प्राइवेट जाब में छुट्टी ले कर शादीयो मे पहुंचना उतना ही मुश्किल है
जितना
पुरानी फिल्मों में गवाह का कोर्ट पहुंचना होता था
😀😀😀😀😀😀😀😀®🅿
जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
प्राइवेट जाब में छुट्टी ले कर शादीयो मे पहुंचना उतना ही मुश्किल है
जितना
पुरानी फिल्मों में गवाह का कोर्ट पहुंचना होता था
😀😀😀😀😀😀😀😀®🅿
मैंने उसका कोई कार्य कर दिया..
बदले में उसने ..
धन्यबाद कहा..
मैंने कहा
असली धन्यबाद करना ही है तो..
5 व्यक्ति जो काँग्रेसी हों
उन्हें कांग्रेस को वोट ना देने को राजी करो... ..
सास बहू संबंध
कन्या दान के बाद अधिकार जमाना अनुचित है
अस कहि पग परि पेम अति सिय हित बिनय सुनाइ।
सिय समेत सियमातु तब चली सुआयसु पाइ।।
जरा विचार करें कि जिनकी सुकोमल पुत्री एक राजकुमार से विवाह के बाद वन - वन भटक रही है, कंद -मूल-फल भोजन कर रही है लेकिन कोई आपत्ति नहीं है।
विदेह राज जनक जी दहेज कम दिए थे कि उनकी पुत्री अयोग्य थी???
किसी से सुंदरता कम था क्या???
क्या सीता जी से भी ज्यादा कोई कष्ट करेंगी??
लेकिन उनके माता पिता कोई आपत्ति करते हैं??
अधिकार जमाते हैं????
किसी को दोष देते हैं????
अपनी प्रिय पुत्री के पति, सास, ससुर के प्रति गलत व्यवहार है???=
उनकी प्रिय पुत्री चित्रकूट में कुटिया में हैं लेकिन जब सुनयना जी को पुत्री सीता जी को अपने संग कुछ घड़ी के लिए अपने शिविर में ले जाना है तो वे पुत्री के सासु माँ से आदेश लेती हैं।
वे यह मान रही हैं कि कन्या दान के बाद अधिकार जमाना दान के महत्ता कम करना है।
मेरी प्यारी पुत्री अब जिनकी बहू है उनसे आदेश लेकर ही पुत्री को ले जाना उचित है।
वे अपनी प्रिय पुत्री के सासु माँ को चरण वंदन करती हैं और विनती करती हैं कि - सीता को अपने बचपन के सखियों , माताओं, स्वजनों से मिलने के लिए मेरे साथ जाने की आज्ञा दें। इसे स्वजनों से मिलने के बाद आपके सेवा में उपस्थित करूँगी।
वहाँ जाने पर कोई सीता जी के ससुराल को दोष नहीं देते बल्कि पिता को अपनी प्रिय पुत्री के आचरण पर गर्व होता है...
कोई आधुनिक युग जैसे ये कहने वाला नहीं है कि दहेज व्यर्थ गया
बड़े नालायक के यहाँ विवाह किए....आदि आदि
पिता गर्व से कहते हैं-
पुत्री! पवित्र किए कुल दोऊ। सुजस धवल जगु कह सब कोऊ।।
मेरी प्यारी बिटिया! मुझे तुम पर गर्व है।
तुमने ससुर कुल के साथ साथ पिता कुल भी गौरवान्वित कर दी। केवल मैं ही नहीं बल्कि सभी तुम्हारी प्रशंसा कर रहे हैं।
तुम जैसी महान बिटिया के पिता होने का मुझे गर्व है।
जिति सुरसरि कीरति सरि तोरी। गवनु कीन्ह बिधि अंड करोरी।।
गंगा जी जो त्रपथगामिनी हैं तो भूलोक के कुछ क्षेत्र में ही गमन की हैं । मात्र तीन लोक को पवित्र करने की क्षमता है लेकिन तुम्हारे कीर्ति रूपी निर्मल गंगा करोड़ों ब्रह्मांड में गमन कर पवित्र कर रही है।
मैं तुम्हारे पिता बन कर परम धन्य हूँ सीते ! मैं परम धन्य हूँ!!!!
वे अपनी प्रिय पुत्री के ससुराल का आदर करते हैं।
पुत्री के सास ससुर पर दोषारोपण नहीं करते।
उन्हें पुत्री के पति से भी कोई शिकायत नहीं है
बस यही कारण है कि...महान त्यागी विदेह वंश की कन्या महान आदर्श प्रस्तुत कर सकीं...
सती सिरोमनि सिय गुन गाथा।सोइ गुन अमल अनूपम पाथा।।
सीता जैसी महान बिटिया के माता पिता को शत् शत् नमन
सीताराम जय सीताराम
सीताराम जय सीताराम
बाप मरणासन्न अवस्था में पलंग पर पड़ा था।
दो भाई, ऐक बहन अंतिम समय अपने पिता के पास बैठे थे।
पिता ने तीनो से कहा- में तुम्हें कुछ सपने तुम्हारी आने वाली पीढियों के लिए कुछ देना चाहता था ,
तीनों संताने एक साथ बोली .............
पिता जी आपने सब तो दे दिया अब कुछ नही चाहिये........
पिताजी बोले - नही मुझे पता था की समय आने के पहले ही मेरे प्राण निकल जाएगे
इस लिए मेने पूजा घर मे मूर्ति के नीचे लिख कर रखा है, जो तुम्हारे और तुम्हारे परिवार का भविष्य सुधार देगा।।
इतना बोल पिताजी चिर निद्रा मैं लीन हो गये................
क्रिया कर्म के बाद याद आने पर बेटी पूजा घर में रखा कागज ला कर पढने लगी......
आखो में आसूं थे................
भाई ने पूछा क्या लिखा है बता....................
*पर्ची पर लिखा हुआ था*
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*"अब की बार मोदी सरकार"*🚩🚩
कई साल पहले एक बड़े कॉर्पोरेट हाउस ने बेंगलोर में *मैनेजमेंट गुरुओं* का एक सम्मेलन कराया था।
उसमे एक सवाल पूछा गया था।
*आप सफलतम मैनेजर किसे मानते हैं?*
विशेषज्ञों ने...
रोनाल्ड रीगन से नेल्सन मंडेला तक,
चर्चिल से गांधी तक,
टाटा से हेनरी फोर्ड तक,
चाणक्य से बिस्मार्क तक,
और न जाने कितने और नाम सुझाये।
पर ज्यूरी ने *कुछ और ही सोच* रखा था।
*सही उत्तर था* सफलतम प्रबंधक है...
*"एक आम गृहिणी ।"*
एक गृहिणी परिवार से किसी का *ट्रांसफर* नहीं कर सकती।
किसी को *सस्पेंड* नहीं कर सकती।
किसी को *टर्मिनेट* नहीं कर सकती।
और,
किसी को *अपॉइंट* भी नहीं कर सकती।
परन्तु फिर भी *सबसे काम करवाने की क्षमता* रखती है।
*किससे*, *क्या* और *कैसे* कराना है...
कब *प्रेम के राग* में *हौले से काम पिरोना* है...
और कब *राग सप्तक* पर *उच्च स्वर* में *भैरवी सुना क*र जरूरी कामों को अंजाम तक पहुंचाना है...
उसे पता होता है।
मानव संसाधन प्रबंधन का इससे बेहतर क्या उदहारण हो सकता है?
बड़े बड़े उद्योगों में भी कभी कभी इसलिए काम रुक जाता है क्योंकि *जरूरी फ्यूल* नहीं था या कोई *स्पेयर पार्ट* उपलब्ध नहीं था या कोई *रॉ मटेरियल* कम पड़ गया।
पर किसी गरीब से गरीब घर मे भी *नमक* _कम नहीं पड़ता_।
शायद बहुत याद करने पर भी आप को *वह दिन याद न आ पाए* जिस दिन *मां आपको खाने में* सिर्फ इसलिए कुछ नहीं दे पाई कि *बनाने को कुछ नही था* या *गैस खत्म* हो गई थी या *कुकर का रिंग* खराब हो गया था।
हर कमोबेशी और हर समस्या का *विकल्प* एक गृहिणी रखती है।
वो भी *बिल्कुल खामोशी* से।
*सामग्री प्रबंधन* एवं *संचालन*, संधारण प्रबंधन का इससे बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है ?
काम वाली बाई का बच्चा दुर्घटना का शिकार हो जाता है।
डॉक्टर बड़ा खर्च बता देता है, बाकी सब बगलें झांकने लगते हैं।
लेकिन वो फटाफट पुराने संदूको में छुपा कर रखे बचत के पैसे निकालती है।
कुछ गहने गिरवी रखती है।
कुछ घरों से सिर्फ साख के आधार पर उधार लेती है।
पर *पैसे का इंतजाम* कर ही लाती है।
*संकटकालीन अर्थ प्रबंध* का इससे बेहतर क्या उदाहरण हो सकता है?
निचले इलाकों में बेमौसम बारिश में घर मे पानी भरने लगे या *बिना खबर* अचानक चार मेहमान आ जाएं।
सब के लिए *आपदा प्रबंधन* की योजना रहती है उसके पास।
और...
सारे प्रबंधन के लिए पास में है बस कुछ आंसू और कुछ मुस्कान।
लेकिन...
जो सबसे बड़ी चीज होती है...
वो है...
जिजीविषा*, *समर्पण* और *प्रेम*।
सफल गृहिणी का *सबसे बड़ा संबल* होता है *सब्र*।
वही सब्र...
जिसके बारे में किसी ने बहुत सटीक कहा है...
*सब्र का घूंट दूसरों को पिलाना*
*कितना आसान लगता है*।
*ख़ुद पियो तो*,
*क़तरा क़तरा ज़हर लगता है*।
🙏
कई साल पहले एक बड़े कॉर्पोरेट हाउस ने बेंगलोर में *मैनेजमेंट गुरुओं* का एक सम्मेलन कराया था।
उसमे एक सवाल पूछा गया था।
*आप सफलतम मैनेजर किसे मानते हैं?*
विशेषज्ञों ने...
रोनाल्ड रीगन से नेल्सन मंडेला तक,
चर्चिल से गांधी तक,
टाटा से हेनरी फोर्ड तक,
चाणक्य से बिस्मार्क तक,
और न जाने कितने और नाम सुझाये।
पर ज्यूरी ने *कुछ और ही सोच* रखा था।
*सही उत्तर था* सफलतम प्रबंधक है...
*"एक आम गृहिणी ।"*
एक गृहिणी परिवार से किसी का *ट्रांसफर* नहीं कर सकती।
किसी को *सस्पेंड* नहीं कर सकती।
किसी को *टर्मिनेट* नहीं कर सकती।
और,
किसी को *अपॉइंट* भी नहीं कर सकती।
परन्तु फिर भी *सबसे काम करवाने की क्षमता* रखती है।
*किससे*, *क्या* और *कैसे* कराना है...
कब *प्रेम के राग* में *हौले से काम पिरोना* है...
और कब *राग सप्तक* पर *उच्च स्वर* में *भैरवी सुना क*र जरूरी कामों को अंजाम तक पहुंचाना है...
उसे पता होता है।
मानव संसाधन प्रबंधन का इससे बेहतर क्या उदहारण हो सकता है?
बड़े बड़े उद्योगों में भी कभी कभी इसलिए काम रुक जाता है क्योंकि *जरूरी फ्यूल* नहीं था या कोई *स्पेयर पार्ट* उपलब्ध नहीं था या कोई *रॉ मटेरियल* कम पड़ गया।
पर किसी गरीब से गरीब घर मे भी *नमक* _कम नहीं पड़ता_।
शायद बहुत याद करने पर भी आप को *वह दिन याद न आ पाए* जिस दिन *मां आपको खाने में* सिर्फ इसलिए कुछ नहीं दे पाई कि *बनाने को कुछ नही था* या *गैस खत्म* हो गई थी या *कुकर का रिंग* खराब हो गया था।
हर कमोबेशी और हर समस्या का *विकल्प* एक गृहिणी रखती है।
वो भी *बिल्कुल खामोशी* से।
*सामग्री प्रबंधन* एवं *संचालन*, संधारण प्रबंधन का इससे बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है ?
काम वाली बाई का बच्चा दुर्घटना का शिकार हो जाता है।
डॉक्टर बड़ा खर्च बता देता है, बाकी सब बगलें झांकने लगते हैं।
लेकिन वो फटाफट पुराने संदूको में छुपा कर रखे बचत के पैसे निकालती है।
कुछ गहने गिरवी रखती है।
कुछ घरों से सिर्फ साख के आधार पर उधार लेती है।
पर *पैसे का इंतजाम* कर ही लाती है।
*संकटकालीन अर्थ प्रबंध* का इससे बेहतर क्या उदाहरण हो सकता है?
निचले इलाकों में बेमौसम बारिश में घर मे पानी भरने लगे या *बिना खबर* अचानक चार मेहमान आ जाएं।
सब के लिए *आपदा प्रबंधन* की योजना रहती है उसके पास।
और...
सारे प्रबंधन के लिए पास में है बस कुछ आंसू और कुछ मुस्कान।
लेकिन...
जो सबसे बड़ी चीज होती है...
वो है...
जिजीविषा*, *समर्पण* और *प्रेम*।
सफल गृहिणी का *सबसे बड़ा संबल* होता है *सब्र*।
वही सब्र...
जिसके बारे में किसी ने बहुत सटीक कहा है...
*सब्र का घूंट दूसरों को पिलाना*
*कितना आसान लगता है*।
*ख़ुद पियो तो*,
*क़तरा क़तरा ज़हर लगता है*।
🙏
नाभी कुदरत की एक अद्भुत देन है
एक 62 वर्ष के बुजुर्ग को अचानक बांई आँख से कम दिखना शुरू हो गया। खासकर रात को नजर न के बराबर होने लगी।जाँच करने से यह निष्कर्ष निकला कि उनकी आँखे ठीक है परंतु बांई आँख की रक्त नलीयाँ सूख रही પરંતુ है। रिपोर्ट में यह सामने आया कि अब वो जीवन भर देख नहीं पायेंगे।.... मित्रो यह सम्भव नहीं है..
मित्रों हमारा शरीर परमात्मा की अद्भुत देन है...गर्भ की उत्पत्ति नाभी के पीछे होती है और उसको माता के साथ जुडी हुई नाडी से पोषण मिलता है અને और इसलिए मृत्यु के तीन घंटे तक नाभी गर्म रहती है।
गर्भधारण के नौ महीनों अर्थात 270 दिन बाद एक सम्पूर्ण बाल स्वरूप बनता है। नाभी के द्वारा सभी नसों का जुडाव गर्भ के साथ होता है। इसलिए नाभी एक अद्भुत भाग है।
नाभी के पीछे की ओर पेचूटी या navel button होता है।जिसमें 72000 से भी अधिक रक्त धमनियां स्थित होती है।अगर सारी धमनियों को जोड़ा जाए तो उनकी लम्बाई इतनी हो जायेगी कि पृथ्वी के गोलाई पर दो बार लपेटा जा सके।
नाभी में गाय का शुध्द घी या तेल लगाने से बहुत सारी शारीरिक दुर्बलता का उपाय हो सकता है।
1. आँखों का शुष्क हो जाना, नजर कमजोर हो जाना, चमकदार त्वचा और बालों के लिये उपाय...
सोने से पहले 3 से 7 बूँदें शुध्द घी और नारियल के तेल नाभी में डालें और नाभी के आसपास डेढ ईंच गोलाई में फैला देवें।
2. घुटने के दर्द में उपाय
सोने से पहले तीन से सात बूंद इरंडी का तेल नाभी में डालें और उसके आसपास डेढ ईंच में फैला देवें।
3. शरीर में कमपन्न तथा जोड़ोँ में दर्द और शुष्क त्वचा के लिए उपाय :-
रात को सोने से पहले तीन से सात बूंद राई या सरसों कि तेल नाभी में डालें और उसके
चारों ओर डेढ ईंच में फैला देवें।
4. मुँह और गाल पर होने वाले पिम्पल के लिए उपाय:-
नीम का तेल तीन से सात बूंद नाभी में उपरोक्त तरीके से डालें।
*नाभी में तेल डालने का कारण*
हमारी नाभी को मालूम रहता है कि हमारी कौनसी रक्तवाहिनी सूख रही है,इसलिए वो उसी धमनी में तेल का प्रवाह कर देती है।
जब बालक छोटा होता है और उसका पेट दुखता है तब हम हिंग और पानी या तैल का मिश्रण उसके पेट और नाभी के आसपास लगाते थे और उसका दर्द तुरंत गायब हो जाता था।बस यही काम है तेल का।
*घी और तेल नाभी में डालते समय ड्रापर का प्रयोग करें, ताकि उसे डालने में आसानी रहे।*
अपने स्नेहीजनों, मित्रों और परिजनों में इस नाभी में तेल और घी डालने के उपयोग और फायदों को शेयर करिये।
*कैसे करें निगेटिव थॉट्स को पॉजिटिव में कन्वर्ट ?*
*"हम जो सोचते हैं, वो बन जाते हैं"*
Law Of Attraction (LOA) अर्थात् आकर्षित करने का नियम कहता है कि हम जो भी सोचते हैं उसे अपने जीवन में आकर्षित करते हैं, फिर चाहे वो चीज अच्छी हो या बुरी।
उदाहरण के लिए: --- अगर कोई सोचता है कि वो हमेशा परेशान रहता है, बीमार रहता है और उसके पास पैसों कि कमी रहती है तो असल जिंदगी में भी ब्रह्माण्ड घटनाओं को कुछ ऐसे सेट करता है कि उसे अपने जिंदगी में परेशानी, बीमारी और तंगी का सामना करना पड़ता है।
वहीँ दूसरी तरफ अगर वो सोचता है कि वो खुशहाल है, सेहतमंद है और उसके पास खूब पैसे हैं तो LOA कि वजह से असल जिंदगी में भी उसे खुशहाली, अच्छी सेहत और समृद्धि देखने को मिलती है।
*“वास्तव में हम जो सोचते हैं, वो बन जाते हैं”*
“हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण हैं. विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं”
जो लोग LOA मानते हैं वे समझते हैं कि positive सोचना कितना ज़रूरी है…वे जानते हैं कि हर एक negative thought हमारी life को positivity से दूर ले जाती है और हर एक positive thought life में खुशियां लाती है।
और किसी ने कहा भी है, ”अगर इंसान जानता कि उसकी सोच कितनी पावरफुल है तो वो कभी निगेटिव नहीं सोचता !”
*पर क्या हमेशा positive सोचना संभव है ?*
यहीं पर काम आते हैं हमारे but लेकिन, किन्तु, परन्तु...
दोस्तों, वैसे तो ये शब्द ज्यादातर negative context में use होते हैं ..
आप लोगों को कहते सुन सकते हैं :
मैं सफल हो जाता लेकिन...
सब सही चल रहा था किन्तु...etc
पर हम इन शब्दों का प्रयोग negative sentences के अंत में करके उन्हें positive में convert कर सकते हैं।
*कुछ examples से समझते हैं :*
जैसे ही आपके मन में विचार आये, “दुनिया बहुत बुरी है ” तो आप इतना कह कर या सोच कर रुके नहीं,
तुरंत realize करें कि आपने एक negative sentence बोला है इसलिए तुरंत alert हो जाएं ..
और sentence को कुछ ऐसे पूरा करें----
”दुनिया बहुत बुरी है, लेकिन अब चीजें बदल रही हैं, बहुत से अच्छे लोग समाज में अच्छाई का बीज बो रहे हैं और सब ठीक हो रहा है “
*कुछ और examples देखते हैं :*
*मैं पढ़ने में कमजोर हूँ,*
लेकिन अब मैंने मेहनत शुरू कर दी है और जल्द ही मैं पढ़ाई में भी अच्छा हो जाऊँगा।
*मेरा boss बहुत bad है,*
पर धीरे -धीरे वो बदल रहे हैं और उनको ज्ञान भी बहुत है, मुझे काफी कुछ सीखने को मिलता है उनसे।
*मेरे पास पैसे नहीं हैं,*
लेकिन मुझे पता है मेरे पास बहुत पैसा आने वाला है, इतना कि न मैं सिर्फ अपने बल्कि अपने अपनों के भी सपने पूरे कर सकूँ।
*मेरे साथ हमेशा बुरा होता है,*
लेकिन मैं देख रहा हूँ कि पिछले कुछ दिनों से सब अच्छा अच्छा ही हो रहा है, और आगे भी होगा।
*मेरे बच्चे की शादी नहीं हो रही,*
परंतु अब मौसम शादीयों का है, भाग्य ने उसके लिए बहुत ही बेहतरीन रिश्ता सोच रखा होगा, जो जल्द ही तय होगा।
प्यारें दोस्तों, यहाँ सबसे महत्वपूर्ण बात है ये realize करना कि कब आपके मन में एक* Negative thought आई है और तुरंत alert हो कर ...
इसे “लेकिन” लगा कर positive में convert कर देना*
और ये आपको सिर्फ तब नहीं करना जब आप किसी के सामने बात कर रहे हो।
सबसे अधिक तो आपको ये अकेले रहते हुए अपने साथ करना है, आपको अपनी सोच पर ध्यान देना है, aware रहना है कि आपकी thoughts positive हैं या negative ??
और जैसे ही negative thought आये आपको तुरंत उसे positive में mould कर देना है।
और एक चीज आप इस बात की चिंता ना करें की आपने ‘लेकिन‘ के बाद जो लाइन जोड़ी है वो सही है या गलत,
आपको तो बस एक सकारात्मक वाक्य जोड़ना है, और आपका subconscious mind उसे ही सही मानेगा और ब्रह्माण्ड आपके जीवन में वैसे ही अनुभव प्रस्तुत करेगा !
ये तो आसान लग रहा है!!
हो सकता है ये आपको बड़ा simple लगे, कुछ लोगों के लिए वाकई में हो भी, पर maximum लोगों के लिए thoughts को control करना और उनके प्रति aware रहना चैलेंजिंग होता है।
इसलिए अगर आप इस तरीके को practice करते वक़्त कई बार negative thoughts को miss भी कर जाते हैं तो no need to worry…
जैसे तमाम चीजों को practice से सही किया जा सकता है वैसे ही thoughts को भी practice से positivity me Mold किया जा सकता है।👌👌👌💐
कांग्रेस द्वारा संविधान व सर्वोच्य न्यायालय के सम्मान के कुछ उदाहरण , जरूर पढिये और लोगो को पढ़ाइये।
आज कांग्रेस द्वारा राज्यसभा में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के विरुद्ध लाये गये महाभियोग के प्रस्ताव को जैसे ही राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने खारिज किया है वैसे ही उनके अध्यक्ष राहुल गांधी ने 'संविधान बचाओ' का नारा लगाया है और उनके अन्य नेता भारत की जनता को यह बताने में लग गये है की बीजेपी द्वारा मुख्य न्यायाधीश पर महाभियोग प्रस्ताव रद्द करने से संविधान को खतरा पैदा हो गया है।
आज कांग्रेसियों द्वारा संविधान व सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लेकर जो छटपटाहट दिख रही है उसका सिर्फ एक कारण है और वह यह कि पिछले 5 दशकों में यह पहली बार हुए है जब सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश कांग्रेस के प्रभाव से बाहर है। यह पहली बार हुआ है कि कांग्रेस के वकीलों और बेंच को फिक्स करने वाले वकीलों की ब्लैकमेलिंग व भृष्ट तरीके, सुप्रीम कोर्ट में नही चल पारहे है।
मुझे आज कांग्रेस का इस तरह रोना चीखना बेहद अच्छा लग रहा है क्योंकि मेरी यादाश्त में वे सारे अवसर अभी तक संग्रहित है जब पूर्व में कांग्रेस ने बार बार सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को तरोड मरोड़ा और उनको भारत का न्यायाधीश न बना कर कांग्रेस का न्यायाधीश बना कर छोड़ा था। जो कुछ भूल गया था वह आज टाइम्स ऑफ इंडिया के एक लेख को पढ़ कर फिर दे याद आगया है।
इसी कांग्रेस ने जब 1973 में जब जस्टिस ऐ. ऐन. राय को उनसे तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों जे एम शेलत, के एस हेगड़े और ऐय ऐन ग्रोवर को नजरअंदाज करके मुख्य न्यायाधीश बनाया था तब लोकसभा में बड़ी बेशर्मी से यह बयान दिया था कि,' यह हमारी सरकार का दायित्व है कि हम उसी को मुख्य न्यायाधीश बनाये जो हमारी सरकार की फिलॉसफी और द्रष्टिकोण के करीब है'।
जस्टिस राय ने कांग्रेस द्वारा उन पर किये गये इस उपकार का बदला आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों के हनन को 1976 के ऐतिहासिक केस एडीएम, जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ल मुकदमे में सही ठहरा कर किया था। इस केस में बहुमत से मौलिक अधिकारों को निलंबित करने के पक्ष में फैसला मुख्य न्यायाधीश ए एन राय, जस्टिस एच आर खन्ना, एम एच बेग, वाई वी चंद्रचूड़ और पी एन भगवती ने दिया था। जस्टिस खन्ना ही एक मात्र न्यायाधीश ने जिन्होंने इसको गलत ठहराया था। इसका दण्ड भी जल्दी ही उन्हें मिल गया जब जस्टिस खन्ना की वरिष्ठता को किनारे करते हुये उनसे कनिष्ठ एम एच बेग को मुख्य न्यायाधीश, इंद्रा गांधी की कांग्रेस की सरकार ने बनाया था।
जस्टिस बेग जब सेवानीवर्त हुये तब उनको कांग्रेस के अखबार नेशनल हेराल्ड का निदेशक बना दिया गया और फिर जब 1980 में इंद्रा गांधी की कांग्रेसी सरकार वापस आयी तो जस्टिस बेग को अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया गया और वे 1988 तक उस पड़ पर बने रहे। यही नही राजीव गांधी ने 1988 में बेग साहब को उनकी सेवा के लिये पद्मविभूषण से पुरस्कृत भी किया था।
कांग्रेस और जस्टिस बेग से भी ज्यादा मजेदार, कांग्रेस द्वारा बनाये गये न्यायाधीश बहरुल इस्लाम का है। ये इस्लाम साहब कांग्रेसी थे जिन्हें 1962 में कांग्रेस ने राज्यसभा का सदस्य बनाया था। 1967 में वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और हार गये तब 1968 में फिर राज्यसभा भेजे गये। 1972 में उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया और इंद्रा गांधी ने उनको गोहाटी हाईकोर्ट का न्यायाधीश बना दिया! ये वहां अपनी सेवानिवृति, मॉर्च 1980 तक न्यायाधीश रहे। जब इंद्रा गांधी फिर से 1980 में प्रधानमंत्री बनी तो उन्होंने सेवानिवृति प्राप्ति के 9 महीने बीत जाने के बाद भी, जस्टिस बहरुल इस्लाम को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बना दिया! जस्टिस इस्लाम ने कांग्रेसियों के खिलाफ मुकदमों में कानून और न्याय की ऐसी तैसी करके उन्हें बचाने में महारत हासिल थी। जस्टिस इस्लाम ने अपनी सेवानिवृति के डेढ़ महीने पहले ही इस्तीफा दिया और असम के बारपेटा से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा के चुनाव में खड़े हो गये थे। लेकिन असम की अशांति के चलते वहां जब चुनाव नही हो पाया तो कांग्रेस ने उनको तीसरी बार राज्यसभा का सदस्य बनाया था।
कांग्रेस की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को उनके हितों की रक्षा करने पर पुरस्कृत करने की परंपरा रही है और उसका अनुपालन राजीव गांधी में भी किया है। 1984 में हुये सिक्खों के नरसंहार की जांच के लिये जस्टिस रंगनाथ मिश्रा को राजीव गांधी ने नियुक्त किया था और उन्हें अपनी जांच में सिवाय पुलिस की लापरवाही के अलावा किसी भी कांग्रेसी का हाथ नही दिख था।इसका परिणाम यह हुआ कि उन्हें बाद में पुरस्कृत कर नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन का प्रथम अध्यक्ष बनाया गया। 1998 में कांग्रेस ने जस्टिस मिश्रा को राज्यसभा का सदस्य भी बनाया। यही नही 2004 में जब सत्ता में कांग्रेस की वापसी हुई तो जस्टिस रंगनाथ मिश्रा को नेशनल कमीशन फ़ॉर रिलीजियस एंड लिंगविस्टिक मिनोरटीएस का अध्यक्ष बनाया और फिर नेशनल कमीशन फ़ॉर शेड्यूल कास्ट एंड शेड्यूल ट्राइब का अध्यक्ष बनाया।
इतना ही नही भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस खरे को गोधरा कांड में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिप्पणियां करने पर उन्हें पद्मविभूषण से पुरस्कृत किया था। मामला यही तक सीमित नही है, कांग्रेस का न्यायाधीशों को महाभियोग से बचाने में भी योगदान रहा है। जब जस्टिस रामास्वामी पर भृष्टाचार के आरोप लगे थे और महाभियोग की कार्यवाही चली थी तब कपिल सिब्बल, जो आज मुख्य न्यायाधीश के विरुद्ध महाभियोग का प्रस्ताव सामने लाये है, उन्होंने जस्टिस रामास्वामी के पक्ष के वकील थे और जस्टिस रामास्वामी का बचाव किया था। सिर्फ यही नही, प्रशांत भूषण ने भी इस महाभियोग चलाने के औचित्य पर प्रश्न खड़ा करते हुऐ कहा था कि 'चंद कालीनों और सूटकेसों के खरीदने पर जस्टिस रामास्वामी पर महाभियोग चलाना बचकानी हरकत है'। जब जस्टिस रामास्वामी पर 14 आरोपो में 11 सही पाये गये तब कांग्रेस ने वोटिंग से अपने आपको अलग करके, रामास्वामी को सज़ा होने से बचाया था।
कांग्रेस का पूरा इतिहास सुप्रीम कोर्ट में अपने लोगो को न्यायाधीश बनाने वा अपने हितों की रक्षा के उपलक्ष में उनको पुरस्कृत करने का रहा है। आज जो कांग्रेस व कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण ऐसे वकीलों का जो आक्रोश व हताशा है वह इसी कारण से है की आज भारत के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा बैठे है जिन्होंने कांग्रेस के 10 जनपथ से सोनिया गांधी के इशारों को समझना बन्द कर दिया है। आज उनके अंदर यह डर भी बैठ गया है कि उनके पुराने पापों पर सुप्रीम कोर्ट के आगामी निर्णय कही उनको भारत की राजनीति से विलुप्त न कर दे। आज उनको सुप्रीम कोर्ट से विश्वास उठ गया है क्योंकि जस्टिस दीपक मिश्रा उनसे न ब्लैकमेल हो रहे है और न उनके प्रकोप से डर रहे है।