स्त्री और पुरूष के अलावा मनुष्य योनि में…..
एक तीसरा वर्ग भी होता है जिसे आम भाषा में लोग किन्नर या हिजड़ा कहते हैं। आज के समय में इन्हें थर्ड जेंडर की संज्ञा मिली है.. वैसे प्राचीन काल से इनका अस्तित्व रहा है.. पुराने ग्रन्थों जैसे महाभारत में ऐसे कई पात्रों का वर्णन है वहीं उसके बाद के मध्यकालीन इतिहास में भी इनका जिक्र हुआ है.. मुगलकाल में इनकी राजदरबार तक में उपस्थिति रही है.. हालांकि आज इनकी पहचान सिर्फ नाचने गाने वाले समुदाय के रूप में ही है। वैसे ये तो सभी जानते हैं किन्नर या हिजड़ा माता पिता नहीं बन सकते हैं लेकिन सवाल उठता है कि किन्नर कैसे पैदा हो जाते हैं ? आज हम आपको इसका वैज्ञानिक कारण बताने जा रहे हैं जिस वजह से गर्भ में पल रहा बच्चा किन्नर का रूप ले लेता है..
किन्नरों का जन्म भी आम घरों में ही होता है
और फिर किन्नर के रूप में जन्मे बच्चे को उसके माता पिता खुद ही किन्नरों के हवाले कर देते हैं या किन्नर खुद उसे ले जाते हैं और उसका पालन-पोषण करते हैं। दरअसल कुछ वजहों से गर्भ में पल रहा बच्चा लड़का या लड़की का रूप ना लेकर किन्नर का रूप ले लेता है। दरअसल गर्भावस्था के पहले तीन महीने के दौरान बच्चे का लिंग निर्धारित होता है और ऐसे में इस दौरान ही किसी तरह के चोट, विषाक्त खान-पान या फिर हॉर्मोनल प्रॉब्लम की वजह से बच्चे में स्त्री या पुरूष के बजाय दोनों ही लिंगों के ऑर्गन्स और गुण आ जाते हैं.. इसलिये गर्भावस्था के शुरुआत के 3 महीने बहुत ही ध्यान देने वाले होते हैं।
चलिए पहले ये जानते हैं कि लिंग निर्धारण कैसे होता है
असल में मानव जाति में क्रोमोसोम की संख्या 46 होती है जिसमें 44 आटोजोम होते हैं जबकि शेष दो सेक्स क्रोमोजोम होते हैं ! यही दो सेक्स क्रोमोसोम लिंग निर्धारित करते हैं। पुरूष में XY और स्त्री में XX क्रोमोसोम होते हैं.. ऐसे में इन दोनो समागम से जब गर्भ में बच्चा आता है तो उसमें अगर यही दो सेक्स क्रोमोसोम XY हो तो वह लड़का पैदा होता है जबकि, XX होने पर लड़की पैदा होती है ! पर XY और XX क्रोमोसोम के अलावा कभी-कभी XXX, YY, OX क्रोमोसोमल डिसऑर्डर वाले बच्चें भी हो जाते हैं जो कि किन्नर पैदा होते हैं ! इनमें स्त्री और पुरूष दोनों के गुण आ जाते हैँ।
दरअसल गर्भावस्था के शुरुआत के 3 महीने में बच्चा मां के गर्भ में पल रहा होता है तो कुछ कारणों से क्रोमोजोम नंबर में या क्रोमोसोम की आकृतियों में परिवर्तन हो जाता है जिसके कारण किन्नर पैदा हो जाते है।इसके लिए निम्न कारण जिम्मेदार हो सकते हैं..
अगर गर्भावस्था के शुरूआती 3 महीने में गर्भवती महिला को बुखार आए और उसने गलती से कोई हेवी डोज़ मेडिसिन ले ली हो। गर्भवती महिला ने कोई ऐसी दवा या चीज का सेवन किया हो जिससे शिशु को नुकसान हो सकता हो. या फिर गर्भावस्था में महिला ने विषाक्त खाद्य पदार्थ जैसे कोई केमिकली ट्रीटेड या पेस्टिसाइड्स वाले फ्रूट-वेजिटेबल्स खाएं लिए हों। या फिर प्रेग्नेंसी के 3 महीने के दौरान किसी एक्सीडेंट या चोट से शिशु के ऑर्गन्स को नुकसान पहुंचा हो
इनके अलावा 10-15% मामलों में जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण भी शिशु के लिंग निर्धारण पर असर पड़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि प्रेग्नेंसी के शुरूआती 3 महीनों में बुखार या कोई दूसरी तकलीफ होने पर बिना डॉक्टर को दिखाए कोई दवा ना लें .. साथ ही इस दौरान हेल्थी डाइट लें और बाहर के खाने से बचें। इसके आलावा अगर आपको थाइरॉइड,डायबिटीज़, मिर्गी की दिक्क्त है तो फिर ऐसे में डॉक्टर की सलाह के बाद ही प्रेग्नेंसी प्लान करें।