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शनिवार, 6 अक्टूबर 2012

अपनी भारत की संस्कृति को पहचाने


अपनी भारत की संस्कृति को पहचाने नही तो कही खो जाएगी तो उसको मिलना मुश्किल आज हालत बताऊ तो अग्रेजो यहाँ पर आ कर अपने ऊपर अग्रेजी डाल दी उसी को पढ़ कर आप और हम महान समझते है इस ज्ञान मे कुछ नही है | अग्रेजी की वजह से आज बहुत वैज्ञानिक नही बन पा रहे है जब भारत मे हिंदी लागु हो जाएगी तब अपने वैज्ञानिक की संख्या बढ़ जाएगी |

आज अपनी संस्कृति को कोई हाथ भी नही लगाना चाहता भारत मे ऐसा ज्ञान है जो लुट कर ले गए थे आज भी अमेरिका शोध कर रहा है फिर भी कुछ समझ नही आया है जो समझ आया उसे अपने नाम कर दिया बस इतना फर्क उसको अग्रेजी या अन्य भाषा मे कर दिया है ---

दो पक्ष - कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष !

तीन ऋण - देव ऋण, पित्र ऋण एवं ऋषि त्रण !

चार युग - सतयुग , त्रेता युग , द्वापरयुग एवं कलयुग !

चार धाम - द्वारिका , बद्रीनाथ, जगन्नाथ पूरी एवं रामेश्वरम धाम !

चारपीठ - शारदा पीठ ( द्वारिका ), ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम), गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) एवं श्रन्गेरिपीठ !

चर वेद- ऋग्वेद , अथर्वेद, यजुर्वेद एवं सामवेद !

चार आश्रम - ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , बानप्रस्थ एवं संन्यास !

चार अंतःकरण - मन , बुद्धि , चित्त , एवं अहंकार !

पञ्च गव्य - गाय का घी , दूध , दही , गोमूत्र एवं गोबर , !

पञ्च देव - गणेश , विष्णु , शिव , देवी और सूर्य !

पंच तत्त्व - प्रथ्वी , जल , अग्नि , वायु एवं आकाश !

छह दर्शन - वैशेषिक , न्याय , सांख्य, योग , पूर्व मिसांसा एवं दक्षिण मिसांसा !

सप्त ऋषि - विश्वामित्र , जमदाग्नि , भरद्वाज , गौतम , अत्री , वशिष्ठ और कश्यप !

सप्त पूरी - अयोध्या पूरी , मथुरा पूरी , माया पूरी ( हरिद्वार ) , कशी , कांची ( शिन कांची - विष्णु कांची ) , अवंतिका और द्वारिका पूरी !

आठ योग - यम , नियम, आसन , प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान एवं समाधी !

आठ लक्ष्मी - आग्घ , विद्या , सौभाग्य , अमृत , काम , सत्य , भोग , एवं योग लक्ष्मी !

नव दुर्गा - शैल पुत्री , ब्रह्मचारिणी , चंद्रघंटा , कुष्मांडा , स्कंदमाता , कात्यायिनी , कालरात्रि , महागौरी एवं सिद्धिदात्री !

दस दिशाएं - पूर्व , पश्चिम , उत्तर , दक्षिण , इशान , नेत्रत्य , वायव्य आग्नेय ,आकाश एवं पाताल !

मुख्या ग्यारह अवतार - मत्स्य , कच्छप , बराह , नरसिंह , बामन , परशुराम , श्री राम , कृष्ण , बलराम , बुद्ध , एवं कल्कि !

बारह मास - चेत्र , वैशाख , ज्येष्ठ ,अषाड़ , श्रावन , भाद्रपद , अश्विन , कार्तिक , मार्गशीर्ष . पौष , माघ , फागुन !

बारह राशी - मेष , ब्रषभ , मिथुन , कर्क , सिंह , तुला , ब्रश्चिक , धनु , मकर , कुम्भ , एवं कन्या !

बारह ज्योतिर्लिंग - सोमनाथ , मल्लिकर्जुना , महाकाल , ओमकालेश्वर , बैजनाथ , रामेश्वरम , विश्वनाथ , त्रियम्वाकेश्वर , केदारनाथ , घुष्नेश्वर , भीमाशंकर एवं नागेश्वर !

पंद्रह तिथियाँ - प्रतिपदा , द्वतीय , तृतीय , चतुर्थी , पंचमी , षष्ठी , सप्तमी , अष्टमी , नवमी , दशमी , एकादशी , द्वादशी , त्रयोदशी , चतुर्दशी , पूर्णिमा , अमावश्या !

स्म्रतियां - मनु , विष्णु, अत्री , हारीत , याज्ञवल्क्य , उशना , अंगीरा , यम , आपस्तम्ब , सर्वत , कात्यायन , ब्रहस्पति , पराशर , व्यास , शांख्य , लिखित , दक्ष , शातातप , वशिष्ठ !



और हिन्दू धर्म में एक भ्रान्ति हैं कि ३३ करोड़ देवता होते हैं...क्युकी संस्कृत भाषा में कोटि का अभिप्राय करोड़ होता हैं.....जबकि......यहाँ कोटि का तात्पर्य....संख्यावाचक न होकर..श्रेणी या प्रकार हैं.....अतः कुल ३३ प्रकार के देवता हैं......

१२ आदित्य ....धाता..मित्र .अर्यमा.शक्र.वरुण.अंश.भग . विवस्वान .पूषा.सविता.त्वष्टा.एवं विष्णु..!

८ वसु हैं......धर.ध्रुव.सोम.अहः.अनिल.अनल...प्रत्युष...एवं..प्रभाष

११ रूद्र हैं...हर ,बहुरूप.त्र्यम्बक.अपराजिता.वृषाकपि .शम्भू.कपर्दी..रेवत ..म्रग्व्यध.शर्व..तथा.कपाली.

२ अश्विनी कुमार हैं.....कुल................१२+८+११+२=33

गर्व करो हिन्दू होने पर

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