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गुरुवार, 20 मई 2021

कांग्रेस सरकारी बैंक बनाती है और मोदी सरकार उसे बेच देती है

गिद्ध गैंग को सप्रेम भेट:
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*एक कितना शानदार झूठ फैला दिया जाता है कि कांग्रेस सरकारी बैंक बनाती है और मोदी सरकार उसे बेच देती है, और काफी सारे लोग इस झूठ पर यकीन भी कर लेते हैं* 

*आज जो निजी क्षेत्र के 3 सबसे बड़े बैंक हैं ।यानी ICICI बैंक,  एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक यह तीनों कभी सरकारी हुआ करते थे ।लेकिन पीवी नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ने इन्हें बेच दिया*

ICICI बैंक का पूरा नाम - इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया था ..यह भारत सरकार की ऐसी संस्था थी जो बड़े उद्योगों को लोन देती थी लेकिन एक ही झटके में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने इसका डिसइनवेस्टमेंट करके इसे प्राइवेट बना दिया और इसका नाम अब आईसीआईसीआई बैंक हो गया ।

आज जो HDFC बैंक है उसका पूरा नाम  -  हाउसिंग डेवलपमेंट कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया था । यह भारत सरकार की एक ऐसी संस्था हुआ करती थी जो मध्यम वर्ग के लोगों को सस्ते ब्याज पर होम लोन देने का काम करती थी।

 नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ने कहा -  "सरकार का काम सिर्फ गवर्नेंस करना है होम लोन बेचना नही है" 

 मनमोहन सिंह  इसे जरूरी कदम बताते हैं और कहते हैं सरकार का काम सिर्फ सरकार चलाना है बैंक चलाना, लोन देना नहीं ।

और, एक झटके में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने HDFC बैंक को बेच दिया और यह निजी क्षेत्र का बैंक बन गया ।

इसी तरह की बेहद दिलचस्प कहानी एक्सिस बैंक की है.... 

भारत सरकार की एक संस्था हुआ करती थी उसका नाम था - 'यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया'। यह संस्था लघु बचत को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी यानी आप इसमें छोटे-छोटे रकम जमा कर सकते थे। नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ने कहा की सरकार का काम चिटफंड की स्कीम चलाना नहीं है। और एक झटके में इसे बेच दिया गया। पहले इसका नाम यूटीआई बैंक हुआ और बाद में इसका नाम एक्सिस बैंक हो गया।

इसी तरह से एक IDBI ( आईडीबीआई) बैंक भी है जो अब एक प्राइवेट बैंक है। एक समय में यह भी भारत सरकार की संस्था हुआ करती थी, जिसका नाम था -  इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया। इसका भी काम उद्योगों को लोन देना था। लेकिन मनमोहन सिंह ने इसे भी बेच दिया और आज यह निजी बैंक बन गया।

अपनी यादाश्त को कमजोर न होने दो कभी....

 डिसइनवेस्टमेंट पॉलिसी को भारत में कौन लाया था जरा सर्च कर लो जब *नरसिंगा राव के समय में जब मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे तब मनमोहन सिंह ने संसद में कहा था - "मैक्सिमम गवर्नमेंट लेस गवर्नेंस" । उन्होंने कहा था कि सरकार का काम धंधा करना नहीं सरकार का काम गवर्नेंस देना है* ऐसा माहौल देना है कि लोग यह सब काम करें।

मनमोहन सिंह द्वारा ही *सबसे पहले टोल टैक्स पॉलिसी लाई गई थी* यानी निजी कंपनियों से  सड़क बनवाओ और उन कंपनियों को टोल टैक्स वसूलने  की परमिशन दो।

मनमोहन सिंह ने *सबसे पहले एयरपोर्ट के निजीकरण* की शुरुआत की थी और सबसे पहले दिल्ली के *इंदिरा गांधी एयरपोर्ट को जीएमआर ग्रुप को* निजी हाथों में दिया गया था।
फिर भी आज चम्पक उछल - उछल कर नाच - नाच कर बेसुर रागा गाता फिर रहा है, "मोदी ने दोस्तो को बेच दिया..
*मनमोहन सिंह करें तो - विनिवेश*

*मोदी करें तो - देश को बेचा .. !!!*

 *2009-10 में मनमोहन सिंह ने 5 कंपनियां बेचीं*-

 NHPC Ltd.-
 OIL - ऑयल इंडिया लिमिटेड
 NTPC - नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन
 REC- ग्रामीण विद्युतीकरण निगम
 NMDC - राष्ट्रीय खनिज विकास निगम

 *2010-11 में, मनमोहन सिंह ने 6 कंपनियाँ बेचीं!*

 SJVNL - सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड
 EIL - इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड
 CIL - कोल इंडिया लिमिटेड
 PGCIL - पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया
 MOIL - मैंगनीज अयस्क इंडिया लिमिटेड
 SCI - शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया।

*2011-12 में मनमोहन सिंह ने 2 कंपनियाँ बेचीं*

 PFC - पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन।
 ONGC - तेल और प्राकृतिक गैस निगम

*2012-13 में, मनमोहन सिंह ने बेचीं 8 कंपनियां-*

 SAIL - भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड
 NALCO - नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड
 RCF - राष्ट्रीय रसायन और उर्वरक
 NTPC - नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन
 OIL - ऑयल इंडिया लिमिटेड
 NMDC - राष्ट्रीय खनिज विकास निगम
 HCL - हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड
 NBCC - एनबीसीसी

👉 *2013-14 में मनमोहन सिंह ने 12 कंपनियां बेचीं*-

 NHPC - नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन
 BHEL - भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड
 EIL - इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड
 
 CPSE - सीपीएसई-एक्सचेंज ट्रेडेड फंड
 PGCI - पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन इंडिया लि।
 NFL - राष्ट्रीय उर्वरक लिमिटेड
 MMTC - धातु और खनिज व्यापार निगम
 HCL - हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड
 ITDC - भारतीय पर्यटन विकास निगम
 STC - स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन
 NLC - नेयली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन लिमिटेड

  *इन सभी का प्रमाण भी है...* 

 1.) वित्त मंत्रालय, केंद्र सरकार के तहत, *निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट* पर जाएँ: www.dipam.gov.इन लॉगिन करे।

 2.) सबसे पहले *Dis-Investment पर क्लिक करें।  इसके बाद Past Dis-Investment पर क्लिक करें*

 3.) पोस्ट में दिए गए सभी डेटा वहां उपलब्ध हैं।

 *यह पोस्ट उन लोगों की आँखे खोलने के लिए किया है, जो सोचते हैं कि मोदी देश को बेच रहे हैं, जबकि यह सब मनमोहन पहले ही ..........................*

बुधवार, 19 मई 2021

हनुमान जी को बहुत प्रिय है - जनेऊ "हाथ बज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूज जनेऊ साजे"

 ब्राह्मण और  जनेऊ



पिछले दिनों मैं हनुमान जी के मंदिर में गया था जहाँ पर मैंने एक ब्राह्मण को देखा, जो एक जनेऊ हनुमान जी के लिए ले आये थे | संयोग से मैं उनके ठीक पीछे लाइन में खड़ा था, मेंने सुना वो पुजारी से कह रहे थे कि वह स्वयं का काता (बनाया) हुआ जनेऊ हनुमान जी को पहनाना चाहते हैं, पुजारी ने जनेऊ तो ले लिया पर पहनाया नहीं | जब ब्राह्मण ने पुन: आग्रह किया तो पुजारी बोले यह तो हनुमान जी का श्रृंगार है इसके लिए बड़े पुजारी (महन्थ) जी से अनुमति लेनी होगी, आप थोड़ी देर प्रतीक्षा करें वो आते ही होगें | मैं उन लोगों की बातें गौर से सुन रहा था, जिज्ञासा वश मैं भी महन्थ जी के आगमन की प्रतीक्षा करने लगा।


थोड़ी देर बाद जब महन्थ जी आए तो पुजारी ने उस ब्राह्मण के आग्रह के बारे में बताया तो महन्थ जी ने ब्राह्मण की ओर देख कर कहा कि देखिए हनुमान जी ने जनेऊ तो पहले से ही पहना हुआ है और यह फूलमाला तो है नहीं कि एक साथ कई पहना दी जाए | आप चाहें तो यह जनेऊ हनुमान जी को चढ़ाकर प्रसाद रूप में ले लीजिए |


 इस पर उस ब्राह्मण ने बड़ी ही विनम्रता से कहा कि मैं देख रहा हूँ कि भगवान ने पहले से ही जनेऊ धारण कर रखा है परन्तु कल रात्रि में चन्द्रग्रहण लगा था और वैदिक नियमानुसार प्रत्येक जनेऊ धारण करने वाले को ग्रहणकाल के उपरांत पुराना बदलकर नया जनेऊ धारण कर लेना चाहिए बस यही सोच कर सुबह सुबह मैं हनुमान जी की सेवा में यह ले आया था प्रभु को यह प्रिय भी बहुत है | हनुमान चालीसा में भी लिखा है कि - "हाथ बज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूज जनेऊ साजे"।


 अब महन्थ जी थोड़ी सोचनीय मुद्रा में बोले कि हम लोग बाजार का जनेऊ नहीं लेते हनुमान जी के लिए शुद्ध जनेऊ बनवाते हैं, आपके जनेऊ की क्या शुद्धता है | इस पर वह ब्राह्मण बोले कि प्रथम तो यह कि ये कच्चे सूत से बना है, इसकी लम्बाई 96 चउवा (अंगुल) है, पहले तीन धागे को तकली पर चढ़ाने के बाद तकली की सहायता से नौ धागे तेहरे गये हैं, इस प्रकार 27 धागे का एक त्रिसुत है जो कि पूरा एक ही धागा है कहीं से भी खंडित नहीं है, इसमें प्रवर तथा गोत्रानुसार प्रवर बन्धन है तथा अन्त में ब्रह्मगांठ लगा कर इसे पूर्ण रूप से शुद्ध बनाकर हल्दी से रंगा गया है और यह सब मेंने स्वयं अपने हाथ से गायत्री मंत्र जपते हुए किया है |


ब्राह्मण देव की जनेऊ निर्माण की इस व्याख्या से मैं तो स्तब्ध रह गया मन ही मन उन्हें प्रणाम किया, मेंने देखा कि अब महन्त जी ने उनसे संस्कृत भाषा में कुछ पूछने लगे, उन लोगों का सवाल - जबाब तो मेरे समझ में नहीं आया पर महन्त जी को देख कर लग रहा था कि वे ब्राह्मण के जबाब से पूर्णतया सन्तुष्ट हैं अब वे उन्हें अपने साथ लेकर हनुमान जी के पास पहुँचे जहाँ मन्त्रोच्चारण कर महन्त व अन्य 3 पुजारियों के सहयोग से हनुमान जी को ब्राह्मण देव ने जनेऊ पहनाया तत्पश्चात पुराना जनेऊ उतार कर उन्होंने बहते जल में विसर्जन करने के लिए अपने पास रख लिया |


 मंदिर तो मैं अक्सर आता हूँ पर आज की इस घटना ने मन पर गहरी छाप छोड़ दी, मेंने सोचा कि मैं भी तो ब्राह्मण हूं और नियमानुसार मुझे भी जनेऊ बदलना चाहिए, उस ब्राह्मण के पीछे-पीछे मैं भी मंदिर से बाहर आया उन्हें रोककर प्रणाम करने के बाद अपना परिचय दिया और कहा कि मुझे भी एक जोड़ी शुद्ध जनेऊ की आवश्यकता है, तो उन्होंने असमर्थता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तो वह बस हनुमान जी के लिए ही ले आये थे हां यदि आप चाहें तो मेरे घर कभी भी आ जाइएगा घर पर जनेऊ बनाकर मैं रखता हूँ जो लोग जानते हैं वो आकर ले जाते हैं | मेंने उनसे उनके घर का पता लिया और प्रणाम कर वहां से चला आया।


शाम को उनके घर पहुंचा तो देखा कि वह अपने दरवाजे पर तखत पर बैठे एक व्यक्ति से बात कर रहे हैं , गाड़ी से उतरकर मैं उनके पास पहुंचा मुझे देखते ही वो खड़े हो गए, और मुझसे बैठने का आग्रह किया अभिवादन के बाद मैं बैठ गया, बातों बातों में पता चला कि वह अन्य व्यक्ति भी पास का रहने वाला ब्राह्मण है तथा उनसे जनेऊ लेने आया है | ब्राह्मण अपने घर के अन्दर गए इसी बीच उनकी दो बेटियाँ जो क्रमश: 12 वर्ष व 8 वर्ष की रही होंगी एक के हाथ में एक लोटा पानी तथा दूसरी के हाथ में एक कटोरी में गुड़ तथा दो गिलास था, हम लोगों के सामने गुड़ व पानी रखा गया, मेरे पास बैठे व्यक्ति ने दोनों गिलास में पानी डाला फिर गुड़ का एक टुकड़ा उठा कर खाया और पानी पी लिया तथा गुड़ की कटोरी मेरी ओर खिसका दी, पर मेंने पानी नहीं पिया 


इतनी देर में ब्राह्मण अपने घर से बाहर आए और एक जोड़ी जनेऊ उस व्यक्ति को दिए, जो पहले से बैठा था उसने जनेऊ लिया और 21 रुपए ब्राह्मण को देकर चला गया | मैं अभी वहीं रुका रहा इस ब्राह्मण के बारे में और अधिक जानने का कौतुहल मेरे मन में था, उनसे बात-चीत में पता चला कि वह संस्कृत से स्नातक हैं नौकरी मिली नहीं और पूँजी ना होने के कारण कोई व्यवसाय भी नहीं कर पाए, घर में बृद्ध मां पत्नी दो बेटियाँ तथा एक छोटा बेटा है, एक गाय भी है | वे बृद्ध मां और गौ-सेवा करते हैं दूध से थोड़ी सी आय हो जाती है और जनेऊ बनाना उन्होंने अपने पिता व दादा जी से सीखा है यह भी उनके गुजर-बसर में सहायक है | 


इसी बीच उनकी बड़ी बेटी पानी का लोटा वापस ले जाने के लिए आई किन्तु अभी भी मेरी गिलास में पानी भरा था उसने मेरी ओर देखा लगा कि उसकी आँखें मुझसे पूछ रही हों कि मेंने पानी क्यों नहीं पिया, मेंने अपनी नजरें उधर से हटा लीं, वह पानी का लोटा गिलास वहीं छोड़ कर चली गयी शायद उसे उम्मीद थी की मैं बाद में पानी पी लूंगा | 


अब तक मैं इस परिवार के बारे में काफी है तक जान चुका था और मेरे मन में दया के भाव भी आ रहे थे | खैर ब्राह्मण ने मुझे एक जोड़ी जनेऊ दिया, तथा कागज पर एक मंत्र लिख कर दिया और कहा कि जनेऊ पहनते समय इस मंत्र का उच्चारण अवश्य करूं -- |


मैंने सोच समझ कर 500 रुपए का नोट ब्राह्मण की ओर बढ़ाया तथा जेब और पर्स में एक का सिक्का तलाशने लगा, मैं जानता था कि 500 रुपए एक जोड़ी जनेऊ के लिए बहुत अधिक है पर मैंने सोचा कि इसी बहाने इनकी थोड़ी मदद हो जाएगी | ब्राह्मण हाथ जोड़ कर मुझसे बोले कि सर 500 सौ का फुटकर तो मेरे पास नहीं है, मेंने कहा अरे फुटकर की आवश्यकता नहीं है आप पूरा ही रख लीजिए तो उन्हें कहा नहीं बस मुझे मेरी मेहनत भर का 21 रूपए दे दीजिए, मुझे उनकी यह बात अच्छी लगी कि गरीब होने के बावजूद वो लालची नहीं हैं, पर मेंने भी पांच सौ ही देने के लिए सोच लिया था इसलिए मैंने कहा कि फुटकर तो मेरे पास भी नहीं है, आप संकोच मत करिए पूरा रख लीजिए आपके काम आएगा | उन्होंने कहा अरे नहीं मैं संकोच नहीं कर रहा आप इसे वापस रखिए जब कभी आपसे दुबारा मुलाकात होगी तब 21रू. दे दीजिएगा | 


इस ब्राह्मण ने तो मेरी आँखें नम कर दीं उन्होंने कहा कि शुद्ध जनेऊ की एक जोड़ी पर 13-14 रुपए की लागत आती है 7-8 रुपए अपनी मेहनत का जोड़कर वह 21 रू. लेते हैं कोई-कोई एक का सिक्का न होने की बात कह कर बीस रुपए ही देता है | मेरे साथ भी यही समस्या थी मेरे पास 21रू. फुटकर नहीं थे, मेंने पांच सौ का नोट वापस रखा और सौ रुपए का एक नोट उन्हें पकड़ाते हुए बड़ी ही विनम्रता से उनसे रख लेने को कहा तो इस बार वह मेरा आग्रह नहीं टाल पाए और 100 रूपए रख लिए और मुझसे एक मिनट रुकने को कहकर घर के अन्दर गए, बाहर आकर और चार जोड़ी जनेऊ मुझे देते हुए बोले मेंने आपकी बात मानकर सौ रू. रख लिए अब मेरी बात मान कर यह चार जोड़ी जनेऊ और रख लीजिए ताकी मेरे मन पर भी कोई भार ना रहे |


मेंने मन ही मन उनके स्वाभिमान को प्रणाम किया साथ ही उनसे पूछा कि इतना जनेऊ लेकर मैं क्या करूंगा तो वो बोले कि मकर संक्रांति, पितृ विसर्जन, चन्द्र और सूर्य ग्रहण, घर पर किसी हवन पूजन संकल्प परिवार में शिशु जन्म के सूतक आदि अवसरों पर जनेऊ बदलने का विधान है, इसके अलावा आप अपने सगे सम्बन्धियों रिस्तेदारों व अपने ब्राह्मण मित्रों को उपहार भी दे सकते हैं जिससे हमारी ब्राह्मण संस्कृति व परम्परा मजबूत हो साथ ही साथ जब आप मंदिर जांए तो विशेष रूप से गणेश जी, शंकर जी व हनूमान जी को जनेऊ जरूर चढ़ाएं...


उनकी बातें सुनकर वह पांच जोड़ी जनेऊ मेंने अपने पास रख लिया और खड़ा हुआ तथा वापसी के लिए बिदा मांगी, तो उन्होंने कहा कि आप हमारे अतिथि हैं पहली बार घर आए हैं हम आपको खाली हाथ कैसे जाने दो सकते हैं इतना कह कर उनहोंने अपनी बिटिया को आवाज लगाई वह बाहर निकाली तो ब्राह्मण देव ने उससे इशारे में कुछ कहा तो वह उनका इशारा समझकर जल्दी से अन्दर गयी और एक बड़ा सा डंडा लेकर बाहर निकली, डंडा देखकर मेरे समझ में नहीं आया कि मेरी कैसी बिदायी होने वाली है | 


अब डंडा उसके हाथ से ब्राह्मण देव ने अपने हाथों में ले लिया और मेरी ओर देख कर मुस्कराए जबाब में मेंने भी मुस्कराने का प्रयास किया | वह डंडा लेकर आगे बढ़े तो मैं थोड़ा पीछे हट गया उनकी बिटिया उनके पीछे पीछे चल रह थी मेंने देखा कि दरवाजे की दूसरी तरफ दो पपीते के पेड़ लगे थे डंडे की सहायता से उन्होंने एक पका हुआ पपीता तोड़ा उनकी बिटिया वह पपीता उठा कर अन्दर ले गयी और पानी से धोकर एक कागज में लपेट कर मेरे पास ले आयी और अपने नन्हें नन्हा हाथों से मेरी ओर बढ़ा दिया उसका निश्छल अपनापन देख मेरी आँखें भर आईं।


मैं अपनी भीग चुकी आंखों को उससे छिपाता हुआ दूसरी ओर देखने लगा तभी मेरी नजर पानी के उस लोटे और गिलास पर पड़ी जो अब भी वहीं रखा था इस छोटी सी बच्ची का अपनापन देख मुझे अपने पानी न पीने पर ग्लानि होने लगी, मैंने झट से एक टुकड़ा गुड़ उठाकर मुँह में रखा और पूरी गिलास का पानी एक ही साँस में पी गया, बिटिया से पूछा कि क्या एक गिलास पानी और मिलेगा वह नन्ही परी फुदकता हुई लोटा उठाकर ले गयी और पानी भर लाई, फिर उस पानी को मेरी गिलास में डालने लगी और उसके होंठों पर तैर रही मुस्कराहट जैसे मेरा धन्यवाद कर रही हो , मैं अपनी नजरें उससे छुपा रहा था पानी का गिलास उठाया और गर्दन ऊंची कर के वह अमृत पीने लगा पर अपराधबोध से दबा जा रहा था।


अब बिना किसी से कुछ बोले पपीता गाड़ी की दूसरी सीट पर रखा, और घर के लिए चल पड़ा, घर पहुंचने पर हाथ में पपीता देख कर मेरी पत्नी ने पूछा कि यह कहां से ले आए तो बस मैं उससे इतना ही कह पाया कि एक ब्राह्मण के घर गया था तो उन्होंने खाली हाथ आने ही नहीं दिया।।।।

घर में कुछ पैसे आएंगे, तो तुमसे ही सब्जी लिया करूंगी

🍂ll #स्नेह_के_आँसू ll 
गली से गुजरते हुए सब्जी वाले ने तीसरी मंजिल  की घंटी  का बटन दबाया।  ऊपर से बालकनी का दरवाजा खोलकर बाहर आई महिला ने नीचे देखा। 🍂

"बीबी जी !  सब्जी ले लो ।  बताओ क्या- क्या तोलना है।  कई दिनों से आपने सब्जी नहीं खरीदी मुझसे, कोई और देकर जा रहा है?" 
सब्जी वाले ने चिल्लाकर कहा। 

"रुको भैया!  मैं नीचे आती हूँ।"🍂

उसके बाद महिला घर से नीचे उतर कर आई  और सब्जी वाले के पास आकर बोली - 
"भैया ! तुम हमारी घंटी मत बजाया करो। हमें सब्जी की जरूरत नहीं है।"🍂

"कैसी बात कर रही हैं बीबी जी ! सब्जी खाना तो सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। किसी और से लेती हो क्या सब्जी ?" 
सब्जीवाले ने कहा। 🍂

🍂"नहीं भैया!  उनके पास अब कोई काम नहीं है। और किसी  तरह से हम लोग अपने आप को जिंदा रखे हुए हैं।  जब सब  ठीक होने लग जाएगा, घर में कुछ पैसे आएंगे,  तो तुमसे ही सब्जी लिया करूंगी।  मैं किसी और से सब्जी  नहीं खरीदती हूँ। तुम घंटी बजाते हो तो उन्हें बहुत बुरा लगता है,  उन्हें अपनी मजबूरी पर गुस्सा आने लगता है।  इसलिए भैया अब तुम हमारी घंटी मत बजाया करो।" 
महिला कहकर अपने घर में वापिस जाने लगी। 🍂

"ओ बहन जी !  तनिक रुक जाओ। हम इतने बरस से  तुमको सब्जी दे रहे हैं । जब तुम्हारे अच्छे दिन थे,  तब तुमने हमसे खूब सब्जी और फल लिए थे।  अब अगर थोड़ी-सी परेशानी आ गई है, तो क्या हम तुमको ऐसे ही छोड़ देंगे ? सब्जी वाले हैं, कोई नेता जी तो है नहीं  कि वादा करके छोड़ दें।  रुके रहो दो मिनिट।" 

🍂और सब्जी वाले ने  एक थैली के अंदर टमाटर , आलू, प्याज, घीया, कद्दू और करेले डालने के बाद धनिया और मिर्च भी उसमें डाल दिया । महिला हैरान थी। उसने तुरंत कहा – 🍂

"भैया !  तुम मुझे उधार  सब्जी दे रहे हो,  कम से कम तोल तो लेते,  और मुझे पैसे भी बता दो।  मैं तुम्हारा हिसाब लिख लूंगी।  जब सब ठीक हो जाएगा तो तुम्हें तुम्हारे पैसे वापस कर दूंगी।" महिला ने कहा। 🍂

"वाह..... ये क्या बात हुई भला ? तोला तो इसलिए नहीं है कि कोई मामा अपने भांजी -भाँजे से पैसे नहीं लेता है। और बहिन ! मैं  कोई अहसान भी नहीं कर रहा हूँ ।  ये सब  तो यहीं से कमाया है,  इसमें तुम्हारा हिस्सा भी है। गुड़िया के लिए ये आम रख रहा हूँ, और भाँजे के लिए मौसमी । बच्चों का खूब ख्याल  रखना। ये बीमारी बहुत बुरी है। और आखिरी बात सुन लो .... घंटी तो मैं जब भी आऊँगा, जरूर बजाऊँगा।" 
और सब्जी वाले ने मुस्कुराते हुए दोनों थैलियाँ महिला के हाथ में थमा दीं। 
🍂
अब महिला की आँखें मजबूरी की जगह स्नेह के आंसुओं से भरी हुईं थीं। 

(नि:शब्द  )🍂

मंगलवार, 18 मई 2021

300 से ज्यादा असाध्य रोगों का काल है ज्वारों का रस

300 से ज्यादा असाध्य रोगों का काल है


●जीवन और मरण के बीच जूझते रोगियों को प्रतिदिन चार बड़े गिलास भरकर ज्वारों का रस दिया जाता है।●जीवन की आशा ही जिन रोगियों ने छोड़ दी उन रोगियों को भी तीन दिन या उससे भी कम समय में चमत्कारिक लाभ होता देखा गया है।
●ज्वारे के रस से रोगी को जब इतना लाभ होता है, तब नीरोगी व्यक्ति ले तो कितना अधिक लाभ होगा?
🙏🏼तो अगर आप अपने जीवन को निरोगी बनाना चाहते है तो हमारी पोस्ट ओर जानकारी को ध्यान पूर्वक पढ़े और शरीर आपका है तो आज से ही नीचे लिखे प्रयोग को काम में लाये।

🌾कैंसर में गेहूँ के ज्वारे का उपयोग🌾

●गेहूँ के दाने बोने पर जो एक ही पत्ता उगकर ऊपर आता है उसे ज्वारा कहा जाता है। नवरात्रि आदि उत्सवों में यह घर-घर में छोटे-छोटे मिट्टी के पात्रों में मिट्टी डालकर बोया जाता है। ये गेहूँ के ज्वारे का रस, प्रकृति के गर्भ में छिपी औषधियों के अक्षय भंडार में से मानव को प्राप्त एक अनुपम भेंट है।
●शरीर के आरोग्यार्थ यह रस इतना अधिक उपयोगी सिद्ध हुआ है कि विदेशी जीववैज्ञानिकों ने इसे ‘हरा लहू’ (Green Blood) कहकर सम्मानित किया है। डॉ. एन. विगमोर नामक एक विदेशी महिला ने गेहूँ के कोमल ज्वारों के रस से अनेक असाध्य रोगों को मिटाने के सफल प्रयोग किये हैं।
●उपरोक्त ज्वारों के रस द्वारा उपचार से 300 से अधिक रोग मिटाने के आश्चर्यजनक परिणाम देखने में आये हैं। जीव-वनस्पति शास्त्र में यह प्रयोग बहुत मूल्यवान है।
●गेहूँ के ज्वारों के रस में रोगों के उन्मूलन की एक विचित्र शक्ति विद्यमान है। शरीर के लिए यह एक शक्तिशाली टॉनिक है।
●इसमें प्राकृतिक रूप से कार्बोहाईड्रेट आदि सभी विटामिन, क्षार एवं श्रेष्ठ प्रोटीन उपस्थित हैं। इसके सेवन से असंख्य लोगों को विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिली है।
●कैन्सर, मूत्राशय की पथरी, हृदयरोग, लीवर, डायबिटीज, पायरिया एवं दाँत के अन्य रोग, पीलिया, लकवा, दमा, पेट दुखना, पाचन क्रिया की दुर्बलता, अपच, गैस, विटामिन ए, बी आदि के अभावोत्पन्न रोग, जोड़ों में सूजन, गठिया, संधिशोथ, त्वचासंवेदनशीलता (स्किन एलर्जी) सम्बन्धी बारह वर्ष पुराने रोग, आँखों का दौर्बल्य, केशों का श्वेत होकर झड़ जाना, चोट लगे घाव तथा जली त्वचा सम्बन्धी सभी रोग।हजारों रोगियों एवं निरोगियों ने भी अपनी दैनिक खुराकों में बिना किसी प्रकार के हेर-फेर किये गेहूँ के ज्वारों के रस से बहुत थोड़े समय में चमत्कारिक लाभ प्राप्त किये हैं।
●ये अपना अनुभव बताते हैं कि ज्वारों के रस से आँख, दाँत और केशों को बहुत लाभ पहुँचता है। कब्जी मिट जाती है, अत्यधिक कार्यशक्ति आती है और थकान नहीं होती।

*🌾गेहूँ के ज्वारे उगाने की विधि :🌾*

■आप मिट्टी के नये खप्पर, कुंडे या सकोरे लें। उनमें खाद मिली मिट्टी लें। रासायनिक खाद का उपयोग बिलकुल न करें। पहले दिन एक कुंडे की सारी मिट्टी ढँक जाये इतने गेहूँ बोयें। पानी डालकर कुंडों को छाया में रखें। सूर्य की धूप कुंडों को अधिक या सीधी न लग पाये इसका ध्यान रखें।
■इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा कुंडा या मिट्टी का खप्पर बोयें और प्रतिदिन एक बढ़ाते हुए नौवें दिन नौवां कुंडा बोयें। सभी कुंडों को प्रतिदिन पानी दें। नौवें दिन पहले कुंडे में उगे गेहूँ काटकर उपयोग में लें। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ उगा दें। इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा, तीसरे दिन तीसरा करते चक्र चलाते जायें। इस प्रक्रिया में भूलकर भी 🤜🏼प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग कदापि न करें❌।
■प्रत्येक कुटुम्ब अपने लिए सदैव के उपयोगार्थ 10, 20, 30 अथवा इससे भी अधिक कुंडे रख सकता है। प्रतिदिन व्यक्ति के उपयोग अनुसार एक, दो या अधिक कुंडे में गेहूँ बोते रहें। मध्याह्न के सूर्य की सख्त धूप न लगे परन्तु प्रातः अथवा सायंकाल का मंद ताप लगे ऐसे स्थान में कुंडों को रखें।
■सामान्यतया आठ-दस दिन नें गेहूँ के ज्वारे पाँच से सात इंच तक ऊँचे हो जायेंगे। ऐसे ज्वारों में अधिक से अधिक गुण होते हैं। ❌ज्यो-ज्यों ज्वारे सात इंच से अधिक बड़े होते जायेंगे त्यों-त्यों उनके गुण कम होते जायेंगे।❌ अतः उनका पूरा-पूरा लाभ लेने के लिए ✅सात इंच तक बड़े होते ही उनका उपयोग कर लेना चाहिए।✅
■ज्वारों की मिट्टी के धरातल से कैंची द्वारा काट लें अथवा उन्हें समूल खींचकर उपयोग में ले सकते हैं। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ बो दीजिये। इस प्रकार प्रत्येक दिन गेहूँ बोना चालू रखें।

🌾ज्वारों का रस बनाने की विधि :🌾

◆जब समय अनुकूल हो तभी ज्वारे काटें। काटते ही तुरन्त धो डालें। धोते ही उन्हें कूटें। कूटते ही उन्हें कपड़े से छान लें। इसी प्रकार उसी ज्वारे को तीन बार कूट-कूट कर रस निकालने से अधिकाधिक रस प्राप्त होगा।
◆चटनी बनाने अथवा रस निकालने की मशीनों आदि से भी रस निकाला जा सकता है। रस को निकालने के बाद विलम्ब किये बिना तुरन्त ही उसे धीरे-धीरें पियें।
◆किसी 🙏🏼✅🙏🏼सशक्त अनिवार्य कारण के अतिररिक्त एक क्षण भी उसको पड़ा न रहने दें, कारण कि उसका गुण प्रतिक्षण घटने लगता है और तीन घंटे में तो उसमें से पोषक तत्व ही नष्ट हो जाता है। प्रातःकाल खाली पेट यह रस पीने से अधिक लाभ होता है।🙏🏼✅🙏🏼
◆दिन में किसी भी समय ज्वारों का रस पिया जा सकता है। परन्तु रस लेने के *आधा घंटा पहले और लेने के आधे घंटे* बाद तक कुछ भी खाना-पीना न चाहिए।
◆❌आरंभ में कइयों को यह रस पीने के बाद उबकाई आती है, उलटी हो जाती है अथवा सर्दी हो जाती है। परंतु इससे घबराना न चाहिए।❌
◆शरीर में कितने ही विष एकत्रित हो चुके हैं यह प्रतिक्रिया इसकी निशानी है। सर्दी, दस्त अथवा उलटी होने से शरीर में एकत्रित हुए वे विष निकल जायेंगे।ज्वारों का रस निकालते समय मधु, अदरक, नागरबेल के पान (खाने के पान) भी डाले जा सकते हैं।
◆इससे स्वाद और गुण का वर्धन होगा और उबकाई नहीं आयेगी। विशेषतया यह बात ध्यान में रख लें कि ज्वारों के रस में नमक अथवा नींबू का रस तो कदापि न डालें।
◆रस निकालने की सुविधा न हो तो ज्वारे चबाकर भी खाये जा सकते हैं। इससे दाँत मसूढ़े मजबूत होंगे। मुख से यदि दुर्गन्ध आती हो तो दिन में तीन बार थोड़े-थोड़े ज्वारे चबाने से दूर हो जाती है। दिन में दो या तीन बार ज्वारों का रस लीजिये।

*🌾सस्ता और सर्वोत्तम ज्वारों का रस 🌾*
■ज्वारों का रस दूध, दही और मांस से अनेक गुना अधिक गुणकारी है। दूध और मांस में भी जो नहीं है उससे अधिक इस ज्वारे के रस में है।
■इसके बावजूद दूध, दही और मांस से बहुत सस्ता है। घर में उगाने पर सदैव सुलभ है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी इस रस का उपयोग करके अपना खोया स्वास्थ्य फिर से प्राप्त कर सकता है।गरीबों के लिए यह ईश्वरीय आशीर्वाद है।
◆नवजात शिशु से लेकर घर के छोटे-बड़े, अबालवृद्ध सभी ज्वारे के रस का सेवन कर सकते हैं।
◆ नवजात शिशु को प्रतिदिन पाँच बूँद दी जा सकती है।
◆ज्वारे के रस में लगभग समस्त क्षार और विटामिन उपलब्ध हैं। इसी कारण से शरीर मे जो कुछ भी अभाव हो उसकी पूर्ति ज्वारे के रस द्वारा आश्चर्यजनक रूप से हो जाती है।
■इसके द्वारा प्रत्येक ऋतु में नियमित रूप से प्राणवायु, खनिज, विटामिन, क्षार और शरीरविज्ञान में बताये गये कोषों को जीवित रखने से लिए आवश्यक सभी तत्त्व प्राप्त किये जा सकते हैं।
◆डॉक्टर की सहायता के बिना गेहूँ के ज्वारों का प्रयोग आरंभ करो और खोखले हो चुके शरीर को मात्र तीन सप्ताह में ही ताजा, स्फूर्तिशील एवं तरावटदार बना दो।
◆ज्वारों के रस के सेवन के प्रयोग किये गये हैं। कैंसर जैसे असाध्य रोग मिटे हैं। शरीर ताम्रवर्णी और पुष्ट होते पाये गये हैं।

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शनिवार, 15 मई 2021

हैल्थ कार्ड बनवाए, भारत में कहीं भी इलाज करवाईए Make your health card & free from Hospital bills payment

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1.क्या आपके पास भी है आकस्मिक Hospital खर्चो से बचने के लिए पर्याप्त हेल्थ कवर?

2.क्या आपकी हेल्थ पॉलिसी भी करती है कवर (ABCD) यानि अस्थमा, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्राल, और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का खर्चा?

3.क्या आपकी हेल्थ पालिसी भी देती है वर्ल्डवाइड मेडिकल असिस्टेंस?

4.क्या आपकी पालिसी भी देती है हेल्थ कवर एक्सास्ट होने पर 100% कवर रीलोड का बेनिफिट?

5.क्या आपकी पॉलिसी में है नो क्लेम बोनस का एक छोटे से क्लेम से 0 ना हो जाने वाला फीचर?

6.सबसे महत्वपूर्ण सवाल,  क्या आपकी पॉलिसी देती है आपको स्वयं को फिट रखने पर अगले साल के प्रीमियम में 30% तक का डिस्काउंट?

अगर इन सभी सवालों का जवाब है "नहीं" तो जानिए कैसे आप ये सब बेनिफिट ले सकते हैं l••

एक फैमिली में पांच मेम्बर है
पति राजेंद्र (व्यापारी)
पत्नी रागिनी (हाउसवाइफ)
पिता राजेश (रिटायर्ड)
बड़ा बेटा ( राहुल)
छोटा बेटा ( राज)
अब आपको पता होगा यह पूरा परिवार राजेंद्र जी पे डिपेंड हैं।।।
राजेंद्र जी इस परिवार के पिल्ल्लर है।।
अगर राजेंद्र जी बीमार हो जाते है तो क्या क्या दिक्कत आ सकती है ।।।🏨🏥
सोचिए जरा उनकी सेविंग जाएगी और पिता जी में अचानक से जिम्मेदारी आएगी ।।।💸
पत्नी जी को  जादा जिम्मेदारी आ  जाएगी।।
हॉस्पिटल के बिल्स दवाइयों का पैसा बहुत सारे टेस्टों का पैसा एडवांस जमा करवाना होगा।।।
आपको रिस्तेदारो की मदद लेनी होगी।।।
ऐसे में आप परिवार को बहुत दिक्कत में कर रहे है ।।।
इसलिए जागरूक बनिए बिना कोई लापरवाही किए बिना ।।हैल्थ कार्ड बनवाइए।।इलाज मुफ्त करवाइए।।।

इसलिए घर के परिवार के मुखिया को कुछ होता है तो हम है उनके हैल्थ कार्ड के द्वारा सारा इलाज का खर्च का भुगतान हम कंपनी द्वारा किया जाएगा।।।
इसलिए आज ही अपना हैल्थ कार्ड बनवाए ।।।
जिससे आप भारत में कहीं भी इलाज करवाईए।।
हैल्थ कार्ड बनवाने के बाद आपके परिवार में हॉस्पिटल में लेके कभी कोई शिकायत नहीं रहेगी।।।

Kailash Chandra Ladha
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ADITYA BIRLA HEALTH INSURANCE CARD

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Day Care Treatment :

Day Care Treatment होता वो treatment जो एक दिन मैं हो जाते है जैसे Eye treatment ,Nose ,Ear treatment। तो इस पालिसी मैं कुल 586 listed procedures cover है। आप इन treatments को अपने SI use कर सकते है।

Health Check-up Program :

Health Check-up की बात करे तो साल मैं एक बार आपको Health Check-up free मैं मिलेगा।

Organ Donor Expenses :

अगर आपको कभी organ donor की जरूरत पड़ती है तो इसका भी खर्चा इस पालिसी मैं कवर होता है।

Domestic & International Emergency Assistance Services भी इस पालिसी मैं available है including Air Ambulance।✈✈✈🏨🏥

HealthReturns™:

इस पालिसी मैं आपको फिट रहो और पायो 30 % discount अगले साल की Policy मैं वाला ऑप्शन दिया जा रहा है।
आपको एक app आपके फ़ोन मैं install करना है नाम है Activ health app जो आपको playstore मैं मिल जाएगी और हर महीने 13 Active days complete करने है यानि 10000 steps हर दिन या 30 minutes Gym main या 300 Calories burned करनी है और आपको अगले साल 30 % discount।

In-patient Hospitalization :

इसका मतलब होता है की आपको अपना कवर तभी मिलता है जब आप 24 घंटो के लिए hospitalized होते है किसी भी treatment के लिए।

महामारी के लिए कवर -

हम जानते हैं की लोग कोरोना वायरस के वजह से डरे हुए हैं इसलिए हम उसको भी कवर करते हैं |

Domiciliary Hospitalization :

यानि home care कई बार ऐसा होता है आपको घर से इलाज करवाना पड़ता है और उस मैं डॉक्टर घर पर ही visit करता है



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Jai shree krishna

Thanks,

Regards,

कैलाश चन्द्र लढा(Jodhpur)

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बुधवार, 12 मई 2021

डर के माहौल व oxygen बिजनेस ने लोगों को इतना मानसिक कमजोर कर दिया है कि oxygen का लेवल 93 से नीचे आते ही सब सिलेंडर तलाशने लग जाते हैं।

गांवों में बहुत सारे हुक्के , बीडी पीने वाले बुड्ढे मिल जायेंगे, जिनको सांस की दिक्कत होती है,

उनका oxygen लेवल दिन में कई बार 93 से बहुत नीचे भी जाता है, लेकिन फिर भी वे उसको आराम से बर्दाश्त कर जाते हैं।

क्यों? क्योंकि उन्हें उस समय 
Oximeter लगाकर oxygen लेवल नाप कर डराने वाला कोई नहीं होता है। उनके हिसाब से थोडी देर पंखे के सामने उलटा-सीधा होकर लेटना-बैठना ही इसका इलाज है। 
उनको नहीं पता कि oxygen cylinder क्या होता है। उनको बस यह पता है कि थोडी देर शरीर दुखेगा और उसके बाद अपने आप एडजस्ट कर लेगा। उनको पता है कि इसका इलाज उनके अंदर ही है।

जबकि वर्तमान डर के माहौल व oxygen बिजनेस ने लोगों को इतना मानसिक कमजोर कर दिया है कि oxygen का लेवल 93 से नीचे आते ही सब सिलेंडर तलाशने लग जाते हैं।

हमारा शरीर सांस लेते समय जो हवा अंदर लेता है, उसमें oxygen का प्रतिशत लगभग 21 होता है। अब उसके स्थान पर अचानक से 60% , 90% ,100% concentrated Oxygen दोगे तो क्या शरीर मजबूत हो जायेगा ?

हमारा शरीर जिस माहौल के लिए सालों से तैयार है, के स्थान‌ पर अचानक से ऐसे कृत्रिम माहौल में शरीर को घुसेड़ देंगे तो फिर शरीर भी बदलने लगेगा। फेंफड़ों में , व शरीर के अन्य हिस्सों में भी परिवर्तन होने लगेगा।

हमारे शरीर में जादुई गुण होते हैं, कि वह हर माहौल के हिसाब से बदलने की प्राकृतिक ताकत रखता है। जब उस प्राकृतिक गुण को मशीनों से रिप्लेस करने की कोशिश करेंगे तो फिर नुकसान तो होंगे ही ।

डर का माहौल ऐसा बनाया हुआ है, कि लोग अपनी कारों में सिलेंडर लगवा कर लेटे हुए हैं, ओक्सीजन लेवल कितना क्या रखना है, कैसे मोनिटर करना है, कुछ अता-पता नहीं।

Industrial Oxygen बनाते- बनाते  medical oxygen बनाने लग गये ... प्रोडक्शन को कोन रेगुलेट कर रहा है,अंदर क्या किस अनुपात में भर रखा है, पता नहीं।

डरे हुए लोग अपने परिवारजनों को ना खो देने के डर से जिधर-जहां ,जो मिल रहा हैं, आंख मूंद के ले रहे हैं। 

लोग अनजाने में, मरने‌ के डर से, मरने के लिए ही अपनी सालों ‌की कमाई को रातों रात लूटा रहे हैं।

वर्तमान समय में फ्लू के थोडे से लक्षण दिखने पर ही अंट-शंट दवाइयां, सिलेंडर के चक्कर में पडे बिना‌, अपने आप पर भरोसा रखिये। हाई विटामिन सी डाईट पर शिफ्ट हो जाइये। डर फैलाने वालों से दूर रहिए। बुखार हो तो दवाईयों से कम करने की कोशिश मत किजिए। बुखार खराब चीज़ नहीं है, वह शरीर के ठीक होने से पहले के युद्ध का परिणाम है।

बहुत ज्यादा ही टेम्परेचर होने पर गीली पट्टी वगैरह से टैम्प्रेचर कम कर लीजिए। सांस की दिक्कत होने पर prone ventilation या देशी तरीकों से शरीर को मजबूत कीजिए, ना कि सिलेंडरों पर शरीर को निर्भर बनाइये।

डरना-घबराना नहीं है, खुद पर भरोसा रखिये अपने साथी को मानसिक रूप से तगडा रहने में मदद कीजिए।

अपने साथी या परिवारजन को सिलेंडर लगवा कर बैंगन की तरह पडे रहने के लिए मत छोड़ दीजिए ।

बातें किजिए, हंसी-मजाक, ठहाके लगाने में मदद किजिए। मानसिक अकेलेपन की गिरफ्त में मत जाने दिजिए। डर मत फैलाइए। खुद मत डरिये। कम लोगो के सम्पर्क में आइए। हो सके उतना भय के माहौल से दूर रहिए। भय का कोई इलाज नही है सिवाय मौत के।
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मंगलवार, 11 मई 2021

तीनों ही वैक्सीन (कोविशील्ड,कोवाक्सिन और स्पुतनिक) जो भी वैक्सीन मिल जाये, तुरन्त लगवाएं

*वैक्सीन* 

®️ *कोविशील्ड (Covishield)*

कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर तैयार किया है और इसके उत्पादन के लिए भारत में इसे पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया बना रही है।ये एक तरह का सौदा है जिसमें प्रति वैक्सीन की *आधी कीमत ऑक्सफ़ोर्ड* के पास जाती है। कोविशील्ड दुनिया की सबसे लोकप्रिय वैक्सीन में से है क्योंकि कई देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।कोविशील्ड म्यूटेंट स्ट्रेन्स (अर्थात रूप बदले हुए वायरस) के खिलाफ सबसे असरदार और प्रभावी है। कोवीशील्ड एक वायरल वेक्टर टाइप की वैक्सीन है।

®️कोविशील्ड को *सिंगल वायरस के जरिए* बनाया गया है जो कि चिम्पैंजी में पाए जाने वाले एडेनोवायरस (चिंपैंजी के मल में पाया जाने वाला वायरस) ChAD0x1 से बनी है।
ये वही वायरस है जो चिंपैंजी में होने वाले *जुकाम का कारण* बनता है लेकिन इस वायरस की जेनेटिक सरंचना COVID के वायरस से मिलती है इसलिए एडेनो-वायरस का उपयोग कर के शरीर मे एंटीबॉडी बनाने को वैक्सीन इम्युनिटी सिस्टम को प्रेरित करती है। कोवीशील्ड को भी WHO ने मंजूरी दी है।  इसकी प्रभाविकता या *इफेक्टिवनेस रेट 70 फीसदी* है। यह वैक्सीन कोरोना के गंभीर लक्षणों से बचाती है और संक्रमित व्यक्ति जल्दी ठीक होता है।ये व्यक्ति को वेन्टिलर पर जाने से भी बचाती है। इसका रख-रखाव रखना बेहद आसान है क्योंकि यह लगभग 2° से 8°C पर कहीं भी ले जाई जा सकती है इसलिए इसकी उपयोग में लाने के बाद बची हुई वैक्सीन की वायल को फ्रिज में स्टोर किया जा सकता है।


®️ *कोवैक्सिन (Covaxin)*

कोवैक्सिन को ICMR और भारत बायोटेक ने मिलकर तैयार किया है। इसे वैक्सीन बनाने के सबसे पुराने अर्थात पारंपरिक  *इनएक्टिवेटेड प्लेटफॉर्म*  पर बनाया गया है। इनएक्टिवेटेड का मतलब है कि इसमें डेड वायरस को शरीर में डाला जाता है, जिससे एंटीबॉडी पैदा होती है और फिर यही एंटीबॉडी वायरस को मारती है। यह वैक्सीन लोगों को संक्रमित करने में सक्षम नहीं है क्योंकि वैक्सीन बनाना बेहद फाइन बैलेंस का काम होता है ताकि वायरस शरीर मे एक्टिवेट न हो सके। ये इनक्टिवेटेड वायरस शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को असली वायरस को पहचानने के लिए तैयार करता है और संक्रमण होने पर उससे लड़ता है और उसे खत्म करने की कोशिश करता है।
इस वैक्सीन से कोरोना वायरस को खतरा है, इंसानों को नहीं।

®️कोवैक्सीन की *प्रभाविकता 78 फीसदी* है। एक शोध में ये भी बताया गया है कि यह वैक्सीन घातक संक्रमण और मृत्यु दर के जोखिम को 100 फीसदी तक कम कर सकती है। हाल ही में हुए शोध में यह दावा किया गया है कि कोवैक्सिन कोरोना के सभी वेरिएंट्स के खिलाफ कारगर है।

®️Note- इन सभी वैक्सीन में सिर्फ covaxin अकेली वैक्सीन है जिसे वैक्सीन बनाने के सबसे पुराने तरीके से बनाया गया है इसमें कोरोना वायरस के ही *(इनक्टिवेटेड वायरस अर्थात मृत-स्वरूप* को उपयोग में लाया है और यही एक बड़ा कारण है जोकि covaxin को कोरोना के 671 वैरिएंट (हाल ही में हुए शोध अनुसार) के खिलाफ प्रभावी बनाता है मतलब ये कि चाहे कोरोना वायरस कितना भी म्यूटेशन कर ले (अर्थात रूप बदल लें) covaxin उन सभी पर प्रभावी रहेगी।

®️अब आते हैं सबसे अंत में-

®️ *स्पुतनिक- V (Sputnik V)*

इसे मॉस्को के गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने तैयार किया है,जिसे भारत में डॉ० रेड्डी लैब द्वारा बनाया जाएगा। इसे भी 2-8°C पर स्टोर किया जा सकता है।स्पुतनिक V भी एक *वायरल वेक्टर वैक्सीन* है, लेकिन इसमें और बाकी वैक्सीन में एक बड़ा फर्क यही है कि बाकी वैक्सीन को एक वायरस से बनाया गया है, जबकि इसमें दो वायरस हैं और इसके दोनों डोज अलग-अलग होते हैं। स्पुतनिक V को भारत ही नहीं बल्कि हर जगह अब तक की सबसे प्रभावी वैक्सीन माना गया है। इस पैमाने पर भारत की सबसे इफेक्टिव वैक्सीन है। स्पुतनिक V *91.6 % प्रभावी* है। ऐसे में इसे सबसे अधिक प्रभावी वैक्सीन कहा जा सकता है। यह सर्दी, जुकाम और अन्य श्वसन रोग पैदा करने वाले एडेनोवायरस-26 (Ad26) और एडेनोवायरस-5 ( Ad5) अर्थात 2 अलग अलग प्रकार के वायरस पर आधारित है। यह कोरोना वायरस में पाए जाने वाले कांटेदार प्रोटीन  (Spike प्रोटीन- यही वो प्रोटीन है जो शरीर की कोशिकाओं अर्थात सेल्स में एंट्री लेने में मदद करता है) की नकल करती है, जो शरीर पर सबसे पहले हमला करता है। वैक्सीन शरीर में पहुंचते ही इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है। और शरीर में एंटीबॉडी पैदा हो जाती है। यही एंटीबॉडी शरीर को कोरोना वायरस से बचाती हैं।

®️अब बात करते हैं स्पुतनिक की ही *सिंगल डोज वाली वैक्सीन अर्थात sputnik Light की,*

®️चूंकि स्पुतनिक वैक्सीन की दोनों डोज में दो अलग अलग वायरस उपयोग होते है तो स्पुतनिक लाइट वैक्सीन असल में स्पुतनिक-V वैक्सीन का पहला डोज ही है। ध्यान रहे कि स्पुतनिक-V में दो अलग-अलग वैक्सीन तीन हफ्ते के अंतराल के बाद दिए जाते हैं। अब इसे बनाने वाली कंपनी ने दावा किया है कि स्पुतनिक-V का पहला डोज भी कोरोना संक्रमण से बचाने में कारगर है और इसे ही स्पुतनिक-लाइट के रूप में लांच किया गया है।जिसका इफेक्टिवनेस 79.4% है जोकि अन्य वैक्सीन के दो डोज से भी अधिक है यदि इसकी मंजूरी भारत में मिलती है तो एक डोज में ही अधिक टीकाकरण किया जा सकेगा।जिससे टीकाकरण में तेजी भी लाई जा सकेगी।

®️ इन तीनों के अलावा 2 वैक्सीन और भी हैं विश्व में जिनको आपातकालीन मंजूरी दी गयी है लेकिन फिलहाल भारत मे मान्य नहीं है जोकि मोडर्ना और फाइजर की हैं,

®️मोडर्ना को जहाँ *-20° पर* स्टोर करना होता है वहीं दूसरी ओर फाइजर की वैक्सीन को *-70°C से -75°C* पर सुरक्षित रखना पड़ता है यही कारण है भारत इन वैक्सीन को मंजूरी देने में कदम पीछे खींच रहा है क्योंकि भारत मे ऐसे तंत्र को विकसित करना मुश्किल है जिसमें इस तापमान को मेंटेन रखा जाए।इससे भी अलग एक बात ये है कि इस वैक्सीन को बनाने में परम्परागत तकनीक से अलग तकनीक उपयोग में लाई गई है।

®️परंपरागत वैक्सीन के जरिए हमारे शरीर के रक्तप्रवाह में जीवित या मृत वायरस डाला जाता है। साथ ही इसमें कई पदार्थ होते हैं, जो प्रतिरोधी प्रक्रिया के उत्पादन के लिए जरूरी होते हैं। लेकिन कोविड-19 की नई वैक्सीन में मैसेंजर आरएनए (MRNA) का इस्तेमाल किया गया है, जो एक प्रकार का न्यूक्लिक अम्ल है।

®️यह मैसेंजर आरएनए एक आनुवंशिक तंत्र (genetic mechanism) का संकेत देता है, जिससे कोविड एंटीबॉडी उत्पन्न होती है, जो वायरस के निशानों को नष्ट कर देती है। यानी इस प्रक्रिया में वायरस को शरीर में सीधे इंजेक्ट नहीं किया जाता है।

®️Special Note- तुलनात्मक अध्ययन सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं क्योंकि अभी तक *भारत में स्वीकृत तीनों ही वैक्सीन (कोविशील्ड,कोवाक्सिन और स्पुतनिक) कोविड को गम्भीर होने और वेंटिलेटर पर जाने से बचाती हैं* और जो भी वैक्सीन मिल जाये, *तुरन्त लगवाएं* क्योंकि ये तीनों की वैक्सीन रोग के गम्भीर होने के खतरे को टाल देती है और आपकी रक्षा करती हैं।

धन्यवाद

बुधवार, 5 मई 2021

cowin.gov.in पर वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया

**वैक्सीनेशन: कोविड-19 वैक्सीन की पंजीकरण प्रक्रिया के बारे में जानें,


👉cowin.gov.in. पर क्लिक करें!
👉इसमें आपका मोबाइल नंबर मांगा जाएगा वहां पर अपना मोबाइल नंबर डालें जो मोबाइल आपके पास हो!
👉 इसी मोबाइल पर एक ओटीपी आएगा!
👉 ओटी पी को डालकर वेरीफाई करें..!
👉 अब वैक्सीनेशन रजिस्ट्रेशन पेज खुलेगा!
👉 अब इसमें आईडी प्रूफ डाले जिसमें आधार कार्ड ,वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस, इत्यादि में से कोई भी एक चुने!
👉 इसमें आईडी नंबर डालें और आपकी डिटेल नाम उम्र आदी आएंगे!
👉 आपको कोई गंभीर बीमारी तो नहीं है इसके बारे में पूछा जाएगा इसी नहीं पर क्लिक करें..!
👉 वैक्सीनेशन सेंटर चुने!
👉 रजिस्ट्रेशन पर क्लिक करें!
👉रजिस्ट्रेशन कन्फर्मेशन का एक मैसेज आएगा जिसमें वैक्सीनेशन की दिनांक और वैक्सीनेशन केंद्र दिया होगा!
👉अब मैसेज में आये दिनांक को आप एक  केंद्र पर जाएं और उक्त मैसेज को दिखाकर आपका वैक्सीनेशन कर दिया जाएगा!
👉 टीकाकरण करवाने के लिए भूखे पेट नहीं जाएं कुछ खाकर के जाएं!
👉 क्या वैक्सीनेशन करवाने के बाद हम कोरोना पॉजिटिव नहीं होंगे!
👉जी नहीं वैक्सीनेशन करवाने के बाद भी आप कोरोना पॉजिटिव हो सकते हैं लेकिन वैक्सीनेशन के बाद कोरोनावायरस आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा आपको गंभीर नुकसान नहीं होंगे..!!

 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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www.sanwariyaa.blogapot.com

शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

ऐसे जैविक अस्त्र भविष्य में भी देखने को मिलेंगे। इसके लिए सभी देशों को तैयारियां कर लेनी चाहिए।

विगत कुछ दिनों में कोरोना की कृपा से विश्वपरिद्रृश्य में अपने सामाजिक परिवेश के अन्वेषण का समय मिला। 
विन्दूवार प्रस्तुत है;

👉चीनी कम्युनिस्ट पंथ (वामपंथ) बेहद निर्दयी और निर्मम रहा है। क्योंकि यह लोग अपनी सफलता के लिए कुछ भी करने से पीछे नहीं हटते है। चाहे इसके कुछ भी करना पड़े। तभी तो माओ ने अपनी सत्ता और ताकत के लिए चीन में 1966 से 1976 तक कल्चर रेवोल्यूशन चलाया था। जिसमें लाखों लोगों का कत्लेआम हुआ। माओ ने अपने सामने खड़े होने वाले हर शख्स को हटवा दिया। सड़कें लाल रंग से नहा गई थी। चीन ने ऐसे कत्लेआम कदम तब उठाए है जब उनका शासक संकट से घिरा हो। ताकत कम होने का ख़तरा बना हो।

👉पिछले कुछ सालों से चीन अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर में उलझा हुआ था। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने  चीन की उलझनें काफ़ी बढा दी थी। इधर, हांगकांग में बड़ा आजादी आंदोलन शेप ले रहा था। जिसे अंतराष्ट्रीय पटल पर खूब कवरेज दी जा रही थी। 

चीन को समझ नहीं आ रहा था। कि आख़िर ऐसा क्या किया जाए। जिससे हांगकांग वाला मुद्दा दब जाए और सभी देशों का ध्यान डाइवर्ट हो जाए। हालांकि हांगकांग का आंदोलन 2013-14 से अस्तित्व में आया था। लेकिन इसका पीक टाइम 2019 सितम्बर-अक्टूबर रहा। दुनिया के देशों की नजर हांगकांग पर थी। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में हांगकांग सुर्ख़ियों का केंद्र बन चुका था।

👉यूके भी हांगकांग को पुनः अपना उपनिवेशक बनाने को उतारू नजर आ रहा था। कि चीन के वुहान शहर ने तेजी से अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान और रुख बदला। उनके दिमाग में हांगकांग को निकालकर 'कोविड-19' वायरस को डाल दिया। धीरे-धीरे इस वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। ऐसा कोई देश नहीं बचा, जहाँ चीनी वायरस ने दस्तक न दी हो। इसके खौफनाक कहर से दुनिया के सबसे सम्पन्न और सामर्थ्यवान देशों के हेल्थ सिस्टम धराशाई हो चले। इन देशों के राष्ट्राध्यक्ष बेबस नजर आए। 

चारों तरह सिर्फ़ और सिर्फ़ कोविड-19 ही रहा और अभी बदस्तूर जारी है। चीन ने दुनिया भर में अपना प्रभुत्व कायम रखने के लिए पूरी दुनिया में मौतों का सिलसिला शुरू कर दिया। क्योंकि चीनी शासक अपनी कामयाबी और मकसद के लिए लाशें बिछाने में कोई परहेज नहीं करते है। इन लोगों ने इसकी शुरुआत अपने देश से की। आज पूरी दुनिया इनकी सनक का शिकार है। 

👉कोविड-19 के तहत चीन ने दुनिया में जैविक वॉर छेड़ दी है। ऐसा पहली बार नहीं है जब चीन ने पहला जैविक अस्त्र चलाया है। इससे पहले 2002-2004 में सार्स आउटब्रेक सामने आया था। हालांकि इसका दायरा ईस्ट एशिया रहा। कुछ केसेज अन्य देशों में भी देखने को मिले। सार्स ने कुल 30 टेरेट्रीज में दस्तक दी थी। चीन ने सार्स को शुंड फोर्शन शहर ग्वांगडोंग से लॉन्च आई मीन लीक किया था। इस वायरस की चपेट में आठ हजार से ज्यादा केसेज  आए। जबकि आठ सौ से ज्यादा मौतें हुई थी।

👉कोविड-19 से चीन ने हांगकांग और अमेरिका से ट्रेड वॉर को काबू कर लिया है। डोनाल्ड ट्रम्प को सत्ता से बेदखल कर करवा दिया। 
👉👉भारत में कोविड-19 की दूसरी वेब, जो इन दिनों जबर कहर बरपा रही है। इसके पीछे चीनी साजिश है। चीन ऐसे ही गुरिल्ला द्वंद्व से अपने दुश्मनों पर काबू पाता आया है। 

कुछ रोज़ पहले एक रिपोर्ट पढ़ी थी। जिसे नामी पत्रकार और लेखक ने अपनी किताब में साझा किया था। कि चीनी नागरिक अपने देश की रक्षा और सुरक्षा के लिए दूसरे देशों की जासूसी करते है। वहाँ से खुफिया जानकारियां इक्कठा करते है। यह जासूस टूरिस्ट बनकर देशों के भ्रमण पर निकलते है और अपना हित साधते है। चीन ने अमेरिका के डिफेंस वेपन्स की चोरी करके, अपने वेपन्स डिजाइन किए है। इन डिजाइन्स को चुराने में चीनी नागरिकों ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया है।

जब भारत ने फ्रांस के साथ राफेल डील फाइनल की थी। उसके बाद देश में राफेल को लेकर खूब बवाल हुआ था। इसका कारण था। कि चीन को चिंता सता रही थी कि आखिर भारत ने राफेल का कौनसा मॉडल खरीदा है। चीन को यह जानकारी हर हाल में चाहिए थी। लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली और भारत में बैठे उसके सारे जासूस धराशाई हो गए। 

👉कोविड-19 ने दुनियाभर में इतनी तबाही मचाई है मौत का तांडव किया है। लेकिन कोई भी देश चीन से कुछ कहने की हालत में नहीं है। सिर्फ़ डोनाल्ड ट्रंप ने ही सार्वजनिक मंच से कोविड-19 को चीनी वायरस कहने की हिम्मत दिखाई थी। और इस महामारी के लिए सीधा चीन को ज़िम्मेदार ठहराया था।

ट्रम्प के अलावे किसी और ने एक शब्द चीन से न कहा। बल्कि डब्ल्यू एच ओ भी चीन का भागीदार बना रहा। वुहान में जांच करने की हिम्मत न जुटा पाया है।
::: अमेरिका से सीख लेने की आवश्यकता है राष्ट्रवादी खेमे को  .... 
डोनाल्ड ट्रम्प का नाम अमेरिका के सर्वकालिक उत्तम में से एक और ऐतिहासिक राष्ट्रपति का हो सकता था  ... अमेरिका - उत्तर कोरिया - दक्षिण कोरिया सन्धि करने की बात चीत  ...  इजराइल - अरब अमीरात - बहरीन सम्बन्ध जिसमें जल्द ही सऊदी तक सम्मिलित होने के कगार पर था ... कंपनीयाँ जो अमरीका से माइग्रेट होकर कभी कनाडा - मैक्सिको - चीन आदि चली गयी थीं उनमे से तीन हज़ार के ऊपर ट्रम्प के कार्यकाल में वापस अमेरिका आ गयी थी  .... Trump ने किसी भी देश पर कभी हमला नहीं किया उल्टा इराक - अफगानिस्तान से अपने सैनिक वापस बुलाने पर काम किया .... 
लेकिन गलती ट्रम्प से हुई कि अपने बोल के कारण इतने काम के बाद भी वो Politically correct नहीं रहे  ... अपने हाव भाव, बोल बचन और communist मीडिया से सीधे भिड़ जाने की शैली ने उनको Politically Incorrect बनाकर ऐसे प्रस्तुत कर दिया जैसे वो नल्ले नकारा हों  ... अमेरीका में ट्रम्प विरोधी से बात कीजिए - उनमे से अधिकतर वो सिर्फ ट्रम्प के बोल बचन के कारण विरोधी दिखेगा, जब उनको ऊपर वाले बात बताइये तो वो मानेगा लेकिन फिर वही बोल बचन  ...  पोलिटिकल करेक्ट होने के कारण बराक हुसैन ओबामा लीबिया को मटियामेट करने और दुनिया भर में २८००० से ऊपर बम मारने के बाद भी नोबेल शांति पुरस्कार ले जाते हैं और आज तक प्रत्येक वर्ग के दुलारे हैं, उनका इस हर काम में हमराही Biden चुनाव जीत जाता है  .... जबकि इतने काम के बाद भी Political Incorrect बोल बचन के कारण ट्रम्प हार जाते हैं  .... 
अतः अपने बोल बचन से Political correct रहना आवश्यक है - न सिर्फ नेता को बल्कि समर्थक को भी ... This is the value of being politically correct.    
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भारत में मोदी विरोधी कम्युनिस्ट मीडिया को देखिये कि उन्होंने कितने जतन न किये मोदी को परास्त करने के .... मोदी जी ने कभी भी politically Incorrect prove होने का साजो सामान कम्युनिस्ट गैंग के हाथ न लगने दिया .... वैसे तो comparision बेकार है लेकिन भारत में महाराष्ट्र के ऊधो का  हरकत देखिए, आज अर्नब गोस्वामी में लोग राष्ट्रीय नायक देखने लगे हैं  ...  जबकि कभी मीडिया में कम्युनिस्टों के आँख के तारे रहे अजित अंजुम, अभिसार, पुण्यप्रसून अपने एक एजेण्डा से सटे हुए इतने repetitive हो गए कि नौकरी गयी और frustrate होकर Youtuber बन गए लेकिन मोदी जी ने एक शब्द न खर्च किये इन पर जबकि इन लोगों ने कितनी अति न पार कर दी, बाकी राजदीप, बर्खा, रवीश जैसी अन्य अपने विश्वसनीयता के zero बिन्दु पर खड़े हैं ... ये अंतर है political correct और incorrect रहने का  ... 
एक कड़ी बात कहना चाहूंगा - अगर आप यह सोच कर सोश्यल मीडिया पर लगे रहते हैं, कि इधर विपक्ष के किसी गिरोह ने आप पर पलटवार किया और उधर पीएम मोदी दक्षिण भारतीय फिल्मों के हीरो की तरह लूंगी बांधे अपना सारा काम काज छोड़ कर आपको छुड़ाने पुलिस थाने में पहुंच जायेंगे, थानेदार को अइयो रास्कला ... कहते हुए, तो भगवान के लिए अपने काम धंधे में ही समय दीजिये. राष्ट्र का कार्य आपके और मेरे बिना भी कमोवेश चलता रहा था, चलता रहेगा भी.
It is important to be politically correct  .....  इस बात को ट्रम्प नहीं जानते थे लेकिन मोदी जी को इस पर कोई संदेह नहीं .... एक अर्नब के जेल जाने से कभी भी भाजपा को वोट न देने का कसम, मोदी को नपुन्सक, लाशों की राजनीती करने वाला, अर्नब की लाश सूट करती है आदि और न जाने क्या क्या बोलने वाले लोग एक  politically incorrect कदम होने पर ego के चरम पर ले जाकर अपने ही पैर पे कुल्हाड़ी मार लेंगे ये पता है मोदी को  .... अभी भी राष्ट्रवादी खेमा इतना mature नहीं हुआ - ये बात मोदी को बहुत अच्छे से पता है  और उससे अधिक विरोधी और लेफ्ट लिबरल तथा कम्युनिस्ट गैंग को भी पता है ...

👉ऐसे जैविक अस्त्र भविष्य में भी देखने को मिलेंगे। इसके लिए सभी देशों को तैयारियां कर लेनी चाहिए।

👉शी जिन पेंग ने शायद सितंबर-अक्टूबर में कहा था,"ये तो सिर्फ शुरूआत है, कोरोना की दूसरी लहर प्रलयंकारी होगी।" 
वो किसे धमकी दे रहा था?

क्या यह मात्र एक संयोग है कि अमेरिका और भारत ही कोविड से सबसे ज्यादा जूझ रहे हैं जबकि भारत तो प्रथम स्ट्रेन से कुछ आर्थिक हानि उठाकर उबर ही चुका था।

जबकि अभी भी चीनी स्वयं मौज कर रहे हैं। 

वैसे वायरस या अन्य में प्राकृतिक म्यूटेशन इतनी शीघ्रता से भी नहीं ही होता है जितना यह नया स्ट्रेन प्रदर्शित कर रहा है।

तो क्या यह भारत के विरुद्ध एक अघोषित जैविक आक्रमण नहीं है?
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इस महामारी काल में, देश के दुश्मन जो बाहर हैं ओर जो अंदर बैठे हैं, वह हर तरिका अपना रहे हैं हमें कमजोर ओर लाचार बनाने के लिए. कथित तौर पर आज वामपंथी माओवादी नक्सलियों ने झारखंड में हावड़ा से मुंबई जाने वाले "ऑक्सीजन एक्सप्रेस" के रेलवे ट्रैक के हिस्से को विस्फोट से उड़ा दिया है, ताकि ऑक्सीजन की संकट देश में बना रहे, लोग मरते रहें ओर इससे केन्द्र सरकार बदनाम हो सके. चीन के गुलामों, तुम ओर तुम्हारे मालिक जितने भी प्रयास कर लो, भारत की बिकास की पटरी को तुम रोक नहीं सकते...

👉वैक्सीन के खिलाफ साजिश का पर्दाफाश उसी दिन हो गया था जब भारतीय वैक्सीन पर राहुल गांधी और शशि थरूर ने संदेह किया था, अखिलेश यादव ने इसे BJP वैक्सीन डिक्लेअर कर दिया था, केरल के मुख्यमंत्री ने वैक्सीन के खेप को लेने से भी मना कर दिया था !! यहां तक की छत्तीसगढ़ ने अपने राज्य में कोवैक्सन की एंट्री पर ही बैन लगा दिया था !! - नतीजा - लाशों की ढेर लगी है ।इन सभी ने मिलकर लोगों को टीका लगवाने के लिए हतोत्साहित किया !! ओर आज 90% जो लोग मरे हैं, वह सब बिना टीका वाले थे. इन सबका एक ही मकसद था !! मोदी को कैसे बदनाम किया जाए...

हमारे वैज्ञानिको ने एक बार फिर से प्रमाण कर दिया है कि, क्यूं विश्वभर में उनकी डंका बजती रहती है !? I'm sorry to say :- जो लोग COVAXIN को भाजपा की वैक्सीन करार देकर हमारे वैज्ञानिको की मोराल डाउन करके इस पर अपनी घटिया राजनीति करते थे !! अब अमेरिकी वैज्ञानिको ने उनके मुंह पर जोरदार थप्पड़ जड़ दिया है. अब अमेरिका ने Covaxin को Satisfied certificate दिया है. परिक्षण के दौरान Covaxin  COVID-19 के 617 वेरिएंट को बेअसर करते हुए पाया गया है. लेकिन जरा कल्पना कीजिए कि भारत के सारे विपक्ष और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ओर अखिलेश यादव जैसे राजनेता लोगों को टीका लगाने से मना कर रहे थे !! इस बात पर हमें अपने राजनीतिक वर्ग को जवाबदेह रखना चाहिए और उन तथाकथित लुटियंस पत्रकारों और वामपंथी नक्सली टिप्पणीकारों की जांच करनी चाहिए जिन्होंने कोवाक्सिन को नीचा दिखाने के लिए भरपूर कोशिश की थी...
✍🏻 निष्कर्ष;
काश हर राष्ट्रवादी उपरोक्त बातें समझ पाता और सामाजिक चेतना जगती।🙏
अफशोष है कि अभी भी हम राजनीतिज्ञों, चाईनीज दलालों ए्वं चंगेजों द्वारा ४०वें दशक में उलझाकर रखें गए हैं। ताकि हमारे आंखों पर से वर्णवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद एवं ऊंच-नीच का चश्मा(राजनीतिज्ञों द्वारा लादा हुआ) न उतरे।
जिस दिन भारतीय जन-मानस इस यथार्थ को आत्मसात कर लेगी, भारत में सामाजिक क्रान्ति एवं द्रुत विकास को कोई रोक नहीं सकेगा। 
👉 सामाजिक क्रान्ति का दायित्व राजा का नहीं, वल्कि जनसमुदाय का है। जन-मानस विह्वल है धनात्मक परिवर्तन के लिए। 
👉 अभी सही वक्त है मित्रों जागो और नौजवानों को जगाओ ताकि चाइना के इस छद्मयुद्ध के विरुद्ध सामाजिक चेतना जगे एवं राष्टृवाद की क्रांति हो।
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2014 के बाद देश पूरी तरह बर्बाद हो गया है

बात वर्ष 2014 से पहले की है।

  एक दिन मामूली बुखार महसूस हुआ। उस समय  आम आदमी के स्वास्थ्य की देखभाल *राज्य सरकार* नहीं, सीधे *केंद्र सरकार* करती थी और गली गली में केंद्र सरकार के अस्पताल थे।

 मैंने सरकारी अस्पताल फोन कर दिया और तुरंत सरकारी अस्पताल की गाड़ी मुझे लेने आ गई। जब मैं अस्पताल पहुंचा तो बाहर डॉक्टरों की टीम मेरा इंतजार कर रही थी। 
   यह टीम मुझे एक कमरे में ले गई जो फाइव स्टार होटल जैसा था। डॉक्टरों की राय यह थी कि मुझे ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है फिर भी चूंकि ऑक्सीजन का बाहुल्य था, इसलिए उन्होंने ऑक्सीजन चढ़ा दी। 

   खाने के लिए उन्होंने मुझे एक मैन्यू कार्ड दिया, जिसमें शाही पनीर से लेकर हैदराबादी कबाब भी शामिल था। हालांकि मैं मेडिक्लेम होने के कारण मेदांता जैसे प्राइवेट अस्पताल में जा सकता था लेकिन सरकारी अस्पताल की शानदार व्यवस्थाओं के मद्देनजर मैंने यहां रुकना उचित समझा वैसे भी मुझे इस सरकारी अस्पताल की हैदराबादी बिरयानी बहुत पसंद थी। 

एक दिन बाद ही मेरा बुखार उतर गया लेकिन डॉक्टरों और नर्सों की मनुहार के चलते मैं 15 -20 दिन अस्पताल में रहा। जिस दिन मुझे डिस्चार्ज किया गया, उस दिन सभी डॉक्टरों और नर्सों की आंखों में आंसू थे।

सन 2014 में नरेंद्र मोदी के कार्य ग्रहण के बाद से हमारे सरकारी अस्पतालों का हाल यह है कि अस्पतालों में बेड नहीं है, ऑक्सीजन नहीं है और खाना इतना खराब है कि किसी की बीवी ऐसा बनाएं तो तलाक हो जाए।

और तो और केंद्र सरकार ने मनमोहन सिंह जी के समय गली-गली में खोले अस्पताल भी बंद कर दिए।
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वर्ष 2014 से पहले एक बार मुझे वैक्सीन लगवाने सरकारी अस्पताल में जाना पड़ा। जाते ही डॉक्टरों ने प्यार भरा उलाहना दिया कि आप क्यों आए हो..? हम 'मनमोहन सिंह टीकाकरण योजना' के अंतर्गत आपका फोन पाते ही खुद आपके घर आकर टीका लगा देते! साथ ही आपको 1500 ₹ की नगद प्रोत्साहन राशि भी वहीं पहुंचा देते!
 
2014 के बाद से रवीश कुमार की रिपोर्टिंग देख देख कर मेरा मन इतना आशंकित हो गया कि मैं केंद्र सरकार द्वारा संचालित पीजीआई अस्पताल में टीकाकरण करवाने के लिए जाने में झिझक रहा था। जैसे-तैसे अस्पताल पहुंचा। वहां सारा काम यूँ तो व्यवस्थित था और वैक्सीन सुचारू रूप से लग गया लेकिन टीका लगने के बाद मुझे अपेक्षा थी कि 2014 से पहले की तरह मुझे अस्पताल की ओर से दूध-जलेबी या पावभाजी या जूस ऑफर की जाएगी लेकिन उन्होंने आधा घंटे रोकने और सब कुछ सामान्य पाने के बाद मुझे चलता कर दिया।

 मुझे यह सब निराशाजनक लगा क्योंकि 2014 से पहले तो सरकारी अस्पताल में 'मनमोहन सिंह टीकाकरण योजना' के अंतर्गत वैक्सीन के बाद शानदार भोजन मिलता था तथा भोजन के साथ-साथ चाट पकौड़ी और दूध जलेबी के स्टॉल भी होते थे। मनपसंद भोजन करते-करते अस्पताल के अधीक्षक महोदय 1500 ₹ की प्रोत्साहन राशि का चेक लेकर आ जाते थे ।
अब नरेंद्र मोदी जी के टाइम में सब कुछ सूखा सूखा ही है।
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2014 में सत्ता में आने के बाद से नरेंद्र मोदी ने सिर्फ 15-20 नए एम्स अस्पताल बनाए हैं जबकि उनका दायित्व था कि पहले की सरकारों की तरह हर गली और हर मोहल्ले में शानदार अस्पताल खोलते।
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 मोदी सरकार के आने से पहले मुकेश अंबानी ढाबा चलाते थे और अडानी सड़क पर पंक्चर बनाया करते थे लेकिन मोदी जी ने अपने इन दोनों लंगोटिया मित्रों को खरबपति बना दिया। यदि मोदी जी सत्ता में नहीं आते तो यह दोनों आज मनरेगा के अंतर्गत  120 रुपए रोज में मजदूरी कर रहे होते ।
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आजकल नरेंद्र मोदी जी अपना सारा ध्यान पश्चिमी बंगाल पर दे रहे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि इस राज्य की जनता अपने अराजक राज्य की सत्ता भाजपा को सौंप कर इन्हें दंडित करेगी । इस राज्य में सरकार चलाना किसी दंड भोगने जैसा ही होगा।
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 2014 के बाद देश पूरी तरह बर्बाद हो गया है और यह अब रहने लायक नहीं है सुना है, अब हमारी जीडीपी बांग्लादेश से भी कम है। मैं सभी मोदी विरोधी भाइयों और बहनों से अपील करता हूं कि वह बांग्लादेश में स्थाई रूप से बसने के लिए माइग्रेशन आवेदन कर दें या बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों की तरह वे भी बांग्लादेश में अवैध रूप से जाकर बस जाएं ताकि भारत सरकार की न सही अपने परिवार की जी डी पी तो बढ़ जाये। लेकिन हां, जनसंख्या का बोझ कम होने से भारत की भी जीडीपी बढ़ेगी ही।

मुझे तो बस बार-बार मनमोहन सिंह जी के समय के वे स्वर्णिम दिन याद आते हैं, जब हिंदुस्तान सोने की चिड़िया था। सरकारी अस्पताल, मेदांता से अच्छे थे। मेरे शहर का सरकारी स्कूल मोइनिया इस्लामिया  दून स्कूल से बेहतर था । रेलवे के शटल शताब्दी से बेहतर सुविधाएं देते थे। लोग अजमेर से केकड़ी और अजमेर से भिनाय भी हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर से नाम मात्र के किराए में अप-डाउन किया करते थे। चारों ओर दूध-दही की नदियां बहती थी। हर आदमी के पास वाइट कॉलर जॉब, कार और बंगला था। हमारे विधायक, सांसद और अफसर-जज आम आदमी की तरह रहते थे। सब रजिस्ट्रार और परिवहन कार्यालय में घूसखोरी के बजाय वहां के कर्मचारी चाय-पानी भी अपने पैसों से करवाते थे। यहां तक कि अजमेर के रेवेन्यू बोर्ड में भी सारे फैसले निष्पक्ष होते थे ।
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अब मैं इंतजार कर रहा हूं कि अगली बार राहुल भैया, मनमोहन सिंह, प्रियंका दीदी, तेजस्वी यादव, वाड्रा जी या ममता दीदी में से कोई प्रधानमंत्री बने और अच्छे दिन फिर से लौटें।
तथास्तु।
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