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गुरुवार, 19 सितंबर 2019

मोबाइल री डब्बी 😁जदीऊं या मोबाइल री डब्बी दुनिया में आईगी,

  मोबाइल री डब्बी  
जदीऊं या मोबाइल री
डब्बी दुनिया में आईगी,
बाळपणों,जवानी और
बुढापों सब ने खाईगी !
रिया किदा करम अणी
'जीओ' वाळें पूरा किदा,
पकड़े तो खावें,छोड़े तो जावें     
जस्या हालात पैदा किदा !
छोटा मोटा सब अणी में
कई केउं अतरां वेण्डा वेरियांं,
साल भर का बाळक टाबर
अणीने देख न छाना रेरियां  !
गूगल बाबा में छोरा छोरी
सर्च करवां में अतरा रमग्या ,
क अणां री किताबां के
पड़ी पड़ी के धुळा जमग्या  !
हाँ, माना अणी डब्बी में
हर तरे को ज्ञान गणों है,
सदुपयोग करे तो ठीक
दुजूं ईंको नुकसान गणों है  !
सड़क पे एक्सिडेन्ट वेग्यों
घायल जोर सूं वारां मेळरियां,
दवाखाने कोई नी ले जावें
जो वें जोई फोटों खींचरीयां  !
सब घर में भड़े भड़े बैठ्या
कोई कणीऊं नी बोलरियां,
ठाई नी पड़े हुता क जागरियां
सब अणी डब्बी में लागरियां!
हुतां बैठा,खाता-पिता
मोबाइल  चलाईरियां,
हामें थाळी की रोटियां
कुत्तरां      लेजाईरियां  !
फेसबुक  पे  नवां  नवां
यार  दोस्त  कबाडरियां,
हागी का रिश्तेदार बापडां
रामा सामी की वाट नाळरियां  !
यों  अस्यों  कस्यो  राक्षस
धरती पर छाने-छाने आईग्यों,
घड़ी, रेडियो, टेप, टार्च,टीवी
सबने वनाई चबायां खाईग्यो !
जीनें देखें जोई कानडां में तार
गाल न,धुन में माथो हलारियां,
यूं लागे जाणे यें वेण्डा वेग्या 
क यें माख्योंमाळ उडाईरियां !
राम गोपाल केवें गणों राखो मती
मोबाइल रा डाब्बा सूं थां  हेत,
भणणों, कमाणों भूल जावोंलां
यों तो है  जीवतो जागतो प्रेत !!

मंदिर में दर्शन के बाद बाहर सीढ़ी पर थोड़ी देर क्यों बैठा जाता है?

*प्र0-मंदिर में दर्शन के बाद बाहर सीढ़ी पर थोड़ी देर क्यों बैठा जाता है?*
उ0-बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि जब भी किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाएं तो दर्शन करने के बाद बाहर आकर मंदिर की पेडी या ऑटले पर थोड़ी देर बैठते हैं । क्या आप जानते हैं इस परंपरा का क्या कारण है?
आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर की व्यापार की राजनीति की चर्चा करते हैं परंतु यह प्राचीन परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई । वास्तव में मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर के हमें एक श्लोक बोलना चाहिए। यह श्लोक आजकल के लोग भूल गए हैं । आप इस लोक को सुनें और आने वाली पीढ़ी को भी इसे बताएं । यह श्लोक इस प्रकार है -
*अनायासेन मरणम् ,बिना देन्येन जीवनम्।*
*देहान्त तव सानिध्यम्, देहि मे परमेश्वरम् ।।*
इस श्लोक का अर्थ है *अनायासेन मरणम्* अर्थात बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो और हम कभी भी बीमार होकर बिस्तर पर पड़े पड़े ,कष्ट उठाकर मृत्यु को प्राप्त ना हो चलते फिरते ही हमारे प्राण निकल जाएं ।
*बिना देन्येन जीवनम्* अर्थात परवशता का जीवन ना हो मतलब हमें कभी किसी के सहारे ना पड़े रहना पड़े। जैसे कि लकवा हो जाने पर व्यक्ति दूसरे पर आश्रित हो जाता है वैसे परवश या बेबस ना हो । ठाकुर जी की कृपा से बिना भीख के ही जीवन बसर हो सके ।
*देहांते तव सानिध्यम* अर्थात जब भी मृत्यु हो तब भगवान के सम्मुख हो। जैसे भीष्म पितामह की मृत्यु के समय स्वयं ठाकुर जी उनके सम्मुख जाकर खड़े हो गए। उनके दर्शन करते हुए प्राण निकले ।
*देहि में परमेशवरम्* हे परमेश्वर ऐसा वरदान हमें देना ।
यह प्रार्थना करें गाड़ी ,लाडी ,लड़का ,लड़की, पति, पत्नी ,घर धन यह नहीं मांगना है यह तो भगवान आप की पात्रता के हिसाब से खुद आपको देते हैं । इसीलिए दर्शन करने के बाद बैठकर यह प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए । यह प्रार्थना है, याचना नहीं है । याचना सांसारिक पदार्थों के लिए होती है जैसे कि घर, व्यापार, नौकरी ,पुत्र ,पुत्री ,सांसारिक सुख, धन या अन्य बातों के लिए जो मांग की जाती है वह याचना है वह भीख है।
हम प्रार्थना करते हैं प्रार्थना का विशेष अर्थ होता है अर्थात विशिष्ट, श्रेष्ठ । अर्थना अर्थात निवेदन। ठाकुर जी से प्रार्थना करें और प्रार्थना क्या करना है ,यह श्लोक बोलना है।
जब हम मंदिर में दर्शन करने जाते हैं तो खुली आंखों से भगवान को देखना चाहिए, निहारना चाहिए । उनके दर्शन करना चाहिए। कुछ लोग वहां आंखें बंद करके खड़े रहते हैं । आंखें बंद क्यों करना हम तो दर्शन करने आए हैं । भगवान के स्वरूप का, श्री चरणों का ,मुखारविंद का, श्रंगार का, संपूर्णानंद लें । आंखों में भर ले स्वरूप को । दर्शन करें और दर्शन के बाद जब बाहर आकर बैठे तब नेत्र बंद करके जो दर्शन किए हैं उस स्वरूप का ध्यान करें । *मंदिर में नेत्र नहीं बंद करना । बाहर आने के बाद पैड़ी पर बैठकर जब ठाकुर जी का ध्यान करें तब नेत्र बंद करें और अगर ठाकुर जी का स्वरूप ध्यान में नहीं आए तो दोबारा मंदिर में जाएं* और भगवान का दर्शन करें । नेत्रों को बंद करने के पश्चात उपरोक्त श्लोक का पाठ करें।

मंगलवार, 17 सितंबर 2019

सम्पूर्ण विश्व पटल पर विख्यात, भारतवर्ष के यशस्वी श्री नरेन्द्र जी मोदी* (17/सितम्बर/2019)

सम्पूर्ण विश्व पटल पर विख्यात,
भारतवर्ष के यशस्वी प्रधान सेवक
*श्री नरेन्द्र जी मोदी* को आज
(17/सितम्बर/2019) उनके जन्म
दिन पर कोटि कोटि शुभकामनाएँ
🚩🚩🚩🚩🚩

रविवार, 15 सितंबर 2019

हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे है,खाने पीने की चीजों से भरे है..

हिंदी का थोडा़ आनंद लीजिये ....मुस्कुरायें ...
हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे है,
खाने पीने की चीजों से भरे है...
कहीं पर फल है तो कहीं आटा-दालें है,
कहीं पर मिठाई है, कहीं पर मसाले है ,
चलो, फलों से ही शुरू कर लेते है,
एक एक कर सबके मजे लेते है...
आम के आम और गुठलियों के भी दाम मिलते हैं,
कभी अंगूर खट्टे हैं,
कभी खरबूजे, खरबूजे को देख कर रंग बदलते हैं,
कहीं दाल में काला है,
तो कहीं किसी की दाल ही नहीं गलती है,
कोई डेड़ चावल की खिचड़ी पकाता है,
तो कोई लोहे के चने चबाता है,
कोई घर बैठा रोटियां तोड़ता है,
कोई दाल भात में मूसरचंद बन जाता है,
मुफलिसी में जब आटा गीला होता है,
तो आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाता है,
सफलता के लिए कई पापड़ बेलने पड़ते है,
आटे में नमक तो चल जाता है,
पर गेंहू के साथ, घुन भी पिस जाता है,
अपना हाल तो बेहाल है, ये मुंह और मसूर की दाल है,
गुड़ खाते हैं और गुलगुले से परहेज करते हैं,
और कभी गुड़ का गोबर कर बैठते हैं,
कभी तिल का ताड़, कभी राई का पहाड़ बनता है,
कभी ऊँट के मुंह में जीरा है,
कभी कोई जले पर नमक छिड़कता है,
किसी के दांत दूध के हैं,
तो कई दूध के धुले हैं,
कोई जामुन के रंग सी चमड़ी पा के रोई है,
तो किसी की चमड़ी जैसे मैदे की लोई है,
किसी को छटी का दूध याद आ जाता है,
दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक पीता है,
और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है,
शादी बूरे के लड्डू हैं, जिसने खाए वो भी पछताए,
और जिसने नहीं खाए, वो भी पछताते हैं,
पर शादी की बात सुन, मन में लड्डू फूटते है,
और शादी के बाद, दोनों हाथों में लड्डू आते हैं,
कोई जलेबी की तरह सीधा है, कोई टेढ़ी खीर है,
किसी के मुंह में घी शक्कर है, सबकी अपनी अपनी तकदीर है...
कभी कोई चाय-पानी करवाता है,
कोई मख्खन लगाता है
और जब छप्पर फाड़ कर कुछ मिलता है,
तो सभी के मुंह में पानी आ जाता है,
भाई साहब अब कुछ भी हो,
घी तो खिचड़ी में ही जाता है,
जितने मुंह है, उतनी बातें हैं,
सब अपनी-अपनी बीन बजाते है,
पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है,
सभी बहरे है, बावरें है
ये सब हिंदी के मुहावरें हैं...
ये गज़ब मुहावरे नहीं बुजुर्गों के अनुभवों की खान हैं...
सच पूछो तो हिन्दी भाषा की जान हैं...

चीन, पाक के हालात खराब हैं, जो मैं प्रामाणिकता के साथ साबित भी कर चुका हू।


*लेख जरा लम्बा है*
*जब समय हो, तब पूरा पढ़िएगा*
          लोग समझ रहे हैं कि 370 का प्रभाव सिर्फ भारत पर पङेगा मगर सच ये है कि इसका प्रभाव पूरे *दक्षिण एशिया* की कूटनीति पर पङेगा।
         इससे सबसे ज्यादा पाक और चीन प्रभावित होंगे और हो भी रहे हैं। 90% लोग शायद नहीं जानते कि चीन आज किन समस्याओं से घिरा है।
       मेरी नज़र में South Asia का सबसे अशांत इलाका आज चीन ही है मगर दौलत की चमक में उसकी अंदरूनी घबराहट या तो छुप जाती है या आम आदमी देख नहीं पा रहा है। मगर सच ये है कि शी जिंग पिंग की ऊँगली थाम कर चीन एक ऐसे रास्ते पर चल निकला है जिसका बर्बाद होना लगभग तय है।
       मोदीजी के बिछाये जाल में चीन ऐसा फँसा है कि उसकी चाँय चू भी ढंग से नहीं निकल पा रही है। इस भाग में यही रणनीति समझने की कोशिश करते हैं।
*1*    जिंगपिंग ने अपने व्यापार को बढ़ाने के लिये *CPEC* की नींव लगभग 7-8 साल पहले ये सोचकर डाली कि Gulf countries में U.S. को तगड़ी चुनौती देकर उसका दबदबा खत्म या कम कर देगा। उस कमाई के चंद टुकड़े वो पाक को भी डालता रहेगा।
      धीरे धीरे जैसे उसने हाँगकाँग और आसपास के छोटे छोटे देशों को निगला उसी तरह वो पाक को भी आसानी से निगल लेगा। अब बचते हैं भूटान, नेपाल जैसे देश जिन्हें मसलना उसके लिये मामूलो बात है।
      भारत में यू भी *गद्दारों और फट्टुओं (खान्ग्रेस) की सरकार* का ही दबदबा रहता है। अतः जितना हो सकेगा उसका भी हिस्सा दबा लेंगे। जैसे कभी *डरपोक  नेहरू* ने कैलाश मानसरोवर का हिस्सा अपने बाप का माल समझकर चीन को दे दिया था। खान्ग्रेस के शासन काल में चीन अरूणाचल पर अपना कब्जा बताता रहता था और फट्टू खान्ग्रेस वहाँ कभी सङक तक नहीं बना पाई थी। जबकि भारतीय शेर ने चीन की सीमा से मात्र 10 किलोमीटर दूर एयरपोर्ट बनवा दिया और चीन देखता रह गया।
         *असल में पासा तब पलट गया जब 2014 में मोदीजी की सरकार आ गयी*। चीन ने भूटान पर जब नज़र गड़ाई तो बड़े भाई की भूमिका में भारत आगे आ गया और डोकलाम में बिना एक भी गोली चलाये चीन की सारी हेकड़ी निकाल दी। *तब चीन ने बिकाऊ खान्ग्रेस को खरीदा*।
        आपको याद होगा कि *पप्पू चोरी चोरी चुपके-चुपके पिंकी और आनंद शर्मा के साथ* चीनी राजदूत से मिलने गये थे। पहले तो झूठ बोला, मगर जब फोटो सामने आये तो बोले हम तो डोकलाम पर स्थिति पता लगाने गये थे। जैसे मोदीजी के पास जाते तो वो दरवाजे पर से ही भगा देते।
      घर में जब अम्मीजान को उल्टियाँ हो रहो हों और कुछ खट्टा खाने का भी मन हो रहा हो तो सपूत पहला संपर्क अपने पिताश्री से करता है और कपूत पङोसी से। *जो पप्पू और पिंकी ने चीन से करके अपने Character का certificate स्वयं दे दिया*।
           उसके बाद राफेल का खेल चला ताकि जनता पप्पू n पिंकी की बातों में आ जाये और 2004 वाली गल्ती दोहरा दे, ताकि चीन को फिर खुला मैदान मिल जाये भारत की ज़मीन हङपने का। *मगर इस बार भारत की जनता ने बाल बराबर भी गल्ती नहीं की*। पप्पू और पिंकी के साथ  चीन के सारे षङयंत्रों पर पानी फेर दिया।
*2.*।  पाक की चटनी रोटी 90% इमदाद (भीख) के दम पर हो चलती है। P.M. बनने के कुछ समय बाद मोदीजी ने पहले तो बराक ओबामा को शीशे में उतारा और इमदाद में कटौतियाँ करवाते चले गये। यूं भी ओसामा के मारे जाने के बाद U.S. को भिखारियों (पाक) की जरूरत भी नहीं रह गयो थी अतः उसने धीरे धीरे हाथ खींचना शुरू कर दिया।
          फिर मोदीजी ने Gulf countries का रूख किया और *ईरान, कुवैत, सउदो अरब आदि को शीशे में उतारा* और पाक के आतंकवाद के सारे कच्चे चिट्ठे खोलना शुरू कर दिये। यू भी जनवरी 19 में ईरान पर जब एक आतंकी गुट ने हमला कर ईरान के कुछ सैनिकों की हत्या की और ईरानी जाँच में पाकिस्तानी लिंक सामने आया तो ईरान वैसे ही पाक से खार खा गया था। बची हुई कसर मोदीजी ने पाक के कुकर्म सामने रखकर जलती आग में शुद्ध घी के कनस्तर उङेल कर पूरी कर दी, तो आग ऐसी भङकी कि *OPEC के सारे देशों ने पाक को दूध में से मक्खी की तरह निकाल दिया*।
        इस तरह बड़ी चतुराई से मोदीजी ने *भूखा नंगा पाक या नाग चीन के गले में डाल दिया*।
         चीन ने पहले तो इसे अपने लिये Golden chance समझा और पाक को खूब पैसा दे देकर पाक पर अपनी पड़ मजबूत करना शुरू कर दी और सैंकड़ों करोड़ों खिला दिये। मगर बाद में चीन को ऐहसास हुआ कि वो *पाक में नहीं बल्कि किसी black hole में घुस गया है* जिसका कोई छोर ही नज़र नहीं आ रहा।
          तब चीन ने back gear डाला और भारत से बिगड़े रिश्ते सुधारने की कोशिश की। सुना है कि अगले महीने मोदीजी चीन जा ही रहे हैं।
*(3)* 
           370 हटने से पाक तो सकते में आ ही गया क्योंकि वो जिस कश्मीर को हथियाने के लिये *साँपों (हुर्रियत, मेहबूबा, अब्दुल्लाह और खान्ग्रेस) को* दूध पिला रहा था, मोदीजी ने 370 हटाकर उनके दाँत ही उखड़ दिये। मगर पाक के दिल में दहशत हमारे प्यारे मोटाभाईजी ने संसद में ये कहकर भर दी कि *जब मैं जम्मू कश्मीर कहता हू तो POK और अक्साई चीन भी उसमें शामिल हो जाता है*। तब से पाकी हुक्मरानों के साथ सेना के होश फाक्ता हैं कि हम तो मोदी को ही खतरनाक समझते थे मगर ये मोटाभाई तो उनसे भी ज्यादा खतरनाक हैं।
         पाक को उम्मीद अमेरिका व खाड़ी देशों से थी। *जबरन अपनी बेइज्जती कराते कराते और मैट्रो में ठोकर खाते खाते* जनाब बापजी (ट्रंप) की ड्योढ़ी पर तो पहुंच गये मगर ये क्या हुआ.... बापजी ने तो सबके सामने ये कहकर इमरान का पोपट ही बना दिया कि *मोदीजी ने मुझसे पिछले महीने कश्मीर पर मध्यस्थता करने को कहा था*।
          इमरान खुशी के मारे उछलते कूदते पाकिस्तान तो पहुंच गये मगर मोटाभाई जी ने ऐसा ऐटम बम गिराया कि पूरा पाक अभी तक सदमे में गा रहा है कि~
*दिल के अरमा आँसुओं में बह गये*,
*हम सपोलों (हुर्रियत, मेहबूबा, अब्दुल्लाह आदि) को खिला खिला के बर्बाद हो गये*

        उधर फारूक, उसका चौसा आम, मेहबूबा, हुर्रियत आदि जेलों में गुनगुना रहे हैं कि~
*चुपके चुपके आँसू बहाना याद है*,
*हम को अब तक दामादगिरी का वो ज़माना याद हैं*
          चीन की हवा इसलिये ज्यादा Tight है क्योंकि *CPEC का पहला द्वार अक्साई चीन से होता हुआ वाया POK और बलोचिस्तान से जाता है*।
          बलोच नेता सालों से आजाद होने के लिये उत्पात मचाये हैं। अब उन्हें मोदीजी का भी साथ मिल गया है तो उनके हौंसले बुलंद हैं।

          चीन ने करीब छः लाख करोङ का Investment CPEC पर कर रखा है, फिर भी अभी तक वो चालू नहीं हुआ है।  मतलब *कमाई नहीं चवन्नी की भी और दाँव पर लगे हैं घर के बर्तन तक*।
       इधर मोदीजी और मोटाभाई ने ऐसा बखेङा खड़ा कर दिया है कि चीन की समझ नहीं आ रहा कि पहले *अपना घर (अक्साई चीन) बचाऊँ या अपनी रखैल (पाक) का*।
       उधर शिंजियाँग प्रांत में चीन की दमनकारी नीतियों के कारण लावा अलग उबल रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि करीब 10 लाख के आसपास कट्टरपंथी मुल्ले भड़ बकरियों से भी बद्तर हालत में शिंजियाँग की जेलों में ठुसे पड़े हैं। अगर वो फट पड़े तो एक और नई मुसीबत खङी है।
         दूसरी तरफ हाँगकाँग चीन की दमनकारी नीतियों के कारण पिछले 11 हफ्तों से उबल रहा है। हाँगकाँग में हो रहे विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे।
          इधर ट्रँप ने भी दबे शब्दों में जिंगपिंग को धमका दिया है कि अगर हाँगकाँग में 89 जैसा खेल खेलने की कोशिश की गयी तो व्यापार पर बहुत बुरा असर पङेगा।
          चीन ने उत्तर कोरिया का तानाशाह *किम जोंग उन* अलग पाल रखा है जिससे आमदनी नहीं है एक रूपये की उल्टा खिलाना अलग पङ रहा है। क्योंकि वो चीन के इशारे पर आए दिन मिसाइल और परमाणु बमों का परीक्षण करता रहता था। आज उसके कब्जे में चीनी हथियारों का ज़खीरा है। चीन ने जरा भी आँख दिखाई और किम जोंग उन का दिमाग घूमा।
         यू भी वो सनकी soldier के नाम से पूरे विश्व में कुख्यात है। आम आदमी जरा खुद ये सोचे कि जिस उ. कोरिया पर सालों से भारी आर्थिक प्रतिबंध हैं, जिसकी जनता भूखों मर रही है उसके पास इतना पैसा और तकनोक आ कहाँ से रही है कि वो आए दिन परमाणु परीक्षण करता रहता है?? मतलब साफ है कि चीन किम जोंग उन के कंधे पर बंदूक रखकर हथियारों का जखीरा इकट्ठा कर रहा है ताकि विश्व की सबसे बड़ी महाशक्ति बन सके।
*(5)*
           भूखा नंगा पाक गले में पड़ा कहता है बापजी (ट्रंप) ने तो टुकड़े  डालने बंद कर दिये हैं। खाङी देशों से भी इमदाद कम हो गयी है। मोदी बार्डर पर सब कुछ भेज रहे हैं मगर 200% की ड्यूटी लगाकर अतः 30-40 रूपये किलो बिकने वाला टमाटर पाक में आकर  300-350 रूपये किलो बिक रहा है, जनता भयंकर गालियाँ दे रही है। कभी पाकी न्यूज चैनलों को देखिये कैसी कैसी गंदो गालियाँ मिल रही हैं इमरान को अतः चचा (चीन) अब तुम खिलाओ हमको, वर्ना CPEC भूल जाओ।
         *चचाजान (चीन) मजबूरी में कभी मसूद अज़हर को बचाते हैं, कभी Back door से पाक को खुश करने के लिये UNO में रूस, फ्रांस, जर्मनी के हाथों अपनी पतलून उतरवाते हैं और खाना भी खिलाते हैं वर्ना भुक्खङों का क्या भरोसा, ये किसी भो दिन अब्दुल या मोहम्मद से कहेंगे...छू.... और वो चीनी दूतावास या कैंप में जाकर फट जायेगा और चीनियों की सारी चाँय चू निकल जायेगी*।
       पाक अब CPEC के द्वारा चीन को करेगा जमकर "ब्लैक मेल"। चीन पाक में सख्ती दिखा नहीं सकता वर्ना पाकी सेना आतंकियों के माध्यम से CPEC को इतना नुकसान पहुचायेंगे, जिसकी भरपाई चीन कभी नहीं कर पायेगा। चप्पे चप्पे पर चीन अपनी फौज खड़ी कर नहीं सकता। अतः पाक को पालने के अलावा और कोई रास्ता चीन के पास मुझे तो नज़र नहीं आता।
*(6)*
             अमेरिका भी चीन के CPEC से परेशान है क्योंकि चीन का माल खाङी देशों में खपना शुरू हो गया तो U.S. की वर्षों से जमी जमाई धाक खतरे में पङ जायेगी या खाक में मिल जायेगा। सभी जानते हैं कि चीन और पाक की नाक में नकेल भारत ही डाल सकता है अतः वो सब पर्दे के पीछे से भारत का पूरा Support कर रहे हैं। तभी आप देखिये 370 हटाने के बाद पाक U.N. तक चला गया मगर सभी ने ये कहकर पल्ला झड़ दिया कि ये भारत का आन्तरिक मामला है।
        पाक के चक्कर में या जिंगपिंग के over confidence के चक्कर में कहें या फिर CPEC के चक्कर में अंबानी रेंक का बंदा (जिंगपिंग) सरे बाज़ार जी बी रोड वाली (पाक) को ऊँगली पकड़ाकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेइज्जत हो रहा है

         *और बेवकूफ हिन्दू कह रहे थे कि मोदी कर क्या रहा है! विदेश घूमते रहते हैं*। अरे महा-मूर्खों ये विदेश घूमने का ही परिणाम है कि इतना बड़ा निर्णय लेने के बाद भी विश्व समुदाय भारत के साथ खङा है।
*(7)*
        तिब्बत का आन्दोलन वर्षों से चल ही रहा है। हाँगकाँग में तेजी से बिगङते हालात पर अगर चीन सैन्य कार्यवाही करता है तो विश्व समुदाय की एक बङी लाॅबी चीन की हालत खराब कर देगी। जिसमें U.S., भारत, फ्राँस, रूस, जापान.... आदि कुछ देश सबसे आगे होंगे क्योंकि चीन ने अपनी बहुत दबंगई दिखाई है। अगर चीन सैन्य कार्यवाही नहीं करता तो ये आन्दोलन कुछ ही दिनों या हफ्तों में विकराल रूप लेगा, इसमें कोई शक नहीं है।
        एक तरफ पाक, दूसरी तरफ हाँगकाँग, तीसरी तरफ शिंजियाँग, चौथी तरफ तिब्बत, पाँचवी तरफ चीन विरोधी लाॅबी और छटवी तरफ छा रही वैश्विक आर्थिक मंदी। हर तरफ से चीन अब घिर गया है। ये आज की कड़वी सच्चाई है।
       अब सोचिये कि इस लेख की शुरूआत में मैंने जो कहा कि दक्षिण एशिया का सबसे अशांत इलाका चीन ही है तो क्या गलत है??
*(8)*
        अमेरिका  पिछले 2-3 सालों से अफगानिस्तान से निकलने के लिये बुरी तरह छटपटा रहा है मगर उसे एक भरोसेमंद साथो की तलाश है। पाक पर अमेरिका बाल बराबर भरोसा नहीं करेगा। ईरान से जबरदस्त पंगा चल रहा है। अब ऐसे में उम्मीद की किरण भारत पर ही आकर टिकती है क्योंकि भारत को आतंकवाद से निबटने का जबरदस्त अनुभव है‌। कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व भारत के पास मोदीजो के रूप में है। इसी की अमेरिका को सख्त जरूरत भी है ताकि वो अपने 15 हजार सैनिक अफगानिस्तान से निकाल सके।
        चीन, पाक के हालात खराब हैं, जो मैं प्रामाणिकता के साथ साबित भी कर चुका हू। मतलब साफ है कि लोहा गरम है और इसी  गरम लोहे पर मोदीजी व शाह की जोड़ी ने करारी चोट मारी है।

तुम कौन साले विराट कोहली या PV सिंधु हो जो तुम्हारी मौत पे हिंदुस्तान रोयेगा ?

शाह बानो का केस याद है ?
वो एक बूढ़ी M औरत थी ।
उसके पति ने उसे TTT दे दिया ।
उसने केस कर दिया । मेरे को गुज़ारा भत्ता दो ......
केस सुप्रीम कोर्ट तक गया ।
वो सुप्रीम कोर्ट से केस जीत गई । सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा , इस बूढ़ी तलाकशुदा औरत को गुज़ारा भत्ता दो ।
भाई जान लोग में तहलका मचा । ये तो सरेआम शriयत पे हमला था । खूब बमचक मची ।
राजीव गांधी की सरकार थी ।
उनके एक राजनैतिक सलाहकार थे ....... उन्ने उनको समझाया ....... अबे , एक सूअर नाली में पड़े रह के खुश है ....... उसको वहीं मज़े आ रिये हैं ...... कायकू उसको नाली से बाहर निकाल रिये हो ?????? उसको नाली से बाहर निकालने में अपने हाथ कायकू गंदे कर रिये हो ?????? पड़े रहने दो  वहीं पे .......
राजीव G के पास प्रचंड बहुमत था दोनों सदनों में , उन्ने कानून बना कर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल दिया ।
पड़े रहो नाली में .........
1 Sept 2019 को सुबह करीब 11 बजे मैं लखनऊ पहुंचा । अद्भुत नजारा था सड़कों पे ........ एक भी दुपहिया वाहन चालक बिना Halmet के सड़क पे नही दिख रहा था ।
5 दिन लखनऊ रह के जब पंजाब वापस आया तो ट्रेन से लोहियां खास नामक स्टेशन पे उतरा । छोटा सा कस्बा है । वहाँ एक भी व्यक्ति Halmet लगाए नही दिखा ।
आज दिन भर जालंधर में रहा । बड़ा शहर है । हर चौराहे पे Traffic Police खड़ी रहती है हमेशा । पूरे शहर में ज़्यादातर लोग बिना Halmet के ही चल रहे थे । लोग Car और Bike चलाते हुए फोन सुन रहे थे ।
Red Lights Jump कर रहे थे ।
पंजाब सरकार ने भी नए मोटर व्हीकल एक्ट को अपने यहाँ लागू करने से मना कर दिया है ।
ऐसी सभी सरकारें , जो नए मोटर व्हीकल एक्ट को लागू करने से इनकार करती हैं उनका संदेश अपनी जनता के लिए स्पष्ट है ........ मरो  ........ कुत्ते की मौत मरो सड़क पे ........
अमरेंद्र सिंह या योगी या अन्य कोई CM तो जब सड़क पे चलता है तो उसके लिए सड़क खाली करा ली जाती है ....... वो तो 5 करोड़ की bullet Proof बख्तरबंद गाड़ी में चलता है ....... उसका accident नही होना है सड़क पे ....... सड़क पे कुत्ते की मौत हमको आपको मरना है ........ उस दिन जब मेरा एक्सीडेंट हुआ तो पिछली रात की आंधी में गिरा पेड़ 24 घंटे बाद तक सड़क पे ही पड़ा था ....... उसकी चपेट में मैं आया ........ अमरेंद्र सिंह को उस सड़क पे आना होता तो क्या वो पेड़ वहीं पड़ा होता ........ जी नही रातों रात वो सड़क गड्ढा मुक्त हो गयी होती ........ पर चूंकि उसपे मुझे चलना था इसलिए मुझे मरने / मारने के लिये उस पेड़ को वहीं छोड़ दिया गया ......... वो तो मेरी किस्मत थी कि मैंने बाकायदे Halmet , Riding jacket , Gloves , Knee Guard सब पहना हुआ था इसलिए खरोंच तक नही आई ........ न पहना होता halmet तो वहीं on the Spot राम नाम सत्य हो गया होता ........
सरकार की मंशा स्पष्ट है ........ मरो ** के , कुत्ते की मौत मरो ....... पहनो चाहे न पहनो halmet ....... गाड़ी चलाते हुए फोन सुनो चाहे मुजरा देखो ....... दारू पी के चलाओ चाहे हेरोइन smack ...... हम क्यों नाराज़गी मोल लें पब्लिक की ....... जो सूअर नाली में पड़ा खुश है उसे निकालने में हम अपने हाथ और कपड़े क्यों गंदे करें ???????
तुम साले मर जाओगे , वो बहुत करेंगे तो एक Tweet कर कब अफसोस जता देंगे ........ उसके बाद सरकारी रिकॉर्ड में तुम बस एक आंकड़ा बन के दर्ज हो जाओगे ...... सिर्फ एक आंकड़ा ........ इस साल इतने मरे ......
Noida की उस IT Firm के उन Employees के नाम किसी को याद हैं जो उस दिन उस Ford Endeavour में मरे ????? वो लोग उस नई गाड़ी की joy ride लेने यमुना एक्सप्रेसवे पे गए थे । सबने दारू पी रखी थी और गाड़ी 150 Kmph पे भगा रहे थे ........ कुत्ते की मौत मरे ......... योगी जी को कोई फर्क पड़ा क्या ???? या अमरेंद्र सिंह को ???? या ममता बनर्जी को ??????
योगी जी अगला चुनाव भी जीत जाएंगे ।
तुम मरो कुत्ते की मौत ......... मत पहनो halmet , मत लगाओ seat belt , दारू पी के चलाओ , चलाते हुए फोन सुनो ........ बिना DL चलाओ ........ Enjoy your Freedom and Save your Money ........ कोई चालान नही होगा ........ 130 करोड़ हैं , तुम कौन साले विराट कोहली य्या PV सिंधु हो जो तुम्हारी मौत पे हिंदुस्तान रोयेगा ???????

शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे

- बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती,
हीरा मोत्या की जो होती,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। ------------------------------------------
जैल में जनम लेके घणो इतरावे,
कोई महला में जो होतो,
कोई अंगना में जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। --------------------------------------
देवकी रे जनम लेके घणो इतरावे, कोई यशोदा के होतो,
माँ यशोदा के जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। ----------------------------------------
गाय को ग्वालो होके घणो इतरावे,
कोई गुरुकुल में जो होतो
कोई विद्यालय जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। ----------------------------------------
गूज़रया की छोरियां पे घणो इतरावे,
ब्राह्मण बाणिया की जो होती,
ब्राह्मण बाणिया की जो होती,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। ----------------------------------------
साँवली सुरतिया पे घणो इतरावे,
कोई गोरो सो जो होतो,
कोई सोणो सो जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। -----------------------------------------
माखन मिश्री पे कान्हा घणो इतरावे,
छप्पन भोग जो होतो,
मावा मिश्री जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। ----------------------------------------
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे, कोई सोना की जो होती,
हीरा मोत्या की जो होती,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।
https://youtu.be/vF6uLCvfPlg

गुरुवार, 5 सितंबर 2019

बढ़ा_जुर्माना_और_सख्त_कानून_क्यों_जरूरी

#बढ़ा_जुर्माना_और_सख्त_कानून_क्यों_जरूरी :-
एक चमत्कारी लौंडा अपने घर से बाइक उठाकर निकला,
माँ को बोला फुटबॉल खेलने जा रहा हूँ।
कभी भागती बाइक का स्पीट मीटर देख रहा है,
कभी 90-100की रफ्तार से दौड़ती बाइक के शीशे में अपनी उड़ती जुल्फे देख रहा है।।
खैर 15 मिंट में ही बाइक ठेके पर जाकर रुक गई।
वहाँ पहले से मौजूद 2-3 याडी, लफाड़ियो से गले मिला और फिर पत्ती इकट्ठा होने लगी।
किसी ने 200 रुपे दिए किसी ने 300।
ठेके के बराबर में बनी कैंटीन/हत्थे पर महफ़िल सजी ।
दावत का दौर शुरू हुआ।
पीते पीते 4 आदमी 2 बोतल गटक गये,
बिल देते समय कैंटीन वाले से छोटा सा झगड़ा भी हुआ।
फिर बाहर निकले तो एक दोस्त ने एक स्पेशल माल(भांग-गांझे) वाली सिगरेट तैयार कर ली।
अब सुट्टा मारते मारते खोपड़ी भारी होने लगी,
इधर मोबाइल पर माँ के लगातार फोन आ रहे थे।
तो अब घर जाने की चिंता हुई,
दोस्तो तो टाटा-बाय बाय कहकर फिर से अपनी प्यारी बाइक स्टार्ट की और उसी गति से दौडा दी।
लेकिन इस बार अंतर ये था कि बाइक बिलकुल नागिन की तरह लहरे ले रही थी।
अपनी धुन में मस्त लौंडा जोर जोर से गाते हुए जा रहा था।
लेकिन ये क्या ?
अचानक बैलेंस बिगड़ गया और 90 कि स्पीड पर भागती बाइक दूसरी साइड से आ रही बाइक से जाकर भिड़ गई।
जोर की आवाज हुई, कहीं बम फटा हो जैसे।
दूसरी बाइक पर बैठी महिला सिर फट जाने के कारण तत्काल मौके पर मर गई।
उस महिला का पति हेलमेट होने के कारण बच तो गया लेकिन उसका एक पैर तो जैसे बस एक दो नसों पर ही रुका था, अलग होने को ही था।
उनके साथ जो एक या सवा साल का बच्चा रहा होगा वो दूर घास के ढेर पर पड़ा था लेकिन ठीक था,
और ये चमत्कारी लौंडा ?
लोग ढूंढ रहे थे कि उसका सिर कहाँ गया ?
पास में पड़े उसके मोबाइल पर अब भी माँ का फोन लगातार आ रहा था।
वो सोचती होगी कि मेरा बेटा रोनाल्डो को पछाड़कर अभी आ जायेगा।
लेकिन वो क्या जाने की नियमो को फुटबॉल की तरह उड़ाने वाले उसके लौंडे की गर्दन को नियति ने फुटबॉल की तरह उछाल दिया था।
वो तो गया ही गया लेकिन साथ ही,
एक नन्हे से मासूम से उसकी माँ को छीनकर ले गया।
उसकी किस्मत को छोड़ गया ताउम्र के लिए अपाहिज हो चुके बाप के हवाले।।
खैर, आपको बढ़े हुए जुर्माने से तकलीफ है तो हम पर कौनसा कोई दवाई है आपका दर्द मिटाने की।
आपका दर्द नियति मिटायेगी।।
जिसे पुलिस की रिश्वत की चिंता है वो या तो नियम न तोड़े या फिर जुर्माना दे।
कब तक ये देश आपकी मनमानी झेलेगा ?
(आप शेयर या कॉपी-पेस्ट करेंगे तो शायद किसी की आंख खुले)

बुधवार, 4 सितंबर 2019

बढ़ा_जुर्माना_और_सख्त_कानून_क्यों_जरूरी

#बढ़ा_जुर्माना_और_सख्त_कानून_क्यों_जरूरी :-🙋🙋
एक चमत्कारी लौंडा अपने घर से बाइक उठाकर निकला,
माँ को बोला फुटबॉल खेलने जा रहा हूँ।
कभी भागती बाइक का स्पीट मीटर देख रहा है,
कभी 90-100की रफ्तार से दौड़ती बाइक के शीशे में अपनी उड़ती जुल्फे देख रहा है।।
खैर 15 मिंट में ही बाइक ठेके पर जाकर रुक गई।
वहाँ पहले से मौजूद 2-3 याडी, लफाड़ियो से गले मिला और फिर पत्ती इकट्ठा होने लगी।
किसी ने 200 रुपे दिए किसी ने 300।

ठेके के बराबर में बनी कैंटीन/हत्थे पर महफ़िल सजी ।
दावत का दौर शुरू हुआ।
पीते पीते 4 आदमी 2 बोतल गटक गये,
बिल देते समय कैंटीन वाले से छोटा सा झगड़ा भी हुआ।

फिर बाहर निकले तो एक दोस्त ने एक स्पेशल माल(भांग-गांझे) वाली सिगरेट तैयार कर ली।

अब सुट्टा मारते मारते खोपड़ी भारी होने लगी,
इधर मोबाइल पर माँ के लगातार फोन आ रहे थे।
तो अब घर जाने की चिंता हुई,
दोस्तो तो टाटा-बाय बाय कहकर फिर से अपनी प्यारी बाइक स्टार्ट की और उसी गति से दौडा दी।
लेकिन इस बार अंतर ये था कि बाइक बिलकुल नागिन की तरह लहरे ले रही थी।

अपनी धुन में मस्त लौंडा जोर जोर से गाते हुए जा रहा था।

लेकिन ये क्या ?

अचानक बैलेंस बिगड़ गया और 90 कि स्पीड पर भागती बाइक दूसरी साइड से आ रही बाइक से जाकर भिड़ गई।

जोर की आवाज हुई, कहीं बम फटा हो जैसे।

दूसरी बाइक पर बैठी महिला सिर फट जाने के कारण तत्काल मौके पर मर गई।

उस महिला का पति हेलमेट होने के कारण बच तो गया लेकिन उसका एक पैर तो जैसे बस एक दो नसों पर ही रुका था, अलग होने को ही था।

उनके साथ जो एक या सवा साल का बच्चा रहा होगा वो दूर घास के ढेर पर पड़ा था लेकिन ठीक था,

और ये चमत्कारी लौंडा ?

लोग ढूंढ रहे थे कि उसका सिर कहाँ गया ?

पास में पड़े उसके मोबाइल पर अब भी माँ का फोन लगातार आ रहा था।

वो सोचती होगी कि मेरा बेटा रोनाल्डो को पछाड़कर अभी आ जायेगा।
लेकिन वो क्या जाने की नियमो को फुटबॉल की तरह उड़ाने वाले उसके लौंडे की गर्दन को नियति ने फुटबॉल की तरह उछाल दिया था।

वो तो गया ही गया लेकिन साथ ही,

एक नन्हे से मासूम से उसकी माँ को छीनकर ले गया।

उसकी किस्मत को छोड़ गया ताउम्र के लिए अपाहिज हो चुके बाप के हवाले।।

खैर, आपको बढ़े हुए जुर्माने से तकलीफ है तो हम पर कौनसा कोई दवाई है आपका दर्द मिटाने की।

आपका दर्द नियति मिटायेगी।।

जिसे पुलिस की रिश्वत की चिंता है वो या तो नियम न तोड़े या फिर जुर्माना दे।

कब तक ये देश आपकी मनमानी झेलेगा ?

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मां के साथ मेरी लाश को निपटाकर ही जाओ

पिता का पुत्र के नाम पत्र .....
लखनऊ के एक उच्चवर्गीय बूढ़े पिता ने अपने पुत्रों के नाम एक चिट्ठी लिखकर खुद को गोली मार ली। चिट्टी क्यों लिखी और क्या लिखा। यह जानने से पहले संक्षेप में चिट्टी लिखने की पृष्ठभूमि जान लेना जरूरी है।
पिता सेना में कर्नल के पद से रिटार्यड हुए । वे लखनऊ के एक पॉश कॉलोनी में अपनी पत्नी के साथ रहते थे। उनके दो बेटे थे। जो सुदूर अमेरिका में रहते थे। यहां यह बताने की जरूरत नहीं है कि माता-पिता ने अपने लाड़लों को पालने में कोई कोर कसर नहीं रखी। बच्चे सफलता की सीढ़िंया चढते गए। पढ़-लिखकर इतने योग्य हो गए कि दुनिया की सबसे नामी-गिरामी कार्पोरेट कंपनी में उनको नौकरी मिल गई। संयोग से दोनों भाई एक ही देश में,लेकिन अलग-अलग अपने परिवार के साथ रहते थे।
एक दिन अचानक पिता ने रूंआसे गले से बेटों को खबर दी। बेटे! तुम्हारी मां अब इस दुनिया में नहीं रही । पिता अपनी पत्नी के लाश के साथ बेटों के आने का इंतजार करते रहे। एक दिन बाद छोटा बेटा आया, जिसका घर का नाम चींटू था। पिता ने पूछा  चिंटू मुन्ना क्यों नहीं आया। मुन्ना यानी बड़ा बेटा। छोटे बेटे के मुंह से एक सच निकल पड़ा। उसने पिता से कहा कि मुन्ना भईया ने कहा कि मां की मौत में तुम चले जाओ। पिता जी मरेंगे, तो मैं चला जाऊंगा।
कर्नल साहब ( पिता) कमरे के अंदर गए। उन्होंने  चंद पंक्तियो का एक पत्र लिखा। जो इस प्रकार था-
प्रिय बेटों
          मैंने और तुम्हारी मां ने बहुत सारे अरमानों के साथ तुम लोगों को पाला-पोसा। दुनिया के सारे सुख दिए। देश-दुनिया के बेहतरीन जगहों पर शिक्षा दी। जब तुम्हारी मां अंतिम सांस ले रही थी, तो मैं उसके पास था।वह मरते समय तुम दोनों का चेहरा एक बार देखना चाहती थी और तुम दोनों को बाहों में भर कर चूमना चाहती थी। तुम लोग उसके लिए वही मासूम मुन्ना और चिंटू थे। उसकी मौत के बात उसकी लाश के पास तुम लोगों का इंतजार करने लिए मैं था। मेरा मन कर रहा था कि काश तुम लोग मुझे ढांढस बधाने के लिए मेरे पास होते। मेरी मौत के बाद मेरी लाश के पास तुम लोगों का इंतजार करने के लिए कोई नहीं होगा। सबसे बड़ी बात यह कि मैं नहीं चाहता कि मेरी लाश निपटाने के लिए तुम्हारे बड़े भाई को आना पड़े। इसलिए सबसे अच्छा यह है कि मां के साथ मेरी लाश को निपटाकर ही जाओ।
                                                                                    तुम्हारा.
                                                                                            पिता
कमरे से ठांय की आवाज आई। कर्नल साहब ने खुद को गोली मार ली।
यह क्यों हुआ, किस कारण हुआ? कोई दोषी है या नहीं। मैं इसके बारे में कुछ नहीं कहना चाहता।
हां यह काल्पनिक कहानी नहीं। पूरी तरह सत्य घटना है। व्यक्ति विशेष के नाम को मैंने हटा दिया है।

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