केसर --
- दुनिया भर के मसालों में यह सबसे महंगा है और एक से डेढ़ लाख रूपए किलो बिकता है। विश्व में मुख्य रूप से कश्मीर घाटी और ईरान में इसकी खेती होती है। इसके अलावा स्पेन में भी इसे उगाया जाता है। मगर गुणवत्ता में अव्वल नंबर पर हिन्दुस्तानी ज़ाफ़रान ही माना जाता है।
- असली केसर पानी में पूरी तरह घुल जाती है।केसर को पानी में भिगोकर कपडे पर रगडने से पीला केसरिया रंग निकले तो ये असली है।यदि पहले लाल रंग फिर बाद में पीला रंग निकले तो ये नकली है।
- यह उष्णवीर्य, उत्तेजक, पाचक, वात-कफ नाशक मानी गयी है।
- यह उत्तेजक, वाजीकारक, यौनशक्ति वर्धक, त्रिदोष नाशक, वातशूल शमन करने वाली है।
- यह मासिक धर्म ठीक करने वाली, त्वचा को निखारने वाली, रक्तशोधक, प्रदर और निम्न रक्तचाप को ठीक करने वाली भी है। कफ का नाश करने, मन को प्रसन्न रखने, मस्तिष्क को बल देने वाली, हृदय और रक्त के लिए हितकारी भी है।
- इसका उपयोग यूनानी नुस्खों में भी किया जाता है।
- केसर बुखार की शुरुवाती अवस्था में बुखार बाहर निकालता है ; पर तेज़ बुखार में , पित्त की अधिकता में इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए।
- गुलाब जल में केसर घिस कर आँखों में डालने से आँखों की रौशनी बढती है।
- महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द को दूर करने के लिए 2-2 रत्ती केसर दूध में घोलकर दिन में तीन बार देना फायदेमंद होता है।
- केसर और अकरकरा की गोलियाँ बनाकर सेवन करने से मासिक धर्म नियमित होता है।
- बच्चों को सर्दी, जुकाम, बुखार होने पर केसर की एक पंखुड़ी पानी में घोंटकर इसका लेप छाती, पीठ और गले पर लगाने से आराम होता है।
- चंदन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से सिर, आंख और मस्तिष्क को शीतलता, शांति और ऊर्जा मिलती है। इससे नाक से रक्त का गिरना बंद हो जाता है और सिर दर्द जल्द दूर होता है।
- बच्चे को सर्दी हो तो केसर की 1-2 पंखुड़ी 2-4 बूंद दूध के साथ अच्छी तरह घोंटें ताकि केसर दूध में घुल जाए। इसे एक चम्मच दूध में मिलाकर बच्चे को सुबह-शाम पिलाएं। इससे उसे काफी लाभ होगा। - माथे, नाक, छाती व पीठ पर लगाने के लिए केसर, जायफल व लौंग का लेप पानी में बनाएं और रात को सोते समय इसका लेप करें।
- केसर दूध पौरुष व कांतिवर्धक होता है।
- यह मूत्राशय, तिल्ली, यकृत (लीवर), मस्तिष्क व नेत्रों की तकलीफों में भी लाभकारी होती है। प्रदाह को दूर करने का गुण भी इसमें पाया जाता है।
- जाड़े में गर्म व गर्मी में ठंडे दूध के साथ केसर के उपयोग की सलाह दी जाती है।
- चोट लगने पर या त्वचा के झुलस जाने पर केसर का लेप लगाने से आराम मिलता है।
- पेट से जुड़ी अनेक परेशानियां, जैसे अपच, दर्द, वायु विकार आदि में केसर काफी उपयोगी साबित होती है।
- दूध में डालकर पिने से पेट के कीड़े समाप्त होते है।
- केसर को घी के साथ खाने से पुरानी कब्ज दूर होती है।
- 120 मिलीग्राम केसर को 50 मिली पानी में मिटटी के बर्तन में रात भर भिगोकर रखे। सुबह 20-25 किशमिश खाकर इस पानी को पिए।15 दिनों तक सेवन करने से ह्रदय की कमजोरी दूर होती है।
- केसर ठंड में उपयोग की जाने वाली एक बेहतरीन दवा है। आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार ठंड में रोजाना थोड़ी मात्रा में केसर लेने से शरीर में कई प्रकार के रोग नहीं होते हैं।इसका स्वभाव गर्म होता है। इसलिए औषधि के रूप में 250 मिलिग्राम व खाद्य के रूप में 100 मिलिग्राम से अधिक मात्रा में इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती।
- कई अध्ययनों से पता चला है कि गर्भवती महिला को प्रतिदिन दूध में केसर घोलकर पिलाने से जन्म लेने वाले शिशु का रंग गोरा होता है। इतना ही नहीं, यदि मां गर्भावस्था के दौरान केसर का सेवन करती है तो इससे उसका होने वाला बच्चा तंदुरुस्त होता है और कई तरह की बीमारियों से बचा रहता है। कई बार नवजात शिशु को सर्दी जकड़ लेती है। इससे कभी-कभी उसकी नाक भी बंद हो जाती है जिससे बच्चा मुंह से सांस लेने लगता है और हकलाने लगता है। ऐसी स्थिति में मां के दूध में केसर मिलाकर बच्चे के सिर और नाक पर मलें। इससे बच्चे को काफी आराम मिलता है और उसकी बेचैनी कम हो जाती है।
- अनेक लोग को शीत काल में कोल्ड-एलर्जी हो जाती है। अधिकतर सर्दी की शुरुआत व अंत के समय या तेज शीत लहर चलने पर नाक से पानी टपकना "नजला जुखाम" से पीड़ित हो जाते है| सर्दी के शुरू होने से पहले यानी दिवाली के बाद एक ग्राम केसर लाकर उसे खरल में बारीक पीस ले, फिर उस पीसी हुई केशर और २००-२५० ग्राम गुलाब जल को काँच की शीशी में डालकर रख दे। रोजाना सोते समय तीन वर्ष से अधिक के बच्चो को आधी चम्मच गिलास दुग्ध में; दस वर्ष से अधिक आयु वाले एक चम्मच गिलास दुग्ध में ;वृद्धो को दो चम्मच गिलास दुग्ध में प्रति रात्रि सोने से पहले गुनगुने दुग्ध में मिलाकर पीये। केसर मिश्रित गुलाब जल को चम्मच में लेने से पहले शीशी को थोड़ा हिला ले।कोल्ड एलर्जी से होने वाली खांसी-जुकाम-नजला-नाक टपकना पुरी सर्दी के लिए ख़त्म..... (नोट:-तीन वर्ष से कम आयु के बच्चो के लिए यह नुस्खा वर्जित है)
- दुनिया भर के मसालों में यह सबसे महंगा है और एक से डेढ़ लाख रूपए किलो बिकता है। विश्व में मुख्य रूप से कश्मीर घाटी और ईरान में इसकी खेती होती है। इसके अलावा स्पेन में भी इसे उगाया जाता है। मगर गुणवत्ता में अव्वल नंबर पर हिन्दुस्तानी ज़ाफ़रान ही माना जाता है।
- असली केसर पानी में पूरी तरह घुल जाती है।केसर को पानी में भिगोकर कपडे पर रगडने से पीला केसरिया रंग निकले तो ये असली है।यदि पहले लाल रंग फिर बाद में पीला रंग निकले तो ये नकली है।
- यह उष्णवीर्य, उत्तेजक, पाचक, वात-कफ नाशक मानी गयी है।
- यह उत्तेजक, वाजीकारक, यौनशक्ति वर्धक, त्रिदोष नाशक, वातशूल शमन करने वाली है।
- यह मासिक धर्म ठीक करने वाली, त्वचा को निखारने वाली, रक्तशोधक, प्रदर और निम्न रक्तचाप को ठीक करने वाली भी है। कफ का नाश करने, मन को प्रसन्न रखने, मस्तिष्क को बल देने वाली, हृदय और रक्त के लिए हितकारी भी है।
- इसका उपयोग यूनानी नुस्खों में भी किया जाता है।
- केसर बुखार की शुरुवाती अवस्था में बुखार बाहर निकालता है ; पर तेज़ बुखार में , पित्त की अधिकता में इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए।
- गुलाब जल में केसर घिस कर आँखों में डालने से आँखों की रौशनी बढती है।
- महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द को दूर करने के लिए 2-2 रत्ती केसर दूध में घोलकर दिन में तीन बार देना फायदेमंद होता है।
- केसर और अकरकरा की गोलियाँ बनाकर सेवन करने से मासिक धर्म नियमित होता है।
- बच्चों को सर्दी, जुकाम, बुखार होने पर केसर की एक पंखुड़ी पानी में घोंटकर इसका लेप छाती, पीठ और गले पर लगाने से आराम होता है।
- चंदन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से सिर, आंख और मस्तिष्क को शीतलता, शांति और ऊर्जा मिलती है। इससे नाक से रक्त का गिरना बंद हो जाता है और सिर दर्द जल्द दूर होता है।
- बच्चे को सर्दी हो तो केसर की 1-2 पंखुड़ी 2-4 बूंद दूध के साथ अच्छी तरह घोंटें ताकि केसर दूध में घुल जाए। इसे एक चम्मच दूध में मिलाकर बच्चे को सुबह-शाम पिलाएं। इससे उसे काफी लाभ होगा। - माथे, नाक, छाती व पीठ पर लगाने के लिए केसर, जायफल व लौंग का लेप पानी में बनाएं और रात को सोते समय इसका लेप करें।
- केसर दूध पौरुष व कांतिवर्धक होता है।
- यह मूत्राशय, तिल्ली, यकृत (लीवर), मस्तिष्क व नेत्रों की तकलीफों में भी लाभकारी होती है। प्रदाह को दूर करने का गुण भी इसमें पाया जाता है।
- जाड़े में गर्म व गर्मी में ठंडे दूध के साथ केसर के उपयोग की सलाह दी जाती है।
- चोट लगने पर या त्वचा के झुलस जाने पर केसर का लेप लगाने से आराम मिलता है।
- पेट से जुड़ी अनेक परेशानियां, जैसे अपच, दर्द, वायु विकार आदि में केसर काफी उपयोगी साबित होती है।
- दूध में डालकर पिने से पेट के कीड़े समाप्त होते है।
- केसर को घी के साथ खाने से पुरानी कब्ज दूर होती है।
- 120 मिलीग्राम केसर को 50 मिली पानी में मिटटी के बर्तन में रात भर भिगोकर रखे। सुबह 20-25 किशमिश खाकर इस पानी को पिए।15 दिनों तक सेवन करने से ह्रदय की कमजोरी दूर होती है।
- केसर ठंड में उपयोग की जाने वाली एक बेहतरीन दवा है। आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार ठंड में रोजाना थोड़ी मात्रा में केसर लेने से शरीर में कई प्रकार के रोग नहीं होते हैं।इसका स्वभाव गर्म होता है। इसलिए औषधि के रूप में 250 मिलिग्राम व खाद्य के रूप में 100 मिलिग्राम से अधिक मात्रा में इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती।
- कई अध्ययनों से पता चला है कि गर्भवती महिला को प्रतिदिन दूध में केसर घोलकर पिलाने से जन्म लेने वाले शिशु का रंग गोरा होता है। इतना ही नहीं, यदि मां गर्भावस्था के दौरान केसर का सेवन करती है तो इससे उसका होने वाला बच्चा तंदुरुस्त होता है और कई तरह की बीमारियों से बचा रहता है। कई बार नवजात शिशु को सर्दी जकड़ लेती है। इससे कभी-कभी उसकी नाक भी बंद हो जाती है जिससे बच्चा मुंह से सांस लेने लगता है और हकलाने लगता है। ऐसी स्थिति में मां के दूध में केसर मिलाकर बच्चे के सिर और नाक पर मलें। इससे बच्चे को काफी आराम मिलता है और उसकी बेचैनी कम हो जाती है।
- अनेक लोग को शीत काल में कोल्ड-एलर्जी हो जाती है। अधिकतर सर्दी की शुरुआत व अंत के समय या तेज शीत लहर चलने पर नाक से पानी टपकना "नजला जुखाम" से पीड़ित हो जाते है| सर्दी के शुरू होने से पहले यानी दिवाली के बाद एक ग्राम केसर लाकर उसे खरल में बारीक पीस ले, फिर उस पीसी हुई केशर और २००-२५० ग्राम गुलाब जल को काँच की शीशी में डालकर रख दे। रोजाना सोते समय तीन वर्ष से अधिक के बच्चो को आधी चम्मच गिलास दुग्ध में; दस वर्ष से अधिक आयु वाले एक चम्मच गिलास दुग्ध में ;वृद्धो को दो चम्मच गिलास दुग्ध में प्रति रात्रि सोने से पहले गुनगुने दुग्ध में मिलाकर पीये। केसर मिश्रित गुलाब जल को चम्मच में लेने से पहले शीशी को थोड़ा हिला ले।कोल्ड एलर्जी से होने वाली खांसी-जुकाम-नजला-नाक टपकना पुरी सर्दी के लिए ख़त्म..... (नोट:-तीन वर्ष से कम आयु के बच्चो के लिए यह नुस्खा वर्जित है)