पित्त और कफ जैसे दोषों को सुचारू रूप से संचालित करने में सबसे महत्वपूर्ण केंद्र है।
  • हमारे शरीर में अपानवायु और प्राणवायु को लेकर जा रही लगभग 72,000 नाड़ियों का समन्वय यहां होता है जो आपके शरीर के विभिन्न प्रकार की ऊर्जा केंद्रों से जुड़ी होती है।
  • इसके अलावा नाभि महिलाओं में एक सैक्सुअल अरुज़ल पोइंट है और पुरुष भी इस अंग की और संभवत आकर्षित होते हैं। इसी के चलते आजकल नाभि को आकर्षक बनाने के लिए सर्जरी का बिजनेस काफी फल-फूल रहा है।
  • इसके साथ ही दुनिया भर के कई कल्चरों में महत्व दिया गया है जैसे जापान में इससे संबंधित एक फेस्टिवल का आयोजन भी किया जाता है।
    [1]

आकार:-

  • नाभि विभिन्न प्रकार के आकार लिए होती है...
[2]
  • और इसका शेप खासकर गर्भवती महिलाओं में बदलता हुआ भी देखा गया है।

लाभ:-

एक छोटी सी नजर इसके लाभों पर डाल लेते हैं:-

  • नाभि मुख्यता पैंक्रियास और एड्रिनल ग्लैंड से जुड़ा होता है और यह दोनों ही हमारे शरीर में सबसे महत्वपूर्ण हारमोंस को बनाने वाले ग्लैंड हैं यदि हम नाभि पर तेल लगाते हैं तो इनका असर सीधा-सीधा इन दोनों पर पड़ता है जो इनकी कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलने में मदद करता है।
  • हमारे शरीर में डिटॉक्सिफिकेशन, शरीर में बन रहे खतरनाक टॉक्सिंस को शरीर से बाहर निकालने में,
  • रूखी, बेजान त्वचा को पोषित और चमकदार बनाने के लिए,
  • जिन लोगों को डाइजेस्टिव सिस्टम संबंधी रोग होते हैं जैसे खाने का समय पर ना पचना या गैस, बदहजमी, मंद जठराग्नि होना आदि में लाभदायक होता है।
  • इसके अलावा नाभि पर तेल लगाने से पीरियड के समय होने वाले दर्द में भी राहत मिलता है,
  • नाभि में तेल लगाने से पुराने से पुराना सर दर्द,
  • असमय बालों का सफेद होना, स्मरण शक्ति के लिए,
  • किडनी या लिवर सम्बंधी रोग,
  • आंखों की रोशनी के लिए,
  • महिलाओं में प्रजनन के संबंधित परेशानियां,
  • लोग स्ट्रेस के लिए भी नेवल ऑयल थेरेपी को प्राथमिकता दे रहे हैं।
    [3]

नोट:-इस में से काफी उपाय हमने खुद आजमाएं हैं।


तेल या लेप:-

  • नाभि पर विभिन्न प्रकार के तेलों या विभिन्न प्रकार के पदार्थों के लेप का प्रावधान है।
  • आप इसके लिए
  1. 🔸सरसों का तेल- जठराग्नि के लिए, 
  2. 🔹नीम का तेल -ऐक्ने के लिए,  
  3. 🔸देसी घी- एलर्जी, नजला-जुकाम, चक्रों की शुद्धि के लिए, त्वचा को जवान बनाएं रखने के लिए, 
  4. 🔹 तिल का तेल-शरीर में दर्द में राहत के लिए, 
  5. 🔸कैस्टर ऑयल-बालो सम्बंध रोगों के लिए, 
  6. 🔹 टी-ट्री आयल,  
  7. 🔸एसेंशियल ऑयल में आप अपनी पसंद से चुनाव कर सकते हैं,  
  8. 🔸इसके अलावा बादाम का तेल-आखों के लिए, 
  9. 🔹 नारियल का तेल- डेंड्रफ के लिए, आदि 

विशेष:-

  • हमें बिलकुल नहीं लगता है कि किसी चीज के केवल एक बार इस्तेमाल से आप इतना बड़ा परिवर्तन देख सकते हैं जितना कि प्रश्न में बताया गया है इसके विपरित अगर आप लंबे समय की बात करती है तो बिल्कुल ऐसा बदलाव होना कोई बड़ी बात नहीं है।
  • हमने ऐसे कई लोगों को देखा है जो अपनी उम्र से काफी वर्ष कम लगते हैं और पूछने पर वह इसी तरह की कुछ खास नियमों का पालन करते हैं जिसकी वजह से अपनी उम्र से कम नजर आतें हैं… इसके साथ ही केवल तेल या कोई थेरपी करना लाभकारी नहीं मान सकते हैं इसके लिए आपको प्राणायाम को भी साथ में बराबर तवज्जो देने पड़ती है।
  • हमारे यहां तो गाय के देसी घी को नाभि में इस्तेमाल से कायाकल्प की बात कही जाती है क्योंकि देसी घी से त्वचा , मुलायम और चमकदार बनती है, समय के साथ रिंकल्स, त्वचा का समय के साथ ढीला हो जाना आदि में चमत्कारी प्रभाव दिखाता है।
  • हम खुद भी काफी समय से सरसों और गाय के शुद्ध देसी घी का इस्तेमाल करते आ रहें हैं और यह बेहद असरदार है।
http://sanwariyaa.blogspot.com/2022/12/40-25.html

*!!! नाभि - तन्त्र !!!*

     *-: नाभि तन्त्र कुदरत की अद्भुत रचना :-*

✍🏻!! हमारा शरीर परमात्मा की अद्भुत देन है ! गर्भ की उत्पत्ति नाभी के पीछे होती है ! गर्भधारण के नौ महीनें अर्थात २७० दिन में एक सम्पूर्ण बाल स्वरूप बनता है ! नाभी के द्वारा सभी नसों का जुडाव गर्भ के साथ होता है ! और उसको माता के साथ जुडी हुई नाडी से सम्पूर्ण जरूरी पोषण पूरे गर्भकाल में मिलता रहता है ! और बच्चा गर्भ में आराम से रहता है ! नाभी हमारे पूरे सरीर का केन्द्र है ! हमारे सरीर जो बहत्तर हजार नाड़ियों का समूह है उन सब का जुड़ाव इसी नाभि से रहता है ! इसलिए मृत्यु के तीन घंटे तक नाभी गर्म रहती है ! इसलिए नाभी एक अद्भुत भाग है !!

▪️हमारी नाभि में गाय का शुद्ध घी या तेल डालने व लगाने से बहुत सारी बीमारियों व शारीरिक दुर्बलता का उपाय हो सकता है !!

*१ :-* आँखों का शुष्क हो जाना, नजर कमजोर हो जाना, दिमाग की कमजोरी, चमकदार त्वचा और बालों का झड़ना, बालों की लम्बाई, व बालों की खुस्की हटाने व चमकदार बनाने लिये उपाय !!

▪ सोने से पहले ३ से ७ बूँद गरी ( नारियल ) का तेल  नाभी में डालें और नाभी के आसपास डेढ़ इंच गोलाई में फैला देवें !!

*२ :-* घुटनों और जोड़ों का दर्द, जोड़ों से कट कट की आवाज, व स्लिप डिस्क, साइटिका, कमरदर्द आदि के लिए उपाय !!

▪ सोने से पहले ३ से ७ बूंद अण्डी ( एरण्डी ) का तेल नाभी में डालें और उसके आसपास डेढ इंच गोलाई में फैला देवें !!

*३ :-* शरीर में कम्पन्न तथा जोड़ो में दर्द और शुष्क त्वचा, होंठो का फटना, एड़ियों का फटना या एड़ियों से खाल निकलना आदि के लिए उपाय !!

▪ रात को सोने से पहले ३ से ७ बूंद सरसों का तेल नाभी में डालें और उसे चारों ओर डेढ इंच गोलाई में फैला देवें !!

*४ :-* मुंह और गाल पर होने वाले पिम्पल, झाईं, फुंसी, फोड़े, त्वचारोग, खून की खराबी, एलर्जी, छाजन,व सरीर पर दाने आदि के लिए उपाय !!

▪ नीम का तेल ३ से ७ बूंद नाभी में उपरोक्त तरीके से डालें !!

*५ :-* हमारे बालों का असमय सफेद हो जाना, बाल झड़ना, व कमजोर बाल, चेहरे पर झाइयॉ, पिंम्पल, चेहरे पर खुश्की, व चेहरे में चमक लाने के लिए उपाय !!

▪नाभि में बादाम का तेल या गाय का शुद्ध घी ३ से ७ बूंद डालने व डेढ़ इंच गोलाई में फैलाएं !!

*६ :-* शरीर का मोटापा, वजन बढ़ना, घुटनों व जोड़ो का दर्द, जोड़ों से कट कट की आवाज आना, चलने में तकलीफ होना, कन्धों का दर्द, यूरिक एसिड बढ़ना, स्लिप डिस्क, कमरदर्द, कोलेस्ट्राल बढ़ना, आदि अनेको बीमारियों के लिए उपाय !!

▪️जैतून का तेल ३ से ७ बूंद लेकर नाभि पर डालें व डेढ़ इंच गोलाई में फैलाएं !!

*नोट :-*  नाभि में तेल या घी डालने से पहले नाभि को अच्छी तरह से रुई की सहायता से साफ करलें ! फिर तेल या घी को हल्का सुहाता सुहाता गुनगुना कर लें ! फिर रात को आराम ले सीधे लेटकर नाभि में तेल या घी डालें व नाभी की गोलाई पर लगाएं ! व ऐसे ही सीधे लेटें रहें लगभग बीस मिनट तक ! ऐसे ही आप रोज या एक दिन छोड़कर भी कर सकते हैं !!

         *-: नाभी में तेल डालने का कारण :-*

✍🏻!! हमारी नाभी को मालूम रहता है ! कि हमारी कौन सी रक्तवाहिनी सूख रही है ! इसलिए वो उसी धमनी में तेल का प्रवाह कर देती है !!

*जैसे :-* जब बालक छोटा होता है ! और उसका पेट दुखता है तब हम हींग और पानी या तैल को मिलाकर उसके पेट और नाभी के आसपास लगाते हैं ! और उसका दर्द तुरंत गायब हो जाता है ! बस यही काम है ! नाभि में तेल या घी डालने का !!

बॉलीवुड के कुछ ऐसे कांड कौन से हैं जिनके बारे में अधिकतर आम लोग कभी जान नहीं पाते?

 बॉलीवुड के कुछ ऐसे कांड कौन से हैं जिनके बारे में अधिकतर आम लोग कभी जान नहीं पाते?

1. कई लोगों का दावा है कि "श्री देवी की मौत एक सुनियोजित हत्या थी"। नहीं, बोनी कपूर ने अपनी पत्नी को नहीं मारा। श्री देवी की जीवनशैली खराब थी क्योंकि वह हमेशा परिपूर्ण दिखना चाहती थीं। इस अस्वस्थ जीवनशैली के कारण उसकी मृत्यु हो गई।

2. कई लोगों का दावा है कि प्रियंका चोपड़ा और निक जोनास की शादी सिर्फ एक ड्रामा है। नहीं, प्रियंका मूर्ख नहीं है। वह अपने दम पर हॉलीवुड पहुंची। निक के साथ उसकी शादी वास्तविक है।

3. प्रियंका ने अपनी शादी की वजह से सलमान खान की फिल्म नहीं छोड़ी। उसने फिल्म छोड़ दी क्योंकि वह बाहरी शूटिंग पर मांगने वाले अनिवार्य शारीरिक संबंधों से तंग आ गई थी।

4. शाहिद कपूर कथित तौर पर अपनी पत्नी मीरा को धोखा देते हुए पकड़े गए हैं। यही कारण है कि उनकी दूसरी गर्लफ्रेंड ने उन्हें छोड़ दिया। मीरा स्क्रिप्ट रीडिंग में भाग लेती है और "सुझाव" देती है, जबकि वह फिल्मों के बारे में कुछ नहीं जानती है।

5. श्रद्धा कपूर उतनी अच्छी नहीं हैं, जितनी वह दिखाती हैं। वह अन्य अहंकारी अभिनेत्रियों की तरह है। उन्होंने स्ट्री की शूटिंग के दौरान राजकुमार राव के साथ कुछ मस्ती की।

6. ऐश्वर्या राय को प्रियंका की खूबसूरती से जलन है। ऐश्वर्या के अहंकार को चोट लगी है क्योंकि प्रियंका ने वास्तविक हॉलीवुड भूमिकाएं अर्जित कीं और पत्रिका कवर पर दिखाई दीं। ऐश्वर्या ने जो सपना देखा था, उसे प्रियंका ने हासिल कर लिया है।

7. अमिताभ बच्चन की बेटी श्वेता अपनी बुरी आदतों के कारण अपने पति से कानूनी रूप से अलग हो गई हैं। कथित तौर पर उसका अपने बचपन के दोस्त ऋतिक रोशन के साथ अफेयर था।

8. सलमान द्वारा किए गए सभी दान उनके वकीलों द्वारा सुझाए गए प्रचार स्टंट हैं। सलमान ने कभी अपने पैसे दान नहीं किए।

9. रणबीर कपूर और आलिया भट्ट का रिश्ता करण जौहर ने अपनी आगामी फिल्म ब्रह्मास्त्र को अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए बनाया है। लेकिन आलिया कपूर परिवार का हिस्सा बनने के लिए रणबीर से शादी करना चाहती हैं। वह रणबीर के साथ रहने के लिए सब कुछ कर रही है।

10. मी-टू आंदोलन आया और चला गया। इसी कारण उद्योग में फिर से उत्पीड़न की समस्या बढ़ गई है।

11. कई प्रसिद्ध लोगों ने अपने पीड़ितों से संपर्क किया है। उन्होंने उन्हें चुप रहने के लिए बहुत सारे पैसे की पेशकश की।

पृथ्वी पर ऐसी कौनसी विचित्र प्राकृतिक घटनाएं हैं जिन्हे अभी भी वैज्ञानिकों द्वारा समझाया नहीं जा सकता?

 पृथ्वी पर ऐसी कौनसी विचित्र प्राकृतिक घटनाएं हैं जिन्हे अभी भी वैज्ञानिकों द्वारा समझाया नहीं जा सकता?

एक घटना तो मुझे बहुत ही आश्चर्यचकित कर देती है

डबल स्लिट एक्सपेरिमेंट या आधुनिक दो-झिरी प्रयोग या द्वि-रेखाछिद्र प्रयोग (double-slit experiment) द्वारा यह प्रदर्शित किया जाता है कि प्रकाश एवं पदार्थ , तरंग एवं कण दोनों के गुण प्रदर्शित करते हैं। इसके अलावा इस प्रयोग से क्वाण्टम यान्त्रिक परिघटना (quantum mechanical phenomena) की प्रायिक प्रकृति (probabilistic nature) भी दिखती है। दो-झिरी वाला एक सरल प्रयोग १८०१ में मूल रूप से थॉमस यंग ने किया था।

एक समतल तरंग से उत्पन्न दो विवर्तन प्रतिरूप (diffraction patterns)

physics का Double Slit Experiment प्रयोग पहली बार 18th century में किया गया. तब से आज तक ये प्रयोग कईयों बार दोहराया जा चुका है. इस प्रयोग से मिलने वाले परिणाम आज भी Scientists के लिए एक गुत्थी है और इसने कई वैज्ञानिक थ्योरी और Quantum Mechanics को भी हिलाकर रखा हुआ है.

– जहाँ एक ओर आस्तिक और आध्यात्मिक लोग इसे भगवान का चमत्कार और उनकी परमसत्ता मानते हैं. वहीँ दूसरी ओर साइंटिस्ट इसे वैज्ञानिक रूप से समझने की कोशिश में लगे हुए हैं. आइये जानते हैं आधुनिक विज्ञान के अस्तित्व को चुनौती देनेवाला Double Slit Experiment क्या है.

DOUBLE SLIT EXPERIMENT क्या है ?

image source : physicsoftheuniverse

– विज्ञान विषय के सभी विद्यार्थियों ने Physics का Double Slit Experiment जरुर किया गया होगा. इस प्रयोग में एक गत्ते या धातु की प्लेट में दो सामानांतर पतले स्लिट (चीरा) बने होते थे. इस स्लिट के एक तरफ Light source होता था और दूसरी तरफ एक पर्दा या बोर्ड होता था. स्लिट से प्रकाश के गुज़रने से पर्दे पर पैटर्न बनते हैं. इन पैटर्न के विश्लेषण से प्रकाश सम्बन्धी नियमों का अध्ययन किया जाता है. यह प्रयोग पहली बार 18वीं सदी के वैज्ञानिक Thomas Young ने किया था, इसलिए यह प्रयोग Thomas Young : Double Slit Experiment कहा जाता है.

डबल स्लिट एक्सपेरिमेंट का निष्कर्ष रहस्यमयी क्यों है ? WHAT IS LIGHT ? :

प्रकाश हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, पर हम प्रकाश के बारे में ठीक ठीक कुछ भी जानते.

  • प्रकाश क्या है ?
  • यह पार्टिकल (कण) है या वेव (तरंग) ?
  • यह कैसे गति करता है ?
  • क्या प्रकृति अपना यह राज हमसे छुपाकर रखना चाहती है ?

शायद हाँ ! क्योंकि इस प्रयोग के रिजल्ट में यही सामने आया.

– दो स्लिट से प्रकाश के गुजरने पर पर्दे पर दो स्लिट की परछाई नहीं बल्कि कई सारी गहरी- हल्की परछाइयाँ बनती हैं, जिससे लगता है कि प्रकाश एक तरंग है और कण आपस में टकरा कर ढेर सारी परछाइयाँ रहे हैं. वैज्ञानिकों ने सोचा कि अगर एक एक कण छोड़ा जाये तो वो आपस में टकरायेंगे नहीं और केवल दो स्लिट की परछाई बनेगी.

पर ऐसा नहीं हुआ और इस बार भी अलग अलग परछाइयाँ बनी. ऐसा नहीं होना चाहिए था क्योंकि कण एक सीधी रेखा में चलते हैं. एक एक इलेक्ट्रान बारी-बारी से छोड़ा जा रहा था, इसलिए उनके आपस में टकरा के interference pattern (व्यतिकरण) बनाने की भी सम्भावना नहीं थी. तो फिर आखिर क्या हो रहा था ??

– वैज्ञानिकों ने जब इसका कारण जानने के लिए खास तरह के माइक्रोस्कोपिक कैमरे लगाये तो परिणाम देख के वो दंग रह गये. अब पर्दे पर दोनों स्लिट की केवल दो परछाइयाँ बन रही थी, मतलब प्रकाश पार्टिकल की तरह व्यव्हार करने लगा. पर क्यों ?? क्या एटम या अणु को यह ज्ञात हो गया कि उनपर नजर रखी जा रही है ? यह प्रयोग कई बार अलग अलग जगह दोहराया जा चुका है, पर परिणाम जस के तस हैं. अगर आप के पास इसका जवाब है तो नोबल पुरस्कार आपका इंतज़ार कर रहा है.

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– हालाँकि इसे Quantum Mechanics के जटिल नियमों से सिद्ध करने के कोशिश की गयी, पर प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री Richard Feynman ने भी कहा – I think I can safely say that nobody understands quantum mechanics ( मै समझता हूँ कि ये बात मैं बड़े आराम से कह सकता हूँ कि क्वांटम मैकेनिक्स की समझ किसी को भी नहीं है).

इस प्रयोग को भलीभांति समझने के लिए आप यह यूट्यूब विडियो देखिये जोकि 70 लाख से भी अधिक बार देखा जा चुका है.

प्रकाश को न समझ पाने की गुत्थी विज्ञान पर कई बड़े सवाल खड़े करती है. मसलन क्या हमारे Science के आधारभूत सिद्धांत ही गलत हैं ? क्या कोई परमसत्ता है जोकि अपने गूढ़ रहस्यों को छुपाकर रखना चाहती है ?. क्या हर कण पर किसी परमसत्ता का नियंत्रण है ? सम्भवत: भविष्य में कभी इसका कारण ठीक ठीक पता चला भी जाए पर फिलहाल Double Slit Experiment का परिणाम भगवान के अस्तित्व का प्रमाण समझना गलत नहीं होगा.

यह मुझे अति रोचक लगता है

पहली बार सामने आईं ‘रामायण’ की 35 साल पुरानी तस्वीरें, 4 फीट ऊंचा था रावण का महल, शूटिंग का चार्ज था ₹ 2000

 

पहली बार सामने आईं ‘रामायण’ की 35 साल पुरानी तस्वीरें, 4 फीट ऊंचा था रावण का महल, शूटिंग का चार्ज था ₹ 2000

भगवान राम, लक्ष्मण और सीता का नाम लेते ही हर किसी के मन में मनमोहक मुस्कुराहट और चमक वाले अरुण गोविल (अरुण गोविल ), सुनील लहरी (सुनील लहरी ) और दीपिका चिखलिया (दीपिका चिखली ) का चेहरा आता है।

लॉकडाउन के दौरान रामायण शो फिर से शुरू हुआ तो उसने TRP के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। बुजुर्ग बताते हैं 32 साल पहले टीवी पर रामायण आती थी तो उस समय सड़के थम जाती थीं। लोग अपने-अपने घरों में रामायण देख रहे होते थे।इसके अलावा हमें रामायण की शूटिंग के दौरान क्लिक किए गए कुछ ऐसे फोटो भी मिले हैं, जो शायद ही आपने पहले देखे हो।

इन तस्वीरों को हमारे साथ शेयर करने वाले शख्स ने बताया कि उनके यहां ये फोटो दादाजी की यादों के तौर पर रखे हुए हैं। आइए जानते हैं रामायण से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

रामायण की शूटिंग गुजरात के उमरगाम (उमरगम ) के वृंदावन स्टूडियो (वृन्दावन स्टूडियो ) में हुई थी। स्टूडियो के तत्कालीन मालिक, राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित और दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित स्व. हीराभाई पटेल (हीराभाई पटेल ) ने रामायण की शूटिंग में अहम भूमिका निभाई थी।

वह रामायण, विक्रम बेताल और सिंहासन बत्तीसी के अलावा 300 से अधिक धार्मिक और ऐतिहासिक फिल्मों व सीरियल के आर्ट डायरेक्टर रह चुके हैं।

. कई मामलों में रामानंद सागर उनके पिताजी से सलाह मशवरा करते थे और उसके आधार पर ही आगे की तैयारी की जाती थी। उन्होंने बताया कि रामायण की शूटिंग 1985 से शुरू होकर 5 साल तक चली थी।

उस समय रामायण की शूटिंग के लिए स्टूडियो का किराया शिफ्ट के आधार पर लिया जाता था। 8 घंटे की शिफ्ट के लिए 2000 हजार रुपये किराया था। इसके अलावा कैमरामैन, असिस्टेंट, स्टूडियो असिस्टेंट और डायरेक्टर्स के रुकने के लिए अलग-अलग व्यवस्था थी। रामायण के बाद जय हनुमान सीरियल, जय मां वैष्णों देवी जैसे कई सीरियल की शूटिंग भी यहीं हुई जो भी हिट रहे थे।

विपिन भाई पटेल बताते हैं कि हमारे स्टूडियो में ही सारे दृश्य फिल्माए गए थे। चाहे वो आश्रम का सीन हो, जंगल का सीन हो, युद्ध का सीन हो या समुद्र का सीन हो। सभी को पिताजी ने ही डिजाइन किया था।

विपिन बताते हैं, सेट कैसा दिखना चाहिए इस पर रामानंद सागर, पिताजी और कुछ अन्य लोग पहले चर्चा करते थे। उसके बाद पिताजी पेंटिंग के द्वारा उसे दिखाने की कोशिश करते थे कि वो देखने में कैसा लगेगा या किन रंगों का उसमें प्रयोग होना चाहिए।

सेट बनने के बाद उसे ट्रिक फोटो / वीडियो ग्राफी से बड़ा या छोटा दिखाया जा सकता था। आपने देखा होगा कि रामायण के एक सीन में रावण महल की बालकनी में आकर कुंभकरण से बात करता है। उसमें महल की ऊंचाई काफी दिखाई गई है।

विपिन भाई पटेल बताते हैं यह बात उन दिनों की है जब रामायण का प्रसारण टीवी पर शुरू हो चुका था। राम, लक्ष्मण, सीता के रूप में लोग अरुण गोविल, सुनील लहरी और दीपिका चिखलिया को जानने लगे थे।

इस दौरान 80 साल की एक महिला सेट पर स्थित अरुण गोविल के कमरे में चली गई और उनकी नींद खराब कर दी। जैसे ही वे उठे तो वो जाकर सीधे अरुण गोविल के पैरों में गिर गई। महिला को वहां देखकर अरुण गोविल को गुस्सा आया और उन्होंने ऑफिस में आकर मैनेजमेंट से इस बारे में बात शिकायत की, कि एक महिला ने कमरे में आकर उनकी नींद खराब कर दी है। इस पर पिताजी ने उन्हें समझाया कि ये बूढ़ी महिला आपको भगवान राम मानती है, इसी कारण आपके दर्शन करने के लिए भावुकता वश आ गई। इसके बाद अरुण गोविल का गुस्सा शांत हुआ और उन्होंने उस बुजुर्ग महिला से बात की।

विपिन भाई पटेल बताते हैं कि रावण का रोल किसे दिया जाए इस पर काफी संशय था। जब रामानंद सागर ने हीराभाई पटेल से पूछा कि रावण का रोल किसे दिया जाए तो उन्होंने अरविंद त्रिवेदी का नाम सुझाया।

इसका कारण यह था कि वह अरविंद त्रिवेदी को विलेन के रोल में एक गुजराती मूवी में देख चुके थे। साथ ही वह थिएटर आर्टिस्ट भी थे। इसके बाद उन्हें बुलाया गया और रामानंद सागर ने उनकी डायलॉग डिलिवरी देखते ही रावण के रोल के लिए फाइनल कर लिया।

अरविंद त्रिवेदी शिव भक्त हैं और वह रोजाना सेट पर आने से पहले शिव आराधना करते थे। रामायण में रामेश्वरम सीन की शूटिंग के बाद एक पंडित जी भोपाल (मध्य प्रदेश) से 2 शिवलिंग लेकर रामानंद सागर को भेंट करने आए थे। इस पर उन्होंने मान लिया कि साक्षात भगवान शिव उनके पास चलकर आए हैं। इसलिए उन्होंने स्टूडियो में और पास के गांव में शिव मंदिर बनवाकर शिवलिंग की स्थापना कराई।

प्राचीन भारत का इतिहास का रहस्य

 

प्राचीन भारत का इतिहास का रहस्य (Mystery of Ancient India)

संस्कृत दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है। संस्कृत शब्द का अर्थ है परिपूर्ण भाषा। भाषाओ को लिपियों में लिखने का चलन भारत में ही शुरू हुआ था। प्राचीन समय में ब्राह्मी और देवनागरी लिपि का चलन था। इस दोनों लिपियों से ही दुनियाभर में अन्य लिपियों का जन्म हुआ था। ब्राह्मी लिपि को महान सम्राट अशोक ने धम्मलिपि नाम दिया था। हड़प्पा संस्कृति के लोग भी इसी लिपि का उपयोग करते थे। उस समय में संस्कृत भाषा को भी इसी लिपि में लिखा जाता था।

शोध कर्ताओ के अनुसार ब्राह्मी लिपि से देवनागरी, तमिल लिपि, मलयालम लिपि, सिंहल लिपि, बांग्ला लिपि, रंजना, प्रचलित नेपाल, भुंजिमोल, कोरियाली, थाई, उड़िया लिपि, गुजराती लिपि, गुरुमुखी, कन्नड़ लिपि, तेलुगु लिपि, तिब्बती लिपि, बर्मेली, लाओ, खमेर, जावानीज, खुदाबादी लिपि, यूनानी लिपि निकली है।

जैन पौराणिक कथाओ में बताया गया है कि ऋषभदेव की ब्राह्मी ने लेखन की खोज की। इसलिए उसे ज्ञान की देवी सरस्वती के साथ जोड़ते है। हिन्दू धर्म में इनको शारदा भी कहते है। प्राचीन दुनिया में कुछ प्रमुख नदिया भी थी। दुनिया की शुरुवात मानव आबादी इन नदियों के पास बसी थी। सबसे समृद्ध, सभ्य और बुद्धिमान सभ्यता सिंधु और सरस्वती नदी के किनारे बसी थी। इसका एक प्रमाण भी मौजूद है। दुनिया का पहला धार्मिक ग्रन्थ सरस्वती नदी के किनारे बैठ कर लिखा गया था।

मोसोपोटामिया, सुमेरियन, असीरिया और बेबीलोन सभ्यता का विकास दजला और फरात नदी के किनारे पर हुआ था। नील नदी के किनारे मिस्र की सभ्यता का विकास हुआ था। इसी तरह भारत में भी सिंधु, हड़प्पा, मोहनजोदड़ो आदि सभ्यताओं का विकास सिंधु और सरस्वती नदी के किनारे हुआ था।

प्राचीन भारत की खेल की दुनिया – तरंज और फूटबाल का अविष्कार भारत में हुआ था। प्राचीन भारत बहुत ही सभ्य और समृद्ध देश था। आज के समय के बहुत से अविष्कार प्राचीन काल भारत के निष्कर्षों पर आधारित हैं।

मौर्य, गुप्त और विजयनगरम साम्राज्य के दौरान बने मंदिरो को देख कर हर कोई हैरान हो जाता है। कृष्ण की द्वारिका के अवशेषों की जांच से पता चला है कि प्राचीन काल में भी मंदिर और महल बहुत ही भव्य होते थे।

वृंदावन की बात करे। तो आज भी वह एक ऐसा मंदिर है। जो अपने आप खुलता और बंद हो जाता है।मान्यता के अनुसार रात के समय में वह पर कोई भी नहीं होता। लोगो का कहना है। अगर कोई भी व्यक्ति इस परिसर में रुक जाता है। तो वो मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।

संगीत में सामवेद सबसे प्राचीन ग्रन्थ है। संगीत और वाद्ययंत्रों का अविष्कार भी प्राचीन भारत में हुआ था। नृत्य, कला, योग और संगीत से हिन्दू धर्म का गहरा नाता रहा है। प्राचीन भारत में ही वीणा, चांड, घटम्, पुंगी, डंका, तबला, शहनाई, बीन, मृदंग, ढोल, डमरू, घंटी, ताल, सितार, सरोद, पखावज, संतूर आदि का अविष्कार हुआ था।

जानकारी स्त्रोत: इंटरनेट

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