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शनिवार, 11 मार्च 2017

आज का पंचांग

.        ।। 🕉 ।।
      🚩 *सुप्रभातम्* 🚩
««««« *आज का पंचांग* »»»»»
कलियुगाब्द......................5118
विक्रम संवत्....................2073
शक संवत्.......................1938
रवि..........................उत्तरायण
मास............................फाल्गुन
पक्ष ..............................शुक्ल
तिथी............................चतुर्दशी
रात्रि 08.23 पर्यंत पश्चात पूर्णिमा
तिथि स्वामी......................कलि
नित्यदेवी..................भगमालिनी
सूर्योदय................06.39.27 पर
सूर्यास्त................06.34.37 पर
नक्षत्र...............................मघा
संध्या 05.07 पर्यंत पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग................................धृति
रात्रि 03.55 पर्यंत पश्चात शूल
करण.............................गरज
दुसरे दिन प्रातः 08.33 पर्यंत पश्चात वणिज
ऋतु...............................बसंत
दिन............................शनिवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :-
11 मार्च सन 2017 ईस्वी ।

शुभ अंक...............2
🔯 शुभ रंग..........लाल

👁‍🗨 *राहुकाल* :-
प्रात: 09.39 से 11.07 तक ।

🚦 *दिशाशूल* :-
पूर्वदिशा- यदि आवश्यक हो तो उड़द का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें।

✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 08.10 से 09.39 तक शुभ
दोप. 12.36 से 02.04 तक चंचल
दोप. 02.04 से 03.33 तक लाभ
दोप. 03.33 से 05.01 तक अमृत
सायं 06.30 से 08.01 तक लाभ
रात्रि 09.33 से 11.04 तक शुभ।

💮 *आज का मंत्र* :-
|| ॐ अतिरुद्राय नमः ||

 *संस्कृत सुभाषितानि* :-
*अष्टावक्र गीता - चतुर्थ अध्याय :-* 
आत्मैवेदं जगत्सर्वं
ज्ञातं येन महात्मना।
यदृच्छया वर्तमानं
तं निषेद्धुं क्षमेत कः॥४- ४॥
अर्थात:-
जिस महापुरुष ने स्वयं को ही इस समस्त जगत के रूप में जान लिया है, उसके स्वेच्छा से वर्तमान में रहने को रोकने की सामर्थ्य किसमें है॥४॥

🍃 *आरोग्यं* :-
चमत्कारी मेंहदी*
बालों को झड़ने से रोकने के लिए और मजबूत बनाने के लिए
बालों को भरपूर पोषण मिलना चाहिए। इसके लिए
मेहंदी बहुत फायदेमंद होती है। इसके
लिए एक कप सरसों के तेल को 4 चम्मच मेंहदी के
पत्तों के साथ उबाल लें। इस तेल को एक बोतल में डालकर रख लें
और रोज इस तेल को इस्तेमाल अपने बालों में करें। यह गंजेपन से
बचने के लिए बहुत ही कारगर उपाय माना जाता है।

⚜ *आज का राशिफल* :-

*राशि फलादेश मेष* :-
हानि-दुर्घटना से बचें, व्यय बढ़ेगा। मन को क्लेश होगा। मान-सम्मान को ठेस पहुंचेगी। व्यापार-व्यवसाय धीमा चलेगा।
  
🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
अचानक लाभ के योग बनेंगे। पराक्रम वृद्धि होगी। शत्रु परास्त होंगे। निवेश लाभकारी होगा। नौकरी-इंटरव्यू में सफलता मिलेगी।
                               
*राशि फलादेश मिथुन* :-
शुभ समाचार मिलेंगे। मान-सम्मान बढ़ेगा। संतान पक्ष की चिंता होगी। विवेक से किए गए कार्य सफलता व लाभ देंगे। ऋण लेना पड़ सकता है।
              
🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
लाभदायक दिन है। माता की चिंता होगी। शत्रु कष्ट देंगे। जोखिमभरे कार्य सावधानी से करें। व्यापार ठीक चलेगा। मनोबल बढ़ने से तनाव कम होगा।
                 
🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
व्यय बढ़ेगा। मानसिक क्लेश होगा। व्यापार-व्यवसाय से लाभ होगा। हानि-दुर्घटना से बचें। अस्वस्थता रहेगी। यात्रा आज नहीं करें।
                       
🏻 *राशि फलादेश कन्या* :-
नेत्र रोग उभर सकता है। रुका हुआ धन वापस आएगा। यात्रा लाभकारी रहेगी। आवश्यक वस्तु समय पर न मिलेगी।
                   
⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
हानि-दुर्घटना से बचें। मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। नई योजना के क्रियान्वयन का समय है, लाभ उठाएं। व्यापार-निवेश लाभकारी रहेगा।
                  
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
पुराना रोग उभर सकता है। धर्म-कर्म-तंत्र-मंत्र में रुचि बढ़ेगी। राजकीय कार्यों में सहयोग मिलेगा। परिवार के कार्यों को प्राथमिकता दें।
                            
🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
हानि-दुर्घटना से बचें, विवाद से मनोमालिन्य रहेगा। व्यापार-व्यवसाय, नौकरी लाभकारी रहेंगे। शत्रु शांत रहेंगे। अधिकारी विशेष सहयोग नहीं करेंगे।
   
🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
गृहस्थ सुख मिलेगा। राज्य से प्रताड़ित हो सकते हैं। राजकीय कार्यों में गति आएगी। शत्रु शांत रहेंगे। व्यापार ठीक चलेगा।
                    
🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
यात्रा में हानि हो सकती है। संपत्ति के कार्य पूर्ण तथा लाभ देंगे। व्यापार निवेश लाभकारी रहेंगे। शत्रु सक्रिय रहेंगे। दांपत्य जीवन में अनुकूलता रहेगी।
              
*राशि फलादेश मीन* :-
विद्यार्थी वर्ग को सफलता मिलेगी। पार्टी-दावत का आनंद मिलेगा। व्यापार-निवेश लाभकारी रहेंगे। शत्रु शांत रहेंगे। सामाजिक समारोहों में भाग लेंगे।
        
☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो |

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

गुरुवार, 9 मार्च 2017

आज का पंचांग एवं राशिफल

.        ।। 🕉 ।।
    🌞 *सुप्रभातम्* 🌞
««« *आज का पंचांग* »»»
कलियुगाब्द.................5118
विक्रम संवत्...............2073
शक संवत्..................1938
मास.......................फाल्गुन
पक्ष...........................शुक्ल
तिथी.......................द्वादशी
रात्रि 09.39 पर्यंत पश्चात त्रयोदशी
रवि.....................उत्तरायण
सूर्योदय...........06.41.15 पर
सूर्यास्त...........06.33.48 पर
तिथि स्वामी..................सूर्य
नित्यदेवी....................भेरुंडा
नक्षत्र..........................पुष्य
संध्या 05.12 पर्यंत पश्चात अश्लेशा
योग.........................शोभन
प्रातः 08.58 पर्यंत पश्चात अतिगंड
करण...........................बव
दुसरे दिन प्रातः 11.12 पर्यंत पश्चात बालव
ऋतु..........................बसंत
दिन.........................गुरुवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :-
09 मार्च सन 2017 ईस्वी ।

👁‍🗨 *राहुकाल* :-
दोपहर 02.04 से 03.32 तक ।

🚦 *दिशाशूल* :-
दक्षिणदिशा -
यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें।

☸ शुभ अंक..................5
🔯 शुभ रंग............केसरिया

✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 06.44 से 08.12 तक शुभ
प्रात: 11.08 से 12.36 तक चंचल
दोप. 12.36 से 02.04 तक लाभ
दोप. 02.04 से 03.32 तक अमृत
सायं 05.00 से 06.29 तक शुभ
सायं 06.29 से 08.00 तक अमृत
रात्रि 08.00 से 09.32 तक चंचल |

💮 *आज का मंत्र* :-
।। ॐ पुण्डरीकाक्षाय नम: ।।

📢 *सुभाषितम्* :-
*अष्टावक्र गीता - चतुर्थ अध्याय :-*
यत् पदं प्रेप्सवो दीनाः
शक्राद्याः सर्वदेवताः।
अहो तत्र स्थितो योगी न
हर्षमुपगच्छति॥४- २॥
अर्थात :-
जिस पद की इन्द्र आदि सभी देवता इच्छा रखते हैं, उस पद में स्थित होकर भी योगी हर्ष नहीं करता है॥२॥ 

🍃 *आरोग्यं* :-
नींबू के घरेलु नुस्खे : गुण में मीठा, स्वाद में खट्टा -

* सुबह-शाम एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़कर पीने से मोटापा दूर होता है।

* बवासीर (पाइल्स) में रक्त आता हो तो नींबू की फांक में सेंधा नमक भरकर चूसने से रक्तस्राव बंद हो जाता है।

* आधे नींबू का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर चाटने से तेज खाँसी, श्वास व जुकाम में लाभ होता है।

* नींबू ज्ञान तंतुओं की उत्तेजना को शांत करता है। इससे हृदय की अधिक धड़कन सामान्य हो जाती है। उच्च रक्तचाप के रोगियों की रक्तवाहिनियों को यह शक्ति देता है।

* एक नींबू के रस में तीन चम्मच शकर, दो चम्मच पानी मिलाकर, घोलकर बालों की जड़ों में लगाकर एक घंटे बाद अच्छे से सिर धोने से रूसी दूर हो जाती है व बाल गिरना बंद हो जाते हैं।

* एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़कर सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम दो बार नित्य एक महीना पीने से पथरी पिघलकर निकल जाती है।

⚜ *आज का राशिफल* :-

*राशि फलादेश मेष* :-
अचानक हानि-दुर्घटना संभव है। शरीर अस्वस्थ रहेगा। पराक्रम से लाभ के अवसर बनेंगे। व्यापार-व्यवसाय से लाभ होगा। सत्कर्म में रुचि बढ़ेगी।
                 
🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
शुभ समाचार मिलेंगे। श‍त्रु परास्त होंगे। व्यापार-व्यवसाय, निवेश-नौकरी के लिए समय ठीक है। सम्मान मिलेगा। आर्थिक स्थिति संतोषजनक रहेगी।
                     
*राशि फलादेश मिथुन* :-
शारीरिक कष्ट हो सकता है। यात्रा से लाभ होगा। अचानक लाभ के प्रस्ताव आएंगे। व्यापार-निवेश से लाभ होगा। परिवार में सुख-शांति होगी।
           
🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
व्यय बढ़ने से कर्ज लेना पड़ सकता है। चोरी-दुर्घटना से बचें। शत्रु कष्ट दे सकते हैं। मातृपक्ष की चिंता होगी। किसी की आलोचना न करें।
             
🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
यात्रा लाभदायक रहेगी। व्यापार-व्यवसाय से लाभ होगा। निवेश के लिए शुभ समय है। शत्रु शांत रहेंगे। समस्या का हल निकलेगा।
                     
🏻 *राशि फलादेश कन्या* :-
अचानक संकट उपस्थित हो सकता है। नई योजनाएं बनेंगी। कार्य में रुचि बढ़ेगी। मान-सम्मान में वृद्धि होगी। नवीन काम के अवसर भी हैं।
                    
⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
शरीर कष्ट तथा धनहानि की आशंका है। धर्म-कर्म, तंत्र-मंत्र में रुचि बढ़ेगी। सरकार कार्य पूर्ण होंगे। आध्यात्मिक प्रवृत्ति के कारण मन में शांति रहेगी।
     
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
चोरी-दुर्घटना से हानि संभव है। व्यय बढ़ेगा। व्यापार-व्यवसाय धीमा चलेगा। विवाद से बचना होगा। कई दिनों के रुके कार्य होने के अवसर हैं।
      
🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
गृहस्थ सुख मिलेगा। सरकारी कार्य पूर्ण होंगे। व्यापार-निवेश से लाभ होगा। यात्रा कल्याणकारी होगी। घरेलू उलझनों को अनदेखा न करें।
                          
🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
शत्रु संकट उपस्थित करेंगे। संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। व्यापार-निवेश, नौकरी-इंटरव्यू मनमाफिक चलेंगे। संतान के कार्यों पर नजर रखें।
                         
🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
विद्यार्थी वर्ग को सफलता मिलेगी। शुभ समाचार मिलेंगे। दावत का आनंद मिलेगा। शत्रु षड्यंत्र रचेंगे। दिन उत्साहवर्धक रहेगा।
                 
*राशि फलादेश मीन* :-
चोरी-दुर्घटना से हानि संभव। वाद-विवाद से मानहानि होगी। व्यापार-निवेश में हानि संभव। जोखिम के कार्य टाल दें।
            
☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।

।। *शुभम भवतु* ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय*  🚩🚩

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

आज का पंचांग एवं राशिफल

.                        ।। 🕉 ।।
             🚩 *||सुप्रभातम्||* 🚩
           *««« आज का पंचांग »»»*

कलियुगाब्द...............5118
विक्रम संवत्.............2073
शक संवत्................1938
रवि......................उत्तरायण
मास.........................फाल्गुन
पक्ष..........................कृष्ण
तिथि........................द्वादशी
रात्रि 09:18 पर्यंत त्रयोदशी
तिथि स्वामी................विष्णु
नित्यदेवी.................... विजया
🌅सूर्योदय ............... 06:48:34पर
🌆सूर्यास्त ................06:14:25पर
🌟नक्षत्र...................उत्तराषाढा
दूसरे दिन प्रातःकाल 06:29 पर्यंत श्रवण
योग.........................व्यतापता
रात्रि 10:02 पश्चात वरियान
करण....................... कौलव
प्रात 08:53 पश्चात  तैतुल
⛅ऋतु....................बसंत
दिन.........................गुरूवार
चन्द्र राशि ..................धनु
प्रात 11:34 पश्चात  मकर
सूर्य राशि...................कुंभ

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार:-*
23 फरवरी 2017 ईस्वी

✡ *अभिजीत मुहूर्त:-*
दोप:-12:09 -12:54 शुभ

😈 *राहू काल:-*
दोप:-01:57 - 03:23 अशुभ

🔯 *दिशाशूल:-*
दक्षिणदिशा:- आवश्यक हो तो तिल या दही का सेवन करके यात्रा प्रारंभ करें ।

🔯 *चौघडिया:-*

प्रात शुभ 06:49 - 08:14 शुभ
प्रात  चंचल 11:06 - 12:32 शुभ
दोप  लाभ 12:32 - 01:57 शुभ
दोप  अमृत 01:57 - 03:23 शुभ
सायं  शुभ 04:49 - 06:14 शुभ
सायं अमृत 06:14 - 07:49 शुभ
रात्रि  चंचल 07:49 - 09:23 शुभ

🔢 *शुभ अंक*..................5
🌈 *शुभ रंग* ....................पीला

📿 *आज का मंत्र:-*
।।ॐ धनदाय नमः।।

🔊 *सुभाषित:-*
न ही कश्चित् विजानाति किं कस्य श्वो भविष्यति।
अतः श्वः करणीयानि कुर्यादद्यैव बुद्धिमान्॥
कल क्या होगा यह कोई नहीं जानता है इसलिए कल के करने योग्य कार्य को आज कर लेने वाला ही बुद्धिमान है।

*आयुर्वेदिक उपचार:-*
गैस के रोगी करे हरी बीन्स का सेवन बीन्स फाइबर का बहुत अच्छा स्त्रोत है तथा पेट की समस्या वाले रोगियों हेतु फाइबर का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। यह सब्जी साधारण रूप से बनानी चाइये , अधिक मिर्च मसाले डालकर नहीं। 

🔯 *आज का राशिफल:-*
♈ *राशि फलादेश मेष:-*
व्यस्तता के बावजूद परिजनों के लिए समय निकाल लेंगे | काम ओढ़ने की बजाय ना कहना सीखें | भूनि-भवन औए वाहन खरीदने का मन बनेगा | उच्च अध्ययन के लिए मेहनत करें |

♉ *राशि फलादेश वृष:-*
जीवनसाथी का सहयोग व सानिध्य मिलेगा। आय और व्यय में संतुलन बना कर रखें। पराक्रम में वृद्धि होगी। शिक्षा प्रतियोगिता के क्षेत्र में आशातीत सफलता मिलेगी। शासन सत्ता का सहयोग मिलेगा।

♊ *राशि फलादेश मिथुन:-*
कामकाज में व्यस्त रहेंगे | भावनात्मक संबंधो को लेकर चल रही असुरक्षा की भावना दूर होगी कार्यस्थल पर मिल-बांटकर काम करने से तनाव दूर होगा |
 
♋ *राशि फलादेश कर्क:-*
सेहत में गिरावट के चलते काम पर ध्यान देना मुश्किल रहेगा | जिद में आकर नुकसान कर लेंगे | भाग्य भरोसे रहे तो अच्छा सौदा हाथ से निकल सकता है |
  
♌ *राशि फलादेश सिंह:-*
वैवाहिक संबंधों में मधुरता बढेगी | प्रियजन से अचानक मुलाकात होगी | प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिलने से मन प्रसन्न रहेगा | प्रॉपर्टी खरीद सकते है |

♍ *राशि फलादेश कन्या:-*
अनुभवी लोगों की सलाह से राह आसान होगी | वैवाहिक चर्चा में सफलता से युवा उत्साहित रहेंगे | इच्छित नौकरी मिलेगी | आंख मूंदकर दूसरों पर भरोसा न करें |

♎ *राशि फलादेश तुला:-*
चौकन्ने होकर काम करें | उलझने की जगह मिल कर चले | जेब देख कर चलने का लाभ मिलेगा | प्रतिभा के दम पर मुश्किल काम भी आसानी से पूरे कर सकते है |

♏ *राशि फलादेश वृश्चिक:-*
सहयोगियों की भवना का ध्यान रखेंगे , पारिवारिक समस्याओं का समाधान होगा | जनकल्याण के कार्यक्रम से जुडकर प्रसन्नता होगी | क्रोध पर नियंत्रण रखें |

♐ *राशि फलादेश धनु:-*
आर्थिक तनाव रहेगा। किसी नए कार्य से लाभ मिलेगा। चल अचल सम्पत्ति में वृद्धि होगी। संतान के संबंध में सुखद समाचार मिलेगा। मन अज्ञात भय से ग्रसित रहेगा। धन व्यय होगा।

♒ *राशि फलादेश मकर:-*
आर्थिक स्थिति में सुधार की कोशिश सफल रहेगी | मित्रो के साथ समय बिताकर खुशी होगी | कारोबारी उपलब्धियो को परिवार के साथ बांटकर खुश होंगे | कल की सुविधा मे कमी आएगी |

♓ *राशि फलादेश कुंभ:-*
शुभ समाचार मिलेंगे | प्रतियोगी परीक्षा मे इच्छित सफलता मिलेगी | अधीनस्थ सहयोग करेंगे | नौकरी मे तरक्की के के आसार हैं | क्रोध पर नियंत्रण रखें | स्वास्थ्य अच्छा रहेगा |

⛎ *राशि फलादेश मीन:-*
आय-व्यय में तालमेल की कमी से कर्जा लेना पड सकता हैं | विवादास्पद मामलों के चलते आप अशांत रहेंगे | आकस्मिक लाभ संभव हैं | दांम्पत्य सुख मिलेगा | स्वास्थ्य अच्छा रहेगा |

🌺 आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो।
                   ।।शुभम भवतु । ।
             🚩🚩जयतु भारती🚩🚩.

बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

विजया एकादशी व्रत कथा→ 22nd Feb, 2017.

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

विजया एकादशी व्रत कथा→ 22nd Feb, 2017.

युधिष्ठिर ने पूछा: हे वासुदेव! फाल्गुन (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार माघ) के कृष्णपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है और उसका व्रत करने की विधि क्या है? कृपा करके बताइये ।

भगवान श्रीकृष्ण बोले: युधिष्ठिर ! एक बार नारदजी ने ब्रह्माजी से फाल्गुन के कृष्णपक्ष की ‘विजया एकादशी’ के व्रत से होनेवाले पुण्य के बारे में पूछा था तथा ब्रह्माजी ने इस व्रत के बारे में उन्हें जो कथा और विधि बतायी थी, उसे सुनो :

ब्रह्माजी ने कहा : नारद ! यह व्रत बहुत ही प्राचीन, पवित्र और पाप नाशक है । यह एकादशी राजाओं को विजय प्रदान करती है, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है ।

त्रेतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्रजी जब लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र के किनारे पहुँचे, तब उन्हें समुद्र को पार करने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था । उन्होंने लक्ष्मणजी से पूछा : ‘सुमित्रानन्दन ! किस उपाय से इस समुद्र को पार किया जा सकता है ? यह अत्यन्त अगाध और भयंकर जल जन्तुओं से भरा हुआ है । मुझे ऐसा कोई उपाय नहीं दिखायी देता, जिससे इसको सुगमता से पार किया जा सके ।‘

लक्ष्मणजी बोले : हे प्रभु ! आप ही आदिदेव और पुराण पुरुष पुरुषोत्तम हैं । आपसे क्या छिपा है? यहाँ से आधे योजन की दूरी पर कुमारी द्वीप में बकदाल्भ्य नामक मुनि रहते हैं । आप उन प्राचीन मुनीश्वर के पास जाकर उन्हींसे इसका उपाय पूछिये ।

श्रीरामचन्द्रजी महामुनि बकदाल्भ्य के आश्रम पहुँचे और उन्होंने मुनि को प्रणाम किया ।
महर्षि ने प्रसन्न होकर श्रीरामजी के आगमन का कारण पूछा ।

श्रीरामचन्द्रजी बोले : ब्रह्मन् ! मैं लंका पर चढ़ाई करने के उद्धेश्य से अपनी सेनासहित यहाँ आया हूँ । मुने ! अब जिस प्रकार समुद्र पार किया जा सके, कृपा करके वह उपाय बताइये ।

बकदाल्भय मुनि ने कहा : हे श्रीरामजी ! फाल्गुन के कृष्णपक्ष में जो ‘विजया’ नाम की एकादशी होती है, उसका व्रत करने से आपकी विजय होगी । निश्चय ही आप अपनी वानर सेना के साथ समुद्र को पार कर लेंगे । राजन् ! अब इस व्रत की फलदायक विधि सुनिये :

दशमी के दिन सोने, चाँदी, ताँबे अथवा मिट्टी का एक कलश स्थापित कर उस कलश को जल से भरकर उसमें पल्लव डाल दें । उसके ऊपर भगवान नारायण के सुवर्णमय विग्रह की स्थापना करें । फिर एकादशी के दिन प्रात: काल स्नान करें । कलश को पुन: स्थापित करें । माला, चन्दन, सुपारी तथा नारियल आदि के द्वारा विशेष रुप से उसका पूजन करें । कलश के ऊपर सप्तधान्य और जौ रखें । गन्ध, धूप, दीप और भाँति भाँति के नैवेघ से पूजन करें । कलश के सामने बैठकर उत्तम कथा वार्ता आदि के द्वारा सारा दिन व्यतीत करें और रात में भी वहाँ जागरण करें । अखण्ड व्रत की सिद्धि के लिए घी का दीपक जलायें । फिर द्वादशी के दिन सूर्योदय होने पर उस कलश को किसी जलाशय के समीप (नदी, झरने या पोखर के तट पर) स्थापित करें और उसकी विधिवत् पूजा करके देव प्रतिमासहित उस कलश को वेदवेत्ता ब्राह्मण के लिए दान कर दें । कलश के साथ ही और भी बड़े बड़े दान देने चाहिए । श्रीराम ! आप अपने सेनापतियों के साथ इसी विधि से प्रयत्नपूर्वक ‘विजया एकादशी’ का व्रत कीजिये । इससे आपकी विजय होगी ।

ब्रह्माजी कहते हैं : नारद ! यह सुनकर श्रीरामचन्द्रजी ने मुनि के कथनानुसार उस समय ‘विजया एकादशी’ का व्रत किया । उस व्रत के करने से श्रीरामचन्द्रजी विजयी हुए । उन्होंने संग्राम में रावण को मारा, लंका पर विजय पायी और सीता को प्राप्त किया । बेटा ! जो मनुष्य इस विधि से व्रत करते हैं, उन्हें इस लोक में विजय प्राप्त होती है और उनका परलोक भी अक्षय बना रहता है ।

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं : युधिष्ठिर ! इस कारण ‘विजया’ का व्रत करना चाहिए । इस प्रसंग को पढ़ने और सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है ।

महाशिवरात्री की हार्दिक शुभकामनाये ।

महाशिवरात्री की हार्दिक शुभकामनाये ।
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महाशिवरात्री भगवान शंकर और भगवती पार्वती का महामिलन का महोत्सव है। यह हमें कल्याणकारी कार्य करने की ओर शिवत्व का बोध कराता है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का पर्व आता है। शैव और वैष्णव, दोनों ही महाशिवरात्रि का व्रत रखते है। वैष्ण्व इस तिथि को शिव चतुर्दशी कहते है। भगवान शिव को वेदों में रुद्र कहा गया है, क्...योंकि दुख को नष्ट कर देते है। इस प्रकार शिव और रुद्र एक परमेश्वर के ही पर्यायवाची शब्द हैं। कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि चंद्र-दर्शन की आखिरी तिथि है, क्योंकि इसके बाद अमावस्या की रात्रि में चंद्र लुप्त हो जाता है। अमावस्या को कालरात्रि भी कहा जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शंकर और भगवती पार्वती का विवाह हुआ था। शिव और शक्ति के पावन परिणय की तिथि होने के कारण इसे महाशिवरात्री का नाम दिया गया। इस दिन लोग व्रत रखकर शिव-पार्वतीाâा विवाहोत्सव धूमधाम से मनाते है। काशी में महाशिवरात्रि के दिन निकलने वाली शिव-बारात तो विश्वविख्यात है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग पहुंचते है। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में हर घर शिवरात्रि की उमंग में रंग जाता है।इस तिथि के मध्यरात्रिकालीन महानिशीथकाल में महेश्वर के निराकार ब्रह्म-स्वरूप प्रतीक शिवलिंग का आविर्भाव होने से भी यह तिथि महाशिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध हो गई। शिवपुराण के अनुसार, शिव के दो रूप है- सगुण और निर्गुण। सगुण-रूप मूर्ति में साकार होता है, जबकि शिवलिंग निर्गुण-निराकार ब्रह्म है।
महाशिवरात्रि का यह पावन व्रत सुबह से ही शुरू हो जाता है। इस दिन शिव मंदिरों में जाकर मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर, ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिविंलग पर चढ़ाया जाता है. अगर पास में शिवालय न हो, तो शुद्ध गीली मिट्टी से ही शिविंलग बनाकर उसे पूजने का विधान है। इस दिन भगवान शिव की शादी भी हुई थी, इसलिए रात्रि में शिवजी की बारात निकाली जाती है। रात में पूजन कर फलाहार किया जाता है। अगले दिन सवेरे जौ, तिल, खीर और बेलपत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है।

स्कंदपुराण महाशिवरात्रि को व्रतों में सर्वोपरि कहता है। इस व्रत के तीन प्रमुख अंग है- उपवास, शिवार्चन और रात्रि-जागरण। उपवास से तन शुद्ध होता है, अर्चना से मन पवित्र होता है तथा रात्रि-जागरण से आत्म-साक्षात्कार होता है। यही महाशिवरात्रि के व्रत का उद्देश्य है।

सही अर्थो में शिवचतुर्दशी का लक्ष्य है पांच ज्ञानेंद्रियों, पांच कर्मेद्रियों तथ मन, अहंकार, और बुद्धि-इन चतुर्दश १४, का समुचित नियंत्रण। यही सच्ची शिव-पूजा है। वस्तुतः इसी से शिवत्व का बोध होता है। यही अनुभूति ही इस पर्व को सार्थक बनाती है और यह पर्व समस्त प्राणियों के लिए कल्याणकारी बन जाता है ।

कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान् शिव हर मंदिर में लिंग रूप में प्रत्यक्ष होते है l भक्तों का मानना है कि उस दिन शिव पूजा एवं लिंगाभेशक करने पर शिव प्रसन्न होंगे l उस दिन उपवास रहकर रात भर जागारण कर पूजा एवं भजन करते है l कहा जाता है कि उस दिन स्वामी को बिल्वपत्र और अभिषेक समर्पित करने से पुनर्जन्म नहीं रहेगा और और मुक्त प्राप्त होगी l इस पर्व दिन पर शिवलिंग ज्योतिर्लिंग के रूप परिवर्तित होगा l कश्मीर में शिवरात्री उत्सव १५ दिनों तक मनाया जाता है l

शिवरात्री का व्रत फाल्गुन कृष्णा त्रयोदशी का होता है l कुछ लोग चतुर्दशी को भी इस व्रत को करते है l ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के आदि में इसी दिन भगवान् शंकर का ब्रह्मा से रुद्रा के रूप में ,रात्री के मध्य में अवतरण हुआ था l प्रलय की बेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान् शिव ताण्डव करते हुये ब्रह्माण्ड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते है l इसी लिए इसे महा शिवरात्री अथवा कालरात्री कहा गया है l

भगवान शिव अपने कर्मों से तो अद्भुत हैं ही; अपने स्वरूप से भी रहस्यमय हैं। भक्त से प्रसन्न हो जाएं तो अपना धाम उसे दे दें और यदि गुस्सा हो जाएं तो उससे उसका धाम छीन लें। शिव अनोखेपन और विचित्रताओं का भंडार हैं। शिव की तीसरी आंख भी ऐसी ही है। धर्म शास्त्रों के अनुसार सभी देवताओं की दो आंखें हैं पर शिव की तीन आंखें हैं।

दरअसल शिव की तीसरी आंख प्रतीकात्मक नेत्र है। आंखों का काम होता है रास्ता दिखाना और रास्ते में पढऩे वाली मुसीबतों से सावधान करना। जीवन में कई बार ऐसे संकट भी आ जाते हैं; जिन्हें हम अपनी दोनों आंखों से भी नहीं देख पाते। ऐसे समय में विवेक और धैर्य ही एक सच्चे मार्गदर्शक के रूप में हमें सही-गलत की पहचान कराता है।

यह विवेक अत:प्रेरणा के रूप में हमारे अंदर ही रहता है। बस जरुरत है उसे जगाने की। भगवान शिव का तीसरा नेत्र आज्ञाचक्र का स्थान है। यह आज्ञाचक्र ही विवेकबुद्धि का स्रोत है।

| शिव |

1 व्युत्पत्ति और अर्थ:
- शिव शब्द वश् शब्द से तैयार हुआ है। वश् का मतलब है प्रकाश देना, अर्थात जो प्रकाश देते है वह शिव। शिव यह स्वयंसिद्ध, स्वयंप्रकाशी है। वे स्वयं प्रकाशित रहकर विश्व को प्रकाशित करते है।

2 कुछ अन्य नाम...
- शंकर --
"शं करोति इति शंकर:।" 'शं' अर्थात कल्याण और 'करोति' अर्थात कार्य करनेवाला। जो कल्याण करते है वह शंकर।

- महाकालेश्वर --
अखिल ब्रह्माण्ड के अधिष्ठाता देव (क्षेत्रपाल देव)। वह कालपुरुष अर्थात महाकाल (महान् काल) है; अर्थात उन्हें महाकालेश्वर कहते है।

- महादेव --
'विश्वसर्जन' के एवं 'व्यवहार के विचार' के मुलत: तीन विचार होते है - परिपूर्ण पावित्र्य, परिपूर्ण ज्ञान और परिपूर्ण साधना। यह तीन जिनके अन्दर साथ में है, ऐसे देव एवं देवोके देव, अर्थात महादेव।

- भालचंद्र --
भाल के ऊपर अर्थात कपाल के ऊपर, जिन्होंने चन्द्र को धारण किया हुआ है वह भालचंद्र। शिव पुत्र गणपति जी का भी भालचंद्र, यह एक नाम है।

- कर्पूरगौर --
शिव का रंग कर्पूर जैसा (कपूर जैसा) सफ़ेद है; वस्तुत: उन्हें कर्पूरगौर ऐसा भी कहा जाता है।

महाशिवरात्रि 2017 - 24 फरवरी - 2017

महाशिवरात्रि 2017

शिव यानि कल्याणकारी, शिव यानि बाबा भोलेनाथ, शिव यानि शिवशंकर, शिवशम्भू, शिवजी, नीलकंठ, रूद्र आदि। हिंदू देवी-देवताओं में भगवान शिव शंकर सबसे लोकप्रिय देवता हैं, वे देवों के देव महादेव हैं तो असुरों के राजा भी उनके उपासक रहे। आज भी दुनिया भर में हिंदू धर्म के मानने वालों के लिये भगवान शिव पूज्य हैं।
इनकी लोकप्रियता का कारण है इनकी सरलता। इनकी पूजा आराधना की विधि बहुत सरल मानी जाती है। माना जाता है कि शिव को यदि सच्चे मन से याद कर लिया जाये तो शिव प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी पूजा में भी ज्यादा ताम-झाम की जरुरत नहीं होती। ये केवल जलाभिषेक, बिल्वपत्रों को चढ़ाने और रात्रि भर इनका जागरण करने मात्र से मेहरबान हो जाते हैं।
देवों के देव भगवान भोले नाथ के भक्तों के लिये श्री महाशिवरात्रि का व्रत विशेष महत्व रखता हैं. यह पर्व फाल्गुन कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है. वर्ष 2017 में यह शुभ उपवास, 24 फरवरी - शुक्रवार के दिन का रहेगा. इस दिन का व्रत रखने से भगवान भोले नाथ शीघ्र प्रसन्न हों, उपवासक की मनोकामना पूरी करते हैं. इस व्रत को सभी स्त्री-पुरुष, बच्चे, युवा, वृ्द्धों के द्वारा किया जा सकता हैं.
24 फरवरी - 2017 के दिन विधिपूर्वक व्रत रखने पर तथा शिवपूजन, शिव कथा, शिव स्तोत्रों का पाठ व "उँ नम: शिवाय" का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं. व्रत के दूसरे दिन ब्राह्माणों को यथाशक्ति वस्त्र-क्षीर सहित भोजन, दक्षिणादि प्रदान करके संतुष्ट किया जाता हैं.

शिवरात्री व्रत की महिमा

इस व्रत के विषय में यह मान्यता है कि इस व्रत को जो जन करता है, उसे सभी भोगों की प्राप्ति के बाद, मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह व्रत सभी पापों का क्षय करने वाला है. व इस व्रत को लगातार 14 वर्षो तक करने के बाद विधि-विधान के अनुसार इसका उद्धापन कर देना चाहिए.

महाशिवरात्री व्रत का संकल्प

व्रत का संकल्प सम्वत, नाम, मास, पक्ष, तिथि-नक्षत्र, अपने नाम व गोत्रादि का उच्चारण करते हुए करना चाहिए. महाशिवरात्री के व्रत का संकल्प करने के लिये हाथ में जल, चावल, पुष्प आदि सामग्री लेकर शिवलिंग पर छोड दी जाती है.

महाशिवरात्री व्रत की सामग्री

उपवास की पूजन सामग्री में जिन वस्तुओं को प्रयोग किया जाता हैं, उसमें पंचामृ्त (गंगाजल, दुध, दही, घी, शहद), सुगंधित फूल, शुद्ध वस्त्र, बिल्व पत्र, धूप, दीप, नैवेध, चंदन का लेप, ऋतुफल आदि.
महाशिवरात्रि 2017 
24 फरवरी
  • निशिथ काल पूजा- 24:08 से 24:59
    पारण का समय- 06:54 से 15:24 (25 फरवरी)
    चतुर्दशी तिथि आरंभ- 21:38 (24 फरवरी)
    चतुर्दशी तिथि समाप्त- 21:20 (25 फरवरी)

महाशिवरात्री व्रत की विधि

महाशिवरात्री व्रत को रखने वाले जन को उपवास के पूरे दिन भगवान भोले नाथ का ही ध्यान किया जाता हैं. प्रात: स्नान करने के बाद भस्म का तिलक कर रुद्राक्ष की माला धारण की जाती है. इसके ईशान कोण दिशा की ओर मुख कर शिव का पूजन धूप, पुष्पादि व अन्य पूजन सामग्री से पूजन करना चाहिए.

इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है, प्रत्येक पहर की पूजा में "उँ नम: शिवाय" व " शिवाय नम:" का जाप करते रहना चाहिए. अगर शिव मंदिर में यह जाप करना संभव न हों, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जाप किया जा सकता हैं. चारों पहर में किये जाने वाले इन मंत्र जापों से विशेष पुन्य प्राप्त होता है. इसके अतिरिक्त उपावस की अवधि में रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते है.

शिव अभिषेक विधि

महाशिव रात्रि के दिन शिव अभिषेक करने के लिये सबसे पहले एक मिट्टी का बर्तन लेकर उसमें पानी भरकर, पानी में बेलपत्र, आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग को अर्पित किये जाते है. व्रत के दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए. ओर मन में असात्विक विचारों को आने से रोकना चाहिए. शिवरात्रि के अगलए दिन सवेरे जौ, तिल, खीर और बेलपत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है.

पूजन करने का विधि-विधान

महाशिवरात्री के दिन शिवभक्त का जमावडा शिव मंदिरों में विशेष रुप से देखने को मिलता है. भगवान भोले नाथ अत्यधिक प्रसन्न होते है, जब उनका पूजन बेल- पत्र आदि चढाते हुए किया जाता है. व्रत करने और पूजन के साथ जब रात्रि जागरण भी किया जाये, तो यह व्रत और अधिक शुभ फल देता है. इस दिन भगवान शिव की शादी हुई थी, इसलिये रात्रि में शिव की बारात निकाली जाती है. सभी वर्गों के लोग इस व्रत को कर पुन्य प्राप्त करते है.

महाशिवरात्रि व्रत कथा

एक बार. 'एक गाँव में एक शिकारी रहता था. पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था. वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका. क्रोधवश साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया. संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी. शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा. चतुर्दशी को उसने शिवरात्रि की कथा भी सुनी. संध्या होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात की. शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटा देने का वचन देकर बंधन से छूट गया.

अपनी दिनचर्या की भाँति वह जंगल में शिकार के लिए निकला, लेकिन दिनभर बंदीगृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था. शिकार करने के लिए वह एक तालाब के किनारे बेल वृक्ष पर पड़ाव बनाने लगा. बेल-वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो बिल्वपत्रों से ढँका हुआ था. शिकारी को उसका पता न चला.

पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियाँ तोड़ीं, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरीं. इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए.

एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी मृगी तालाब पर पानी पीने पहुँची. शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, मृगी बोली, 'मैं गर्भिणी हूँ. शीघ्र ही प्रसव करूँगी. तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है. मैं अपने बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे सामने प्रस्तुत हो जाऊँगी, तब तुम मुझे मार लेना.' शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और मृगी झाड़ियों में लुप्त हो गई.

शिकार को खोकर उसका माथा ठनका. वह चिंता में पड़ गया. रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था. तभी एक अन्य मृगी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था. उसने धनुष पर तीर चढ़ाने में देर न लगाई, वह तीर छोड़ने ही वाला था कि मृगी बोली, 'हे पारधी! मैं इन बच्चों को पिता के हवाले करके लौट आऊँगी. इस समय मुझे मत मार.'

शिकारी हँसा और बोला, 'सामने आए शिकार को छोड़ दूँ, मैं ऐसा मूर्ख नहीं. इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूँ. मेरे बच्चे भूख-प्यास से तड़प रहे होंगे.'

उत्तर में मृगी ने फिर कहा, 'जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी, इसलिए सिर्फ बच्चों के नाम पर मैं थोड़ी देर के लिए जीवनदान माँग रही हूँ. हे पारधी! मेरा विश्वास कर मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरंत लौटने की प्रतिज्ञा करती हूँ.'

मृगी का दीन स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई. उसने उस मृगी को भी जाने दिया. शिकार के आभाव में बेलवृक्ष पर बैठा शिकारी बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था. पौ फटने को हुई तो एक हष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया. शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्व करेगा.

शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृग विनीत स्वर में बोला,' हे पारधी भाई! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है तो मुझे भी मारने में विलंब न करो, ताकि उनके वियोग में मुझे एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े, मैं उन मृगियों का पति हूँ. यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण जीवनदान देने की कृपा करो. मैं उनसे मिलकर तुम्हारे सामने उपस्थित हो जाऊँगा.'

मृग की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी रात का घटना-चक्र घूम गया. उसने सारी कथा मृग को सुना दी. तब मृग ने कहा, 'मेरी तीनों पत्नियाँ जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएँगी. अतः जैसे तुमने उन्हें विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो. मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूँ.'

उपवास, रात्रि जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया था। उसमें भगवद् शक्ति का वास हो गया था। धनुष तथा बाण उसके हाथ से सहज ही छूट गए. भगवान शिव की अनुकम्पा से उसका हिंसक हृदय कारुणिक भावों से भर गया. वह अपने अतीत के कर्मों को याद करके पश्चाताप की ज्वाला में जलने लगा.

थोड़ी ही देर बाद मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके, किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई. उसके नेत्रों से आँसुओं की झड़ी लग गई. उस मृग परिवार को न मारकर शिकारी ने अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हटा सदा के लिए कोमल एवं दयालु बना लिया.

देव लोक से समस्त देव समाज भी इस घटना को देख रहा था. घटना की परिणति होते ही देवी-देवताओं ने पुष्प वर्षा की. तब शिकारी तथा मृग परिवार मोक्ष को प्राप्त हुए.'

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