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रविवार, 26 अगस्त 2012

हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

हर हिन्दू की शेयर चाहिए....

हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार क्षार
डमरू की वह प्रलयध्वनि हूं जिसमे नचता भीषण संहार
रणचंडी की अतृप्त प्यास मै दुर्गा का उन्मत्त हास
मै यम की प्रलयंकर पुकार जलते मरघट का धुँवाधार
फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती मे आग लगा दूं मै
यदि धधक उठे जल थल अंबर जड चेतनतो कैसा विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै आज पुरुष निर्भयता का वरदान लिये आया भूपर
पय पीकर सब मरते आए मै अमर हुवालो विष पीकर
अधरोंकी प्यास बुझाई है मैने पीकर वह आग प्रखर
हो जाती दुनिया भस्मसात जिसको पल भर मे ही छूकर
भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन
मै नर नारायण नीलकण्ठ बन गया न इसमे कुछ संशय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै अखिल विश्व का गुरु महान देता विद्या का अमर दान
मैने दिखलाया मुक्तिमार्ग मैने सिखलाया ब्रह्म ज्ञान
मेरे वेदों का ज्ञान अमर मेरे वेदों की ज्योति प्रखर
मानव के मन का अंधकार क्या कभी सामने सकठका सेहर
मेरा स्वर्णभ मे गेहर गेहेर सागर के जल मे चेहेर चेहेर
इस कोने से उस कोने तक कर सकता जगती सौरभ मै
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै तेजःपुन्ज तम लीन जगत मे फैलाया मैने प्रकाश
जगती का रच करके विनाश कब चाहा है निज का विकास
शरणागत की रक्षा की है मैने अपना जीवन देकर
विश्वास नही यदि आता तो साक्षी है इतिहास अमर
यदि आज देहलि के खण्डहर सदियोंकी निद्रा से जगकर
गुंजार उठे उनके स्वर से हिन्दु की जय तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

दुनिया के वीराने पथ पर जब जब नर ने खाई ठोकर
दो आँसू शेष बचा पाया जब जब मानव सब कुछ खोकर
मै आया तभि द्रवित होकर मै आया ज्ञान दीप लेकर
भूला भटका मानव पथ पर चल निकला सोते से जगकर
पथ के आवर्तोंसे थककर जो बैठ गया आधे पथ पर
उस नर को राह दिखाना ही मेरा सदैव का दृढनिश्चय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मैने छाती का लहु पिला पाले विदेश के सुजित लाल
मुझको मानव मे भेद नही मेरा अन्तःस्थल वर विशाल
जग से ठुकराए लोगोंको लो मेरे घर का खुला द्वार
अपना सब कुछ हूं लुटा चुका पर अक्षय है धनागार
मेरा हीरा पाकर ज्योतित परकीयोंका वह राज मुकुट
यदि इन चरणों पर झुक जाए कल वह किरिट तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

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शनिवार, 25 अगस्त 2012

पति-पत्नी में बढे प्रेम,दाम्पत्य सुख

पति-पत्नी में बढे प्रेम,दाम्पत्य सुख
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नीतिशास्त्र में मनुष्यों के लिए जिन सुखों का वर्णन किया गया है, उनमें पत्नी का सुंदर होने के साथ प्रिय बोलने वाली होना भी है- प्रिया च भार्या, प्रियवादिनी च। दाम्पत्य जीवन सुखमय होने में इन दोनों का ही महत्व है। पति-पत्नी परस्पर एक-दूसरे की भावनाओं का यदि आदर करते हैं तो वे व्यक्तिगत जीवन में भी सुखी होते ही हैं, उन्हें समाज में यश और सम्मान भी मिलता है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में शिव-पार्वती और राम-सीता को आदर्श दम्पती माना जाता है। कारण स्पष्ट है, प्रत्येक परिस्थिति में एक-दूसरे के प्रति अटूट विश्वास तथा एक-दूसरे की स्वीकृति। कभी-कभी चाहकर भी ऎसा नहीं हो पाता है। मानव मन उद्विग्न हो जाता है। एक-दूसरे के लिए,अस्थायी रूप में ही कुछ ऎसे भाव पैदा हो जाते हैं जो परस्पर कलह पैदा कर देते हैं। निम्न उपाय प्रेम-संबंध प्रगाढ कर पुन: दाम्पत्य सुख प्राप्त कराते हैं। यदि किसी पुरूष या महिला के दाम्पत्य सुख में कमी हो तो दोमुखी तथा गौरीशंकर-इन दोनों रूद्राक्षों को धारण करने से वह कमी पूरी हो जाती है तथा दाम्पत्य जीवन में खुशहाली आ जाती है। सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रतिदिन प्रात: पूजा करते समय शंखनाद करना चाहिए। यदि पति-पत्नी के मन आपस में न मिले तो उनका जीवन दाम्पत्य सुख से वंचित हो जाता है। ऎसे में 11 गोमती चक्रों को लाल सिंदूर की डिब्बी में रखकर घर में रखें तो सभी प्रकार के मन के क्लेश दूर हो जाएंगे। शुक्रवार को पांच कौडियां और एक गोमती चक्र को लाल गुलाब की पंखुडियों के साथ रखकर, ओमृ ह्नीं स: (पति-पत्नी का नाम) वशमानय स्वाहा, मंत्र का एक माला जप नित्य करें तो दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है।
घर में सुख-शांति हेतु पति-पत्नी दोनों मिलकर लाल वस्त्र में समूर की दाल,रक्त चंदन एवं पांच लघु नारियल बांध लें। फिर हाथ जोडकर पारिवारिक क्लेश की मुक्ति की प्रार्थना करें तथा धूपादि देकर उस पोटली को गंगा में प्रवाहित कर दें। यह कृत्य 11 मंगलवार तक करें। इससे आपसी तनाव दूर होकर दाम्पत्य सुख की वृद्धि होगी। विवाह के पश्चात् जब कन्या की विदाई होने वाली हो तो किसी पीले रंग के धातु के लोटे में गंगाजल लेकर,उसमें थोडी सी पिसी हल्दी मिलाएं और एक तांबे का सिक्का उसमें डालकर कन्या के ऊपर से 7 बार उसार कर उसके आगे गिरा दें।
इस उपाय से उसका दाम्पत्य जीवन सदा सुखी रहेगा। कन्या के विवाह में जब चार दिन शेष रह जाएं, तब सात साबुत हल्दी की गांठें, पीतल के प्राचीन तीन सिक्के, केशर, थोडा-सा गुड व चने की दाल किसी पीले वस्त्र में बांधकर कन्या स्वयं अपनी ससुराल की ओर उछाल दे। इस क्रिया से कन्या अपनी सुसराल में पति संग सदा सुरक्षित एवं सुखी रहती है।
अपने ससुराल गृह में प्रवेश करने से पहले यदि कन्या चुपचाप मेहंदी में मिले हुए साबुत उडद गिरा दे और फिर प्रवेश करे तो उसका दाम्पत्य जीवन सदा सुखी और खुशहाल रहेगा। दाम्पत्य जीवन में यदि समस्याएं उठ खडी हों तो उनके शमन के लिए नियमित रूप से केले व पीपल वृक्ष की सेवा करें, अर्थात् गुरूवार को केले व पीपल को जल अर्पित करें, घी का दीपक जलाएं तथा शनिवार को पीपल में सरसों के तेल का दीपक जलाएं एवं मीठा जल अर्पित करें। ऎसा करने से आगे जीवन में कभी कोई समस्या नहीं आएंगी। यदि पत्नी को उसका पति अधिक समय नहंी दे पाता है और इस कारण दोनों में प्रेम कम हो गया है, उनके दाम्पत्य जीवन में अशांति व्याप्त हो गई है, तो पत्नी को चाहिए कि वह केले के वृक्ष का पूजन और देवताओं के गुरू बृहस्पति की सेवा-आराधना आरंभ करे दे। कुछ ही दिनों में फल सामने आ जाएगा। बृहस्पति के दिन किसी चौराहे के पीपल पर जाएं।
शुद्ध घी का दीपक और अगरबत्तियां अर्पित करें। एक दोने में या पत्ते पर तीन प्रकार की मिठाई रखकर अर्पित करें और हाथ जोडकर प्रार्थना करें कि मेरे दाम्पत्य जीवन की सभी समस्याओं का निवारण हो जाए। कुल 11 बृहस्पतिवार इस क्रिया को करने से दाम्पत्य जीवन की सभी समस्याओं का शमन हो जाएगा। पति और पत्नी दोनों ही एक-दूसरे की न सुनते हों, जिसके कारण उनके दाम्पत्य जीवन में अशांति व्याप्त हो गई हो, तो प्रात:कृत्यादि से निवृत होकर, स्वच्छ वस्त्र धारण करके किसी मंदिर में जाकर शिवलिंग की पूजा करके निम्न मंत्र का पांच माला जप करें-
ओम् नम: संभवाय च मयो भवाय च नम: शंकराय च मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च।।
दाम्पत्य सुख की प्राçप्त और अशांति के निवारण के लिए प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर भगवती दुर्गा के चित्र के सम्मुख दीपक और अगरबत्ती जलाकर पुष्प अर्पित करें। किसी भी माला से निम्नलिखित मंत्र का 108 जाप करें। कुल 21 दिनों में ही सुख-शांति का वातारण व्याप्त हो जाएगा- धां धीं धूं धूर्जटे! पत्नी वां वीं वूं वाग्धीश्वरि। क्रां क्रीं कं्र कालिका देवि! शांत शीं शूं शुभं कुरू।। यदि किसी कारण वश पति-पत्नी में अनबन हो जाने के कारण दाम्पत्य जीवन में अशांति व्याप्त हो गई हो तो निम्नलिखित मंत्रों का 21 बार नित्य पाठ करने से उनमें पहले जैसा प्रेम उत्पन्न हो जाता है- ओम यथा नकुलो विच्छिद्य सन्दधात्यहि पुन:।
एवा कामस्य विच्छिनं सन्धेहि वीर्यावति:।।
अक्ष्यौ नौ मधुसंकाशे अनीके नौ समंजनम।
अन्त: कृशुष्व मां ह्रदि मन इन्नौ सहासति।।
शुभ मुहूत्तü में अथवा रविवार या मंगलवार के दिन प्रात: काल स्नानादि से निवृत्त होकर, पावन स्थान पर मृगचर्म के आसन पर बैठकर, पूर्व की ओर मुंह करके निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें। तत्पश्चात् आम वृक्ष की लकडी की अगि्न में इस मंत्र को 108 बार बोलते हुए खीर की आ±ुति देकर हवन करें। इससे दाम्पत्य सुख की प्राçप्त होती है- ओम् नमो आदेस गुय का धरती में बैठ्या लोहे का पिण्ड राख लगाता गुरू गोरखनाथ आवन्ता जावन्ता हांक दे धार धार मार मार शब्द सांचा फुरो ईश्वरो वाचा।।
निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जप करने से यह सिद्ध हो जाता है। साधन-क्रम कृष्णपक्ष में आरंभ करना अच्छा रहता है। यदि अष्टमी या चतुर्दशी तिथि के दिन निम्नलिखित मंत्र को सिद्ध किया जाए तो अत्यंत प्रभावी होता है। इस मंत्र को प्रतिदिन जपने से सभी प्रकार के पारिवारिक एवं दाम्पत्य क्लेश समाप्त हो जाते हैं- ओम् क्षां क्षीं ह्नीं ह्नं क्रौं क्रैं फट् स्वाहा।। निम्नलिखित मंत्र का नियमित 108 जप करने से दाम्पत्य जीवन में कभी कोई विƒन बाधा नहीं आती- ओम् उन्नतअऋषाभो वामनस्तअऎन्द्रा वैष्णवाअउन्नत:। शितिबाहु शितिपृष्ठस्तअऎन्द्रा बार्हस्पत्या: शुक्ररूपा- वाजिना: कल्माषाअअगि्ननमारूता: श्यामा पोैष्णा:।।
निम्नलिखित मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र का 21 बार जाप करने से अनैक भौतिक सुखों की प्राçप्त होती है और दाम्पत्य जीवन सुखमय रहता है-
(1) उपयामगृहीतोअस्याश्विने तेज: सारस्वत वीर्यमैन्द्र। बलम्!
एष ते योनिर्मोदाय त्वानंदाय त्वा मरसेत्वा।।
(2) ओम ऋतं च मेअमृतं मेअपक्षमं च मेअनामयच्च मे जीवातुpमे दीर्घासुत्वं च मे अनमित्र च मेअभयं च मे मुखं च मे शयन च मे सृषाश्च में सुदिनं च मे यज्ञेन कल्पन्ताम।।
यदि पति से मनमुटाव के कारण दाम्पत्य जीवन दु:खपूर्ण हो गया है, तो सात गोमती चक्र, सात लघु नारियल, सात मोती शंख और थोडा-सा पीला वस्त्र लें। फिर पति जब निद्रालीन हो तो सभी सामग्री को पति के ऊपर से उतररकर जलती होलिका में फेंक दें। पति से मनमुटाव दूर होकर दाम्पत्य सुख प्राप्त होगा। जो माता-पिता यह चाहते हैं कि उनका दाम्पत्य जीवन सदा सुखी रहे, तो फेरे से पहले पीले रंग के डोरे में पांच गांठें लगा कन्या के हाथ में बांध दें। यह डोरा कंगना को स्पर्श करता रहे। विदाई के समय गंगाजल में थोडी-सी पिसी हल्दी डालकर कन्या के ऊपर से सात बार उसारकर उसके आगे डाले और फिर डोरा खोलकर भगवती पार्वती के चरणों में जाकर रख आएं।
यदि पति के कारण पत्नी का दाम्पत्य जीवन पीडादायक सिद्ध हो रहा हो, तो पत्नी अपने हाथों से 11 बेसन के लड्डू, 2 आटे के पेडे, 3 केले तथा थोडी सी गीली चने की दाल किसी ऎसी गाय को खिलाएं जो अपने बछडे को दूध पिला रही हो। यदि किसी स्त्री को ऎसा लगे कि उसका दाम्पत्य जीवन छिन-भिन्न होने वाला है तो वह श्रावण मास में या किसी भी शुभ समय में 11 दिनो तक लगातार रूद्राष्टायायी द्वारा अभिषेक कराए। दाम्पत्य जीवन में प्रेम की वृद्धि के लिए पति द्वारा भोजन करने के बाद उसके बचे भोजन में से निवाला पत्नी अवश्य खाएं किंतु अपने बचे भोजन में से उसे न खाने दे।

विवाहिता स्त्री अपने दाम्पत्य सुख के निमित्त नित्य दुर्गा चालीस के पाठ के साथ उनके 108 नामों का जप भी अवश्य करें। जल में गुड डालकर सूर्यदेव का अƒर्य देने से भी दाम्पत्य जीवन सुख से भरपूर रहता है। यदि किसी की स्त्री यौन-तुष्टि न पाने के कारण पति से रूष्ट रहती हो और इस कारण उसे छोडने पर आमादा हो गई हो, तो पति शुक्लपक्ष के सोमवार को प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर श्रीशिव की उपासना करे तथा बुधवार के दिन हिजडे को सुहाग सामग्री दान कर कुछ दक्षिणा भी अर्पित करे। जो स्त्री शनिवार को चमेली के तेल का दीपक जलाकर श्रीसुंदर कांड का पाठ करती है, उसका दाम्पत्य जीवन सुखों से युक्त रहता है। यदि पति-पत्नी के बीच किसी न किसी बात को लेकर रोज ही झगडा होता हो तो दोनों ही इस उपाय को करें- शयनकक्ष में पति अपने तकिए के नीचे लाल सिंदूर रखे और पत्नी अपने तकिए के नीचे कपूर की टिक्की रख दें। प्रात: काल पति आधा सिंदूर घर में कहीं गिरा दे और आधा पत्नी की मांग में भर दे और पत्नी कपूर जलादें।
झगडा सदा के लिए समाप्त हो जाएगा। यदि पति नित्य केशर मिश्रित दूध का सेवन करे और पत्नी सदैव हाथों मेे सोेने की चूडियां पहने रखे, तो उनका दाम्पत्य जीवन सुख से कभी वंचित नहीं होगा। पत्नी प्रतिदिन प्रात: उठते ही सर्वप्रथम मुख्य द्वार पर एक लोटा जल डाले। स्नानादि के बाद पूजा-पाठ करे तथा मुख्य द्वार पर हल्दी से स्वस्तिक एवं ओम् का चिह्न बनाए। इस उपाय से इसके दाम्पत्य जीवन में सुख और शांति बनी रहती है। यदि घर में खाने-पीने की कोई वस्तु आए तो पहले उसे गृह मंदिर में अर्पित करें। इससे घर तथा दाम्पत्य जीवन सुखद रहता है।
शादी करना तो कुछ कठिन नहीं, परंतु पूरे जीवन भर उसे शांति और आनंद के साथ सफलतापूर्वक निबाहना वास्तव में बहुत अधिक त्याग और समझारी की मांग करता है। वैसे जो भी परेशानियां आती हैं, वे प्रारंभ में चंद वर्षो तक ही अधिक परेशान करती हैं। इस अवस्था में पति-पत्नी में सामंजस्य बनाए रखने में ये ताबीज बहुत अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निबाह करते हैं।
यदि पति-पत्नी दोनों ही तीनों में से किसी भी एक यंत्र का ताबीज बनाकर पहने तब तो तलाक तक आई हुई नौबत भी दूर हो जाती है। इन्हें तैयार करने की विधि भी उपरोक्त के समान है। सबसे अच्छा तो यह रहेगा कि आप इनमें से किसी भी एक को सोने के पतरे पर खुदवाकर गले में पहने जाने वाली चेन के लॉकेट के रूप में धारण करें।

नीम एक लेकिन इसके फायदे तो अनेक और बहुत प्रभावशाली है।

नीम एक बहुत ही अच्छी वनस्पति है जो की भारतीय पर्यावरण के अनुकूल है और भारत में बहुतायत में पाया जाता है। इसका स्वाद तो कड़वा होता है लेकिन इसके फायदे तो अनेक और बहुत प्रभावशाली है।

१- नीम की छाल का लेप सभी प्रकार के चर्म रोगों और घावों के निवारण में सहायक है।

२- नीम की दातुन करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।

३- नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और कांतिवान होती है। हां पत्तियां अवश्य कड़वी होती हैं, लेकिन कुछ पाने के लिये कुछ तो खोना पड़ता है मसलन स्वाद।

४- नीम की पत्तियों को पानी में उबाल उस पानी से नहाने से चर्म विकार दूर होते हैं, और ये खासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक है।

५- नींबोली (नीम का छोटा सा फल) और उसकी पत्तियों से निकाले गये तेल से मालिश की जाये तो शरीर के लिये अच्छा रहता है।

६- नीम के द्वारा बनाया गया लेप बालो में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं।

७- नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी (नेत्रशोथ या कंजेक्टिवाइटिस

८- नीम की पत्तियों के रस और शहद को २:१ के अनुपात में पीने से पीलिया में फायदा होता है, और इसको कान में डालने से कान के विकारों में भी फायदा होता है।

९- नीम के तेल की ५-१० बूंदों को सोते समय दूध में डालकर पीने से ज़्यादा पसीना आने और जलन होने सम्बन्धी विकारों में बहुत फायदा होता है।

१०- नीम के बीजों के चूर्ण को खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेने से बवासीर में काफ़ी फ़ायदा होता है।

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