जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020
आने वाले 20 वर्षो में मारवाड़ीयों के घरों से कुछ रिश्ते हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे
बुधवार, 14 अक्टूबर 2020
अगर पुलिस किसी मामले में पूछताछ के लिए किसी को बुलाए तो कौन सी बातें याद रखना जरूरी है?
भारतीयों को अपने अधिकारों के बारे में, खास कर के न्यायिक और मौलिक अधिकारों के बारे में ना ही सही जानकारी रहती है, और न ही उन्हें उसे जानने की इच्छा रहती है। इसको लेकर कोई जागरूकता भी फैलाया भी नहीं जाता। हमारे देश में इसलिए पुलिस का डर सबको बहुत रहता है। इसमें लोगों की पूरी गलती नहीं है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि पुलिस सामान्य पूछताछ पर लोगों को बहुत परेशान करता है। साक्ष्य या पूछताछ के लिए इसलिए आम नागरिक राज़ी नहीं होते।
भारतीय पुलिस( हर कोई नहीं), लेकिन बहुत स्थानों पर अपने क्रूरता और अधिकारों के उल्लंघन हेतु प्रसिद्ध है।
इस तस्वीर को तीन साल पहले हरभजन सिंह जी ने ट्वीट किया था जनता और भारत के शासक वर्गों को पुलिस का यह रूप दिखाने हेतु। इस तस्वीर में एक साथ कितने अधिकार और नियम हनन हो रहे हैं, देखिए -
- महिला पर पुरुष पुलिस हाथ नहीं उठा सकता।
- सरेआम पुलिस ऐसे मार नहीं सकता, चाहे वो महिला हो या पुरुष, जब तक देश में ज़रूरी कालीन परिस्थिति न हो या फिर धारा 144 न लगा हो।
लेकिन हर वक्त ऐसा नहीं होता। कुछ सामान्य बातों में पुलिस अगर पूछताछ के लिए बुलाए तो फिर लोगों को अपने अधिकारों और दायित्व के बारे में संपूर्ण जानकारी रखते हुए ही जाना चहिए।
- जब तक एक लिखित समन नहीं आता आपको पुलिस थाने जाने पर मजबूर नहीं कर सकतीं।
- पुलिस के पास जाने से पहले आप अपने साथ अपने वकील को ले जा सकते हैं। पूरी पूछताछ के समय आप के वकील आपके सहायता कर सकते हैं। पुलिसकर्मी उन्हें मना नहीं कर सकतें।
- आपको कोई साक्ष्य या प्रमाण देने के पुलिस मजबूर नहीं कर सकते। अगर वे ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ आप केस दर्ज़ कर सकतेंं हैं।
- अगर आप एक महिला हैं तो सिर्फ एक महिला पुलिस अधिकारी ही आपको हात लगा सकतीं हैं। और आपको शाम ६ से सुबह ६ के बीच थाने पर बुलाया नहीं जा सकता। अगर बात कुछ गंभीर हो तो फिर वो लिखित वारंट के साथ मजिस्ट्रेट द्वारा लिखित पर्ची देकर ही ऐसा किया जा सकता है।
- वहां साधारण बात के लिए जाने पर भी दो चीज़ों की मांग की जाएं।इंस्पेक्शन मेमो (जिसमें यह प्रमाण रहता है कि आप थाने जाने से पहले कैसे दिख रहे थे।) और अगर आपको अरेस्ट किया जाता है तो फिर अरेस्ट मेमो की डिमांड कीजिए। इसमें सब रहेगा क्यों से लेकर कौन साक्ष्य तक।
- आप थाने से घर या किसी को फोन ज़रूर कर सकते हैं। आपके पास फोन न हो तो भी आपको पुलिस स्टेशन में फोन की सुविधा दिया जाना अनिवार्य है।
- अगर आप एक एफआईआर दर्ज़ करना चाहते हैं और पुलिस ऐसा करने से मना कर देतीं है, तो यह एक अपराध है। इसमें पुलिस को जेल भी हो सकतीं है।
- पुलिस आपको कुछ भी कार्य अपने मर्ज़ी के खिलाफ करने मजबूर नहीं कर सकतीं। बेहतर है आप अपने साथ अपने परिवार या दोस्त से किसी को लेकर जाए।
अभी बस इतना याद आ रहा है, बाकी और याद आने पर इसमें जोड़ते जाएंगे।
यहां पर कोई धारा, आर्टिकल आदि नाम नहीं लिखे क्योंकि यह सब संविधान और आईपीसी से ही आया है।
कोई भ्रष्टाचारी पुलिस वाला अगर फ़ालतू में परेशां करे तो हमें क्या करना चाहिए?
मैं मीडिया में सक्रिय रहा हूं इसलिए कुछ बाते बताना चाहूंगा जो मैंने देखी।
व्यवहारिक उपाय:
फालतू
में पुलिसवाला कभी तंग नहीं करता आम तौर पर पुलिस वाले शरीफ आदमी पर कभी
हाथ नहीं डालते। हाँ ये हो सकता है कि कोई पीड़ित आदमी किसी मामले में फंसकर
पुलिस के चक्कर में आता है तब बात सिर्फ 'फालतू' नहीं रहती। यहां अवश्य
'भ्रष्टाचारी पुलिस वाला' पीड़ित को तंग करता है। तो उससे निपटना वाकई टेढी
खीर है क्योंकि आपको इस संबंध में आवश्यक मदद किस स्तर पर जाकर मिलेगी इसका
कोई निश्चित नहीं है। हो सकता है कि उसके बिल्कुल ऊपर वाले अधिकारी से
मिले या complaint को होम मिनिस्ट्री तक ले जाना पड़े।
पुलिस हमेशा कमजोर को तंग करती है और यही संसार का नियम है कि हर कोई कमजोर पर हावी होना चाहता है। पंजाबी में एक कहावत का अर्थ है कि कमजोर इंसान की पत्नी सबकी भाभी होती है। भीड़ में भी जो सीधा , या कमजोर या अच्छे कपड़े वाला नहीं हो पुलिस सबसे पहले उसी की पिटाई चालू करती है ताकि अच्छे प्रोफ़ाइल दिखने वाले लोग दूर रहे और पुलिस को सबक ना सीखा पाए। ज्यादातर अनपढ़, काम चलाऊ पोशाक पहने हुए, डरपोक दिखने वाले लोग , बेहद कमजोर युवा लोग पुलिस के निशाने पर आते हैं। तेज तर्रार बोलने वाली महिला से भी पुलिस वाले नहीं उलझते।
अब बात आती है कि हर कोई तुरंत शक्तिशाली कैसे बने? बहुत समय लगता है। शक्ति के अर्थ में तो सभी निर्बल हैं।
शहर में या ग्राम में शक्ति के कुछ केंद्र होते हैं जिनसे आप अपना काम निकाल सकते हैं। ये हैं:
राजनीति से जुड़े हर तरह के लोग चाहे वह कार्यकर्ता ही हो।
पत्रकार चाहे कितना ही छोटे अखबार का हो, पुलिस उससे नहीं उलझती है।
वकील पुलिस को भी कानून सीखा सकता है इसलिए दोनों एक दूसरे से नहीं उलझते।
कोई भी संस्था, संगठन हो इनको पुलिस इज्जत देती है।
पांच आदमी साथ मिलकर थाने चले जाओ, आपकी बात सुनी जाएगी। मगर एक आदमी प्रभाव वाला हो।
आजकल सोशल मीडिया भी एक ताकत बन कर उभरा है। ऐसी घटना को रिकॉर्ड करके पुलिस थाने और पुलिस कप्तान तक पहुंचा दो, आपको हल मिल जाएगा। ।
इनमें से किसी से मिलकर अपनी समस्या बता दीजिए। कोई न कोई आपकी समस्या हल कर देगा।
मैंने पत्रकारिता के दौरान बहुत से लोगों की निस्वार्थ मदद की थी। हमारी कालोनी में एक परिवार रहता था। उनका लड़का मेरा मित्र था। एक दिन उसने मुझे बताया कि कई साल हो गए। उसकी शादी का पलंग व अलमारी आदि एक फर्नीचर वाला दे नहीं रहा और दाम दुगुने तिगुने लगाए बैठा है।
हर कोशिश कर ली जो मेरा दोस्त कर सकता था। पुलिस भी सुनवाई नहीं कर रही थी। मैंने उसे एक कागज पर थानाधिकारी के नाम छोटा सा संदेश लिख कर दिया। नीचे मेरे हस्ताक्षर और मोहर लगा दी। याद आया उन दिनों मैं एक पार्टी का छात्र नेता भी था।
मैं बात को भूल गया। कुछ दिन बाद मेरा दोस्त मिला। वह खुश था । उसका सामान आसानी से पुलिस वाले ने दिला दिया।
दरअसल पुलिस आजकल मनी और पॉवर की बात ही समझती है। अगर दो विरोधी पक्ष एक धन लेकर और दूसरी पॉवर लेकर पुलिस के सामने आ जाए तो यहां थोड़ा संशय आ जाता है। पुलिस इस स्थिति में भी बीच का रास्ता निकाल लेती है। सबसे पहले नौकरी की रक्षा करेगी, फिर अपना पैसा पक्का करने की पूरी कोशिश करेगी और फिर बीच का रास्ता निकलेगी और दोनों पक्षों को संतुष्ट कर देगी। अगर फिर भी एक पक्ष नहीं मानता तो प्रभावशाली लोगों से बैठकें चलेंगी और विरोधी को संतुष्ट करने का पूरा प्रयास चलेगा। ऐसे में अगर पीड़ित कोई कमजोर व्यक्ति है तो उसको फेवर में लेकर सब लोग अपना लाभ उठाएंगे। रिपोर्ट दर्ज भी हो जाती है तो भी कार्रवाई ना के बराबर चलेगी। जैसे निर्भया मामले में हो रहा है जिस पर कई प्रभावशाली धडों की राजनीति चल रही है और यह मामला कुछ लोगों की नाक का सवाल बना हुआ है और फुटबाल का खेल जैसा हो रहा है। युक्तियां ढूंढी जा रही है। वकील लाभ उठा रहे हैं और कई अदृश्य पक्ष मैदान में डटे हैं। खैर, यह तो एक राजनीतिक मामला बन गया है। छोटे लेवल पर बात करें तो निर्बल इंसान की अधिकतर कोई सुनवाई नहीं होती। मनी या किसी की पॉवर का साथ लेना पड़ता है।
कहने का सार यह है कि परेशान होने की बजाय इसे टाले नहीं। उचित माध्यम से इसका हल करें। माध्यम मैंने ऊपर बता दिए हैं।
पुलिस द्वारा पुलिस पॉवर का गलत इस्तेमाल का रिपोर्ट कहा करे?
पुलिस द्वारा पुलिस पॉवर का गलत इस्तेमाल का रिपोर्ट कहा करे ?
ऐसे किस्से हम बहुत सुनते है और बहुत से लोग है जो की जानते नहीं है की ऐसे पारिस्थिति में क्या करे और किसको रिपोर्ट करे!
पुलिस द्वारा अपने पॉवर का गलत इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए भारतीय सर्वोच्य नायालय ने प्रकाश सिंह और दुसरे वर्सेज भारत सरकार AIR 2006 SCC1 केस में यह आदेश दिया की सभी राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण(Police Complaint Authority) का गठन करे !
पुलिस शिकायत प्राधिकरण पुलिस के द्वारा शक्ति के गलत इस्तेमाल से संबधित जो शिकायते मिलता है उसकी सुनवाई करेगा और प्रथम दृश्य अगर कोई शक्ष्य मिलता है तो उस पुलिस अधिकारी के खिलाफ जाँच करके प्रशासन को उस पुलिस अधिकारी के खिलाफ :
- फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट (FIR) करने या
- विभागीय अनुशाश्निक करवाई करने का अनुशंसा कर सकता है
- किसी व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत
- किसी व्यक्ति को पुलिस कर्मी द्वारा IPC की धरा 320 में परिभाषित कोई गंभीर चोट
- पुलिस कर्मी द्वारा बलात्कार या बलात्कार की कोशिश करना
- पुलिस कर्मी द्वारा अपने संज्ञान में आये अपराध का FIR नहीं करना
- पुलिस कर्मी द्वारा अपने अधिकारों का किया गया गंभीर दुरूपयोग
- पुलिस कर्मी द्वारा विधि स्थापित प्रक्रिया की बिना किसी ब्यक्ति की गिरफ्तारी या कैद
- पुलिस कर्मी द्वारा जबरन पैसे की वसूली
- पुलिस कर्मी द्वारा किसी की जमीन या घर हथिया लेना
किसी भी झूठी एफआईआर से बचने के लिए धारा 482 के तहत आपके ये अधिकार हैं #falseFIR
Say two words to police, all will be done
#Section482 #Saytwowordstopolice #falseFIR #highcourt #lawyer
धारा 482 के तहत हैं आपके ये अधिकार
इस धारा का आप इस्तेमाल करके किसी भी झूठी एफआईआर से बचने के लिए कर सकते
हैं। इसके लिए आपको वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में प्रार्थनापत्र भेजना
होगा। इसके साथ आप ये बात बता सकते हैं कि आपके खिलाफ जो FIR लिखवाई गई है
वो गलत है इसके साथ आप अपनी बेगुनाही के सबूत भी दे सकते हैं। प्रार्थना
पत्र के साथ वीडियो रिकॉर्डिंग, ऑडियो रिकॉर्डिंग, फोटोग्राफ्स,
डॉक्युमेंट्स जैसे दस्तावेज कोर्ट को भेजें।
अमूमन देखा जाता है कि लोगों
को चोरी, मारपीट, बलात्कार या किसी दूसरे मामले में झूठा फंसाया जाता है।
इस तरह के झूठे FIR से बचने के लिए आप हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। आपको
बता दें कि हाईकोर्ट में जब तक केस का फैसला नहीं आ जाता पुलिस आपके खिलाफ
कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती। इसके अलावा, आपको गिरफ्तार भी नहीं
किया जा सकता है। इस धारा के तहत कोई भी व्यक्ति जो बेगूनाह है बच सकता है।
हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद आपको अपनी बेगूनाही के जरुरी
दस्तावेज भी जमा करने होंगे। यह धारा ऐसे लोगों को FIR और इसके बाद होने
वाली कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए ही बनाया गया है।
Section 482
You can use this section to avoid any false FIR. For this, you have to
send a petition in the High Court through a lawyer. With this you can
tell you this that the FIR that has been written against you is wrong
and you can also give evidence of your innocence. Send documents like
video recordings, audio recordings, photographs, documents along with
the request letter to the court.
It is commonly seen that people are
falsely implicated in theft, assault, rape or any other case.
You can appeal in the High Court to avoid such a false FIR. Tell you
that the police can not take any legal action against you unless the
decision of the case is not reached in the High Court. Apart from this,
you can not even be arrested. Under this section any person who is
absent is able to escape. After filing petition in the High Court, you
will also need to submit the necessary documents of your absconding.
This section is designed to prevent such people from avoiding FIR and
subsequent legal proceedings.
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आपकी इस पट्टी का फायदा उठाकर...#सनीलियोनि जैसी पोर्नस्टार को आपके घर तक पहुंचा दिया गया उसे आपके बच्चों का रोल मॉडल बना दिया गया
नया स्मार्टफोन लेते समय यह 7 बाते आवश्य याद रखिये
1)प्रोसेसर
आजकल स्मार्टफोन एडवांस होते जा रहे हैं. प्रॉसेसर एक बहुत महत्वपूर्ण पार्ट है स्मार्टफोन का. आपका बजट के नुसार प्रोसेसर चुनाना बहुत जरूरी है.
Low budget phone मे - snapdragon 400 series
Midrange मे - snapdragon 600 series
Upper mid-range मे - snapdragon 700 series
Flagship budget मे - snapdragon 800 series
का चुनाव करे एसके साथ mediatek or exenos के प्रोसेसर
की तरफ़ आप देख सकते हैं. मेरे सूजाव से आप snapdragon का processor चुनाव करे.
2)कैमरा क्वालिटी
नया फोन खरीदते समय उसका कैमरा जरूर चेक करें. अभी फोन में डबल, ट्रिपल और क्वाड कैमरे आ रहे हैं. कैमरे का मेगा पिक्सल देखाने का जगह उसकी इमेज quality देखें. नंबर्स के पीछे मत भागीये.
3)RAM और Storage
RAM और स्टोरेज के बारे में भी सही से जानकारी रखे. फोन में RAM लेते समय कमसे कम. 4gb ram or 64rom का चुनाव करे. आप के बजट के अनुसार आप स्टोरेज option कम ज्यादा कर सकते है.
4)डिस्प्ले क्वालिटी
नया फोन लेते समय डिस्प्ले रिजॉल्यूशन जरूर देखें.
अगर आपका बजट कम हैं तो फिर भी आप Fhd+ का चुनाव करे और बजट जादा हो तो आप Amoled + डिस्प्ले का चुनाव करे. और डिस्प्ले protection के लीये gorilla glass का चुनाव करे.
5)डिजाइन
फोन का पहला लुक डिजाइन होता है . आपके फोन का डिजाइन अच्छा होगा होनाही चाहिए. आप अच्छी डिज़ाइन के लीए ग्लास back के तरफ जा सकते हैं. और भी option मोजूद है.
6) बैटरी
फोन में दमदार बैटरी होनी चाहिए. नया फोन लेने की प्लानिंग कर रहे हैं तो battery पर विशेष ध्यान दे. क्यू की फ़ोन की battery ही फोन का साथ निभाती है.
7)चार्जिंग स्पीड
Battery के साथ चार्जिंग स्पीड भी जरुरी है. आप फास्ट चार्जर वाला ही फोन ले. मार्केट मे fast charge, vooc charge, wrap charge, dash charge यह ऑप्शन अविलैबल है.
मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020
किन बॉलीवुड अभिनेत्रियों ने शादी के बाद अपना करियर खत्म किया?
1. आसिन थोट्टुमकल
1. ASIN ने 2016 में भारत के सीईओ राहुल शर्मा के साथ विवाह बंधन में बंधे। उसके बाद, उसने कोई नया सत्यापन नहीं किया। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लिखा, "मेरे सभी मीडिया मित्रों के लिए, जिन्हें अभी भी संदेश नहीं मिला है, मैं एक बार फिर से दोहरा रही हूं कि मैंने कोई भी संशोधन लेना बंद कर दिया है और अपनी शादी से पहले की सभी प्रतिबद्धताओं को। अपने ब्रांड एंडोर्समेंट सहित खुद ही लपेट लिया है। लोगों से अनुरोध करें कि वे मेरे स्पष्टीकरण के बारे में धारणा बनाना बंद कर दें और इस स्तर पर काम न करें। शादी से पहले ही यह घोषणा की गई थी। "
2. ट्विंकल खन्ना
इन दिनों वह श्रीमती फनीबोन्स के नाम से लोकप्रिय हैं। उन्होंने 2001 में अक्षय कुमार से शादी करने के बाद सिल्वर स्क्रीन छोड़ दी। उन्होंने खुद को एक इंटीरियर डिजाइनर और एक लेखक के रूप में स्थापित किया है।
3. बबिता
4. अमृता अरोड़ा
उनकी शादी 2009 में एक बिजनेसमैन शकील लदाक से हुई। तब से वह अपने वैवाहिक आनंद का आनंद ले रही है। वह अब दो अज़ान और रयान की माँ है।
5.मंदाकिनी
90 के दशक के लोग केवल उस जादू के बारे में जानते हैं जो उसने दर्शकों पर डाला था। उन्होंने 1990 में एक बौद्ध भिक्षु से शादी की। वह अपने परिवार के साथ मुंबई में रहती हैं और योग कक्षाएं संचालित करती हैं।
6.नम्रता शिरोडकर
वह फिर से 90 के दशक की एक बहुत प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं। हमने उसे वास्तु, दुल्हन और पक्षपात आदि जैसी लोकप्रिय फिल्मों में देखा, उसने 2005 में टॉलीवुड अभिनेता महेश बाबू से शादी की और उद्योग छोड़ दिया। उन्होंने 1993 में फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीता।
7.मीनाक्षी शेषाद्री
उन्होंने 80 के दशक के अंत में बॉक्स ऑफिस पर राज किया। उसने एक निवेश बैंकर हरीश मैसूर से शादी की और अमरीका चली गई। वह अपने परिवार के साथ खुश है और भारतीय नृत्य रूपों को सिखाती है।
8. भाग्यश्री
वह एक चीनी सिरप है। वह 90 के दशक के हर दूसरे आदमी का क्रश था। मेन प्यार किया में अपनी पहली भूमिका करने के बाद वह सुर्खियों में आईं। उन्होंने 19 वर्ष की आयु में अभिनेता हिमालय से शादी कर ली। उसने कहा था कि उसने अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति के लिए अपना करियर बलिदान किया।
9. सोनाली बेंद्रे
सोनाली एक दिवा, मजाकिया और फैशनेबल है। उन्होंने कई सुपर हिट फिल्मों में काम किया। उन्होंने 2002 में गोल्डी बहल से शादी की। उनकी शादी के बाद, उन्हें केवल कुछ फिल्मों में अतिथि के रूप में देखा गया
10. सायरा बानो
उसने अपने आकर्षण और कौशल से भारतीयों का दिल जीत लिया। उन्होंने 1966 में दिलीप कुमार से शादी की। उन्होंने अपने करियर का बलिदान दिया ताकि वह दिलीप के साथ एक खुशहाल वैवाहिक जीवन जी सकें क्योंकि वह अपने समय के बहुत प्रसिद्ध अभिनेता थे।
छवि स्रोत ; गूगल तस्वीरें
भगवान काल भैरव कौन हैं?
भैरव का अर्थ होता है भय का हरण कर जगत का भरण करने वाला। ऐसा भी कहा जाता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। भैरव भगवान शिव के गण और माता पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है।
उल्लेख है कि शिव के रूधिर से भैरव की उत्पत्ति हुई। बाद में उक्त रूधिर के दो भाग हो गए- पहला बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव।
मुख्यतः दो भैरवों की पूजा का प्रचलन है, एक काल भैरव और दूसरे बटुक भैरव। पुराणों में भगवान भैरव को असितांग, रुद्र, चंड, क्रोध, उन्मत्त, कपाली, भीषण और संहार नाम से भी जाना जाता है।
भगवान शिव के पांचवें अवतार भैरव को भैरवनाथ भी कहा जाता है। नाथ संप्रदाय में इनकी पूजा का विशेष महत्व है।
भैरव के चरित्र का भयावह चित्रण कर तथा घिनौनी तांत्रिक क्रियाएं कर लोगों में उनके प्रति एक डर और उपेक्षा का भाव भरने वाले तांत्रिकों और अन्य पूजकों को भगवान भैरव माफ करें। दरअसल भैरव वैसे नहीं है जैसा कि उनका चित्रण किया गया है। वे मांस और मदिरा से दूर रहने वाले शिव और दुर्गा के भक्त हैं। उनका चरित्र बहुत ही सौम्य, सात्विक और साहसिक है।
उनका कार्य है शिव की नगरी काशी की सुरक्षा करना और समाज के अपराधियों को पकड़ कर दंड के लिए प्रस्तुत करना। जैसे कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जिसके पास जासूसी कुत्ता होता है। उक्त अधिकारी का जो कार्य होता है वही भगवान भैरव का कार्य है।
🙏🔱#_जय_बाबा_काल_भैरव_जी🔱🚩
मंदिरों में मौजूद देवता के अंदर प्राण प्रतिष्ठा वास्तव में काम करती है?
निम्न लिखित फोटो वाला मंदिर नाड़ी गणपति के नाम से जाना जाता है, इसके नाम के पीछे एक कारण है।
एक बार पूजनीय एवम् आदरणीय श्री मौनस्वामी ( नीचे उनकी छवि है) को सिद्धि विनायक की एक बड़ी मूर्ति स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया गया था, इसलिए वह आवश्यक अनुष्ठान कर रहे थे और उन्हें प्राण प्रतिष्ठा करनी थी, यह अश्व विनायक के तहत सिद्धि विनायक की एक बड़ी मूर्ति है।
जब पूज्य एवं आदरणीय श्री मौनस्वामी ने प्राणप्रतिष्ठा प्रक्रिया शुरू की, तो कुछ नास्तिकों ने यह कहते हुए मज़ाक करना शुरू कर दिया कि कोई कैसे पत्थर की मूर्ति में जान डाल सकता है। तब पूज्य एवं आदरणीय श्री मौनस्वामी ने उन्हें कहा कि वे डॉक्टर को जाँच के लिए बुलाएँ।
सर आर्चबल्ड एडवर्ड नी ब्रिटिश गवर्नर थे जो इस कार्यक्रम में वीआईपी के रूप में आए थे और वह भी यह सब सुन रहे थे और देख रहे थे।
इन नास्तिकों ने एक ब्रिटिश चिकित्सक को एक नाड़ी के लिए मूर्ति का परीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया। तब इस ब्रिटिश डॉक्टर ने किसी भी नाड़ी के लिए मूर्ति की जाँच की और कोई नाड़ी नहीं थी। तब पूज्य एवं आदरणीयश्री मौनस्वामी ने कहा, अब मैं प्राणप्रतिष्ठा प्रक्रिया करूँगा और फिर आप फिर से जाँच कर सकते हैं।
स्थापना समारोह के बाद, आरती के समय, यह भक्तों के विस्मय में पाया गया, कि मूर्ति मूर्त थी और मूर्ति की चाल भी दिखाई दे रही थी। इसके अलावा, मनुष्यों की तरह, मूर्ति (नाड़ी) के पल्स के साथ दिल की धड़कन भी स्पष्ट रूप से देखी गई थी। ब्रिटिश चिकित्सक और यहां तक कि नास्तिकों ने अच्छी तरह से जांच की और नाड़ी को उनके स्टेथोस्कोप के माध्यम से स्पष्ट रूप से पाया। तिरुनेलवेली जिले से आए भूवैज्ञानिकों ने मूर्ति का परीक्षण किया और अजीब घटना की पुष्टि की। यह पल्स कुछ घंटों तक बना रहा और फिर पूज्य एवं आदरणीय श्री मौनस्वामी ने बताया कि यह अब बंद हो जाएगा और यह बंद हो गया।
कोई भी चिकित्सक या नास्तिक जिन्होंने मूर्ति का परीक्षण नहीं किया, वे इसे समझा सकते थे, उन्होंने इसे विज्ञान से परे स्वीकार किया।
एक पाठक की टिपण्णी::: स्वामी मठ, कोर्टालम, तेनकासी, तमिलनाडु में है। यह एक खूबसूरत जगह है जिसमें बहुत सारे झरने हैं। मुझे पता है कि वहां एक नाडी गणपति मंदिर है जिसे सिद्धेश्वरा गणपति मंदिर भी कहा जाता है।
मुझे लगता है कि लेखक ... प्रशांत द्वारा। … इस नाडी गणपति का जिक्र है…
अनुवाद सौजन्य : कोरा लेखक ::प्रशांत. के
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