नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
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सोमवार, 5 दिसंबर 2011
लड़कियों की तरह लड़कों को भी छिवानाना चाहिए कान... by Aditya Mandowara
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शनिवार, 3 दिसंबर 2011
***भारत को कब तक इंडिया कहेंगे ?***
जो भारत को इंडिया कहते है वे मात्र लॉर्ड मैकाले के दिये वचनो का पालन कर रहे है इंडिया बोलने से पहले विचारे : क्या अर्थ है इंडिया का ? .. कुछ नहीं ... हर भारतीय के नाम का अर्थ है .... हमारे यहाँ बिना भावार्थ के नाम रखने की असांस्कृतिक परंपरा नहीं है
अंग्रेज़ो को भारत नाम बोलने मे परेशानी होती थी -अंग्रेज़ इंडियन उस व्यक्ति को कहते है जो उनके हिसाब से जाहिल माना जाता है, -अंग्रेज़ इंडियन उस व्यक्ति को कहते जो पाषाण कालीन जीवन जीता है Remember the old British notorious signboard 'Dogs and Indians not allowed'. लेकिन हमारे भारत नाम का अर्थ है भारत : भा = प्रकाश + रत = लीन ( हमेशा प्रकाश, ज्ञान मे लीन ) इतना महान अर्थ से परिपूर्ण देश का नाम है !
(लॉर्ड मैकाले जिसका पूरा नाम 'थॉमस बैबिंगटन मैकाले' था ! मैकाले 1834 ई. में गवर्नर-जनरल की एक्जीक्यूटिव कौंसिल का पहला क़ानून सदस्य नियुक्त होकर भारत आया।)
*******कैसे पड़ा भारत का नाम ? *********
इस देश का नाम प्रथम तीर्थंकर दार्शनिक राजा भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर भारतवर्ष पड़ा। महाभारत (आदि पर्व-2-96) का कहना है कि इस देश का नाम भारतवर्ष उस भरत के नाम पर पड़ा जो दुष्यन्त और शकुन्तला का पुत्र कुरूवंशी राजा था। पर इसके अतिरिक्त जिस भी पुराण में भारतवर्ष का विवरण है वहां इसे ऋषभ पुत्र भरत के नाम पर ही पड़ा बताया गया है।
जहाँ "भारत" अपने स्वाभिमान का प्रतीक है वहीँ "India" आज भी अंग्रेजों की गुलामी की निशानी | इसलिए मेरा मानना है कि हमें अपने देश को अपनी संस्कृति से जोड़कर देखना चाहिए क्यूंकि यह महान है |
यह दुखद है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यहाँ अनेक प्रांतों और शहरों के नाम तो बदले, किंतु देश का नाम यथावत विकृत बना हुआ है। समय आ गया है कि जिन लोगों ने ‘त्रिवेन्द्रम’ को तिरुअनंतपुरम्, ‘मद्रास’ को तमिलनाडु, ‘बोंबे’ को मुंबई, ‘कैलकटा’ को कोलकाता या ‘बैंगलोर’ को बंगलूरू, ‘उड़ीसा’ को ओडिसा तथा ‘वेस्ट बंगाल’ को पश्चिमबंग आदि पुनर्नामांकित करना जरूरी समझा – उन सब को मिल-जुल कर अब ‘इंडिया’ शब्द को विस्थापित कर भारतवर्ष कर देना चाहिए। क्योंकि यह वह शब्द है जो हमें पददलित करने और दास बनाने वाली संस्था ने हम पर थोपा था।
(लॉर्ड मैकाले जिसका पूरा नाम 'थॉमस बैबिंगटन मैकाले' था ! मैकाले 1834 ई. में गवर्नर-जनरल की एक्जीक्यूटिव कौंसिल का पहला क़ानून सदस्य नियुक्त होकर भारत आया।)
*******कैसे पड़ा भारत का नाम ? *********
इस देश का नाम प्रथम तीर्थंकर दार्शनिक राजा भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर भारतवर्ष पड़ा। महाभारत (आदि पर्व-2-96) का कहना है कि इस देश का नाम भारतवर्ष उस भरत के नाम पर पड़ा जो दुष्यन्त और शकुन्तला का पुत्र कुरूवंशी राजा था। पर इसके अतिरिक्त जिस भी पुराण में भारतवर्ष का विवरण है वहां इसे ऋषभ पुत्र भरत के नाम पर ही पड़ा बताया गया है।
जहाँ "भारत" अपने स्वाभिमान का प्रतीक है वहीँ "India" आज भी अंग्रेजों की गुलामी की निशानी | इसलिए मेरा मानना है कि हमें अपने देश को अपनी संस्कृति से जोड़कर देखना चाहिए क्यूंकि यह महान है |
यह दुखद है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यहाँ अनेक प्रांतों और शहरों के नाम तो बदले, किंतु देश का नाम यथावत विकृत बना हुआ है। समय आ गया है कि जिन लोगों ने ‘त्रिवेन्द्रम’ को तिरुअनंतपुरम्, ‘मद्रास’ को तमिलनाडु, ‘बोंबे’ को मुंबई, ‘कैलकटा’ को कोलकाता या ‘बैंगलोर’ को बंगलूरू, ‘उड़ीसा’ को ओडिसा तथा ‘वेस्ट बंगाल’ को पश्चिमबंग आदि पुनर्नामांकित करना जरूरी समझा – उन सब को मिल-जुल कर अब ‘इंडिया’ शब्द को विस्थापित कर भारतवर्ष कर देना चाहिए। क्योंकि यह वह शब्द है जो हमें पददलित करने और दास बनाने वाली संस्था ने हम पर थोपा था।
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Can ELECTRICITY pass through Flash light of the Digital camera to your body??? Yes it is 100% true..!
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सत्य बहुत कड़वा होता है
लोकल ट्रेन से उतरते ही हमने सिगरेट जलाने
के लिए एक साहब से माचिस
माँगी तभी किसी भिखारी ने हमारी तरफ
हाथ बढ़ाया हमने कहा- “भीख माँगते शर्म
नहीं आती?” वो बोला- “माचिस माँगते
आपको आयी थी क्या” बाबूजी! माँगना देश
का करेक्टर है जो जितनी सफाई से माँगे
उतना ही बड़ा एक्टर है ये
भिखारियों का देश है लीजिए!
भिखारियों की लिस्ट पेश है धंधा माँगने
वाला भिखारी चंदा माँगने वाला दाद माँगने
वाला औलाद माँगने वाला दहेज माँगने
वाला नोट माँगने वाला और तो और वोट माँगने
वाला हमने काम माँगा तो लोग कहते हैं चोर है
भीख माँगी तो कहते हैं कामचोर है उनसे कुछ
नहीं कहते जो एक वोट के लिए दर-दर नाक
रगड़ते हैं घिस जाने पर रबर की ख़रीद लाते हैं
और उपदेशों की पोथियाँ खोलकर महंत बन
जाते हैं। लोग तो एक बिल्ला से परेशान हैं
यहाँ सैकड़ों बिल्ले खरगोश की खाल में देश
के हर कोने में विराजमान हैं। हम
भिखारी ही सही मगर राजनीति समझते हैं
रही अख़बार पढ़ने की बात तो अच्छे-अच्छ े
लोग माँग कर पढ़ते हैं समाचार तो समाचार
लोग-बाग पड़ोसी से अचार तक माँग लाते हैं
रहा विचार! तो वह बेचारा महँगाई के मरघट में
मुर्दे की तरह दफ़न हो गया है। समाजवाद
का झंडा हमारे लिए क़फ़न हो गया है सत्य
बहुत कड़वा होता है
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