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बुधवार, 23 मार्च 2022

AC का प्रयोग कैसे करें ? आओ जानिये

 AC का प्रयोग कैसे करें ?
आओ जानिये

   AC को 26+ डिग्री पर रखें और यदि चाहें तो पंखा चला ले।


 EB से एक कार्यकारी इंजीनियर द्वारा भेजी गई बहुत उपयोगी जानकारी:--

 AC का सही उपयोग:--

एक ही टेम्प्रेचर पर रखें एसी

यह कई रिपोर्ट में सामने आ चुका है कि अगर एसी का टेम्प्रेचेर एक ही रहता है या स्टेबेल रहता है तो इससे बिजली के बिल पर काफी असर पड़ता है. बताया जाता है कि इससे एक डिग्री पर करीब 6 फीसदी बिजली का असर पड़ता है और आप थोड़ा टेम्प्रेचर बढ़ाकर रखते हैं तो इससे आपके एसी से आने वाले बिल पर 24 फीसदी तक का फर्क पड़ जाता है.


 चूंकि गर्मियां शुरू हो गई हैं और हम नियमित रूप से एयर कंडिशनर (AC) का उपयोग करते हैं, आइये, हम AC चलाने की सही विधि का पालन करें।

    ज्यादातर लोगों को अपने AC को 20-22 डिग्री पर चलाने की आदत होती है और जब उन्हें ठंड लगती है, तो वे अपने शरीर को कंबल से ढक लेते हैं।

 इससे दोहरा नुकसान होता है, किस तरह जानिये ?

   क्या आप जानते हैं कि हमारे शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है ? शरीर 23 डिग्री से लेकर 39 डिग्री तक का तापमान आसानी से सहन कर सकता है ।
 इसे मानव शरीर का तापमान सहिष्णुता कहा जाता है। जब कमरे का तापमान कम या अधिक होता है तो छींकने, कंपकंपी आदि से शरीर प्रतिक्रिया करता है।

    जब आप AC को 19-20-21 डिग्री पर चलाते हैं तो कमरे का तापमान सामान्य शरीर के तापमान से बहुत कम होता है और यह शरीर में हाइपोथर्मिया नामक प्रक्रिया शुरू करता है, जो रक्त परिसंचरण को प्रभावित करता है, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों में रक्त की आपूर्ति प्रर्याप्त नहीं होती है, लंबी अवधि में कई नुकसान जैसे गठिया आदि कई रोग होते हैं ।

   AC चलाने पर अकसर पसीना नहीं आता है, इसलिए शरीर के टॉक्सिन्स बाहर नहीं निकल पाते हैं और लंबे समय में कई और बीमारियों का खतरा पैदा करते हैं, जैसे त्वचा की एलर्जी या खुजली, उच्च रक्तचाप, BP आदि।
    जब आप इतने कम तापमान पर AC चलाते हैं तो कंप्रेसर लगातार पूर्ण ऊर्जा पर काम करता है, भले ही यह AC five स्टार हो, अत्यधिक बिजली की खपत होती है और यह आपकी तबीयत खराब करने के साथ, जेब से पैसा उड़ाता है।




    AC चलाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है ?

AC को 26 डिग्री+ या उससे अधिक के लिए तापमान सैट करें।

    आपको AC से 20-21 के तापमान को पहले सैट करने से कोई लाभ नहीं होता है और फिर अपने चारों ओर शीट या पतली रजाई लपेटें।

 AC को 26+ डिग्री पर चलाना और पंखे को धीमी गति से चलाना हमेशा बेहतर ही होता है, 28 प्लस डिग्री बेहतर है।

    इससे बिजली कम खर्च होगी और आपके शरीर का तापमान भी सीमा में रहेगा और आपकी सेहत पर कोई बुरा असर भी नहीं पड़ेगा।


   इसका एक और फायदा यह है कि AC कम बिजली की खपत करेगा, मस्तिष्क पर रक्तचाप भी कम होगा और बचत अंततः ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने में मदद करेगी, किस तरह ?

    मान लीजिए कि आप AC 26+ डिग्री पर चला कर प्रति रात लगभग 5 यूनिट बिजली की बचत करते हैं और अन्य 10 लाख घर भी आपको पसंद करते हैं, तो हम प्रति दिन 5 मिलियन यूनिट बिजली बचाते हैं।

 क्षेत्रीय स्तर पर यह बचत प्रति दिन करोड़ों यूनिट हो सकती है।

टाइमर का इस्तेमाल करें

यह बहुत से लोगों के साथ होता है, वे रात में एसी चलाकर सोते हैं. रात में कमरा ठंडा होने के बाद और उन्हें तेज ठंड लगने के बाद भी वो नींद में होने की वजह से बंद नहीं करते हैं. इससे रातभर एसी चलता रहता है. ऐसे में कुछ घंटे के लिए एसी का टाइमर लगा सकते हैं, इससे एसी कुछ घंटे बाद खुद ही बंद हो जाएगा और आपका कमरा ठंडा रहेगा और एसी भी सही समय पर बंद हो जाएगा. इस आदत से आपका एसी का बिल काफी कम हो सकता है.

    कृपया ऊपर दी गई जानकारी बारे विचार करें और अपने AC को 26 डिग्री से कम पर न चलाएं।

 अपने शरीर और पर्यावरण को स्वस्थ रखें।


 जनहित में अग्रेषित।

मंगलवार, 22 मार्च 2022

क्या शिवलिंग रेडिएटर हैं?

क्या शिवलिंग रेडिएटर हैं?
हाँ 100% सच!!

भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठाएं, हैरान रह जाएंगे आप! भारत सरकार की परमाणु भट्टी के बिना सभी ज्योतिर्लिंग स्थलों में सर्वाधिक विकिरण पाया जाता है।

शिवलिंग और कुछ नहीं परमाणु भट्टे हैं, इसीलिए उन पर जल चढ़ाया जाता है, ताकि वे शांत रहें।

महादेव के सभी पसंदीदा भोजन जैसे बिल्वपत्र, अकामद, धतूरा, गुड़ आदि सभी परमाणु ऊर्जा सोखने वाले हैं।

क्योंकि शिवलिंग पर पानी भी रिएक्टिव होता है इसलिए ड्रेनेज ट्यूब क्रॉस नहीं होती।

भाभा अनुभट्टी की संरचना भी शिवलिंग की तरह है।

नदी के बहते जल के साथ ही शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल औषधि का रूप लेता है।

इसीलिए हमारे पूर्वज हमसे कहा करते थे कि महादेव शिवशंकर नाराज हो गए तो अनर्थ आ जाएगा।

देखें कि हमारी परंपराओं के पीछे विज्ञान कितना गहरा है।

जिस संस्कृति से हम पैदा हुए, वही सनातन है।

विज्ञान को परंपरा का आधार पहनाया गया है ताकि यह प्रवृत्ति बने और हम भारतीय हमेशा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें।

आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में केदारनाथ से रामेश्वरम तक एक ही सीधी रेखा में बने महत्वपूर्ण शिव मंदिर हैं। आश्चर्य है कि हमारे पूर्वजों के पास ऐसी कौन सी विज्ञान और तकनीक थी जो हम आज तक समझ नहीं पाए? उत्तराखंड के केदारनाथ, तेलंगाना के कालेश्वरम, आंध्र प्रदेश के कालेश्वर, तमिलनाडु के एकम्बरेश्वर, चिदंबरम और अंत में रामेश्वरम मंदिर 79°E 41'54" रेखा की सीधी रेखा में बने हैं।

ये सभी मंदिर प्रकृति के 5 तत्वों में लैंगिक अभिव्यक्ति दिखाते हैं जिन्हें हम आम भाषा में पंचभूत कहते हैं। पंचभूत का अर्थ है पृथ्वी, जल, अग्नि, गैस और अवकाश। इन पांच सिद्धांतों के आधार पर इन पांच शिवलिंगों की स्थापना की गई है।

तिरुवनैकवाल मंदिर में पानी का प्रतिनिधित्व है,
आग का प्रतिनिधित्व तिरुवन्नामलाई में है,
काल्हस्ती में पवन दिखाई जाती है,
कांचीपुरम और अंत में पृथ्वी का प्रतिनिधित्व हुआ
चिदंबरम मंदिर में अवकाश या आकाश का प्रतिनिधित्व!

वास्तुकला-विज्ञान-वेदों का अद्भुत समागम दर्शाते हैं ये पांच मंदिर

भौगोलिक दृष्टि से भी खास हैं ये मंदिर इन पांच मंदिरों का निर्माण योग विज्ञान के अनुसार किया गया है और एक दूसरे के साथ एक विशेष भौगोलिक संरेखण में रखा गया है। इसके पीछे कोई विज्ञान होना चाहिए जो मानव शरीर को प्रभावित करे।

मंदिरों का निर्माण लगभग पांच हजार साल पहले हुआ था, जब उन स्थानों के अक्षांश को मापने के लिए उपग्रह तकनीक उपलब्ध नहीं थी। तो फिर पांच मंदिर इतने सटीक कैसे स्थापित हो गए? इसका जवाब भगवान ही जाने।

केदारनाथ और रामेश्वरम की दूरी 2383 किमी है। लेकिन ये सभी मंदिर लगभग एक समानान्तर रेखा में हैं। आखिरकार, यह आज भी एक रहस्य ही है, किस तकनीक से इन मंदिरों का निर्माण हजारों साल पहले समानांतर रेखाओं में किया गया था।

श्रीकालहस्ती मंदिर में छिपा दीपक बताता है कि यह हवा में एक तत्व है। तिरुवनिक्का मंदिर के अंदर पठार पर पानी के स्प्रिंग संकेत देते हैं कि वे पानी के अवयव हैं। अन्नामलाई पहाड़ी पर बड़े दीपक से पता चलता है कि यह एक अग्नि तत्व है। कांचीपुरम की रेती आत्म तत्व पृथ्वी तत्व और चिदंबरम की असहाय अवस्था भगवान की असहायता अर्थात आकाश तत्व की ओर संकेत करती है।

अब यह कोई आश्चर्य नहीं है कि दुनिया के पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच लिंगों को सदियों पहले एक ही पंक्ति में स्थापित किया गया था।

हमें अपने पूर्वजों के ज्ञान और बुद्धिमत्ता पर गर्व होना चाहिए कि उनके पास विज्ञान और तकनीक थी जिसे आधुनिक विज्ञान भी नहीं पहचान सका।

माना जाता है कि सिर्फ ये पांच मंदिर ही नहीं बल्कि इस लाइन में कई मंदिर होंगे जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक सीधी लाइन में आते हैं। इस पंक्ति को 'शिवशक्ति अक्षरेखा' भी कहते हैं, शायद ये सभी मंदिर 81.3119° ई में आने वाली कैलास को देखते हुए बने हैं!?

इसका जवाब सिर्फ भगवान शिव ही जानते हैं

आश्चर्यजनक कथा 'महाकाल' उज्जैन में शेष ज्योतिर्लिंग के बीच संबंध (दूरी) देखें।

उज्जैन से सोमनाथ - 777 किमी

उज्जैन से ओंकारेश्वर - 111 किमी

उज्जैन से भीमाशंकर - 666 किमी

उज्जैन से काशी विश्वनाथ - 999 किमी

उज्जैन से मल्लिकार्जुन - 999 किमी

उज्जैन से केदारनाथ - 888 किमी

उज्जैन से त्र्यंबकेश्वर - 555 किमी

उज्जैन से वैद्यनाथ - 999 किमी

उज्जैन से रामेश्वरम - 1999 किमी

उज्जैन से घृष्णेश्वर - 555 किमी

हिंदू धर्म में कुछ भी बिना कारण के नहीं किया जाता है।

सनातन धर्म में हजारों वर्षों से माने जाने वाले उज्जैन को पृथ्वी का केंद्र माना जाता है। इसलिए उज्जैन में सूर्य और ज्योतिष की गणना के लिए लगभग 2050 वर्ष पूर्व मानव निर्मित उपकरण बनाए गए थे।

और जब एक अंग्रेज वैज्ञानिक ने 100 साल पहले पृथ्वी पर एक काल्पनिक रेखा (कर्क) बनाई तो उसका मध्य भाग उज्जैन गया। उज्जैन में आज भी वैज्ञानिक सूर्य और अंतरिक्ष की जानकारी लेने आते हैं।

          🙏|| हर हर महादेव ||🙏

कश्मीर मैं हिंदुओं के कत्लेआम का एकमात्र खलनायक यदि कोई है तो फारुख अब्दुल्ला

कश्मीर मैं हिंदुओं के कत्लेआम का एकमात्र खलनायक यदि कोई है तो फारुख अब्दुल्ला है अफसोस कि कश्मीर का यह हिटलर कश्मीर में हिंदुओं का जीनोसाइड करने वाला फारूक अब्दुल्लाह एकदम आजाद घूम रहा है उसके ऊपर यह केस तक दर्ज नहीं हुआ 

आप सोचिए मात्र 5 या 6 पीढ़ी पहले यह खुद एक कश्मीरी पंडित था फिर भी उसके मन में हिंदुओं के प्रति इतनी नफरत थी कि कश्मीर घाटी से हिंदुओं के कत्लेआम और हिंदुओं के सफाए से इसका मन नहीं भरा उसके बाद इसने कश्मीर घाटी में जो हिंदुओं की करोड़ों अरबों रुपए की प्रॉपर्टी थी उसको इसने मुसलमानों को देने के लिए एक षड्यंत्र रच दिया 

लेकिन अफसोस 20 सालों तक यानी दो दशकों तक मीडिया ने कभी हिंदुओं की प्रॉपर्टी को मुफ्त में मुसलमानों को देने का फारुख अब्दुल्ला के षड्यंत्र के बारे में हमें नहीं बताया

फारुख अब्दुल्ला ने जो हिंदुओं की संपत्ति को मुसलमानों को मुफ्त में देने का षड्यंत्र रचा उस षड्यंत्र को रोशनी एक्ट कहते हैं

अब मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर का रोशनी एक्ट खत्म कर दिया 

सोचिए आज तक किसी मीडिया ने हम लोगों को रोशनी एक्ट के बारे में बताया ही नहीं 

यह रोशनी एक्ट कश्मीर छोड़कर भाग गए हिंदुओं के मकान दुकान और जमीन और खेत मुस्लिमो को देने का फारुख अब्दुल्ला द्वारा बनाया गया एक षड्यंत्र था जिसमें कांग्रेसी भी शामिल थी

1990 के दशक में जितने भी हिंदू कश्मीर से भागे उन्हें पाकिस्तान के मुसलमानों ने मार कर नहीं भगाया बल्कि उनके ही पड़ोसी जिनके साथ वह बचपन में सेवई खाते थे त्यौहार मनाते थे चाय पीते थे उन्हीं पड़ोसियों अब्दुल असलम गफ्फार ने मार मार कर भगाया 

उसके बाद जब पूरा कश्मीर घाटी हिंदुओं से खाली हो गया तब फारुख अब्दुल्ला के पास कुछ मुस्लिम गए और बोले कि हिंदुओं के इन मकानों दुकानों जमीनों खेतों खलिहानो को मुसलमानों को देने के लिए आप कुछ नियम बनाइए 

तब फारुख अब्दुल्ला ने एक रोशनी एक्ट बनाया और इस रोशनी एक्ट के द्वारा सिर्फ ₹101 में किसी भी हिंदू की जमीन खेत मकान या दुकान एक मुसलमान की हो जाती थी

शगुफा यह छोड़ा गया कि मुसलमानों के घरों के आसपास के घर जो हिंदुओं के थे वह नहीं है बिजली का कनेक्शन काट देने की वजह से उनके आसपास अंधेरा रहता है जिससे उनके लिए खतरा हो सकता है इसलिए ऐसे घरों को रोशन करना जरूरी है

 इस तरह रोशनी एक्ट का ताना-बाना बना

चुकी हिंदू जब अपना सब कुछ छोड़ कर भाग गए तब बिजली का बिल नहीं चुका पाने की वजह से उनके खेतों के ट्यूबेल का या दुकानों का या घर का बिजली का कनेक्शन काट दिया गया.... फिर फारुख अब्दुल्ला ने एक रोशनी एक्ट बनाया जिसके द्वारा मात्र ₹101 फीस भरकर कोई भी मुसलमान अपने नाम से उस हिंदू के खेत खलिहान मकान दुकान के लिए बिजली का कनेक्शन लेने का आवेदन भर सकता था

 इस तरह पहले उस मुसलमान के नाम बिजली का बिल जनरेट कर दिया जाता था उसके बाद कुछ ही सालों में उस वक्त हिंदू की मकान दुकान या खेत का पूरा मालिकाना हक उस मुसलमान को दे दिया गया

 इस तरह इस जालिमाना रोशनी एक्ट द्वारा फारुख अब्दुल्ला ने कश्मीर घाटी के हजारों हिंदुओं की बेशकीमती प्रॉपर्टी मुसलमानों को मात्र 101 रुपये।में दे दी




और सबसे आश्चर्य की भारत की वामपंथी मीडिया कभी इस रोशनी एक्ट की चर्चा नहीं की

इसको पढ़ लीजियेगा लोग, सारा भ्रम दूर हो जायेगा ।

इसको पढ़ लीजियेगा लोग, सारा भ्रम दूर हो जायेगा ।

राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री रहे 31 October 1984 से 2 December 1989 तक। भाजपा नेता टिक्का लाल टपलू जिनकी हत्या से कश्मीर नरसंहार की शुरूआत होती है उनकी घर में घुसकर हत्या हुई 14 सितंबर 1989 को यानि जब टिक्का लाल जी को मारा गया तब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे। टिक्का लाल टपलू जी के हत्या के बाद 4 नवंबर 1989 को जम्मू कश्मीर के हाईकोर्ट के जज नीलकंठ गज्जू जी को घर में घुसकर मार दिया गया तब भी राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। 1986 Kashmir riots जिससे सैकड़ों कश्मीरी पंडित मारे गए तब भी राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे।

पूर्ण बहुमत लेकर सत्ता में बैठे राजीव गांधी ने क्या इन हत्याओं पर इस्तीफा दिया?

क्या आपने किसी एक भी सेक्युलर आदमी का पोस्ट कांग्रेस, राजीव गांधी के खिलाफ देखा जो भाजपा को जबरदस्ती इसका जिम्मेदार ठहरा कर अपना पीछा छुडा़ने में लगे हैं। 

वोट तो कांग्रेस को भी हिन्दुओं से ही मिलते हैं फिर ये इतने पापमुक्त क्यों है? 

वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने 2 दिसंबर 1989 को और हिन्दु कश्मीर छोड़कर भागे 19 जनवरी 1990 को । यानि जो कुछ हुआ उसके लिए सिर्फ एक महीने पुरानी सरकार और उस सरकार को बाहर से समर्थन देने वाली भाजपा जिम्मेदार है और जो पांच साल पूर्ण बहुमत से राज करके चले गए पाक साफ है। जगमोहन जम्मू और कश्मीर के दो बार गवर्नर रहे। पहली बार राजीव गांधी के समय 26 अप्रैल 1984 – 11 जुलाई 1989 तक

1987 में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस मिलकर चुनाव जीती और फारुक अब्दुल्ला सीएम बने। 1990 जनवरी में वीपी सिंह सरकार ने जगमोहन को वापस जम्मू और कश्मीर का गवर्नर नियुक्त किया और 18 January 1990 फारुक अब्दुल्ला ने इस्तीफा दे दिया जब तक जगमोहन श्रीनगर पहुंच कर चार्ज संभालते अनाथ कश्मीर में 19 जनवरी की रात कश्मीर में पंडितों के लिए आखिरी रात साबित हुई।

30 साल बाद वो बता रहे हैं। इस सबके लिए भाजपा और जगमोहन जिम्मेदार हैं, क्योंकि पता इन्हें कुछ भी बोलकर मूर्ख बनाया जा सकता है। लेकिन एक बात याद रखिए जब कश्मीरी पंडित सहायता मांगने गुरुतेगबहादुर के पास गए थे जब औरंगजेब ने दिल्ली में 09 नवम्बर 1675 भाई मती दास जी, भाई सतीदास, भाई दयाला और गुरु तेगबहादुर जी को दिल्ली के चांदनी चौक में जिहादी तरीके से शहीद किया गया। तब न जगमोहन गवर्नर थे ने वीपी सिंह-राजीव गांधी की सरकार थी लेकिन मारने वालों की सोच वो ही थी। आरे से चाहे गिरिजा टिक्कू काटी गई हों या भाई मती दास काटने वाले एक ही सोच के थे। और अपनी लड़ाई इसी सोच के खिलाफ है। 26 जनवरी 1992 को श्रीनगर में तिरंगा फहराने वाले नरेंद्र मोदी जरूर आज देश के प्रधानमंत्री है .

- साभार

मोदी इन तैयारियों की आड़ में कुछ नया और बड़ा करने जा रहे है

🚩🇮🇳

*ये जो काश्मीर में चुनाव की हवा बहाई जा रही है मुझे इसपर थोड़ा कम विश्वास है।*
*मोदी इन तैयारियों की आड़ में कुछ नया और बड़ा करने जा रहे है ऐसा मेरा सोचना है।*
क्योंकि 
जो आपकी पकड़ में आ जाए वो मोदी कैसे?
*पिछले एक महीने के घटनाक्रम को यदि सिलसिलेवार देखा जाए तो बहुत बड़ा मेसेज और अनुमान निकलकर सामने आ रहे है।*
भारत का रूस को खुल्लम खुल्ला समर्थन,अमेरिकी प्रतिबन्धों के चलते क्रूड खरीदना,और देश में oil riserv बढ़ाना।
 *पाकिस्तान में अज्ञात हमलावरों द्वारा विमान अपहर्ताओं को चुन चुनकर निपटाना, ब्रम्होस का भटककर पाकिस्तान में गिरना,और अब इमरान खान की सरकार पर संकट गहराना। आज फिर अज्ञात मिसाईल ने पाकिस्तान का गोला बारूद नष्ट कर दिया । 😀😝*
*चिन के विदेशमंत्री के भारत दौरे की चर्चा,इसराईल का रुस दौरा।*
*यह सब अचानक एक माह में होना बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर रहा है।*
इसी सब घटनाक्रम में कश्मीर में चुनावों की तैयारियां बात कुछ हजम नही हो रही है।
वैसे भी मोदी चूहा चूहा बोलकर सांप निकालने में माहिर है।
इतना तो है कि भारत के लिए अगले चार छः माह बहुत महत्वपूर्ण है।
 *मोदी को समझना नामुमकिन है*🚩🚩🚩🚩🚩🚩

संत एकनाथ जयन्ती, मीराबाई जयन्ती एवं क्रान्तिकारी भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु बलिदान दिवस


दिनॉक 23 मार्च 2,022

          *संत एकनाथ जयन्ती, मीराबाई जयन्ती एवं क्रान्तिकारी भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु बलिदान दिवस)*
*************** *सन्त एकनाथ* ***************
                   एकनाथ (1533 - 1599 ई.) प्रसिद्ध मराठी सन्त जिनका जन्म पैठण में सन्त भानुदास के कुल में हुआ था। इन्होंने सन्त ज्ञानेश्वर द्वारा प्रवृत्त साहित्यिक तथा धार्मिक कार्य का सब प्रकार से उत्कर्ष किया। ये संत भानुदास के पौत्र थे। गोस्वामी तुलसीदास के समान मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण ऐसा विश्वास है कि कुछ महीनों के बाद ही इनके माता पिता की मृत्यु हो गई थी।
                   बालक एकनाथ स्वभावत: श्रद्धावान तथा बुद्धिमान थे। देवगढ़ के हाकिम जनार्दन स्वामी की ब्रह्मनिष्ठा, विद्वत्ता, सदाचार और भक्ति देखकर भावुक एकनाथ उनकी ओर आकृष्ट हुए और उनके शिष्य हो गए। एकनाथ ने अपने गुरु से ज्ञानेश्वरी, अमृतानुभव, श्रीमद्भागवत आदि ग्रंथों का अध्ययन किया और उनका आत्मबोध जाग्रत हुआ। गुरु की आज्ञा से ये गृहस्थ बने। 
                  एकनाथ अपूर्व सन्त थे। प्रवृत्ति और निवृत्ति का ऐसा अनूठा समन्वय कदाचित् ही किसी अन्य संत में दिखाई देता है। आज से लगभग 675 वर्ष पूर्व इन्होंने मानवता की उदार भावना से प्रेरित होकर अछूतोद्धार का प्रयत्न किया। 
                  ये जितने ऊँचे सन्त थे उतने ही ऊँचे कवि भी थे। इनकी टक्कर का बहुमुखी सर्जनशील प्रतिभा का कवि महाराष्ट्र में इनसे पहले पैदा नहीं हुआ था। महाराष्ट्र की अत्यंत विषम अवस्था में इनको साहित्यसृष्टि करनी पड़ी। 
                  मराठी भाषा, उर्दू-फारसी से दब गई थी। दूसरी ओर संस्कृत के पंडित देशभाषा मराठी का विरोध करते थे। इन्होंने मराठी के माध्यम से ही जनता को जाग्रत करने का बीड़ा उठाया।

हिन्दुओं, गाँठ बांध लो

*हिन्दुओं, गाँठ बांध लो !*

*🪢 कन्याओं का विवाह 21वें वर्ष में, और लड़कों का विवाह 24वें वर्ष की आयु तक हर स्थिति में हो जाना चाहिए !*

*🪢 फ्लैट भूलकर मत खरीदना ! जमीन खरीदो, और उस पर Independent मकान बनाओ ! वरना आपकी संतानों का भविष्य पिंजरे के पंछी की तरह हो जाएगा !*

*🪢 नयी युवा पीढ़ी को कम से कम तीन संतानों को जन्म देने के लिए प्रेरित करें !*

*🪢 गांव से नाता जोड़ कर रखें ! और गांव की पैतृक सम्पत्ति, और वहां के लोगों से नाता, जोड़कर रखें !*

*🪢 अपनी संतानों को अपने धर्म की शिक्षा अवश्य दें, और उनके मानसिक व शारीरिक विकास पर ध्यान दें !*

*🪢 हिन्दी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग करें, और प्रचार-प्रसार करें !*

*🪢 किसी भी जिहादी और आतंकवादी प्रवृत्ति के व्यक्ति से सामान लेने से बचें !*

*🪢 घर में बागवानी करने की आदत डालें, और यदि पर्याप्त जगह है, तो देशी गाय पालें !*

 *🪢 हर हिन्दू के घर वाल्मीकि रामायण, योग वशिष्ठ, भागवत गीता-वेद-उपनिषद होने चाहिए, जब होंगे तो पढ़ेंगे भी !*

*🔖 होली, दीपावली, नवरात्रि, दशहरा, मकर संक्रांति, जन्माष्टमी, राम नवमी, आदि जितने भी हिन्दू त्यौहार आयें, उनमें सामूहिक यज्ञ करें !*

*🪢 अपनी संतानों को प्रत्येक वर्ष एक विद्या प्रदान करें !*
 
*जैसे संगीत विद्या, योग विद्या, तैराकी, भोजन बनाने की विद्या और युद्ध विद्या - यानि अपनी संतानों को सशक्त बनाने में व्यस्त रखें !*

*🪢 वर्ष मर में कम से कम दो पैदल तीर्थ अवश्य करें !*

*🪢 प्रात: काल 5 बजे उठ जाएं, और रात्रि को 9 बजे तक सोने का नियम बनाएं !*

*🪢 यदि आपकी कोई एक संतान पढ़ाई में असक्षम है, तो उसको कोई भी हुनर (Skill) वाला ज्ञान दें !*
 
*🪢 आपकी प्रत्येक संतान को कम से कम तीन फोन नंबर स्मरण होने चाहिए, और आपको भी!*

*🪢 जब भी परिवार व समाज के किसी कार्यक्रम में जाएं, तो अपनी संतानों को भी ले जाएं ! इससे उनका मानसिक विकास सशक्त होगा !*

*🪢 परिवार के साथ मिल बैठकर भोजन करने का प्रयास करें, और भोजन करते समय मोबाइल फोन और टीवी बंद कर लें !*

*🪢 अपनी संतानों को बालीवुड की कचरा फिल्मों से बचाएं, और प्रेरणादायक फिल्में दिखाएं !*

*🪢 जंक फूड और फास्ट फूड से बचें !*

*🪢 सांयकाल के समय 10 मिनट भक्ति संगीत लगाएं !*

*🪢 दिखावे के चक्कर में पड़कर, व्यर्थ का खर्चा ना करें !*

*🪢 दो किलोमीटर तक जाना हो, तो पैदल जाएं, या साईकिल का प्रयोग करें !*

*🪢 अपनी संतानों के मन में किसी भी प्रकार के नशे के विरुद्ध चेतना उत्पन्न करें, तथा उसे विकसित करें !*

*🪢 सदैव सात्विक भोजन ग्रहण करें, अपने भोजन का ईश्वर को भोग लगा कर प्रसाद ग्रहण करें ! भोग में तुलसीदल जी को अवश्य सम्मिलित करें !*

*🪢 अपने आंगन में तुलसी का पौधा अवश्य लगायें, व नित्य प्रति दिन पूजा, दीपदान अवश्य करें !*

*🪢 अपने घर पर एक हथियार अवश्य रखें, ओर उसे चलाने का निरन्तर हवा में अकेले प्रयास करते रहें, ताकि विपत्ति के समय प्रयोग कर सकें ! जैसे - लाठी, हॉकी, गुप्ती, तलवार, भाला, त्रिशूल व बंदूक लाइसेंस के साथ !*

*🪢 घर में पुत्र का जन्म हो या कन्या का, खुशी बराबर मनाएँ ! दोनों जरूरी है ! अगर बेटियाँ नहीं होगी तो परिवार व समाज को आगे बढाने वाली बहुएँ कहाँ से आएगी और बेटे नहीं होंगे तो परिवार समाज व देश की रक्षा कौन करेगा !*
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*जय जय श्री राम ! अपने सभी मित्रों को भेज कर, उन्हें अपने सभी मित्रों को भेजने के लिए प्रेरित करें।*

70 साल के इस्लामी शासन के बाद भाजपा ने कश्मीर पर कब्जा किया।*

*70 साल के इस्लामी शासन के बाद भाजपा ने कश्मीर पर कब्जा किया।*

 *क्या तुम खुश नहीं हो?*


 *भाजपा और मोदी ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को रोका।*

 *क्या तुम खुश नहीं हो?*


 *मुसलमानों से राम जन्मभूमि वापस पाने के हमारे 700 साल पुराने सपने को मोदी ने लौटाया।*

*क्या तुम खुश नहीं हो?*

 *भाजपा अपने रक्षा बलों को अपडेट कर उन्हें घातक हथियारों से लैस कर रही है।*

 *क्या तुम खुश नहीं हो?*


 *भाजपा एनआरसी-सीएएम के जरिए अवैध मुसलमानों को खदेड़ रही है।*

 *क्या तुम खुश नहीं हो?*


 *भाजपा आपको और आपके पासपोर्ट को अहमियत और सम्मान दे रही है।*

 *क्या तुम खुश नहीं हो?*


 *भाजपा ने सभी तरह के आतंकवाद, बम विस्फोट और मंदिरों पर हमले बंद कर दिए हैं।*

 *क्या तुम खुश नहीं हो?*


 *मोदी भारत में अगली पीढ़ी के फाइटर जेट, मिसाइल, पनडुब्बी, आर्टिलरी, टैंक खरीद रहे हैं।*

 *क्या तुम खुश नहीं हो?*


 *मोदी ऐसे भारत का निर्माण कर रहे हैं जो चीन और दुनिया के किसी भी देश को चुनौती दे सके।*

 *क्या तुम खुश नहीं हो?*


 *मोदी सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को महाशक्ति बनाना चाहते हैं।*

 *क्या तुम उसके साथ नहीं हो?*


 *मोदी हर भारतीय के लिए शौचालय, हर युवा को अवसर, लाखों गरीब भारतीयों को सस्ती और अक्सर मुफ्त शिक्षा और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करके गरीबों का सम्मान कर रहे हैं।*

 *क्या तुम खुश नहीं हो?*


 *मोदी यूनाइटेड इस्लामिक और जिहादी ताकतों के कुछ निश्चित/आश्वासित/आसन्न हमलों से खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।*

 *आपने हाल ही में भारत की सड़कों पर उनका अहंकार और उद्देश्य देखा है। भीड़ लगभग 100% मुस्लिम थी और वे संसद द्वारा बनाए गए कानून को खुलेआम चुनौती दे रहे थे।*
 
*अगर भारत की केवल 20% आबादी ही ऐसा कर पाती, तो कल्पना कीजिए कि वे अब से दस साल बाद क्या करेंगे!*

 *भीड़ आपके शयनकक्ष में प्रवेश नहीं कर सकी क्योंकि मोदी आपके घर की रखवाली कर रहे थे, नहीं तो आप जानते हैं कि क्या होता।*

 *जागो हिन्दूओ! ! उठो*

*मुस्लिम शरण के लिए 58 देश हैं। अगर आपको भारत से जबरन बाहर कर दिया गया तो आप हिंदू बनकर कहां जाएंगे? *सोचिए। अपने बच्चों के बारे में सोचो। गौर कीजिए कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, कश्मीर, केरल और पश्चिम बंगाल के हिंदुओं के साथ क्या हुआ।*

 *समय निकल रहा है, या तो मोदी के साथ खड़े रहें/समर्थन/योगदान/काम/सहायता/सहायता/लड़ाई*

 *या.....फिर....*

 *नमाज़ पढ़ना सीखना शुरू करें, और - कहना दर्दनाक है - अपने परिवार की महिला सदस्यों के लिए घूंघट पहनना शुरू करें।*

 *कभी मत कहो कि आपको चेतावनी नहीं दी गई थी। अपने बच्चों और पोते-पोतियों को इस्लामी बर्बरता से बचाने का यह आखिरी मौका है। तू असफल रहा और तू पृथ्वी पर से मिटा दिया जाएगा। चुनाव तुम्हारा है।* *

 *छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज, महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान, दही सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह, वीर सावरकर, सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और कई अन्य शहीद स्वतंत्रता सेनानियों ने कायरों के लिए लड़ते हुए अपना जीवन बर्बाद कर दिया है। आप?*

 *इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, उत्तर देने का प्रयास करें।*
 *निर्णय लेने के लिए आपके पास साल/महीने नहीं हैं। इस्लाम पहले से ही आपके दरवाजे पर दस्तक दे रहा है।*

*क्या आप भयानक धावा बोल सुन सकते हैं?*

 *अगर आप सहमत हैं तो कृपया इस पोस्ट को दूसरे ग्रुप में भेजें।*

  *हिन्दु बचेगा तभी हिन्दुस्तान बचेगा...जय हिन्द..🚩🇮🇳*
🌷🙏🏻🌷

मीराबाई (23 मार्च,1498/जयंती)

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                     *(23 मार्च,1498/जयंती)*
                  भारत का राजस्थान प्रान्त वीरों की खान कहा जाता है; पर इस भूमि को श्रीकृष्ण के प्रेम में अपना तन-मन और राजमहलों के सुखों को ठोकर मारने वाली मीराबाई ने भी अपनी चरण रज से पवित्र किया है। हिन्दी साहित्य में रसपूर्ण भजनों को जन्म देने का श्रेय मीरा को ही है। साधुओं की संगत और एकतारा बजाते हुए भजन गाना ही उनकी साधना थी। मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई..गाकर मीरा ने स्वयं को अमर कर लिया।
                  मीरा का जन्म मेड़ता के राव रत्नसिंह के घर 23 मार्च, 1498 को हुआ था। जब मीरा तीन साल की थी, तब उनके पिता का और दस साल की होने पर माता का देहान्त हो गया। जब मीरा बहुत छोटी थी, तो एक विवाह के अवसर पर उसने अपनी माँ से पूछा कि मेरा पति कौन है ? माता ने हँसी में श्रीकृष्ण की प्रतिमा की ओर इशारा कर कहा कि यही तेरे पति हैं। भोली मीरा ने इसे ही सच मानकर श्रीकृष्ण को अपने मन-मन्दिर में बैठा लिया।
                  माता और पिता की छत्रछाया सिर पर से उठ जाने के बाद मीरा अपने दादा राव दूदाजी के पास रहने लगीं। उनकी आयु की बालिकाएँ जब खेलती थीं, तब मीरा श्रीकृष्ण की प्रतिमा के सम्मुख बैठी उनसे बात करती रहती थी। कुछ समय बाद उसके दादा जी भी स्वर्गवासी हो गये। अब राव वीरमदेव गद्दी पर बैठे। उन्होंने मीरा का विवाह चित्तौड़ के प्रतापी राजा राणा साँगा के बड़े पुत्र भोजराज से कर दिया। इस प्रकार मीरा ससुराल आ गयी; पर अपने साथ वह अपने इष्टदेव श्रीकृष्ण की प्रतिमा लाना नहीं भूली।
                  मीरा की श्रीकृष्ण भक्ति और वैवाहिक जीवन सुखपूर्वक बीत रहा था। राजा भोज भी प्रसन्न थे; पर दुर्भाग्यवश विवाह के दस साल बाद राजा भोजराज का देहान्त हो गया। अब तो मीरा पूरी तरह श्रीकृष्ण को समर्पित हो गयीं। उनकी भक्ति की चर्चा सर्वत्र फैल गयी। दूर-दूर से लोग उनके दर्शन को आने लगे। पैरों में घुँघरू बाँध कर नाचते हुए मीरा प्रायः अपनी सुधबुध खो देती थीं।
                  मीरा की सास, ननद और राणा विक्रमाजीत को यह पसन्द नहीं था। राज-परिवार की पुत्रवधू इस प्रकार बेसुध होकर आम लोगों के बीच नाचे और गाये, यह उनकी प्रतिष्ठा के विरुद्ध था। उन्होंने मीरा को समझाने का प्रयास किया; पर वह तो सांसारिक मान-सम्मान से ऊपर उठ चुकी थीं। उनकी गतिविधियों में कोई अन्तर नहीं आया। अन्ततः राणा ने उनके लिए विष का प्याला श्रीकृष्ण का प्रसाद कह कर भेजा। मीरा ने उसे पी लिया; पर सब हैरान रह गये, जब उसका मीरा पर कुछ असर नहीं हुआ।
                  राणा का क्रोध और बढ़ गया। उन्होंने एक काला नाग पिटारी में रखकर मीरा के पास भेजा; पर वह नाग भी फूलों की माला बन गया। अब मीरा समझ गयी कि उन्हें मेवाड़ छोड़ देना चाहिए। अतः वह पहले मथुरा-वृन्दावन और फिर द्वारका आ गयीं। इसके बाद चित्तौड़ पर अनेक विपत्तियाँ आयीं। राणा के हाथ से राजपाट निकल गया और युद्ध में उनकी मृत्यु हो गयी।
                  यह देखकर मेवाड़ के लोग उन्हें वापस लाने के लिए द्वारका गये। मीरा आना तो नहीं चाहती थी; पर जनता का आग्रह वे टाल नहीं सकीं। वे विदा लेने के लिए रणछोड़ मन्दिर में गयीं; पर पूजा में वे इतनी तल्लीन हो गयीं कि वहीं उनका शरीर छूट गया। इस प्रकार 1573 ई0 में द्वारका में ही श्रीकृष्ण की दीवानी मीरा ने अपनी देहलीला समाप्त की।

भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु (23 मार्च,1931/ बलिदान दिवस)

********** *भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु* *******
             *(23 मार्च,1931/ बलिदान दिवस)*
                  23 मार्च,1931 को अंग्रेज़ी सरकार ने भारत के तीन सपूतों - भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी पर लटका दिया था. स्वतंत्रता की लड़ाई में स्वयं को देश की वेदी पर चढ़ाने वाले यह नायक हमारे आदर्श हैं.
                  शहीद-ऐ-आज़म भगतसिंह का जन्म 28 सितम्बर 1907 को हुआ था.14 वर्ष की आयु में ही भगतसिंह ने सरकारी स्कूलों की पुस्तकें और कपड़े जला दिये थे.
                   महात्मा गाँधी ने जब चौरीचौरा काण्ड के बाद असहयोग आन्दोलन को समाप्त करने की घोषणा की तो भगतसिंह का अहिंसावादी विचारधारा से मोहभंग हो गया. उन्होंने 1926 में देश की आज़ादी के लिए नौजवान भारत की स्थापना की.
                  हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, संस्कृत, पंजाबी, बंगला और आयरिश भाषा के मर्मज्ञ चिन्तक और विचारक भगतसिंह भारत में समाजवाद के पहले व्याख्याता थे. भगतसिंह अच्छे वक्ता, पाठक और लेखक भी थे. उन्होंने *अकाली* और *कीर्ति* नामक दो अखबारों का सम्पादन भी किया.
                  जेल में भगतसिंह व उनके साथियों ने 64 दिनों तक भूख हड़ताल की. उनके एक साथी यतीन्द्र नाथ दास ने तो भूख हड़ताल में अपने प्राण ही त्याग दिये थे.
                 भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को केन्द्रीय असेम्बली में एक खाली स्थान पर बम फेंका था. इसके पश्चात् उन्होंने स्वयं गिरफ्तारी देकर अपना सन्देश दुनिया के सामने रखा.
                 उनकी गिरफ्तारी के पश्चात् उन पर एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जेपी साण्डर्स की हत्या का मुकदमा चला. लगभग दो वर्ष मुकदमा चलने के पश्चात् 23 मार्च 1931 को भगतसिंह, सुखदेव, तथा राजगुरु को फाँसी दे दी गई. 
                  शहीद सुखदेव : सुखदेव का जन्म 15 मई,1907 को पंजाब के लायलपुर में हुआ जो अब पाकिस्तान में है. भगतसिंह और सुखदेव के परिवार लायलपुर में पास-पास ही रहने से दोनों वीरों में गहरी दोस्ती थी तथा साथ ही दोनों लाहौर नेशनल कॉलेज के छात्र थे. साण्डर्स हत्याकाण्ड में भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव साथ थे.
                  शहीद राजगुरु : 24 अगस्त,1908 को पुणे जिले के खेड़ा में राजगुरु का जन्म हुआ. शिवाजी की छापामार शैली के प्रशंसक राजगुरु लाला लाजपत राय के विचारों से भी प्रभावित थे.
                  पुलिस की बर्बर पिटाई से लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए राजगुरु ने 19 दिसम्बर,1928 को भगतसिंह के साथ मिलकर लाहौर में अंग्रेज़ सहायक पुलिस अधीक्षक जेपी साण्डर्स को गोली मार दी थी और स्वयं ही गिरफ्तार हो गये थे.
                  ऐसे भारत माता के सपूत वीर क्रान्तिकारी शहीद-ऐ-आज़म भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान दिवस पर देश उन्हें कोटि-कोटि नमन् करता है.

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