महाभारत में अठारह संख्या का महत्त्व
महाभारत कथा में १८ (अठारह) संख्या का बड़ा महत्त्व है. महाभारत की कई घटनाएँ १८ संख्या से सम्बंधित है. कुछ उदाहरण देखें:
महाभारत का युद्ध कुल १८ दिनों तक हुआ था.
कौरवों (११ अक्षोहिनी) और पांडवों (७अक्षोहिनी) की सेना भी कुल १८ अक्षोहिनी थी.
महाभारत में कुल १८ पर्व हैं (आदि पर्व, सभा पर्व, वन पर्व, विराट वरव,
उद्योग पर्व, भीष्म पर्व, द्रोण पर्व, अश्वमेधिक पर्व, महाप्रस्थानिक पर्व,
सौप्तिक पर्व, स्त्री पर्व, शांति पर्व, अनुशाशन पर्व, मौसल पर्व, कर्ण
पर्व, शल्य पर्व, स्वर्गारोहण पर्व तथा आश्रम्वासिक पर्व).
गीता उपदेश में भी कुल १८ अध्याय हैं.
इस युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी १८ हैं (ध्रितराष्ट्र, दुर्योधन,
दुह्शासन, कर्ण, शकुनी, भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य, अश्वस्थामा, कृतवर्मा,
श्रीकृष्ण, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी एवं विदुर).
महाभारत के युद्ध के पश्चात् कौरवों के तरफ से तीन और पांडवों के तरफ से १५ यानि कुल १८ योद्धा ही जीवित बचे.
महाभारत को पुराणों के जितना सम्मान दिया जाता है और पुराणों की संख्या भी १८ है
द्वारा : वंदे मातृ संस्कृति —
पुराणों में श्लोकों की संख्या
ब्रह्मपुराण: १४०००
पद्मपुराण: ५५०००
विष्णुपुराण: २३०००
शिवपुराण: २४०००
श्रीमद्भावतपुराण: १८०००
नारदपुराण: २५०००
मार्कण्डेयपुराण: ९०००
अग्निपुराण: १५०००
भविष्यपुराण: १४५००
ब्रह्मवैवर्तपुराण: १८०००
लिंगपुराण: ११०००
वाराहपुराण: २४०००
स्कन्धपुराण: ८११००
वामनपुराण: १००००
कूर्मपुराण: १७०००
मत्सयपुराण: १४०००
गरुड़पुराण: १९०००
ब्रह्माण्डपुराण: १२०००
इस प्रकार सारे पुराणों के श्लोकों की कुल संख्या लगभग ४०३६०० (चार लाख
तीन हजार छः सौ) है. इसके अलावा रामायण में लगभग २४००० एवं महाभारत में
लगभग ११०००० श्लोक हैं
कैलाश पर्वत .......दुनिया का सबसे बड़ा रहस्यमयी पर्वत, अप्राकृतिक शक्तियों का भण्डारक
Axis Mundi (एक्सिस मुंडी ) .............प्रश्न पहेली रहस्य ...
एक्सिस मुंडी को ब्रह्मांड का केंद्र, दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव और
भौगोलिक ध्रुव के रूप में, यह आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है
जहाँ चारों दिशाएं मिल जाती हैं। और यह नाम, असली और महान, दुनिया के सबसे
पवित्र और सबसे रहस्यमय पहाड़ों मे
ं से एक कैलाश पर्वत से सम्बंधित
हैं। एक्सिस मुंडी वह स्थान है अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है और आप उन
शक्तियों के साथ संपर्क कर सकते हैं रूसिया के वैज्ञानिक ने वह स्थान कैलाश
पर्वत बताया है।
भूगोल और पौराणिक रूप से कैलाश पर्वत महत्वपूर्ण
भूमिका निभाता हैं। इस पवित्र पर्वत की ऊंचाई 6714 मीटर है। और यह पास की
हिमालय सीमा की चोटियों जैसे माउन्ट एवरेस्ट के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर
सकता पर इसकी भव्यता ऊंचाई में नहीं, लेकिन अपनी विशिष्ट आकार में निहित
है। कैलाश पर्वत की संरचना कम्पास के चार दिक् बिन्दुओं के सामान है और
एकान्त स्थान पर स्थित है जहाँ कोई भी बड़ा पर्वत नहीं है। कैलाश पर्वत पर
चड़ना निषिद्ध है पर 11 सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर
चड़ाई की थी।
कैलाश पर्वत चार महान नदियों के स्त्रोतों से घिरा
है सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलज और कर्णाली या घाघरा तथा दो सरोवर इसके आधार
हैं पहला मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है
और जिसका आकर सूर्य के सामान है तथा राक्षस झील जो दुनिया की खारे पानी की
उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चन्द्र के सामान है। ये दोनों
झीलें सौर और चंद्र बल को प्रदर्शित करते हैं जिसका सम्बन्ध सकारात्मक और
नकारात्मक उर्जा से है। जब दक्षिण चेहरे से देखते हैं तो एक स्वस्तिक चिन्ह
वास्तव में देखा जा सकता है.
कैलाश पर्वत और उसके आस पास के
बातावरण पर अध्यन कर रहे रूसिया के वैज्ञानिक Tsar Nikolai Romanov और उनकी
टीम ने तिब्बत के मंदिरों में धर्मं गुरुओं से मुलाकात की उन्होंने बताया
कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है जिसमे तपस्वी
आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ telepathic संपर्क करते है।
कैलाश
पर्वत और उसके आस पास के बातावरण पर रूसिया के वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया
जिसको कोई नकार नहीं सकता उन्होंने यह बताया की कैलाश पर्वत एक विशाल मानव
निर्मित पिरामिड है जो लगभग एक सौ छोटे पिरामिडों का केंद्र है। इस
क्षेत्र में पिरामिड का विचार नया नहीं है। यह कालातीत संस्कृत महाकाव्य
रामायण के समय से है।
" In shape it (Mount Kailas) resembles a
vast cathedral… the sides of the mountain are perpendicular and fall
sheer for hundreds of feet, the strata horizontal, the layers of stone
varying slightly in colour, and the dividing lines showing up clear and
distinct...... which give to the entire mountain the appearance of
having been built by giant hands, of huge blocks of reddish stone. "
(G.C. Rawling, The Great Plateau, London, 1905).
रूसिया के वैज्ञानिकों का दावा है की कैलाश पर्वत प्रकृति द्वारा निर्मित
सबसे उच्चतम पिरामिड है। जिसको तीन साल पहले चाइना के वैज्ञानिकों द्वारा
सरकारी चाइनीज़ प्रेस में नकार दिया था। आगे कहते हैं " कैलाश पर्वत दुनिया
का सबसे बड़ा रहस्यमयी, पवित्र स्थान है जिसके आस पास अप्राकृतिक शक्तियों
का भण्डार है। इस पवित्र पर्वत सभी धर्मों ने अलग अलग नाम दिए हैं। "
रूसिया वैज्ञानिकों की यह रिपोर्ट UNSpecial! Magzine में January-August 2004 को प्रकाशित की गयी थी।
With deep thanks to Mr. Wolf Scott, former Deputy Director of UNRISD,
।। जयतु संस्कृतम् । जयतु भारतम् ।।
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- श्री राम का चरण सेवक
चाणक्य का अखंड भारत !!
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जय हो भोलेनाथ की......
द्वारा : वंदे मातृ संस्कृति