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मंगलवार, 16 जुलाई 2024

#प्यारा_हिंदुस्तान_व्हाट्सएप_ग्रुप_परिवारकी एक अच्छी पहल,एक ऐसा ग्रुप जो #देश_धर्म_समाज हित के लिए सोचता भी है लिखता भी है और #जमीनी_स्तर पर कार्य करता भी है

#प्यारा_हिंदुस्तान_व्हाट्सएप_ग्रुप_परिवार
की एक अच्छी पहल,
जब पहली बार सेवा करने गए तब का चित्र गले में दुपट्टा डाले हुए जो हे वो है *स्वामी गोपाल दास जी* इनकी प्रेरण से सेवा आरंभ हुई।
और जो व्हाइट कुर्ते पजामे में खडे है वो है *हरिकिशन जी गहलोत* जो प्यारा हिंदुस्तान परिवार के सहयोग से चारा ले जाते हे, जब से सेवा शुरू हुई है तब से आप ही रोज सुबह अपनी पत्नि के साथ स्वयं के वाहन में 5:30 से 6:00 बजे के बीच चारा वाले से चारा कर ले जाते हैं। इनका जितना धन्यवाद करे उतना कम है।

एक ऐसा ग्रुप जो #देश_धर्म_समाज हित के लिए सोचता भी है लिखता भी है और #जमीनी_स्तर पर कार्य करता भी है, भारत देश के भिन्न भिन्न राज्य शहर गांव ढाणी के मित्रो से बने ग्रुप ने एक और अच्छा कार्य किया है Swami Gopal Das जी की प्रेरणा से हम सभी प्यारा हिंदुस्तान परिवार मित्रो ने किसी ने 100 किसी ने 200 तो किसीने 500 रुपये की राशि गौ सेवा के लिए प्यारा हिंदुस्तान फंड के लिए दी, किसी ने कैश दी तो बाहर के मित्रो ने पेटीएम द्वारा बैंक एकाउंट द्वारा दी वो राशि मिलाकर आज गिरादडा गांव गौशाला में गाय माता को चारा देकर उपयोग कर रहे है, उसका शुभारंभ आज तिथि ग्यारस से किया है,आप सबकी प्रेरणा से सहयोग से ये पुण्य होता रहे यही अपेक्षा है
में प्यारा हिंदुस्तान के सभी मित्रो का आभार व्यक्त करता हु जो इस पुण्य कार्य मे सहयोग कर रहे है

*जय गौमाता🙏🏼😊🌹*

*कैसे शुरू हुई यह गौ सेवा*

यह गौ सेवा स्वामी गोपाल दास जी की प्रेरणा से शुरू की गई
इनकी प्रेरणा उनके आशीर्वाद से यह सेवा आज तक निरन्तर जारी है,
उनके सुझाव अनुसार प्रति व्यक्ति 100 रुपये गौ सेवा राशि निर्धारित की गई व केश का कार्य मुझे दिया गया, और देने वालो ने प्रतिमाह उदार मन से 100/200/300/500/1100/2100/6000 रुपये तक दिए और आज तक निरन्तर देते आ रहे है, व कई सदस्यों ने अपने जन्मदिन के अवसर पर व माता पिता के जन्मदिन व परिवार के किसी सदस्य की स्मृति मे भी विशेष सहयोग राशि दी है,
*जय गौमाता*

जब यह गौसेवा आरंभ हुई तो स्वामी गोपाल दास जी ने कहा था प्रत्येक सदस्य सिर्फ 100 रूपये दे, 100 रूपये भी बहुत होते हे सभी सदस्य दे तो। पर आप देख रहे हो कई सदस्य उदार हृदय से उससे भी ज्यादा दे रहे है। और आप देख भी रहे हे की इन्ही की बदौलत हर माह की पूर्ति हो रही है। मेरा सभी सदस्यो से निवेदन हे की आप इस सेवा का लाभ अवश्य ले 100 रूपये कोई ज्यादा नहीं है। आप नाम न लिखाना चाहे तो गुप्तदान भी दे सकते है पर सेवा अवश्य करे।

इस सेवा का सर्वप्रथम उपयोग 9 जुलाई 2018 तिथि एकादशी को *551 किलो हरा चारा रझको* *गिरादडा गांव श्री चारभुजा गौशाला* में किया गया पर वहां चारे की रोजाना जरूरत को देखते हुए रोज 200 रुपये का हरा चारा रझको भेजा जा रहा है,
जो आज तक भेजा जा रहा है व आप सभी के सहयोग से निरन्तर जारी रहेगा और इसका हिसाब में हर माह की पहली तारीखो को ग्रुप में लिखता हूँ,
*आप सभी सदस्यों से निवेदन है इस गौसेवा का अपने परिवार मित्रो को भी बताए ताकि उनमें भी गौसेवा का भाव जागे कोई 50 रुपये भी देता है तो भी ले क्योकि कण कण से घड़ा भरता है और सेवा के तो 50 रुपये भी 5 लाख के बराबर है*


जय गौमाता🙏🏻❣️
#जय_गौमाता🙏🏼
व्हाट्सएप ग्रुप का सदुपयोग करता
( प्यारा हिंदुस्तान परिवार )

*प्यार हिंदुस्तान एक ग्रुप ही नही बल्कि हिंदुत्व की वो पाठशाला है जो तन मन धन से #हिंदुत्व व गौसेवा को समर्पित है,,*

*स्वामी गोपाल दास जी* की प्रेरणा से पिछले "6 वर्ष" से रोज निरन्तर इस परिवार द्वारा "गिरादडा गांव चारभुजा नाथ गौशाला" में गौमाता हेतु नित्य चारा भेजा जा रहा है,, जो कि अब तक आपके सहयोग से 4 लाख से ऊपर सेवा भेज चुका है, व आप सभी सदस्यों के सहयोग से गोपुत्र एम्बुलेंस को 21 हजार की सहयोग राशि भेंट की गई उसी क्रम में आगे बढ़ते हुए प्यारा हिंदुस्तान के पर्यावरणप्रेमी दानदाताओं के सहयोग से गौशाला में 12 वृक्षो की नींव रखी गई पौधारोपण किया गया, और सबसे महत्वपूर्ण सबसे बड़ा दान #रक्तदान भी किया जाता है, इस ग्रुप के #रक्तयोद्धाओं ने जरूरत के समय व कोरोना कॉल में भी रक्तदान किया है,
इसके अलावा अन्य सामाजिक देशहित कार्यो में हमारा प्यारा हिंदुस्तान परिवार सहभागिता निभाता रहता है,, यह ग्रुप देश के उन सभी व्हाट्सएप ग्रुप के लिए प्रेरणा है कि हम व्हाट्सएप ग्रुप का उपयोग भी देश हित समाज हित गौ हित के लिये कर सकते है,,

नॉट इस ग्रुप में देश में 14 राज्यो के शहर गांव ढाणी से सदस्य जुड़े हुए है

जो भी सनातनी इस ग्रुप के माध्यम से गौसेवा का पुण्य करना करना चाहे उनका स्वागत है

गौसेवा राष्ट्रसेवा है
जय गौमाता जय चारभुजा नाथ🙏🏻

*इस जुलाई माह में गौसेवा को 6 वर्ष पूर्ण हुुए।*
*एकादशी तिथि से सेवा आरंभ हुई थी*

#जयश्रीराम #जय_वन्दे_गौमातरम🙏🏼🚩

क्या ये ही जिन्दगी है ? नहीं ??सब अपना नसीब साथ लेके आते हैं इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो । जीवन अपना है तो जीने के तरीके भी अपने रखो। शुरुआत आज से करो। क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा।

*जितनी बार पढ़ो उतनी बार जिंदगी का सबक दे जाती है ये कहानी ....*

जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो, दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई।

फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले शून्यों का अंतहीन खेल। 2- 3 वर्ष और निकल गए। बैंक में थोड़े और शून्य बढ़ गए। उम्र 25 हो गयी।

और फिर विवाह हो गया। जीवन की राम कहानी शुरू हो गयी। शुरू के एक 2 साल नर्म, गुलाबी, रसीले, सपनीले गुजरे । हाथो में हाथ डालकर घूमना फिरना, रंग बिरंगे सपने। पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए।

और फिर बच्चे के आने ही आहट हुई। वर्ष भर में पालना झूलने लगा। अब सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया। उठना बैठना खाना पीना लाड दुलार ।

समय कैसे फटाफट निकल गया, पता ही नहीं चला।
इस बीच कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया, बाते करना घूमना फिरना कब बंद हो गया दोनों को पता ही न चला।

बच्चा बड़ा होता गया। वो बच्चे में व्यस्त हो गयी, मैं अपने काम में । घर और गाडी की क़िस्त, बच्चे की जिम्मेदारी, शिक्षा और भविष्य की सुविधा और साथ ही बैंक में शुन्य बढाने की चिंता। उसने भी अपने आप काम में पूरी तरह झोंक दिया और मेने भी

इतने में मैं 35 का हो गया। घर, गाडी, बैंक में शुन्य, परिवार सब है फिर भी कुछ कमी है ? पर वो है क्या समझ नहीं आया। उसकी चिड चिड बढती गयी, मैं उदासीन होने लगा।

इस बीच दिन बीतते गए। समय गुजरता गया। बच्चा बड़ा होता गया। उसका खुद का संसार तैयार होता गया। कब 10वि आई और चली गयी पता ही नहीं चला। तब तक दोनों ही चालीस बयालीस के हो गए। बैंक में शुन्य बढ़ता ही गया।

एक नितांत एकांत क्षण में मुझे वो गुजरे दिन याद आये और मौका देख कर उस से कहा " अरे जरा यहाँ आओ, पास बैठो। चलो हाथ में हाथ डालकर कही घूम के आते हैं।"

उसने अजीब नजरो से मुझे देखा और कहा कि "तुम्हे कुछ भी सूझता है यहाँ ढेर सारा काम पड़ा है तुम्हे बातो की सूझ रही है ।"
कमर में पल्लू खोंस वो निकल गयी।

तो फिर आया पैंतालिसवा साल, आँखों पर चश्मा लग गया, बाल काला रंग छोड़ने लगे, दिमाग में कुछ उलझने शुरू हो गयी।

बेटा उधर कॉलेज में था, इधर बैंक में शुन्य बढ़ रहे थे। देखते ही देखते उसका कॉलेज ख़त्म। वह अपने पैरो पे खड़ा हो गया। उसके पंख फूटे और उड़ गया परदेश।

उसके बालो का काला रंग भी उड़ने लगा। कभी कभी दिमाग साथ छोड़ने लगा। उसे चश्मा भी लग गया। मैं खुद बुढा हो गया। वो भी उमरदराज लगने लगी।

दोनों पचपन से साठ की और बढ़ने लगे। बैंक के शून्यों की कोई खबर नहीं। बाहर आने जाने के कार्यक्रम बंद होने लगे।

अब तो गोली दवाइयों के दिन और समय निश्चित होने लगे। बच्चे बड़े होंगे तब हम साथ रहेंगे सोच कर लिया गया घर अब बोझ लगने लगा। बच्चे कब वापिस आयेंगे यही सोचते सोचते बाकी के दिन गुजरने लगे।

एक दिन यूँ ही सोफे पे बेठा ठंडी हवा का आनंद ले रहा था। वो दिया बाती कर रही थी। तभी फोन की घंटी बजी। लपक के फोन उठाया। दूसरी तरफ बेटा था। जिसने कहा कि उसने शादी कर ली और अब परदेश में ही रहेगा।

उसने ये भी कहा कि पिताजी आपके बैंक के शून्यों को किसी वृद्धाश्रम में दे देना। और आप भी वही रह लेना। कुछ और ओपचारिक बाते कह कर बेटे ने फोन रख दिया।

मैं पुन: सोफे पर आकर बेठ गया। उसकी भी दिया बाती ख़त्म होने को आई थी। मैंने उसे आवाज दी "चलो आज फिर हाथो में हाथ लेके बात करते हैं "
वो तुरंत बोली " अभी आई"।

मुझे विश्वास नहीं हुआ। चेहरा ख़ुशी से चमक उठा।आँखे भर आई। आँखों से आंसू गिरने लगे और गाल भीग गए । अचानक आँखों की चमक फीकी पड़ गयी और मैं निस्तेज हो गया। हमेशा के लिए !!

उसने शेष पूजा की और मेरे पास आके बैठ गयी "बोलो क्या बोल रहे थे?"

लेकिन मेने कुछ नहीं कहा। उसने मेरे शरीर को छू कर देखा। शरीर बिलकुल ठंडा पड गया था। मैं उसकी और एकटक देख रहा था।

क्षण भर को वो शून्य हो गयी।
" क्या करू ? "

उसे कुछ समझ में नहीं आया। लेकिन एक दो मिनट में ही वो चेतन्य हो गयी। धीरे से उठी पूजा घर में गयी। एक अगरबत्ती की। इश्वर को प्रणाम किया। और फिर से आके सोफे पे बैठ गयी।

मेरा ठंडा हाथ अपने हाथो में लिया और बोली
"चलो कहाँ घुमने चलना है तुम्हे ? क्या बातें करनी हैं तुम्हे ?" बोलो !!
ऐसा कहते हुए उसकी आँखे भर आई !!......
वो एकटक मुझे देखती रही। आँखों से अश्रु धारा बह निकली। मेरा सर उसके कंधो पर गिर गया। ठंडी हवा का झोंका अब भी चल रहा था।

क्या ये ही जिन्दगी है ? नहीं ??

सब अपना नसीब साथ लेके आते हैं इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो । जीवन अपना है तो जीने के तरीके भी अपने रखो। शुरुआत आज से करो। क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा।
।।सीताराम।।

हिन्दुस्तान में रहने वाले बौद्ध, कबीरपंथी, अम्बेडकरवादि, मांसाहारी, शाकाहारी, साकारी, निराकारी सब हिन्दू हैं।

वो ठग या जनता मूर्ख... ?
सात लाख रूपये दीजिये तो "राधे मां ( जसबिंदर कौर) आपको गोद में बैठाकर आशीर्वाद देगी और पन्द्रह लाख रूपये दीजिये तो आप धूर्त ठग राधे माँ को किसी फाइव स्टार होटल में डिनर के साथ आशीर्वाद ले सकते हैं ! तब भी वो देवी है मूर्ख हिंदुओं की।

"निर्मल बाबा" है जो लाल चटनी और हरी चटनी में भगवान की कृपा दे रहा है ! रात दिन पूज रहा है।

"रामपाल" भक्त हैं जो कबीर को पूर्ण परब्रह्म परमात्मा मानते हैं ! ओर अपने नहाए हुए पानी को अपने भक्तों को पिला कर कृतार्थ करता है।

 "ब्रह्मकुमारी मत" वाले हैं जो दादा लेखराज के वचनों को सच्ची गीता बताते हैं और परमात्मा को बिन्दुरुप बताते हैं ! इन्होंने भगवद गीता भी फेल कर दी।

 "राधास्वामी" वाले अपने गुरु को ही मालिक परमेश्वर भगवान ईश्वर मानते हैं । वो साक्षात ईश्वर का अवतार है और वेद गलत है ।

"निरंकारी" है जिनका उद्धार करने वाला ही कई करोड़ की गाड़ी में 350 कई स्पीड पर भयंकर दुर्घटना में औरों के तो पता नही, अपना मिलन परमात्मा से करवा लेता है।

कुछ "चाँद मियाँ ऊर्फ साई बाबा" को भगवान बनाने पर तुले हैं मजार-मरघट-पीर-फकीर मर्दे कलंदर न जाने क्या-क्या सभी हिन्दू
हिन्दुस्तान में रहने वाले बौद्ध, कबीरपंथी, अम्बेडकरवादि, मांसाहारी, शाकाहारी, साकारी, निराकारी सब हिन्दू हैं।

लेकिन हिंदु सच में है कौन
खुद इन हिन्दुओ को नहीं पता

कब जागोगे आखिरकार हिंदुओं तुमने स्वयं ही वैदिक सनातन धर्म की सबसे ज्यादा हानि की है कोई विदेशी इसका जिम्मेदार नहीं है यह हैं हिंदू जिन्हें जिसने जैसा बेबकूफ बनाया वैसे बन गये।जिसने अपनी दुकान ज्यादा सजायी वो ही उतना बड़ा परमेश्वर हो गया ।

सच में हिंदुत्व का ऐसा विकृत रूप देखकर दुःख होता है।
आओ लौट चले, सत्य सनातन वैदिक धर्म की और,
पुनः विश्व मे वैदिक धर्म का परचम लहरायें भारत को पुनः आर्यवर्त बनाकर विश्व गुरू बनायें।. 

🙋जागो हिंदुओ जागो🙋🚩

बाबा लोगों को किसी भगवान पर विश्वास नहीं होता.. बाबा जी Z+ सिक्योरिटी में बैठकर कहते हैं कि," जीवन-मरण ऊपर वाले के हाथ में है" अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, पर सोचते नहीं हैं....

👉 बाबा जी हवाई जह़ाज में उड़ते हैं । सोने से लदे होते हैं ।
दौलत के ढेर पर बैठकर बोलते हैं कि," मोह-माया मिथ्या है, ये सब त्याग दो " लेकिन उत्तराधिकारी अपने बेटे को ही बनायेंगे.. अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, पर सोचते नहीं हैं.....

👉 भक्तों को लगता है कि उनके सारे मसले बाबा जी हल करते हैं, लेकिन जब बाबा जी मसलों में फंसते हैं, तब बाबा जी बड़े वकीलों की मदद लेते हैं.. अंधभक्त बाबा जी के लिये दुखी होते हैं, लेकिन सोचते नहीं हैं.....

👉भक्त बीमार होते हैं.. डॉक्टर से दवा लेते हैं.. 
जब ठीक हो जाते हैं तो कहते हैं, " बाबा जी ने बचा लिया "
पर जब बाबा जी बीमार होते हैं, तो बड़े डॉक्टरों से महंगे अस्पतालों में इलाज़ करवाते हैं. अंधभक्त उनके ठीक होने की दुआ करते हैं लेकिन सोचते नहीं हैं.....

👉 अंधभक्त अपने बाबा को भगवान समझते हैं...
उनके चमत्कारों की सौ-सौ कहानियां सुनाते हैं.

👉 जब बाबा जी किसी अपराध में जेल जाते हैं, तब वे कोई चमत्कार नहीं दिखाते.. तब अंधभक्त बाबा के लिये लड़ते-मरते हैं, लेकिन वे कुछ सोचते नहीं हैं.....
👉 इन्सान आंखों से अंधा हो तो उसकी बाकी ज्ञान इन्द्रियाँ ज़्यादा काम करने लगती हैं लेकिन अक्ल के अंधों की कोई भी ज्ञान इंद्री काम नहीं करती..

अतः जागृत बनें, तार्किक बनें।

इसलिए आओ लौट चलें वेदों की ओर...
वैदिक संस्कृति अपनाएं देश को फिर से आर्यावर्त बनाएं। 
🙏🏻🙏🏻🚩🕉️🚩🙏🏻🙏🏻

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