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शनिवार, 19 मार्च 2022

विगत 70 वर्षों से जनता को भेड़ की तरह हांकने वाले ये "बड़े नाम" कदाचित भूल गये कि "ये नया भारत है, ये 2022 का भारत है"..

1. अच्छी-भली 370 हट गई थी. कांग्रेस को कीड़ा काटा.. 370 पर बहस की मांग की...  
परिणाम:- pok से लेकर चीन तक नेहरू जीे के कच्चे चिट्ठे खुल गए.. 70 वर्षो से बनाया गया नेहरू जी का आभामंडल जनता के समक्ष खत्म हो गया.. नेहरू देश के दिल से उतर गए...

2. अच्छा-भला रफेल सौदा हो गया था.. कांग्रेस को कीड़ा काटा. बहस की मांग की...  
परिणाम:- राजीव गांधी जी के भ्रष्टाचार के कच्चे चिट्ठे खुल गए.. 30 वर्षो से बनाई गई "मिस्टर क्लीन" छवि जनता के समक्ष धूमिल हो गई.. राजीव गांधी देश के दिल से उतर गए...

3. कोरोना असफलता, पालघर लिंचिंग, सुशांत मामले जैसे मुद्दों के वाबजूद शिवसेना, उद्धव ठाकरे की छवि जैसे-तैसे बची हुई थी.. संजय राउत को कीड़ा काटा.. कंगना को गाली दे दी...  
परिणाम:- उद्धव ठाकरे, शिवसेना के कच्चे चिट्ठे खुल गए.. वर्षो से बनी "हिंदुत्व" छवि हिन्दुओ के समक्ष धूमिल हो गई.. शिवसेना की "दबंगई छवि".. सड़कछाप गुंडागर्दी, महिला विरोधी पार्टी में बदल गई.. "ठाकरे नाम" का आभामंडल जनता के दिल से उतर गया...

4. पालघर चुप्पी, रामजन्मभूमि चुप्पी, सुशांत चुप्पी, कंगना अपमान चुप्पी के बाबजूद बच्चन परिवार की लँगोट जैसे-तैसे बची हुई थी.. जया को कीड़ा काटा.. थाली में छेद बयान दे दिया..  
परिणाम:- अमिताभ बच्चन जिन पर कोई उंगली भी नही उठा सकता था, उनके कच्चे चिट्ठे खुल गए.. जया-अमिताभ के पाखण्ड के पर्दे उठ गए. 50 वर्षो से बना "महानायक" आभामंडल जनता के समक्ष खत्म हो गया.. बच्चन फैमिली जनता के दिल से उतर गई...

5. अच्छी-भली द कश्मीर फाइल्स फ़िल्म 550 स्क्रीन पर रिलीज हो गई थी.. कब आई कब गई पता भी नही चलता.. कांग्रेस सेक्युलर लिब्रल जिहादियों बॉलीबुड गैंग को कीड़ा काटा फ़िल्म का विरोध कर दिया...  
परिणाम:- कांग्रेस के पापों के कच्चे चिट्ठे खुल रहे है, सेक्युलर लिबर्ल्स के नकाब निकल रहे है.. जिहाद की असलियत सामने आ रही है... 32 वर्षो से दफन कश्मीरी हिंदुओ की पीड़ा दर्द कब्र फाड़कर बाहर निकल रही है *और वो भी 4000+ स्क्रीन्स पर*

कल तक जिस घटना को कश्मीरी हिंदुओ का विस्थापन कहकर पर्दा डालने का प्रयास किया जाता था... आज लोग खुलकर उसे जीनोसाइड बोल रहे है.. उसे आधिकारिक मान्यता मिल रही है.. जिस जिहाद पर देश बोलने से भी कतराता था आज खुलकर चर्चा कर रहे है...

मात्र ढाई घण्टे की चिंगारी से 32 वर्षो के बने पंचमक्कार नरेटिव सच्चाई की अग्नि में जलकर भस्म हो गए.. सेक्युरिज्म की पट्टी आंखों से उतर गई...

विगत 70 वर्षों से जनता को भेड़ की तरह हांकने वाले ये "बड़े नाम" कदाचित भूल गये कि "ये नया भारत है, ये 2022 का भारत है"..

जो यदि प्यार लुटाकर आपको अर्श तक पहुंचा सकता है.. तो भरोसा टूटने पर आपको फर्श पर गिरा भी सकता है...

"छल की बुनियाद" पर बनी, झूठी "शान-ओ-शौकत" की "इमारतें" कितनी ही "मजबूत" क्यों न हो.. एक दिन भरभराकर "गिरती" अवश्य है...

**ये नियति का "लोकतंत्र" है**

दिक्कत ये नहीं है किसी ने गन उठाई किसी ने नरसंहार किया दिक्कत ये है कि सेक्युलरिज्म के नाम पर उसे किसने और कैसे जस्टिफाई किया

दिक्कत ये नहीं है किसी ने गन उठाई किसी ने नरसंहार किया दिक्कत ये है कि सेक्युलरिज्म के नाम पर उसे किसने और कैसे जस्टिफाई किया

काशी विश्नाथ विध्वंस- मंदिर पुजारी रेप कर रहा था तो बादशाह औरंगजेब को अच्छा नहीं लगा तो उन्होंने तोड़ दिया। जैसे होली पर ढाका में इस्कॉन मंदिर में जो हमला हुआ है ये ही लॉजिक किसी दूसरे बहाने के साथ वहां भी फिट हो सकता है।

मालाबार नरसंहार- संघ बना नहीं है, भाजपा है नहीं, सावरकर भी जेल में बंद हैं तो कोई आदमी है नहीं जिसके सिर पर ठीकरा फोड़ सके तो ये किसान आंदोलन था जमींदारों के खिलाफ, बस वो सारे किसान एक ही मजहब से थे और जमींदार हिन्दू थे

विभाजन नरसंहार- सावरकर जिम्मेदार है, सबसे पहले टू नेशन थ्योरी कि बात उसने ही 1937 में कि थी (1932 में 'पाकिस्तान अभी नहीं तो कभी नहीं" के पर्चे गोलमेज सम्मेलन में बंट रहे थे)  

बांग्लादेश 1971 नरसंहार- ये तो दूसरे देश की बात है हमारा क्या मतलब, वो अलग बात है कि वो देश 25 साल पहले भारत ही था 

1990 कश्मीर नरसंहार- दिसंबर 1989 में वीपी सिंह (जो खुद राजीव गांधी सरकार में पांच साल मंत्री थे) की सरकार थी इसलिए जनवरी 19 के लिए वीपी सिंह को को बाहर से समर्थन देने वाली भाजपा जिम्मेदार है और 21 जनवरी को जगमोहन ( जो 84-89 तक कांग्रेस के आदेश पर गर्वनर रहे थे) जिम्मेदार हैं (जिन्हें पीड़ित कश्मीरी पंडित मसीहा मानते हैं) मुफ्ती मोहम्मद सईद जो वीपी सरकार में गृह मंत्री थे, फारुक अब्दुल्ला जो 1986-जनवरी 18 1990 तक कांग्रेस के समर्थन से राज्य के सीएम थे, राजीव गांधी जो 84-89 पीएम थे ये जिम्मेदार नहीं है जिम्मेदार वो हैं जो एक महीने पुरानी सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं।

9/11- यहुदियों ने कराया है हर कोई जानता है इस बात को

गोधरा कांड- संसद में दिए गए यूपीए रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के बयान के हिसाब से ट्रेन में आग अंदर से लगी थी। बाद में कोर्ट ने सजा ही हैं उन लोगों को जो स्टेशन पर डीजल इकट्ठा करने से लेकर आग लगा रहे थे।

मुंबई हमले- वो तो भगवा आतंकवाद, संघ की साजिश था। कसाब कलावा भी पहनकर आया था लेकिन पता नहीं कैसे जिंदा पकड़ में आ गया तो पाकिस्तान को बड़े भारी मन से मानना पड़ता है।

पुलवामा- मोदी जिम्मेदार है, चुनाव जीतने के लिए कराया है।

दिल्ली दंगे- कपिल मिश्रा जिम्मेदार है क्योंकि उसने दिल्ली की जाम सड़क खुलवाने की चेतावनी दी थी। वो जो ट्रंप आएगा तब बताएंगे और ट्रंप के आने पर गुजरात से लेकर दिल्ली तक दंगे किए, जिनके पार्षदों के घरों से जखीरे निकले, जो लखनऊ तक पहुंच गए दंगे करने वो जिम्मेदार नहीं है।

समस्या उनसे नहीं है जो ये सब कर रहे हैं, करते जा रहे हैं, मान ही नहीं रहे 
समस्या उनसे है जो हर कुकर्म पर पर्दा डालने के लिए बैठे हैं, वो कभी सच का सामना होने ही नहीं दे रहे, जवाबदेही तय ही होने नहीं दे रहे
क्योंकि किसी को वोट कि चिंता और कुछ सेक्युलरिज्म ताना-बाना न बिगड़ जाए इसकी टेंशन में दुबले हो रहे हैं। इन लोगों को पहचानिए, इन्हें जवाब देने के लिए बाध्य कीजिए। 

नहीं तो एक दिन आएगा वो कहेंगे 
हिन्दू ही जिम्मेदार है न हिन्दू होते न हिन्दू मुस्लिम दंगे होते
57 देश है मुसलमानों के बताओ कहीं हिन्दू-मुस्लिम दंगे होते हों 
सिर्फ यहीं होते हैं क्यों क्योंकि हिन्दुओं को दंगे करने का शौक है

हिंदी भजन के लिरिक्स - मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने

 


मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने 
क्या जाने कोई क्या जाने क्या जाने कोई क्या जाने 
मुझे मिल गया मन का मित ये दुनिया क्या जाने 

छवि लखी मैंने श्याम की जब से भयी बावरी मै तो तब से 
बांधी प्रेम की डोर मोहन से नाता तोडा मैंने जग से 
ये कैसी पागल प्रीत ये दुनिया क्या जाने 
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने 

मोहन की सुन्दर सुरतिया मन में बस गयी मोहन मुरतिया 
लोग कहे मै भयी बावरिया हो जाऊ अब तेरी रे सांवरिया 
ये कैसी निगोड़ी प्रीत ये दुनिया क्या जाने 
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने 

हर दम अब तो रहू मस्तानी लोक लाज की नी बिसरानी 
रूप राश अंग अंग समानी हेरत हेरत रहू दिवानी 
मै तो गाऊ ख़ुशी के गीत ये दुनिया क्या जाने 
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने 

क्या जाने कोई क्या जाने क्या जाने कोई क्या जाने 
मुझे मिल गया मन का मित ये दुनिया क्या जाने 


गुरुवार, 17 मार्च 2022

होली के अदभुत प्रयोग और कुछ सरल उपाय

*होली के अदभुत प्रयोग और कुछ सरल उपाय*
होली की पूजा मुखयतः भगवान विष्णु
(नरसिंह अवतार) को ध्यान में रखकर
की जाती है।

घर के प्रत्येक सदस्य को होलिका दहन में
देशी घी में भिगोई हुई दो लौंग, एक
बताशा और एक पान का पत्ता अवश्य चढ़ाना चाहिए।
होली की ग्यारह परिक्रमा करते हुए
होली में सूखे नारियल
की आहुति देनी चाहिए। इससे सुख-
समृद्धि बढ़ती है, कष्ट दूर होते हैं।
होली पर पूरे दिन अपनी जेब में काले कपड़े
में बांधकर काले तिल रखें। रात
को जलती होली में उन्हें डाल दें।
यदि पहले से ही कोई टोटका होगा तो वह
भी खत्म हो जाएगा।

होली दहन के समय ७ गोमती चक्र लेकर
भगवान से प्रार्थना करें कि आपके जीवन में कोई शत्रु
बाधा न डालें। प्रार्थना के पश्चात पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ
गोमती चक्र दहन में डाल दें।
होली दहन के दूसरे दिन
होली की राख को घर लाकर उसमें
थोडी सी राई व नमक मिलाकर रख लें। इस
प्रयोग से भूतप्रेत या नजर दोष से मुक्ति मिलती है।

होली के दिन से शुरु होकर बजरंग बाण का ४० दिन तक
नियमित पाठ करनें से हर मनोकामना पूर्ण होगी।

होली वाले दिन किसी गरीब
को भोजन अवश्य करायें।
होली की रात्रि को सरसों के तेल
का चौमुखी दीपक जलाकर पूजा करें व भगवान
से सुख - समृद्धि की प्रार्थना करें इस प्रयोग से
बाधा निवारण होता है।
यदि बुरा समय चल रहा हो, तो होली के दिन पेंडुलम
वाली नई
घडी पूर्वी या उत्तरी दीवार
पर लगाए। परिणाम स्वयं देखे

राहु का उपाय - एक नारियल का गोला लेकर उसमे
अलसी का तेल भरकर..उसी में थोडा सा गुड
डाले..फिर उस नारियल के गोले को राहू से ग्रस्त व्यक्ति अपने
शारीर के अंगो से स्पर्श करवाकर
जलती हुई होलिका में डाल देवे. पुरे वर्ष भर राहू से
परेशानी की संभावना नहीं रहेगी…

मनोकामना की पूर्ति हेतु होली के दिन से
शुरू करके प्रतिदिन हनुमान जी को पांच लाल पुष्प चढ़ाएं,
मनोकामना शीघ्र पूर्ण होगी।
होली की प्रातः बेलपत्र पर सफेद चंदन
की बिंदी लगाकर
अपनी मनोकामना बोलते हुए शिवलिंग पर सच्चे मन से
अर्पित करें। बाद में सोमवार को किसी मंदिर में भोलेनाथ
को पंचमेवा की खीर अवश्य चढ़ाएं,

मनोकामना पूरी होगी।
स्वास्थ्य लाभ हेतु मृत्यु तुल्य कष्ट से ग्रस्त
रोगी को छुटकारा दिलाने के लिए जौ के आटे में काले तिल एवं
सरसों का तेल मिला कर मोटी रोटी बनाएं और
उसे रोगी के ऊपर से सात बार उतारकर भैंस को खिला दें।
यह क्रिया करते समय ईश्वर से
रोगी को शीघ्र स्वस्थ करने
की प्रार्थना करते रहें।
व्यापार लाभ के लिए होली के दिन गुलाल के एक खुले
पैकेट में एक मोती शंख और चांदी का एक
सिक्का रखकर उसे नए लाल कपड़े में लाल मौली से
बांधकर तिजोरी में रखें, व्यवसाय में लाभ होगा।
होली के अवसर पर एक एकाक्षी नारियल
की पूजा करके लाल कपड़े में लपेट कर दूकान में
या व्यापार स्थल पर स्थापित करें। साथ ही स्फटिक
का शुद्ध श्रीयंत्र रखें। उपाय निष्ठापूर्वक करें, लाभ में
दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होगी।

धनहानि से बचाव के लिए होली के दिन मुखय द्वार पर
गुलाल छिड़कें और उस पर द्विमुखी दीपक
जलाएं। दीपक जलाते समय धनहानि से बचाव
की कामना करें। जब दीपक बुझ जाए तो उसे
होली की अग्नि में डाल दें। यह
क्रिया श्रद्धापूर्वक करें, धन हानि से बचाव होगा।

होली के दिन प्रातः उठते
ही किसी ऐसे व्यक्ति से कोई वस्तु न लें,
जिससे आप द्वेष रखते हों। सिर ढक कर रखें।
किसी को भी अपना पहना वस्त्र या रुमाल
नहीं दें। इसके अतिरिक्त इस दिन शत्रु
या विरोधी से पान, इलायची, लौंग आदि न लें। ये
सारे उपाय सावधानीपूर्वक करें, दुर्घटना से बचाव होगा।

आत्मरक्षा हेतु किसी को कष्ट न पहुंचाएं,
किसी का बुरा न करें और न सोचें।
आपकी रक्षा होगी।
अगर आपके घर में कोई शारीरिक कष्टों से
पीड़ित है - ओर उसको रोग छोड़ नहीं रहे
है - तो 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र बीमार
ब्यक्ति के शरीर से 21 बार उसार कर
होली की अग्नि में डाल दे
शारीरिक कष्टों से शीघ्र मुक्ति मिल
जायेगी
अगर बुध ग्रह आपकी कुंडली में संतान
प्राप्ति में बाधा दाल रहा है
तो किसी भी बच्चे
वाली गरीब महिला को होली वाले
दिन से शुरु कर एक महीने तक हरी-
सब्जियाँ दें। माता वैष्णो-देवी से संतान
की प्रार्थना करें।

शीघ्र विवाह हेतु: जो युवा विवाह योग्य हैं और
सर्वगुण संपन्न हैं, फिर
भी शादी नहीं हो पा रही है
तो यह उपाय करें। होली के दिन किसी शिव
मंदिर जाएं और अपने साथ 1 साबूत पान, 1 साबूत
सुपारी एवं हल्दी की गांठ रख
लें। पान के पत्ते पर सुपारी और
हल्दी की गांठ रखकर शिवलिंग पर अर्पित
करें। इसके बाद पीछे देखें बिना अपने घर लौट आएं।
यही प्रयोग अगले दिन भी करें। इसके साथ
ही समय-समय शुभ मुहूर्त में यह उपाय
किया जा सकता है। जल्दी ही विवाह के
योग बन जाए

🙏🏻 *ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,फाल्गुन मास की पूर्णिमा को किए गए उपाय बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करते हैं। आज हम आपको होली पर किए जाने वाले कुछ साधारण उपाय बता रहे हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं-*
 💰 *धन लाभ का उपाय* 
🔥 *होलिका दहन से पहले जब गड्ढा खोदें,तो सबसे पहले उसमें थोड़ी चांदी,पीतल व लोहा दबा दें। यह तीनों धातु सिर्फ इतनी मात्रा में होनी चाहिए,जिससे आपकी मध्यमा उंगली के नाप का छल्ला बन सके। इसके बाद विधि-विधान से दाण्डा रोपे। जब आप होलिका पूजन को जाएं,तो पान के एक पत्ते पर कपूर,थोड़ी-सी हवन सामग्री,शुद्ध घी में डुबोया लौंग का जोड़ा तथा बताशे रखें।*
🍃 *दूसरे पान के पत्ते से उस पत्ते को ढक दें और 7 बार होलिका की परिक्रमा करते हुए ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। परिक्रमा समाप्त होने पर सारी सामग्री होलिका में अर्पित कर दें तथा पूजन के बाद प्रणाम करके घर वापस आ जाएं। अगले दिन पान के पत्ते वाली सारी नई सामग्री ले जाकर पुन:यही क्रिया करें। जो धातुएं आपने दबाई हैं,उनको निकाल लाएं।*
➡ *फिर किसी सुनार से तीनों धातुओं को मिलाकर अपनी मध्यमा उंगली के माप का छल्ला बनवा लें। 15 दिन बाद आने वाले शुक्ल पक्ष के गुरुवार को छल्ला धारण कर लें। इस उपाय से धन लाभ के योग बन सकते हैं।*
🐪ग्रहों की शांति के लिए उपाय* 
🔥 *होलिका दहन की रात उत्तर दिशा में बाजोट (पटिए) पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर मूंग, चने की दाल, चावल, गेहूं, मसूर, काले उड़द एवं तिल की ढेरी बनाएं। अब उस पर नवग्रह यंत्र स्थापित करें। उस पर केसर का तिलक करें, घी का दीपक लगाएं एवं नीचे लिखे मंत्र का जप करें। जप स्फटिक की माला से करें। जप पूरा होने पर यंत्र को पूजा स्थान पर स्थापित करें, ग्रह अनुकूल होने लगेंगे।*
🌷 *मंत्र- ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरान्तकारी भानु शशि भूमि-सुतो बुधश्च।*
*गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव: सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु।।*

➡ *बिजनेस में सक्सेस पाने का उपाय* ⬅
🏉 *एकाक्षी नारियल को लाल कपड़े में गेहूं के आसन पर स्थापित करें और सिंदूर का तिलक करें। अब मूंगे की माला से नीचे लिखे मंत्र का जप करें। 21 माला जप होने पर इस पोटली को दुकान में ऐसे स्थान पर टांग दें, जहां ग्राहकों की नजर इस पर पड़ती रहे। इससे व्यापार में सफलता मिलने के योग बन सकते हैं।

होली की रात आजमाएं काली हल्दी के टोटके - होली विशेष :

होली की रात आजमाएं काली हल्दी के टोटके

होली विशेष : अभिमंत्रित काली हल्दी को करें अपने घर निमंत्रित
होली का दिन तांत्रिक क्रियाओं के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। इस दिन अभिमंत्रित और आमंत्रित कर जड़ी-बूटी घर लाई जाती है। कई प्रकार के मंत्रों की सिद्धियां भी की जाती हैं। होली के लिए प्रस्तुत है विशेष रूप से काली हल्दी के टोटके-
काली हल्दी
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काली हल्दी दिखने में अंदर से हल्के काले रंग की होती है व उसका पौधा केली के समान होता है। काली हल्दी में बहुत ही गुणकारी प्रभाव होता है। इसमें वशीकरण की अद्‍भुत क्षमता होती है।

काली हल्दी को लाने के लिए क्या करें
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काली हल्दी के पौधे को कंकू, पीले चावल से आमंत्रित कर होली वाले दिन लाया जाता है।

आमंत्रित करने का तरीका
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एक थाली में कंकू, चावल, अगरबती, एक कलश में शुद्ध जल रख, पवित्र कोरे वस्त्र पहन कर जाएं। फिर पौधे को शुद्ध जल से धोकर कंकू चढ़ाएं व पीले चावल चढ़ाकर 5 अगरबत्ती लगाकर कहें- मैं आपके पास अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु आया हूं कल आपको मेरे साथ मेरी मनोकामना की पूर्ति हेतु चलना है।

फिर होली की रात को जाकर एक लोटा जल चढ़ाकर कहें कि मैं आपके पास आया हूं, आप चलिए मेरी मनोकामना की पूर्ति हेतु। इस प्रकार काली हल्दी (यह जड़ होती है) खोदकर ले आएं। बस यही आपके काम की है।

काली हल्दी के प्रयोग
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* परिवार में कोई व्यक्ति हमेशा अस्वस्थ रहता है तो प्रथम गुरुवार को आटे के 2 पेड़े बनाएं। उसमें गीली चने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी-सी पिसी काली हल्दी को दबाएं। रोगी के ऊपर से 7 बार उतारकर गाय को खिला दें। यह उपाय लगातार 3 गुरुवार करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा।

* यदि किसी व्यक्ति या बच्चे को नजर लग जाए तो काले कपड़े में हल्दी को बांधकर 7 बार ऊपर से उतारकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।
पिछला|अगला
* यदि पत्रिका में गुरु और शनि पापाक्रांत हैं, तो यह उपाय करें - शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार से नियमित रूप से काली हल्दी पीसकर तिलक लगाने से यह दोनों ग्रह शुभ फल देने लगते हैं।
* यदि किसी के पास पैसा आता तो बहुत है किंतु रुकता नहीं है, तो उन्हें इन उपायों को अवश्य आजमाना चाहिए। शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को चांदी की डिब्बी में काली हल्दी, नागकेसर व सिन्दूर को साथ में रखकर मां लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श करवाकर रुपया-पैसा रखने के स्थान पर रख दें। इस उपाय से धन रुकने लगेगा।
* यदि आपका व्यवसाय मशीनरी से संबंधित है और आए दिन कोई न कोई मशीन खराब होती है तो आप काली हल्दी को पीसकर केसर व गंगा जल मिलाकर प्रथम बुधवार को उस मशीन पर स्वस्तिक बना दें। इस उपाय से मशीन जल्दी -जल्दी खराब नहीं होगी।
* यदि कोई व्यक्ति मिर्गी या अपस्मार (पागलपन) से पीड़ित हो तो किसी अच्छे मूहूर्त (सर्वार्थसिद्धि योग) में काली हल्दी को कटोरी में रखकर लोबान की धूप दिखाकर शुद्ध करें। तत्पश्चात एक टुकड़े में छेद कर धागे की मदद से उसके गले में पहना दें और नियमित रूप से कटोरी की थोड़ी-सी हल्दी का चूर्ण ताजे पानी से सेवन कराते रहें, अवश्य लाभ मिलेगा।

* काली हल्दी के 108 दाने बनाएं। उन्हें धागे में पिरोकर धूप, गूगल और लोबान से धूनी देने के बाद पहन लें। जो भी व्यक्ति इस माला को पहनता है, वह ग्रहों के दुष्प्रभावों व नजरादि टोने-टोटके से सुरक्षित रहता है।

* गुरु पुष्य नक्षत्र में काली हल्दी को सिन्दूर में रखकर धूप देने के बाद लाल कपड़े में लपेटकर 1-2 सिक्कों के साथ उसे बक्से में रख दें। इसके प्रभाव से धन की वृद्धि होने लगती है।

* काली हल्दी का चूर्ण दूध में डालकर चेहरे और शरीर पर लेप करने से त्वचा में निखार आ जाता है।
काली हल्दी वशीकरण प्रयोग-
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काली हल्दी में वशीकरण की अद्‍भुत क्षमता होती है। यदि आप किसी भी नवीन कार्य के लिए जा रहे हैं या महत्वपूर्ण कार्य हो तो काली हल्दी का टीका लगाकर जाएं। यह टीका वशीकरण का कार्य करता है।

होली कैसे मनायें

🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक - 17 मार्च 2022*
⛅ *दिन - गुरुवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - वसंत ऋतु* 
⛅ *मास - फाल्गुन*
⛅ *पक्ष - शुक्ल* 
⛅ *तिथि - चतुर्दशी दोपहर 01:29 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
⛅ *नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी रात्रि 12:34 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
⛅ *योग - शूल 18 मार्च रात्रि 01:09 तक तत्पश्चात गण्ड*
⛅ *राहुकाल - दोपहर 02:18 से शाम 03:48 तक*
⛅ *सूर्योदय - 06:46*
⛅ *सूर्यास्त - 18:47*
⛅ *दिशाशूल - दक्षिण दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण - व्रत पूर्णिमा, होली पूर्णिमा, हुताशनी पूर्णिमा, होलिका दहन, श्री हरि बाबा जयंती (ति. अ.)*
💥 *विशेष - चतुर्दशी और पूर्णिमा एवं व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
         
🌷 *होली - धुलेंडी* 🌷
➡️ *17 मार्च 2022 गुरुवार को व्रत पूर्णिमा, होली पूर्णिमा, हुताशनी पूर्णिमा, होलीका दहन*
➡️ *18 मार्च 2022 शुक्रवार को फाल्गुन पूर्णिमा, धुलेंडी, धूलिवंदन, होलाष्टक समाप्त*
🌷 *होली कैसे मनायें* 🌷
🙏🏻 *होली भारतीय संस्कृति की पहचान का एक पुनीत पर्व है, भेदभाव मिटाकर पारस्परिक प्रेम व सदभाव प्रकट करने का एक अवसर है |अपने दुर्गुणों तथा कुसंस्कारों की आहुति देने का एक यज्ञ है तथा परस्पर छुपे हुए प्रभुत्व को, आनंद को, सहजता को, निरहंकारिता और सरल सहजता के सुख को उभारने का उत्सव है |*
➡ *यह रंगोत्सव हमारे पूर्वजों की दूरदर्शिता है जो अनेक विषमताओं के बीच भी समाज में एकत्व का संचार करता है | होली के रंग-बिरंगे रंगों की बौछार जहाँ मन में एक सुखद अनुभूति प्रकट कराती है वहीं यदि सावधानी, संयम तथा विवेक न रक्खा जाये तो ये ही रंग दुखद भी हो जाते हैं | अतः इस पर्व पर कुछ सावधानियाँ रखना भी अत्यंत आवश्यक है |*
➡ *प्राचीन समय में लोग पलाश के फूलों से बने रंग अथवा अबीर-गुलाल, कुम -कुम- हल्दी से होली खेलते थे |किन्तु वर्त्तमान समय में रासायनिक तत्त्वों से बने रंगोंका उपयोग किया जाता है | ये रंग त्वचा पे चक्तों के रूप में जम जाते हैं | अतः ऐसे रंगों से बचना चाहिये | यदि किसी ने आप पर ऐसा रंग लगा दिया हो तो तुरन्त ही बेसन, आटा, दूध, हल्दी व तेल के मिश्रण से बना उबटन रंगे हुए अंगों पर लगाकर रंग को धो डालना चाहिये |यदि उबटन करने से पूर्व उस स्थान को निंबू से रगड़कर साफ कर लिया जाए तो रंग छूटने में और अधिक सुगमता आ जाती है |*
➡ *रंग खेलने से पहले अपने शरीर को नारियल अथवा सरसों के तेल से अच्छी प्रकार मल लेना चाहिए | ताकि तेलयुक्त त्वचा पर रंग का दुष्प्रभाव न पड़े और साबुन लगाने मात्र से ही शरीर पर से रंग छूट जाये | रंग आंखों में या मुँह में न जाये इसकी विशेष सावधानी रखनी चाहिए | इससे आँखों तथा फेफड़ों को नुकसान हो सकता है |*
➡ *जो लोग कीचड़ व पशुओं के मलमूत्र से होली खेलते हैं वे स्वयं तो अपवित्र बनते ही हैं दूसरों को भी अपवित्र करने का पाप करते हैं | अतः ऐसे दुष्ट कार्य करने वालों से दूर ही रहें तो अच्छा है |*
➡ *वर्त्तमान समय में होली के दिन शराब अथवा भंग पीने की कुप्रथा है | नशे से चूर व्यक्ति विवेकहीन होकर घटिया से घटिया कुकृत्य कर बैठते हैं | अतः नशीले पदार्थ से तथा नशा करने वाले व्यक्तियों से सावधान रहना चाहिये |आजकल सर्वत्र उन्न्मुक्तता का दौर चल पड़ा है | पाश्चात्य जगत के अंधानुकरण में भारतीय समाज अपने भले बुरे का विवेक भी खोता चला जा रहा है | जो साधक है, संस्कृति का आदर करने वाले हैं, ईश्वर व गुरु में श्रद्धा रखते हैं ऐसे लोगो में शिष्टता व संयम विशेषरूप से होना चाहिये | पुरुष सिर्फ पुरुषों से तथा स्त्रियाँ सिर्फ स्त्रियों के संग ही होली मनायें | स्त्रियाँ यदि अपने घर में ही होली मनायें तो अच्छा है ताकि दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों कि कुदृष्टि से बच सकें |*
➡ *होली मात्र लकड़ी के ढ़ेर जलाने का त्योहार नहीँ है |यह तो चित्त की दुर्बलताओं को दूर करनेका, मन की मलिन वासनाओं को जलाने का पवित्र दिन है | अपने दुर्गुणों, व्यसनों व बुराईओं को जलाने का पर्व है होली .......अच्छाईयाँ ग्रहण करने का पर्व है होली .........समाज में स्नेह का संदेश फैलाने का पर्व है होली..........*
➡ *आज के दिन से विलासी वासनाओं का त्याग करके परमात्म प्रेम, सदभावना, सहानुभूति, इष्टनिष्ठा, जपनिष्ठा, स्मरणनिष्ठा, सत्संगनिष्ठा, स्वधर्म पालन , करुणा दया आदि दैवी गुणों का अपने जीवन में विकास करना चाहिये | भक्त प्रह्लाद जैसी दृढ़ ईश्वर निष्ठा, प्रभुप्रेम, सहनशीलता, व समता का आह्वान करना चाहिये |*
➡ *सत्य, शान्ति, प्रेम, दृढ़ता की विजय होती है इसकी याद दिलाता है आज का दिन | हिरण्यकश्यपु रूपी आसुरी वृत्ति तथा होलिका रूपी कपट की पराजय का दिन है होली, यह पवित्र पर्व परमात्मा में दृढ़ निष्ठावान के आगे प्रकृति द्वारा अपने नियमों को बदल देने की याद दिलाता है | मानव को भक्त प्रह्लाद की तरह विघ्न बाधाओं के बीच भी भगवदनिष्ठा टिकाए रखकर संसार सागर से पार होने का संदेश देने वाला पर्व है 'होली' !*

बुधवार, 16 मार्च 2022

होली के लिए अभी तक ये काम नहीं किया हो तो शीघ्र करें..

*होली के लिए अभी तक ये काम नहीं किया हो तो शीघ्र करें..*

16 मार्च 2022

*🚩होली का नाम आते ही दो बातें तुरंत ध्यान में आती हैं… एक तो रात में होलिका दहन करना और दूसरा धुलेंडी खेलना ..।*

*इसके पीछे बड़ा वैज्ञानिक महत्व छुपा है, हमारे ऋषि-मुनियों ने ऐसे ही कोई त्यौहार नहीं बनाया है।*

*🚩होली राष्ट्रीय, सामाजिक और आध्यात्मिक पर्व है पर कुछ नासमझ लोग इस पवित्र त्यौहार को विकृत करने लगे और होलिका दहन लकड़ियों से करने लगे जिससे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ने लगा दूसरा कि धुलेंडी खेलते समय केमिकल रंगों का उपयोग करने लगे जिसके कारण होली में स्वास्थ्य लाभ होने की बजाय बीमारियां होने लगी।*

*🚩होली पर पर्यावरण को शुद्ध करने एवं आपका स्वास्थ्य बढ़िया रहे इसलिए हम आपको दो अच्छे उपाय बता रहे है उसके लिए अभी आप तैयारी करें।*

*🚩1. देशी गाय के गोबर के कंडो से होलिका दहन*

*🚩एक गाय करीब रोज 10 किलो गोबर देती है। 10.. किलो गोबर को सुखाकर 5 कंडे बनाए जा सकते हैं।*

*🚩एक कंडे की कीमत करीब 10 रुपए रख सकते हैं। इसमें 2 रुपए कंडे बनाने वाले को, 2 रुपए ट्रांसपोर्टर को और 6 रुपए गौशाला को मिल सकते है। यदि किसी एक शहर में होली पर 10 लाख कंडे भी जलाए जाते हैं तो 1 करोड़ रुपए कमाए जा सकते हैं। औसतन एक गौशाला के हिस्से में बगैर किसी अनुदान के करीब 60 लाख रुपए तक आ जाएंगे। लकड़ी की तुलना में हमें कंडे सस्ते भी पड़ेंगे।*

*🚩केवल 2 किलो सूखा गोबर जलाने से 60 फीसदी यानी 300 ग्राम ऑक्सीजन निकलती है । वैज्ञानिकों ने शोध किया है कि गाय के एक कंडे में गाय का घी डालकर धुंआ करते हैं तो एक टन ऑक्सीजन बनता है।*
 
*🚩गाय के गोबर के कण्डों से होली जलाने पर गौशालाओं को स्वाबलंबी बनाया जा सकता है, जिससे गौहत्या कम हो सकती है, कंडे बनाने वाले गरीबों को रोजी-रोटी मिलेगी, और वतावरण में शुद्धि होने से हर व्यक्ति स्वस्थ रहेगा।*

*🚩दूसरा कि वृक्षों को काटना नही पड़ेगा जिससे वातावरण में संतुलन बना रहेगा।*

*🚩वातावरण अशुद्ध होने पर कोरोना जैसे भयंकर वायरस आ जाते हैं, अगर देशी गाय के गोबर के कंडे से होली जलाई जाएं तो कोरोना जैसे एक भी वायरस वातावरण में नही रहेगा और हमारा स्वास्थ्य उत्तम हो जायेगा जिससे देश के करोड़ो रूपये बच जाएंगे।*

*🚩2. पलाश के रंग से खेलें होली*

*🚩पलाश को हिंदी में ढाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती में केसूड़ा कहते हैं।*

*🚩केमिकल रंगों से होली खेलने से उसके पैसे चीन देश मे जायेंगे और बीमारियां भी होगी लेकिन पलाश के फूलों से होली खेलने से कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश होता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है।*

*🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामूहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. से कम पानी लगता है।*

*🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है। पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है।पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है।*
 
*🚩इतना ही नहीं, पलाश के फूलों का रंग रक्त-संचार में वृद्धि करता है, मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ मानसिक शक्ति व इच्छाशक्ति को बढ़ाता है । शरीर की सप्तधातुओं एवं सप्तरंगों का संतुलन करता है ।

*🚩आपने देशी गाय के गोबर के कंडो से होलिका दहन और पलाश के रंगों से होली खेलने का फायदे देखे। अब आप गाय के गोबर के कंडे के लिए नजदीकी गौशाला में संपर्क करें एवं पलाश के फूलों के लिए नजदीकी में कोई आदिवासी भाई हो उनसे संपर्क जरूर करें।*

काँग्रेस देश के लिए जहर है यकीन ना हो तो ये पढ़ लो

*काँग्रेस देश के लिए जहर है*
*यकीन ना हो तो ये पढ़ लो*👇👇

#टाटा, #बिड़ला और #डालमिया ये तीन नाम बचपन से सुनते आए है मगर डालमिया घराना न कहीं व्यापार में नजर आया और न ही कहीं और ?
#डालमिया घराने के बारे में जानने की बहुत इच्छा थी
लीजिए आप भी पढ़िए कि नेहरू के जमाने में भी 1 लाख करोड़ के मालिक डालमिया को साज़िशों में फंसा के नेहरू ने कैसे बर्बाद कर दिया
ये तस्वीर है राष्ट्रवादी खरबपति सेठ रामकृष्ण डालमिया की,जिसे नेहरू ने झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भेज दिया तथा कौड़ी-कौड़ी का मोहताज़ बना दिया। दरअसल डालमिया जी ने स्वामी करपात्री जी महाराज के साथ मिलकर गौहत्या एवम हिंदू कोड बिल पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर नेहरू से कड़ी टक्कर ले ली थी। लेकिन नेहरू ने हिन्दू भावनाओं का दमन करते हुए गौहत्या पर प्रतिबंध भी नहीं लगाया तथा हिन्दू कोड बिल भी पास करा दिया और प्रतिशोध स्वरूप हिंदूवादी 
सेठ डालमिया को जेल में भी डाल दिया तथा उनके उद्योग धंधों को बर्बाद कर दिया।
इतिहास इस बात का साक्षी है कि जिस व्यक्ति ने नेहरू के सामने सिर उठाया उसी को नेहरू ने मिट्टी में मिला दिया।
देशवासी प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद और सुभाष बाबू के साथ उनके निर्मम व्यवहार के बारे में वाकिफ होंगे मगर इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने अपनी ज़िद के कारण देश के उस समय के सबसे बड़े उद्योगपति सेठ रामकृष्ण डालमिया को बड़ी बेरहमी से मुकदमों में फंसाकर न केवल कई वर्षों तक जेल में सड़ा दिया बल्कि उन्हें कौड़ी-कौड़ी का मोहताज कर दिया। जहां तक रामकृष्ण डालमिया का संबंध है, वे #राजस्थान के एक कस्बा #चिड़ावा में एक गरीब अग्रवाल घर में पैदा हुए थे और मामूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपने मामा के पास कोलकाता चले गए थे.
वहां पर बुलियन मार्केट में एक salesman के रूप में उन्होंने अपने व्यापारिक जीवन का शुरुआत किया था। भाग्य ने डटकर डालमिया का साथ दिया और कुछ ही वर्षों के बाद वे देश के सबसे बड़े उद्योगपति बन गए।उनका औद्योगिक साम्राज्य देशभर में फैला हुआ था जिसमें समाचारपत्र, बैंक, बीमा कम्पनियां, विमान सेवाएं, सीमेंट, वस्त्र उद्योग, खाद्य पदार्थ आदि सैकड़ों उद्योग शामिल थे। डालमिया सेठ के दोस्ताना रिश्ते देश के सभी बड़े-बड़े नेताओं से थी और वे उनकी खुले हाथ से आर्थिक सहायता किया करते थे। इसके बाद एक घटना ने नेहरू को डालमिया का जानी दुश्मन बना दिया, कहा जाता है कि डालमिया एक कट्टर सनातनी हिन्दू थे और उनके विख्यात हिन्दू संत स्वामी करपात्री जी महाराज से घनिष्ट संबंध थे।करपात्री जी महाराज ने 1948 में एक राजनीतिक पार्टी
#राम_राज्य_परिषद स्थापित की थी। 1952 के चुनाव में यह पार्टी लोकसभा में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी और उसने 18 सीटों पर विजय प्राप्त की,
हिन्दू कोड बिल और गोवध पर प्रतिबंध लगाने के प्रश्न पर डालमिया से नेहरू की ठन गई। पंडित नेहरू हिन्दू कोड बिल पारित करवाना चाहते थे जबकि स्वामी करपात्री जी महाराज और डालमिया सेठ इसके खिलाफ थे।हिन्दू कोड बिल और गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए स्वामी करपात्रीजी महाराज ने देशव्यापी आंदोलन चलाया जिसे डालमिया जी ने डटकर आर्थिक सहायता दी।
नेहरू के दबाव पर लोकसभा में हिन्दू कोड बिल पारित हुआ जिसमें हिन्दू महिलाओं के लिए तलाक की व्यवस्था की गई थी, कहा जाता है कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद हिन्दू कोड बिल के सख्त खिलाफ थे इसलिए उन्होंने इसे स्वीकृति देने से इनकार कर दिया ज़िद्दी नेहरू ने इसे अपना अपमान समझा और इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों से पुनः पारित करवाकर राष्ट्रपति के पास भिजवाया संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रपति को इसकी स्वीकृति देनी पड़ी।इस घटना ने नेहरू को डालमिया का जानी दुश्मन बना दिया, कहा जाता है कि नेहरू ने अपने विरोधी सेठ राम कृष्ण डालमिया को निपटाने की एक योजना बनाई, नेहरू के इशारे पर डालमिया के खिलाफ कंपनियों में घोटाले के आरोपों को लोकसभा में जोरदार ढंग से उछाला गया इन आरोपों के जांच के लिए एक विविन आयोग बना बाद में यह मामला स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिसमेंट को जांच के लिए सौंप दिया गया।नेहरू ने अपनी पूरी सरकार को डालमिया के खिलाफ लगा दिया उन्हें हर सरकारी विभाग में प्रधानमंत्री के इशारे पर परेशान और प्रताड़ित करना शुरू किया उन्हें अनेक बेबुनियाद मामलों में फंसाया गया।
नेहरू की कोप दृष्टि ने एक लाख करोड़ के मालिक डालमिया को दिवालिया बनाकर रख दिया। उन्हें टाइम्स ऑफ़ इंडिया और अनेक उद्योगों को औने-पौने दामों पर बेचना पड़ा अदालत में मुकदमा चला और डालमिया को तीन वर्ष कैद की सज़ा सुनाई गई।
तबाह हाल और अपने समय के सबसे धनवान व्यक्ति डालमिया को नेहरू की वक्र दृष्टि के कारण जेल की कालकोठरी में दिन व्यतीत करने पड़े। व्यक्तिगत जीवन में डालमिया बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे उन्होंने अच्छे दिनों में करोड़ों रुपये धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए दान में दिये इसके अतिरिक्त उन्होंने यह संकल्प भी लिया था कि जबतक इस देश में गोवध पर कानूनन प्रतिबंध नहीं लगेगा वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। उन्होंने इस संकल्प को अंतिम सांस तक निभाया. गौवंश हत्या विरोध में 1978 में उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।
साभार 
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रविवार, 13 मार्च 2022

द कश्मीर फाइल्स…! : आत्मा को अंदर तक हिला देने वाला अनुभव

*द कश्मीर फाइल्स…! : आत्मा को अंदर तक हिला देने वाला अनुभव…!*
- *निहारिका पोल सर्वटे*

वैसे तो ये “आत्मा को हिला देने वाला” जैसे शब्द भी इस अनुभव के सामने बेहद ही छोटे हैं | हम सभी को कश्मीर की सच्चाई पता है | कश्मीर में १९ जनवरी १९९० को क्या हुआ है ये पता है | और जिसे नहीं पता उसे अब पता होगा | लेकिन वो सारी सच्चाई अपनी आँखों के सामने देखना आपको अंदर तक हिला कर रख देगा | कहानी है कश्मीर की, कहानी है कश्मीरी पंडितों की, जिनके बारे में आज तक जान बूझ कर मौन रखा गया, जिन पर हुए अत्याचार जानबूझकर खामोश रखे गए, और जिनकी कहानी जान बूझ कर दुनिया से दूर रखी गई | ये कहानी है, पुष्करनाथ पंडित और उनके जैसे लाखों कश्मीरी पंडितों की, जिन्हें एक रात में अपना सबकुछ छोडकर घाटी से भागना पडा, क्यों कि इस्लामिक जिहादियों ने उन्हें केवल तीन ही विकल्प दिये थे, *रालिव, त्सालिव या गालिव* अर्थात, धर्मपरिवर्तन करो, भाग जाओ, या मर जाओ | उनके साथ हुए अत्याचारों की खुली किताब है ये फिल्म | 
#thekashmirfiles
विवेक रंजन अग्निहोत्री को इस फिल्म को बनाने के लिये जितने धन्यवाद दिये जाएँ उतना कम है | आज मैंने इस फिल्म का फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखा, पहले से तय था, ये फिल्म तो देखनी ही है | लेकिन वो पूरे ढाई घंटे आँखों से सिर्फ अश्रु बह रहे थे | इंटरव्हल में आई बाबा को फोन किया बताने के लिये, कि जरूर देखें ये फिल्म लेकिन एक शब्द भी नहीं बोल पाई | और ये केवल मेरे साथ नहीं हो रहा था, बल्कि वहाँ बैठा हर व्यक्ति ये महसूस कर रहा था, हर कोई रो रहा था | ये फिल्म कोल्डड्रिंक और पॉपकॉर्न के साथ एंजॉय करने वाली फिल्म नहीं है | तो पहले से ही ऐसी किसी भी चीज की ऑर्डर ना दें | सामने एक सीन में भागे हुए कश्मीरी पंडितों के पास खाने के लिये कुछ नहीं था, पुष्करनाथ पंडित के किरदार में अनुपम खेर पार्ले जी चाट कर रखते हैं, ताकि कल खाने के लिये भी उनके पास कुछ रहे, और ऐसे यदि आपके हाथ में रखे पॉपकॉर्न या बर्गर हो तो वो आपको शर्मसार कर देगा | तो यह फिल्म देखने जाएं, तब मक पक्का कर जाएँ, और कलाकृति एंजॉय करने ना जाएँ, बल्कि सच्चाई को समझने जाएँ | 


तो फिल्म की कहानी क्या है, ये आप सब जानते हैं, लेकिन जिस ताकद के साथ अभिनेताओं ने उसे पर्दे पर उतारा है, उसका कोई जवाब नहीं | आपको आतंकवादी बट्टा के किरदार में चिन्मय मांडलेकर और ब्रेनव्हॉश करने वाली प्रोफेसर राधिका के किरदार में काम करने वाली पल्लवी जोशी से नफरत हो जाएगी, इस दर्जे का काम इन दोनों ने किया है | लेकिन आपकी आत्मा को अगर कोई रुला सकता है, तो वो हैं अनुपम खेर | उन्होंने अपने एक साक्षात्कार में कहा था, कि इस फिल्म के हर सीन को शूट करने के बाद वो रोए हैं, ऐसा उन्होंने क्यों कहा आज समझ आया | पुष्करनाथ जी का पूरा परिवार समाप्त हो गया, लेकिन वे आखरी दम तक धारा ३७० हटाने की माँग करते हुए डट कर लडते रहे | ६००० खत लिखे उन्होंने सरकार को लेकिन सुनने वाला कोई नहीं था | उन्हीं का पोता कृष्णा जो उसके परिवार की सच्चाई से अनजान है, जब जेएनयू के जहरीले वातावरण में जाता है, तो किस तर उसे बरगलाया जाता है, किस तरह उसके ‘पंडित’ सरनेम का उपयोग किया जाता है, और कैसे उसे भी टुकडे टुकडे गैंग का हिस्सा बनाया जाता है, यह सब एक झलक है जेएनयू के जहर और उसकी सच्चाई की | 

फिल्म के संवाद आपको सुन्न कर देते हैं  और दृश्य आपको भयंकर विचलित कर सकते हैं | पुनीत इस्सर, मिथुन दा, मृणाल कुलकर्णी और अन्य सभी किरदारों के संवाद बेहद सोच समझ कर लिखे गए हैं | और उनका अभिनय भी उतना ही तगडा है | कृष्णा के किरदार का कन्फ्यूजन, अज्ञानता और बाद में मिला आत्मविश्वास आप भी अनुभव कर सकते हैं, इसके लिये दर्शन कुमार की जितनी तारीफ की जाए कम है | 

इस फिल्म में मीडिया का जो रूप दिखाया है, वह भी आपको गहरा सदमा देता है | अपनी जान बचाने के लिये पत्रकार चुप रहते थे, क्यों कि, सरकार का जबाव, जेहादियों का दबाव, और इस दबाव के चलते सच का दम घुटता गया | सबकुछ बेहर ही भयंकर, रौंगटे खडे करने वाला और आपकी रूह काँप जाए ऐसा | 

*पता है सबसे ज्यादा तकलीफ कब होती है, जब फिल्म देखते देखते हर पल आप ये ही सोचते हैं, कि हमारे पाठ्यपुस्तकों में यह सब क्यों नहीं पढाया गया ? क्यों मुगलिया सल्तनत से हमारे इतिहास की किताब के पन्ने भरे गए | फारुख अब्दुल्ला, शेख अब्दुल्ला इनकी असलियत हम तक क्यों नहीं पँहुचाई गई ? कश्मीर के गौरवशाली इतिहास के बारे में हमें क्यों नहीं बताया गया ? इस फिल्म के आने के पहले हमारी पीढि के कितने लोग जानते थे कि पंचतंत्र कश्मीर में लिखा गया है? भरतमुनि ने नाट्यशास्त्र भी कश्मीर में ही लिखा ? हम में से कितने लोग हैं, जिन्हें बॉलिवुड के गाने सुनते सुनते कलमा, शुकराना, नजाकत, मकबूल, महफूज जैसे कई उर्दु शब्द पता हैं, लेकिन संस्कृत के शब्द या संस्कृत छोडें शुद्ध हिंदी के शब्द सुन कर हमारा दिमाग घूम जाता है? ऐसे लोग में मेरे आस पास देखती हूँ तो मुझे शर्म भी आती है, और दु:ख भी होता है, कि अच्छी पाठशाला में, ऊंचे कॉन्व्हेंट में पढाने के चक्कर में हमारी पिढी और आने वाली पिढी को किस तरह अपनी संस्कृति और हमारे इतिहास से वंचित रखा जा रहा है, दूर फेंका जा रहा है |*

इस फिल्म का अंत इसका सार है | अंत में कृष्णा जो कुछ बोलता है, उसे एक बार नहीं हजारों बार सुनें, समझें और सोचें कि आज तक हमें कश्मीर में हुई इस घिनौनी घटना के बारे में क्यों नहीं पता ? हमारी उम्र के बच्चे जिन्हें कुछ नहीं पता, जो अज्ञान हैं, उन्हें किस तरह ब्रेनव्हॉश किया जा रहा है | 

*ये फिल्म एक फिल्म नहीं है, करारा तमाचा है, जो आपको सच्चाई दिखाता है | कन्हैया कुमार के सपोर्ट में उस वक्त खडे हर एक व्यक्ति को इस फिल्म को देखना चाहिये | सेक्युलेरिझम पर ज्ञान पेलने वाले हर एक इंसान को यह फिल्म देखनी चाहिये | भारत में जिसे सुरक्षित नहीं लगता, उसे जानना चाहिये कि क्या झेला है कश्मीरी पंडितों ने फिर भी आज भी वे कश्मीर वापस जाने को तरस रहे हैं |* 

*इस फिल्म में कोई रहीम चाचा नहीं है, जो मसीहा बन कर सामने आए | इस फिल्म में जानबूझ कर किसी एक कौम को अच्छा महसूस कराने के लिये अच्छा दिखाया नहीं गया | इस फिल्म में किसे अच्छा लगेगा और किसे बुरा ये सोचा नहीं गया है | ये फिल्म एक सच है, जो थाड से आकर आपके मुँह पर लगता है, दिमाग में जाता है, दिल तक उतरता है, और आँखों से बाहर आता है |* 

अब भी अगर आप सोचते हैं, कि आपको जो पता है, वो सच है, या आप जो जानते हैं, वो सच हैं, तो आप घोर मिथ्या जी रहे हैं मेरे दोस्त. यह फिल्म जरूर देखिये, परिवार, मोहल्ले, जिले और पूरे शहर के साथ देखिये, अधिकाधिक लोगों को दिखाएँ, अपने यहाँ काम करने वाले स्टाफ के लिये टिकट खरीदें | इस फिल्म को जितना ज्यादा फैला सकें फैलाएँ | आखिर यह सच ३२ साल बाद ही सही लेकिन लोगों के मन मस्तिष्क तक जाना चाहिये | 

अब कहीं भी आपके कानों में ‘हमें चाहिये आजादी’ पडेगा, ना आपका खून खौला तो देखना | सही कहा है फिल्म में, यह एक जेनोसाइड था, और इस्लामी जेहादी इसके पीछे थे | धन्य हो हमारे देश की जनता का, कि मोदी जी को चुन लिया और कश्मीर से धारा ३७० हटी, वरना हर कुछ दिन में १९ जनवरी दोहरा रहा होता, और हम कुछ नहीं कर पाते | 

फिल्म अवश्य देखिये, और सच्चाई को दूर तक पँहुचाइये | अब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी ही | 

- *निहारिका पोल सर्वटे*

बुधवार, 9 मार्च 2022

राजस्थान के कुछ जिलों में पीले रंग के हेलिकॉप्टर दिन भर इधर उधर उड़ान भरता है यह आखिर चल क्या रहा है ?

राजस्थान के कुछ जिलों में पीले रंग के हेलिकॉप्टर का कुतूहल चल रहा है। 
दिन भर एक पीले रंग का हेलीकॉप्टर इधर उधर उड़ान भरता है जिसके नीचे एक बड़ा लूप लटका हुआ है।

आम आदमी के मन में यह रहता है कि यह आखिर चल क्या रहा है ?
यह एक प्रमाण है कि मोदी सरकार आम आदमी का जीवन सुविधा जनक बनाने के लिए गम्भीरता से काम कर रही है।
मोदी सरकार पेयजल को लेकर अत्यधिक गंभीरता से काम कर रही है । इसी कारण मोदी सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय की स्थापना की थी । यह जल शक्ति मंत्रालय राजस्थान, पंजाब, गुजरात के उन इलाकों में एक विशेष सर्वे कर रहा है ,जहां पर पानी की अक्सर कमी पाई जाती है।
इस सर्वे को हेलीबोर्न सर्वे कहा जाता है। हेलिबोर्न सर्वे धरती के अंदर 500 मीटर तक का एक्सरे खींचने में और रिपोर्ट बनाने में सक्षम है।
यह पीले रंग का हेलीकॉप्टर जहां-जहां घूमेगा उस उस इलाके का डेटाबेस बनाएगा जिसमें यह पता चलेगा कि यहां पर जमीन के नीचे पानी है या नहीं है? यदि है तो कितना गहरा है?? पानी मीठा है अथवा खारा है? इन सब की जानकारी इस टेक्नोलॉजी से प्राप्त हो जाएगी।
आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि कितना जबरदस्त काम किया जा रहा है कि जिस दिन यह डाटा कलेक्शन पूरा हो जाएगा हमें एक क्लिक पर पता चल जाएगा कि हमारी जमीन के कौन से हिस्से में नीचे मीठे पानी की धारा बह रही है, इस सर्वे से पानी के नए स्रोत ढूंढने में शानदार मदद मिलने वाली है। जल जीवन है, जल सीमित भी है, इसलिए इसका बेहतरीन मैनेजमेंट भी बेहद जरूरी है।


जनसूचनार्थ ...

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