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शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

गुलाब बेहद अच्छा ब्लड प्यूरिफायर है।

 
गुलाब के नाम पर न जाने कितनी कविताएं  पढ़ी होंगी आपने। गुलाब के रंग-बिरंगे फूल सिर्फ ड्रॉइंगरूम में फूलदान पर ही अच्छे नहीं लगते, बल्कि इसकी पंखुड़ियां भी बड़े काम की हैं। गुलाब जल का इस्तेमाल फेस मास्क में भी होता है और यह खाने को भी लज्जतदार बनाता है। गुलाब विटामिन ए, बी 3, सी, डी और ई से भरपूर है। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, जिंक और आयरन की भी मात्र काफी होती है।
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गुलाब त्वचा को पोषण प्रदान करता है, जिससे  त्वचा तरोताजा बनी रहती है। संक्षेप में गुलाब मन और सौंदर्य दोनों के लिए अच्छा टॉनिक है।

* गुलाब को यों ही फूलों का फूल नहीं कहा जाता। दिखने
में यह फूल बेहद खूबसूरत है और इसकी हर पंखुड़ी में समाए हैं अनगिनत गुण। त्वचा को सुंदर बनाने से लेकर शरीर  को चुस्त-दुरुस्त रखने में गुलाब कितने काम आता है ।


* सुबह-सबेरे अगर खाली पेट गुलाबी गुलाब  की दो कच्ची पंखुड़ियां खा ली जाएं, तो दिन भर ताजगी बनी रहती है। वह इसलिए क्योंकि गुलाब बेहद अच्छा ब्लड प्यूरिफायर है।

* अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, ब्रोंकाइटिस, डायरिया, कफ,
फीवर, हाजमे की गड़बड़ी में गुलाब का सेवन बेहद  उपयोगी होता है।

* गुलाब की पंखुड़ियों का इस्तेमाल चाय बनाने में  भी होता है। इससे शरीर में जमा अतिरिक्त टॉक्सिन निकल जाता है। पंखुड़ियों को उबाल कर इसका पानी ठंडा कर पीने पर तनाव से राहत मिलती हैऔर मांसपेशियों की अकड़न दूर होती है।

* एक शीशी में ग्लिसरीन, नीबू का रस और गुलाब जल
को बराबर मात्रा में मिलाकर घोल बना लें। दो बूंद चेहरे
पर मलें। त्वचा में नमी और चमक बनी रहेगी और
त्वचा मखमली-मुलायम बन जाएगी।

दालचीनी का सेवन

दालचीनी
जो दालचीनी, पतली, मुलायम चमकदार, सुगंधित और चबाने पर तमतमाहट एवं मिठास उत्पन्न करने वाली हो, वह श्रेष्ठ होती है।दालचीनी की तासीर गर्म होती है।अत: गर्मी के मौसम में इसका कम से कम मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए। दालचीनी का सेवन लम्बे समय तक व लगातार मात्रा में नहीं करना चाहिए।वात-पित्त नाशक, मुंह का सूखना और प्यास को कम करने वाली होती है। दालचीनी की क्रिया श्वसन संस्थान पर अधिक होती है। यह कफ, जुकाम, क्षय (टी.बी) को नष्ट करती है। यह उत्तेजक, दर्दनाशक, स्नायु संस्थान में उत्तेजना लाने वाली,भूख बढ़ाने वाली, पाचक, अरुचि, उल्टी रोकने वाली, पेट के कीड़ों को नष्ट करने वाली, मल को गाढ़ा करने वाली, दस्त बंद करने वाली, बदबूनाशकतथा गैस निकालने वाली होती है। यह मूत्रवर्द्धक, हृदयशक्तिवर्द्धक, यकृत, उत्तेजक तथा शरीर में स्फूर्ति लेने वाली होती है। यह त्वचा को निखारती है तथा खुजली के रोग को दूर करती है।इसके पत्तों को तेजपत्ता कहते है |दालचीनी के इतने लाभ है की रोज़ ही चाय में या ऐसे ही गर्म पानी से इसका चूर्ण ले लेना चाहिए.इसका चूर्ण घर में रखना चाहिए .
- पालक ठण्डा होता है। पालक में दालचीनी डालने से इसकी ठण्डी प्रकृति बदल जाती है। इसी प्रकार दूसरे ठण्डे पदार्थों की प्रकृति बदल जाती है। इसी प्रकार अन्यशीतल पदार्थों की प्रकृति दालचीनी डालकर बदल सकते हैं।
- यह गर्भवती स्त्री के लिए हानिकारक होती है। गर्भवती स्त्रियों को इसे नहीं लेना चाहिए अथवा कम मात्रा में लेना चाहिए।
- दालचीनी का तेल दर्द, घावों और सूजन को नष्ट करता है। सिर दर्द के लिए यह बहुत ही गुणकारी औषधि होती है।दालचीनी का तेल 1से 4 बूंद तक काम में लेते हैं। दालचीनी का तेल तीक्ष्ण और उग्र होता है। इसलिएइसे आंखों के पास न लगाएं।
- दालचीनी त्वचा के लिये कंडीशनर का कामकरता है। चेहरे पर दालचीनी शहद का पैक लगाये झुर्रियां नही पड़ेगी।
- दालचीनी के लिए वसाब्लॉक की क्षमता है. शरीर में पर्याप्त दालचीनी के साथ, वसा कोशिकाओं को आसानी से नहीं विकसित होगी.दालचीनी के लिएएक वजन घटाने inducer माना जा रहा है क्योंकि यह मुख्य रूप से पाचन तंत्र पर एक सफाई प्रभाव है.
- मसाले बैक्टीरिया, कवक हटाने में मदद कर सकते हैं और पेट और आंतों से परजीवी. इसलिए, खाना बेहतर है .दालचीनी उदार रोगों , अतिसार , ग्रहणी , अफारे ,दस्त,कब्ज , भूख ना लगना,वमन ,पेट दर्द आदि में लाभकारी है .
- दालचीनी में शरीर की रक्त शर्करा के स्तर को कम करने की क्षमता है, जबकि इंसुलिन के उत्पादन में वृद्धि. जब एक नियमित आधार पर एक मधुमेह रोगियों द्वारा लिया,जाए दालचीनी में इंसुलिन जैसे गुण है.यह मसाला इतना शक्तिशाली है कि यह वास्तव में इंसुलिन के लिए एक सस्ता विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. यह सबसे अधिक प्रकार द्वितीय मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए प्रभावी है. दालचीनी जैव सक्रिय घटक है कि यहाँ तक कि इस रोगकी शुरुआत को रोका जा सकता है.
- दालचीनी ट्राइग्लिसराइड् स को भी कम करती है और शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर.भी कम करती है .
-गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी का पावडर दाल कर पेस्ट बनाएं और बालों में लगाए . एक घंटे बाद सरधो ले . इससे बाल झडनारुक जायेंगे .
- इसका सेवन रोगप्रतिरोधक शक्तिऔर आयु को बढाता है .
- दालचीनी का छोटा टुकडा रोजाना सुबह चबाने से हकलाने में लाभ होता है .
- संधिवात में दालचीनी के काढ़े का सेवन करने से लाभ होता है .दालचीनी के चूर्ण को शहद में मिलाकर कर लगाने से दर्द में आराम मिलताहै .
- दालचीनी का तेल या इसका लेप या तेजपत्ते के पत्तों को पीस कर बनाए गए लेप से सर दर्द में आराम मिलता है

एलर्जी का कारण

"एलर्जी"-एक आम शब्द। कई लोगों को किसी खास चीज से एलर्जी होती है। किसी को धूल से तो किसी को सर्दी से। किसी को पेट्रोल की खुशबू से तो किसी को मशरूम से। यानी एलर्जी को लेकर कोई तयशुदा पैमाना नहीं है।

एलर्जी के पीछे कई कारण हो सकते हैं। हमारे आसपास कई ऐसी चीजें मौजूद होती हैं जिनके संपर्क में आने पर हमें एलर्जी हो सकती है। पर्यावरण में एलर्जी फैलाने वाले एलर्गन तत्वों के संपर्क में आने के कारण हमें यह समस्या होती है। आमतौर पर यह जुकाम, खांसी, नाक से पानी बहना, नाक में खारिश व आंखों में लाली के तौर पर सामने नजर आती है।

कई लोगों की त्वचा अत्यधिक संवेदनशील होती है। किसी वस्तु विशेष के संपर्क में आते ही उन्हें एलर्जी हो जाती है। इसमें त्वचा पर खुजली, जलन, दाने, लाल हो जाना आदि समस्याएं दिखाई देती हैं। भोजन में कई पदार्थ ऐसे हैं जिनसे कई लोगों को एलर्जी हो सकती है- जैसे मूंगफली, अंडे और दूध से भी किसी-किसी को एलर्जी हो जाती है। एलर्जी होने के अनेक कारण तो हमारे घर में ही छिपे होते हैं। लेकिन आमतौर पर हम इस ओर ध्यान ही नहीं देते। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उन चीजों, जिनसे कि एलर्जी होती है, को पहचानकर उनसे दूर रहा जाए। आइए हम आप को बताते है एलर्जी को दूर करने के आसान उपाय-

एलर्जी को दूर करने के आसान उपाय

।. बिस्तर के कपड़ों में एलर्जी फैलाने वाले तत्व सबसे अधिक होते हैं। नियमित तौर पर गर्म पानी में कपड़ों को धोएं और उन्हें धूप में सुखाएं।

2. फर वाले पालतू जानवरों से भी कई लोगों को एलर्जी हो सकती है। ऐसे में इनसे दूरी बनाए रखना जरूरी है।

3. नियमित तौर पर घर की अच्छे से सफाई करें। इस काम में वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करना बेहतर रहेगा। वैक्यूम क्लीनर उन जगहों की भी सफाई कर सकता है जहां आमतौर पर आपके हाथ या अन्य परांपरागत सफाई उपकरण नहीं पहुंच पाते।



4. घर अगर सड़क के पास है तो बाहर की धूल मिट्टी को अंदर आने से रोकने के लिए दरवाजे और खिड़कियों को जहां तक हो सके बंद ही रखना चाहिए। खिड़कियों पर शीशे के साथ बारीक जाली लगाएं।

5. कई लोगों को फूलों की खुशबू से भी एलर्जी होती है, ऐसे लोगों को चाहिए कि उन पौधों को कमरे में न लगाएं जिन पर फूल खिलते हों।

6. टू-व्हीलर चलाते समय फेस मास्क अवश्य पहनें। इससे न केवल आप धूल और मिट्टी से बचे रहेंगे साथ ही आप चेहरा भी साफ रहेगा।

7. धूम्रपान आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है। इसलिए बेहतर है कि धूम्रपान से दूर रहें।

8. अगर आपके आसपास किसी को सिगरेट के धुएं से एलर्जी है तो उसके सामने स्मोकिंग भी न करें।

9. आपके घर की दीवार पर फंगस हो रहा है तो उसे ब्लीच के जरिए साफ करें।

10. शरीर की सफाई पर भी पूरा तवज्जो दें। त्वचा अधिक संवेदनशील होने पर अंडरगारमेंट सुबह-शाम बदलें, शर्टपेंट रोजाना बदलें।

11. कई लोगों की त्वचा अत्यधिक संवेदनशील होती है। किसी वस्तु विशेष के संपर्क में आते ही उन्हें एलर्जी हो जाती है।कई लोगों को दूसरों की चीज इस्तेतमाल करने से भी एलर्जी हो जाती है। जैसे- बिस्तर, टॉवेल, दूसरों के पहने कपड़े आदि। तो उन्हें इस बात का खास खयाल रखना चाहिए।

12. कई लोगों को आर्टिफिशियल ज्वेलरी सूट ही नहीं करती। इससे उनकी त्वचा पर एलर्जी हो जाती है। चमड़े के पर्स, घड़ियों के या कमर के पट्टे भी एलर्जी का कारण हो सकते हैं।

13. त्वचा के जिस भाग पर एलर्जी हो, वहां किसी भी तरह का कास्मेटिक प्रयोग न करें।

14. जिस चीज से त्वचा पर एलर्जी होती है, उस चीज को नोट करें और उस चीज का इस्तेमाल करना ही बंद कर दें।

15. प्रतिदिन यह देखें कि कौन सी चीजें खाने के बाद शरीर में एलर्जी के लक्षण दिखाई देते हैं। आप उस खास चीज के नाम के आगे x का निशान लगा दें और वह चीज खाना बंद कर दें।

इन उपायों को अपना कर आप एलर्जी को कम कर सकते है लेकिन अगर आपकी परेशानी थोडी गंभीर है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

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