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गुरुवार, 8 मार्च 2012

होली के पावन त्यौहार की हार्दिक सुभकामनाये ..!!!!!


जय श्री कृष्णा सा

सभी आदरणीय पूज्यनीय माननीय सज्जनों और सभी युवक और युवतियों को होली के पावन त्यौहार की हार्दिक सुभकामनाये ..!!!!!

आप सब सावधानी से होली का त्यौहार मनाये और सीर्फ गुलाल का उपयोग करे...ये मेरी अप सब से विनती है..!!
बच्चो का ख्याल रखे की चेमिकल वाले कलर से न खेले......उनकी आँखों में जा सकता हे..सो....!!!
 









जय श्री कृष्णा

















नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है

बुधवार, 29 फ़रवरी 2012

सफलता का रहस्य


एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है?

सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो.वो मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा.और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया. लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा , लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वो नीला नहीं पड़ने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना.

सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”

लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना”

सुकरात ने कहा,” यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना चाहते थे तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके आलावा और कोई रहस्य नहीं है.


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शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

बड़ा ही नहीं कहीं-कहीं छोटा भी होना होगा--



हनुमान चालीसा की नौवीं चौपाई में उनके लिए तुलसीदासजी ने लिखा है-
"‘सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा,
विकट रूप धरि लंक जरावा।’ "
एक छोटा रूप सीताजी को दिखाया और भयंकर रूप धरकर लंका को जलाया। सीताजी परमात्मा का स्वरूप हैं। सीधा सा अर्थ है भगवान के सामने जाओ तो विनम्र हो जाओ और लंका दहन यानी अपने ही दुगरुणों को नाश करना।

परमात्मा के सामने छोटे रहें। अपनी बुराइयों को समाप्त करने में बड़े सक्षम बनें। हम उलटा आचरण कर बैठते हैं। भगवान के सामने बड़े हो जाते हैं और बुराइयों के विनाश में छोटे बन जाते हैं। इसलिए बुराइयां हमें अपने कब्जे में आसानी से ले लेती हैं। सूक्ष्म होने का एक और दार्शनिक अर्थ है।

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