दो पक्ष - कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष !
तीन ऋण - देव ऋण, पित्र ऋण एवं ऋषि त्रण !
चार युग - सतयुग , त्रेता युग ,द्वापरयुग एवं कलयुग !
चार धाम - द्वारिका , बद्रीनाथ, जगन्नाथपूरी एवं रामेश्वरम धाम !
चारपीठ - शारदा पीठ ( द्वारिका ),ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम), गोवर्धन पीठ (जगन्नाथपुरी ) एवं श्रन्गेरिपीठ !
चार वेद- ऋग्वेद , अथर्वेद, यजुर्वेद एवं सामवेद !
चार आश्रम - ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , बानप्रस्थ एवं संन्यास !
चार अंतःकरण - मन , बुद्धि , चित्त , एवं अहंकार !
पञ्च गव्य - गाय का घी , दूध , दही ,गोमूत्र एवं गोबर , !
पञ्च देव - गणेश , विष्णु , शिव , देवी और सूर्य !
पंच तत्त्व - प्रथ्वी , जल , अग्नि , वायु एवं आकाश !
छह दर्शन - वैशेषिक , न्याय , सांख्य, योग, पूर्व मिसांसा एवं दक्षिण मिसांसा !
सप्त ऋषि - विश्वामित्र ,जमदाग्नि ,भरद्वाज , गौतम ,अत्री , वशिष्ठ और कश्यप !
सप्त पूरी - अयोध्या पूरी ,मथुरा पूरी ,माया पूरी ( हरिद्वार ) , काशी ,कांची (शिन कांची .............................. .............................. ....
चार धाम - द्वारिका , बद्रीनाथ, जगन्नाथपूरी एवं रामेश्वरम धाम !
चारपीठ - शारदा पीठ ( द्वारिका ),ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम), गोवर्धन पीठ (जगन्नाथपुरी ) एवं श्रन्गेरिपीठ !
चार वेद- ऋग्वेद , अथर्वेद, यजुर्वेद एवं सामवेद !
चार आश्रम - ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , बानप्रस्थ एवं संन्यास !
चार अंतःकरण - मन , बुद्धि , चित्त , एवं अहंकार !
पञ्च गव्य - गाय का घी , दूध , दही ,गोमूत्र एवं गोबर , !
पञ्च देव - गणेश , विष्णु , शिव , देवी और सूर्य !
पंच तत्त्व - प्रथ्वी , जल , अग्नि , वायु एवं आकाश !
छह दर्शन - वैशेषिक , न्याय , सांख्य, योग, पूर्व मिसांसा एवं दक्षिण मिसांसा !
सप्त ऋषि - विश्वामित्र ,जमदाग्नि ,भरद्वाज , गौतम ,अत्री , वशिष्ठ और कश्यप !
सप्त पूरी - अयोध्या पूरी ,मथुरा पूरी ,माया पूरी ( हरिद्वार ) , काशी ,कांची (शिन कांची ..............................