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रविवार, 10 अक्टूबर 2021

पांच प्रकार की तुलसी का अर्क का सेवन करने से कई समस्याओं से निजात पाई जा सकती है।

5 तरह की तुलसी से मिलेंगे 10 ऐसे-ऐसे लाभ कि आप दंग रह जाएंगे 


हिन्दू धर्म में तुलसी को मां लक्ष्मी का रूप मानकर घर के आंगन में पूजनीय स्थान दिया जाता है। लेकिन इसके अलावा भी तुलसी के वैज्ञानिक व आयुर्वेद की दृष्टि से कई लाभ मिलते हैं। इस अनमोल पौधे के कुल 5 प्रकार होते हैं, जो स्वास्थ्य से लेकर वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। 
तुलसी मुख्यतः 5 प्रकार की होती है.

    श्याम तुलसी या कृष्ण तुलसी / काली तुलसी
    राम तुलसी
    विष्णु तुलसी या श्वेत तुलसी
    वन तुलसी
    नींबू तुलसी


तुलसी के पांचों प्रकारों को मिलाकर इनका अर्क निकाला जाए, तो यह पूरे विश्व की सबसे प्रभावकारी और बेहतरीन दवा न सकती है। एक एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी- बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फ्लू, एंटी-बायोटिक, एंटी-इफ्लेमेन्ट्री व एंटी डिजीज की तह कार्य करने लगती है। जानिए इस अनमोल दवा के यह बेशकीमती फायदे -
 1. पांच प्रकार की तुलसी का अर्क निकालकर इसके मिश्रण का सेवन करने से कई समस्याओं से निजात पाई जा सकती है। एक ग्लास पानी में एक या दो बूंद अर्क मिलाकर इस मिश्रण को 1 लीटर पानी में डालकर रखें और कुछ देर बाद इसका सेवन करें। पीने के पान में इसका प्रयोग कर रोगाणुओं से बचा जा सकता है।


2.पांच तुलसी का यह अर्क सैकड़ों रोगों में लाभदायक सिद्ध होता है। बुखार, फ्लू, स्वाइन फ्लू, डेंगू, सर्दी, खांसी, जुखाम, प्लेग, मलेरिया, जोड़ों का दर्द, मोटापा, ब्लड प्रेशर, शुगर, एलर्जी, पेट में कृमि, हेपेटाइटिस, जलन, मूत्र संबंधी रोग, गठिया, दम, मरोड़, बवासीर, अतिसार, आंख दर्द , खुजली, सिर दर्द, पायरिया, नकसीर, फेफड़ों की सूजन, अल्सर, वीर्य की कमी, हार्ट ब्लॉकेज आदि समस्याओं से एक साथ निजात दिलाने में सक्षम है।
3. यह मिश्रण एक बेहतरीन विष नाशक की तरह कार्य करती है। इसके रोजाना सेवन से शरीर से हानिकारक एवं अवांछित तत्व बाहर निकल जाते हैं और शरीर के आंतरिक अंगों की भी सफाई होती है। श्री तुलसी स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए बेहद कारगर उपाय है ।

4. इसके सेवन से लाल रक्त कणों में इजाफा होता है और हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है। एक बूंद श्री तुलसी का प्रतिदिन सेवन करने से पेट संबंधी बीमारियां धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं। वहीं गर्भवती महिलाओं में उल्टी की परेशानी होने पर भी यह लाभकारी है।
5. खांसी या जुकाम होने पर इसका प्रयोग शहद के साथ करना फायदेमंद होता है। गले में दर्द, मुंह में छाले, आवाज खराब होने पर या मुंह से दुर्गंध आने की स्थिति में इसकी एक बूंद मात्रा का सेवन भी बेहद कारगर साबित होगा। दांत का दर्द, दांत में कीड़ा लगना, मसूड़ों में खून आने जैसी समस्याओं में इसकी 4 से 5 बूंद पानी में डालकर कुल्ला करें।

6. शरीर की त्वचा जल जाने पर इसका रस लगाना लाभदायक है वहीं किसी विषैले जीव-जंतु के काटने पर इसे लगाने राहत मिलती है और जहर भी उतरता है। इसकी कुछ बूंदें शरीर पर लगाकर सोने से मच्छरों से बचा जा सकता है।
7. कान में दर्द होना या कान बहने जैसी समस्याओं में तुलसी का रस हल्का गुनगुना कर कान में डालने से फायदा होगा। वहीं नाक की समस्या या फोड़े–फुंसियां होने पर इसका गुनगुना रस डालने से लाभ होगा।

8. बालों में किसी भी प्रकार की समस्या जैसे- बाल झड़ना, सफेद होने पर इस रस को तेल में मलाकर लगाना लाभकारी होगा। वहीं जुएं य कीड़े होने पर रस की कुछ
बूंदें नींबू के रस में मिलाकर लगाएं और कुछ घंटों के बाद धो लें। इससे काफी लाभ होगा।
9. त्वचा की हर समस्या का समाधान है इसके पास। नींबू के रस के साथ इसे त्वचा पर लगाने से त्वचा की सफाई होगी और चेहरा दमकने लगेगा। सुबह और शम के वक्त चेहरे पर इसका इस्तेमाल करने पर कील, मुंहासे, दाग-धब्बे और झाइयों से निजात मिलेगी। इसे नारियल तेल के साथ लगाने से सफेद दाग भी ठीक हो जाता है।

10.वजन घटाने के लिए भी तुलसी बेहद काम की चीज है। इसके नियमित सेवन से आपका मोटापा तो कम होगा ही, यह कोलेस्ट्रॉल को कम कर रक्त के थक्के जमने से रोकती है। इससे हार्ट अटैक की संभावना भी कम होती है।

राम तुलसी और श्याम तुलसी में अंतर –

1) राम तुलसी सामान्यतः दिखने वाली तुलसी होती है, जिसके पत्ती हलके हरे रंग के होते हैं. राम तुलसी का पूजा आदि में अधिक प्रयोग होता है.

2) श्याम तुलसी या कृष्ण तुलसी (Black tulsi) एक ऐसी प्रजाति होती है, जिसकी पत्ती, मंजरी व शाखाएं बैंगनी-काले से रंग के दिखते हैं. सेहत की दृष्टि से श्यामा तुलसी आमतौर पर मिलने वाली राम तुलसी से ज्यादा फायदेमंद होती है.

3) राम तुलसी का बोटैनिकल नाम Ocimum sanctum है. श्यामा तुलसी का बोटैनिकल नाम Ocimum Tenuiflorum है.

4) राम तुलसी की तुलना में श्याम तुलसी का स्वाद ज्यादा तेज (Crisp & peppery) और गर्म महसूस होता है.

5) हरे पत्तों वाली राम तुलसी बच्चों के लिए और जामुनी रंग वाली श्यामा तुलसी जवान और बड़े उम्र लोगों के लिए अधिक लाभकारी होती है.
Shyam Tulsi or Krishna Tulsi
श्यामा तुलसी
श्यामा तुलसी के गुण – Shyam tulsi benefits in hindi 

– श्याम तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला, शरीर में गैस नाशक, टयूमर नाशक, शरीर के विषैलें पदार्थों का नाशक, तनाव दूर करने वाला, सिरदर्द नाशक होता है. ये तुलसी एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ट्यूबरक्लोसिस होती है.

– श्याम तुलसी या कृष्ण तुलसी मलेरिया बुखार, कॉलरा, उलटी आना, कान का दर्द, फेफड़े के रोग जैसे ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, डायबिटीज, ल्यूकोडर्मा, दांत का दर्द, कफ की समस्या का इलाज किया जाता है.
श्यामा तुलसी के फायदे और उपयोग – Kali Tulsi or Krishna Tulsi benefits in hindi 

बुखार ठीक करे – श्याम तुलसी का काढ़ा किसी भी तरह के बुखार को ठीक करता है. काढ़ा बनाने के लिए तुलसी के 8-10 पत्ते एक गिलास जितना पानी में उबालें. उबल जाने पर इसमें थोड़ा गुड़ मिला लें. पानी आधा हो जाये तो थोड़ा गुनगुना ठंडा करके पी लें.

स्टैमिना (दमखम) और इम्युनिटी बढाये – श्याम तुलसी स्टैमिना बढ़ाने में सहायक होता है. ये तुलसी मेटाबोलिज्म को सही बनाये रखता है और ठंडी के मौसम में होने वाले रोगों, इन्फेक्शन से सुरक्षा प्रदान करता है.

आँखों के लिए – काली तुलसी या कृष्ण तुलसी के पत्तों का रस पानी में मिलाकर धोने से आँखों की रौशनी तेज होती है.

महिलाओं के लिए श्याम तुलसी – औरतों में पानी आने की बीमारी ल्यूकोरिया में श्याम तुलसी या काली तुलसी का अधिक सेवन करें, जरुर फायदा होगा. मासिक स्राव या पीरियड में ब्लड ज्यादा आने पर भी काली तुलसी को पीसकर पानी में मिलाकर पीयें.

पेशाब की समस्या – पेशाब खुलकर न आता हो या बूँद-बूँद आता हो तो श्याम तुलसी या कृष्ण तुलसी का रस पियें.

मानसिक तनाव और एलर्जी से राहत – कृष्ण तुलसी (Kali Tulsi) का रस सभी प्रकार की एलर्जी से राहत दिलाता है. यह टेंशन, स्ट्रेस दूर करता है और बदलते मौसम से होने वाली जुकाम ठीक करता है.

बालों के लिए कृष्ण तुलसी – सर में डैंड्रफ की समस्या हो तो श्याम तुलसी या कृष्ण तुलसी की चटनी बनाकर बाल की जड़ों में लगायें और आधे घंटे बाद धो लें.

पेट के कीड़े – बच्चों के पेट में कीड़े हो तो श्यामा तुलसी (Black Tulsi) के रस में सौंफ या पुदीने के पत्तों का रस मिलाकर पीने से पेट के कीड़े खत्म होने लगते हैं.

पथरी और स्किन के लिए – यह तुलसी किडनी या ब्लैडर स्टोन, लिवर समस्या से बचाव करता है. स्किन की ऐसी समस्या जिसमें दर्द या खुजली हो श्यामा तुलसी का उपयोग फायदा करता है.
श्यामा तुलसी की चाय पीने के फायदे – Shyama Tulsi tea benefits in hindi 

1) श्यामा तुलसी की पत्तियाँ और अदरक पानी में गर्म करें. उबल जाने के बाद थोडा ठंडा हो जाने पर पियें. चाहे तो थोड़ा गुड़ या शहद मिला लें या सादा ही पियें. इस चाय में एंटी-ओक्सिडेंट गुण होते हैं. यह चाय पीना पेट, आंत और सांस की नली से जुड़ी समस्याओं के लिए लाभकारी है.

2) यह चाय हार्ट और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में फायदेमंद है. इसे पीने से कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है. इसमें Mild blood thinning गुण होता है, जोकि हार्ट-अटैक की सम्भावनाओं को कम करता है.

3) यह खून साफ़ करता है, रक्त-संचार सही रखता है और बढ़े हुए ब्लड प्रेशर से होने वाले तनाव को कम करता है. यह ब्लड प्रेशर सामान्य करता है और हृदय की धमनियों को सुरक्षित रखता है.

पढ़ें > शहद और दालचीनी की चाय के फायदे 
श्यामा तुलसी के उपाय – Shyama Tulsi mala Benefits 

1) श्याम तुलसी के पौधे की पूजा करना और घर में लगाना अधिक शुभ माना गया है. माँ काली और हनुमान जी को श्यामा तुलसी चढ़ाना अच्छा माना गया है.

2) श्याम तुलसी या कृष्ण तुलसी की माला पहनने से आध्यत्मिक लाभ के अलावा परिवार के सुख और सम्पन्नता में भी बढ़ोत्तरी होती है. श्याम तुलसी या काली तुलसी की माला दिमागी शांति देती है.

3) श्याम तुलसी की माला सम्बन्धों और प्रेम में समस्या को सुधारने का काम भी करती है. ये माला बुरी नजर से बचाती है, निगेटिविटी दूर करती है और सकरात्मक सोच लाती है.

4) काली तुलसी की माला पहनना नकारात्मकता दूर करने के लिए किसी रत्न की तुलना में अधिक असरकारक माना गया है. तुलसी की माला पहनते हैं तो अपना खान-पान सात्विक रखें तभी आप अधिक लाभ पा सकेंगे.

5) इसकी माला चाहे गले में धारण करें या घर के मन्दिर में रखें. इससे भगवान के प्रति भक्ति-भावना बढती है. इस माला को सोमवार, बुधवार, गुरुवार को गंगाजल और कच्चे दूध से शुद्ध करके पहनना चाहिए.
श्यामा तुलसी का पौधा कैसे लगायें – Shyama Tulsi Plant kaise lagaye in hindi 

– श्याम तुलसी के बीज गमले में लगाने के लिए उपयुक्त है. इसके बीज अंकुरित होने में थोडा अधिक समय (1-2 हफ्ते) ले सकते हैं, इसलिए धैर्य रखें. आप नर्सरी से तैयार पौधे भी लाकर लगा सकते हैं.

– जब तक बीज अंकुरित न हो जाएँ, गमले को थोड़ा छाँव में रखें जहाँ सीधे धूप न आती हो. समय-समय पर पानी देते रहें, जब लगे कि मिट्टी में नमी सूखने वाली है.

– तुलसी के पौधे को खुली धूप और उपजाऊ मिटटी की आवश्यकता होती है. मिट्टी में आर्गेनिक खाद या गोबर की खाद मिलाने से आपके पौधे में घनी पत्तियाँ आयेंगी और बढ़त अच्छी होगी.

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हर रोज सुबह खाली पेट चबाएं पुदीना और तुलसी की पत्तियां, पाचन में होगा सुधार, मिलेंगे ये 5 गजब के फायदेMint And Basil Leaves Benefits: हेल्दी आदतें हमारे स्वास्थ्य को बेहतर रखने का काम करती हैं. सुबह खाली पेट (Empty Stomach) कुछ चीजों का सेवन करने से कमाल के स्वास्थ्य लाभ मिल सकते है. क्या आप जानते हैं सुबह खाली पेट तुलसी के पत्तों को चबाने के फायदे (Benefits Of Chewing Basil Leaves) कई हैं या पुदीने की पत्तियों को चबाने के फायदे 

(Benefits Of Chewing Mint Leaves) क्या हैं बहुत ही कम लोगों को पता होता है. ऐसे में लोग इन दो आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को प्रयोग करने का तरीका नहीं जानते हैं और तुलसी या पुदीना के स्वास्थ्य लाभ (Health Benefits Of Basil Or Mint) लेने से चूक जाते हैं. अगर आप आज से ही अपनी सुबह की आदतों में कुछ हेल्दी चीजों को शामिल करते हैं तो आपको न पाचन में सुधार (Improve Digestion) महसूस हो सकता है बल्कि पेट की समस्याओं (Stomch Problems) को दूर करने के साथ कई बीमारियों से राहत दिलाने में मदद मिल सकती है.


ज्यादातर लोग सुबह खाली पेट सबसे पहले चाय पीते हैं जो आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसान से ज्यादा कुछ नहीं करती है. अगर आप चाय की जगह पर कुछ हेल्दी चीजों को लेना शुरू करेंगे तो आपको कमाल के फायदे मिल सकते हैं. जैसे तुलसी के पत्तों को चबाना (Chewing Basil Leaves) या पुदीने की पत्तियों का सेवन. यह दोनों हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती हैं. 

तुलसी के पत्तों (Basil Leaves Benefits) में विटामिन ए, विटामिन डी, आयरन और फाइबर होते हैं, जो आपकी इम्यूनिटी (Immunity) को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं और संक्रमण को दूर रखने का काम करते हैं. वहीं पुदीना के फायदे (Benefits Of Mint) कफ और वात दोष को कम करने के लिए लिए जा सकते हैं. यह आपकी भूख को भी बढ़ाते हैं और पेट को हेल्दी रख सकते हैं.


तुलसी और पुदीने की पत्तियों के स्वास्थ्य लाभ | 
Health Benefits Of Bsil And Mint Leaves

1. पाचन में होगा सुधार

तुलसी और पुदीने में ऐसे गुण होते हैं जो पेट के स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी माने जाते हैं. तुलसी और पुदीने के पत्तों का नियमित रूप से सेवन किया जाय, तो पाचन को बेहतर बनाया जा सकता है. यह दोनों एसिड रिफ्लक्स को कम करने के लिए भी फायदेमंद माने जाते हैं. पुदीने का रस शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का भी काम कर सकता है. इसके साथ ही यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में भी फायदेमंद माने जाते हैं.
2. सर्दी-जुकाम के लिए फायदेमंद

पुदीना एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरा होता है. साथ ही तुलसी अपने एंटी-माइक्रोबियल गुणों के लिए जानी जाती है. सुबह खाली पेट इन दोनों का सेवन कर सर्दी-जुकाम से राहत पाई जा सकती है. वहीं ये इम्यूनिटी को बढ़ाने में कारगर साबित हो सकते है. क्योकि इनमें एंटीऑक्सिडेंट भी काफी मात्रा में पाए जाते हैं. ऐसे में यह आपको कई तरह के संक्रमण से बचाने में मददगार हो सकते हैं.
3. तनाव की करेंगे छुट्टी

तुलसी में कई ऐसे एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो तनाव को कम करने में मददगार हो सकते हैं. तुलसी और पुदीने के पत्ते अडॉप्टोजेन से भरपूर होते हैं जो आपके शरीर में तनाव के स्तर को कम करने में फायदेमंद माने जाते हैं. ये दोनों ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने में मददगार हो सकते हैं. यह इंद्रियों को शांत कर रहा है और तनाव को कम करने में योगदान दे सकते हैं. सुबह खाली पेट इन पत्तियों का सेवन काफी लाभकारी हो सकता है.
Mint And Basil Leaves Benefits: स्ट्रेस को कम करने में मददगार हो सकते हैं पुदीना और तुलसी

4. त्वचा के लिए फायदेमंद

हमारी स्किन पेट के स्वास्थ्य से जुड़ी होती है तभी तो कब्ज होने से स्किन पर दाग और मुंहासे होने लगते हैं. तुलसी और पुदीना शरीर को डिटॉक्स करने का भी काम करते हैं जिससे शरीर को गंदगी बाहर निकली जाती है और स्किन पर नेचुरल चमक देखने को मिल सकती है. खाली पेट तुलसी और पुदीने का सेवन करने से मुंहासे और दानों को कम कर करने में भी मदद मिल सकती है. 
5. ब्लड शुगर लेवल करेंगे कंट्रोल

दोनों में अलग-अलग तरह के एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं तो ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोक सकते हैं और इसे मैनेज करने में आपकी मदद कर सकते हैं. तुलसी और पुदीने में कुछ ऐसे घटक होते हैं, जो कोशिकाओं के कामकाज के काम काज को बेहतर बना सकते हैं. ये दोनों पत्तियां इंसुलिन के रिलीज को बेहतर बनाने के लिए लाभकारी हो सकती हैं.

पानी, तेल या दूध का कुल्ला करने से बिना दवा के भी रह सकते स्वस्थ

पानी, तेल या दूध का कुल्ला करने के चमत्कारिक फायदे, एक बार आजमाकर देखें, बिना दवा के भी रह सकते स्वस्थ





हमारी परम्पराएँ और घरेलु ज्ञान इतना ज़बरदस्त है के अगर हम इन पर थोडा भी ध्यान देवें तो बिना दवा के भी स्वस्थ रह सकते हैं.

आज आपको ऐसी ही एक विधि से परिचित करवा रहें हैं जिसका नाम है कुल्ला.

कुल्ला एक ऐसी विधि है जिससे आप बिना दवा के जुकाम, खांसी, श्वांस रोग, गले के रोग, मुंह के छाले, शरीर को डी टोक्सिफाय करने, गर्दन के सर्वाइकल जैसे रोगों से मुक्ति पा सकते हैं. आइये जानते हैं कुल्ला करने की सही विधि और इसके चमत्कारिक लाभ.

पानी का कुल्ला

मुंह में पानी का कुल्ला तीन मिनट तक भर कर रखें. इससे गले के रोग, जुकाम, खांसी, श्वांस रोग, गर्दन का दर्द जैसे कड़कड़ाहट से छुटकारा मिलता है. नित्य मुंह धोते समय, दिन में भी मुंह में पानी का कुल्ला भर कर रखें. इससे मुंह भी साफ़ हो जाता है.

मुंह में पानी का कुल्ला भर कर नेत्र धोएं. ऐसा दिन में तीन बार करें. जब भी पानी के पास जाएँ मुंह में पानी का कुल्ला भर लें और नेत्रों पर पानी के छींटे मारें, धोएं. मुंह का पानी एक मिनट बाद निकाल कर पुनः कुल्ला भर लें. मुंह का पानी गर्म ना हो इसीलिए बार बार कुल्ला नया भरते रहें.

भोजन करने के बाद गीले हाथ तौलिये से नहीं पोंछे. आपस में दोनों हाथों को रगड़ कर चेहरा व् कानों तक मलें. इससे आरोग्य शक्ति बढती है. नेत्र ज्योति ठीक रहती है.

गले के रोग, सर्दी जुकाम या श्वांस रोग होने पर थोडा गुनगुना पानी ले कर इसमें सेंधव् (सेंधा) नमक मिला कर कुल्ला करना चाहिए, इस से गले, कफ, ब्रोंकाइटिस जैसे रोगों में बहुत फायदा होता है.

तेल का कुल्ला

तेल से कुल्ला एक प्राचीन आयुर्वेदिक विधि है जिससे न केवल असाध्य रोगों से बचा जा सकता है बल्कि इससे कई तरह की बीमारियों को भी रोका जा सकता है। आम तौर पर मुंह के बैक्टीरिया को मारने के लिए ऑयल को मुंह में भरकर हिलाने की प्रक्रिया को तेल से कुल्ला कहते हैं।  सुबह सुबह बासी मुंह में सरसों या तिल का तेल भर कर पूरे 10 मिनट तक उसको चलाते रहें, ध्यान रहे ये निगलना नहीं है, ऐसा करने से मुंह और दांतों के रोग तो सभी ठीक होंगे ही, साथ में पूरी बॉडी डी टोक्सिफाय होगी. अनेक रोगों से मुक्त होने की इस विधि को तेल चूषण विधि कहा जाता है. आयुर्वेद में इसको गण्डूषकर्म कहा जाता है और पश्चिमी जगत में इसको आयल पुल्लिंग के नाम से जाना जाता है.

इससे सिरदर्द से लेकर साइनस ही नहीं तमाम अन्य बीमारियां भी दूर होती है। तो चलिए जानते हैं तेल से कुल्ला करने का सही तरीका.....

कैसे करें

तेल से कुल्ला करने के लिए तिल, जैतून या नारियल का तेल लेकर मुंह में घूमाना होता है। करीब 10-15 मिनट तक इसे मुंह के अंदर करना होता है और इसके बाद इसे थूक देना होता है। याद रखें एक बूंद भी अंदर न जाने पाए। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मुंह में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस, कवक और अन्य विषैले तत्व शामिल हो चुके होते हैं।

तेल से कुल्ला करने के फायदे

तेल से कुल्ला से मुंह के बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं और दांतों की सेंसिटिविटी कम होती है।

ये थेरेपी सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, दांतदर्द, अल्सर, पेट, किडनी, आंत, हार्ट, लिवर, फेफड़ों के रोग और अनिद्रा में भी राहत देती है।

बॉडी की सूजन का कारण भी इससे ठीक होता है।

कीटाणु और विषैले पदार्थ मुंह से ही जाते हैं लेकिन तेल से कुल्ला से ये रूक सकता है।

तेल से कुल्ला करने से एनर्जी लेवल बढ़ता है।

बॉडी जब डिटॉक्स हो जाती है तो इससे एनर्जी का बढ़ना तय है।

सिरदर्द ,माइग्रेन, साइनस या स्ट्रेस से होने वाला सिर दर्द सब कुछ तेल से कुल्ला से सही हो सकता है।

बॉडी डिटॉक्स होने के कारण पेट का ऐसिडिक लेवल बैलेंस रहता है और इससे माइग्रेन की समस्या नहीं होती है।

बॉडी से जब विषैले तत्व हट जाते हैं तो इससे हार्मोन्स लेवल भी बैलेंस होता है।

तेल से कुल्ला से हार्मोन लेवल का सेक्रिशन भी बेहतर तरीके से होता है।

स्किन के लिए है खास 

बेक्टिरया, वायरस, कवक और दूसरे विषाक्त पदार्थों के बाहर निकलने से त्वचा भी साफ होती है।

चेहरे पर चमक आना इसकी पहली निशानी है कि शरीर आपका डिटॉक्स हो चुका है।

दांतों को मोतियों सा चमकाती है। दांतो की चमक के साथ कई तरह की समस्याएं तेल से कुल्ला से ठीक होती है।

ऑयल में मौजूद नेचुरल एंटीबेक्टिरियल और एंटीबायोटिक गुण होता है जो दांतों को साफ करता है।

2 हफ्ते रोज इसे करने से ही फर्क नजर आ जाएगा।

यह कैविटी, सांसों की दुर्गंध और मसूड़ों से खून आने जैसी दिक्कते भी दूर करता है।


क्या है ऑयल पुलिंग - दरसल ऑयल पुलिंग एक तरह से तेल का कुल्ला करना है। इस प्रक्रिया में ज्यादातर नारियल के तेल का प्रयोग किया जाता है। इसमें तेल को मुंह में डालकर 5 से 10 मिनट तक मुंह में ही घुमाया जाता है, ताकि यह मुंह के कोने-कोने तक पहुंच जाए। और जब यह लार के साथ मिलकर पतला हो जाता है, तो इसे थूक दिया जाता है। कहा जाता है कि यह बैक्टीरिया की सफाई का बढ़िया तरीका है।

नुकसान - 1) इस प्रक्रिया में यह भी संभव है कि तेल की कुछ मात्रा लार के साथ आपके पेट में भी चली जाए। और ऑयल पुलिंग का पहला नुकसान यही है। दरअसल यह तेल अगर पेट में जाता है, तो इसका पाचन काफी मुश्किल होता है और इसके लिए आपके पाचन तंत्र को काफी मेहनत करनी होती है।

2) यह समस्या अगर थोड़ा और बढ़ती है, तो आपके सिर में दर्द भी पैदा होता है जिसे आम भाषा में आप, सिर चढ़ना कहते हैं। तो अगली बार जब भी आप ऑयल पुलिंग करने वाले हों, एक बार इस बारे में जरूर सोच लें।


दूध का कुल्ला.

अगर मुंह में या गले में छाले हो जाएँ और किसी भी दवा से ठीक ना हो रहें हो तो आप सुबह कच्चा दूध (अर्थात बिना उबला हुआ ताज़ा दूध) मुंह में कुछ देर तक रखें. और ध्यान रहे इस दूध को आपको बाहर फेंकना नहीं है. इसको मुंह में जितना देर हो सके 10 से 15 मिनट तक रखें, कुछ देर बाद बूँद बूँद कर के ये गले से नीचे उतरने लगेगा.. इस प्रयोग को दिन में 2-4 बार कर सकते हैं. आपको मुंह, जीभ और गले के छालो में पहले ही दिन में आराम आना शुरू हो जायेगा.


भारत माता की जय 🇮🇳
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

शुक्रवार, 8 अक्टूबर 2021

नवरात्रि एक आयुर्वेदिक त्योहार

नवरात्रि एक आयुर्वेदिक त्योहार
नवरात्रि नव दुर्गा की नौ शक्तियों का ज्वलंत पर्व है।साथ साथ में हमारे आयुर्वेद के ज्ञाता ऋषि मुनियों ने कुछ औषधियों को इस ऋतु में विशेष सेवन हेतु बताया था।जिससे प्रत्येक दिन हम सभी उसका सेवन कर शक्ति के रूप में शारीरिक व मानसिक क्षमता को बढ़ाकर हम शक्तिवान, ऊर्जावान बलवान व विद्वान बन सकें।

नौ तरह की वह दिव्यगुणयुक्त महा औषधियां निस्संदेह बहुत ही प्रभावशाली व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ साथ हम ताउम्र बदलते मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी स्वयं को ढालने में सक्षम हो और निरोगी बन दीर्घायु प्राप्त करे

नवदुर्गा  के अमूर्त रूप के रूपक औषधि जिनका हमें शीतकाल में सेवन करना चाहिए-
1  हरड़ 2 ब्राह्मी 3 चन्दसूर 4 कूष्मांडा 5 अलसी 6 मोईपा या माचिका 7 नागदान 8 तुलसी 9 शतावरी-

1. *प्रथम शैलपुत्री यानि हरड़* - कई प्रकार की समस्याओं में काम आने वाली औषधि हरड़, हिमावती है यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है, जो सात प्रकार की होती है। 

2.*द्वितीय ब्रह्मचारिणी यानि ब्राह्मी* -  यह आयु और स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली, रूधिर विकारों का नाश करने वाली और स्वर को मधुर करने वाली है। इसलिए ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है।यह मन व मस्तिष्क में शक्ति प्रदान करती है और गैस व मूत्र संबंधी रोगों की प्रमुख दवा है। यह मूत्र द्वारा रक्त विकारों को बाहर निकालने में समर्थ औषधि है। 

3. *तृतीय चंद्रघंटा यानि चन्दुसूर* -  चंद्रघंटा, इसे चन्दुसूर या चमसूर कहा गया है। यह एक ऐसा पौधा है जो धनिये के समान है। इस पौधे की पत्तियों की सब्जी बनाई जाती है, जो लाभदायक होती है। यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है, इसलिए इसे चर्महन्ती भी कहते हैं। शक्ति को बढ़ाने वाली, हृदय रोग को ठीक करने वाली चंद्रिका औषधि है। 

4. *चतुर्थ कुष्माण्डा यानि पेठा* -इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है, इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं। इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक व रक्त के विकार को ठीक कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के लिए यह अमृत समान है। यह शरीर के समस्त दोषों को दूर कर हृदय रोग को ठीक करता है। कुम्हड़ा रक्त पित्त एवं गैस को दूर करता है। 

5. *पंचम स्कंदमाता यानि अलसी* यह औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। यह वात, पित्त, कफ, रोगों की नाशक औषधि है। अलसी नीलपुष्पी पावर्तती स्यादुमा क्षुमा।अलसी मधुरा तिक्ता स्त्रिग्धापाके कदुर्गरु:।।उष्णा दृष शुकवातन्धी कफ पित्त विनाशिनी।

6.  *षष्ठम कात्यायनी यानि मोइया* - इसे आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका। इसके अलावा इसे मोइया अर्थात माचिका भी कहते हैं। यह कफ, पित्त, अधिक विकार व कंठ के रोग का नाश करती है। 
7. *सप्तम कालरात्रि यानि नागदौन* - यह नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती है। सभी प्रकार के रोगों की नाशक सर्वत्र विजय दिलाने वाली मन एवं मस्तिष्क के समस्त विकारों को दूर करने वाली औषधि है/ यह सुख देने वाली और सभी विषों का नाश करने वाली औषधि है। 

8.  *तुलसी* - तुलसी सात प्रकार की होती है- सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरुता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र। ये सभी प्रकार की तुलसी रक्त को साफ करती है व हृदय रोग का नाश करती है। तुलसी सुरसा ग्राम्या सुलभा बहुमंजरी।अपेतराक्षसी महागौरी शूलघ्नी देवदुन्दुभि: तुलसी कटुका तिक्ता हुध उष्णाहाहपित्तकृत् । मरुदनिप्रदो हध तीक्षणाष्ण: पित्तलो लघु:।

9. *नवम शतावरी* - जिसे नारायणी या शतावरी कहते हैं। शतावरी बुद्धि बल व वीर्य के लिए उत्तम औषधि है। यह रक्त विकार औरं वात पित्त शोध नाशक और हृदय को बल देने वाली महाऔषधि है। सिद्धिदात्री का जो मनुष्य नियमपूर्वक सेवन करता है। उसके सभी कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते हैं।


*इस आयुर्वेद की भाषा में नौ औषधि के रूप में मनुष्य की प्रत्येक बीमारी को ठीक कर रक्त का संचालन उचित व साफ कर मनुष्य को स्वस्थ करतीं है। अत: *मनुष्य को इन औषधियों का प्रयोग करना चाहिये* ।

मंगलवार, 5 अक्टूबर 2021

रामायण की 8 चौपाइयों का रोजाना श्रद्धापूवर्क जाप करने जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आती।

रामायण मानव जीवन को सत्य भक्ति के साथ जीवन जीने का मार्ग दिखाती है। लेकिन कई विद्वान लोग रामायण के पाठ के अन्य फायदे भी बताते हैं। कथा वाचक विजय कौशल महाराज के अनुसार, जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए रामायण यानी श्री रामचरित मानस की 8 चौपाइयों का रोजाना पाठ करना चाहएि। इन चौपाइयों का रोजाना श्रद्धापूवर्क जाप करने जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आती। यानी ये चौपाइयां घर परिवार में खुशहाली लाने के लिए मंत्र का काम करती हैं।






उन्हाेंने एक कथा के दौरान कहा कि इन चौपाइयों के पाठ से अमीरी कितनी आएगी ये तो नहीं बता सकते लेकिन गरीबी कभी नहीं आएगी।

आपको बता दें कि गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रामचरित मानस के अयोध्या कांड के शुरू में ही राम विवाह से जुड़ी ये चौपाइयां हैं। श्रद्धालु चाहें ते नवरात्रि से इनका जाप शुरू कर सकते हैं।




अयोध्या कांड

दोहा-
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।

चौपाई : 1-
* जब तें रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए॥
भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी॥1॥

भावार्थ:-जब से श्री रामचन्द्रजी विवाह करके घर आए, तब से (अयोध्या में) नित्य नए मंगल हो रहे हैं और आनंद के बधावे बज रहे हैं। चौदहों लोक रूपी बड़े भारी पर्वतों पर पुण्य रूपी मेघ सुख रूपी जल बरसा रहे हैं॥1॥

चौपाई 2 -
* रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई। उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई॥
मनिगन पुर नर नारि सुजाती। सुचि अमोल सुंदर सब भाँती॥2॥

भावार्थ:-ऋद्धि-सिद्धि और सम्पत्ति रूपी सुहावनी नदियाँ उमड़-उमड़कर अयोध्या रूपी समुद्र में आ मिलीं। नगर के स्त्री-पुरुष अच्छी जाति के मणियों के समूह हैं, जो सब प्रकार से पवित्र, अमूल्य और सुंदर हैं॥2॥

चौपाई 3 -
* कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥
सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥3॥

भावार्थ:-नगर का ऐश्वर्य कुछ कहा नहीं जाता। ऐसा जान पड़ता है, मानो ब्रह्माजी की कारीगरी बस इतनी ही है। सब नगर निवासी श्री रामचन्द्रजी के मुखचन्द्र को देखकर सब प्रकार से सुखी हैं॥3॥

चौपाई 4 -
* मुदित मातु सब सखीं सहेली। फलित बिलोकि मनोरथ बेली॥
राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ। प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ॥4॥

भावार्थ:-सब माताएँ और सखी-सहेलियाँ अपनी मनोरथ रूपी बेल को फली हुई देखकर आनंदित हैं। श्री रामचन्द्रजी के रूप, गुण, शील और स्वभाव को देख-सुनकर राजा दशरथजी बहुत ही आनंदित होते हैं॥4॥


दोहा
सब कें उर अभिलाषु अस कहहिं मनाइ महेसु।
आप अछत जुबराज पद रामहि देउ नरेसु।।

चौपाई 5 -
एक समय सब सहित समाजा। राजसभाँ रघुराजु बिराजा।।
सकल सुकृत मूरति नरनाहू। राम सुजसु सुनि अतिहि उछाहू।।
भावार्थ:-एक समय रघुकुल के राजा दशरथजी अपने सारे समाज सहित राजसभा में विराजमान थे। महाराज समस्त पुण्यों की मूर्ति हैं, उन्हें श्री रामचन्द्रजी का सुंदर यश सुनकर अत्यन्त आनंद हो रहा है॥1॥

चौपाई 6 -
नृप सब रहहिं कृपा अभिलाषें। लोकप करहिं प्रीति रुख राखें।।
वन तीनि काल जग माहीं। भूरिभाग दसरथ सम नाहीं।।

भावार्थ:-सब राजा उनकी कृपा चाहते हैं और लोकपालगण उनके रुख को रखते हुए (अनुकूल होकर) प्रीति करते हैं। (पृथ्वी, आकाश, पाताल) तीनों भुवनों में और (भूत, भविष्य, वर्तमान) तीनों कालों में दशरथजी के समान बड़भागी (और) कोई नहीं है॥2॥

चौपाई 7 -

मंगलमूल रामु सुत जासू। जो कछु कहिअ थोर सबु तासू।।
रायँ सुभायँ मुकुरु कर लीन्हा। बदनु बिलोकि मुकुटु सम कीन्हा।।

भावार्थ:-मंगलों के मूल श्री रामचन्द्रजी जिनके पुत्र हैं, उनके लिए जो कुछ कहा जाए सब थोड़ा है। राजा ने स्वाभाविक ही हाथ में दर्पण ले लिया और उसमें अपना मुँह देखकर मुकुट को सीधा किया॥3॥

चौपाई 8 -
श्रवन समीप भए सित केसा। मनहुँ जरठपनु अस उपदेसा।।
नृप जुबराजु राम कहुँ देहू। जीवन जनम लाहु किन लेहू।।

भावार्थ:-(देखा कि) कानों के पास बाल सफेद हो गए हैं, मानो बुढ़ापा ऐसा उपदेश कर रहा है कि हे राजन्‌! श्री रामचन्द्रजी को युवराज पद देकर अपने जीवन और जन्म का लाभ क्यों नहीं लेते॥4॥

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1430439610455209&id=100004675513574&sfnsn=wiwspwa

रविवार, 3 अक्टूबर 2021

एक Good Leader कैसे बने ? L+T+D Success Formula को Use करके एक Good Leader बन सकते हैं


एक Good Leader कैसे बने ? 




L+T+D Success Formula 

यदि आपने कोई Company नए – नए join की है तो आपने Goal भी जरूर Set किए होंगे या आपके मन में यह सवाल होंगे कि आप किस तरह से इस company या Organization में Success होंगे ? ,

 आप एक Good  Leader किस तरह से बनेंगे ? 

, आपके अंदर Good Leader बनने के लिए क्या-क्या Qualities होना चाहिए ? 

क्योकि कहा जाता है कि अगर शेरों की एक Team को एक भेड़ Lead करता है तो सभी शेर भेड़ बन जाते है और यदि भेड़ो की एक Team को एक शेर Lead करता है तो भेड़ भी शेर बन जाते है।  एक Team का पूरा Performance उसके Good Leader के कारण होता है।


Leadership Quality या कहें किसी भी Field में Success होने के गुण किसी में भी पैदाइसी नहीं होते है यह Quality पैदा की जाती है।

 यहाँ मैं Kailash Chandra Ladha आपके साथ LTD Success Formula Share करने जा रहा हु जिसको Follow करके हम किसी भी Field में Success हो सकते है और यदि हम एक Good Leader बनना चाहते है और अपनी Team में भी  Leaders Create  करना चाहते है तो यह हमें हमारी मंज़िल तक पंहुचा सकता है। तो आएये जानत्ते है कि यह LTD Success Formula क्या है ?

Good Leader बनने के लिए L+T+D Success Formula .


 L   =    Learn (सीखना )
 T   =   Teach (सीखाना)
 D   =   Duplicate (अपने जैसे लोग बनाना )

1. Learn (सीखना ) –
किसी भी Field में Success होने के लिए या एक Good  Leader बनने के लिए यह सबसे पहला कदम होता है उस Work को सीखना या कहें अच्छे से सीखना। जब तक हमें किसी Field  के बारे में अच्छे से जानकारी नहीं रहेगी , तब तक उसमें Success होना असंभव है , इसलिए किसी भी Work या Field  में Success के लिए यह पहला Step है जिसका सही रहना बहुत जरूरी है। जिस तरह यदि हमारे Shirt की पहली बटन हम सही लगा लेते हैं तो बाकी की बटन अपने आप सही जगह पर आ जाती है उसी तरह यदि हमारा पहला Step जो कि सीखने का है यदि सही है तो बाकी Step अपने आप सही हो जाएंगे।


किसी भी चीज को सही से सीखने के लिए हम कुछ बातें Follow  कर सकते हैं –

Basic  सीखें – किसी भी Work में सही से और लंबे समय तक आगे बढ़ने के लिए उसका Basic Knowledge रखना बहुत जरूरी है। जिस तरह एक बिल्डिंग कितनी ऊंची बन सकती है यह  उसकी नींव की गहराई पर निर्भर होता है वैसे ही किसी भी Work में Success उसके Basic Knowledge पर निर्भर रहता है इसलिए Basic पर ज्यादा ध्यान दे।
Practice करें – कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें सिर्फ सीखने से कुछ नहीं होता , उनकी Practice करना पड़ती है। यदि में Cricket की कई सारी किताबें पढ़ लूं , सभी मैच TV पर देख लूं और सोचो कि मुझे Cricket का पूरा Knowledge है और Indian Cricket Team  में मुझे जगह मिल जाए , तो यह संभव नहीं है । इसलिए Basic सीखने के बाद उसपर Practice जरूर करें तभी उस Work में Really Success मिलेगी।  
इस पर काफी अच्छा श्लोक है –
” करत करत अभ्यास के , जड़मति होत सुजान।  रसरी आवत जात पर , सिल पर पड़त  निशान। “ 

Problem को Solve करें – जब हम किसी चीज का Basic सीख जाते हैं और उस पर Practically Practice करते हैं तो हमें कुछ ना कुछ Practically Problems जरूर आती है उन Problem का Solution करना भी उतना ही जरूरी है जितना Basic सीखना। अगर हम इस Problem को Solve नहीं करेंगे तो जब हम किसी को यही बातें सिखाएंगे तो उसे भी यह Problems आनी ही है तब हम उन्हें नहीं बता पाएंगे की इन Problems को कैसे Solve करें और हमारी गाड़ी वहीं रुक जाएगी और हम एक Good Leader नहीं बन पाएंगे इसलिए आने वाले Problems को Solve करें या अपने Senior से Solution सीख ले।

Notes  बनाये –  किसी भी Work को सीखना एक लंबी Process होती है , हम हर दिन कुछ न कुछ सीखते रहते हैं तो संभव है कि हम कुछ काम की बातें को भूल जाएं इसलिए Basic से लेकर आगे तक हर चीज के Short Notes बना लेना चाहिए ताकि अगर हमारे दिमाग से कोई बात निकल भी जाए तो हम Notes  को देखकर आसानी से याद कर पाए।

2. Teach (सीखाना) –
किसी भी Work में पारंगत यानि पूर्ण या Perfect होने का सबसे बढ़िया तरीका है कि हमने जो भी चीजें सीखी है वह दूसरों को सिखाएं। इससे दो फायदे होंगे एक तो हममें  सिखाने की कला आएगी जो कि एक Leader बनने के लिए बहुत ही जरुरी है और दूसरा हमारे काम को करने के लिए लोग तैयार होंगे। एक कहावत है कि ”अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। ” मतलब एक अकेला आदमी दूर तक नहीं चल सकता या कहें ज्यादा बड़ी Success बिना Team के Achieve नहीं कर सकता।

मेरा एक दोस्त है जिसने करीबन 10 साल पहले Computer Hardware Servicing का काम सीखा था और अकेले ही यह काम करता था। 5 साल तक वह रोज दुकान जाता कंप्यूटर सुधारता , लोगों के घर जाकर भी Service देता , बहुत मेहनत करता लेकिन 2 साल पहले उसने अपने साथ एक लड़के को रखा Free में सब कुछ सिखाया और काम करने के कुछ पैसे भी दिए ,फिर दूसरे को ,फिर तीसरे को , इस तरह उसने और उसके सीखे लड़कों ने 10 लोगों को सिखा दिया। आज वह सिर्फ दुकान में बैठता है पैसों का हिसाब देखता है और उसकी Income पहले से कई गुना ज्यादा है। यही कमाल है Teaching का।

किसी को सिखाने के लिए भी 
L = Learning वाले Steps Follow करें –
–  उसे भी Basic सिखाएं। 
– उसकी भी Practice करवाएं। 
– Problems को उसे खुद Solve करने दें ,जरुरत पड़ने पर उसकी मदद करें। 
– उससे भी उसके लिए Notes बनवाए।

3. Duplicate करें –
आपने रजनीकांत की Movie Robot जरूर देखी होगी ,जिसमें वह Robot को अपने जैसा एक और Robot बनाता है फिर 1 से 2 , 2 से 4, 4 से 8 , 8 से 16 , 16 से 32 64 128 256 512 1024 2048 4096 8092 16384 ऐसे करते हुए की एक बड़ी फौज बना लेता है। Ultimate Success के लिए या एक Good Leader बनने के लिए यही काम सबसे जरूरी है। यह करके आप अपने Work Load को बहुत कम कर सकते हैं।
मान लो आप की Team में 500 लोग हैं जिन्हें आप खुद सिखाते हो , उनकी Problems Solve करते हो। इसमें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी , पर यदि आप अपने जैसे ही 10  Leaders Create कर (बना) दो तो वह 10 Leaders 50–50 लोगों को Handle करेंगे ,सिखाएंगे , उनकी Problems Solve करेंगे। आपको सिर्फ 10 Leaders को सिखाना है ,इससे आपका काम बहुत आसान हो जाएगा और Growth की Speed भी कई गुना बढ़ जाएगी। बस आपको अपने जैसे ही कुछ  Leaders Create करने पड़ेंगे।
इस बात का भी ध्यान रखना पड़ेगा कि Leaders को उनकी Growth के हिसाब से Results मिले नहीं तो वह आपको छोड़ सकते हैं।

इस LTD Success Formula को Use करके एक Good Leader बन सकते हैं और किसी भी Field में Success हो सकते हैं इस LTD Success Formula से Start हुई Success की गाड़ी अब कभी नहीं रुकेगी। और किसी भी फिल्ड मे 100% सफ़लता मिलेगा !! 


कैलाश चंद्र लढा
 भीलवाड़ा

बालाजी आयुर्वेदिक स्टोर मधुवन द्वारा स्वदेशी आयुर्वेदिक रोग जांच शिविर संपन्न


 कोरोना से पहले भी भारत मे बीमारी के लिए आयुर्वेद प्रचलित था पर इस महामारी ने दूसरी सभी चिकित्सा पद्धतियों की पोल खोल दी और बीमारियों से निपटने के लिए लोगो को प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की महत्ता समझ मे आई









बीमारी से निपटने के लिए जोधपुर के बालाजी आयुर्वेदिक स्टोर, मधुबन हाउसिंग बोर्ड के संचालक  अभिषेक शर्मा द्वारा दिनांक 03  अक्टुंबर २०२१ को श्री मंछापूर्ण जगदम्बा माताजी के मंदिर, मधुबन हाउसिंग बोर्ड, जोधपुर के परिसर में स्वदेशी भारतीय कंपनी आईएमसी का आयुर्वेदिक रोग जाँच शिविर का आयोजन किया जिसमे आयोजक अभिषेक शर्मा, श्रीमती वंदना शर्मा के नेतृत्व में शिविर का  शुभारम्भ प्रातः १० बजे से किया गया और शिविर में जोधपुर के विभिन्न क्षेत्रों से आये हुए रोगी जिनको गैस, पथरी, स्त्री रोग, पाईल्स, पायरिया, किडनी रोग, मूत्र सम्बंधित बीमारियां, कोलेस्ट्रॉल, शुगर, गठिया, खांसी, जोड़ो का दर्द, श्वांस सम्बन्धी रोग, अस्थमा, दमा, कमजोरी, थकान, ह्रदय रोग, एसिडिटी, एलर्जी, सिरदर्द, पेट दर्द, बुखार, वायरल, आँखों की कमजोरी, जलन, मोटापा, डेंगू बुखार, ब्लड प्रेशर आदि से सम्बंधित जाँच के लिए पाली से स्पेशली पधारे हुए आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. एस. एस. शर्मा (BAMS, NIA ) AMO  और उनकी टीम द्वारा जाँच एवं परामर्श दिया गया,  डॉ. दिनेश जी पाराशर, डॉ. योगेंद्र कुमार दवे आदि ने अपनी अमूल्य सेवाएं प्रदान की 




शिविर के  जोधपुर के कंपनी के स्टार एंबेसेडर विशाल संखवाया ने  बताया की इंटरनेशनल मार्केटिंग कंपनी समय समय पर द्वारा स्वदेशी एवं आयुर्वेदिक शिविर आयोजित किये जाते है  इस शिविर को सफल बनाने एवं रोगियों की जांच में अभिषेक जी शर्मा की टीम के मुख्य कार्यकर्ताओं जिसमे श्रीमती वंदना शर्मा, कैलाशचंद्र लढा (सांवरिया), मनीष जोशी, दलवीर सिसोदिया, लक्ष्मण राम भाटी , विशाल शंखवाया, श्रीमती सुमित्रा शर्मा, श्री श्यामलाल  शर्मा, गौरव लखारा, श्रीमती  विमला शर्मा, श्रीमती लखारा, आदि ने अपना योगदान दिया और १५० से ज्यादा रोगियों ने अपनी जाँच की. अब तक कंपनी द्वारा राजस्थान मे भी कई आयुर्वेदिक शिविरों का आयोजन सफलतापूर्वक किया जा चुका है





वार्ड नंबर 43 के मधुबन हाउसिंग बोर्ड दक्षिण पार्षद श्रीमती बसंती मेवाड़ा और श्री विजय मेवाड़ा ने इस शिविर के सभी आयोजकों का आभार व्यक्त किया  और भविष्य में ऐसे शिविरों में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया

रविवार, 26 सितंबर 2021

भविष्य अज्ञात है। सिवाय उसके और किसी को ज्ञात नहीं


एक ऐसी कहानी जो बार बार पठन पाठन के योग्य है। मन तो, तर्क देगा ही, कि पहले से ही सुना हुआ है, पर यह बार बार पढ़ने लायक है। 
     यह एक कथा,अगर ठीक से,हमारे जीवन में उतर जाय,तो जीवन का रंग ही बदल जाएगा।
        एक बात और,किसी के प्रति,कभी भी,धन्यवाद, अहोभाव से निकले, तो ही, वास्तव में उसका महत्व है। अन्यथा,वह एक शब्द,बनकर रह जाता है।
🌹🌹🌹
अब कहानी----
टालस्टाय ने एक छोटी सी कहानी लिखी है। मृत्यु के देवता ने अपने एक दूत को भेजा पृथ्वी पर। एक स्त्री मर गयी थी, उसकी आत्मा को लाना था। देवदूत आया, लेकिन चिंता में पड़ गया। क्योंकि तीन छोटी-छोटी लड़कियां जुड़वां–एक अभी भी उस मृत स्त्री के स्तन से लगी है। एक चीख रही है, पुकार रही है। एक रोते-रोते सो गयी है, उसके आंसू उसकी आंखों के पास सूख गए हैं–तीन छोटी जुड़वां बच्चियां और स्त्री मर गयी है, और कोई देखने वाला नहीं है। पति पहले मर चुका है। परिवार में और कोई भी नहीं है। इन तीन छोटी बच्चियों का क्या होगा?

उस देवदूत को यह खयाल आ गया, तो वह खाली हाथ वापस लौट गया। उसने जा कर अपने प्रधान को कहा कि मैं न ला सका, मुझे क्षमा करें, लेकिन आपको स्थिति का पता ही नहीं है। तीन जुड़वां बच्चियां हैं–छोटी-छोटी, दूध पीती। एक अभी भी मृत स्तन से लगी है, एक रोते-रोते सो गयी है, दूसरी अभी चीख-पुकार रही है। हृदय मेरा ला न सका। क्या यह नहीं हो सकता कि इस स्त्री को कुछ दिन और जीवन के दे दिए जाएं? कम से कम लड़कियां थोड़ी बड़ी हो जाएं। और कोई देखने वाला नहीं है।

मृत्यु के देवता ने कहा, तो तू फिर समझदार हो गया; उससे ज्यादा, जिसकी मर्जी से मौत होती है, जिसकी मर्जी से जीवन होता है! तो तूने पहला पाप कर दिया, और इसकी तुझे सजा मिलेगी। और सजा यह है कि तुझे पृथ्वी पर चले जाना पड़ेगा। और जब तक तू तीन बार न हंस लेगा अपनी मूर्खता पर, तब तक वापस न आ सकेगा।

इसे थोड़ा समझना। तीन बार न हंस लेगा अपनी मूर्खता पर–क्योंकि दूसरे की मूर्खता पर तो अहंकार हंसता है। जब तुम अपनी मूर्खता पर हंसते हो तब अहंकार टूटता है।

देवदूत को लगा नहीं। वह राजी हो गया दंड भोगने को, लेकिन फिर भी उसे लगा कि सही तो मैं ही हूं। और हंसने का मौका कैसे आएगा?

उसे जमीन पर फेंक दिया गया। एक चमार, सर्दियों के दिन करीब आ रहे थे और बच्चों के लिए कोट और कंबल खरीदने शहर गया था, कुछ रुपए इकट्ठे कर के। जब वह शहर जा रहा था तो उसने राह के किनारे एक नंगे आदमी को पड़े हुए, ठिठुरते हुए देखा। यह नंगा आदमी वही देवदूत है जो पृथ्वी पर फेंक दिया गया था। उस चमार को दया आ गयी। और बजाय अपने बच्चों के लिए कपड़े खरीदने के, उसने इस आदमी के लिए कंबल और कपड़े खरीद लिए। इस आदमी को कुछ खाने-पीने को भी न था, घर भी न था, छप्पर भी न था जहां रुक सके। तो चमार ने कहा कि अब तुम मेरे साथ ही आ जाओ। लेकिन अगर मेरी पत्नी नाराज हो–जो कि वह निश्चित होगी, क्योंकि बच्चों के लिए कपड़े खरीदने लाया था, वह पैसे तो खर्च हो गए–वह अगर नाराज हो, चिल्लाए, तो तुम परेशान मत होना। थोड़े दिन में सब ठीक हो जाएगा।

उस देवदूत को ले कर चमार घर लौटा। न तो चमार को पता है कि देवदूत घर में आ रहा है, न पत्नी को पता है। जैसे ही देवदूत को ले कर चमार घर में पहुंचा, पत्नी एकदम पागल हो गयी। बहुत नाराज हुई, बहुत चीखी-चिल्लायी।

और देवदूत पहली दफा हंसा। चमार ने उससे कहा, हंसते हो, बात क्या है? उसने कहा, मैं जब तीन बार हंस लूंगा तब बता दूंगा।

देवदूत हंसा पहली बार, क्योंकि उसने देखा कि इस पत्नी को पता ही नहीं है कि चमार देवदूत को घर में ले आया है, जिसके आते ही घर में हजारों खुशियां आ जाएंगी। लेकिन आदमी देख ही कितनी दूर तक सकता है! पत्नी तो इतना ही देख पा रही है कि एक कंबल और बच्चों के पकड़े नहीं बचे। जो खो गया है वह देख पा रही है, जो मिला है उसका उसे अंदाज ही नहीं है–मुफ्त! घर में देवदूत आ गया है। जिसके आते ही हजारों खुशियों के द्वार खुल जाएंगे। तो देवदूत हंसा। उसे लगा, अपनी मूर्खता–क्योंकि यह पत्नी भी नहीं देख पा रही है कि क्या घट रहा है!

जल्दी ही, क्योंकि वह देवदूत था, सात दिन में ही उसने चमार का सब काम सीख लिया। और उसके जूते इतने प्रसिद्ध हो गए कि चमार महीनों के भीतर धनी होने लगा। आधा साल होते-होते तो उसकी ख्याति सारे लोक में पहुंच गयी कि उस जैसा जूते बनाने वाला कोई भी नहीं, क्योंकि वह जूते देवदूत बनाता था। सम्राटों के जूते वहां बनने लगे। धन अपरंपार बरसने लगा।

एक दिन सम्राट का आदमी आया। और उसने कहा कि यह चमड़ा बहुत कीमती है, आसानी से मिलता नहीं, कोई भूल-चूक नहीं करना। जूते ठीक इस तरह के बनने हैं। और ध्यान रखना जूते बनाने हैं, स्लीपर नहीं। क्योंकि रूस में जब कोई आदमी मर जाता है तब उसको स्लीपर पहना कर मरघट तक ले जाते हैं। चमार ने भी देवदूत को कहा कि स्लीपर मत बना देना। जूते बनाने हैं, स्पष्ट आज्ञा है, और चमड़ा इतना ही है। अगर गड़बड़ हो गयी तो हम मुसीबत में फंसेंगे।

लेकिन फिर भी देवदूत ने स्लीपर ही बनाए। जब चमार ने देखे कि स्लीपर बने हैं तो वह क्रोध से आगबबूला हो गया। वह लकड़ी उठा कर उसको मारने को तैयार हो गया कि तू हमारी फांसी लगवा देगा! और तुझे बार-बार कहा था कि स्लीपर बनाने ही नहीं हैं, फिर स्लीपर किसलिए?

देवदूत फिर खिलखिला कर हंसा। तभी आदमी सम्राट के घर से भागा हुआ आया। उसने कहा, जूते मत बनाना, स्लीपर बनाना। क्योंकि सम्राट की मृत्यु हो गयी है।

भविष्य अज्ञात है। सिवाय उसके और किसी को ज्ञात नहीं। और आदमी तो अतीत के आधार पर निर्णय लेता है। सम्राट जिंदा था तो जूते चाहिए थे, मर गया तो स्लीपर चाहिए। तब वह चमार उसके पैर पकड़ कर माफी मांगने लगा कि मुझे माफ कर दे, मैंने तुझे मारा। पर उसने कहा, कोई हर्ज नहीं। मैं अपना दंड भोग रहा हूं।

लेकिन वह हंसा आज दुबारा। चमार ने फिर पूछा कि हंसी का कारण? उसने कहा कि जब मैं तीन बार हंस लूं…।

दुबारा हंसा इसलिए कि भविष्य हमें ज्ञात नहीं है। इसलिए हम आकांक्षाएं करते हैं जो कि व्यर्थ हैं। हम अभीप्साएं करते हैं जो कि कभी पूरी न होंगी। हम मांगते हैं जो कभी नहीं घटेगा। क्योंकि कुछ और ही घटना तय है। हमसे बिना पूछे हमारी नियति घूम रही है। और हम व्यर्थ ही बीच में शोरगुल मचाते हैं। चाहिए स्लीपर और हम जूते बनवाते हैं। मरने का वक्त करीब आ रहा है और जिंदगी का हम आयोजन करते हैं।

तो देवदूत को लगा कि वे बच्चियां! मुझे क्या पता, भविष्य उनका क्या होने वाला है? मैं नाहक बीच में आया।

और तीसरी घटना घटी कि एक दिन तीन लड़कियां आयीं जवान। उन तीनों की शादी हो रही थी। और उन तीनों ने जूतों के आर्डर दिए कि उनके लिए जूते बनाए जाएं। एक बूढ़ी महिला उनके साथ आयी थी जो बड़ी धनी थी। देवदूत पहचान गया, ये वे ही तीन लड़कियां हैं, जिनको वह मृत मां के पास छोड़ गया था और जिनकी वजह से वह दंड भोग रहा है। वे सब स्वस्थ हैं, सुंदर हैं। उसने पूछा कि क्या हुआ? यह बूढ़ी औरत कौन है? उस बूढ़ी औरत ने कहा कि ये मेरी पड़ोसिन की लड़कियां हैं। गरीब औरत थी, उसके शरीर में दूध भी न था। उसके पास पैसे-लत्ते भी नहीं थे। और तीन बच्चे जुड़वां। वह इन्हीं को दूध पिलाते-पिलाते मर गयी। लेकिन मुझे दया आ गयी, मेरे कोई बच्चे नहीं हैं, और मैंने इन तीनों बच्चियों को पाल लिया।

अगर मां जिंदा रहती तो ये तीनों बच्चियां गरीबी, भूख और दीनता और दरिद्रता में बड़ी होतीं। मां मर गयी, इसलिए ये बच्चियां तीनों बहुत बड़े धन-वैभव में, संपदा में पलीं। और अब उस बूढ़ी की सारी संपदा की ये ही तीन मालिक हैं। और इनका सम्राट के परिवार में विवाह हो रहा है।

देवदूत तीसरी बार हंसा। और चमार को उसने कहा कि ये तीन कारण हैं। भूल मेरी थी। नियति बड़ी है। और हम उतना ही देख पाते हैं, जितना देख पाते हैं। जो नहीं देख पाते, बहुत विस्तार है उसका। और हम जो देख पाते हैं उससे हम कोई अंदाज नहीं लगा सकते, जो होने वाला है, जो होगा। मैं अपनी मूर्खता पर तीन बार हंस लिया हूं। अब मेरा दंड पूरा हो गया और अब मैं जाता हूं।

तुम अगर अपने को बीच में लाना बंद कर दो, तो तुम्हें मार्गों का मार्ग मिल गया। फिर असंख्य मार्गों की चिंता न करनी पड़ेगी। छोड़ दो उस पर। वह जो करवा रहा है, जो उसने अब तक करवाया है, उसके लिए धन्यवाद। जो अभी करवा रहा है, उसके लिए धन्यवाद। जो वह कल करवाएगा, उसके लिए धन्यवाद। तुम बिना लिखा चेक धन्यवाद का उसे दे दो। वह जो भी हो, तुम्हारे धन्यवाद में कोई फर्क न पड़ेगा। अच्छा लगे, बुरा लगे, लोग भला कहें, बुरा कहें, लोगों को दिखायी पड़े दुर्भाग्य या सौभाग्य, यह सब चिंता तुम मत करना।

*हरिद्वार की गूंज*
(राष्ट्रीय समाचार पत्र)

अब साहब, घर खाली खाली, मकान खाली खाली और धीरे धीरे मुहल्ला खाली हो रहा है।


किसी दिन सुबह उठकर एक बार इसका जायज़ा लीजियेगा कि कितने घरों में अगली पीढ़ी के बच्चे रह रहे हैं ? कितने बाहर निकलकर नोएडा, गुड़गांव, पूना, बेंगलुरु, चंडीगढ़,बॉम्बे, कलकत्ता, मद्रास, हैदराबाद, बड़ौदा जैसे बड़े शहरों में जाकर बस गये हैं?


कल आप एक बार उन गली मोहल्लों से पैदल निकलिएगा जहां से आप बचपन में स्कूल जाते समय या दोस्तों के संग मस्ती करते हुए निकलते थे।

तिरछी नज़रों से झांकिए.. हर घर की ओर आपको एक चुपचाप सी सुनसानियत मिलेगी, न कोई आवाज़, न बच्चों का शोर, बस किसी किसी घर के बाहर या खिड़की में आते जाते लोगों को ताकते बूढ़े जरूर मिल जायेंगे।

आखिर इन सूने होते घरों और खाली होते मुहल्लों के कारण क्या  हैं ? भौतिकवादी युग में हर व्यक्ति चाहता है कि उसके एक बच्चा और ज्यादा से ज्यादा दो बच्चे हों और बेहतर से बेहतर पढ़ें लिखें।

उनको लगता है या फिर दूसरे लोग उसको ऐसा महसूस कराने लगते हैं कि छोटे शहर या कस्बे में पढ़ने से उनके बच्चे का कैरियर खराब हो जायेगा या फिर बच्चा बिगड़ जायेगा। बस यहीं से बच्चे निकल जाते हैं बड़े शहरों के होस्टलों में।

अब भले ही दिल्ली और उस छोटे शहर में उसी क्लास का सिलेबस और किताबें वही हों मगर मानसिक दबाव सा आ जाता है   बड़े शहर में पढ़ने भेजने का

 हालांकि इतना बाहर भेजने पर भी मुश्किल से 1% बच्चे IIT, PMT या CLAT वगैरह में निकाल पाते हैं...। फिर वही मां बाप बाकी बच्चों का पेमेंट सीट पर इंजीनियरिंग, मेडिकल या फिर बिज़नेस मैनेजमेंट में दाखिला कराते हैं।

4 साल बाहर पढ़ते पढ़ते बच्चे बड़े शहरों के माहौल में रच बस जाते हैं। फिर वहीं नौकरी ढूंढ लेते हैं । सहपाठियों से शादी भी कर लेते हैं।आपको तो शादी के लिए हां करना ही है ,अपनी इज्जत बचानी है तो, अन्यथा शादी वह करेंगे ही अपने इच्छित साथी से

अब त्यौहारों पर घर आते हैं माँ बाप के पास सिर्फ रस्म अदायगी हेतु

माँ बाप भी सभी को अपने बच्चों के बारे में गर्व से बताते हैं ।  दो तीन साल तक उनके पैकेज के बारे में बताते हैं। एक साल, दो साल, कुछ साल बीत गये । मां बाप बूढ़े हो रहे हैं । बच्चों ने लोन लेकर बड़े शहरों में फ्लैट ले लिये हैं

अब अपना फ्लैट है तो त्योहारों पर भी जाना बंद

अब तो कोई जरूरी शादी ब्याह में ही आते जाते हैं। अब शादी ब्याह तो बेंकट हाल में होते हैं तो मुहल्ले में और घर जाने की भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है। होटल में ही रह लेते हैं।

हाँ शादी ब्याह में कोई मुहल्ले वाला पूछ भी ले कि भाई अब कम आते जाते हो तो छोटे शहर,  छोटे माहौल और बच्चों की पढ़ाई का उलाहना देकर बोल देते हैं कि अब यहां रखा ही क्या है?

खैर, बेटे बहुओं के साथ फ्लैट में शहर में रहने लगे हैं । अब फ्लैट में तो इतनी जगह होती नहीं कि बूढ़े खांसते बीमार माँ बाप को साथ में रखा जाये। बेचारे पड़े रहते हैं अपने बनाये या पैतृक मकानों में

कोई बच्चा बागवान पिक्चर की तरह मां बाप को आधा - आधा रखने को भी तैयार नहीं।

अब साहब, घर खाली खाली, मकान खाली खाली और धीरे धीरे मुहल्ला खाली हो रहा है।हर दूसरा घर, हर तीसरा परिवार सभी के बच्चे बाहर निकल गये हैं।
 वही बड़े शहर में मकान ले लिया है, बच्चे पढ़ रहे हैं,अब वो वापस नहीं आयेंगे। छोटे शहर में रखा ही क्या है । इंग्लिश मीडियम स्कूल नहीं है, हॉबी क्लासेज नहीं है, IIT/PMT की कोचिंग नहीं है, मॉल नहीं है, माहौल नहीं है, कुछ नहीं है साहब, आखिर इनके बिना जीवन कैसे चलेगा?

पर कभी UPSC ,CIVIL SERVICES का रिजल्ट उठा कर देखियेगा, सबसे ज्यादा लोग ऐसे छोटे शहरों से ही मिलेंगे। बस मन का वहम है।

अब ये मॉल, ये बड़े स्कूल, ये बड़े टॉवर वाले मकान सिर्फ इनसे तो ज़िन्दगी नहीं चलती। एक वक्त बुढ़ापा ऐसा आता है जब आपको अपनों की ज़रूरत होती है

ये अपने आपको छोटे शहरों या गांवों में मिल सकते हैं, फ्लैटों की रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन में नहीं

कोलकाता, दिल्ली, मुंबई,पुणे,चंडीगढ़,नौएडा, गुड़गांव, बेंगलुरु में देखा है कि वहां शव यात्रा चार कंधों पर नहीं बल्कि एक खुली गाड़ी में पीछे शीशे की केबिन में जाती है, सीधे शमशान, एक दो रिश्तेदार बस और सब खत्म
भाईसाब ये खाली होते मकान, ये सूने होते मुहल्ले, इन्हें सिर्फ प्रोपेर्टी की नज़र से मत देखिए, बल्कि जीवन की खोती जीवंतता की नज़र से देखिए। आप पड़ोसी विहीन हो रहे हैं। आप वीरान हो रहे हैं। आज गांव सूने हो चुके हैं।शहर कराह रहे हैं।

सूने घर आज भी राह देखते हैं.. बंद दरवाजे बुलाते हैं पर कोई नहीं आता। सबको समझाइए, बसाइए लोगों को छोटे शहरों और जन्मस्थानों के प्रति मोह जगाइए, प्रेम जगाइए। पढ़ने वाले तो सब जगह पढ़ लेते हैं। क्या आप भी उनमेसे एक तो नहीं है......?

🙏🙏🙏

शनिवार, 25 सितंबर 2021

जब तक हम रामचरितमानस, भगवद्गीता को समझेगे नहीं तब तक हम भ्रमित ही रहेंगे।


*शत्रु कौन है?* 
*ठन्डे दिमाग से विचार करें*

19 साल की अमृता (एमी) जिसका अभी अभी कॉलेज में एडमिशन हुआ है, उसने टीवी पर चल रहे वाद विवाद को देखते हुए अपने पापा से पूछा "व्हाट्स रॉन्ग विद दिस ऐड पापा? व्हाय ऑल द हिंदूस आर अगेंस्ट दिस ऐड? आलिया इज़ राइट, डॉटर्स आर नॉट वन्स पर्सनल ऐसेट्स, एनी वन कैन डोनेट देम। डॉटर्स आर लव सो कन्यादान इस रॉन्ग एंड कन्यामान इस राइट।

अपनी जिंदगी के लगभग पैंतालीस बसंत देख चुके बसंतराम जी ने गहरी सांस छोड़ी। टीवी का रिमोट उठाकर उसकी आवाज़ को म्यूट किया और अपनी बेटी की तरफ मुड़े। थोड़ी देर तक उसे अपने मोबाइल फोन में फेसबुक की पोस्ट्स पर आलिया को सपोर्ट करते हुए पोस्ट करते हुए देखते रहे फिर मुस्कुराते हुए उसके सर पर हाथ फेरा। एमी ने उनकी तरफ देखा और कहा व्हाट हैपेंड डैड?

बसंतराम जी ने कहा "पिछले हफ्ते जब तेरी मां ने तेरे लिए साड़ी ली थी तो लगा तू कितनी बड़ी हो गई लेकिन आज तेरी बातें सुनकर पता चला तू तो अभी भी वैसी ही छोटी सी है जैसी बचपन में हुआ करती थी। तुझे पता है, तुझे मेले में जाना इतना पसंद था कि कोई अगर झूठ भी ये कह दे कि मैं मेला जा रहा हूं तो तू उसके साथ चल पड़ती थी चाहे तू उसे जानती हो या ना हो। रात में जलते रंग बिरंगे नाइटबल्ब को देखकर भी तू यही कहती थी कि मेला शुरु हो गया है।

एमी ने मुंह बनाते हुए कहा "व्हाट डैड!" बसंतराम जी ने मुस्कुराते हुए कहा "तू अब भी झूठी चकाचौंध देखकर आकर्षित हो जाती है।" एमी ने प्रश्नवाचक दृष्टि से अपने पिता की ओर देखा तो उन्होंने कहा "तुझे पता है 'अमृता', 'मान' किसे कहते हैं?" एमी ने तुरंत अपने फोन में गूगल खोलते हुए कहा "होल्ड ऑन डैड, आई विल टेल यू।

उसके पिताजी ने फोन की स्क्रीन पर हाथ रखते हुए कहा गूगल पर मतलब ढूंढेगी तो बताएंगे किसी वस्तु का नाप लेकिन इसका एक अर्थ और होता है। मान, मतलब आदर, इज्ज़त, सम्मान। कन्यामान, इस शब्द को तुम आज के बच्चे हैशटैग लगाकर जो प्रसिद्ध कर रहे हो, ये तुम्हारे लिए नया होगा। इसके पीछे के जिस भाव को तुम दर्शाना चाह रहे हो वो तुम लोगों के लिए नए हैं। हम और हमारी पहले की असंख्य पीढियां कन्या के मान और सम्मान के लिए हमेशा से प्रतिबद्ध रही हैं।

उन्होंने बोलना जारी रखा ,इतिहास के पन्ने पलटकर देखो जरा अमृता, कन्या का जो स्थान हमारे सनातन धर्म में है वो शायद ही किसी अन्य धर्म में होगा। हम कन्याओं को पूजते हैं, हमने उन्हें देवी का पद दिया है तो तुम्हें क्या लगता है कि हम उनका मान नहीं करेंगे? हम तो खुद उन्हीं के जने हुए हैं, हमारी क्या औकात की हम उन्हें कुछ दें, हमारा जीवन तो खुद हमें उन्हीं की दी हुई भेंट है और तुम्हें लगता है उन्हीं के दिए हुए जीवन में हम उन्हें मान दिए बिना ही जीवित हैं। 

अमृता ने कहा "बट डैड..." बसंतराम जी ने उसकी बात काटते हुए कहा "ये जो तुम आज मेरे सामने जींस पहनकर बैठी हो, हाथ में महंगा फोन और अनलिमिटेड इंटरनेट का लुत्फ उठा रही हो, अपनी मर्ज़ी के हिसाब से खा पी रही हो, पहन ओढ़ रही हो, घूमने जा रही हो, दोस्त बना रही हो, अपने विचार मेरे सामने, समाज के सामने रख रही हो, अच्छे खासे अमृता नाम को भूलकर एमी नाम रखकर घूम रही हो, ये सब मान ही है जो हम तुम्हें देते हैं क्योंकि तुम हमारी बेटी ही नहीं, एक कन्या भी हो। बचपन में नवरात्रि के दिनों में हमने तुम्हारी पूजा की है, तुम्हें साक्षात देवी मानकर, तुम्हारे पैर छुए हैं, पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ, और आज तुम और तुम्हारे जैसी नई पीढ़ी के बच्चे हमें सिखा रहे हैं कि हमें कन्या का मान करना चाहिए।

अब उनकी आवाज थोड़ी ऊंची हो गई "एक बार उन मजहब वालों के समाज में, उनके देशों में जाकर देखो, वहां कन्याओं की क्या स्थिति है? वहां अपनी मर्जी से घूमना फिरना, पहनना छोड़ो अपनी मर्जी से खा भी नहीं सकती वो कन्याएं जिन्हें वहां के लोग खा तून कहते हैं। इस शब्द का मतलब समझती हो, क्यों उन्हें वहां खा तून कहते हैं? खा तून मतलब खाओ और तुनक जाओ। वहां स्त्रियों को सिर्फ और सिर्फ भोगा जाता है और यहां स्त्रियों को भजा जाता है। और अगर तुम्हें ये सब आज के भारत में दिख रहा है तो ये जहर भी उन्हीं मजहबी लोगों का फैलाया हुआ है। एक बार तुम अगर अपनी आंखों से वो सब देख लोगी ना तो तुम्हें कन्यामान का सही अर्थ पता लग जायेगा और मैं तो हैरान हूं कि अफगानिस्तान की स्थिति देखने के बाद भी तुम कैसे ये कह सकती हो।

बसंतराम जी चुप हो गए। अमृता ने भी कुछ नहीं कहा। थोड़ी देर बाद वो बोले "बेटा कन्यादान का अर्थ ये नहीं कि हम अपनी बेटी किसी और को दे रहे हैं क्योंकि अब हम उसकी परवरिश नहीं कर सकते या उसके खर्चे नहीं उठा सकते। अरे जिस मां बाप ने कन्या को जन्म दिया वो जीवनभर उसका पालन पोषण कर सकते हैं लेकिन कन्यादान करने के पीछे समाज का एक बहुत बड़ा हित छुपा होता है। कन्यादान, अग्नि को साक्षी मानकर, सभी देवी देवताओं का आह्वान कर के, अपनी कन्या को एक योग्य वर के हाथों में सौंपने का प्रण होता है ताकि वो कन्या एक नए परिवार में जाकर एक नई पीढ़ी के निर्माण की सृजना बन सके। एक ऐसे समाज का निर्माण कर सके जहां प्रेम, वात्सल्य और सम्मान हो और वर भी उसका वरण पूरे मनोयोग से करता है और वचन देता है कि जो स्त्री अपनी जननी और जन्मभूमि को त्याग कर, बिना किसी स्वार्थ के, परमार्थ की इच्छा से केवल समाज के हित के लिए उसके पास आ रही है वो उसका आजीवन भरण, पोषण और रक्षा करेगा।

कन्यादान की ये व्याख्या सुनकर अमृता तो हैरान ही हो गई। उसने कहा "सॉरी डैड, मुझे तो ये सब पता ही नहीं था। अच्छा आप ये सब दुबारा एक्सप्लेन करोगे क्या, वो मेरा फ्रेंड है ना आरिफ़, उसे बताना है कि कन्यादान की ये वैल्यू होती है। वो अक्सर कहता है कि तुम हिंदुओं के रीति रिवाज बहुत...

 अरे वो होता कौन है हमारे रीति रिवाजों पर उंगली उठाने वाला???" अमृता की बात पूरी सुने बिना ही बसंतराम जी गरज पड़े "किसने हक दिया उसे कि वो हमसे प्रश्न करे हमारे रीति रिवाजों को लेकर वो भी तब जब वो उत्तर सुनने के लायक भी नहीं!!! किसने अधिकार दिया उसे कि वो हमारे धर्म, हमारे धार्मिक स्थान, हमारे संस्कार, हमारे रीति रिवाजों के बारे में टिप्पणी करे? आखिर किसने??

अमृता के मुंह से टूटे फूटे से बोल निकले "वो मैं... बस....

"अमृता" बसंतराम जी बोले "जब वो आरिफ तुमसे तुम्हारे सनातन धर्म के बारे में सवाल करता है तो तुम चुप हो जाती हो, जब वो हमारे धार्मिक स्थानों के बारे में उल्टा सीधा कहता है तो तुम उसे जवाब नहीं देती, जब वो हमारे रीति रिवाजों पर उंगली उठाता है तुम उसी का साथ देती हो। कभी तुमने उस से पलटकर उसके मजहब के बारे में सवाल किया है? कभी उस से पूछा है कि हलाला क्यों किया जाता है? कभी जानने की कोशिश की है कि वो तीन तलाक के फैसले का इतना विरोध क्यों कर रहे थे? अरे ये ऐसे लोग हैं अमृता कि अगर इनका अपना स्वार्थ ना हो ना तो ये स्त्रियों को पानी तक न पीने दें। ऐसे लोगों को क्या हक है कि हमारे धर्म, हमारे रीति रिवाजों, हमारे कन्यादान जैसे तप पर सवाल उठाएं।

"अमृता, मैंने तुम्हें बचपन से सिखाया है कि जब तक कोई काम तुम खुद अच्छे से करना ना सीख लो तब तक दूसरों को उसके बारे में ज्ञान न दो। जिस नैतिकता का पाठ ये लोग हमें पढ़ाने की कोशिश करते हैं, इनका खुद उस से दूर दूर तक कोई संबंध नहीं इसलिए ऐसे लोगों के फालतू सवालों का या तो मुंह तोड़ जवाब दो या इनका मुंह ही तोड़ दो लेकिन अपने सनातन पर कभी किसी को उंगली मत उठाने दो। यही हमारा सच्चा धर्म है।

अमृता पिताजी की बातों से काफी प्रभावित हुई। उसने उन्हें वचन दिया कि आज के बाद वो खुद भी अपने धर्म के बारे में जानेगी और दूसरों को भी उसके बारे में बताएगी। तभी मां ने आवाज लगाई "आ जाओ, खाना खा लो सब।" बसंतराम जी ने कहा "चलें एमी?" अमृता ने मुस्कुराते हुए कहा एमी नहीं, अमृता।

...यूट्यूब पे शत्रु बोध का ज्ञान पेलने वालों विचार करो शत्रु कौन है? बाहरी शत्रु से हम लड़ सकते है पर जो अंदर से सनातन को खोख्ला कर रहे है उनसे कौन लड़ेगा ?

*कड़वा  सच।*

_शत्रु बोध नहीं हमारा ज्ञान बोध ही हमारी सनातन संस्कृति की रक्षा करेगा।_

*_और जब तक हम रामचरितमानस, भगवद्गीता को समझेगे नहीं तब तक हम भ्रमित ही रहेंगे।_*

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