पहली बार सामने आईं ‘रामायण’ की 35 साल पुरानी तस्वीरें, 4 फीट ऊंचा था रावण का महल, शूटिंग का चार्ज था ₹ 2000
भगवान
राम, लक्ष्मण और सीता का नाम लेते ही हर किसी के मन में मनमोहक मुस्कुराहट
और चमक वाले अरुण गोविल (अरुण गोविल ), सुनील लहरी (सुनील लहरी ) और
दीपिका चिखलिया (दीपिका चिखली ) का चेहरा आता है।
लॉकडाउन
के दौरान रामायण शो फिर से शुरू हुआ तो उसने TRP के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए।
बुजुर्ग बताते हैं 32 साल पहले टीवी पर रामायण आती थी तो उस समय सड़के थम
जाती थीं। लोग अपने-अपने घरों में रामायण देख रहे होते थे।इसके अलावा हमें
रामायण की शूटिंग के दौरान क्लिक किए गए कुछ ऐसे फोटो भी मिले हैं, जो शायद
ही आपने पहले देखे हो।
इन
तस्वीरों को हमारे साथ शेयर करने वाले शख्स ने बताया कि उनके यहां ये फोटो
दादाजी की यादों के तौर पर रखे हुए हैं। आइए जानते हैं रामायण से जुड़ी
कुछ रोचक बातें।
रामायण
की शूटिंग गुजरात के उमरगाम (उमरगम ) के वृंदावन स्टूडियो (वृन्दावन
स्टूडियो ) में हुई थी। स्टूडियो के तत्कालीन मालिक, राष्ट्रपति अवार्ड से
सम्मानित और दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित स्व. हीराभाई पटेल
(हीराभाई पटेल ) ने रामायण की शूटिंग में अहम भूमिका निभाई थी।
वह
रामायण, विक्रम बेताल और सिंहासन बत्तीसी के अलावा 300 से अधिक धार्मिक और
ऐतिहासिक फिल्मों व सीरियल के आर्ट डायरेक्टर रह चुके हैं।
.
कई मामलों में रामानंद सागर उनके पिताजी से सलाह मशवरा करते थे और उसके
आधार पर ही आगे की तैयारी की जाती थी। उन्होंने बताया कि रामायण की शूटिंग
1985 से शुरू होकर 5 साल तक चली थी।
उस
समय रामायण की शूटिंग के लिए स्टूडियो का किराया शिफ्ट के आधार पर लिया
जाता था। 8 घंटे की शिफ्ट के लिए 2000 हजार रुपये किराया था। इसके अलावा
कैमरामैन, असिस्टेंट, स्टूडियो असिस्टेंट और डायरेक्टर्स के रुकने के लिए
अलग-अलग व्यवस्था थी। रामायण के बाद जय हनुमान सीरियल, जय मां वैष्णों देवी
जैसे कई सीरियल की शूटिंग भी यहीं हुई जो भी हिट रहे थे।
विपिन
भाई पटेल बताते हैं कि हमारे स्टूडियो में ही सारे दृश्य फिल्माए गए थे।
चाहे वो आश्रम का सीन हो, जंगल का सीन हो, युद्ध का सीन हो या समुद्र का
सीन हो। सभी को पिताजी ने ही डिजाइन किया था।
विपिन
बताते हैं, सेट कैसा दिखना चाहिए इस पर रामानंद सागर, पिताजी और कुछ अन्य
लोग पहले चर्चा करते थे। उसके बाद पिताजी पेंटिंग के द्वारा उसे दिखाने की
कोशिश करते थे कि वो देखने में कैसा लगेगा या किन रंगों का उसमें प्रयोग
होना चाहिए।
सेट
बनने के बाद उसे ट्रिक फोटो / वीडियो ग्राफी से बड़ा या छोटा दिखाया जा
सकता था। आपने देखा होगा कि रामायण के एक सीन में रावण महल की बालकनी में
आकर कुंभकरण से बात करता है। उसमें महल की ऊंचाई काफी दिखाई गई है।
विपिन
भाई पटेल बताते हैं यह बात उन दिनों की है जब रामायण का प्रसारण टीवी पर
शुरू हो चुका था। राम, लक्ष्मण, सीता के रूप में लोग अरुण गोविल, सुनील
लहरी और दीपिका चिखलिया को जानने लगे थे।
इस
दौरान 80 साल की एक महिला सेट पर स्थित अरुण गोविल के कमरे में चली गई और
उनकी नींद खराब कर दी। जैसे ही वे उठे तो वो जाकर सीधे अरुण गोविल के पैरों
में गिर गई। महिला को वहां देखकर अरुण गोविल को गुस्सा आया और उन्होंने
ऑफिस में आकर मैनेजमेंट से इस बारे में बात शिकायत की, कि एक महिला ने कमरे
में आकर उनकी नींद खराब कर दी है। इस पर पिताजी ने उन्हें समझाया कि ये
बूढ़ी महिला आपको भगवान राम मानती है, इसी कारण आपके दर्शन करने के लिए
भावुकता वश आ गई। इसके बाद अरुण गोविल का गुस्सा शांत हुआ और उन्होंने उस
बुजुर्ग महिला से बात की।
विपिन
भाई पटेल बताते हैं कि रावण का रोल किसे दिया जाए इस पर काफी संशय था। जब
रामानंद सागर ने हीराभाई पटेल से पूछा कि रावण का रोल किसे दिया जाए तो
उन्होंने अरविंद त्रिवेदी का नाम सुझाया।
इसका
कारण यह था कि वह अरविंद त्रिवेदी को विलेन के रोल में एक गुजराती मूवी
में देख चुके थे। साथ ही वह थिएटर आर्टिस्ट भी थे। इसके बाद उन्हें बुलाया
गया और रामानंद सागर ने उनकी डायलॉग डिलिवरी देखते ही रावण के रोल के लिए
फाइनल कर लिया।
अरविंद
त्रिवेदी शिव भक्त हैं और वह रोजाना सेट पर आने से पहले शिव आराधना करते
थे। रामायण में रामेश्वरम सीन की शूटिंग के बाद एक पंडित जी भोपाल (मध्य
प्रदेश) से 2 शिवलिंग लेकर रामानंद सागर को भेंट करने आए थे। इस पर
उन्होंने मान लिया कि साक्षात भगवान शिव उनके पास चलकर आए हैं। इसलिए
उन्होंने स्टूडियो में और पास के गांव में शिव मंदिर बनवाकर शिवलिंग की
स्थापना कराई।