दान जरूर दें, पर किसे?
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दान करना बहुत अच्छी बता है,क्योंकि उससे त्याग करने की क्षमता बढ़ती
है;और ‘सर्वं वस्तु भयान्वितं भुवि नृणाम वैराग्यं एवाभवम्’ के अनुसार
संसार में त्याग ही एकमात्र ऐसी वस्तु है,जो अभय प्रदान करती हैं,वरना
प्रत्येक वस्तु भय उत्पन्न करनेवाली होती है। गांधीजी के राजनीतिक गुरू
गोपाल कृष्ण गोखले ने भारतीय परंपरा के अनुसार सार्वजनिक जीवन में त्याग
करने पर विशेष बल दिया था। उनका कहना था
-‘त्याग नेक जीवन का सिद्धांत है और लोग जो कुछ प्राप्त करते हैं,उससे महान
नहीं बनते;बल्कि वे जो कुछ त्यागते हैं, उससे महान बनते हैं।’
उपर्युक्त के आधार पर त्याग और दान उपयोगिता और महत्ता की दृष्टि से
जुड़वाँ भाई हैं। लेकिन त्याग विवेकपूर्ण होना चाहिए और दान सुपात्र को दो
दिया जाना चाहिए। आगे की पंक्तियों में किसी भारी दान की बात न करके केवल
भिक्षा या भीख जैसे रोजमर्रा के दान की बात की गई है।
भिक्षा या
भीख माँगनेवाले हट्टे-कट्टे भिक्षार्थी कभी सुपात्र नहीं हो सकते, क्योकि
वे हाथ फैलाने के अलावा कुछ नहीं करते। यदि आप अंध धार्मिक या अति भावुक
बनकर उनके भोजन-पानी आदि की व्यवस्था में सहयोग देते हैं तो आप उन्हें और
भी नाकारा बनाते हैं। वे अपना पेट पालने के लिए अंधविश्वासी भक्तों और
विवेकहीन दानियों को बेवकूफ बनाने का धंधा करते हैं। कई बार तो वे भिखमंगे
लोग ठग ही नहीं,चोर-उचक्के भी होते हैं।वे आपसे कुछ माँगने तक तो आपके
हितैषी बनकर कहते हैं कि वे आपके नाम का दिया जलाएँगे, आपके लिए दुआ
माँगेंगे; पर यदि आपने उन्हें कुछ नहीं दिया, तक वे तत्काल आपका बुरा सोचते
हुए आपके विरूद्ध बड़बड़ाते हुए निकल जाते हैं। उनका यह कहना कि उनकी
दुआओं से आप संपन्न हो जाएँगे,निहायत मूर्खता की बात होती हैं; क्योंकि यदि
उनकी दुआओं में थोड़ा भी दम होता तो वे अपने लिए भी दुआ माँगकर स्वयं
संपन्न हुए बिना नहीं रह सकते थे।
कभी-कभी वे मंगते आपको
डराकर-यदि आपने उन्हें दान नहीं दिया तो आपका अमुक नुकसान हो जाएगा,आपको
झुकाना चाहते हैं; पर यह उनका सिर्फ चालूपन होता है। ऐसे दान-भुक्खड़ों से
सावधान रहिए।
यदि आपको दान देना ही तो होनहार गरीब बच्चों को
छात्रवृत्ति दीजिए, अनाथों की जिंदगी बनाइए, अपाहिजों की मदद कीजिए,
बेसहारा बीमारों का इलाज करवाइए, अभागी और संकटग्रस्त विधवाओं का विवाह
करवाइए।
यदि आपका पेट अच्छी तरह से भर रहा है तो ओवर-ईटिंग की
बिलकुल जरूरत नहीं हैं। अपनी समृद्धि में से थोड़ा अभाववालों के लिए भी कुछ
करके देखिए, आपकी आत्मा खिल उठेगी। अपनी संपत्ति का सही उपयोग कीजिए। आप
अपने साथ उसमें से कुछ भी लेकर जानेवाले नहीं हैं।
अनिष्ट ग्रहों के दैनिक जीवन में ज्योतिषीय उपचार
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एक कुशल गृहिणी चूल्हा जलाने के बाद पहली रोटी कुत्तों के लिए और एक रोटी
गाय के लिए बचाकर रखती है। घर की सफाई के दौरान जब पोंछा लगाती है तो
बाल्टी के पानी में नमक मिलाती है। शाम के समय मंदिर जाते हुए चींटियों के
लिए थोड़ा आटा और चीनी लेकर निकलती है। देखने में ये दैनिक जीवन का हिस्सा
दिखाई दे सकते हैं, लेकिन अधिकांश महत्वपूर्ण
ज्योतिषीय उपचार इन्हीं से जुड़े हुए हैं। महंगे रत्नों या पुरोहितों के
सान्निध्य में यज्ञ हवन करवाने की तुलना में रोजाना का यह मौन यज्ञ आपको कई
तरह की बाधाओं से बचाकर रखता है। दिनचर्या से जुड़े ये नियम सामान्य नियम न
होकर ज्योतिषीय उपचारों के नियम हैं।
साधना और दान जरूरी
किसी भी जातक की कुंडली में पीड़ा देने वाले ग्रहों में राहू, केतू और शनि
शामिल है। इसके अलावा हर लग्न के लिए बाधक स्थानाधिपति व मारक ग्रहों की
पीड़ा भी शामिल होती है। इन समस्याओं का समाधान हमारे घर में मौजूद है।
किसी ग्रह का प्रभाव बढ़ाने या खराब प्रभाव को खत्म करने के लिए रत्न पहनाए
जाते हैं, लेकिन पीड़ादायी ग्रहों का उपचार करने के लिए दो ही साधन प्रमुख
हैं, इनमें पहला है दान और दूसरा है साधना। साधना किसी समय विशेष पर की जा
सकती है, लेकिन दान का महत्व हर दिन है। दान का क्रम आगे बढऩे से
पूर्वजन्म के कर्मों का बंधन भी ढीला होने लगता है और जातक क्रमश: अधिक
सुखी होता जाता है। हर ग्रह से संबंधित उपचार पूर्व में ही तय हैं।
सूर्य: करें काली गाय की सेवा
किसी जातक की कुंडली में सूर्य खराब परिणाम दे रहा हो तो लाल किताब के
अनुसार उस जातक के मुंह से बोलते समय थूक उछलता रहता है। शरीर के कुछ अंग
आंशिक या पूर्ण रूप से नाकारा होने लगते हैं। ऐसे जातकों को सुबह उठकर
सूर्य देवता को अध्र्य देना चाहिए और लाल मुंह के बंदर की सेवा करनी चाहिए।
आठवें का सूर्य होने पर सफेद गाय की बजाय लाल या काली गाय की सेवा करने के
लिए कहा जाता है।
चंद्र: बुजुर्गों का लें आशीर्वाद
माता की
सेवा करने से चंद्रमा के शुभ फल मिलने शुरू होते हैं। घर के बुजुर्गों,
साधु और ब्राह्मणों के पांव छू कर आशीर्वाद लेने से चंद्रमा के खराब
प्रभावों को भी दूर किया जा सकता है। रात के समय सिरहाने के नीचे पानी रख
कर सुबह उसे पौधों में डालने से चंद्र्रमा का असर दुरुस्त होता है। घर का
उत्तरी-पश्चिमी कोना चंद्रमा का स्थान होता है। यहां पौधे लगाए जाएं और
सुबह-शाम पानी दिया जाए तो चंद्रमा का प्रभाव उत्तम बना रहता है।
मंगल: भाइयों की करें सहायता
आंख में खराबी, लंबे समय से संतानोत्पत्ति में बाधा मंगल के खराब प्रभाव
का परिणाम है। भाइयों की सहायता व ताऊ-ताई की सेवा से मंगल का अच्छा प्रभाव
मिलता है। लाल रंग का रुमाल पास रखने से मंगल का दुष्प्रभाव खत्म होता है।
महिलाओं में मंगल का असर बढ़ाने के लिए तो उन्हें लाल चूडिय़ां, लाल
सिंदूर, लाल साड़ी, लाल बिंदी लगाने के लिए कहा जाता है।
बुध: घर में जमे कचरे को हटाएं
गंध का पता न लगे और सामने के दांत गिरने लगें तो समझ लीजिए कि बुध का
खराब प्रभाव आ रहा है। ऐसे में फिटकरी से दांत साफ करने से बुध का खराब
प्रभाव कम होता है। बुध खराब होने से व्यापारियों का दिया या लिया धन अटकने
लगता है। गायों को नियमित रूप से पालक खिलाने से यह रुका हुआ धन फिर से
मिलने लगता है। छत पर जमा कचरा भी ऋण को बढ़ाता है। इसे हटाने से ऋण का बोझ
कम होता है और व्यापार सुचारू चलता है।
गुरु: ईष्ट देव को पूजें
रमते साधु को पीले वस्त्र दान करने और भोजन कराने से गुरु के अच्छे परिणाम
हासिल होते हैं। जिन जातकों की गुरु की दशा चल रही हो, अगर वे नियमित रूप
से अपने ईष्ट के मंदिर जाएं और पीपल में जल सीचें तो गुरु की दशा में अच्छे
लाभ हासिल कर सकते हैं। इसी दशा में स्कूल, धर्म स्थान में नियमित अंतराल
में दान करना भी भाग्य को बढ़ाता है।
शुक्र: गाय को दें गुड़
चमड़ी के रोग और अंगूठे पर चोट से शुक्र के खराब प्रभाव का पता चलता है।
अगर प्रतिदिन रात के समय अपने हिस्से की एक रोटी गाय को दें तो शुक्र का
प्रभाव यानी समृद्धि तेजी से बढ़ती है। शुक्र का खराब प्रभाव हो तो रात के
समय बैठी गाय को गुड़ देना लाभदायक है। सुहागिनों समय-समय पर सुहाग की
वस्तुएं देने से शुक्र के प्रभाव बढ़ता है।
शनि: साधु को दें दान
जूते खोने, घर में हानि, पालतू पशु मरने और आग लगने से शनि का खराब प्रभाव
देखा जाता है। डाकोत को नियमित रूप से तेल देने, साधु को लोहे का तवा,
चिमटा या अंगीठी दान करने से शनि का प्रभाव अच्छा हो जाता है। शनि के अच्छे
प्रभाव लेने के लिए नंगे पैर मंदिर जाना चाहिए।
राहू: हरियाली का रखें वास
अनचाही समस्याएं राहू से आती हैं। घर का दक्षिणी-पश्चिमी कोना राहू का है।
इस कोने में कभी गंदगी नहीं रहनी चाहिए। घर के दक्षिणी पूर्वी कोने में
आवश्यक रूप से हरियाली का वास रखना चाहिए। परिवार का जो सदस्य राहू से
पीडि़त हो उसे हरियाली के पास रखें। अंधेरे और गंदगी वाले कोनों में राहू
का वास होता है। अगर हर कोने को साफ और उजला रखेंगे तो राहू के खराब प्रभाव
से दूर रहेंगे।
केतु: घर में रखें पालतू जानवर
जोड़ों का
दर्द और पेशाब की बीमारी मुख्य रूप से केतु की समस्या के कारण आते हैं। कान
बींधना, पालतू जानवर (खासकर कुत्ता) पालना केतू के खराब प्रभाव को कम करता
है। संतान को कष्ट होने और रोजगार की समस्या होने पर काला-सफेद कंबल साधु
को देने से कष्ट दूर होता है।
ये भी हैं घरेलू उपचार
इन
उपचारों के अलावा बहुत से घरेलू नुस्खे ऐसे भी हैं जो हम दैनिक जीवन में
इस्तेमाल करते रहते हैं। खाने में हल्दी का इस्तेमाल गुरु को दुरुस्त करता
है। सात्विक खाने में यदि नियमित हींग का इस्तेमाल राहू का प्रभाव कम करता
है। चौके में बैठकर खाना खाने से राहू की दशा का खराब प्रभाव कम हो सकता
है। घर में नमक मिला पोंछा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा में कमी आती है। अतिथि
को संतुष्ट कर भेजने से सांसारिक साधनों में तेजी से वृद्धि होती है।
सुहागिनों के घर में बार-बार प्रवेश करने से शुक्र यानी समृद्धि बढ़ती है।
रोज नहाते समय करें 1 छोटा सा तांत्रिक उपाय, मालामाल हो जाएंगे
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वैसे तो अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन नहाना बहुत आवश्यक है लेकिन
नहाते समय यदि एक छोटा उपाय करने से आपकी आर्थिक स्थिति भी सुधर जाए तो फिर
क्या बात है। जी हां नहाते समय यदि एक छोटा सा तांत्रिक उपाय कर लें तो धन
संबंधी मामलों की रुकावटें समाप्त हो जाती हैं।
धन संबंधी मामलों में कई बार हम ईमानदारी
से पूरी मेहनत करते हैं लेकिन सकारात्मक फल प्राप्त नहीं हो पाते हैं और
पैसों की तंगी बढऩे लगती है। ऐसे में अक्सर मन ख्याल आता है कि मेहनत के
बाद भी हमें उचित प्रतिफल प्राप्त क्यों नहीं हो रहा है।
इसके पीछे
ज्योतिषीय दोष हो सकते हैं या किसी की बुरी नजर का दोष भी हो सकता है। यदि
कुंडली में किसी ग्रह दोष की बाधा है तो उसका उचित उपचार करना चाहिए। यहां
एक ऐसा उपाय दिया जा रहा है जिससे बुरी नजर के दोष और कुंडली के दोषों में
भी राहत मिलती है नहाने के पानी पर अपनी इंडेक्स फिंगर यानी तर्जनी
अंगुली से त्रिभुज का निशान बनाएं। इसके बाद एक अक्षर का बीज मंत्र ह्रीं
पानी पर लिखें। इस प्रकार प्रतिदिन नहाने से पहले यह उपाय करें। इस
तांत्रिक उपाय है अत: इस संबंध में किसी प्रकार की शंका या संदेह नहीं करना
चाहिए। अन्यथा उपाय का प्रभाव निष्फल हो जाता है।तंत्र शास्त्र के अनुसार
तांत्रिक उपाय बहुत जल्दी असर दिखाने वाले होते हैं। यदि कोई व्यक्ति सही
तरीके से इन उपायों का प्रयोग करें तो उसकी घर की दशा बदल सकती है। ऐसा ही
एक चमत्कारी उपाय है नहाते समय करने का, इस उपाय के अनुसार जिस बाल्टी में
हम नहाने का पानी लेते हैं उस पानी पर यह उपाय करना होगा
इस उपाय से
आपके आसपास की नकारात्मक शक्तियां निष्क्रीय हो जाती हैं और यदि आपके ऊपर
किसी की बुरी नजर है तो वह भी उतर जाती है। इसके साथ ही कार्यों में आपको
सफलता मिलने लगती है और मेहनत का सही फल प्राप्त होता है। इस उपाय के साथ
ही इष्टदेवी-देवताओं का भी पूजन-अर्चन करते रहना चाहिए।
यह तो तांत्रिक
उपाय है लेकिन शास्त्रों के अनुसार नहाते समय देवी-देवताओं के नामों का या
उनके मंत्रों का उच्चारण भी किया जा सकता है। यह उपाय भी बहुत ही लाभदायक
होता है और इससे स्वास्थ्य संबंधी फल भी प्राप्त होते हैं
यदि कोई
व्यक्ति किसी नदी में स्नान करता है तो उसे पानी पर ऊँ लिखकर पानी में
तुरंत डुबकी मार लेना चाहिए। इस उपाय से भी नदी में स्नान का अधिक पुण्य
प्राप्त होता है। इसके अलावा आपके आसपास की नेगेटिव एनर्जी भी समाप्त हो
जाती है।
शास्त्रों के अनुसार प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में नहाना
श्रेष्ठ फल प्रदान करता है। इसी वजह से हमेशा स्नान सूर्योदय से पहले ही कर
लेना चाहिए।
नहाने के बाद प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए।
सूर्य को जल चढ़ाने से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।यह तो तांत्रिक उपाय
है लेकिन शास्त्रों के अनुसार नहाते समय देवी-देवताओं के नामों का या उनके
मंत्रों का उच्चारण भी किया जा सकता है। यह उपाय भी बहुत ही लाभदायक होता
है और इससे स्वास्थ्य संबंधी फल भी प्राप्त होते हैं
नहाते समय सबसे
पहले सिर पर पानी डालना चाहिए इसके बाद पूरे शरीर पर। इसके पीछे भी
वैज्ञानिक कारण है, इस प्रकार नहाने से हमारे सिर एवं शरीर के ऊपरी हिस्सों
की गर्मी पैरों से निकल जाती है।
काफी लोग नहाने से पहले शरीर की
अच्छी मालिश करते हैं। मालिश से स्वास्थ्य और त्वचा दोनों को ही लाभ
प्राप्त होता है। त्वचा की चमक बढ़ती है। इस संबंध में यह ध्यान रखना चाहिए
कि मालिश के आधे घंटे बाद शरीर को रगड़-रगड़ कर नहाना चाहिए।