एक
अच्छी खबर यह आई है की विज्ञान ने भी हमारे आदिपुरुष श्रीराम के भारत में
जन्म लेने की पुष्टि कर दी है. ज्ञातव्य है की श्रीराम का जन्म भारत में उस
काल में हुआ था जहाँ तक हमारी इतिहास की पहुँच अभी तक नही हो पाई है और
महज अनुमान के आधार पर ही कड़ियाँ जोडती रही है, परन्तु भारतीय
अनुसंधानकर्ताओं ने बाल्मीकि रामायण में दिए गए सामग्री को आधार मानकर
पिछले १० वर्षों से वैज्ञानिक पद्धति से उनकी प्रमाणिकता जाँच
कर रही थी और उन्होंने बाल्मीकि रामायण में दिए गए तारीख, ग्रह-नक्षत्र,
की स्थिति, भौगोलिक परिवेश एवं पारिस्थितिकी, प्लेनेटोरियम तकनीक एवं
सॉफ्टवेयर, समुद्र विज्ञान आदि के माध्यम से गहन अध्यन के पश्चात
निम्नलिखित प्रमुख निष्कर्ष को प्रस्थापित किया है.
१. आदिपुरुष
श्रीराम का जन्म ९-१० जनवरी, ५११४ इस्वी पूर्व में हुआ था जो की बाल्मीकि
रामायण में दिए गए तारीख चैत्र शुक्ल ९वीं की तारीख ठहरती है.
२. अक्षांस और देशान्तरों की गणना से श्रीराम की जन्म भूमि अयोध्या निर्धारित हुई है.
३. श्रीराम सपत्नीक एवं लक्ष्मण सहित २५वे वर्ष वनगमन किये थे अर्थात ५१३९ ईस्वी पूर्व
४. वनवास के तेरहवें वर्ष अर्थात ५१५२ ईस्वी पूर्व खरदूषण का वध किया था. बाल्मीकि रामायण के अनुसार उस दिन सूर्यग्रहण था जो की प्लेनेटोरियम सॉफ्टवेयर से भी सिद्ध हुआ है.
५. National Institute of Oceanology के अनुसार रामसेतु ७१०० ईस्वी पूर्व भारत श्रीलंका के बिच समुद्र से उभरा हुआ था और आज की अपेक्षा समुद्र की स्थिति ९ फीट निचे थी. रामयुग तक यह अतिदुर्गम मार्ग था जिस पर लंका पर चढ़ाई करते समय राम की सेना ने पार करने योग्य पूल बांध लिया था.
६. दण्डकारण्य वन (जगदलपुर के निकट) में श्रीराम के ठहरने के पर्याप्त सबूत सहित अयोध्या से लंका तक २२५ स्थान खोज निकाले है जो बाल्मीकि रामायण की सत्यता को प्रमाणित करते है.
(साभार जी न्यूज)
जाहिर है यह तथ्य कैथोलिक इटालियन गैंग के नेतृत्व वाली सरकार के मुंह पर तमाचा है जो देशी और विदेशी ईसाई मिशनरियों के दवाब में श्रीराम के अस्तित्व को न केवल नकारती रही है बल्कि पाठ्य पुस्तकों में भी रामायण और महाभारत को काल्पनिक कथाओं के रूप में पढने को बाध्य कर रखी है.
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हर हिन्दू के घर घर मैं और हिन्दू के दिल मैं गर्व होना चाहिए
अब हर बच्चे बच्चे को जय श्री राम ही बोलना चाहिए
२. अक्षांस और देशान्तरों की गणना से श्रीराम की जन्म भूमि अयोध्या निर्धारित हुई है.
३. श्रीराम सपत्नीक एवं लक्ष्मण सहित २५वे वर्ष वनगमन किये थे अर्थात ५१३९ ईस्वी पूर्व
४. वनवास के तेरहवें वर्ष अर्थात ५१५२ ईस्वी पूर्व खरदूषण का वध किया था. बाल्मीकि रामायण के अनुसार उस दिन सूर्यग्रहण था जो की प्लेनेटोरियम सॉफ्टवेयर से भी सिद्ध हुआ है.
५. National Institute of Oceanology के अनुसार रामसेतु ७१०० ईस्वी पूर्व भारत श्रीलंका के बिच समुद्र से उभरा हुआ था और आज की अपेक्षा समुद्र की स्थिति ९ फीट निचे थी. रामयुग तक यह अतिदुर्गम मार्ग था जिस पर लंका पर चढ़ाई करते समय राम की सेना ने पार करने योग्य पूल बांध लिया था.
६. दण्डकारण्य वन (जगदलपुर के निकट) में श्रीराम के ठहरने के पर्याप्त सबूत सहित अयोध्या से लंका तक २२५ स्थान खोज निकाले है जो बाल्मीकि रामायण की सत्यता को प्रमाणित करते है.
(साभार जी न्यूज)
जाहिर है यह तथ्य कैथोलिक इटालियन गैंग के नेतृत्व वाली सरकार के मुंह पर तमाचा है जो देशी और विदेशी ईसाई मिशनरियों के दवाब में श्रीराम के अस्तित्व को न केवल नकारती रही है बल्कि पाठ्य पुस्तकों में भी रामायण और महाभारत को काल्पनिक कथाओं के रूप में पढने को बाध्य कर रखी है.
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हर हिन्दू के घर घर मैं और हिन्दू के दिल मैं गर्व होना चाहिए
अब हर बच्चे बच्चे को जय श्री राम ही बोलना चाहिए