वसंत पंचमी ( 1 फरवरी 2017)
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माघ शुक्ल पंचमी को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इसमे अप्रान्ह व्यापिनी पंचमी ली जाती है. 1 फरवरी को पंचमी अप्रान्ह व्यापिनी है. इसलिये यह पर्व 1 फरवरी 2017 को ही मनाया जाएगा.
इस दिन माँगलिक कार्य किये जा सकते हैं, क्योकि बसंत पंचमी स्वयं मे सिद्ध मुहूर्त है. इस दिन माँ सरस्वती जी का पूजन किया जाता है. छात्रो, अध्यापको, लेखको, पत्रकारो को तो इस दिन व्रत रखकर माँ सरस्वती जी का पूजन करना ही चाहिए.
वसंत पंचमी पूजा विधि
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देवीभागवत के अनुसार देवी सरस्वती की पूजा सर्वप्रथम भगवान श्री कृष्ण ने की थी। मान्यतानुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि जिसे वसंत पंचमी (Vasant Panchami) के नाम से जाना जाता है, के दिन विद्यारंभ के शुभ अवसर पर देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए।
सरस्वती व्रत की विधि
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इस दिन मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। प्रात: काल समस्त दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के पश्चात मां भगवती सरस्वती की आराधना का प्रण लेना चाहिए। इसके बाद दिन के समय यानि पूर्वाह्नकाल में स्नान आदि के बाद भगवान गणेश जी का ध्यान करना चाहिए। स्कंद पुराण के अनुसार सफेद पुष्प, चन्दन, श्वेत वस्त्रादि से देवी सरस्वती जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा के उपरांत देवी को दण्डवत प्रणाम करना चाहिए।
देवी सरस्वती का मंत्र
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सरस्वती जी की पूजा के लिए अष्टाक्षर मूल मंत्र
"श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा"
परम श्रेष्ठतम और उपयोगी है।
विशेष
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देवी सरस्वती की पूजा में श्वेत वर्ण का अहम स्थान होता है। इनको चढ़ाने वाले नैवेद्य व वस्त्र अधिकतर श्वेत वर्ण के ही होने चाहिए।
सरल और सुंदर सरस्वती मंत्र
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नवरात्रि के नौ पवित्र दिनों में विद्यार्थियों को माता सरस्वती की आराधना अवश्य करनी चाहिए। जो लोग सरस्वती के कठिन मंत्र का जप नहीं कर सकते उनके लिए प्रस्तुत है मां सरस्वती के सरल मंत्र। नवरात्रि में इस मंत्र जप का आरंभ करने और आजीवन इस मंत्र का पाठ करने से विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है।
- मां सरस्वती का सुप्रसिद्ध मंदिर मैहर में स्थित है। मैहर की शारदा माता को प्रसन्न करने का मंत्र इस प्रकार है।
* 'शारदा शारदांभौजवदना, वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रियात्।
- शरद काल में उत्पन्न कमल के समान मुखवाली और सब मनोरथों को देने वाली मां शारदा समस्त समृद्धियों के साथ मेरे मुख में सदा निवास करें।
* सरस्वती का बीज मंत्र 'क्लीं' है। शास्त्रों में क्लींकारी कामरूपिण्यै यानी 'क्लीं' काम रूप में पूजनीय है
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*हरे कृष्ण*
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माघ शुक्ल पंचमी को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इसमे अप्रान्ह व्यापिनी पंचमी ली जाती है. 1 फरवरी को पंचमी अप्रान्ह व्यापिनी है. इसलिये यह पर्व 1 फरवरी 2017 को ही मनाया जाएगा.
इस दिन माँगलिक कार्य किये जा सकते हैं, क्योकि बसंत पंचमी स्वयं मे सिद्ध मुहूर्त है. इस दिन माँ सरस्वती जी का पूजन किया जाता है. छात्रो, अध्यापको, लेखको, पत्रकारो को तो इस दिन व्रत रखकर माँ सरस्वती जी का पूजन करना ही चाहिए.
वसंत पंचमी पूजा विधि
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देवीभागवत के अनुसार देवी सरस्वती की पूजा सर्वप्रथम भगवान श्री कृष्ण ने की थी। मान्यतानुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि जिसे वसंत पंचमी (Vasant Panchami) के नाम से जाना जाता है, के दिन विद्यारंभ के शुभ अवसर पर देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए।
सरस्वती व्रत की विधि
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इस दिन मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। प्रात: काल समस्त दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के पश्चात मां भगवती सरस्वती की आराधना का प्रण लेना चाहिए। इसके बाद दिन के समय यानि पूर्वाह्नकाल में स्नान आदि के बाद भगवान गणेश जी का ध्यान करना चाहिए। स्कंद पुराण के अनुसार सफेद पुष्प, चन्दन, श्वेत वस्त्रादि से देवी सरस्वती जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा के उपरांत देवी को दण्डवत प्रणाम करना चाहिए।
देवी सरस्वती का मंत्र
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सरस्वती जी की पूजा के लिए अष्टाक्षर मूल मंत्र
"श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा"
परम श्रेष्ठतम और उपयोगी है।
विशेष
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देवी सरस्वती की पूजा में श्वेत वर्ण का अहम स्थान होता है। इनको चढ़ाने वाले नैवेद्य व वस्त्र अधिकतर श्वेत वर्ण के ही होने चाहिए।
सरल और सुंदर सरस्वती मंत्र
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नवरात्रि के नौ पवित्र दिनों में विद्यार्थियों को माता सरस्वती की आराधना अवश्य करनी चाहिए। जो लोग सरस्वती के कठिन मंत्र का जप नहीं कर सकते उनके लिए प्रस्तुत है मां सरस्वती के सरल मंत्र। नवरात्रि में इस मंत्र जप का आरंभ करने और आजीवन इस मंत्र का पाठ करने से विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है।
- मां सरस्वती का सुप्रसिद्ध मंदिर मैहर में स्थित है। मैहर की शारदा माता को प्रसन्न करने का मंत्र इस प्रकार है।
* 'शारदा शारदांभौजवदना, वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रियात्।
- शरद काल में उत्पन्न कमल के समान मुखवाली और सब मनोरथों को देने वाली मां शारदा समस्त समृद्धियों के साथ मेरे मुख में सदा निवास करें।
* सरस्वती का बीज मंत्र 'क्लीं' है। शास्त्रों में क्लींकारी कामरूपिण्यै यानी 'क्लीं' काम रूप में पूजनीय है
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*हरे कृष्ण*
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