सोनिया गांधी बहुते नाराज है,क्योंकि उनका खेल ख़त्म किया जा चूका है...!
वैसे तो १६ मई २०१४ के बाद से ही नाराज है लेकिन अब ज्यादा ए नाराज है...सोनिया पहले भी विपक्ष में बैठ चुकी है इसलिए यह प्रश्न तो बनता ही है की आखिर इस बार क्या अलग बात है,कि सोनिया नाराज है...?
अटलबिहारी बाजपेयी की जब सरकार थी तब विपक्ष में थी, लेकिन जलवा उनका बना हुआ था...तब कोई भी अंतर्राष्ट्रीय मेहमान भारत यात्रा पर आता था,वो सोनिया से बिना मिले नही जाता था और कुछ तो वहां उनके निवास में जाकर मिलते थे...पूर्व काल के आदर्शो, राजनैतिक आचरण और सदाचार को राजधर्म समझ कर, बाजपेयी जी ने,सत्ता चले जाने के बाद भी,सोनिया के महारानी पद की गरिमा पर बने रहने दिया था...यहां यह ध्यान देने वाली बात है की अंतर्राष्ट्रीय मेहमान किस से मिलेगा या नही मिलेगा, यह मेजबान राष्ट्र की सहमति से ही तय होता है और बाजपेयी जी अदूरदर्शीता में,महान बनने की बीमारी से ग्रस्त होकर,सोनिया को महामंडित होने दिया...!
सोनिया गांधी से अब कोई नही मिलता है और जहाँ तक मेरी जानकारी है भारत की नई सरकार का रुख देख कर अब कोई भी अंतर्राष्ट्रीय मेहमान, सोनिया से मिलने के लिए, भारतीय विदेश मंत्रालय को अपनी इच्छा प्रगट भी नही करता है...ये सोनिया के अंतर्राष्ट्रीय आभा मंडल का चीर हरण था...!
अंतर्राष्ट्रीय हस्ती के आभा मंडल के समाप्त होने से व्यथित हो कर,सोनिया बहुते नाराज है...!
पहले विपक्ष में थी,तब बेटा बोस्टन हवाई अड्डे पर अवैध डालर और नशीले पदार्थो के चक्कर में पकड़ा जाता था तो बाजपेयी जी सीधे अमेरिका के राष्ट्रपति को फोन कर के बेटे को छोड़ने का अनुग्रह करते थे और बेटा छूट जाता था...अब सोनिया भारत के प्रधानमंत्री को फोन ही नही कर सकती है और न ही कोई अवैधानिक कार्य करा सकती है...!
इससे उपजी हुयी ग्लानि से, सोनिया बहुते नाराज है...!
भारत की नई सरकार,सोनिया की किसी भी ज़िद पर ध्यान ही नही दे रही है और उन्हें भारत की सड़क पर साधारण भारतीय की तरह घूप में खड़ा होना पड़ रहा है...आज सोनिया १९६८ के बाद से,४७ साल बाद,एक आम भारतीयों की कतार में खड़ीं हो गई है...एक साधारण नागरिक बन जाने के अपमान से,सोनिया बहुते नाराज है...!
नेशनलिस्ट सोशलिस्ट कौंसिल ऑफ़ नागालैंड (NSCN) से नई सरकार बिना किसी को हवा लगे,संधि कर लेती है और सोनिया को कानो कान खबर भी नही लगती है...ये ऐसी संधि है, जिस पर सोनिया,चाह कर भी, यह भी नही कह सकती है कि मनमोहन सरकार के काल से ही बात चीत चल रही थी और नई सरकार ने कुछ नया नही किया है...बड़ी झुंझलाहट है,इस गोपनीयता से,सोनिया बहुते नाराज है...!
लेकिन इन सब बातो में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यह संधि उनके' क्रिशचन एवंगलिस्ट' भूमिका पर बहुत बड़ी चोट है...भारत के उत्तरी पूर्व राज्यों को मिलाकर,'किंगडम ऑफ़ क्राइस्ट'(ईसा का राज्य,)बनाने की कोशिश में यह वेटिकन पोप की बहुत बड़ी हार है...शेष भारत के लोग शायद न समझ पाये लेकिन यह एक ऐसी हकीकत है जिसकी जानकारी तीन दशको से भारत के राज्य तंत्र को मालूम थी लेकिन सोनिया गांधी के प्रभाव से,चर्च को,भारत में ईसाई धर्म के प्रसार की,बिना रोक टोक के, अनाधिकारिक छूट थी...ये उनकी ईसाइयत के प्रसार को बढ़ने देने की भूमिका पर सीधा आक्रमण और उनके रोमन कैथोलिक भावना का तिरस्कार था...उनके चर्च और रोमन कैथोलिक आत्मा का इस तरह के तिरस्कार से,सोनिया बहुते नाराज है...!
सोनिया को नाराज और होना है इसलिए उनका सारा रोना पूरा देख लीजिये...यहाँ एक बात याद रखिये की जब जड़ गहरी हो तो तेज़ाब डाला जाता है(चाणक्य ने मट्ठा डाला था)और जड़ धीरे धीरे सुखाई जाती है... हाँ,पेड़ काटा भी जा सकता है लेकिन यह भारत देश है,जहाँ भावना बेन बड़ी जल्दी आहत होती है...जल्दी बाजी में ज्ञानी, अज्ञानी,प्रकृति प्रेमियों के उस पेड़ से लिपट जाने का खतरा बना रहता है उन्हें पूर्व में किये हुए नुकसान और भविष्य में होने वाले नुकसान से मतलब नही रहता है,वो तो सीधे लकडहारे और कुल्हाड़ी पर ऊँगली उठा देते है...!
भारत में ऐसे प्रकृति प्रेमी अभी काफी है और ज्यादातर उस पेड़ की छाँव में ही बैठते हैं...लेकिन ये मुफ्तखोर हराम की छांव में बैठने वाले प्रकृति प्रेमी आंख नाक कान सब कुछ खोल सुन समझ ले... अभी आने वाले समय में इस नाराजगी को चरम की पराकाष्ठा पार कराने वाला है एक चाय वाला...!!!
जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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सोमवार, 24 जून 2019
सोनिया गांधी बहुते नाराज है,क्योंकि उनका खेल ख़त्म किया जा चूका है...!
बुधवार, 19 जून 2019
#बलात्कार अचानक इस देश मे क्यो बढ़ गए ?
*आओ देखे समस्या कहां है*
*कुछ समझने की कोशिश करें*
*#बलात्कार अचानक इस देश मे क्यो बढ़ गए ?*
कुछ उद्धरण से समझते हैं
*1) लोग कहते हैं कि #रेप क्यों होता है ?*
एक 8 साल का लडका सिनेमाघर मे राजा हरिशचन्द्र फिल्म देखने गया और फिल्म से प्रेरित होकर उसने सत्य का मार्ग चुना और वो बडा होकर महान व्यक्तित्व से जाना गया ।
#परन्तु
आज 8 साल का लडका #टीवी पर क्या देखता है ?
सिर्फ #नंगापन और #अश्लील वीडियो और #फोटो ,मैग्जीन मेंअर्धनग्न फोटो ,पडोस मे रहने वाली भाभी के छोटे कपडे !!
लोग कहते हैं कि रेप का कारण बच्चों की #मानसिकता है ।
पर वो मानसिकता आई कहा से ?
उसके जिम्मेदार कहीं न कहीं हम खुद जिम्मेदार है । कयोकि हम #joint family नही रहते ।
हम अकेले रहना पसंद करते हैं । और अपना परिवार चलाने के लिये माता पिता को बच्चों को अकेला छोड़कर काम पर जाना है । और बच्चे अपना अकेलापन दूर करने के लिये #टीवी और #इन्टरनेट का सहारा लेते हैं ।
और उनको देखने के लिए क्या मिलता है सिर्फ वही #अश्लील# #वीडियो और #फोटो तो वो क्या सीखेंगे यही सब कुछ ना ?
अगर वही बच्चा अकेला न रहकर अपने दादा दादी के साथ रहे तो कुछ अच्छे संस्कार सीखेगा ।
कुछ हद तक ये भी जिम्मेदार है ।
2) पूरा देश रेप पर उबल रहा है,
छोटी छोटी बच्चियो से जो दरिंदगी हो रही उस पर सबके मन मे गुस्सा है, कोई सरकार को कोस रहा, कोई समाज को तो कई feminist सारे लड़को को बलात्कारी घोषित कर चुकी है !
लेकिन आप सुबह से रात तक
कई बार sunny leon के कंडोम के add देखते है ..!!
फिर दूसरे add में कोई एक्टर शैम्पू के ऐड में लड़की पटाने के तरीके बताता है ..!!
ऐसे ही Close up, लिम्का, Thumsup भी दिखाता है #लेकिन_तब_आपको_गुस्सा_नही_आता है, है ना ?
आप अपने छोटे बच्चों के साथ music चैनल पर सुनते हैं
दारू बदनाम कर दी ,
कुंडी मत खड़काओ राजा,
मुन्नी बदनाम , चिकनी चमेली, झण्डू बाम , तेरे साथ करूँगा गन्दी बात, और न जाने ऐसी कितनी मूवीज गाने देखते सुनते है
#तब _आपको_गुस्सा_नही_आता ??
मम्मी बच्चों के साथ Star Plus, जी TV, सोनी TV देखती है जिसमें एक्टर और एक्ट्रेस सुहाग रात मनाते है । किस करते है । आँखो में आँखे डालते है
और तो और भाभीजी घर पर है, जीजाजी छत पर है, बहोत से ऐसे serial जिसमे एक व्यक्ति दूसरे की पत्नी के पीछे घूमता लार टपकता नज़र आएगा
पूरे परिवार के साथ देखते है ।-
#इन_सब_serial_को_देखकर_आपको_गुस्सा_नही_आता ??
फिल्म्स आती है जिसमे किस (चुम्बन, आलिंगन), रोमांस से लेकर गंदी कॉमेडी आदि सब कुछ दिखाया जाता है ।
पर आप बड़े मजे लेकर देखते है
इन_सब_को_देखकर_आपको_गुस्सा_नही_आता ??
खुलेआम TV- फिल्म वाले आपके बच्चों को बलात्कारी बनाते है, उनके कोमल मन मे जहर घोलते है ।
#तब_आपको_गुस्सा_नही_आता ?
क्योकि
आपको लगता है कि
रेप रोकना सरकार की जिम्मेदारी है । पुलिस, प्रशासन, न्यायव्यवस्था की जिम्मेदारी है ....
लेकिन क्या समाज, मीडिया की कोई जिम्मेदारी नही । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में कुछ भी परोस दोगे क्या ?
आप तो अखबार पढ़कर, News देखकर बस गुस्सा निकालेंगे, कोसेंगे सिस्टम को, सरकार को, पुलिस को, प्रशासन को , DP बदल लेंगे, सोशल मीडिया पे खूब हल्ला मचाएंगे, बहुत ज्यादा हुआ तो कैंडल मार्च या धरना कर लेंगे लेकिन....
TV, चैनल्स, वालीवुड, मीडिया को कुछ नही कहेंगे । क्योकि वो आपके मनोरंजन के लिए है ।
सच पुछिऐ तो TV Channels अशलीलता परोस रहे है ...
पाखंड परोस रहे है ,
झूंठे विषज्ञापन परोस रहे है ,
झूंठेऔर सत्य से परे ज्योतिषी पाखंड से भरी कहानियां एवं मंत्र , ताबीज आदि परोस रहै है ।
उनकी भी गलती नही है, कयोंकि आप खरीददार हो .....??
बाबा बंगाली, तांत्रिक बाबा, स्त्री वशीकरण के जाल में खुद फंसते हो ।
3) अभी टीवी का खबरिया चैनल मंदसौर के गैंगरेप की घटना पर समाचार चला रहा है |
जैसे ही ब्रेक आये :
पहला विज्ञापन बोडी स्प्रे का जिसमे लड़की आसमान से गिरती है ,
दूसरा कंडोम का ,
तीसरा नेहा स्वाहा-स्नेहा स्वाहा वाला ,
और चौथा प्रेगनेंसी चेक करने वाले मशीन का......
जब हर विज्ञापन, हर फिल्म में नारी को केवल भोग की वस्तु समझा जाएगा तो बलात्कार के ऐसे मामलों को बढ़ावा मिलना निश्चित है ......
क्योंकि
"हादसा एक दम नहीं होता,
वक़्त करता है परवरिश बरसों....!"
ऐसी निंदनीय घटनाओं के पीछे निश्चित तौर पर भी बाजारवाद ही ज़िम्मेदार है ..
4) आज सोशल मीडिया इंटरनेट और फिल्मों में @पोर्न परोसा जा रहा है ।
तो बच्चे तो बलात्कारी ही बनेंगे ना
😢😢😢
ध्यान रहे समाज और मीडिया को बदले बिना ये आपके कठोर सख्त कानून कितने ही बना लीजिए ।
ये घटनाएं नही रुकने वाली है ।
इंतज़ार कीजिये बहुत जल्द आपको फिर केंडल मार्च निकालने का अवसर
हमारा स्वछंद समाज, बाजारू मीडिया और गंदगी से भरा सोशल मिडीया देने वाला है ।
अगर अब भी आप बदलने की शुरुआत नही करते हैं तो समझिए कि ......
फिर कोई भारत की बेटी
निर्भया
गीता
दिव्या
संस्कृति
की तरह बर्बाद होने वाली है ।
आपको आपकी बेटियां बचाना है तो सरकार कानून पुलिस के भरोसे से बाहर निकलकर समाज मीडिया और सोशल मीडिया की गंदगी साफ करने की आवश्यकता है .
शुक्रवार, 7 जून 2019
ब्रेन हेमरेज क्या है
मस्तिष्क आघात के मरीज़ को कैसे पहचानें?
इस के बारे में पोस्ट डाक्टर साहब लिखते हैं ----
साथ में खड़े मित्रों ने उन्हें साफ़ होने में उन की मदद की और एक नई प्लेट भी आ गई। ऐसा लग रहा था कि इन्ग्रिड थोड़ा अपने आप में नहीं है लेकिन वह पूरी शाम पार्टी तो एकदम एन्जॉय करती रहीं। बाद में इन्ग्रिड के पति का लोगों को फोन आया कि कि उसे हस्पताल में ले जाया गया लेकिन वहां पर उस ने उसी शाम को दम तोड़ दिया।
2. अगर जुबान सीधी बाहर नहीं आ रही और वह एक तरफ़ को मुड़ सी रही है तो भी यह एक स्ट्रोक का लक्षण है।
और यह जान आप की अपनी भी हो सकती है -।
*समय गूंगा नहीं*
*बस मौन है,*
*वक्त पर बताता है*
*किसका कौन है!*
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गुरुवार, 6 जून 2019
हनुमान चालीसा में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र
हनुमान चालीसा में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र...
कई लोगों की दिनचर्या हनुमान चालीसा पढ़ने से शुरू होती है। पर क्या आप जानते हैं कि श्री *हनुमान चालीसा* में 40 चौपाइयां हैं, ये उस क्रम में लिखी गई हैं जो एक आम आदमी की जिंदगी का क्रम होता है।
माना जाता है तुलसीदास ने चालीसा की रचना मानस से पूर्व किया था। हनुमान को गुरु बनाकर उन्होंने राम को पाने की शुरुआत की।
अगर आप सिर्फ हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं तो यह आपको भीतरी शक्ति तो दे रही है लेकिन अगर आप इसके अर्थ में छिपे जिंदगी के सूत्र समझ लें तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिला सकते हैं।
हनुमान चालीसा सनातन परंपरा में लिखी गई पहली चालीसा है शेष सभी चालीसाएं इसके बाद ही लिखी गई।
हनुमान चालीसा की शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं। आइए जानते हैं हनुमान चालीसा से आप अपने जीवन में क्या-क्या बदलाव ला सकते हैं….
*शुरुआत गुरु से…*
हनुमान चालीसा की शुरुआत *गुरु* से हुई है…
श्रीगुरु चरन सरोज रज,
निज मनु मुकुरु सुधारि।
*अर्थ* - अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं।
गुरु का महत्व चालीसा की पहले दोहे की पहली लाइन में लिखा गया है। जीवन में गुरु नहीं है तो आपको कोई आगे नहीं बढ़ा सकता। गुरु ही आपको सही रास्ता दिखा सकते हैं।
इसलिए तुलसीदास ने लिखा है कि गुरु के चरणों की धूल से मन के दर्पण को साफ करता हूं। आज के दौर में गुरु हमारा मेंटोर भी हो सकता है, बॉस भी। माता-पिता को पहला गुरु ही कहा गया है।
समझने वाली बात ये है कि गुरु यानी अपने से बड़ों का सम्मान करना जरूरी है। अगर तरक्की की राह पर आगे बढ़ना है तो विनम्रता के साथ बड़ों का सम्मान करें।
*ड्रेसअप का रखें ख्याल…*
चालीसा की चौपाई है
कंचन बरन बिराज सुबेसा,
कानन कुंडल कुंचित केसा।
*अर्थ* - आपके शरीर का रंग सोने की तरह चमकीला है, सुवेष यानी अच्छे वस्त्र पहने हैं, कानों में कुंडल हैं और बाल संवरे हुए हैं।
आज के दौर में आपकी तरक्की इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप रहते और दिखते कैसे हैं। फर्स्ट इंप्रेशन अच्छा होना चाहिए।
अगर आप बहुत गुणवान भी हैं लेकिन अच्छे से नहीं रहते हैं तो ये बात आपके करियर को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, रहन-सहन और ड्रेसअप हमेशा अच्छा रखें।
आगे पढ़ें - हनुमान चालीसा में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र...
*सिर्फ डिग्री काम नहीं आती*
बिद्यावान गुनी अति चातुर,
राम काज करिबे को आतुर।
*अर्थ* - आप विद्यावान हैं, गुणों की खान हैं, चतुर भी हैं। राम के काम करने के लिए सदैव आतुर रहते हैं।
आज के दौर में एक अच्छी डिग्री होना बहुत जरूरी है। लेकिन चालीसा कहती है सिर्फ डिग्री होने से आप सफल नहीं होंगे। विद्या हासिल करने के साथ आपको अपने गुणों को भी बढ़ाना पड़ेगा, बुद्धि में चतुराई भी लानी होगी। हनुमान में तीनों गुण हैं, वे सूर्य के शिष्य हैं, गुणी भी हैं और चतुर भी।
*अच्छा लिसनर बनें*
प्रभु चरित सुनिबे को रसिया,
राम लखन सीता मन बसिया।
*अर्थ* -आप राम चरित यानी राम की कथा सुनने में रसिक है, राम, लक्ष्मण और सीता तीनों ही आपके मन में वास करते हैं।
जो आपकी प्रायोरिटी है, जो आपका काम है, उसे लेकर सिर्फ बोलने में नहीं, सुनने में भी आपको रस आना चाहिए।
अच्छा श्रोता होना बहुत जरूरी है। अगर आपके पास सुनने की कला नहीं है तो आप कभी अच्छे लीडर नहीं बन सकते।
*कहां, कैसे व्यवहार करना है ये ज्ञान जरूरी है*
सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रुप धरि लंक जरावा।
*अर्थ* - आपने अशोक वाटिका में सीता को अपने छोटे रुप में दर्शन दिए। और लंका जलाते समय आपने बड़ा स्वरुप धारण किया।
कब, कहां, किस परिस्थिति में खुद का व्यवहार कैसा रखना है, ये कला हनुमानजी से सीखी जा सकती है।
सीता से जब अशोक वाटिका में मिले तो उनके सामने छोटे वानर के आकार में मिले, वहीं जब लंका जलाई तो पर्वताकार रुप धर लिया।
अक्सर लोग ये ही तय नहीं कर पाते हैं कि उन्हें कब किसके सामने कैसा दिखना है।
*अच्छे सलाहकार बनें*
तुम्हरो मंत्र बिभीसन माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना।
*अर्थ* - विभीषण ने आपकी सलाह मानी, वे लंका के राजा बने ये सारी दुनिया जानती है।
हनुमान सीता की खोज में लंका गए तो वहां विभीषण से मिले। विभीषण को राम भक्त के रुप में देख कर उन्हें राम से मिलने की सलाह दे दी।
विभीषण ने भी उस सलाह को माना और रावण के मरने के बाद वे राम द्वारा लंका के राजा बनाए गए। किसको, कहां, क्या सलाह देनी चाहिए, इसकी समझ बहुत आवश्यक है। सही समय पर सही इंसान को दी गई सलाह सिर्फ उसका ही फायदा नहीं करती, आपको भी कहीं ना कहीं फायदा पहुंचाती है।
*आत्मविश्वास की कमी ना हो*
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही, जलधि लांघि गए अचरज नाहीं।
*अर्थ* - राम नाम की अंगुठी अपने मुख में रखकर आपने समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई अचरज नहीं है।
अगर आपमें खुद पर और अपने परमात्मा पर पूरा भरोसा है तो आप कोई भी मुश्किल से मुश्किल टॉस्क को आसानी से पूरा कर सकते हैं।
आज के युवाओं में एक कमी ये भी है कि उनका भरोसा बहुत टूट जाता है। आत्मविश्वास की कमी भी बहुत है। प्रतिस्पर्धा के दौर में आत्मविश्वास की कमी होना खतरनाक है। अपनेआप पर पूरा भरोसा रखे
जय श्री राम
वट सावित्रि व्रत 03 से 05 जून विशेष
*वट सावित्रि व्रत 03 से 05 जून विशेष*
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अखंड सौभाग्य एवं संतान दायक यह व्रत प्रतिवर्ष ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है परंतु इस वर्ष अधिक मास के कारण इसे दो बार मनाया जा रहा है।
वट सावित्रि व्रत की यह कथा सत्यवान-सावित्रि के नाम से उत्तर भारत में विशेष रूप से प्रचलित हैं। कथा के अनुसार एक समय की बात है कि मद्रदेश में अश्वपति नाम के धर्मात्मा राजा का राज था| उनकी कोई भी संतान नहीं थी| राजा ने संतान हेतु यज्ञ करवाया। कुछ समय बाद उन्हें एक कन्या की प्राप्ति हुई जिसका नाम उन्होंने सावित्री रखा| विवाह योग्य होने पर सावित्री के लिए द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान को पतिरूप में वरण किया| सत्यवान वैसे तो राजा का पुत्र था लेकिन उनका राज-पाट छिन गया था और अब वह बहुत ही द्ररिद्रता का जीवन जी रहे थे। उसके माता-पिता की भी आंखो की रोशनी चली गई थी। सत्यवान जंगल से लकड़ियां काटकर लाता और उन्हें बेचकर जैसे-तैसे अपना गुजारा कर रहा था। जब सावित्रि और सत्यवान के विवाह की बात चली तो नारद मुनि ने सावित्रि के पिता राजा अश्वपति को बताया कि सत्यवान अल्पायु हैं और विवाह के एक वर्ष बाद ही उनकी मृत्यु हो जाएगी। हालांकि राजा अश्वपति सत्यवान की गरीबी को देखकर पहले ही चिंतित थे और सावित्रि को समझाने की कोशिश में लगे थे। नारद की बात ने उन्हें और चिंता में डाल दिया लेकिन सावित्रि ने एक न सुनी और अपने निर्णय पर अडिग रही। अंततः सावित्री और सत्यवान का विवाह हो गया| सावित्री सास-ससुर और पति की सेवा में लगी रही। नारद मुनि ने सत्यवान की मृत्यु का जो दिन बताया था, उसी दिन सावित्री भी सत्यवान के साथ वन को चली गई। वन में सत्यवान लकड़ी काटने के लिए जैसे ही पेड़ पर चढ़ने लगा, उसके सिर में असहनीय पीड़ा होने लगी और वह सावित्री की गोद में सिर रखकर लेट गया। कुछ देर बाद उनके समक्ष अनेक दूतों के साथ स्वयं यमराज खड़े हुए थे। जब यमराज सत्यवान के जीवात्मा को लेकर दक्षिण दिशा की ओर चलने लगे, पतिव्रता सावित्री भी उनके पीछे चलने लगी। आगे जाकर यमराज ने सावित्री से कहा, ‘हे पतिव्रता नारी! जहां तक मनुष्य साथ दे सकता है, तुमने अपने पति का साथ दे दिया। अब तुम लौट जाओ।’ इस पर सावित्री ने कहा, ‘जहां तक मेरे पति जाएंगे, वहां तक मुझे जाना चाहिए। यही सनातन सत्य है’ यमराज सावित्री की वाणी सुनकर प्रसन्न हुए और उसे वर मांगने को कहा। सावित्री ने कहा, ‘मेरे सास-ससुर अंधे हैं, उन्हें नेत्र-ज्योति दें। यमराज ने ‘तथास्तु’ कहकर उसे लौट जाने को कहा और आगे बढ़ने लगे। किंतु सावित्री यम के पीछे ही चलती रही। यमराज ने प्रसन्न होकर पुन: वर मांगने को कहा। सावित्री ने वर मांगा, ‘मेरे ससुर का खोया हुआ राज्य उन्हें वापस मिल जाए|’ यमराज ने ‘तथास्तु’ कहकर पुनः उसे लौट जाने को कहा, परंतु सावित्री अपनी बात पर अटल रही और वापस नहीं गयी| सावित्री की पति भक्ति देखकर यमराज पिघल गए और उन्होंने सावित्री से एक और वर मांगने के लिए कहा तब सावित्री ने वर मांगा, ‘मैं सत्यवान के सौ पुत्रों की मां बनना चाहती हूं कृपा कर आप मुझे यह वरदान दें’ सावित्री की पति-भक्ति से प्रसन्न हो इस अंतिम वरदान को देते हुए यमराज ने सत्यवान की जीवात्मा को पाश से मुक्त कर दिया और अदृश्य हो गए। सावित्री जब उसी वट वृक्ष के पास आई तो उसने पाया कि वट वृक्ष के नीचे पड़े सत्यवान के मृत शरीर में जीव का संचार हो रहा है। कुछ देर में सत्यवान उठकर बैठ गया। उधर सत्यवान के माता-पिता की आंखें भी ठीक हो गईं और उनका खोया हुआ राज्य भी वापस मिल गया।
*वट सावित्रि व्रत का महत्व*
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जैसा कि इसकी कथा से ही ज्ञात होता है कि यह पर्व हर परिस्थिति में अपने जीवनसाथी का साथ देने का संदेश देता है। इससे ज्ञात होता है कि पतिव्रता स्त्री में इतनी ताकत होती है कि वह यमराज से भी अपने पति के प्राण वापस ला सकती है। वहीं सास-ससुर की सेवा और पत्नी धर्म की सीख भी इस पर्व से मिलती है। मान्यता है कि इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और उन्नति और संतान प्राप्ति के लिये यह व्रत रखती हैं।
*वट सावित्रि व्रत पूजा विधि*
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वट सावित्रि व्रत में वट यानि बरगद के वृक्ष के साथ-साथ सत्यवान-सावित्रि और यमराज की पूजा की जाती है। माना जाता है कि वटवृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देव वास करते हैं। अतः वट वृक्ष के समक्ष बैठकर पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन स्त्रियों को प्रातःकाल उठकर स्नान करना चाहिये। इसके बाद रेत से भरी एक बांस की टोकरी लें और उसमें ब्रहमदेव की मूर्ति के साथ सावित्री की मूर्ति स्थापित करें। इसी प्रकार दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री की मूर्तियाँ स्थापित करे दोनों टोकरियों को वट के वृक्ष के नीचे रखे फिर निम्न श्लोक से सावित्री को अर्घ्य दें
अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।
पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तु ते॥
तत्पश्चात सत्यवान और सावित्री की मूर्तियों की पूजा करे और वट वृक्ष को जल दे। वट-वृक्ष की पूजा हेतु जल, फूल, रोली-मौली, कच्चा सूत, भीगा चना, गुड़ इत्यादि चढ़ाएं और
*इसके बाद निम्न श्लोक से वटवृक्ष की प्रार्थना करें*
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यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले।
तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा॥
बड़ के पत्तों के गहने पहनकर वट सावित्री की कथा सुनें। भीगे हुए चनों का बायना निकालकर, नकद रुपए रखकर सासुजी के चरण-स्पर्श करें। यदि सास वहां न हो तो बायना बनाकर उन तक पहुंचाएं। वट तथा सावित्री की पूजा के पश्चात प्रतिदिन पान, सिन्दूर तथा कुंमकुंम से सौभाग्यवती स्त्री के पूजन का भी विधान है। यही सौभाग्य पिटारी के नाम से जानी जाती है। सौभाग्यवती स्त्रियों का भी पूजन होता है। अपने सामर्थ्य के हिसाब से पूजा समाप्ति पर ब्राह्मणों को वस्त्र तथा फल आदि वस्तुएं बांस के पात्र में रखकर दान करें।
फिर बाँस के पंखे से सत्यवान-सावित्री को हवा करें। बरगद के पत्ते को अपने बालों में लगायें। अब धागे को बरगद के पेड़ में बाँधकर यथा शक्ति 5,11,21,51, या 108 बार परिक्रमा करें इसके बाद सावित्री-सत्यवान की कथा पंडित जी से सुने तथा उन्हें यथा सम्भव दक्षिणा दें या कथा स्वयम पढे। फिर अपने-अपने घरों को लौट जायें। घर में आकर उसी पंखें से अपने पति को हवा करें तथा उनका आशीर्वाद लें।
अंत में निम्न संकल्प लेकर उपवास रखें
मम वैधव्यादिसकलदोषपरिहारार्थं ब्रह्मसावित्रीप्रीत्यर्थं
सत्यवत्सावित्रीप्रीत्यर्थं च वटसावित्रीव्रतमहं करिष्ये। उसके बाद शाम के वक्त मीठा भोजन करे।
सामग्री
〰️〰️
सत्यवान-सावित्री की मूर्ति,, कपड़े की बनी हुई
बाँस का पंखा
लाल धागा
धूप
मिट्टी का दीपक
घी
फूल
फल( आम, लीची तथा अन्य फल)
कपड़ा – 1.25 मीटर का दो
सिंदूर
जल से भरा हुआ पात्र
रोली।।ॐ नमो नमः।।
🌿🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸
*🙏🌹श्रीजी सेवा ग्रुप परिवार 🌹🙏*
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