नवरात्रि में उपवास क्यों रखना चाहिए
बहुत कम हैं जो ये जानते हैं कि इन दोनो नवरात्रि में उपवास क्यों रखते हैं,दरअसल विज्ञान के अनुसार ये दोनों मास चैत्र व आश्विनद्ध गर्मी और सर्दी की संधि के महत्वपूर्ण महीने हैं। गर्मी का मौसम चैत्र से प्रारंभ हो जाता है। परिवर्तन का वह मुख्य समय होता है जब बीमारी फैलाने वाले बैक्टिरिया और जीवाणु अधिक सक्रीय रहते हैं। रितु परिवर्तन के कारण इन दिनों में अधिकांश लोगों को पेट से संबंधित पेरशानियों का सामना करना पड़ता है,इसीलिए शरीर की शुद्धि के लिए नौ दिन उपवास रखते हैं। साथ ही अगर शास्त्रों के नजरिए से देखें तो नव शब्द का अर्थ है नया।अतरू नव संवत्सर के प्रारंभिक दिन होने के कारण इन दिनों को नव कहना सुसंगत है तथा दुर्गा देवी के भी नौ स्वरूप हैं इसीलिए नौ दिनों तक माता की उपासना होती है। ऐसी मान्यता है कि इन नौ दिनों तक उपवास रखने और सच्ची श्रद्धा से माता का पूजा-पाठ करने पर हर मनोकामना पूर्ण होती है।
बहुत कम हैं जो ये जानते हैं कि इन दोनो नवरात्रि में उपवास क्यों रखते हैं,दरअसल विज्ञान के अनुसार ये दोनों मास चैत्र व आश्विनद्ध गर्मी और सर्दी की संधि के महत्वपूर्ण महीने हैं। गर्मी का मौसम चैत्र से प्रारंभ हो जाता है। परिवर्तन का वह मुख्य समय होता है जब बीमारी फैलाने वाले बैक्टिरिया और जीवाणु अधिक सक्रीय रहते हैं। रितु परिवर्तन के कारण इन दिनों में अधिकांश लोगों को पेट से संबंधित पेरशानियों का सामना करना पड़ता है,इसीलिए शरीर की शुद्धि के लिए नौ दिन उपवास रखते हैं। साथ ही अगर शास्त्रों के नजरिए से देखें तो नव शब्द का अर्थ है नया।अतरू नव संवत्सर के प्रारंभिक दिन होने के कारण इन दिनों को नव कहना सुसंगत है तथा दुर्गा देवी के भी नौ स्वरूप हैं इसीलिए नौ दिनों तक माता की उपासना होती है। ऐसी मान्यता है कि इन नौ दिनों तक उपवास रखने और सच्ची श्रद्धा से माता का पूजा-पाठ करने पर हर मनोकामना पूर्ण होती है।
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