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गुरुवार, 27 मार्च 2025

टर्म इंश्योरेंस आखिर क्यों है जरूरी, जान लीजिए इसकी पूरी ABCD

🌟 टर्म इंश्योरेंस आखिर क्यों है जरूरी, जान लीजिए इसकी पूरी ABCD 🌟

💡 Your Financial Doctor | Your FD

इन दिनों टेलीविजन पर एक एड तेजी से पॉपुलर हो रहा है, जिसमें बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार यमराज बनकर टर्म इंश्योरेंस के फायदे गिनाते नजर आते हैं। आमतौर पर लोग सामान्य इंश्योरेंस को ही टर्म इंश्योरेंस मानने की गलती कर बैठते हैं, लेकिन इन दोनों में बुनियादी अंतर होता है।

इस लेख के माध्यम से हम आपको विस्तार से समझाएंगे कि आखिर टर्म इंश्योरेंस होता क्या है और इसके फायदे क्या हैं।


सबसे पहले जानिए कि लाइफ इंश्योरेंस के कितने प्रकार होते हैं...

  1. टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी – केवल सुरक्षा का लाभ मिलता है।
  2. एंडोमेंट पॉलिसी – सुरक्षा + निवेश का लाभ मिलता है।
  3. मनी बैक पॉलिसी – सुरक्षा + समय-समय पर रिटर्न मिलता है।
  4. यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी (ULIP) – सुरक्षा + निवेश का लाभ, साथ ही बाजार के प्रदर्शन के अनुसार रिटर्न।
  5. हेल्थ इंश्योरेंस – अस्पताल में होने वाले खर्चों का कवरेज।

क्या होती है टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी?

👉 टर्म प्लान इंश्योरेंस का सबसे शुद्ध (Purest) स्वरूप होता है।
👉 इसमें बीमा लेने वाला व्यक्ति एक निश्चित समय तक प्रीमियम का भुगतान करता है।
👉 अगर निश्चित अवधि के दौरान बीमाधारक की मृत्यु हो जाती है तो नॉमिनी को सम एश्योर्ड (एकमुश्त राशि) मिलती है।
👉 अगर बीमा अवधि के दौरान बीमाधारक जीवित रहता है तो उसे कोई भुगतान नहीं किया जाता।
👉 टर्म प्लान आमतौर पर 10, 15, 20, 25 और 30 साल के लिए लिया जा सकता है।


🎯 उदाहरण से समझिए:

अगर आपने 15 साल के लिए ₹55 लाख का टर्म इंश्योरेंस लिया है और इसके लिए सालाना ₹4,000 का प्रीमियम भुगतान कर रहे हैं, तो:
✅ अगर 15 वर्षों के दौरान आपकी मृत्यु हो जाती है तो आपके परिवार को ₹55 लाख का भुगतान मिलेगा।
✅ अगर 15 वर्षों के बाद आप स्वस्थ रहते हैं तो कोई राशि नहीं मिलेगी।
✅ इसका मुख्य उद्देश्य परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।


✅ टर्म इंश्योरेंस प्लान के दो बड़े फायदे:

1. कम प्रीमियम में उच्च सुरक्षा

  • टर्म प्लान में प्रीमियम काफी कम होता है और कवर राशि अधिक होती है।
  • 1 करोड़ तक का कवर सालाना ₹5,000 – ₹10,000 के प्रीमियम पर मिल सकता है।

2. परिवार की वित्तीय सुरक्षा

  • बीमाधारक की मृत्यु के बाद परिवार को आर्थिक सहारा मिलता है।
  • इससे बच्चों की शिक्षा, शादी, होम लोन आदि का खर्च आसानी से पूरा किया जा सकता है।

🔎 क्यों जरूरी है टर्म इंश्योरेंस?

✅ परिवार के मुखिया की मृत्यु के बाद वित्तीय संकट से बचाव के लिए।
✅ टर्म इंश्योरेंस से परिवार को एकमुश्त राशि या नियमित आय का विकल्प मिलता है।
✅ गंभीर बीमारी, आकस्मिक मृत्यु या स्थायी विकलांगता की स्थिति में भी कवरेज मिलता है।
✅ इससे परिवार की जीवनशैली और बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।


💡 जीवन बीमा क्यों जरूरी है?

✅ अप्रत्याशित घटनाओं से बचाव।
✅ परिवार को वित्तीय सुरक्षा।
✅ कर (Tax) बचत का लाभ।
✅ सुरक्षित निवेश का विकल्प।
✅ रिटायरमेंट के बाद नियमित आय का प्रावधान।
✅ बीमा पॉलिसी पर लोन की सुविधा।
✅ लाभांश या बोनस का विकल्प।


💡 अब जानिए FD और टर्म इंश्योरेंस में फर्क:


💡 Aditya Birla Life Insurance के टर्म प्लान के फायदे:

✅ बीमा राशि – ₹50 लाख से ₹5 करोड़ तक।
✅ प्रीमियम – ₹500 प्रति माह से शुरू।
✅ गंभीर बीमारी का कवरेज – ₹10 लाख तक।
✅ दुर्घटना में मृत्यु होने पर अतिरिक्त राशि।
✅ परिवार को नियमित आय का विकल्प।
✅ टैक्स बचत – धारा 80C और 10(10D) के तहत कर लाभ।
✅ प्रीमियम की राशि कम होने से आसानी से अफोर्डेबल।


💥 टर्म इंश्योरेंस के बिना परिवार को होने वाले जोखिम:

🚨 मुखिया की मृत्यु के बाद परिवार की आय का साधन बंद हो जाएगा।
🚨 बच्चों की शिक्षा और शादी में समस्या आ सकती है।
🚨 होम लोन या अन्य लोन चुकाने में परेशानी हो सकती है।
🚨 मेडिकल खर्चों के लिए बचत खत्म हो सकती है।


👉 अब देर मत कीजिए – आज ही टर्म इंश्योरेंस प्लान लें!

📞 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
कैलाश चंद्र लढ़ा
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🌟 रिटायरमेंट प्लानिंग 🌟💡 Your Financial Doctor | Your FD

🌟 रिटायरमेंट प्लानिंग 🌟

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आज इंडिया में ऐसा कोई रिटायरमेंट प्लान उपलब्ध नहीं है, जहां पर आप अपने वर्किंग पीरियड के दौरान इन्वेस्टमेंट करके अपने रिटायरमेंट के दौरान हर माह निश्चित रकम पा सकें।

इसके लिए आपको आपकी इनकम शुरू होने के साथ ही उसकी प्लानिंग शुरू करना जरूरी है। इसकी जरूरत क्यों है, ये आपको नीचे दी गई बातों से स्पष्ट हो जाएगा:

  1. पहले बैंक एफ.डी. का इंटरेस्ट रेट करीब 13% था, पोस्ट ऑफिस के सर्टिफिकेट में करीब 14%, पी.पी.एफ. में करीब 12% था, जबकि इन्फ्लेशन करीब 10% रहता था। इससे नेट इंटरेस्ट पॉजिटिव मिलता था।
  2. आज से 15 - 20 साल पहले ज्यादातर लोग सरकारी नौकरी करते थे और रिटायरमेंट के बाद उन्हें पेंशन मिलती थी, जो इन्फ्लेशन के साथ बढ़ती थी।
  3. आज के समय में लाइफस्टाइल का खर्चा बहुत बढ़ गया है, जिससे कई बार आर्थिक तंगी की स्थिति आ सकती है।
  4. अगर आज किसी परिवार का मासिक खर्च ₹25,000 है, तो 6% इन्फ्लेशन को ध्यान में रखते हुए 25 साल बाद यही खर्चा करीब ₹1,12,000 हो सकता है।
  5. क्या आपको लगता है कि 25 साल बाद आपको 6% इंटरेस्ट मिलेगा? शायद नहीं! ज्यादा से ज्यादा 2% से 2.5% ही मिलेगा।
  6. ऐसे में ₹1,12,000 के मासिक खर्च के लिए आपको कम से कम ₹56,00,000 की वेल्थ की जरूरत होगी। अगर इन्फ्लेशन को भी ध्यान में लें तो यह राशि करीब ₹75,00,000 हो जाएगी।

👉 ₹75,00,000 की वेल्थ बनाने के लिए:

✅ अगर आज से 8% के इंटरेस्ट पर इन्वेस्ट करें तो हर महीने ₹8,250 इन्वेस्ट करना होगा।
✅ अगर आप 5 साल बाद शुरू करेंगे तो ₹13,200 प्रति माह इन्वेस्ट करना होगा।
✅ अगर 10 साल बाद शुरू करेंगे तो ₹22,200 प्रति माह इन्वेस्ट करना होगा।


🌟 Aditya Birla Life Insurance की Life Time Pension योजना

(विजन लाइफ इनकम प्लान)
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1 से 60 वर्ष तक के व्यक्ति इस प्लान को ले सकते हैं।
✅ बीमा 100 वर्ष की उम्र तक चलेगा।
✅ प्रीमियम 15 से 40 वर्ष तक जमा करा सकते हैं या 8, 10, 12 वर्ष की टर्म भी ले सकते हैं (जिसमें मिनिमम किश्त ₹1,00,000/- होगी)।
✅ कम से कम किश्त साल की ₹15,000/- होगी और बीमा ₹2,00,000/- का होगा।
30 वर्ष की उम्र में 25 साल के लिए इस स्कीम को लेने पर:

  • किश्त = ₹50,000/-
  • बीमा = ₹12,00,000/-
  • 25 वर्ष बाद मैच्योरिटी पर एकमुश्त ₹15,00,000/- (टैक्स फ्री) मिलेगा।
    55 वर्ष की उम्र से 100 वर्ष तक ₹1,20,000/- सालाना पेंशन मिलेगी और बीमा भी फ्री रहेगा।
    ✅ यदि पॉलिसी धारक की 55 वर्ष से पहले मृत्यु होती है तो बीमा + बोनस मिलेगा और पॉलिसी बंद हो जाएगी।
    ✅ यदि 55 से 100 वर्ष के बीच मृत्यु होती है तो ₹12,00,000/- मिलेंगे और पॉलिसी बंद हो जाएगी।
    25 वर्ष बाद गारंटीड ₹15,00,000/- और 100 वर्ष पूरे होने पर ₹12,00,000 + बोनस मिलेगा (टैक्स फ्री)।
    ✅ वर्तमान में बैंक ब्याज दर 6.25% से ज्यादा नहीं है। भविष्य में यह 2% से 3% तक रह सकती है।
    ✅ विकसित देशों में ब्याज दर आज भी 0.25% से 2% ही है, जो भारत में भी हो सकता है।
    ✅ इस पॉलिसी में 8% से 9.5% का रिटर्न मिल रहा है।
    ✅ इस प्लान से आपकी रिटायरमेंट के बाद की सभी जरूरतें पूरी होंगी
    ✅ इस पॉलिसी में 3 वर्ष बाद कभी भी सरेंडर वैल्यू का 80% तक लोन ले सकते हैं।
    ✅ इस पॉलिसी में वेवर प्रीमियम (WOP) का लाभ मिलता है।
  • अगर पॉलिसी धारक के दो अंग भंग हो जाएं या बच्चों के नाम से पॉलिसी लेने पर पिता की मृत्यु हो जाए तो आगे के सारे प्रीमियम माफ हो जाएंगे और मैच्योरिटी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

🔎 कुछ लोग सोचते हैं कि FD में ज्यादा फायदा होता है, लेकिन यह गलत है:

✅ FD सिर्फ 10 वर्ष की होती है।
✅ FD में बीमा कवर नहीं मिलता है।
✅ इस प्लान में आपको गारंटीड इनकम + बीमा + टैक्स फ्री रिटर्न मिलेगा।


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सुरक्षित भविष्य की ओर पहला कदम!

🌟 दोस्तों, Commission मिलता है, इसलिये Insurance Advisor आपकें पीछे लगते हैं ... आपकी यह धारणा बिलकुल गलत है! 🌟

🌟 दोस्तों, Commission मिलता है, इसलिये Insurance Advisor आपकें पीछे लगते हैं ... आपकी यह धारणा बिलकुल गलत है! 🌟


👉 1. क्या आप जानते हैं?
✅ अगर आप कपड़े 👕 खरीदते हैं, तो उसके मालिक को 10% से 25% तक कमीशन मिलता है, तो क्या आप कपड़े खरीदना छोड़ देते हैं?
✅ अगर आप 50 लाख का घर 🏠 खरीदते हैं, तो उस बिल्डर को 2.5 लाख मिलते हैं, तो क्या आप घर खरीदना छोड़ देते हैं?
✅ ड्राइविंग लाइसेंस 🪪 के लिए 200 रुपये लगते हैं, फिर भी आप RTO एजेंट को 2000 रुपये देते हैं...
✅ मरने के बाद सब कुछ यहीं छोड़ जाना है, यह बताने के लिए साधू महाराज 20,000 रुपये ले लेते हैं...

👉 बस इतना ही कहना है कि...
जब भी हम कुछ करते हैं, तो उसमें दूसरे को क्या मिल रहा है, इससे ज्यादा यह सोचना चाहिए कि हमें क्या फायदा मिल रहा है


🚨 Insurance Advisor पैसों के लिए आपके पीछे नहीं लगता बल्कि...

🌷 1. आपके पीछे इसलिए लगता है ताकि...
👉 आपके बाद आपकी पत्नी और बच्चों को किसी के सामने हाथ फैलाने की नौबत न आए।

🌷 2. बुढ़ापे में जब जमा पैसा खत्म हो जाए...
👉 और बच्चे भी न संभालें, तब भी आप सम्मान के साथ जी सकें

🌷 3. आपके बच्चों की पढ़ाई, शादी और भविष्य के लिए...
👉 किसी रिश्तेदार या बैंक के सामने हाथ न फैलाना पड़े।

🌷 4. और सबसे महत्वपूर्ण...
👉 आज के इस महंगाई के जमाने में, एक विधवा औरत को लाचारी से बचाने के लिए।


क्या आपको पता है?

👉 अच्छी चीजें इंसान को घर-घर जाकर बेचनी पड़ती हैं, जबकि बेकार चीजों के लिए लोग खुद लाइन में लगते हैं!
👉 जैसे – दूध वाला घर-घर जाकर दूध बेचता है, लेकिन शराब के लिए लोग खुद लाइन में लगते हैं।


💡 इंसान की मृत्यु के बाद भी मदद कौन करता है?

👉 उस वक्त आपका सगा भाई भी साथ नहीं आता, लेकिन Insurance Company अपने Advisor के जरिये आपकी सहायता करने के लिए भगवान की तरह दौड़ी चली आती है!
👉 यही वजह है कि एक Insurance Advisor दिन भर घर-घर भटकता है और आपके पीछे लगा रहता है।


🌍 विकसित देशों में Insurance सरकार की तरफ से अनिवार्य है...

👉 लेकिन हमारे यहां लोगों को घर-घर जाकर समझाना पड़ता है।


💼 तो अब सोचिए और निर्णय लीजिए!

👉 आज ही अपने Insurance Advisor को बुलाएं और उचित बीमा लेकर अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित करें।


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🌟 Kailash Chandra Ladha
💼 Birla Sun Life Insurance
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रविवार, 23 मार्च 2025

हिन्दू चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2082 तदनुसार (30 मार्च 2025) दिन रविवार को अपना नववर्ष है।


आयो रे आयो नव वर्ष आयो
सनातन धर्म प्रेमी परिवारों से विनम्र आग्रह है कि गर्वित हिन्दू चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2082 तदनुसार (30 मार्च 2025) दिन रविवार को अपना नववर्ष है।


उस दिन ये कार्य अवश्य करें:

(01). पुरुष सफेद वस्त्र व महिलाएँ पीला या भगवा वस्त्र पहनें। भारतीय वेश धारण करें।
(02). मस्तिष्क पर उस दिन तिलक अवश्य लगायें।
(03). घर पर मिष्ठान्न बनायें।
(04). घर की छत पर भगवा झंडा अवश्य लगायें।
(05). रात्रि को घर के बाहर दीप अवश्य जलायें।
(06). घर के द्वार को सजाएँ।
(07). रंगोली बनाएँ।
(08). फूल और पत्तों के तोरण लगाएँ।
(09). कम से कम 11 लोगों को ये संदेश भेजें, और उस दिन मिलकर या फोन कॉल पर नववर्ष की शुभकामनाएँ दें और उन्हें भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।

🚩🙏 सनातन संवत् 2082 की हार्दिक शुभकामनाएँ! 🙏🚩
नव संवत्सर आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए। आइए, हम सब मिलकर इस शुभ अवसर को हर्षोल्लास के साथ मनाएं और अपनी सनातन परंपरा पर गर्व करें।
धर्म, संस्कृति और गौरव के इस पर्व को उल्लास के साथ मनाएं!

🌺 जय श्री राम! 🌺

शनिवार, 15 मार्च 2025

होली का वास्तविक स्वरूप इस पर्व का प्राचीनतम नाम *वासन्ती नव सस्येष्टि* है अर्थात् बसन्त ऋतु के नये अनाजों से किया हुआ यज्ञ, परन्तु होली होलक का अपभ्रंश है।

होली का वास्तविक स्वरूप 
इस पर्व का प्राचीनतम नाम *वासन्ती नव सस्येष्टि* है अर्थात् बसन्त ऋतु के नये अनाजों से किया हुआ यज्ञ, परन्तु होली होलक का अपभ्रंश है।
यथा–
*तृणाग्निं भ्रष्टार्थ पक्वशमी धान्य होलक: (शब्द कल्पद्रुम कोष) अर्धपक्वशमी धान्यैस्तृण भ्रष्टैश्च होलक: होलकोऽल्पानिलो मेद: कफ दोष श्रमापह।*(भाव प्रकाश)
*अर्थात्*―तिनके की अग्नि में भुने हुए (अधपके) शमो-धान्य (फली वाले अन्न) को होलक कहते हैं। यह होलक वात-पित्त-कफ तथा श्रम के दोषों का शमन करता है।
*(ब) होलिका*―किसी भी अनाज के ऊपरी पर्त को होलिका कहते हैं-जैसे-चने का पट पर (पर्त) मटर का पट पर (पर्त), गेहूँ, जौ का गिद्दी से ऊपर वाला पर्त। इसी प्रकार चना, मटर, गेहूँ, जौ की गिदी को प्रह्लाद कहते हैं। होलिका को माता इसलिए कहते है कि वह चनादि का निर्माण करती *(माता निर्माता भवति)* यदि यह पर्त पर (होलिका) न हो तो चना, मटर रुपी प्रह्लाद का जन्म नहीं हो सकता। जब चना, मटर, गेहूँ व जौ भुनते हैं तो वह पट पर या गेहूँ, जौ की ऊपरी खोल पहले जलता है, इस प्रकार प्रह्लाद बच जाता है। उस समय प्रसन्नता से जय घोष करते हैं कि *होलिका माता की जय* अर्थात् होलिका रुपी पट पर (पर्त) ने अपने को देकर प्रह्लाद (चना-मटर) को बचा लिया।
*(स)* अधजले अन्न को होलक कहते हैं। इसी कारण इस पर्व का नाम *होलिकोत्सव* है और बसन्त ऋतुओं में नये अन्न से यज्ञ (येष्ट) करते हैं। इसलिए इस पर्व का नाम *वासन्ती नव सस्येष्टि* है। यथा―वासन्तो=वसन्त ऋतु। नव=नये। येष्टि=यज्ञ। इसका दूसरा नाम *नव सम्वतसर* है। मानव सृष्टि के आदि से आर्यों की यह परम्परा रही है कि वह नवान्न को सर्वप्रथम अग्निदेव पितरों को समर्पित करते थे। तत्पश्चात् स्वयं भोग करते थे। हमारा कृषि वर्ग दो भागों में बँटा है― *(1) वैशाखी, (2) कार्तिकी।* इसी को क्रमश: वासन्ती और शारदीय एवं *रबी और खरीफ* की फसल कहते हैं। फाल्गुन पूर्णमासी वासन्ती फसल का आरम्भ है। अब तक चना, मटर, अरहर व जौ आदि अनेक नवान्न पक चुके होते हैं। अत: परम्परानुसार पितरों देवों को समर्पित करें, कैसे सम्भव है। तो कहा गया है–
*अग्निवै देवानाम मुखं* अर्थात् अग्नि देवों–पितरों का मुख है जो अन्नादि शाकल्यादि आग में डाला जायेगा। वह सूक्ष्म होकर पितरों देवों को प्राप्त होगा।
हमारे यहाँ आर्यों में चातुर्य्यमास यज्ञ की परम्परा है। वेदज्ञों ने चातुर्य्यमास यज्ञ को वर्ष में तीन समय निश्चित किये हैं―(1) आषाढ़ मास, (2) कार्तिक मास (दीपावली) (3) फाल्गुन मास (होली) यथा *फाल्गुन्या पौर्णामास्यां चातुर्मास्यानि प्रयुञ्जीत मुखं वा एतत सम्वत् सरस्य यत् फाल्गुनी पौर्णमासी आषाढ़ी पौर्णमासी* अर्थात् फाल्गुनी पौर्णमासी, आषाढ़ी पौर्णमासी और कार्तिकी पौर्णमासी को जो यज्ञ किये जाते हैं वे चातुर्यमास कहे जाते हैं आग्रहाण या नव संस्येष्टि।
*समीक्षा*―आप प्रतिवर्ष होली जलाते हो। उसमें आखत डालते हो जो आखत हैं–वे *अक्षत का अपभ्रंश रुप हैं,* अक्षत चावलों को कहते हैं और अवधि भाषा में आखत को *आहुति* कहते हैं। कुछ भी हो चाहे आहुति हो, चाहे चावल हों, यह सब यज्ञ की प्रक्रिया है। आप जो परिक्रमा देते हैं यह भी यज्ञ की प्रक्रिया है। क्योंकि आहुति या परिक्रमा सब यज्ञ की प्रक्रिया है, सब यज्ञ में ही होती है। आपकी इस प्रक्रिया से सिद्ध हुआ कि यहाँ पर प्रतिवर्ष *सामूहिक यज्ञ* की परम्परा रही होगी इस प्रकार चारों वर्ण परस्पर मिलकर इस होली रुपी विशाल यज्ञ को सम्पन्न करते थे। आप जो गुलरियाँ बनाकर अपने-अपने घरों में होली से अग्नि लेकर उन्हें जलाते हो। यह प्रक्रिया छोटे-छोटे *हवनों की है।* सामूहिक बड़े यज्ञ से अग्नि ले जाकर अपने-अपने घरों में हवन करते थे। बाहरी वायु शुद्धि के लिए विशाल *सामूहिक यज्ञ* होते थे और घर की वायु शुद्धि के लिए छोटे-छोटे हवन करते थे दूसरा कारण यह भी था।
*ऋतु सन्धिषु रोगा जायन्ते*―अर्थात् ऋतुओं के मिलने पर रोग उत्पन्न होते हैं, उनके निवारण के लिए यह यज्ञ किये जाते थे। यह होली हेमन्त और बसन्त ऋतु का योग है। रोग निवारण के लिए *यज्ञ ही सर्वोत्तम* साधन है। अब होली प्राचीनतम वैदिक परम्परा के आधार पर समझ गये होंगे कि होली नवान्न वर्ष का प्रतीक है।
*पौराणिक मत में कथा इस प्रकार है―* होलिका हिरण्यकश्यपु नाम के राक्षस की बहिन थी। उसे यह वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी। हिरण्यकश्यपु का *प्रह्लाद* नाम का आस्तिक पुत्र विष्णु की पूजा करता था। वह उसको कहता था कि तू विष्णु को न पूजकर मेरी पूजा किया कर। जब वह नहीं माना तो हिरण्यकश्यपु ने होलिका को आदेश दिया कि वह *प्रह्लाद को आग में लेकर बैठे।* वह प्रह्लाद को आग में गोद में लेकर बैठ गई, होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया। होलिका की स्मृति में होली का त्योहार मनाया जाता है l

मंगलवार, 4 मार्च 2025

पहले *भटूरे* को फुलाने के लिये उसमें *ENO* डालियेफिर *भटूरे* से फूले पेट को पिचकाने के लिये *ENO* पीजिये

पहले *भटूरे* को फुलाने के लिये 
उसमें *ENO* डालिये

फिर *भटूरे* से फूले पेट को 
पिचकाने के लिये *ENO* पीजिये 

*जीवन के कुछ गूढ़ रहस्य*
*आप कभी नहीं समझ पायेंगे*
*पांचवीं* तक *स्लेट* की बत्ती को 
*जीभ* से चाटकर कैल्शियम की 
कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी
*लेकिन*
इसमें *पापबोध* भी था कि कहीं 
*विद्यामाता* नाराज न हो जायें ...!!!☺️

*पढ़ाई* के *तनाव* हमने 
*पेन्सिल* का पिछला हिस्सा 
चबाकर मिटाया था ...!!!😀

*पुस्तक* के बीच *पौधे की पत्ती* 
और *मोरपंख* रखने से हम 
*होशियार* हो जाएंगे ...
ऐसा हमारा *दृढ विश्वास* था।😀

*कपड़े* के *थैले* में *किताब-कॉपियां*
जमाने का *प्रयास* हमारा 
*रचनात्मक कौशल* था ...!!!☺️🙏🏻

हर साल जब नई *कक्षा* के *बस्ते बंधते*
तब *कॉपी किताबों* पर *जिल्द* चढ़ाना 
हमारे जीवन का *वार्षिक उत्सव* मानते थे ...!!!☺️

*माता - पिता* को हमारी *पढ़ाई* की 
कोई *फ़िक्र* नहीं थी, न हमारी *पढ़ाई* 
उनकी *जेब* पर *बोझा* थी ...☺️💕
*सालों साल* बीत जाते पर *माता - पिता* के 
*कदम* हमारे *स्कूल* में न पड़ते थे ...!!!😀
एक *दोस्त* को *साईकिल* के 
बीच वाले *डंडे* पर और *दूसरे* को 
*पीछे कैरियर* पर *बिठा* कर 
हमने कितने रास्ते *नापें* हैं, 
यह अब याद नहीं बस कुछ 
*धुंधली* सी *स्मृतियां* हैं ...!!!💕

*स्कूल* में *पिटते* हुए और 
*मुर्गा* बनते हमारा *ईगो* 
हमें कभी *परेशान* नहीं करता था 
दरअसल हम जानते ही नही थे 
कि *ईगो* होता क्या है❓️💕

*पिटाई* हमारे *दैनिक जीवन* की 
*सहज सामान्य प्रक्रिया* थी😰😀
*पीटने वाला* और *पिटने वाला* दोनो *खुश* थे,
*पिटने वाला* इसलिए कि हम *कम पिटे*
*पीटने वाला* इसलिए *खुश* होता था 
कि *हाथ साफ़* हुआ ...!!!😀
हम अपने *माता - पिता* को कभी नहीं बता पाए 
कि हम उन्हें कितना *प्यार* करते हैं, क्योंकि 
हमें *"आई लव यू"* कहना आता ही नहीं था ...!!!
😰😀💕
आज हम *गिरते- सम्भलते*, *संघर्ष* 
करते दुनियां का हिस्सा बन चुके हैं, 
कुछ *मंजिल* पा गये हैं तो 
कुछ न जाने *कहां खो* गए हैं ...!!!😰

हम दुनिया में कहीं भी हों 
लेकिन यह सच है, 
हमे *हकीकतों* ने *पाला* है, 
हम सच की दुनियां में थे ...!!!
😰
*कपड़ों* को *सिलवटों* से बचाए रखना
और *रिश्तों* को *औपचारिकता* से 
बनाए रखना हमें कभी आया ही नहीं ...
इस मामले में हम सदा *मूर्ख* ही रहे ...!!!
😰
अपना अपना *प्रारब्ध* झेलते हुए 
हम आज भी *ख्वाब* बुन रहे हैं, 
शायद *ख्वाब बुनना* ही 
हमें *जिन्दा* रखे है वरना 
जो *जीवन* हम *जीकर* आये हैं 
उसके सामने यह *वर्तमान* कुछ भी नहीं ...!!!
😰
हम *अच्छे* थे या *बुरे* थे 
पर हम सब साथ थे *काश* 
वो समय फिर लौट आए ...!!!
😰😰
"एक बार फिर अपने *बचपन* के *पन्नो* 
को पलटिये, सच में फिर से जी उठेंगे”...💕
  
और अंत में ...

हमारे *पिताजी* के समय में *दादाजी* गाते थे ...

*मेरा नाम करेगा रोशन*
*जग में मेरा राज दुलारा*💕

हमारे *ज़माने* में हमने गाया ...

*पापा कहते है बड़ा नाम करेगा*💕

अब *हमारे बच्चे* गा रहे हैं …

*बापू सेहत के लिए ...*
*तू तो हानिकारक है*। 😰😰

*सही* में हम 
*कहाँ से कहाँ* आ गए ...???😰

एक बार मुड़ कर देखिये ...
और 
मुस्कुरा दीजिए 
क्योंकि ......
*Change is part of life.*
*Accept it gracefully.*
           🙏😊😊🙏

रविवार, 2 मार्च 2025

बर्तन का महत्वएल्युमिनियम और स्टील के बर्तन दोनो ही जहर है।।।

बर्तन का महत्व

एल्युमिनियम और स्टील के बर्तन दोनो ही जहर है।।।

ऐसा भोजन कभी ना खाएं जो सूर्य के प्रकाश और वायु के सम्पर्क में ना बनाया गया हो , जैसे कुकर,माइक्रोवेव ओवन,फ्रिज आदि में पका हुआ रखा हुआ चावल , दाल, आलू आदि ।।।

🥗एल्युमिनियम के बर्तन जेल में बन्द भारत के क्रांतिकारी के लिए अंग्रेजो ने चलवाये जिससे ये कमजोर हो एव बीमार रहे और स्वत् ही मृत्यु को प्राप्त हो

🥗एल्युमिनयम बहुत भारी तत्व है, हमारा शरीर यह पदार्थ शरीर से बाहर नही निकाल पाता है, और विष के रूप में शरीर मे एकत्रित होता रहता है

🥗एल्युमिनियम के बर्तन में पका हुआ एव रखा हुआ भोजन जहर के समान ही है, कुल 48 बीमारियों का कारण है

🥗एल्युमिनियम के बर्तनों में पके भोजन से अस्थमा ,दमा,  शुगर,थाइराइड, लकवा, ब्रेनहेमरेज और टीबी 100% हो जाएगा मात्र 10 वर्ष में

🥗सोलर कुकर में भी आजकल एल्युमिनियम का प्रयोग कर रहे है, वह भी बहुत हानिकारक है

🥗कुछ बदलाव घर के बर्तनों में कीजिये, सबसे अच्छे तो मिट्टी के है, सभी बर्तन मिट्टी के हो तो सबसे अच्छा।।

🥗कम से कम लोहे की एक कढ़ाई अवश्य हो,जिसमें सब्जी पकाई जाए

🥗दूध,दही आदि रखने के लिए मिट्टी के बर्तन हो

🥗दूध गर्म करने के लिए भी मिट्टी के बर्तन ही हो

🥗दाले आदि पकाने के बाद मिट्टी के बर्तन में ही रखें तो सबसे बेहतर

🥗सब्जी पकाने और पकाकर रखने के लिये कांसे के बर्तन भी अच्छे है एक दो बर्तन पतीला आदि लेकर रखें

🥗कांसे में खट्टी चीजे या खट्टी सब्जियां न पकाये न
और ना ही पकाकर रखे

🥗घर मे सभी सदस्यो के अनुसार ताँबे का लोटा रखें,जिससे समय समय पर ताँबे का पानी पीते रहे

🥗ताँबे के लोटे में दूध या इससे बना कुछ भी न पिएं

🥗सब्जी बनाने और बनाकर रखने के लिए पतीला, भगोना आदि पीतल के भी एक दो बर्तन लाये

🥗खांना खाने के लिए भी पीतल के कटोरी, चम्मच, थाली आदि लाये..... यदि घर मे 6 सदस्य है तो कम से कम....4 थाली कटोरी चम्मच गिलास आदि तो पीतल का ला ही सकते है

🥗सोना-
सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने, रखने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है।
इसका इस्तेमाल सर्दी के मौसम में करे

🥗चाँदी-
चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है  इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है।
इसका इस्तेमाल गर्मी के मौसम में करे

🥗तांबा-
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है.

🥗तांबे के बर्तन में दूध,दही, छाछ नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है।
इसका इस्तेमाल बारिश के मौसम में करे

🥗लोहा-
लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से  शरीर  की  शक्ति बढती है, लोह्तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है। लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और  पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है।

✔लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है।
🥗लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है। 
इसका इस्तेमाल किसी भी मौसम में कर सकते ह

🥗पीतल-
पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
इसका इस्तेमाल किसी भी मौसम में कर सकते है

🥗स्टील-
ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा भी नहीं पहुँचता
इसका इस्तेमाल न करें तो बेहतर अगर करे तो भी कोई फायदा नही।

🥗एलुमिनियम-
यह जहर है। एल्युमिनियम बॉक्साइट का बना होता है। इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुकसान होता है। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डियां कमजोर होती है. मानसिक बीमारियाँ होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है। उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है। एलुमिनियम में खांना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।
इसका इस्तेमाल कभी न करें

🥗काँसा-
काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में  शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
🥗लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है।
इसका इस्तेमाल किसी भी मौसम में कर सकते है, यह मिट्टी के बाद सर्वश्रेष्ट धातु है

🥗🥗🥗मिट्टी-
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त है मिट्टी के बर्तन। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है।
इसका उपयोग जीवन भर किसी भी मौसम में कर सकते है, यह एकलौता सर्वोत्तम धातु है

🥗मिट्टी के बर्तन में पके भोजन के लाभ:-

🥗गठिया ठीक
🥗शुगर ठीक
🥗दमा ठीक
🥗अर्थराइटिस ठीक
🥗आंखे कभी खराब नहीं होगी
🥗सरदर्द कभी नही
🥗फेफड़े, लीवर, किडनी कभी खराब नहीं
🥗कोई रोग कभी नही आएगा, यदि रोग है तो खुद ठीक हो जाएगा बिना किसी दवा के।

🥗कैंसर कभी नही हो सकता

🥗शरीर को सभी 18 पोषक तत्व मिलते है

🥗मिट्टी की हांडी की दाल,दूध, पानी, सब्जी, चावल, रोटी आदि के लिए बर्तन अवश्य लाये, यदि सभी बर्तन नही ला सकते तो।।।

बुधवार, 26 फ़रवरी 2025

महाशिवरात्रि व्रत की पौराणिक कथा

महाशिवरात्रि व्रत की पौराणिक कथा


पूर्व काल में चित्रभानु नामक एक शिकारी था। जानवरों की हत्या करके वह अपने परिवार को पालता था। वह एक साहूकार का कर्जदार था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधित साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी। शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव-संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा। चतुर्दशी को उसने शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी।

शाम होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात की। शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटा देने का वचन देकर बंधन से छूट गया। अपनी दिनचर्या की भांति वह जंगल में शिकार के लिए निकला। लेकिन दिनभर बंदी गृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था। शिकार खोजता हुआ वह बहुत दूर निकल गया। जब अंधकार हो गया तो उसने विचार किया कि रात जंगल में ही बितानी पड़ेगी। वह वन एक तालाब के किनारे एक बेल के पेड़ पर चढ़ कर रात बीतने का इंतजार करने लगा।

बिल्व वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो बिल्वपत्रों से ढंका हुआ था। शिकारी को उसका पता न चला। पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियां तोड़ीं, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरती चली गई। इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बिल्वपत्र भी चढ़ गए। एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी हिरणी तालाब पर पानी पीने पहुंची।

शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, हिरणी बोली- ‘मैं गर्भिणी हूं। शीघ्र ही प्रसव करूंगी। तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है। मैं बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊंगी, तब मार लेना।’ शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और हिरणी जंगली झाड़ियों में लुप्त हो गई। प्रत्यंचा चढ़ाने तथा ढीली करने के वक्त कुछ बिल्व पत्र अनायास ही टूट कर शिवलिंग पर गिर गए। इस प्रकार उससे अनजाने में ही प्रथम प्रहर का पूजन भी सम्पन्न हो गया।

शिकारी ने मृग परिवार को जाने दिया। यह करुणा ही वस्तुत: उस शिकारी को उन पंडित एवं पुजारियों से उत्कृष्ट बना देती है जो कि सिर्फ रात्रि जागरण, उपवास एवं दूध, दही, बेल-पत्र आदि द्वारा शिव को प्रसन्न कर लेना चाहते हैं। इस कथा में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कथा में ‘अनजाने में हुए पूजन’ पर विशेष बल दिया गया है। इसका अर्थ यह नहीं है कि शिव किसी भी प्रकार से किए गए पूजन को स्वीकार कर लेते हैं अथवा भोलेनाथ जाने या अनजाने में हुए पूजन में भेद नहीं कर सकते हैं।

वास्तव में वह शिकारी शिव पूजन नहीं कर रहा था। इसका अर्थ यह भी हुआ कि वह किसी तरह के किसी फल की कामना भी नहीं कर रहा था। उसने मृग परिवार को समय एवं जीवन दान दिया जो कि शिव पूजन के समान है। शिव का अर्थ ही कल्याण होता है। उन निरीह प्राणियों का कल्याण करने के कारण ही वह शिव तत्व को जान पाया तथा उसका शिव से साक्षात्कार हुआ।

परोपकार करने के लिए महाशिवरात्रि का दिवस होना भी आवश्यक नहीं है। पुराण में चार प्रकार के शिवरात्रि पूजन का वर्णन है। मासिक शिवरात्रि, प्रथम आदि शिवरात्रि, तथा महाशिवरात्रि। पुराण वर्णित अंतिम शिवरात्रि है- नित्य शिवरात्रि। वस्तुत: प्रत्येक रात्रि ही शिवरात्रि’ है अगर हम उन परम कल्याणकारी आशुतोष भगवान में स्वयं को लीन कर दें तथा कल्याण मार्ग का अनुसरण करें, वही शिवरात्रि का सच्चा व्रत है।

जय श्रीराम

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