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मंगलवार, 22 जनवरी 2013

नीम एक चमत्कारी वृक्ष के औषधीय गुण

नीम एक चमत्कारी वृक्ष माना जाता है। नीम जो प्रायः सर्व सुलभ वृक्ष आसानी से मिल जाता है।
• नीम के पेड़ पूरे भारत में फैले हैं और हमारे जीवन से जुड़े हुए हैं। नीम एक बहुत ही अच्छी वनस्पति है जो कि भारतीय पर्यावरण के अनुकूल है और भारत में बहुतायत में पाया जाता है। भारत में इसके औषधीय गुणों की जानकारी हज़ारों सालों से रही है।
• भारत में एक कहावत प्रचलित है कि जिस धरती पर नीम के पेड़ होते हैं, वहाँ मृत्यु और बीमारी कैसे हो सकती है। लेकिन, अब अन्य देश भी इसके गुणों के प्रति जागरूक हो रहे हैं। नीम हमारे लिए अति विशिष्ट व पूजनीय वृक्ष है। नीम को संस्कृत में निम्ब, वनस्पति विज्ञान में 'आज़ादिरेक्ता- इण्डिका (Azadirecta-indica) अथवा Melia azadirachta कहते है।
गुण
यह वृक्ष अपने औषधि गुण के कारण पारंपरिक इलाज में बहुपयोगी सिद्ध होता आ रहा है। नीम स्वाभाव से कड़वा जरुर होता है, परन्तु इसके औषधीय गुण बड़े ही मीठे होते है। तभी तो नीम के बारे में कहा जाता है की एक नीम और सौ हकीम दोनों बराबर है। इसमें कई तरह के कड़वे परन्तु स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ होते है, जिनमे मार्गोसिं, निम्बिडीन, निम्बेस्टेरोल प्रमुख है। नीम के सर्वरोगहारी गुणों से भरा पड़ा है। यह हर्बल ओरगेनिक पेस्टिसाइड साबुन, एंटीसेप्टिक क्रीम, दातुन, मधुमेह नाशक चूर्ण, कोस्मेटिक आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है। नीम की छाल में ऐसे गुण होते हैं, जो दाँतों और मसूढ़ों में लगने वाले तरह-तरह के बैक्टीरिया को पनपने नहीं देते हैं, जिससे दाँत स्वस्थ व मज़बूत रहते हैं।
चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। इसे ग्रामीण औषधालय का नाम भी दिया गया है। यह पेड़ बीमारियों वगैरह से आज़ाद होता है और उस पर कोई कीड़ा-मकौड़ा नहीं लगता, इसलिए नीम को आज़ाद पेड़ कहा जाता है। [1]भारत में नीम का पेड़ ग्रामीण जीवन का अभिन्न अंग रहा है। लोग इसकी छाया में बैठने का सुख तो उठाते ही हैं, साथ ही इसके पत्तों, निबौलियों, डंडियों और छाल को विभिन्न बीमारियाँ दूर करने के लिए प्रयोग करते हैं। ग्रन्थ में नीम के गुण के बारे में चर्चा इस तरह है :-
निम्ब शीतों लघुग्राही कतुर कोअग्नी वातनुत।
अध्यः श्रमतुटकास ज्वरारुचिक्रिमी प्रणतु ॥
अर्थात नीम शीतल, हल्का, ग्राही पाक में चरपरा, हृदय को प्रिय, अग्नि, वाट, परिश्रम, तृषा, अरुचि, क्रीमी, व्रण, कफ, वामन, कोढ़ और विभिन्न प्रमेह को नष्ट करता है।[2]
घरेलू उपयोग
नीम के वृक्ष की ठंण्डी छाया गर्मी से राहत देती है तो पत्ते फल-फूल, छाल का उपयोग घरेलू रोगों में किया जाता है, नीम के औषधीय गुणों को घरेलू नुस्खों में उपयोग कर स्वस्थ व निरोगी बना जा सकता है। इसका स्वाद तो कड़वा होता है, लेकिन इसके फ़ायदे तो अनेक और बहुत प्रभावशाली हैं और उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :--

• नीम के तेल से मालिश करने से विभिन्न प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।
• नीम के तेल का दिया जलाने से मच्छर भाग जाते है और डेंगू , मलेरिया जैसे रोगों से बचाव होता है
• नीम की दातुन करने से दांत व मसूढे मज़बूत होते है और दांतों में कीडा नहीं लगता है, तथा मुंह से दुर्गंध आना बंद हो जाता है।
• इसमें दोगुना पिसा सेंधा नमक मिलाकर मंजन करने से पायरिया, दांत-दाढ़ का दर्द आदि दूर हो जाता है।
• नीम की कोपलों को पानी में उबालकर कुल्ले करने से दाँतों का दर्द जाता रहता है।
• नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और चमकदार होती है।
• नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर और पानी ठंडा करके उस पानी से नहाने से चर्म विकार दूर होते हैं, और ये ख़ासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक है।
• चेचक होने पर रोगी को नीम की पत्तियों बिछाकर उस पर लिटाएं।
• नीम की छाल के काढे में धनिया और सौंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से मलेरिया रोग में जल्दी लाभ होता है।
• नीम मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को दूर रखने में अत्यन्त सहायक है। जिस वातावरण में नीम के पेड़ रहते हैं, वहाँ मलेरिया नहीं फैलता है। नीम के पत्ते जलाकर रात को धुआं करने से मच्छर नष्ट हो जाते हैं और विषम ज्वर (मलेरिया) से बचाव होता है।
• नीम के फल (छोटा सा) और उसकी पत्तियों से निकाले गये तेल से मालिश की जाये तो शरीर के लिये अच्छा रहता है।
• नीम के द्वारा बनाया गया लेप वालों में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं।
• नीम और बेर के पत्तों को पानी में उबालें, ठंण्डा होने पर इससे बाल, धोयें स्नान करें कुछ दिनों तक प्रयोग करने से बाल झडने बन्द हो जायेगें व बाल काले व मज़बूत रहेंगें।
• नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी (कंजेक्टिवाइटिस) समाप्त हो जाती है।
• नीम की पत्तियों के रस और शहद को 2:1 के अनुपात में पीने से पीलिया में फ़ायदा होता है, और इसको कान में डालने कान के विकारों में भी फ़ायदा होता है।
• नीम के तेल की 5-10 बूंदों को सोते समय दूध में डालकर पीने से ज़्यादा पसीना आने और जलन होने सम्बन्धी विकारों में बहुत फ़ायदा होता है।
• नीम के बीजों के चूर्ण को ख़ाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेने से बवासीर में काफ़ी फ़ायदा होता है।
• नीम की निम्बोली का चूर्ण बनाकर एक-दो ग्राम रात को गुनगुने पानी से लें कुछ दिनों तक नियमित प्रयोग करने से कब्ज रोग नहीं होता है एवं आंतें मज़बूत बनती है।
• गर्मियों में लू लग जाने पर नीम के बारीक पंचांग (फूल, फल, पत्तियां, छाल एवं जड) चूर्ण को पानी मे मिलाकर पीने से लू का प्रभाव शांत हो जाता है।
• बिच्छू के काटने पर नीम के पत्ते मसल कर काटे गये स्थान पर लगाने से जलन नहीं होती है और ज़हर का असर कम हो जाता है।
• नीम के 25 ग्राम तेल में थोडा सा कपूर मिलाकर रखें यह तेल फोडा-फुंसी, घाव आदि में उपयोग रहता है।
• गठिया की सूजन पर नीम के तेल की मालिश करें।
• नीम के पत्ते कीढ़े मारते हैं, इसलिये पत्तों को अनाज, कपड़ों में रखते हैं।
• नीम की 20 पत्तियाँ पीसकर एक कप पानी में मिलाकर पिलाने से हैजा़ ठीक हो जाता है।
• निबोरी नीम का फल होता है, इससे तेल निकला जाता है। आग से जले घाव में इसका तेल लगाने से घाव बहुत जल्दी भर जाता है।
• नीम का फूल तथा निबोरियाँ खाने से पेट के रोग नहीं होते।
• नीम की जड़ को पानी में उबालकर पीने से बुखार दूर हो जाता है।
• छाल को जलाकर उसकी राख में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर लगाने से दाग़ तथा अन्य चर्म रोग ठीक होते हैं।
• विदेशों में नीम को एक ऐसे पेड़ के रूप में पेश किया जा रहा है, जो मधुमेह से लेकर एड्स, कैंसर और न जाने किस-किस तरह की बीमारियों का इलाज कर सकता है।
नीम के उपयोग से लाखों लोगों को रोजगार मिलता है, आप सभी से निवेदन है कि आप नीम जैसी औषधि का अपने घर में जरूर प्रयोग करे और देश के विकास में सहयोग दे और स्वस्थ भारत और प्रगतिशील भारत का निर्माण करे और अपने धन को विदेशी कम्पनियों के पास जाने से रोके

कैंसर को भस्म करता है हीरा---

कैंसर को भस्म करता है हीरा---


हीरा है सदा के लिए। यह सुंदरता में चार चांद लगाता है और शरीर भी निरोग रखता है। कैंसर जैसे असाध्य रोग की कारगर दवा है हीरे की भस्म, जिसमें कैंसर की शरीर में अनियंत्रित वृद्धि रोकने की अत्यन्त प्रभावी क्षमता है। इस भस्म से दर्जनभर लोगों को अपनी बीमारी से चमत्कारिक आराम मिला है। इससे चिकित्सकों का हौसला काफी बढ़ गया है।

राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, हंडिया के कायचिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो.जीएस तोमर ने कैंसर को दूर करने के लिए विशेष शोध किया है। इसमें कैंसर रोगियों को हीरक भस्म, गोमूत्र के साथ कुछ दवाओं का सेवन करना होता है। इसमें हीरे की भस्म शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। इससे रोग से अतिशीघ्र निजात मिलता है, क्योंकि हीरे की भस्म से दवाएं कैंसर ग्रस्त अंग जैसे ब्रेन, ब्लड, ब्रोन आदि तक सीधे पहुंचकर कार्य करने लगती हैं। वहीं आयुर्वेदीय 'मोलीकुलरली टारगेटेड थिरेपी' से उस अंग का तेजी से सुधार होता है।

डॉ.तोमर का कहना है कि कैंसर एक ऐसा असाध्य एवं घातक रोग है, जिसके नाम से ही मृत्युवत भय उत्पन्न होता है। कीमोथिरेपी, रेडिएशनथिरेपी तथा शल्य क्रिया में कैंसर को ठीक करने की क्षमता है। रोग के जीर्ण (पुराना) होने पर इसका लाभ नहीं मिल पाता। इससे निराशा एवं भयावहता से ग्रस्त रोगी आयुर्वेद चिकित्सकों की शरण लेते हैं।

तीन-चार सप्ताह में ही दिखने लगता है फायदा---

डॉ.तोमर का दावा है कि हीरे की भस्म को तीन दर्जन से अधिक कैंसर पीड़ितों में प्रयोग किया गया। इसमें दस रोगियों को तीन सप्ताह में 40 प्रतिशत आराम मिल गया, जबकि 15 ऐसे मरीज थे जिनको पांच सप्ताह में 45 प्रतिशत आराम मिला। उन्होंने बताया कि शोध कार्य पूरा होने पर इसकी प्रामाणिकता के लिए आयुष को भेजा जाएगा।

ऐसे बनती है भस्म---

पहले कुल्थी की दाल का काढ़ा बनाया जाता है। इसके बाद हीरे को तपाकर उसे 101 बार उसमें बुझाते हैं। इससे वह भस्म का रूप ले लेता है। फिर शहद में मिलाकर प्रतिदिन 10-20 मिलीग्राम की मात्रा चाटने पर लाभ मिलता है। साथ ही गोमूत्र को उबालकर अर्क बनाते हैं इसे चार चम्मच खाली पेट दिया जाता है।

दवा के साथ करें परहेज-----

कैंसर के रोगियों को दवा के साथ कुछ पहरेज भी करना होता है। बिना उसके दवा का लाभ नहीं मिल पाता।

-प्रदूषित पानी का सेवन न करें।

-धूम्रपान व तंबाकू का सेवन न करें।

-शराब के सेवन से रहें दूर।

-लाल मांस का सेवन न करें।

-वसा युक्त खाद्य पदार्थ से बचें।

-बासी व अधिक समय से कटे फल का सेवन न करें।

संतरे के छिलकों के अदभूत फायदे

संतरे के छिलकों के अदभूत फायदे

संतरा गुणों की खान होता है। इसमें विटामिन सी एवं फाइबर प्रचुर मात्रा में होते हैं जो आपके शरीर को काफी फायदा पहुंचाते हैं। लेकिन इसका छिलका कम गुणवान नहीं होता। इसके छिलके में भी सैकड़ों गुण छुपे होते हैं जो आपके शरीर को ढेरों फायदा पहुंचाते हैं। आइये जाने संतरे के छिलकों के कुछ अदभूत फायदे!

संतरे के छिलकों में विटामिन्स एवं खनिज

संतरे के छिलकों में विटामिन्स एवं खनिज प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसमें बी विटामिन्स में विटामिन बी 5 बी 6 और फोलेट पाए जाते हैं जो मष्तिष्क सम्बन्धी अनेकों विकारों को दूर करते हैं जैसे डिप्रेशन (अवसाद), तनाव, चिंता, माईग्रेन, इत्यादि। बी विटामिन्स आपकी तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) को भी स्वस्थ रखते हैं।

संतरे के छिलकों में विटामिन सी

संतरे के छिलकों में विटामिन सी भी भरपूर मात्रा में मौजूद रहता है जो आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत करता है जिसकी वजह से रोग आपसे दूर हीं रहते हैं। विटामिन सी की मौजूदगी में कोई भी रोग आपको आसानी से अपना शिकार नहीं बना सकता। विटामिन सी आपकी त्वचा को जवान रखता है एवं उसकी चमक बरक़रार रखता है। यह विटामिन आपके बालों को भी मजबूती प्रदान करता है, बालों को झड़ने से रोकता है एवं बाल घने एवं काला करता है।

संतरे के छिलकों में विटामिन ए

संतरे के छिलकों में विटामिन ए भी काफी मात्रा में पाया जाता है जो आपकी आँखों को तंदरुस्ती प्रदान करता है। यह आपकी आँखों की रोशनी तेज करता है एवं आँखों के आस पास झुर्रियां पड़ने से रोकता है। यह विटामिन आपके शरीर में रक्त संचार भी दुरुस्त करता है जिससे आप सदैव स्वस्थ रहते हैं। यह विटामिन आपके बालों को भी मजबूती प्रदान करता है जिससे आपके बाल घने होते हैं एवं जल्दी झड़ते नहीं हैं।

संतरे के छिलकों में कैल्सियम

संतरे के छिलकों में कैल्सियम प्रचुर मात्रा में विराजमान रहता है जो आपकी हड्डियों की तंदुरुस्ती के लिए अति आवश्यक है। इससे आपकी हड्डियां मजबूत होती हैं तथा आपको ओस्टोपोरोसिस होने खतरा नहीं रहता।

संतरे के छिलकों दिल की बीमारियों में लाभकारी

संतरे के छिलकों में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो दिल की बीमारियों को दूर करते हैं और इस तरह से इसका सेवन करने वाला व्यक्ति हार्ट एटेक, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों से बचा रहता है। इन सबका एक प्रमुख कारण यह है कि संतरे के छिलके कोलेस्ट्रोल को कम करते हैं जिसकी वजह से आपकी रक्त वाहिनियाँ प्लेक से अवरोधित नहीं होतीं और आपके शरीर में रक्त संचार सुचारू रूप से होता रहता है।

संतरे के छिलके कब्ज में फायदेमंद

संतरे के छिलकों में पेक्टिन पाया जाता है जिसे प्राकृतिक फाइबर के रूप में भी जाना जाता है। इसकी वजह से आपकी पेट की सारी बीमारियाँ दूर रहती हैं। यह कब्ज को दूर करने में बहुत हीं प्रभावकारी होता है।

वजन को नियंत्रण में रखना

संतरे के छिलकों में ऐसे गुण होते हैं जो आपकी भूख को नियंत्रण में रखते हैं तथा वजन बढ़ने नहीं देते। जिनका वजन बढ़ गया है उनके लिए यह बहुत हीं उपयोगी है क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से वजन कम करता है; आपके शरीर को बिना कोई नुकसान पहुंचाए।

कैंसर से बचाव करना

संतरे के छिलके आपको फेफड़ों के कैंसर से भी बचाते हैं, । इसके अलावा यह स्तन कैंसर, कोलोन कैंसर, पेट के कैंसर, गले के कैंसर, इत्यादि से भी आपका बचाव करता है।

इसका प्रयोग कैसे करें ?

आप संतरे के छिलकों को सुखाकर उसकी चाय बनाकर पी सकते हैं जिससे आपका वजन कम हो सकेगा एवं आपको अन्य लाभ भी मिलेंगे। अक्सर संतरे के छिलकों को सुखाकर उसका पाउडर तैयार कर लिया जाता है फिर उसे चाय के रूप में पीया जाता है या अन्य खाद्य पदार्थों के साथ। मेडिकल स्टोर्स में इसके पाउडर इसके उपयोग की विधि के साथ उपलब्ध रहते हैं।

सोमवार, 21 जनवरी 2013

हिन्दी होम्योपैथी : गर्मी के मौसम में काम आने वाली दवाइया और कुछ विशेष परिस्थिति में प्रयुक्त दवाइया

गर्मी के मौसम में काम आने वाली दवाइया और कुछ विशेष परिस्थिति में प्रयुक्त दवाइया

गर्मी के मौसम में काम आने वाली दवाइया और कुछ विशेष परिस्थिति में प्रयुक्त होने वाली कुछ दवाइयों पर एक नजर.

हमारे पास एक बन्दा आया. गर्मी से बेहद परेशान. उसने कहा इतनी गर्मी की मानो उसे शरीर में चमड़ी पर सुई चुभ रही है. उसे एपीस मेल ३० की चंद खुराक खाने को दी गयी. पहली खुराक खाने के बाद ही उसने कहा क्या आश्चर्य है. सुई चुभना तो बंद हो गया.

एक सज्जन जो बोलते वक़्त हकलाते थे, उन्हें स्त्रमोनियम २०० सुबह शाम ३ दिन लेने से आराम हो गया.

एक सज्जन पेट फुला हुआ सा रहता है ऐसी शिकायत लेकर आये. उन्हें लाय्कोपोदियम २००, सल्फर २०० और कल्केरिया कार्ब २०० एक के बाद एक लेने से आराम मिला.

एक सज्जन ने कहा की उन्हें पेट में छाती के निचे ऐसा दर्द होता है जैसे कोई उन्हें मार रहा हो. उन्हें अर्निका २०० की कुछ खुराक से लाभ हुआ.

एक सज्जन को खेल कूद से अंडकोष में दर्द शुरू हुआ, उन्हें अर्निका २०० से लाभ हुआ.

एक सज्जन को चेहरे के सिर्फ दाई ओर  दर्द हो रहा था. उन्होंने कहा पूरा चेहरा सिर्फ दाहिनी ओर दर्द करता है. उन्हें लाय्कोपोदियम ३० की चंद खुराको से लाभ हुआ.

एक सज्जन को नक्स वोमिका की असफलता के बाद लाय्कोपोदियम ३० ने कब्ज में जबरदस्त आराम पहुचाया.

एक सज्जन ने कहा की उन्हें रात को नींद नहीं आती. जो सारी बाते उन्हें दिनभर सिखाई जती है वही उनके दिमाग में रात भर चलती है. उन्हें फास्फोरस २०० की कुछ खुराको ने लाभ पहुचाया.

एक सज्जन जो दोपहर में होने वाली आम्ल पित्त की शिकायत लेकर उपस्थित हुए उन्हें लाय्कोपोदियम २०० ने जबरदस्त लाभ पहुचाया.

एक सज्जन जिन्हें गर्मी और पसीने के कारण अंडकोष पर छोटे छोटे फोड़ों के साथ जबरदस्त खुजली हुई सल्फर २०० की चंद खुराको से पीड़ा से संपूर्ण रूप से मुक्त हो गए.

एक सज्जन को परेड में दूर तक चलने से पसीने के कारण काख में और पीठ पर दर्द करने वाले लाल निशान बने. सल्फर ३० की कुछ खुराको से उन्हें दर्द से छुटकारा मिल गया.

एक सज्जन खुजली की पुरानी शिकायत लेकर आये थे. उन्हें सल्फर २०० से आराम मिला. लेकिन खुजली पलटकर आई. उन्हें सुबह आर्सेनिक एल्ब २०० और शाम को सल्फर २०० लेते रहने से राहत मिली.

एक सज्जन को हाथो के तलवो में बहुत पसीना छुटता था. उन्हें कमर दर्द की पुरानी शिकायत थी. क्याल्केरिया कार्ब २०० ने उन्हें तलवों के पसीने में राहत पहुचाई. रहस टॉक्स २०० ने उनके कमर का दर्द ८०% कम कर दिया.

एक सज्जन को पैर के अंगूठे में दर्द था. उन्हें ग्रेफैट २०० से राहत मिली. जब उन्हें गर्मी के कारण खुजली छूटी तो सल्फर २०० ने आराम पहुचाया.

गर्मी से जब आदमी बेहद पानी पिता है, उसका गला सूखता है, मल सुखा आता है और बदन में बुखार जैसा दर्द होता है तो ब्रायोनिया २०० या ३० कारगर साबित होती है. यहाँ नेट्रम मुर के साथ उसकी तुलना करे. ब्रायोनिया यह गुस्सा करने वाला हट्टा कट्टा व्यक्ति है यह एक बात ध्यान रखे.

सफ़र के बाद या खाने में फेर फार से पेट में गडबड़ी होती है तो नक्स वोमिका एक कारगर दवा है.

एक बन्दे को गर्मी के कारण चक्कर आने लगे. ग्लोनोइन ३० ने तुरंत राहत पहुचाई.

एक वयस्क सज्जन गर्मी से व्याकुल हो गए. ग्लोनोइन ३० ने लाभ पहुचाया.

एक तम्बाखू छोड़ने वाले सज्जन को दात में दर्द शुरू हुआ. भोजन करते वक़्त भरी कष्ट होता. स्ताफिसगरिया २०० और हेक्ला लावा ६ ने लाभ पहुचाया.

सुबह के वक़्त आने वाले चक्कर में नक्स वोमिका मदद करता है.

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