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मंगलवार, 30 जुलाई 2024

पुखराज रत्न पहनने के क्या फायदे होते हैं?

पुखराज एक शक्तिशाली रत्न है अगर इसे ठीक से पहना जाये तो इससे बहुत चमत्कारी लाभ मिलता है । पुखराज की सकारात्मक शक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाला बृहस्पति ग्रह का रत्न है । बृहस्पति जो ज्ञान, भाग्य, समृद्धि और खुशी का प्रतीक है यह उपर्युक्त सभी लाभों को उस मनुष्य को देता है जो उत्साह से इस रत्न को पहनते हैं। इसे संस्कृत में ‘पुश राजा’ के नाम से जाना जाता है ।

पुखराज बृहस्पति का मुख्य रत्न है। संस्कृत में इसे पुष्य राजा व अंग्रेजी में इसे टोपाज कहते हैं। जो पुखराज स्पर्श में चिकना, पुखराज हाथ में लेने से कुछ भारी लगे,पारदर्शी, कुदरती चमक से युक्त हो वह उत्तम कोटि का माना जाता है। जहां किसी विषैले कीड़े ने काटा हो,वहां पर असली पुखराज घिर कर लगाने से विष उतर जाता है। 24 घंटे तक दूध में रखने से भी यदि रत्न की चमक में कोई असली पुखराज है। पुखराज धारण करने से बल बुद्धि, धन व स्वास्थय मिलता है।

यह पुत्र संतान कारक, एवं धर्म कर्म में प्रेरक होता है। प्रेत बाधा का निवारण तथा स्त्री के विवाह सुख की बाधा को दूर करने में सहायक होता है। इसको वैद्य के परामर्श अनुसार केवड़ा व शहद के साथ देने से पीलिया दूर होता है, तिल्ली, पांडूरोग, खांसी,दंत रोग, मुख की दुर्गंध, बवासीर, मंदाग्नि, पित्त ज्वरादि में सहायक होता है।

पुखराज को 3,5,7,9, या 12 रत्ती के वजन में सोने की अंगूठी में जड़वा कर तर्जनी उंगली में धारण करें, सुवर्ण या ताम्र बर्तन में कच्चा दूध, गंगाजल, पीले पुष्पों से एवम ओं ऐं क्लीं बृहस्पतये नम: के मंत्र द्वारा अभिमंत्रित करके धारण करना चाहिए। मंत्र की संख्या 19 हजार होनी चाहिए। यह नग शुक्ल पक्ष में गुरुवार की होरा में या गुरु पुष्य योग में या पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में धारण करना चाहिए। पुखराज धनु, मीन राशि के अतिरिक्त मेष, कर्क, वृश्चिक राशि वालों के लिए लाभप्रद रहता है।

धारण करने के बाद गुरु से संबंधित वस्तुओं का दान करने से लाभ मिलता है। सुनैला गुरु का उपरत्न है। पुखराज कीमती होने के कारण सुनैला को इसके पूरक के रूप में धारण किया जा सकता है। बढिय़ा सुनैला हल्के पीले रंग में यानि सरसों के तेल की तरह हल्का पीले रंग में होता है। कई बार पुखराज में हल्का पीलापन होता है तथा आंशिक मात्रा में पुखराज के समान ही उपयोगी होता है। इसकी धारण विधि पुखराज के समान ही होती है।


व्यक्तिगत रूप से, कुछ लोगों के लिए पीला नीलम एक आकर्षक चार पत्ती वाला ग्रहरत्न होता है।

1. पुखराज एक धनादिक रत्न के रूप में जाना जाता है, और इसको धारण करने से व्यक्ति को आर्थिक लाभ होता है। इसके साथ ही, यह मानसिक तनाव को कम करता है और दिमागी क्षमता को बढ़ावा देता है, जिससे काम करने में बेहतर निर्णय और सुखद व्यवहार होता है।

2. पुखराज मानसिक तनाव को दूर करने में मदद करता है और व्यक्ति के मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके द्वारा किसी भी भावनात्मक प्रकोप से बाहर निकलने की संभावना बढ़ जाती है।

3. यह रत्न शरीर, मस्तिष्क, और स्वास्थ्य के विकास को प्रोत्साहित करता है और व्यक्तियों को अपने लक्ष्यों को हासिल करने में सहायक होता है। इससे व्यक्ति का नेतृत्व और सुरक्षा भाव बढ़ता है।

4. पीला नीलम रत्न धारण करने से रिश्तों में समृद्धि आती है और सुनिश्चित होता है कि भागीदारों के बीच कोई अवैध विवाद नहीं होता। इसके परिणामस्वरूप, एक जोड़े या समूह के विकास पर ध्यान केंद्रित होता है।

5. जिन लोगों के पास पीला नीलम होता है, वे अधिक धन का आनंद उठाते हैं, क्योंकि यह पौराणिक हिंदू भगवान गणेश के साथ संयोगित होता है, जो अच्छे भाग्य के प्रतीक होते हैं।

पुखराज धारण करने से लाभ

  • पुखराज बृहस्पति ग्रह का रत्न है, जो कि ज्ञान और भाग्य का ग्रह है। पुखराज पहनने से अच्छा भाग्य और धन की प्राप्ति हो सकती है।
  • पुखराज पहनना बेहतर स्पष्टता और बेहतर निर्णय लेने की क्षमता में मदद करता है।
  • पुखराज पहनना विवाह में देरी से उबरने में मदद कर सकता है और उपयुक्त साथी ढूंढने में मदद करता है।
  • पुखराज एक ‘अच्छा’ रत्न भी है इससे निराशावादी दृष्टिकोण का सामना करने में बहुत मदद मिल सकती है। एक ज्योतिष की गुणवत्ता वाले पुखराज पहने हुए व्यक्तिगत उत्साहित और आशावान रहते है।
  • पुखराज मीन राशि वाले या धनु राशि के लिए बहुत ही लाभकारी रत्न है ।
  • पुखराज पहनना शिक्षाविदों में बड़ी प्रगति ला सकता है और उच्च शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल लोगों के लिए और साथ ही शिक्षण भी बहुत अच्छा रत्न है।
  • बृहस्पति ग्रह कानून और न्याय के क्षेत्र में शासन करता है, इसलिए जो लोग कानूनी पेशे में लगे हैं, वे पुखराज से फायदा उठाते हैं।
  • आध्यात्मिक परामर्शदाताओं, चिकित्सकों, याजकों, – जो लोग धार्मिक या आध्यात्मिक काम में लगे हुए हैं वे पुखराज से भी लाभ लेते हैं क्योंकि धर्म बृहस्पति का क्षेत्र है। आध्यात्मिक विकास पाने वालों को भी बहुत फायदा हो सकता है
  • पुखराज रत्न पेट की बीमारियों, कमजोर पाचन तंत्र और पीलिया के मामले में बहुत मदद कर सकता है

यह सलाह दी जाती है कि रत्न अच्छे ज्ञानी पंडित की सलहा से ही पहनना चाहिए। बिना सलहा के पहनने से इसके नुक्सान भी हो सकता है।

नेचुरल और सर्टिफाइड पुखराज खरीदने के लिए

लहसुनिया रत्न पहनने के क्या फायदे होते हैं?

लहसुनिया रत्न:

लहसुनिया रत्न शत्रुता का भाव रखने वाले क्रूर ग्रह केतु से संबंधित होता है जिसके चलते यह बहुत महत्वपूर्ण व अमूल्य होता है। जातक की जन्म कुंडली में केतु की संदिग्ध व हावी स्थिति इस बात की ओर इशारा करती है कि उसे लहसुनिया रत्न को धारण कर लेना चाहिए। लहसुनिया एक ऐसा रत्न है जो आध्यात्मिक गुणों के लिए जाना जाता है। यह केतु के दोष पूर्ण प्रभाव से दूर करने में मदद करता है और बढ़ती ठंड के कारण शरीर में होने वाली बीमारियों को भी कम करता है। केतु मुख्यतः वक्रिय स्थिति में रहता है और जब कुंडली में प्रधान होकर स्थित होता है तब वह अप्रत्याशित लाभ व फायदे लेकर आता है। केतु मुख्यतः दादाजी, कुष्ठ रोग, किसी चोट या किसी दुर्घटना, भाग्य व भय के मामलों का संकेत देता है। इतना ही नहीं यह ग्रह यात्रा, बच्चों व जीवन में होने वाली आर्थिक स्थिति को भी दर्शाता है। बात करें यदि रासायनिक समूह की तो लहसुनिया या संस्कृत में वैद्युर्या को क्रिस्सबैरिल परिवार का सदस्य माना जाता है इसलिए इसे क्रिस्बरील कैट्स आई भी कहना गलत नहीं होगा। यह कई रंगों जैसे मटमैला पीला, भूरा, शहद की तरह भूरा, सेब की तरह हरे रंग में उपलब्ध होता है। यह रत्न अपनी चमक के लिए जाना जाता है। लहसुनिया कैबोकाॅन रूप में कटा होता है जिस कारण इसके ऊपर पड़ने वाला प्रकाश एक लंबी रेखा के रूप में दिखाई देता है। इस रत्न के प्रभाव से जातक का मोह-माया व विलास आदि से मन हट जाता है और वह अध्यात्म की ओर झुकने लग जाता है। केतु ग्रह जातक को अध्यात्म, अच्छे-बुरे में अंतर समझने का ज्ञान प्रदान करता है।

लहसुनिया रत्न के फायदे-

लहसुनिया रत्न के कई लाभ हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

  • लहसुनिया उन जातकों के लिए बेहद उत्तम होता है जो शेयर बाजार या जोखिम भरे निवेश कार्य करते हैं। इस रत्न की कृपा से जोखिम भरे निवेशों का कार्य कर रहे व्यक्ति का भाग्य चमकता है।
  • व्यावसायिक क्षेत्र में यदि आपकी तरक्की लंबे समय से रुकी हुई है, तब भी यह रत्न काफी लाभकारी साबित होता है। इसके प्रभाव से आपको प्रोफेशनल लाइफ में सफलता प्राप्त होती है। फंसा हुआ पैसा व खोई हुई आर्थिक संपदा को भी वापस लाने में लहसुनिया लाभदायी होता है।
  • इस रत्न को धारण करने से आप बुरी नज़र के प्रभाव से भी बचे रहते हैं।
  • केतु जीवन को बहुत संघर्ष पूर्ण बना देता है और कड़ा सबक सिखाता है। लहसुनिया केतु का ही रत्न है जो इस चुनौती भरी स्थिति में भी आपको सुख-सुविधाओं का आनंद प्राप्त करवाता है।
  • अध्यात्म की राह पर चलने वालों के लिए भी लहसुनिया रत्न लाभकारी होता है। इसको धारण करने से सांसारिक मोह छूटता है और व्यक्ति अध्यात्म व धर्म की राह पर चलने लग जाता है।
  • लहसुनिया के प्रभाव से शारीरिक कष्ट भी दूर होते हैं। अवसाद, लकवा व कैंसर जैसी बीमारियों में भी यह रत्न लाभदायक होता है।
  • लहसुनिया मन को शांति प्रदान करता है और इसके प्रभाव से स्मरण शक्ति तेज होती है और आप तनाव से दूर रहते हैं।

लहसुनिया रत्न के नुकसान

कुछ रत्न जो व्यक्ति की जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों के साथ यदि मेल नहीं खाते हैं तो उनका बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है इसलिए किसी भी रत्न को धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह ज़रूर लें, तभी खुशहाली व समृद्धि प्राप्त होगी। लहसुनिया से होने वाले कुछ बुरे प्रभाव इस प्रकार हैं:

  • दिल या मस्तिष्क से जुड़े रोग हो सकते हैं।
  • चोट आदि लगने का भी डर रहता है, जिसके चलते खून ज़्यादा बह सकता है।
  • जननांगों में समस्याएं हो सकती हैं।
  • पसीना बहुत ज़्यादा निकलने लग जाता है। हर वक्त थकान व मितली जैसा महसूस होता है।
  • स्वभाव में उग्रता आती है व बेफिज़ूल के झगड़े होने लग जाते हैं।

क्या रत्नो की जगह जड़ धारण करने से फायदा होता है?

प्राचीन भारतीय ज्योतिष शास्त्र में रत्नों से ज्यादा महत्व जड़ियों को दिया गया है । किसी भी ग्रह को अनुकूल बनाने के लिए उसकी दशा अंतर्दशा में ताज़ी जड़ी दाहिने हाथ की बांह पर पहननी चाहिए । उस ग्रह से संबंधित जड़ी उसी ग्रह के वार को या गुरु पुष्य योग में लाकर पहननी चाहिए ।

ग्रह जड़ ी

1. सूर्य -विल्वमूल

2. चंद्र -खिरनी मूल

3. मंगल - अनंतमूल

4. बुध -विधारा की जड़

5. शुक्र -सिंहपुछ की जड़

6. शनि -बिच्छोल की जड़

7. राहु -चंदन की जड़

8. केतु -अश्वगंध की जड़

9. गुरु -भारंगी/केले की जड़

अच्छे से अच्छे परिणाम के लिए जड़ को 1 सप्ताह बाद बदल देना चाहिए तथा नई जड़ धारण कर लेना चाहिए ।

पुखराज' रत्न किस उंगली में पहनना चाहिए?

वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुखराज, ब्रहस्पति गृह का प्रतिनिधित्व करता है! यह पीले रंग का एक बहुत मूल्यवान रत्न है, जितना यह मूल्यवान है उतनी ही इस रत्न की कार्य क्षमता प्रचलित है! इस रत्न को धारण करने से ईश्वरीय कृपया प्राप्त होती है! इसे धारण करने से विशेषकर आर्थिक परेशानिया खत्म हो जाती है, और धारण करता को अलग अलग रास्तो से आर्थिक लाभ मिलना प्रारम्भ हो जाता है, इसलिए आर्थिक समस्याओ से निजाद प्राप्त करने और जीवन में तरक्की प्राप्त करने के लिए जातक को अवश्य अपनी कुंडली का निरक्षण करवाकर पुखराज धारण करना चाहिए! पुखराज धारण करने से अच्छा स्वास्थ्य, आर्थिक लाभ, लम्बी उम्र और मान प्रतिष्ठा प्राप्त होती है!

जिन कन्याओ के विवाह में विलम्ब हो रहा हो उन्हें पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए, पुखराज धारण करने से कन्याओं का विवाह अच्छे घर में होता है! जिन दम्पत्तियो को पुत्र की लालसा हो उन्हें भी पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए क्योकि ब्रहस्पति पति और पुत्र दोनों कारक होता है, लेकिन किसी भी रत्न को धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह अवश्य लें!

पुखराज धारण करने की विधि

यदि आप ब्रहस्पति देव के रत्न, पुखराज को धारण करना चाहते है, तो 3 से 5 कैरेट के पुखराज को स्वर्ण या चाँदी की अंगूठी में जड्वाकर किसी भी शुक्ल पक्ष के ब्रहस्पति वार को सूर्य उदय होने के पश्चात् इसकी प्राण प्रतिष्ठा करवाकर धारण करें! इसके लिए सबसे पहले अंगुठी को दूध,,,गंगा जल शहद, और शक्कर के घोल में डाल दे, फिर पांच अगरबत्ती वृहस्पति देव के नाम जलाए औ प्रार्थना करे कि हे देव मै आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न पुखराज धारण कर रहा हूँ कृपया करके मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करे ! अंगूठी को निकालकर 108 बारी अगरबत्ती के ऊपर से घुमाते हुए ॐ ब्रह्म ब्रह्स्पतिये नम: का जाप करे तत्पश्चात अंगूठी विष्णु जी के चरणों से स्पर्श कराकर तर्जनी में धारण करे! ब्रहस्पति के अच्छे प्रभावों को प्राप्त करने के लिए उच्च कोटि का सिलोनी पुखराज ही धारण करे, पुखराज धारण करने के 30 दिनों में प्रभाव देना आरम्भ कर देता है और लगभग 4 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है और फिर निष्क्रिय हो जाता है ! निष्क्रिय होने के बाद आप पुन: नया पुखराज धारण कर सकते है ! अच्छे प्रभाव के लिए पुखराज का रंग हल्का पीला और दाग रहित होना चाहिए , पुखराज में कोई दोष नहीं होना चाहिए अन्यथा शुभ प्रभाओं में कमी आ सकती है !

हीरे और सोने में कैरट शब्द के अलग-अलग अर्थ हैं और अंग्रेजी में दोनों के लिए शब्दों की स्पैलिंग भी अलग है।

 हीरे और सोने में कैरट शब्द के अलग-अलग अर्थ हैं और अंग्रेजी में दोनों के लिए शब्दों की स्पैलिंग भी अलग है।

Karat - सोने की शुद्धता की यूनिट है, और

Carat - हीरे के वजन की यूनिट है।

दोनों शब्दों में है न जमीन आसमान का अन्तर।

अब आईये बताते हैं कैसे :—

  • Karat - 24 कैरट को 99.99 या 100% शुद्ध सोने को कहते हैं। इसी तरह से 23 K में 95.8% शुद्ध सोना होता है, 22 K में 91.6%, 18 K में 75%. (Karat को शार्ट में K से रिप्रेजेंट करते हैं।
  • Carat - कैरेट हीरे के वजन नापने का यूनिट है। एक कैरेट का वजन 200मिलीग्राम होता है। हीरे के मामले में एक कैरट बहुत बहुमूल्य चीज है। एक Carat का हीरा ₹3 लाख से लेकर ₹29 लाख तक आता है। ये कीमत निर्धारित होती है हीरे के रंग (Colour), शुद्धता (Clarity) और उसके कट (Cut) पर। चौथा 'C' (Carat) हो जाता है। इस प्रकार हीरे का वैल्यूएशन इन चार C (4 'C's) के आधार पर होता है। हीरे की खरीद में अंकगणित नहीं लगता। ऐसा नही है कि 1 Carat का एक पीस हीरा 29 लाख का तो 2 कैरट का एक पीस हीरा 58 लाख का होगा। 2 Carat का हीरा 58 की जगह 70–80 लाख तक भी हो सकता है। ये मैं प्योरैस्ट हीरे की कीमत की बात कर रहा हूँ। हीरा जितना बड़ा होता जायेगा उसकी कीमत कई गुणा बढ़ जाती है।
  • इसीलिये एक Carat को 100 भागों में बाँटा जाता है। चू्ँँकि एक Carat = 200मिलीग्राम इसलिए एक Carat का सौवाँ भाग होगा (200/100) =2 मिलीग्राम का। इसे एक Point या एक Cent कहते हैं। जैसे एक नोज पिन 1 Cent से 25 Cents तक हो सकती है। यहाँ फिर वही नियम लागू होगा कि जितना छोटा हीरा, उतना ही सस्ता। 10 Cents की तनिष्क की नोज पिन 10 से 15 हजार तक मिल जाएगी। हीरा हमेशा बड़े ब्रांड का बड़े शोरूम से ही खरीदना चाहिए। वह आपको उसकी शुद्धता का सर्टिफिकेट और कैशमेमो देंगे।

ये 10–12 Cents की नोज पिन है। ये मैगनीफाइड इमेजेस हैं। वास्तव में 10 Cents का राउंड हीरा 2.6 मिलीमीटर डायमीटर का होगा।

स्त्रोत :—

Body Jewellery Shop Online Including Nose Studs, Belly Rings & More

ये 'बैजल रिंग (Bezel ring setting)' वाली नोज पिन हैं। इस फिटिंग में डायमंड सिक्योर रहता है। Claw (काँटे) setting में काँटे कपड़ों में उलझते हैं। और काँटे कमजोर होने पर हीरा गिरने का भी डर रहता है।

रत्ती, तोला और माशा क्या होता है? वर्तमान में केवल 'तोला' शब्द ही क्यों प्रचलित है?

ये भारतीय तौल के प्रकार हैं जिनमे रत्ती तोला माशा बहुत प्रसिद्ध हुए है क्योंकि इनके द्वारा मुख्यतः स्वर्ण और चांदी के आभूषणों का भार किया जाता है।

इनके विषय मे कुछ तथ्य आप के साथ साझा कर रही हूँ।

प्राचीन भारतीय नाप-तौल :-

  • 8 खसखस = 1 चावल,
  • 8 चावल = 1 रत्ती, मानक भार 121.497956 मिलीग्राम
  • 8 रत्ती = 1 माशा, मानक भार .9719 ग्राम
  • 4 माशा =1 टंक मानक भार 3.8876 ग्राम
  • 12 माशा = 1 तोला मानक भार 11.66 ग्राम
  • 5 तोला= 1 छटाँक मानक भार 58.3 ग्राम
  • 16 छटाँक= 1 सेर मानक भार 932.8 ग्राम
  • 5 सेर= 1 पंसेरी मानक भार 4.664 किलोग्राम
  • 8 पंसेरी= एक मन मानक भार 37.312 किलोग्राम

'हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार रत्ती के माप को ही मान्यता दी गई है, रत्ती' की विश्वसनीयता पांच सहस्त्र से अधिक वर्षों से स्थापित है।

  • इन सभी भार में रत्ती अधिक प्रसिद्ध हुई क्योंकि ये प्राकृतिक रूप से पाई जाती है।
  • रत्ती ,कृष्णला, और रक्तकाकचिंची के नाम से जानी जाती है।
  • गूंजा' नाम के एक पौधे की फली के अंदर मिलने वाला बीज है
  • जिसका रंग लाल एवं सिरा काला होता है या यह बीज श्वेत रंग मे काले चिन्ह के साथ भी होता है।
  • इसका भार कभी परिवर्तित नहीं हो सकता।

रत्ती पर बनी कहावते

  • रत्ती भर भी मूल्य नहीं होना
  • एक रत्ती भर कर्म एक मन बात के बराबर है।
  • रती भर भी अंतर नहीं पड़ना।

तोला के अधिक प्रचलित होने के कारण

  • आज के समय मे तोला स्वर्ण चांदी के व्यापार में मुख्य रूप से प्रयुक्त होता है,
  • अंतर्राष्ट्रीय बाजार के नशे के पदार्थों के व्यापार में तोला बहुत प्रसिद्ध है।
  • धन्यवाद

चित्रस्त्रोत साभार अंतर्जाल

फिरोजा रत्न के चमत्कारी फायदे ?

फिरोजा रत्न के चमत्कारी फायदे ?

मित्रों फिरोजा रत्न धारण करने के अनेकों चमत्कारी फायदे हैं तो चलिए उन सभी फायदों की और हम अपना ध्यान केंद्रित करते हैं —

  1. समाज में मान सम्मान हेतु एवं सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि हेतु इसे धारण करना चाहिए ।
  2. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, स्वास्थ्य बेहतर होता है एवं मांसपेशियां मजबूत होती हैं ।
  3. इसे धारण करने से ज्ञान में वृद्धि, बुरी शक्तियों से छुटकारा एवं प्रसिद्ध प्राप्त करने में यह अत्यंत सहायक माना गया है ।
  4. इसे धारण करने वाले व्यक्ति के आकर्षित करने की क्षमता में वृद्धि होती है और लोग धारण करता के प्रति जल्दी आकर्षित हो जाते हैं ।
  5. जिन लोगों का गुरु ग्रह (बृहस्पति ग्रह) कमजोर है उन्हें यह अवश्य धारण करना चाहिए ।
  6. जो लोग मानसिक शांति की तलाश में हैं इसके अलावा जिन लोगों में घमंड अधिक है वे लोग इसे जरूर धारण करें उन्हें अधिक लाभ मिलेगा ।
  7. अपने क्षेत्र में सफलता पाने के लिए इसे धारण करना चाहिए इसके अलावा दुर्भाग्य से सौभाग्य की और जाने के लिए भी इसे धारण करना चाहिए इसे धारण करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है और साथ ही यह सुख समृद्धि प्रदान करता है ।
  8. डॉक्टर, इंजीनियरों को भी इसे धारण करना चाहिए साथ ही धनु राशि वाले भी इसे धारण कर सकते है ।
  9. कला के क्षेत्र में सफल अभिनेता, फिल्ममेकर, कलाकार एवं आर्किटेक्चर भी यह धारण कर इसका लाभ प्राप्त कर सकते है।
  10. अवसाद से मुक्ति और उच्च रक्तचाप एवं अवसाद से मुक्ति पाने के लिए इसे धारण करना चाहिए ।

ऐसे ही फिरोजा रत्न के अनेकों चमत्कारी लाभ हैं।

फिरोज़ा रत्न:

मूल रूप से तुर्की में पाए जाने वाले फिरोज़ा को अंग्रेजी में टरक्वाइश (Turquoise) भी कहते हैं। यह गहरे नीले रंग का रत्न होता है। इस रत्न को पहनने के लिए ज़्यादा सोचने-समझने की ज़रूरत नहीं होती है। फिरोज़ा बृहस्पति ग्रह का रत्न होता है इसलिए इसे धारण करने से ज्ञान प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसी कारण इस रत्न को प्राचीन संस्कृति में धन के प्रतीक के रूप में जाना जाता था और इसे इसकी उपचारात्मक शक्तियों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। यह रत्न केवल ज्योतिषीय दुनिया में ही नहीं बल्कि आभूषण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसी कारण मूल और प्राचीन फिरोज़ा को प्राप्त करना मुश्किल होता है। यह एक ख़ूबसूरत व किफ़ायती रत्न है जो सभी चक्रों के बीच संतुलन बनाए रखता है और मन को विचलित होने से बचाता है। फिरोज़ा रत्न कई शेड्स जैसे एप्पल ग्रीन, ग्रीनिश ग्रे, ग्रीनिश ब्लू में उपलब्ध होता है लेकिन सबसे अच्छा रंग आसमानी नीला ही माना जाता है। पुरातन काल में फिरोज़ा को दयालुता व नम्रता पैदा करने के लिहाज़ से भी इस्तेमाल किया जाता था, इसी कारण इस रत्न को ताबीज़ के रूप में भी पहना जाता है। फिरोज़ा रत्न को सबसे कुशल मरहम के रूप में भी जाना जाता है। जब फिरोज़ा रत्न का रंग बदलता है या वह टूट जाता है तब यह भविष्य में आने वाली समस्याओं को इंगित करता है। यह दोस्ती, साहस और आशा का प्रतीक भी है।

फिरोज़ा के फायदे:

फिरोज़ा व्यक्ति को अंजान रास्ते पर भटकने से रोकता है और हानिकारक चीज़ों से बचाता है। फिरोज़ा के कुछ और भी लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं-

  • यह आपकी सामाजिक स्थिति और मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी करता है।
  • फिरोज़ा मानसिक स्थिति को मज़बूत बनाता है और संवाद के अभाव को दूर करता है।
  • इसके प्रभाव से अभूतपूर्व मन की शक्ति प्रदान होती है।
  • यह आपके आत्म-सम्मान और विश्वास को बढ़ाने में मदद करता है।
  • यह आपकी मांसपेशियों की शक्ति को बढ़ाता है और आपको बुरी आत्माओं से बचाता है।
  • फिरोज़ा को सहानुभूति का उपचार रत्न भी कहा जाता है जिससे पहनने वाले की संवेदनशीलता और सोच शक्ति में सुधार होता है।
  • यह दुर्भाग्य को खत्म कर सौभाग्य प्रदान करता है और इस कारण जातक को बेहतर स्वास्थ्य, धन, ज्ञान, प्रसिद्धि और ताकत मिलती है।
  • फिरोज़ा रत्न पहनने से व्यक्तित्व में आकर्षण आता है और रचनात्मक शैली सुधरती है।

फिरोज़ा के नुकसान

सामान्यतः फिरोज़ा का कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है इसलिए इसे पहनने से कोई नुकसान नहीं होता।

फिरोज़ा रत्न का स्वास्थ्य पर प्रभाव:

प्राकृतिक तौर पर हीलिंग यानि उपचार के गुण मौजूद होने के कारण फिरोज़ा रत्न को हीलिंग स्टोन के रूप में भी माना जाता है। इस रत्न को धारण करने से जातक को शारीरिक लाभ प्राप्त होता है और प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। इस पत्थर की मदद से शारीरिक और मानसिक शांति प्राप्त होती है। श्वास संबंधी या दांतों से संबंधित समस्या, उच्च रक्तचाप, संक्रमण, अवसाद और नशे की लत से बीमार लोगों के लिए यह रत्न काफी लाभदायक है। फिरोज़ा के शक्तिशाली प्रभाव के कारण प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से निजात मिलती है। यदि किसी व्यक्ति पर कोई मुसीबत या परेशानी आने वाली होती है, तब यह रत्न अपना रंग बदल देता है। यह बदलाव भविष्य में आने वाली समस्याओं के प्रति सचेत करता है। फिरोज़ा के प्रभाव से थकान व सुस्ती भी दूर होती है। फिरोज़ा रत्न जातक की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देता है और उसे बेहतर संवाद शैली, रचनात्मक गुणों व कौशल से भर देता है।

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