कश्मीर मैं हिंदुओं के कत्लेआम का एकमात्र खलनायक यदि कोई है तो फारुख अब्दुल्ला है अफसोस कि कश्मीर का यह हिटलर कश्मीर में हिंदुओं का जीनोसाइड करने वाला फारूक अब्दुल्लाह एकदम आजाद घूम रहा है उसके ऊपर यह केस तक दर्ज नहीं हुआ
आप सोचिए मात्र 5 या 6 पीढ़ी पहले यह खुद एक कश्मीरी पंडित था फिर भी उसके मन में हिंदुओं के प्रति इतनी नफरत थी कि कश्मीर घाटी से हिंदुओं के कत्लेआम और हिंदुओं के सफाए से इसका मन नहीं भरा उसके बाद इसने कश्मीर घाटी में जो हिंदुओं की करोड़ों अरबों रुपए की प्रॉपर्टी थी उसको इसने मुसलमानों को देने के लिए एक षड्यंत्र रच दिया
लेकिन अफसोस 20 सालों तक यानी दो दशकों तक मीडिया ने कभी हिंदुओं की प्रॉपर्टी को मुफ्त में मुसलमानों को देने का फारुख अब्दुल्ला के षड्यंत्र के बारे में हमें नहीं बताया
फारुख अब्दुल्ला ने जो हिंदुओं की संपत्ति को मुसलमानों को मुफ्त में देने का षड्यंत्र रचा उस षड्यंत्र को रोशनी एक्ट कहते हैं
अब मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर का रोशनी एक्ट खत्म कर दिया
सोचिए आज तक किसी मीडिया ने हम लोगों को रोशनी एक्ट के बारे में बताया ही नहीं
यह रोशनी एक्ट कश्मीर छोड़कर भाग गए हिंदुओं के मकान दुकान और जमीन और खेत मुस्लिमो को देने का फारुख अब्दुल्ला द्वारा बनाया गया एक षड्यंत्र था जिसमें कांग्रेसी भी शामिल थी
1990 के दशक में जितने भी हिंदू कश्मीर से भागे उन्हें पाकिस्तान के मुसलमानों ने मार कर नहीं भगाया बल्कि उनके ही पड़ोसी जिनके साथ वह बचपन में सेवई खाते थे त्यौहार मनाते थे चाय पीते थे उन्हीं पड़ोसियों अब्दुल असलम गफ्फार ने मार मार कर भगाया
उसके बाद जब पूरा कश्मीर घाटी हिंदुओं से खाली हो गया तब फारुख अब्दुल्ला के पास कुछ मुस्लिम गए और बोले कि हिंदुओं के इन मकानों दुकानों जमीनों खेतों खलिहानो को मुसलमानों को देने के लिए आप कुछ नियम बनाइए
तब फारुख अब्दुल्ला ने एक रोशनी एक्ट बनाया और इस रोशनी एक्ट के द्वारा सिर्फ ₹101 में किसी भी हिंदू की जमीन खेत मकान या दुकान एक मुसलमान की हो जाती थी
शगुफा यह छोड़ा गया कि मुसलमानों के घरों के आसपास के घर जो हिंदुओं के थे वह नहीं है बिजली का कनेक्शन काट देने की वजह से उनके आसपास अंधेरा रहता है जिससे उनके लिए खतरा हो सकता है इसलिए ऐसे घरों को रोशन करना जरूरी है
इस तरह रोशनी एक्ट का ताना-बाना बना
चुकी हिंदू जब अपना सब कुछ छोड़ कर भाग गए तब बिजली का बिल नहीं चुका पाने की वजह से उनके खेतों के ट्यूबेल का या दुकानों का या घर का बिजली का कनेक्शन काट दिया गया.... फिर फारुख अब्दुल्ला ने एक रोशनी एक्ट बनाया जिसके द्वारा मात्र ₹101 फीस भरकर कोई भी मुसलमान अपने नाम से उस हिंदू के खेत खलिहान मकान दुकान के लिए बिजली का कनेक्शन लेने का आवेदन भर सकता था
इस तरह पहले उस मुसलमान के नाम बिजली का बिल जनरेट कर दिया जाता था उसके बाद कुछ ही सालों में उस वक्त हिंदू की मकान दुकान या खेत का पूरा मालिकाना हक उस मुसलमान को दे दिया गया
इस तरह इस जालिमाना रोशनी एक्ट द्वारा फारुख अब्दुल्ला ने कश्मीर घाटी के हजारों हिंदुओं की बेशकीमती प्रॉपर्टी मुसलमानों को मात्र 101 रुपये।में दे दी
और सबसे आश्चर्य की भारत की वामपंथी मीडिया कभी इस रोशनी एक्ट की चर्चा नहीं की
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