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शनिवार, 24 अगस्त 2024

ईश्वर महान है वो कुछ भी कर सकता है।

करिश्मा…
( एक कहानी )

यह कहानी बीहड़ के रेगिस्तान की है , जहाँ पर जब रेत के तूफान आते थे , तो सब तरफ अंधेरा सा छा जाता था और कुछ भी दिखाई नही देता था।

इसी बीहड़ के रेगिस्तान के एक गाँव में , एक औरत अपने 2 वर्ष के बच्चे को एक कपड़े के झूले में झूला झुला रही थी और अपनी मीठी आवाज़ में लोरी सुना रही थी। उस औरत का एक छोटा सा झोपड़ी नुमा घर था। जो मिट्टी और कुछ ईंटों से बना हुआ था।

वो औरत बहुत ममतामई निगाहों से अपने बच्चे को देख रही थी , पर उस सांवली सी दिखाई देने वाली औरत के चेहरे पर , चिंता की लकीरें साफ नज़र आ रही थी।

वह औरत विधवा थी और उस औरत की माली हालत बिल्कुल भी अच्छी नही थी। उस औरत के पास , अब बस महीने भर का अनाज बचा था और रेगिस्तान के बीहड़ में ऐसा होना , गुपचुप से संकट की ओर इशारा कर रहा था।

रेगिस्तान के बीहड़ में रहने वाले अधिकतर लोग किसान थे या मवेशी पालते थे और बीहड़ के गाँव में रहने वाले अधिकतर किसान साल भर का अनाज और जीवन उपयोगी वस्तुएँ , एक ही बार खरीद कर रख लेते थे। पर उस औरत के पति का देहांत हुए अभी कुछ ही महीने बीते थे और अब उस घर की सुरक्षा करने वाला और कमाने वाला कोई भी नही था। कभी इस मातम मनाते घर में , ढेर सारी खुशियाँ थी और उनके परिवार के अच्छे दिन थे। तब उनके पास तीन चार गाय थी जिसका दूध बेच कर उनकी अच्छी गुज़र बसर हो जाती थी। पर जब से उस औरत के पति का देहांत हुआ था , बीहड़ के गाँव में रहने वाली उस अकेली औरत पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। उस औरत के पति के गुज़र जाने के बाद , कुछ ही महीनों में , एक एक करके उनकी दो गाय भी गुज़र गई थी और अब उनके घर पर एक कमज़ोर सी दिखाई देने वाली गाय आँगन में बंधी थी और वह गाय भी ठीक समय पर चारा न मिलने की वजह से , बहुत कमज़ोर हो चुकी थी।

वह औरत अपनी मुसीबतों से अकेली लड़ रही थी। एक तरफ तो वो घर के रोज़मर्रा के कामों में जी जान से जुटी हुई थी और साथ ही वो अपने 2 वर्ष के छोटे बच्चे की देखभाल भी कर रही थी। पर इतनी मेहनत मुश्क्त करने के बाद भी और थक कर चूर हो जाने के बाद भी , उसकी आँखों में अपने बच्चे के लिये ममता कम नही हुई थी।

वह अपने बच्चे को लोरी सुनाती हुए सोच रही थी कि अगर उसकी परिस्थिति और भी खराब हो गई , तो वो पास के किसी गाँव में चली जायेगी और मेहनत मजदूरी कर लेगी पर अपने बच्चे को कोई भी कष्ट नही होने देगी।

बीहड़ के उस रेगिस्तान में , उस छोटे से कच्चे घर में , रात बहुत कयामत सी गुज़रती थी। एक तरफ वह औरत अपने छोटे बच्चे को कपड़े के बने झूले में डाल कर लोरियाँ देकर सुलाने की कोशिश कर रही होती थी और दूसरी तरफ रेगिस्तान की तेज़ हवाओं से उसके घर का किवाड़ बजता रहता था और घर के बाहर आँगन में बंधी गाय , रंभाती रहती थी। कुल मिलाकर यह सारा माहौल जैसे उस मासूम औरत की कठिन परीक्षा ले रहा था।
जब कभी उस औरत का बच्चा थोड़े समय के लिए सो जाता था , तब वह औरत अपने घर में बने एक छोटे से मंदिर में दिया जलाती थी और आँसु बहाते हुए ईश्वर से ये प्रार्थना करती थी कि " हे ईश्वर अभी सिर्फ तू ही हमारी रक्षा कर सकता है " और एक दिन उस औरत की ज़िन्दगी में एक करिश्मा हुआ।

उस समय सरकार की एक स्वास्थ्य अभियान की योजना के अंतर्गत बहुत से डॉक्टरों के दल गाँव गाँव भेजे जा रहे थे, जो अनपढ़ और गरीब लोग का मुफ्त इलाज कर रहे थे और छोटे बच्चों को चेचक प्लेग और पोलियो जैसी भयानक बीमारियों से लड़ने के लिए टीके लगा रहे थे। उसी योजना के अंतर्गत डॉक्टरों का एक दल , डॉक्टर अभय श्रीवास्तव के संचालन में उसी गाँव में आया हुआ था।

डॉक्टर अभय श्रीवास्तव एक ऐसे डॉक्टर थे , जो हिंदुस्तान में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद , विदेश से शिक्षा ले कर हिन्दुस्तान वापिस लौटे थे। 35 वर्षीय डॉक्टर अभय श्रीवास्तव बहुत अद्धभुत समझ बुझ वाले बहुत दयालु इंसान थे।

जब डॉक्टर अभय श्रीवास्तव अपने कुछ सहयोगी डॉक्टरों की टीम के साथ , उस औरत के घर के करीब पहुँचे , तब उन्होंने उस औरत के घर पर बहुत अद्धभुत नज़ारा देखा , उन्होंने देखा कि एक औरत अपने छोटे बच्चे को , घर के आंगन में लगे पेड़ पर बंधे एक कपड़े के झूले में , झूला झुला रही थी और अपनी मधुर और ममतामई आवाज़ में , अपने छोटे बच्चे को लोरी सुना रही थी।

वह दृश्य वास्तव में बेहद खूबसूरत था। उस समय आसपास का वातावरण बहुत शांत था और सुबह की गुनगुनी धूप उस सुखद दृश्य को चार चाँद लगा रही थी।

उस पल डॉक्टर अभय ने , अपने सब साथियों को खामोश रहने के लिए कहा और वह आँखें बंद करके उस औरत की लोरी को ध्यान मगन होकर सुन रहे थे और जब उस औरत का बच्चा सो गया , तब उस औरत का ध्यान टूटा और उसने देखा कि उसके घर के आँगन में कुछ लोग खड़े थे।
लोरी की मधुर आवाज़ बन्द होते ही डॉक्टर अभय ने अपनी आँखें खोली और उस औरत से बातचीत करने के लिये आगे बढ़े और उन्होंने उस औरत को अपना और अपने साथियों का परिचय दिया

उस औरत को बीहड़ के इस रेगिस्तान में अकेले देख कर डॉक्टर अभय बहुत हैरान थे। उन्होंने बातचीत करने के लिए उस औरत से कहा " आप बहुत अच्छा गाती हैं , हम काफी देर से आपकी मीठी आवाज़ का आनन्द ले रहे थे "

वह औरत बस मुस्करा भर दी थी , पर डॉक्टर अभय ने देखा कि अपनी तारीफ सुन कर भी उसे कुछ खास खुशी नही हुई थी। बस चेहरे पर एक बुझी बुझी सी मुस्कान चली आई थी।

फिर अपनी बातचीत के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए और उस औरत के घर पर एक सरसरी नज़र डालते हुए डॉक्टर अभय ने उस औरत से पूछा " आपके घर पर और कितने सदस्य रहते हैं "

ज़िन्दगी से मायूस उस औरत ने मुस्कराने की कोशिश करते हुए कहा " इस घर में मेरे बच्चे और मेरे सिवा और कोई भी नही रहता जी " वह औरत एक सीधी सादी बंजारन थी और बहुत भोली थी , उसे लाग लपेट कर बातचीत करनी नही आती थी और यह बात उसका चेहरा देख कर ही प्रकट होती थी।

" ओह " यह सुनते ही डॉक्टर अभय के चेहरे पर अफसोस के भाव उभर आये थे। वो अपनी पैनी निगाहों से घर की माली हालत को भांप रहे थे और उन्होंने घर के आँगन में बंधी उस कमज़ोर सी गाय को भी देख लिया था और उन्हें यह समझते देर नही लगी थी कि वह औरत बहुत कठिन दौर में से गुज़र रही है।

फिर भी उन से रहा नही गया और उन्होंने पूछ ही लिया " और आपके पति " उन्होंने देखा कि उनके इस सवाल से उस औरत के चेहरे पर बेहद पीड़ा भरे भाव उभरे थे और उस औरत ने डॉक्टर अभय को बताया कि उसके पति को गुज़रे हुए 6 महीने हो चुके हैं।

डॉक्टर अभय को उस औरत की उम्र 25 वर्ष के लगभग लग रही थी और इतनी कम उम्र में विधवा का जीवन व्यतीत करना पड़े , यह उस औरत पर बहुत बड़ा ज़ुल्म था। अपना सब काम निबटाने के बाद , जब डॉक्टर अभय वहाँ से जाने लगे , तब उन्होंने उस औरत की सहायता करने के लिये उस औरत को एक छोटा सा झूठ बोला। उन्होंने उस औरत से कहा कि उनका एक छोटा बच्चा है , जिसे किसी बीमारी की वजह से ठीक से नींद नही आती और उन्होंने उस औरत को गुज़ारिश की कि अगर वह एक बार फिर से वह लोरी गुनगुना दें , तो वो उस लोरी को अपने मोबाइल में रिकार्ड कर लेंगे और वह उस लोरी की रिकार्डिंग सुनाकर अपने बच्चे को भी सुलाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने बहुत प्रेम से उस बंजारन औरत से कहा कि " मुझे यकीन है कि आपकी मीठी आवाज़ सुनकर मेरा बच्चा सुख की मीठी नींद सो जायेगा "

उस औरत में माँ की ममता कूट कूट कर भरी हुई थी , वह डॉक्टर अभय के उस प्यार भरे आग्रह को टाल न सकी।

डॉक्टर अभय ने उस खूबसूरत लोरी को अपने मोबाईल फोन पर रिकार्ड कर लिया और पुरस्कार के तौर पर उस बंजारन औरत को 5000 रुपये दिये।
वह औरत बहुत हैरागी सी डॉक्टर अभय को देख रही थी। पहली बार उसने वह पैसे लेने से इनकार कर दिया था और भोलेपन से डॉक्टर अभय से ये कहा था कि इतने मामूली से काम के मैं इतने पैसे कैसे ले सकती हूँ।

वह बेचारी गाँव की रहने वाली थी और उस में लालच लेशमात्र भी नही था। पर डॉक्टर अभय की ज़िद के आगे उस औरत की एक न चली थी और उस औरत को डॉक्टर अभय की दी हुई धनराशि स्वीकार करनी पड़ी। अपने कार्य को ठीक से अंजाम देने के बाद , डॉक्टर अभय की टीम वापिस शहर लौट गई।

इतने सारे पैसे एक साथ देख कर , उस औरत की आँखों में मारे खुशी के आँसु आ गये थे और उसने उन पैसों से अनफन में अपने घर में कुछ महीने का राशन भर लिया था। अब वो थोड़ी सी निश्चिंत सी लग रही थी और ईश्वर का धन्यवाद कर रही थी कि घर बैठे ईश्वर ने उसके लिये मदद भेज दी थी।

उधर डॉक्टर अभय उस औरत की मीठी आवाज़ से बहुत प्रभावित थे और साथ ही उन्हें उस औरत और उसके बच्चे के भविष्य की चिंता हो रही थी। वह जानते थे कि रेगिस्थान के उस बीहड़ में रह कर अपनी और अपने बच्चे की देख भाल करना , उस औरत के लिये एक टेड़ी खीर साबित होगा।

डॉक्टर अभय जब शहर वापिस लौटे , तो उन्होंने उस औरत की वीडियो रिकार्डिंग को अपने कुछ उन दोस्तों को दिखाया , जो संगीत के क्षेत्र में स्थापित थे। डॉक्टर अभय के सब दोस्तों को उस बंजारन औरत की आवाज़ बहुत भा गई थी। डॉक्टर अभय के सभी दोस्त , डॉक्टर अभय का बहुत सम्मान करते थे। डॉक्टर अभय ने अपने सब दोस्तों से अनुरोध किया कि हो सके अगर तो उस बंजारन औरत की मदद करिये , वो बहुत कठिन परिस्थितियों से जूँझ रही है। डॉक्टर अभय श्रीवास्तव ने , उन्हें उस बंजारन औरत का अतापता दिया और उनसे आश्वासन लिया कि वह सब उस बंजारन औरत की सहायता ज़रूर करेंगे। उन सब सिलसिलों से निबट कर , वह अपने कार्यों में व्यस्त हो गये और कुछ महीनों के बाद वह हिन्दुस्तान से बाहर विदेश चले गये।

आज तीस वर्षों के बाद डॉक्टर अभय श्रीवास्तव हिन्दुस्तान वापिस लौटे थे और एक बहुत शानदार पाँच सितारा होटल में अपने परिवार के साथ डिनर कर रहे थे।

तब डॉक्टर अभय श्रीवास्तव ने देखा कि एक अधेड़ सी उम्र की दिखाई देने वाली महिला उनके टेबल की ओर चली आ रही है। वह हैरान से उस औरत को पहचानने की कोशिश कर रहे थे पर उन्हें कुछ भी याद नही आ रहा था।

वो महिला मुस्कराती सी उनके बहुत करीब आ गई थी और उनके निकट आते ही उसने डॉक्टर अभय को नमस्ते कहा। फिर उस महिला ने कुछ मुस्कराते हुए डॉक्टर अभय से कहा " क्या आपने मुझे पहचाना डॉक्टर साहब " डॉक्टर अभय श्रीवास्तव ने देश और विदेश में हज़ारों मरीजों का ईलाज किया था। उन्होंने अपनी याददाश्त पर बहुत जोर डाला पर फिर भी वो उस महिला को पहचानने में असफल रहे थे।

कुछ पल रुक कर , उस अमीर सी दिखाई देने वाली महिला ने डॉक्टर अभय से कहा " मैं रेगिस्थान के बीहड़ में रहने वाली वो ही बंजारन हूँ , जिसकी अपने आज से ठीक 30 साल पहले 5000 रुपया देकर मदद की थी "

उस महिला की बात सुनकर , उन्हें सब याद आ गया , पर फिर भी उन्हें अपनी आँखों पर यकीन नही हो रहा था। वह उस महिला की बात सुनकर बहुत खुश थे और अभी तक आश्चर्यचकित से खड़े थे। वह बरसों पुराने उस किस्से को याद करने की कोशिश कर रहे थे और उन्हें रेगिस्थान की उस बंजारन में और उस सभ्य सी दिखाई देने वाली महिला में ज़मीन आसमान का अंतर दिखाई दे रहा था।

उन्होंने अपनी कुर्सी से उठकर उस औरत का स्वागत किया और अपने परिवार के साथ बैठने के लिये उस महिला को आमंत्रित किया।

तब उस महिला ने उन्हें बताया कि वह अपने बेटे और बहू के साथ आई है और उनके ठीक पीछे की टेबल पर अपने परिवार सहित बैठी है।

दो परिवारों का बहुत प्रेम से मिलन हुआ और उस बंजारन औरत ने , जो अब बहुत बड़ी गायिका बन चुकी थी अपने सारे परिवार को बताया कि कैसे डॉक्टर अभय ने उनकी मदद की थी , जिससे वो इतने ऊँचे मुकाम पर पहुँच पाई थी। उस महिला ने डॉक्टर अभय श्रीवास्तव को बताया कि उनके विदेश चले जाने के बाद , कैसे उनके दोस्तों ने उसकी मदद की थी और उसे संगीत की दुनिया में नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया था।

बरसों के बाद डॉक्टर अभय को अपनी आँखों के सामने देख कर , उस महिला की आँखों से झर झर आँसु बह रहे थे और वो हाथ जोड़े डॉक्टर अभय श्रीवास्तव के सामने खड़ी थी।

उसने डॉक्टर अभय श्रीवास्तव को बताया कि उसने उन्हें ढूंढने की बहुत कोशिश की थी , पर असफल रही थी क्योंकि डॉक्टर अभय श्रीवास्तव उस समय विदेश में थे।

वह बंजारन महिला कुछ समय के बाद ही जान गई थी कि डॉक्टर अभय ने उसे झूठ बोल कर 5000 रुपये की मदद दी थी। वो इस बात को जान गई थी कि उस समय तक डॉक्टर अभय की खुद की शादी भी नही हुई थी, फिर उनके बच्चे का तो सवाल ही पैदा नही होता था। फिर ऐसे देवता जैसे इंसान को कोई कैसे भूल सकता था।

वो कहते हैं न कि ईश्वर की मर्ज़ी के बिना कहीं पर एक पत्ता भी नही हिलता और यह बात पत्थर पर पड़ी लकीर की भांति सत्य है। जब भी किसी नेक इंसान को ईश्वर की सहायता की ज़रूरत पड़ती है और वो सच्चे मन से ईश्वर को याद करता है, तब ईश्वर किसी न के रूप में आकर उसकी मदद ज़रूर करता है। पर यह बात और है कि " उन हैरान कर देने वाले करिश्मों को सिर्फ कुछेक लोग ही जान पाते हैं कि कैसे किसी के जीवन में सिर्फ क्षण भर में जीवनभर के सारे अंधकार मिट गये थे और ईश्वरीय रोशनी हो गई थी।

ईश्वर महान है वो कुछ भी कर सकता है।

शुक्रवार, 23 अगस्त 2024

बॉस ने पूछा ~ इससे पहले कि आप भारत में कहां काम करते थे? भारतीय ~ जी! मैं .. एक निजी अस्पताल में कंपाउंडर था.

 

सिरदर्द ....एक भारतीय ने अपनी नौकरी छोड़ दी


कनाडा में दुनिया की सबसे बड़ी

डिपार्टमेंटल स्टोर में

सेल्समैन की नौकरी ज्वाइन की।

बॉस ने पूछा ~

क्या आपके पास कोई अनुभव है?

उसने कहा ~ हाँ सर !

मैं भारत में सेल्समैन था।

पहला दिन उस भारतीय ने

पूरे मन से काम किया।

शाम 6 बजे बॉस ने पूछा ~

आज पहला दिन है...

आपने कितनी बिक्री की?

भारतीय ने कहा ~

सर ! मैंने 1 बिक्री की।

बॉस चौंक कर बोला ~ क्या...

केवल एक सेल?

जो आम तौर पर यहाँ काम करते हैं

20 से 30 प्रत्येक सेल्समैन बेचते हैं

रोज़ाना करते हैं.

अच्छा ये बताओ...

तुमने कितने की बिक्री की.

9,33,005 डॉलर ~

भारतीय बोलो.

क्या? लेकिन तुमने ऐसा कैसे किया?

हैरानी से बॉस ने पूछा.

भारतीय बोला ~

एक व्यक्ति आया,

मैंने उसे थोड़ा सा

मछली पकड़ने का हुक बेचा,

फिर एक माजोला और फिर

आखिर में एक बड़ा हुक बेचा.

फिर मैंने उसे एक बड़ी मछली पकड़ने वाली छड़ी दी

और कुछ मछली पकड़ने का सामान बेचा.

फिर मैंने उससे पूछा कि ~

तुम मछली कहाँ पकड़ोगे?

उसने कहा कि वह

तटीय क्षेत्र में पकड़ेगा.

फिर मैंने कहा इसके लिए

नाव की ज़रूरत होगी.

तो मैं उसे नीचे ले गया

उसे नाव विभाग में ले गया और उसे

20 फीट डबल इंजन

👉 स्कूनर नाव बेची.

जब उसने कहा कि यह नाव उसकी है

वोक्स वैगन में नहीं आएगी,

फिर मैंने उसे अपना

ऑटोमोबाइल सेक्शन में ले गया

और उसकी नई नाव कैरी

👉 डीलक्स 4×4 ब्लेज़र बेचा।

और जब मैंने उससे पूछा कि ~

मछली पकड़ने के दौरान तुम कहाँ रहोगी?

उसने कुछ भी प्लान नहीं किया था, इसलिए मैं

उसे कैंपिंग सेक्शन में ले गया, और

छह स्लीपर...

👉 कैंपर टेंट बेचा

और फिर उसने कहा कि

जब इतना कुछ ले लिया जाता है,

तो 200 डॉलर का किराना और

दो केस बीयर भी ले लूँगी।

अब बॉस दो कदम पीछे हटे, और

बहुत ही धमाकेदार अंदाज में

पूछना शुरू किया ~ तुमने इतना कुछ किया...

उस आदमी को बेचा, जो..

👉 सिर्फ़ एक मछली का हुक

खरीदने आया था।

नहीं सर! युवा भारतीय सेल्समैन ने

जवाब दिया ~ वह सिर्फ़...

सिरदर्द से राहत पाने के लिए

टैबलेट लेने आया था।

मैंने उसे समझाया कि ~

मछली पकड़ना

सिर दर्द से राहत पाना

सबसे बढ़िया उपाय है.

बॉस ने पूछा ~ इससे पहले कि आप

भारत में कहां काम करते थे?

भारतीय ~ जी! मैं ...

★ एक निजी अस्पताल में कंपाउंडर था.

घबराहट की मामूली शिकायत पर

हम मरीजों से हैं

पैथोलॉजी, इको, ईसीजी, टीएमटी,

सीटी स्कैन, एक्स-रे, एमआरआई

आदि जांच करवाते हैं.

बॉस ~ आप मेरी कुर्सी पर बैठिए.

मैं भारत में प्रशिक्षण के लिए

निजी अस्पताल

जॉइन करने जा रहा हूँ.

जय हिंद 🇮🇳

#बहन_बेटियों_सावधान 👬

 

#बहन_बेटियों_सावधान 👬

जब कोई रिश्तेदार मामा चाचा ताऊ फूफा मौसा पड़ोसी कज़िन भैया आदि प्रकार का रिश्ता किनारे रख कर तुमसे कहने लगे "रिश्ते अपनी जगह ,पर मैं तो तुम्हें अपनी फ्रेंड मानता हूँ।

तुम एक मॉर्डन गर्ल हो आज के ज़माने की तो पुराने टाइप के रिश्ते मत मानो।

"तो अपने माता पिता भाई को बता दो,,, क्योंकि उनकी नियत में खोट है।

फेसबुक के फ्रेंड किसी फ्रेंडशिप के प्रतीक नहीं हैं।

फेसबुक फ्रेंड मतलब फालतू के फ्रेंड, सिर्फ ऑनलाइन हैं ये,,,,इनसे जिंदगी पर तब तक कोई फर्क नही जबतक असल जिंदगी में न मिलो।

अतः फेसबुक पर उनकी फ्रेंड रिक्वेस्ट को संदेह से न देखो,,,,

पर इनबॉक्स और व्हाट्सअप में वीडियो कोटेशन शेयर करने लगें तो सावधान।

पुरुषों के हथकंडे -

वे तुमसे ऐसे बातें करेंगे कि दर्द आंखों से छलक पड़े

स्वयं को अपनी पत्नी के पिछड़ेपन से त्रस्त दिखाएंगे

खुद हैंडसम बने रह कर जताएंगे कि बहुत पुराने विचारों की पत्नी मिली है,दर्द किससे कहे,,,,,,

तुम अगर कह बैठी कि मुझसे कहिये,में हूँ न तो बस तुम्हारा जीवन उनके हवाले हो गया।

पत्नी को बीमार बता सकते हैं

पत्नी के अवैध संबंधों की झूठी बात बता कर सहानुभूति लूटेंगे,,,

तुम्हें सुंदर और इंटेलीजेंट बता कर काबू करेंगे,,,,

तुम में उन्हें अचानक ऐश्वर्या सानिया कल्पना चावला दिखने लगेगी।

तुम्हारी ममी पापा की ज़्यादा केअर शुरू करेंगे,,,,

तुम्हें वो गिफ्ट करना शुरू करेंगे जो पापा नहीं दे सकते

कोई कुछ कहेगा भी नहीं

उनसे रिश्ता ही ऐसा है अचानक गिफ्ट बढ़ जाएं

कपड़े ज़्यादा प्राप्त होने लगें घर आना जाना बढ़ जाये।

तुम्हें एग्जाम दिलाने वे स्वयं जाने लगे।

#सावधान

कोई पुरुष रिश्ते की आड़ में तुम्हें लूटने की तैयारी में है।

अच्छी नियत वाले भी अलग दिख जाते हैं,,

#सबसे_सुरक्षित_रहें।।

मां बाप सगे भाई बहन के अलावा इस समाज में कोई हितैषी हो ही नही सकता ।।।

🌷❣️ 🙏राधे राधे 🙏❣️🌷

सालाना सैलरी 30 करोड़ रुपए, काम - सिर्फ स्विच ऑन-ऑफ करना, फिर भी लोग नहीं करना चाहते ये नौकरी

 

World`s First Lighthouse: ऐसी नौकरी जिसमें ना नजर रखने वाला बॉस हो, ना काम करने की टेंशन हो. जब मर्जी हो सो जाओ, जब मन करे मजे करो और सैलरी भी 30 करोड़ रुपए, फिर भी लोग नहीं करना चाहते ये जॉब, आखिर क्‍यों?

Highest Paying Lighthouse Job Salary: करोड़ों का मोटा पैकेज, काम के घंटे न के बराबर और उस पर बॉस भी ना हो. ऐसी नौकरी का सुख स्‍वर्ग के सुख से कम नहीं है. यूं कहें कि ऐसी नौकरी हर कोई करना चाहता है लेकिन एक ऐसी ही नौकरी के लिए कैंडिडेट मिलना मुश्किल होता है. ये नौकरी है मिस्‍त्र के अलेक्‍जेंड्रिया बंदरगाह में फारोस नाम के द्वीप पर स्थित लाइटहाउस ऑफ अलेक्‍जेंड्रिया के कीपर की नौकरी. इस नौकरी के लिए सालाना सैलरी 30 करोड़ रुपए है.

इस लाइटहाउस के कीपर का एक ही काम है कि उसे इस लाइट पर नजर रखना होती है कि यह लाइट कभी बंद ना हो. फिर चाहे दिन के चौबीसों घंटे उसका जो मन करे, वो करे. यानी कि जब मन करे सो जाओ, जब जागने का मन हो उठो और एंजॉय करो, फिसिंग करो, समुद्री नजारे देखो. बस, एक बात का ध्‍यान रखना है कि लाइट हाउस की लाइट बंद ना होने पाए. यह लाइट हमेशा जलती रहे. फिर भी लोग इतने मोटे पैकेज वाली आरामदायक नौकरी करने की हिम्‍मत नहीं जुटा पाते हैं.

जान जाने का खतरा

इस नौकरी को दुनिया की सबसे कठिन नौकरी माना जाता है क्‍योंकि यहां व्‍यक्ति को पूरे समय अकेले रहना होता है. ना उससे कोई बात करने वाला होता है और ना ही उसे इंसान नजर आते हैं. समुद्र के बीचोंबीच बने इस लाइटहाउस को कई खतरनाक तूफान भी झेलने पड़ते हैं. कई बार तो समुद्री लहरें इतनी ऊंची उठती हैं कि लहरों से लाइफहाउस पूरी तरह ढंक जाता है. इससे लाइटहाउस कीपर का जान जाने का खतरा भी बना रहता है.

आखिर क्‍यों इतना जरूरी है यह लाइट जलना?

अब सवाल यह है कि इस लाइट हाउस को क्‍यों बनाया गया और इसकी लाइट जलते रहना इतना जरूरी क्‍यों है? एक बार मशहूर सेलर (नाविक) कैप्‍टन मेरेसियस इस ओर से निकल रहे थे. इस इलाके में बड़ी-बड़ी चट्टानें थीं, जो उन्‍हें रात के अंधेरे में तूफान के बीच दिखाई नहीं दीं. इससे उनकी नाव उलटी हो गई. कई क्रू मेंबर मारे गए, काफी नुकसान हुआ. कैप्‍टर मेरी को बहुत दूर जाकर जमीन मिली और वे मिस्‍त्र पहुंचे. अक्‍सर यहां की चट्टानों से समुद्री जहाजों को बहुत नुकसान होता था.

इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना

तब यहां के शासक ने आर्किटेक्‍ट को बुलाया और कहा कि समुद्र के बीच ऐसी मीनार बनाओ जहां से रोशनी की व्‍यवस्‍था की जा सके. इससे जहाजों को रास्‍ता भी दिखाया जा सके और उन्‍हें बड़े पत्‍थरों से भी बचाया जा सके. तब यह लाइट हाउस बनाया गया लेकिन जब यह बनकर तैयार हुआ तो उन्‍हें खुद ये अंदाजा नहीं था कि वह इंजीनियरिंग की दुनिया का बड़ा इंवेंशन होने वाला है.

इस लाइटहाउस का नाम रखा गया 'द फेरोस ऑफ अलेक्‍जेंड्रिया'. इस लाइटहाउस में लकडि़यों की मदद से बड़ी आग जलाई जाती थी और लेंस की मदद से उसे और बड़ा किया जाता था ताकि उसकी रोशनी दूर तक जा सके.

दुनिया का पहला लाइटहाउस

इस लाइटहाउस के कारण अब यहां नाविक आसानी से आने-जाने लगे. यह दुनिया का पहला लाइट हाउस था. इसके बाद दुनिया भर में लाइट हाउस बने. पहले लाइट हाउस केवल समुद्री किनारों पर बनते थे, लेकिन बाद में पत्‍थरों वाली जगहों पर भी लाइट हाउस बनने लगे. साथ ही समय के साथ बिजली की खोज हुई और लाइट हाउस पर बिजली से रोशनी की जाने लगी.

Various tattoo artists that nailed covering up scars and birthmarks!

 

Various tattoo artists that nailed covering up scars and birthmarks!

Source: Google

Quite smart move and amazing. ;)

बुधवार, 21 अगस्त 2024

घरेलू नुस्खे जो आपको रखेंगे सभी रोगों से दूर, यकीन न होतो आजमा कर देख ले।

जनोपयोगी नुस्खे
🌹🌼🌹🌼🌹🌼🌹
20 घरेलू नुस्खे जो आपको रखेंगे सभी रोगों से दूर, यकीन न होतो आजमा कर देख ले।

1👉 प्याज के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।

2👉 प्रतिदिन 1 अखरोट और 10 किशमिश बच्चों को खिलाने से बिस्तर में पेशाब करने की समस्या दूर होती है।

3👉 टमाटर के सेवन से चिढ़ चिढ़ापन और मानसिक कमजोरी दूर होती है।यह मानसिक थकान को दूर कर मस्तिस्क को तंदरुस्त बनाये रखता है। इसके सेवन से दांतो व् हड्डियों की कमजोरी भी दूर होती है।

4👉 तुलसी के पत्तो का रस,अदरख का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1चम्मच की मात्रा में दिन में 3 से 4 बार सेवन करने से सर्दी, जुखाम व खांसी दूर होती है।

5👉 चाय की पत्ती  की जगह तेज पत्ते की चाय पीने से सर्दी, जुखाम, छींके आना, नाक बहना ,जलन व सरदर्द में शीघ्र आराम मिलता है।

6👉 रोज सुबह खाली पेट हल्का गर्म पानी पीने से चेहरे में रौनक आती है वजन कम होता है, रक्त प्रवाह संतुलित रहता है और गुर्दे ठीक रहते है।

7👉 पांच ग्राम दालचीनी ,दो लवंग और एक चौथाई चम्मच सौंठ को पीसकर 1 लीटर पानी में उबाले जब यह 250 ग्राम रह जाए तब इसे छान कर दिन में 3 बार पीने से वायरल बुखार में आराम मिलता है।

8👉 पान के हरे पत्ते के आधे चम्मच रस में 2 चम्मच पानी मिलाकर रोज नाश्ते के बाद पीने से पेट के घाव व अल्सर में आराम मिलता है।

9👉 मूंग की छिलके वाली दाल को पकाकर यदि शुद्ध देशी घी में हींग-जीरे का तड़का लगाकर खाया जाए तो यह वात, पित्त, कफ तीनो दोषो को शांत करती है।

10👉  भोजन में प्रतिदिन 20 से 30 प्रतिशत ताजा सब्जियों का प्रयोग करने से जीर्ण रोग ठीक होता है उम्र लंबी होती है शरीर स्वस्थ रहता है।

11👉 भिन्डी की सब्जी खाने से पेशाब की जलन दूर होती है तथा पेशाब साफ़ और खुलकर आता है।

12👉  दो तीन चम्मच नमक कढ़ाई में अच्छी तरह सेक कर गर्म नमक को मोटे कपडे की पोटली में बांधकर सिकाई करने से कमर दर्द में आराम मिलता है।

13👉  हरी मिर्च में एंटी आक्सिडेंट होता है जो की शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और कैंसर से लड़ने में मदद करता है इसमें विटामिन c प्रचुर मात्रा में होता है जो की प्राकृतिक प्रतिरक्षा में सुधार करता है।

14👉  मखाने को देसी घी में भून कर खाने से दस्तो में बहुत लाभ होता है इसके नियमित सेवन से रक्त चाप , कमर दर्द, तथा घुटने के दर्द में लाभ मिलता है।

15👉  अधिक गला ख़राब होने पर 5 अमरुद के पत्ते 1 गिलास पानी में उबाल कर थोड़ी देर आग पर पका ठंडा करके दिन में 4 से 5 बार गरारे करने से शीघ्र लाभ होता है।

16👉 आधा किलो अजवाइन को 4 लीटर पान में उबाले 2 लीटर पानी बचने पर छानकर रखे, इसे प्रतिदिन भोजन के पहले 1 कप पीने से लिवर ठीक रहता है एवं शराब पीने की इच्छा नहीं होती।

17👉  नीम की पत्तियो को छाया में सुखा कर पीस लें, इस चूर्ण में बराबर मात्रा में कत्थे का चूर्ण मिला ले।इस चूर्ण को मुह के छालो पर लगाकर टपकाने से छाले ठीक होते है।

18👉  प्रतिदिन सेब का सेवन करने से ह्रदय,मस्तिस्क तथा आमाशय को समान रूप से शक्ति मिलती है तथा शरीर की कमजोरी दूर होती है।

19👉  20से 25 किशमिश चीनी मिटटी के बर्तन में रात को भिगो कर रख दें।सुबह इन्हें खूब चबा कर खाने से लो ब्लड प्रेसर में लाभ मिलता है व शरीर पुष्ट होता है।

20👉 अमरुद में काफी पोषक तत्व होते है .इसके नियमित सेवन से कब्ज दूर होती है और मिर्गी, टाईफाइड , और पेट के कीड़े समाप्त होते है।
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मंगलवार, 20 अगस्त 2024

छोटी बुआ….!!!!*रक्षाबंधन का त्यौहार पास आते ही मुझे सबसे ज्यादा जमशेदपुर (झारखण्ड )वाली बुआ जी की राखी के कूरियर का इन्तेज़ार रहता था.

*छोटी बुआ….!!!!*

रक्षाबंधन का त्यौहार पास आते ही मुझे सबसे ज्यादा जमशेदपुर (झारखण्ड )वाली बुआ जी की राखी के कूरियर का इन्तेज़ार रहता था.

कितना बड़ा पार्सल भेजती थी बुआ जी.

तरह-तरह के विदेशी ब्रांड वाले चॉकलेट,गेम्स, मेरे लिए कलर फूल ड्रेस , मम्मी के लिए साड़ी, पापाजी के लिए कोई ब्रांडेड शर्ट.

इस बार भी बहुत सारा सामान भेजा था उन्होंने.

पटना और रामगढ़ वाली दोनों बुआ जी ने भी रंग बिरंगी राखीयों के साथ बहुत सारे गिफ्टस भेजे थे.

बस रोहतास वाली जया बुआ की राखी हर साल की तरह एक साधारण से लिफाफे में आयी थी.

पांच राखियाँ, कागज के टुकड़े में लपेटे हुए रोली चावल और पचास का एक नोट.

मम्मी ने चारों बुआ जी के पैकेट डायनिंग टेबल पर रख दिए थे ताकि पापा ऑफिस से लौटकर एक नजर अपनी बहनों की भेजी राखियां और तोहफे देख लें...

पापा रोज की तरह आते ही टी टेबल पर लंच बॉक्स का थैला और लैपटॉप की बैग रखकर सोफ़े पर पसर गए थे.

"चारो दीदी की राखियाँ आ गयी है...

मम्मी ने पापा के लिए किचन में चाय चढ़ाते हुए आवाज लगायी थी...

"जया का लिफाफा दिखाना जरा...

पापा जया बुआ की राखी का सबसे ज्यादा इन्तेज़ार करते थे और सबसे पहले उन्हीं की भेजी राखी कलाई में बांधते थे....

जया बुआ सारे भाई बहनो में सबसे छोटी थी पर एक वही थी जिसने विवाह के बाद से शायद कभी सुख नहीं देखा था.

विवाह के तुरंत बाद देवर ने सारा व्यापार हड़प कर घर से बेदखल कर दिया था.

तबसे फ़ूफा जी की मानसिक हालत बहुत अच्छी नहीं थी. मामूली सी नौकरी कर थोड़ा बहुत कमाते थे .

बेहद मुश्किल से बुआ घर चलाती थी.

इकलौते बेटे श्याम को भी मोहल्ले के साधारण से स्कूल में डाल रखा था. बस एक उम्मीद सी लेकर बुआ जी किसी तरह जिये जा रहीं थीं...

जया बुआ के भेजे लिफ़ाफ़े को देखकर पापा कुछ सोचने लगे थे...

"गायत्री इस बार रक्षाबंधन के दिन हम सब सुबह वाली पैसेंजर ट्रेन से जया के घर रोहतास (बिहार )उसे बगैर बताए जाएंगे...

"जया दीदी के घर..!!

मम्मी तो पापा की बात पर एकदम से चौंक गयी थी...

"आप को पता है न कि उनके घर मे कितनी तंगी है...

हम तीन लोगों का नास्ता-खाना भी जया दीदी के लिए कितना भारी हो जाएगा....वो कैसे सबकुछ मैनेज कर पाएगी.

पर पापा की खामोशी बता रहीं थीं उन्होंने जया बुआ के घर जाने का मन बना लिया है और घर मे ये सब को पता था कि पापा के निश्चय को बदलना बेहद मुश्किल होता है...

रक्षाबंधन के दिन सुबह वाली धनबाद टू डेहरी ऑन सोन पैसेंजर से हम सब रोहतास पहुँच गए थे.

बुआ घर के बाहर बने बरामदे में लगी नल के नीचे कपड़े धो रहीं थीं....

बुआ उम्र में सबसे छोटी थी पर तंग हाली और रोज की चिंता फिक्र ने उसे सबसे उम्रदराज बना दिया था....

एकदम पतली दुबली कमजोर सी काया. इतनी कम उम्र में चेहरे की त्वचा पर सिलवटें साफ़ दिख रहीं थीं...

बुआ की शादी का फोटो एल्बम मैंने कई बार देखा था. शादी में बुआ की खूबसूरती का कोई ज़वाब नहीं था. शादी के बाद के ग्यारह वर्षो की परेशानियों ने बुआ जी को कितना बदल दिया था.

बेहद पुरानी घिसी सी साड़ी में बुआ को दूर से ही पापा मम्मी कुछ क्षण देखे जा रहे थे...

पापा की आंखे डब डबा सी गयी थी.

हम सब पर नजर पड़ते ही बुआ जी एकदम चौंक गयी थी.

उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे और क्या प्रतिक्रिया दे.

अपने बिखरे बालों को सम्भाले या अस्त व्यस्त पड़े घर को दुरुस्त करे.उसके घर तो बर्षों से कोई मेहमान नहीं आया था...

वो तो जैसे जमाने पहले भूल चुकी थी कि मेहमानों को घर के अंदर आने को कैसे कहा जाता है...

बुआ जी के बारे मे सब बताते है कि बचपन से उन्हें साफ सफ़ाई और सजने सँवरने का बेहद शौक रहा था....

पर आज दिख रहा था कि अभाव और चिंता कैसे इंसान को अंदर से दीमक की तरह खा जाती है...

अक्सर बुआ जी को छोटी मोटी जरुरतों के लिए कभी किसी के सामने तो कभी किसी के सामने हाथ फैलाना होता था...

हालात ये हो गए थे कि ज्यादातर रिश्तेदार उनका फोन उठाना बंद कर चुके थे.....

एक बस पापा ही थे जो अपनी सीमित तनख्वाह के बावजूद कुछ न कुछ बुआ को दिया करते थे...

पापा ने आगे बढ़कर सहम सी गयी अपनी बहन को गले से लगा लिया था.....

"भैया भाभी मन्नू तुम सब अचानक आज ?

सब ठीक है न...?

बुआ ने कांपती सी आवाज में पूछा था...

"आज वर्षों बाद मन हुआ राखी में तुम्हारे घर आने का..

तो बस आ गए हम सब...

पापा ने बुआ को सहज करते हुए कहा था.....

"भाभी आओ न अंदर....

मैं चाय नास्ता लेकर आती हूं...

जया बुआ ने मम्मी के हाथों को अपनी ठण्डी हथेलियों में लेते हुए कहा था.

"जया तुम बस बैठो मेरे पास. चाय नास्ता गायत्री देख लेगी."

हमलोग बुआ जी के घर जाते समय रास्ते मे रूककर बहुत सारी मिठाइयाँ और नमकीन ले गए थे......

मम्मी किचन में जाकर सबके लिए प्लेट लगाने लगी थी...

उधर बुआ कमरे में पुरानी फटी चादर बिछे खटिया पर अपने भैया के पास बैठी थीं....

बुआ जी का बेटा श्याम दोड़ कर फ़ूफा जी को बुला लाया था.

राखी बांधने का मुहूर्त शाम सात बजे तक का था.मम्मी अपनी ननद को लेकर मॉल चली गयी थी सबके लिए नए ड्रेसेस खरीदने और बुआ जी के घर के लिए किराने का सामान लेने के लिए....

शाम होते होते पूरे घर का हुलिया बदल गया था

नए पर्दे, बिस्तर पर नई चादर, रंग बिरंगे डोर मेट, और सारा परिवार नए ड्रेसेस पहनकर जंच रहा था.

न जाने कितने सालों बाद आज जया बुआ की रसोई का भंडार घर लबालब भरा हुआ था....

धीरे धीरे एक आत्म विश्वास सा लौटता दिख रहा था बुआ के चेहरे पर....

पर सच तो ये था कि उसे अभी भी सब कुछ स्वप्न सा लग रहा था....

बुआ जी ने थाली में राखियाँ सज़ा ली थी

मिठाई का डब्बा रख लिया था

जैसे ही पापा को तिलक करने लगी पापा ने बुआ को रुकने को कहा.

सभी आश्चर्यचकित थे...

" दस मिनट रुक जाओ तुम्हारी दूसरी बहनें भी बस पहुँचने वाली है. "

पापा ने मुस्कुराते हुए कहा तो सभी पापा को देखते रह गए....

तभी बाहर दरवाजे पर गाड़ियां के हॉर्न की आवाज सुनकर बुआ ,मम्मी और फ़ूफ़ा जी दोड़ कर बाहर आए तो तीनों बुआ का पूरा परिवार सामने था....

जया बुआ का घर मेहमानों से खचाखच भर गया था.

महराजगंज वाली नीलम बुआ बताने लगी कि कुछ समय पहले उन्होंने पापा को कहा था कि क्यों न सब मिलकर चारो धाम की यात्रा पर निकलते है...

बस पापा ने उस दिन तीनों बहनो को फोन किया कि अब चार धाम की यात्रा का समय आ गया है..

पापा की बात पर तीनों बुआ सहमत थी और सबने तय किया था कि इस बार जया के घर सब जमा होंगे और थोड़े थोड़े पैसे मिलाकर उसकी सहायता करेंगे.

जया बुआ तो बस एकटक अपनी बहनों और भाई के परिवार को देखे जा रहीं थीं....

कितना बड़ा सरप्राइस दिया था आज सबने उसे...

सारी बहनो से वो गले मिलती जा रहीं थीं...

सबने पापा को राखी बांधी....

ऐसा रक्षाबन्धन शायद पहली बार था सबके लिए...

रात एक बड़े रेस्त्रां में हम सभी ने डिनर किया....

फिर गप्पे करते जाने कब काफी रात हो चुकी थी....

अभी भी जया बुआ ज्यादा बोल नहीं रहीं थीं.

वो तो बस बीच बीच में छलक आते अपने आंसू पोंछ लेती थी.

बीच आंगन में ही सब चादर बिछा कर लेट गए थे...

जया बुआ पापा से किसी छोटी बच्ची की तरह चिपकी हुई थी...

मानो इस प्यार और दुलार का उसे वर्षों से इन्तेज़ार था.

बातें करते करते अचानक पापा को बुआ का शरीर एकदम ठंडा सा लगा तो पापा घबरा गए थे...

सारे लोग जाग गए पर जया बुआ हमेशा के लिए सो गयी थी....

पापा की गोद में एक बच्ची की तरह लेटे लेटे वो विदा हो चुकी ..

पता नही कितने दिनों से बीमार थीं....

और आज तक किसी से कही भी नही थीं...

आज सबसे मिलने का ही आशा लिये जिन्दा थीं शायद...!!

😥😥😥😥😩

 🙏🙏

रक्षाबंधन से श्रवण कुमार का संबंध

रक्षाबंधन से श्रवण कुमार का संबंध
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वास्तविक कारण चूँकि कारण थोड़ा दुःखद है तो शायद लोक परम्परा ने कारण को भुला दिया किंतु वचन को जिंदा रखा !
तो मूल घटना इस प्रकार है....!!👇 

श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को नेत्रहीन माता पिता का एकमात्र पुत्र श्रवण कुमार अपने माता पिता को कांवड में बिठा कर तीर्थ यात्रा कर रहे थे ,मार्ग में प्यास लगने पर वे एक बार रात्रि के समय जल लाने गए थे, वहीं कहीं हिरण की ताक में दशरथ जी छुपे थे। उन्होंने घड़े के में पानी भरने से हवा के बुलबुलों के निकलने के शब्द को पशु का शब्द समझकर शब्द भेदी बाण छोड़ दिया, जिससे श्रवण की मृत्यु हो गई।

श्रवण कुमार ने मरने से पहले दशरथ से वचन लिया कि वे ही अब उनके बदले माता पिता को जल पिलाएँगे। दशरथ ने जब यह कार्य करना चाहा तो नेत्रहीन माता पिता ने अपने पुत्र के अनुपस्थित रहने का कारण पूछा तो दशरथ ने उन्हें सत्य बताया। यह सुनकर उनके माता-पिता बहुत दुखी हुए। तब दशरथ जी ने अज्ञान वश किए हुए अपराध की क्षमा याचना की।
 
श्रवण कुमार के माता पिता ने अपने एक मात्र पुत्र के मर जाने पर अपना वंश नष्ट हो जाने का शोक व्यक्त किया तब दशरथ ने श्रवण के माता-पिता को आश्वासन दिया कि वे श्रावणी को श्रवण पूजा का प्रचार प्रसार करेंगे। अपने वचन के पालन में उन्होंने श्रावणी को श्रवण पूजा का सर्वत्र प्रचार किया।
 
उस दिन से संपूर्ण सनातनी श्रवण पूजा करते हैं और उक्त रक्षा सूत्र सर्वप्रथम श्रवण को अर्पित करते हैं।

भारतीय लोक परम्परा पर प्रश्न उठाने वाले अनेक इतिहास कार अक्सर यह प्रश्न उठाते हैं कि यदि यह सत्य है तो प्रमाण क्या है।राम जन्म भूमि के संदर्भ में न्यायालय में यह प्रश्न बार बार उठा विद्वान वकीलों ने मुक़द्दमा जीतने के लिए यहाँ तक घोषणा कर डाली कि राम कभी हुए ही नहीं !

दिन भर के प्रयास मात्र से मिली यह कथा बताती है कि
मुख और कान से ज़िंदा रखा गया इतिहास कितना शक्ति शाली है कि राम जन्म से पूर्व एक साधारण ग़रीब पितृभक्त बालक की गाथा को कितने चतुराई से ज़िंदा रखा है ।

हमारे द्वारा बनाए जाने वाला चित्र भी लगभग ऐसा ही है किंतु यह अधिक श्रेष्ठ है। इसे गेरू और रुई लिपटी सींक से द्वार के ओर बनाते हैं और इसे ही तिलक पूजा कर राखी अभिमंत्रित कलावा बांधा चिपकाया जाता है। इसके बाद वही पूजा की थाली भाई को राखी बांधने के लिए प्रयुक्त होती है।

इसमें अधिक ध्यान देने की बात यह है कि इसे सरल ज्यामितिक त्रिकोण ,आयत वर्ग और वृत द्वारा ही बनाया गया ताकि चित्रकारी विशेषज्ञ की आवश्यकता न हो रंगोली बनाने वाली गृहणी ही आसानी से इसे बना सके !

एक प्रकार से देखा जाए तो यही कार्टून कला का प्रारम्भ भी कहा जा सकता है। भारत के हर प्रदेश में हर उत्सव पर रंगोली,मंडवा, गणगौर, सांझी आदि अनेक चित्र बनाए जाते हैं ,दिए गए वेब site पर मध्य प्रदेश मालव क्षेत्र में बनाए जाने वाले रेखा चित्र दिए गए हैं 

सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा और बच्चों को संस्कारी करने के लिए उपयोगी परम्परा है। भाई दीर्घायु हो इतना ही काफ़ी नहीं है। वह माता पिता की सेवा करने वाला भी हो।

राजा दशरथ का धर्म और वचन निभाने का उदाहरण देखिए कि मुझे जानें या न जाने लेकिन श्रवण कुमार को सब जानें !
आइए इस धरोहर को पुष्पित पल्लवित करें।

       🌹🙏 हर हर महादेव 🙏🌹
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