नवरात्रि विशेष: किस दिन कौन सी देवी की करते हैं पूजा, जानिए
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 5 से 12 अक्टूबर तक है। धर्म शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि वास्तविक अर्थों में प्रकृति का उत्सव है। इन नौ दिनों में मां के विभिन्न स्वरूप हमें प्रकृति दर्शन के कई रहस्यों से अवगत कराते हैं। साथ ही यह रूप हमें अपने जीवन के लिए भी विभिन्न संदेश भी देते हैं। जानिए नवरात्रि में किस दिन कौन सी देवी की पूजा की जाती है-
नवरात्रि की पहली शक्ति हैं शैलपुत्री। हिमाचल के यहां जन्म लेने के कारण देवी का यह नाम पड़ा। यह देवी प्रकृति स्वरूपा हैं। स्त्रियों के लिए उनकी पूजा करना ही श्रेष्ठ और मंगलकारी है।
देवी भगवती का दूसरा चरित्र ब्रह्मïचारिणी का है। ब्रह्मï को अपने अंतस में धारण करने वाली देवी भगवती ब्रह्मï को संचालित करती हैं। ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे का महामंत्र ब्रह्मïचारिणी देवी ने ही प्रदान किया है।
देवी की तीसरी शक्ति चंद्रघंटा देवी हैं। असुरों के साथ युद्ध में देवी ने घंटे की टंकार से असुरों को चित्त कर दिया। यह नाद की देवी हैं। स्वर विज्ञान की देवी हैं।
देवी भगवती का पांचवा स्वरूप स्कंदमाता का है। स्कंदकुमार को पुत्र के रूप में पैदा करने और तारकासुर का अंत करने में कारक सिद्ध होने के कारण वह जगतमाता कहलाईं।
देवी का छठा स्वरूप कात्यायनी का है। कात्यायन गोत्र में जन्म लेने के कारण ही उनका यह नाम पड़ा। कात्यायन ऋषि ने कामना की कि देवी भगवती उनके यहां पुत्री बन कर आएं। देवी ने इसको स्वीकारा और उनके यहां पुत्री बन कर आईं।
देवी का सातवां स्वरूप मां काली का है। संसार जिन-जिन चीजों से दूर भागता है, देवी को वह प्रिय हैं। श्मशान, नरमुंड, भस्म आदि आदि। काली देवी की आराधना से सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं।
आठवां स्वरूप महागौरी है। यह नारी शक्ति का मुख्य भाव है। गृहलक्ष्मी का भाव। अर्थात पत्नी के बिना संसार को सभी सुखों को भोगना संभव नही है।
नौंवी सिद्धिदात्री देवी कहती हैं- हे जीव, मेरे बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता। मैं चारों ओर हूं। मेरे से ही जगत है। मेरे से ही ब्रह्मांड है। यह देवी का विराट स्वरूप है जिसमें यह पृथ्वी, आकाश आदि सबकुछ समाहित है।
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 5 से 12 अक्टूबर तक है। धर्म शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि वास्तविक अर्थों में प्रकृति का उत्सव है। इन नौ दिनों में मां के विभिन्न स्वरूप हमें प्रकृति दर्शन के कई रहस्यों से अवगत कराते हैं। साथ ही यह रूप हमें अपने जीवन के लिए भी विभिन्न संदेश भी देते हैं। जानिए नवरात्रि में किस दिन कौन सी देवी की पूजा की जाती है-
नवरात्रि की पहली शक्ति हैं शैलपुत्री। हिमाचल के यहां जन्म लेने के कारण देवी का यह नाम पड़ा। यह देवी प्रकृति स्वरूपा हैं। स्त्रियों के लिए उनकी पूजा करना ही श्रेष्ठ और मंगलकारी है।
देवी भगवती का दूसरा चरित्र ब्रह्मïचारिणी का है। ब्रह्मï को अपने अंतस में धारण करने वाली देवी भगवती ब्रह्मï को संचालित करती हैं। ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे का महामंत्र ब्रह्मïचारिणी देवी ने ही प्रदान किया है।
देवी की तीसरी शक्ति चंद्रघंटा देवी हैं। असुरों के साथ युद्ध में देवी ने घंटे की टंकार से असुरों को चित्त कर दिया। यह नाद की देवी हैं। स्वर विज्ञान की देवी हैं।
देवी भगवती का पांचवा स्वरूप स्कंदमाता का है। स्कंदकुमार को पुत्र के रूप में पैदा करने और तारकासुर का अंत करने में कारक सिद्ध होने के कारण वह जगतमाता कहलाईं।
देवी का छठा स्वरूप कात्यायनी का है। कात्यायन गोत्र में जन्म लेने के कारण ही उनका यह नाम पड़ा। कात्यायन ऋषि ने कामना की कि देवी भगवती उनके यहां पुत्री बन कर आएं। देवी ने इसको स्वीकारा और उनके यहां पुत्री बन कर आईं।
देवी का सातवां स्वरूप मां काली का है। संसार जिन-जिन चीजों से दूर भागता है, देवी को वह प्रिय हैं। श्मशान, नरमुंड, भस्म आदि आदि। काली देवी की आराधना से सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं।
आठवां स्वरूप महागौरी है। यह नारी शक्ति का मुख्य भाव है। गृहलक्ष्मी का भाव। अर्थात पत्नी के बिना संसार को सभी सुखों को भोगना संभव नही है।
नौंवी सिद्धिदात्री देवी कहती हैं- हे जीव, मेरे बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता। मैं चारों ओर हूं। मेरे से ही जगत है। मेरे से ही ब्रह्मांड है। यह देवी का विराट स्वरूप है जिसमें यह पृथ्वी, आकाश आदि सबकुछ समाहित है।