देश में कोविड-19 महामारी के बीच हाल के दिनों में म्यूकोरमाइकोसिस (जिसे ब्लैक फंगस के नाम से भी जाना जाता है) के मामलों में भी तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। कैंसर के समान घातक इस संक्रमण को लेकर डॉक्टर, लोगों से विशेष सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि म्यूकोरमाइकोसिस के कारण होने वाली मृत्यु दर 50 से 60 फीसदी तक हो सकती है, यानी इस संक्रमण से ग्रसित 100 में से लगभग 60 लोगों को मौत का खतरा रहता है।
कोविड से ठीक हो रहे मरीजों (विशेषकर डायबिटिक) में म्यूकोरमाइकोसिस के मामले ज्यादा देखे जा रहे हैं। संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच लोगों के मन में इससे संबंधित कई तरह के सवाल पैदा हो रहे हैं। ऐसा ही एक सवाल है कि क्या कोरोना की तरह ब्लैक फंगस का संक्रमण भी एक व्यक्ति से दूसरे को हो सकता है?
कितना संक्रामक है ब्लैक फंगस?
ब्लैक फंगस संक्रमण के बारे स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ सौरभ चौधरी कहते हैं कि इस संक्रमण के मामले काफी दुर्लभ होते हैं। हमारे वातावरण में यह फंगस हमेशा से मौजूद रहे हैं लेकिन इनका असर सिर्फ उन्हीं लोगों पर ज्यादा होता है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। यह संक्रमण सामान्यतौर पर एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। अनियंत्रित शुगर लेवल और ब्लड कैंसर के रोगी विशेषकर जो कीमोथेरपी ले रहे हैं, उनमें इस संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
घरों में भी मौजूद हो सकता है फंगस?
ब्लैक फंगस संक्रमण की प्रकृति और इसकी मौजूदगी के बारे में जानने के लिए हमने एनेस्थीसियॉलॉजिस्ट (निश्चेतनविज्ञानी) डॉ एचके महाजन से बात की। डॉ महाजन बताते हैं यह फंगस घरों में भी हो सकता है। खराब हो रही सब्जियों, मिट्टी और फ्रिज में यह फंगस मौजूद हो सकता है। इसलिए इन सभी की अच्छी तरह से साफ-सफाई करना बेहद जरूरी होता है। इसके साथ सभी को व्यक्तिगत स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। सब्जियों को अच्छे से धोकर ही उपयोग में लाएं, घरों में जो सब्जियां खराब हो रही हैं उन्हें तुरंत फेंक दें।
किन्हें विशेष सावधान रहना चाहिए?
फंगल संक्रमण किसी भी इम्यूनो-कंप्रोमाइज यानी कि जिसकी इम्यूनिटी कमजोर होती है, उसे हो सकता है। म्यूकोरमाइकोसिस का खतरा कोविड संक्रमित रह चुके डायबिटिक रोगियों को ज्यादा होता है। इसकी वजह ऐसे रोगियों के ब्लड शुगर का अनियंत्रित स्तर माना जाता है। कोविड के इलाज के समय स्टेरॉयड्स भी दी जाती हैं, जोकि शुगर को बढ़ा देती हैं इसलिए इन रोगियों में भी खतरा हो सकता है।
उपचार कैसे किया जाता है?
डॉ महाजन बताते हैं कि लक्षण दिखते ही ब्लैक फंगस का निदान करना अनिवार्य हो जाता है। इसके लिए शरीर के प्रभावित हिस्से अंश लेकर बायोप्सी किया जाता है। उपचार के तौर पर प्रभावित हिस्से को निकालने की भी जरूरत पड़ सकती है। मरीजों को एंटी-फंगल दवाइयां दी जाती हैं। रोगी को चार से छह हफ्ते तक इन दवाइयों की आवश्यकता हो सकती है।
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नोट: यह लेख इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर में एनेस्थीसियॉलॉजिस्ट डॉ एचके महाजन और विनायक हॉस्पिटल नोएडा के डायरेक्टर डॉ सौरभ चौधरी से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: सांवरिया ब्लॉग की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को इंटरनेट से संकलित संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। सांवरिया लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें तथा किसी भी दवा का सेवन बिना डॉक्टरी सलाह के न करें।
ब्लैक फंगस से बचाव के तरीके
1.लोग मास्क को कई दिन तक धोते नहीं है उल्टा सैनिटाइजर से साफ करके काम चलाते है। ऐसा न करें। कपड़े के मास्क बाहर से आने पर तुरंत मास्क साबुन से धोएं, धूप में सुखाएं और प्रेस करें। सर्जिकल मास्क एक दिन से ज्यादा इस्तेमाल न करें।
N95 मास्क को मेंहगा होने की वजह से लंबे समय तक उपयोग करना पड़े तो साबुन के पानी में प्रतिदिन कई बार डुबोकर धो लें, रगड़े नहीं। बेहतर हो कि नया इस्तेमाल करें।
2. अधिकांश सब्जियां खासकर प्याज़ छीलते समय दिखने वाली काली फंगस हाथों से होकर आंखों या मुंह मे चली जाती है। बचाव करें। साफ पानी , फिटकरी के पानी या सिरके से धोएं फिर इस्तेमाल करें।
3. फ्रिज के दरवाजों और अंदर काली फंगस जमा हो जाती है खासकर रबर पर तो उसे तत्काल ब्रश साबुन से साफ करें । और बाद में साबुन से हाथ भी धो लें।
4. जब तक बहुत आवश्यक न हो, ऑक्सीजन लेवल सामान्य है तो अन्य दवाओं के साथ स्टेरॉयड न लें। जब तक आपका डॉक्टर सलाह नहीं दे। विशेष तौर पर यह शुगर वाले मरीजों के लिए अधिक खतरनाक है।
5. डॉक्टर की सलाह पर ही ऑक्सिजन लगायें। अपने आप अपनी मर्ज़ी से नहीं। यदि मरीज को ऑक्सीजन लगी है तो नया मास्क और वह भी रोज साफ करके इस्तेमाल करें। साथ ही ऑक्सीजन सिलिंडर या concentrator में स्टेराइल वाटर/saline डालें और रोज बदलें।
6. बारिश के मौसम में मरीज को या घर पर ठीक होकर आ जाएं तब भी किसी भी नम जगह बिस्तर या नम कमरे में नहीं रहना है। अस्पताल की तरह रोज बिस्तर की चादर और तकिए के कवर बदलना है । और बाथरूम को नियमित साफ रखना है।
रूमाल गमछा तौलिया रोज धोना है।
आप इन सब बातों का ध्यान रखें और दूसरों को भी बताएं तो इस घातक बीमारी से बचाव संभव है। क्योंकि इसका उपचार अभी बहुत दुर्लभ और महंगा है इसलिए सावधानी ही उपचार है...🙏
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