राधा-कृष्ण विवाह
गर्ग संहिता में राधा रानी की कथा आती है ~ एक बार नंद बाबा बालक कृष्ण को लेकर अपने गोद में खिला रहे हैं। उस समय कृष्ण दो साल सात महीने के थे, उनके साथ दुलार करते हुए वो वृंदावन के भांडीरवन में आ जाते हैं।
एक बड़ी ही अनोखी घटना घटती है। अचानक तेज हवाएं चलने लगती हैं, बिजली कौंधने लगती है, देखते ही देखते चारों ओर अंधेरा छा जाता है और इसी अंधेरे में एक बहुत ही दिव्य रौशनी आकाश मार्ग से नीचे आती है जो नख शिख तक श्रृंगार धारण किये हुए थी।
नंद जी समझ जाते हैं कि ये कोई और नहीं खुद राधा देवी हैं जो कृष्ण के लिए इस वन में आई हैं। वो झुककर उन्हें प्रणाम करते हैं और बालक कृष्ण को उनके गोद में देते हुए कहते हैं कि हे देवी मैं इतना भाग्यशाली हूं कि भगवान कृष्ण मेरी गोद में हैं और आपका मैं साक्षात दर्शन कर रहा हूँ।
भगवान कृष्ण को राधा के हवाले करके नंद जी घर वापस आते हैं तब तक तूफान थम जाता है। अंधेरा दिव्य प्रकाश में बदल जाता है और इसके साथ ही भगवान भी अपने बालक रूप का त्याग कर के किशोर बन जाते हैं। इतने में ही ललिता विशाखा ब्रह्मा जी भी वहाँ पहुँच जाते हैं तब ब्रह्मा जी ने वेद मंत्रों के द्वारा किशोरी किशोर का गंधर्व विवाह संपन्न कराया। सखियों ने प्रसन्नतापूर्वक विवाह कालीन गीत गए आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी। फिर देखते ही देखते ब्रह्मा जी सखिया चली गई
कृष्ण ने पुनः बालक का रूप धारण कर लिया और श्री राधिका ने कृष्ण को पूर्ववत उठाकर प्रतीक्षा में खड़े नन्द बाबा की गोदी में सौप दिया इतने में बादल छट गए और नन्द बाबा कृष्ण को लेकर अपने ब्रज में लौट आये। जब कृष्ण जी मथुरा चले गए तो श्री राधा जी अपनी छाया को स्थापित करके स्वयं अंतर्धान हो गईं।
वर्णन आता है उनकी छाया जो शेष रह गई उसी का विवाह 'रायाण' नाम के गोप के साथ हुआ। रायाण श्रीकृष्ण की माता यशोदा जी के सहोदर भाई थे गोलोक में वह श्रीकृष्ण के ही अंश भूत गोप थे रायाण श्री कृष्ण के मामा लगते थे।
पद्म पुराण ने वृषभानु राजा की कन्या राधा जी के 28 नामों से उनका गुणगान किया है :
राधा रासेश्वरी
भागवत वेद रूपी वृक्ष का फल है तो ज्ञान से मीठा .जगत का आधार कृष्ण है और कृष्ण का आधार राधा है परन्तु भागवत में राधा का नाम भी नहीं आया है ।.इसके चार कारण बताये गए हैं ।
शुकदेव की गुरु राधा थी राधा गुरु मंत्र है ।
राधा कृष्ण का आधार है कृष्ण ही राधा है व राधा ही कृष्ण है अर्थात राधा एक महाशक्ति है ।
इनका जन्म नहीं हुआ है राधा अयोनिज है वह कमल से पैदा हुई इसी प्रकार सीता पृथ्वी से तथा रुक्मिणी कमल के पत्तों से कृष्ण की एक ज्योति को भी राधा माना गया है ।
कृष्ण ११ वर्ष की उम्र तक ही वृन्दावन में रहे इसी कारण इस लीला को वात्सल्य लीला कहते हैं ।
कृष्ण का राधा के प्रति प्रेम देख कर कहा गया है कि -
राधा तुम बड़भागिनी , कौन तपस्या कीं ।
तीन लोक तारण तरन , इसमें मेक न मीन ॥
वृन्दावन सो वन नहीं , नन्द गाँव सो गाँव
राधा जैसी भक्ति नहीं , मित्र सुदामा जान ॥
बाल्यावस्था में राधा व कृष्ण बिछड़ते हैं , कृष्ण ने राधा को केवल बांसुरी दी थी जिसे उसने जीवन पर्यंत यादगार के रूप में अपने पास रखी । वापिस कब मिलना होगा ऐसा पूछने पर कृष्ण भी बता नहीं पाए ...इसलिए कहा है :-
बंशी दिए जात हूँ राधा मेरे समान ।
अबके बिछड़े कब मिले कह न सके भगवान्॥
राधा -कृष्ण का बचपन का अमर वात्सल्य प्रेम था
राम १२ कला के अवतार थे तो कृष्ण 16 कला के अवतार थे । कृष्ण ने सान्दीपन गुरु से उजैन में शिक्षा ली तथा गुरु के मारे हुए पुत्र को पुनः जीवित किया । कृष्ण ने सिर्फ ६४ दिन तक की शिक्षा प्राप्त कर ६४ विद्याएँ सीखी
कृष्ण योगीराज थे मोर भी योगी होता है । उसके आंसुओं को पीकर ही मोरनी गर्भवती होती है । इसी कारण योगी मोर की पंखुड़ी योगिराज कृष्ण धारण करते थे । कृष्ण 4वर्ष गोकुल में व ११ वर्ष ५५ दिन वृन्दावन में रहे ।
कृष्ण ने वृन्दावन में चार वस्तुओं का त्याग किया था ।
कृष्ण ने कभी मुंडन नहीं कराया
चरण पादुकाएं नहीं पहनी अर्थात नंगे पाँव घूमे
कभी शस्त्र नहीं लिया
कभी सिले वस्त्र नहीं पहने
कृष्ण के वृन्दावन में पैदल घूमने के कारण ही आज उस धाम की मिट्टी को सर पर लगाते हैं ।पवित्र मानते हैं वृन्दावन की सेवा कुंज में आज भी सूर्यास्त के बाद नर वानर पशु व पक्षी नहीं जाते हैं ।इस सेवा कुंज की विशेषता है कि इसमें न तो फल लगते हैं न ही फूल इसमें पतझड़ का असर भी नहीं होता .।
भागवत : सतयुग में विष्णु का ध्यान त्रेता में यज्ञ का द्वापर में कृष्ण- सेवा का तथा कलयुग में नाम- जप का महत्व बताया गया है ।
कलयुग में मानसिक पुण्य का फल मिलता है तथा मानसिक पाप का फल नहीं मिलता । राजा परीक्षित को सर्प डसने का शाप जब श्रृंग ऋषि के पुत्र ने दिया तो श्रृंग ऋषि ने नाराज होकर अपने पुत्र को श्राप दिया कलयुग में ब्राह्मण का श्राप नहीं लगेगा । कृष्ण स्वयं भी शापित थे .
जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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बुधवार, 1 अगस्त 2018
कलयुग में ब्राह्मण का श्राप नहीं लगेगा
कैंसर - बीमारी नहीं बिजनेस
कैंसर - बीमारी नहीं बिजनेस
जानें चौंकाने वाला सच कैंसर के बारे में :
भले ही आपको इस बात पर यकीन न हो रहा हो...
लेकिन,
यह पूरी जानकारी पढ़ने के बाद -
आप भी यही कहेंगे कि -
कैंसर कोई बीमारी नहीं...
बल्कि,
चिकित्सा जगत में पैसा कमाने का साधन मात्र है।
पिछले कुछ सालों में -
कैंसर को एक तेजी से बढ़ती बीमारी के रूप में प्रचारित किया गया।
जिसके इलाज के लिए -
कीमोथैरेपी, सर्जरी या और उपायों को अपनाया जाता है,
जो महंगे होने के साथ-साथ...
मरीज के लिए उतने ही खतरनाक भी होते हैं।
लेकिन,
अगर हम कहें कि -
कैंसर जैसी कोई बीमारी है ही नहीं तो ?
जी हां...
यह बात बिल्कुल सच है कि -
कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि को स्वास्थ्य जगत में -
कैंसर का नाम दिया गया है...
और,
इससे अच्छी खासी कमाई भी की जाती है।
लेकिन,
इस विषय पर लिखी गई एक किताब -
'वर्ल्ड विदाउट कैंसर'
जो कि कैंसर से बचाव के हर पहलू को इंगित करती है...
और,
अब तक विश्व की कई भाषाओं में ट्रांसलेट की जा चुकी है !
इस किताब का दावा है कि -
कैंसर कोई बीमारी नहीं...
बल्कि,
शरीर में विटामिन 'बी17' की कमी होना है।
आपको यह बात जरूर जान लेना चाहिए कि -
कैंसर नाम की कोई बीमारी है ही नहीं...
बल्कि,
यह शरीर में विटामिन बी17 की कमी से ज्यादा कुछ भी नहीं है।
इस कमी को ही कैंसर का नाम देकर...
चिकित्सा के क्षेत्र में एक व्यवसाय के रूप में स्थापित कर लिया गया है।
जिसका फायदा मरीज को कम...
और,
चिकित्सकों को अधिक होता है।
चूंकि,
कैंसर मात्र शरीर में किसी विटामिन की कमी है...
तो -
इसकी पूर्ति करके इसे कम किया जा सकता है...
और,
इससे बचा जा सकता है।
यह उसी तरह का मसला है -
जैसे सालों पहले 'स्कर्वी' रोग से कई लोगों की मौते होती थी...
लेकिन,
बाद में खोज में यह सामने आया कि -
यह कोई रोग नहीं...
बल्कि,
विटामिन सी की कमी या अपर्याप्तता थी।
कैंसर को लेकर भी कुछ ऐसा ही है।
विटामिन बी 17 की कमी को कैंसर का नाम दिया गया है..
लेकिन,
इससे डरने या मानसिक संतुलन खोने की जरूरत नहीं है।
बल्कि,
आपको इसकी स्थिति को समझना होगा...
और,
उसके अनुसार -
इसके वैकल्पिक उपायों को अपनाना होगा।
इस कमी को पूरा करने के लिए -
फ्रूट स्टोन, खूबानी, सेब, पीच, नाशपाती, फलियां, अंकुरित दाल व अनाज, मसूर के साथ ही बादाम विटामिन बी 17 का बेहतरीन स्त्रोत है।
इनके अलावा -
स्ट्रॉबेरी, ब्लू बेरी, ब्लैक बेरी, कपास व अलसी के बीच, जौ का दलिया, ओट्स, ब्राउन राइस, धान, कद्दू, ज्वार, अंकुरित गेहूं, ज्वारे, कुट्टू, जई, बाजरा, काजू, चिकनाई वाले सूखे मेवे आदि विटामिन बी17 के अच्छे स्त्रोत हैं।
इन्हें अपनी रोज की डाइट में शामिल करके...
आप कैंसर से यानि इस विटामिन की कमी से होने वाली गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकते हैं।
रोज 45 मिनिट योगा करे।
खासकर कपालभाति।
कपालभाति से शरीर के किसी भी हिस्से में हुए गठान या कैंसर को खत्म किया जा सकता है।
प्रस्तुतकर्ता :-
sanwariya
*कृप्या पूरा पढे और सावधानी वर्ते , सावधान हो जाए....⁉❗
⬆ सभी समुहों में Groups में पॉस्ट करे जनता को जाग्रित करे *🙏🏼
याद रहे, आप सिर्फ हिन्दू हैं ! एक रहे सशक्त रहे !
जो लोग इस मूर्खतापूर्ण धारणा के शिकार हैं कि जाति ने हिंदुओं को गुलाम बनाया, उनके हास्यास्पद अज्ञान पर तरस ही की जा सकती है ।
कुछ बातें उनके ध्यान में लाना आवश्यक है :
एक : इस्लाम और ईसाइयत विश्व के विशाल क्षेत्र में फैले हैं जहां केवल हिंदू धर्म नहीं था. अतः यदि किसी इलाके में इस्लाम और ईसाइयत का फैलना उस इलाके की गुलामी हैं तो जाहिर है कि उसके पीछे जाति कारण सब जगह तो नहीं थी।
2. स्वयं अरब पहले सनातन धर्म का ही उपासक था तो वहां इस्लाम फैलने का क्या कारण था?
3. जिन लोगों ने भारत में इस्लाम को रोका, वह सब के सब जाति व्यवस्था के प्रति पूरी तरह श्रद्धा वान लोग थे।
4 इस्लाम में भयंकर जाति प्रथा है जिसके विषय में अनेक प्रामाणिक तथ्य हम क्रमशः देंगे। यह जाति प्रथा भारत के मुसलमानों में नहीं ,भारत से बाहर फैले हुए इस्लाम में है और हिंदू समाज से कई गुना अधिक है। अतः बिना जानकारी के चाहे जो बोलना बकवास है ।उसका समाज के लिए कोई उपयोग नहीं है।
5 समस्त यूरोप में फैमिली और हाउसेस यानी कुलों और कुल समूहों की प्रबल मान्यता आज भी है
6 सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत को गुलाम कहना स्वयं में एक अपराध है क्योंकि भारत एक भी दिन गुलाम नहीं रहा।
7 गुलाम उसे कहते हैं जो किसी बाहर वाले शासक के अधीन हो। भारत के सभी मुसलमान हिंदू पूर्वजों की ही संततियां हैं। यहां बाहर से कभी किसी ने आक्रमण नहीं किया।
8 भारत में ऐसी एक भी लड़ाई नहीं हुई जिसमें एक और मुसलमान हो और दूसरी और हिंदू। हर लड़ाई में दोनों ओर से हिंदू और मुसलमान दोनों ही शामिल थे। तब यह दो समूहों की भिड़ंत थी ना कि हिंदू और मुसलमान की। इसलिए किसी एक की हार को दूसरे की गुलामी नहीं कहा जा सकता।
9 भारत का ऐसा एक भी मुसलमान राजा या जागीरदार नहीं हुआ जिसके दीवान हिंदू न हो और जिसके सेनापति हिंदू न हो। इस प्रकार जिसे मुस्लिम शासन कहा जाता है वह हिंदू मुस्लिम साझा शासन था।
10 मूर्खों ,झूठे लोगों ,लफंगों और चापलूसों ने जिन्हें हिंदुस्तान का बादशाह कहा, वह सब के सब दिल्ली से आगरा के बीच के जागीरदार थे।
उसी अवधि में विशाल भारतवर्ष में 20 से अधिक इन जागीरदारों से बड़े-बड़े इलाके के राजा हिंदू थे। इसलिए दिल्ली आगरा क्षेत्र के जागीरदार के मुसलमान होने पर और वहां भी राजपूतों की साझेदारी होते हुए भी समस्त भारतवर्ष को मुसलमानों की गुलामी में रहा बताना देशद्रोह है ।
यद्यपि यह देशद्रोह मूर्खता पूर्वक अधिक किया जाता है और उसके पीछे भयंकर अज्ञान है
11 अंग्रेजों का शासन भी वस्तुतः भारत के राजाओं और लोगों की पूर्णता सहमति और साझीदारी से ही चला था और अंग्रेजों का राज लगभग आधे भारत में ही था ।
शेष भारत में भारतीय राजा शासन कर रहे थे।
12 जैसा भव्य और गौरवशाली प्रतिरोध भारत में इस्लाम और ईसाइयत को मिला वैसा विश्व में कहीं भी नहीं मिला इसका कारण जाति व्यवस्था से संपन्न और समृद्ध हिंदू समाज ही है।
13 जो लोग भारत में जाति व्यवस्था की समाप्ति चाहते हैं ,वह विशाल हिंदू समाज के करोड़ों लोगों को किसी एक नए संगठन के अधीन लाने को इच्छुक हैं और इस प्रकार वह करोड़ों लोगों को कुछ 100 लोगों के नियंत्रण वाले किसी संगठन की गुलामी में ही लाना चाहते हैं ।
इस प्रकार जो लोग हिंदू समाज को गुलाम बनाना चाहते हैं केवल वही जाति व्यवस्था का विरोध करते हैं।
14 यह भी स्पष्ट है कि ब्राम्हण क्षत्रिय और उच्च कुलों वाले वैश्यों के अतिरिक्त शेष कोई भी लोग अपनी जाति छोड़ने को किसी भी प्रकार तैयार नहीं है ।
इस प्रकार जाति व्यवस्था की समाप्ति के नाम पर सारा आग्रह ब्राह्मणों का जाति संहार या जाति नाश ,जाति विलोप, क्षत्रियों का जाति संहार या जाति नाशऔर श्रेष्ठ वैश्यों का भी जातिविलोप ही है ।इस प्रकार जाति व्यवस्था के नाम पर बड़े हिस्सेकी , लोगों की विशाल जनसंख्या की पहचान छीन कर उन्हें पहचान विहीन बना देना और फिर शेष(आरक्षित) लोगों की जाति को गरिमा मंडित करना ही है।
जिन कमाल के लोगों को ऐसा लगता है कि ऊंची जाति के लोग तथाकथित ऊंची जाति के लोग तथाकथित निचली जाति में विवाह करने लगे या इसका उल्टा होने लगे तो उससे हिंदू समाज में जान आ जाएगी ,उनको केवल यह बता दूं कि यह काम लाखों वर्षों से हो रहा है।
अगर उन्हें अपने हिंदू समाज के आधारभूत तत्व भी पता नहीं हैं तो बेहतर है कि वह थोड़ा शांत रहें और कुछ पढ़ने लिखने की आदत डालें ।
ऐसी मूर्खतापूर्ण बकवास से वे केवल हंसी के पात्र बनते हैं।
ब्राह्मणों का निम्नतम जातियों से और निम्न जाति के लोगों का उच्च जाति के लोगों से विवाह लाखों वर्षों से हो रहा है और उसे दंडनीय अथवा अनुचित भी लाखों वर्षों से माना जा रहा है।
हिंदू समाज विश्व का एकमात्र समाज है जहां परस्पर विरोधी दिखने वाली सैकड़ों सैकड़ों परंपराएं साथ-साथ चल रही हैं। और इन महापुरुषों का सुझाव भी उनमें से एक धारा बन सकता है ।
कृपया ना तो स्वयं को अनोखा माने, ना ही हिंदू समाज को कोई उपदेश दें।
हो सके तो हिंदू समाज के विषय में कुछ पढ़ें और जानें।
17 वीं शताब्दी से 1947 ईस्वी के पहलेतक अनेक भ्रांतियां और विकृतियों के कारण कुछ अज्ञानी और अहंकारी लोगों के द्वारा कुछ इलाकों में कुछ अहंकारी लोगों के द्वारा निश्चय ही गलत व्यवहार हुआ। परंतु यह अनुचित व्यवहार भी राष्ट्रव्यापी नहीं था।
तब भी 1947 ईस्वी तक हिंदू समाज को कानूनन बहुत से अधिकार प्राप्त थेऔर जाति एक एक मान्य इकाई थी। इसलिए उस समय तक जातिगत भेदभाव के विरुद्ध बातें करना और आवाज उठाना एक पुण्य कार्य था।
15 अगस्त 1947 ईस्वी के बाद से 1 यूरो भारतीय पंथ ने समस्त भारतवर्ष में हिंदू समाज को पूरी तरह अधिकारहीन कर दिया और हिंदू समाज की परंपरागत इकाइयों के पास एक भी अधिकार कानून नहीं बचा। केवल मुंह से बातें करने की स्वतंत्रता तो सबको है।
इसके साथ ही समस्त समाज की सर्वानुमति से किसी भी प्रकार का ऊंच नीच का भेदभाव बरतना या मुंह से बोलना दंडनीय अपराध घोषित हो गया।
बाद में तो मूल संविधान की भावना के विपरीत कतिपय विशेष जातियों को इस संदर्भ में विशेष अधिकार दे दिया गया कि वह यदि झूठे आरोप भी लगा दें तो बिना छानबीन के गिरफ्तारी हो जाएगी और इस प्रकार यह संविधान की मूल भावना का पूर्ण उल्लंघन था।
डॉ भीमराव अंबेडकर कभी भी इतनी गलत और विषमता मूलक बात को स्वीकार कर ही नहीं सकते थे ।यह जिन लोगों ने किया ,वे संविधान विरोधी और हिंदू समाज के तोड़क लोग हैं। उनका स्वयंको समाज मे न्याय की चिंता करनेवाले बताना स्पष्ट झूठ है।
इसके बाद लोकतंत्र के स्वाभाविक परिवेश के कारण और भारतीय समाज की परंपरागत मान्यताओं के कारण उन तथाकथित तिरस्कृत जातियों के लोग राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति न्यायाधीश उच्चाधिकारी मुख्य मंत्री केंद्रीय मंत्री सहित लाखों पदों पर विराजमान हैं।
इसके बाद से हिंदू समाज के तथाकथित जाति व्यवस्था की तथाकथित बुराई का गाना गाना और इस बहाने हिंदू समाज का एक काल्पनिक और झूठा इतिहास रच कर उसे लांछित करना एक फैशन बन गया है जो किसी भी स्वस्थ और स्वाभाविक राष्ट्र में एक दंडनीय अपराध होना चाहिए।
85 करोड़ या 100 करोड़ की आबादी में यदि कुलों की, कुल समूहों की यानी जातियों की कोई पहचान नहीं रहेगी तो दो ही मार्ग है : या तो सब व्यक्तियों का कोई एक ID नंबर होगा और वे उस से ही पहचाने जाएं अथवा नयी नयी- जातियां बनाएं जिन्हें यूनियन संगठन ,पेशेवर संगठन कहते हैं और उनके आधार पर लोगों की पहचान बने ।जोकि जाति का ही एक नया रूप है और बदतर रूप है।
अंतरजातीय विवाह व्याकरणकी दृष्टिसे गलत शब्द है।जैसे अंतरराष्ट्रीय का अर्थहै राष्ट्रोंके मध्य,वैसेही अंतरजातीय का अर्थ है जातियोंके मध्य।जबकि विवाह व्यक्तियोंके मध्य होताहै।वह यातो अनुलोम होताहै याप्रतिलोम।अंतरजातीय विवाह शब्द हिन्दू धर्म से पूर्णतः अनभिज्ञ व्यक्तियोंके दिमागकी खुजली की उपजहै।
बनिया कंजूस होता है,
नाई चतुर होता है,
ब्राह्मण धर्म के नाम पे बेबकूफ बनाता है,
यादव की बुद्धि कमजोर होती है,
राजपूत अत्याचारी होते हैं,
चमार गंदे होते हैं,
जाट और गुर्ज्जर बेवजह लड़ने वाले होते हैं,
मारवाड़ी लालची होते हैं...
और ना जाने ऐसी कितनी परम ज्ञान की बातें सभी हिन्दुओं को आहिस्ते - आहिस्ते सिखाई गयी !
नतीजा हिन् भावना, एक दूसरे जाती पे शक, आपस में टकराव होना सुरु हुआ और अंतिम परिणाम हुआ की मजबूत, कर्मयोगी और सहिष्णु हिन्दू समाज आपस में ही लड़कर कमजोर होने लगा !
उनको उनका लक्ष्य प्राप्त हुआ ! हजारों साल से आप साथ थे...आपसे लड़ना मुश्किल था..अब आपको मिटाना आसान है !
आपको पूछना चाहिए था की अत्याचारी राजपूतों ने सभी जातियों की रक्षा के लिए हमेशा अपना खून क्यों बहाया ?
आपको पूछना था की अगर चमार, दलित को ब्राह्मण इतना ही गन्दा समझते थे तो बाल्मीकि रामायण जो एक दलित ने लिखा उसकी सभी पूजा क्यों करते हैं ?
अपने नहीं पूछा की आपको सोने का चिड़ियाँ बनाने में मारवाड़ियों और बनियों का क्या योगदान था ?
जिस डॉम को आपने नीच मान लिया, उसी के दिए अग्नि से आपको मुक्ति क्यों मिलती है ?
जाट और गुर्जर अगर लड़ाके नहीं होते तो आपके लिए अरबी राक्षसों से कौन लड़ता ?
जैसे ही कोई किसी जाती की कोई मामूली सी भी बुरी बात करे, टोकिये और ऐतराज़ कीजिये !
याद रहे, आप सिर्फ हिन्दू हैं !
एक रहे सशक्त रहे !
मिलजुल कर मजबूत भारत का निर्माण करें !
✍🏻
रामेश्वर मिश्रा पंकज
आज का पंचांग 1 August 2018
. *।। ॐ ।।*
🌞 *सुप्रभातम्* 🌞
««« *आज का पंचांग* »»»
कलियुगाब्द....................5120
विक्रम संवत्..................2075
शक संवत्.....................1940
मास.............................श्रावण
पक्ष...............................कृष्ण
तिथी............................चतुर्थी
प्रातः 10.20 पर्यंत पश्चात पंचमी
रवि.........................दक्षिणायन
सूर्योदय..............05.58.22 पर
सूर्यास्त..............07.08.29 पर
सूर्य राशि..........................कर्क
चन्द्र राशि........................मीन
नक्षत्र.......................पूर्वाभाद्रपद
प्रातः 11.13 पर्यंत पश्चात उत्तराभाद्रपद
योग............................अतिगंड
दोप 02.38 पर्यंत पश्चात सुकर्मा
करण..............................बालव
प्रातः 10.20 पर्यंत पश्चात कौलव
ऋतु..................................वर्षा
दिन..............................बुधवार
📿 *आंग्ल मतानुसार* :-
01 अगस्त सन 2018 ईस्वी ।
👁🗨 *राहुकाल* :-
दोपहर 12.32 से 02.10 तक ।
🚦 *दिशाशूल* :-
उत्तरदिशा - यदि आवश्यक हो तो तिल का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।
☸ शुभ अंक...............2
🔯 शुभ रंग...............हरा
💮 चौघडिया :-
प्रात: 06.00 से 07.38 तक लाभ ।
प्रात: 07.38 से 09.16 तक अमृत ।
प्रात: 10.54 से 12.32 तक शुभ ।
दोप. 03.47 से 05.25 तक चंचल ।
सायं 05.25 से 07.03 तक लाभ ।
रात्रि 08.25 से 09.47 तक शुभ ।
📿 *आज का मंत्र* :-
।।ॐ लोकमात्रेभ्यो नम: ।।
*सुभाषितम्* :-
विद्वत्वं च नृपत्वं च, न एव तुल्ये कदाचन् ।
स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान् सर्वत्र पूज्यते ॥
अर्थात :-
विद्वता और राज्य अतुलनीय हैं, राजा को तो अपने राज्य में ही सम्मान मिलता है पर विद्वान का सर्वत्र सम्मान होता है॥
🍃 *आरोग्यं* :-
*डायबिटीज कंट्रोल करने के आयुर्वेदिक उपाय -*
*1. हल्दी का सेवन -*
डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए आप आहार में हल्दी के सेवन में वृद्धि कीजिए। आपको बहुत ही फायदा मिलेगा। करक्यूमिन हल्दी में सक्रिय घटक है, जो टाइप 2 मधुमेह को रोकने में मदद कर सकते हैं।
*2. मेथी दाना -*
मधुमेह या डायबिटज को कंट्रोल करने के लिए के निश्चित रूप से आपके घर में मेथी दाना का भंडार होना चाहिए। इसके लिए आप मेथी दाना अंकुरित का सेवन कर सकते हैं या सुबह में खाली पेट मेथी का पानी पी सकते हैं। डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए मेथी के बीज उपयोगी हो सकता है। बीज में फाइबर और अन्य रसायनों होते हैं जो डायबिटीज के लिए अच्छा होता है। इसका बीज शरीर को शुगर का उपयोग करने में सुधार करने में मदद कर सकता है और इंसुलिन की मात्रा को बढ़ा सकता है।
⚜ *आज का राशिफल :-*
🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
आकस्मिक व्यय से तनाव रहेगा। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। विवेक से कार्य करें। स्थानीय धर्मस्थल की परिवार के साथ यात्रा होगी। पार्टनर से मतभेद समाप्त होगा। नौकरी में अधिकारी का सहयोग तथा विश्वास मिलेगा। पारिवारिक व्यस्तता रहेगी।
🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
लेनदारी वसूल होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। शत्रु भय रहेगा। व्यापार-व्यवसाय में ग्राहकी अच्छी रहेगी। नौकरी में कार्य व्यवहार, ईमानदारी की प्रशंसा होगी। मशक्कत करने से लाभ होगा। चिंता होगी। शत्रु पराजित होंगे।
👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
कारोबारी नए अनुबंध होंगे। नई योजना बनेगी। मान-सम्मान मिलेगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। स्त्री कष्ट संभव। कलह से बचें। कार्य में सफलता, शत्रु पराजित होंगे। विवेक से कार्य बनेंगे। पेट रोग से पीड़ित होने की संभावना। वस्त्राभूषण की प्राप्ति के योग।
🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
यात्रा सफल रहेगी। विवाद न करें। लेन-देन में सावधानी रखें। कानूनी बाधा दूर होगी। देव दर्शन होंगे। राज्य से लाभ होने की संभावना। मातृपक्ष की चिंता। वाहन-मशीनरी का प्रयोग सावधानी से करें। धनागम की संभावना। मित्र मिलेंगे। विवाद न करें।
🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
प्रेम-प्रसंग में जोखिम न लें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। झंझटों में न पड़ें। आगे बढ़ने के मार्ग मिलने की संभावना। शत्रु पराजित होंगे। लाभ होगा। स्वास्थ्य ठीक न हो। अनजाना भय सताएगा। राज्य से लाभ। शत्रु शांत होंगे।
👱🏻♀ *राशि फलादेश कन्या* :-
बेचैनी रहेगी। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। राजकीय बाधा दूर होगी। नेत्र पीड़ा की संभावना। धनलाभ एवं बुद्धि लाभ होगा। शत्रु से परेशान होंगे। अपमान होने की संभावना। कष्ट की संभावना। धनहानि। कष्ट-पीड़ा। शारीरिक पीड़ा होगी।
⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। भागदौड़ रहेगी। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। धनागम सुस्त रहेगा। कार्य के प्रति अनमनापन रहेगा। दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। कुछ लाभ की संभावना। चिंताएं कुछ कम होंगी।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
लेन-देन में सावधानी रखें। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। शत्रु पर विजय, हर्ष के समाचार मिलने की संभावना। कुसंग से हानि। धनागम सुखद रहेगा। प्रेमिका मिलेगी। कुछ आय होगी। माता को कष्ट रहेगा।
🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
भय, पीड़ा व भ्रम की स्थिति बन सकती है। व्यर्थ भागदौड़ होगी। भय-पीड़ा, मानसिक कष्ट की संभावना। लाभ तथा पराक्रम ठीक रहेगा। दु:समाचार प्राप्त होंगे। हानि तथा भय की संभावना, पराक्रम से सफलता, कलहकारी वातावरण बनेगा। भयकारक दिन रहेगा।
🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। घर-बाहर अशांति रह सकती है। प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा के योग बनेंगे। कुछ कष्ट होने की संभावना। लाभ के योग बनेंगे। स्त्री वर्ग को कष्ट। कुसंग से कष्ट। कलहकारक दिन रहेगा। अपनी तरफ से बात को बढ़ावा न दें।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
शुभ समाचार प्राप्त होंगे। पुराने मित्र व संबंधी मिलेंगे। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। आय में वृद्धि होगी। विरोध की संभावना, धनहानि, गृहस्थी में कलह, रोग से घिरने की संभावना, कुछ कार्यसिद्धि की संभावना। चिंताएं जन्म लेंगी। स्त्री पीड़ा, कुछ लाभ की आशा करें।
🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
रोजगार में वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। परिवार की चिंता रहेगी। लाभ होगा। अस्वस्थता का अनुभव करेंगे। चिंता से मुक्ति नहीं मिलेगी। शत्रु दबे रहेंगे। कलह-अपमान से बचें। संभावित यात्रा होगी। सावधानी बरतना होगी।
☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।
।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।
🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩
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