*हम भूलते जा रहे हैं वैदिक कैलेंडर, रट लीजिए* *नव वर्ष 2080,,*
*जैसा की हम जानते ही है,की हमारा नववर्ष चैत्र प्रतिपदा से आरंभ होता है।।*
*1. चैत्र,,*
*2. वैशाख,,*
*3. ज्येष्ठ,,*
*4. आषाढ़,,*
*5. श्रावण,,*
*6. भाद्रपद,,*
*7. अश्विन,,*
*8. कार्तिक,,*
*9. मार्गशीर्ष,,*
*10. पौष,,*
*11. माघ,,*
*12. फाल्गुन,,*
*चैत्र मास ही हमारा प्रथम मास होता है, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष को नववर्ष मानते हैं। चैत्र मास अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च-अप्रैल में आता है, चैत्र के बाद वैशाख मास आता है जो अप्रैल-मई के मध्य में आता है।*
*ऐसे ही बाकी महीने आते हैं,* *फाल्गुन मास हमारा अंतिम मास है जो फरवरी-मार्च में आता है। फाल्गुन की अंतिम तिथि से वर्ष की समाप्ती हो जाती है, फिर अगला वर्ष चैत्र मास का पुन: तिथियों का आरम्भ होता है जिससे नववर्ष आरम्भ होता है।*
*हमारे समस्त वैदिक मास ( महीने ) का नाम 28 में से 12 नक्षत्रों के नामों पर रखे गये हैं*
*जिस मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उसी नक्षत्र के नाम पर उस मास का नाम हुआ।*
*1. चित्रा नक्षत्र से चैत्र मास,*
*2. विशाखा नक्षत्र से वैशाख मास,*
*3. ज्येष्ठा नक्षत्र से ज्येष्ठ मास,*
*4. पूर्वाषाढा या उत्तराषाढा से आषाढ़,*
*5. श्रावण नक्षत्र से श्रावण मास,*
*6. पूर्वाभाद्रपद या उत्तराभाद्रपद से भाद्रपद,*
*7. अश्विनी नक्षत्र से अश्विन मास,*
*8. कृत्तिका नक्षत्र से कार्तिक मास,*
*9. मृगशिरा नक्षत्र से मार्गशीर्ष मास,*
*10. पुष्य नक्षत्र से पौष मास,*
*11. माघा मास से माघ मास,*
*12. पूर्वाफाल्गुनी या,* *उत्तराफाल्गुनी से फाल्गुन मास।।*