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गुरुवार, 16 अगस्त 2012

गांठ,

गांठ,
एक दिन बुद्ध प्रातः भिक्षुओं की सभा में पधारे. सभा में प्रतीक्षारत उनके शिष्य यह देख चकित हुए कि बुद्ध पहली बार अपने हाथ में कुछ लेकर आये थे. उनके हाथ में एक रूमाल था. बुद्ध के हाथ में रूमाल देखकर सभी समझ गए कि इसका कुछ विशेष प्रयोजन होगा.

बुद्ध अपने आसन पर विराजे. उन्होंने किसी से कुछ न कहा और रूमाल में कुछ दूरी पर पांच गांठें लगा दीं.

...सब उपस्थित यह देख मन में सोच रहे थे कि अब बुद्ध क्या करेंगे, क्या कहेंगे. बुद्ध ने उनसे पूछा, “कोई मुझे यह बता सकता है कि क्या यह वही रूमाल है जो गांठें लगने के पहले था?”

शारिपुत्र ने कहा, “इसका उत्तर देना कुछ कठिन है. एक तरह से देखें तो रूमाल वही है क्योंकि इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. दूसरी दृष्टि से देखें तो पहले इसमें पांच गांठें नहीं लगीं थीं अतः यह रूमाल पहले जैसा नहीं रहा. और जहाँ तक इसकी मूल प्रकृति का प्रश्न है, वह अपरिवर्तित है. इस रूमाल का केवल बाह्य रूप ही बदला है, इसका पदार्थ और इसकी मात्रा वही है.”

“तुम सही कहते हो, शारिपुत्र”, बुद्ध ने कहा, “अब मैं इन गांठों को खोल देता हूँ”, यह कहकर बुद्ध रूमाल के दोनों सिरों को एक दूसरे से दूर खींचने लगे. “तुम्हें क्या लगता है, शारिपुत्र, इस प्रकार खींचने पर क्या मैं इन गांठों को खोल पाऊंगा?”

“नहीं, तथागत. इस प्रकार तो आप इन गांठों को और अधिक सघन और सूक्ष्म बना देंगे और ये कभी नहीं खुलेंगीं”, शारिपुत्र ने कहा.

“ठीक है”, बुद्ध बोले, “अब तुम मेरे अंतिम प्रश्न का उत्तर दो कि इन गांठों को खोलने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?”

शारिपुत्र ने कहा, “तथागत, इसके लिए मुझे सर्वप्रथम निकटता से यह देखना होगा कि ये गांठें कैसे लगाई गयीं हैं. इसका ज्ञान किये बिना मैं इन्हें खोलने का उपाय नहीं बता सकता”.

“तुम सत्य कहते हो, शारिपुत्र. तुम धन्य हो, क्योंकि यही जानना सबसे आवश्यक है. आधारभूत प्रश्न यही है. जिस समस्या में तुम पड़े हो उससे बाहर निकलने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि तुम उससे ग्रस्त क्योंकर हुए. यदि तुम यह बुनियादी व मौलिक परीक्षण नहीं करोगे तो संकट अधिक ही गहराएगा”.

“लेकिन विश्व में सभी ऐसा ही कर रहे हैं. वे पूछते हैं, “हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, परिग्रह, आदि-आदि वृत्तियों से बाहर कैसे निकलें”, लेकिन वे यह नहीं पूछते कि “हम इन वृत्तियों में कैसे पड़े?”

बुधवार, 15 अगस्त 2012

भारत का तेजी से इस्लामी कारन हो रहा है जो लोग इस बात से असहमत है वो जरा मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर दें..उसके बाद ही अपने विचारव्यक्त करें -

भारत का तेजी से इस्लामी कारन हो रहा है जो लोग इस बात से असहमत है वो जरा मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर दें..उसके बाद ही अपने विचारव्यक्त करें -

१] विश्व में ५२ मुस्लिम देश है, एक मुस्लिम देश ऐसा बताये जहा हज यात्रा पर सब्सिडी दी जाती है!

२] एक मुस्लिम राष्ट्र ऐसा बताये जहा हिन्दुओ को विशेष अधिकार दिए जाते है, जैसे की भारत में मुस्लिमो को !

३] केवल एक देश ऐसा बताये जहा ८५ % बहुसंख्य १५ % अल्पसंख्यानको के भोग के लिए चुसे जाते है !

४] एक मुस्लिम राष्ट्र ऐसा बताये जहा गैर-मुस्लिम राष्ट्राध्यक्ष बना हो !

५] एक ऐसा मुल्ला या मुलावी बताये जिसने आतंकवाद के विरुद्ध फतवा निकला हो!

६] महाराष्ट्र,बिहार,केरल, पांडिचेरी (जहा हिन्दू बहुसंख्य है) जैसे राज्यों ने मुस्लिम मुख्यमंत्रियों को कभी चुना है.. ...क्या आप जम्मू-कश्मीर (जहा मुस्लिम बहुसंख्य है) में हिन्दू मुख्यमंत्री की कल्पना कर सकते है?

७] भारत - पकिस्तान के बटवारे के समय पकिस्तान में २४ % हिन्दू थे जो की आज १.५ % भी नहीं रहे! क्या कोई बता सकता है की गायब हुए हिन्दुओ के साथ क्या हुआ? क्या हिन्दुओ के लिए भी कोई मानवाधिकार है ???

८] इसके बिलकुल विपरीत भारत में मुस्लिमो की संख्या १९५१ में १० % से बढ़कर १५ % हो गयी है !
और हिन्दू ८७.५ % से ८५ % पर है!
क्या फीरभी आप हिन्दुओ को कट्टरपंथी कहेगे !

९] जब हिन्दुओ ने मुसलमानों को अपने जमीन का ३० % हिस्सा गुनगुनाते हुए दे दिया....तब उन्हें अपने ही भूमि पर अयोध्या और मथुरा जैसे पवित्र स्थलों के लिए क्यों भीक माँगना पड रहा है?

१०] गाँधी ने सरकारी खर्च से सोमनाथ मदीर बनवाने के लिए विरोध किया था. तो फीर जनवरी १९४८ में दिल्ली की मस्जीद का जिर्नोध्धार करवाने के लिए उन्होंने क्योँ सरदार पटेल पर दबाव डाला ?

११] गांधी ने " खिलाफत आन्दोलन "(जिसे देश की आजादी से कोई लेना देना नहीं था) को समर्थन दिया था, इसके बदले में उन्होंने क्या पाया ?

१२] जब महाराष्ट्र,बिहार में मुस्लिम और ख्रिश्चन अल्पसंख्यांक है, तो फीर जम्मू-कश्मीर,नागालैंड,मिझोरम में हिन्दू अल्पसंख्यांक नहीं? हिन्दुओ को क्योँ अल्पसंख्यांक अधिकारों से वंचीत रखा जाता है ???

१३] जब हज यात्रा के लिए सब्सिडी दी जाती है, तो अमरनाथ,कैलाश मानसरोवर यात्रा पर टैक्स क्यों लगाया जाता है?

१४] जब ख्रिश्चन और मुस्लिम विद्यालयों में कुरआन और बैबल पढाई जा सकती है, तो हिन्दू विद्यालयों में गीताजी क्योँ नहीं ?

१५] हिन्दुओ की समस्याए सामने आने के बजाय ,क्या आपको नहीं लगता की किसी का हिन्दू होना ही एक समस्या है????

१६] गोधरा के बाद छिड़े दंगो को एक हद से ज्यादा उठाया गया, बल्कि जहा ४ लाख हिन्दुओ का कश्मिरसे पूर्ण रूप से पतन हुआ उसके बारे में कोई बात करने को भी तयार नहीं.

१७ ] मंदिरो के पैसो को मुस्लमान और ख्रिश्चानो के उत्सवो में उडाया जाता है, यद्यपि मस्जीद और चर्च अपना पैसा अपने ढंग से खर्च करने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र है!!

१८] अब्दूल रहमान अंतुले को मुंबई के सिध्धिविनायक मंदीर का ट्रस्टी बनाया गया, क्या कोई हिन्दू (जैसे की मुलायम सिंह यादव) किसी मदरसा या मस्जीद का ट्रस्टी बनकर दिखा सकता है?

१९] अगर हिन्दुओ को असहिष्णु कहा जाता है तो बताईये की कैसे मस्जीद और मदरसे दिनों दिन बढ़ते जा रहे है?
कैसे मुसलमानों को सड़क पर नमाज पढने दिया जाता है?
कैसे मुसलमानों को दिन में 5 बार लाउड स्पीकर पर ये कहने दिया जाता है की "अल्लाह के सिवाह दूसरा कोई भगवान् ही नहीं "

ये विचार किसी संघटना या राजनैतिक पार्टी के सदस्य के नहीं बल्कि एक सच्चे देशभक्त के है!
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जय महाकाल !!

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