"हर
व्यक्ति को ऊषापान (सुबह उठने के बाद खाली पेट पानी पीने को कहते हैं )
ज़रूर करना चाहिए ..इससे मोटापा ..पेट सम्बंधित बीमारियाँ ,त्वचा सम्बंधित
बीमारियाँ इत्यादि नियंत्रित होती हैं ..."
1--"पानी हमेशा घूँट घूँट करके पीना चाहिए क्योंकि इससे हमारे मुह में जो लार होती है वो पेट के अंदर जाती है|
2--हमारे पेट में भोजन को पकाने के लिए अम्ल होते हैं और मुह में जो लार होती है वो क्षार होता है
अम्ल+क्षार =न्यूट्रल (सामान्य) पानी हो जाता है |
3--इसलिए जितना घूँट घूँट करके पानी पियेंगे क्षार बनेगा और पेट में जाकर
भोजन का पाचन होगा और पेट हमारा पानी की तरह रहेगा मतलब ढीला (स्वस्थ)रहेगा
|पानी हमेशा बैठ कर ही पियें |
4--लार में medicinal property होती हैं ,जो की internal healing के भी काम आती हैं |
5--पानी हमेशा शरीर के temperature के अनुसार पीना चाहिए यानी की न ज्यादा
गर्म और न ही chilled |क्योंकि ज्यादा ठंडा पानी पीने से पेट को अतिरिक्त
कार्य करना पड़ता है और अंगों को कार्यशीलता (दिमाग ,ह्रदय etc.)धीरे- धीरे
कम होने लगती है |
6--दिमाग का रक्त Gravity के कारन सबसे पहले कम होने लगता है और आगे चलकर Brain haemorrhage इत्यादि रोगों के होने का डर रहता है |
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