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*इंश्योरेंस के नाम पर वाहन डीलरों की खुली लूट, नई गाडी लेते समय आखिर क्यूँ थमा दी जाती है प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी की पॉलिसी?*
दोस्तों यदि आप कोई भी दुपहिया या चौपहिया वाहन खरीदने कि सोच रहे है या खरीदने जा रहे है तो ये जानकारी केवल आपके लिए है। आज मैं आपके साथ जो जानकारी साझा करने जा रहा हूँ उससे आप आसानी से अच्छा खासा अमाउंट वाहन खरीदारी के समय बचा सकते है और यहाँ तक कि अगर आप EMI पर भी लेने जा रहे है तो एक से दो EMI जितना पैसा या उससे भी ज्यादा आप आसानी से बचा सकते है, आपकी थोड़ी-सी जानकारी और सतर्कता आपकी जेब कटने से बचा सकती है। यहाँ मैं किसी ब्रांड या मॉडल के बारे में नहीं बताने वाला हूँ क्यूंकि वो सब आप लोग अपने बजट और आवश्यकतानुसार चुनते है। यहां जो जानकारी मैं आपसे साँझा करने जा रहा हूँ वो सभी के लिए कॉमन है जो हर ब्रांड और मॉडल पर लागू होती है, तो जानकारी को आखिर तक ध्यान से पढ़िए और अच्छी लगे तो अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिये।
*1. दोस्तों कभी भी Dealer point से Insurance न ले, इसके बारे में विस्तार से बताने वाला हूँ, क्यूंकि सबसे ज्यादा आपका पैसा यही बचने वाला है।*
2. Car Accessories like सीट कवर्स, Mattress वगैरा भी अगर हो सके तो डीलर के यहाँ से न ले, क्यों न ले इस बारे में भी थोड़ा-सा संक्षेप में बताऊंगा और
3. Teflon Coating, Under Body Coating आदि पर व्यर्थ पैसा खर्च न करे मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ इसके लिए पूरी जानकारी ध्यान से पढ़िए। एक-एक करके समझाने की कोशिश करता हूँ।
1. दोस्तों, 31 अगस्त 2017 को IRDAI ने मोटर बीमा उत्पादों के वितरण और सर्विसिंग में ऑटोमोबाइल डीलरों की भूमिका को पहचानने और विनियमित करने के लिए "मोटर बीमा सेवा प्रदाताओं पर दिशानिर्देश" (MISP दिशानिर्देश) को अधिसूचित किया जो कि 01 नवंबर 2017 से लागू हुए। MISP के तहत मोटर डीलर सभी औपचारिकताओं को पूरी करने के बाद इंश्योरेंस कंपनी से MoU sign करता है और उसके बाद सम्बंधित कंपनी की मोटर पॉलिसी वो डीलर पोर्टल से वितरित कर सकता है। IRDA ने MISP के तहत कमीशन कि अधिकतम सीमा तय कि हुई है जो Four wheeler के लिए 19.5 % और Two wheeler के लिए 22.5 % है, और *कोई भी इंश्योरेंस कंपनी इन नए नियमों के अनुसार इस से अधिक Remuneration डीलर को नहीं दे सकती है।*
*दोस्तों हम जब भी कोई नया वाहन खरीदते है तो Dealer अमूमन Insurance का price जोड़कर व्हीकल की कीमत का कोटेशन देता है और वो भी किसी प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी का*, वो ऐसा क्यों करते है आप थोड़ा-सा ध्यान से पढ़ेंगे और समझने की कोशिश करेंगे तो आपको सारा खेल समझ आ जायेगा। क्या आपने कभी सोचा है कि ये Dealer लोग अमूमन या ये कहूँ शत प्रतिशत मामलों में आपको वाहन खरीदते समय किसी Private Company कि ही पॉलिसी क्यों देते है, किसी सरकारी बीमा कंपनी कि क्यों नहीं? तो चलिए आज आपको बता देता हूँ- *क्यूंकि Private Insurance Companies से इनको कमीशन तो मिलता ही है साथ ही साथ Cash Back, महंगे-महंगे Gifts और target पूरा करने के हिसाब से विदेश यात्रा/Domestic trips के रूप में बहुत कुछ मिलता है।* और ये सब पैसा निकाला जाता है हमारी जेब से। इंश्योरेंस के नाम पर आपसे ज्यादा धन राशि चार्ज की जाती है, क्यूंकि जितनी ज्यादा प्रीमियम राशि उतना ज्यादा कमीशन और उतनी जल्दी इनकी घरेलू या विदेश यात्रा। हमारे पैसे से कोई और सैर-सपाटा करके आता है, हम भी तो पैसा बचाकर अपना Holiday प्लान कर सकते है।
_दोस्तों अभी हालफिलहाल का एक उदाहरण देता हूँ आपको अच्छे से समझ आएगा, हमारे एक मित्र को अभी कुछ दिन पहले एक कार लेनी थी जिसकी Ex-Showroom कीमत 5,30,000/- के करीब थी, उसके लिए डीलर ने शुरू में Insurance price 42,000/- के लगभग क्वोट किया, बाद में 30,000/- पर आया और जब उसको बताया कि सरकारी बीमा कंपनी से 20,000 में मिल रहा है तो उसके बाद 20,000/- पर भी सहमत हो गया ।_ [यहाँ मैं 1 Year Own Damage प्लस 3 year Third Party की बात कर रहा हूँ।] बाद में इस बात पर भी सहमत हो गया की आप बेसक खुद से इंश्योरेंस करवा लेना लेकिन आप हमारे यहाँ से गाडी खरीद लो। दोस्तों सिर्फ इंश्योरेंस प्रीमियम में ही 22,000/- का अंतर कोई मामूली अंतर नहीं है, ये बहुत ज्यादा है । जो लोग EMI में लेते है 22,000/- से उनका लगभग 2 महीने का EMI भरा जा सकता है। इससे और महंगी गाड़ियों में तो ये अंतर 45,000 से 50,000/- के करीब होता है। अभी लगभग सभी कार कम्पनियाँ, कार के अलग-अलग मॉडल में डिस्काउंट दे रही है उसके साथ कंफ्यूज होने की जरुरत नहीं है। *अगर आप समझदारी से बीमा कंपनी चुनते है तो अच्छा-खासा अमाउंट आप इंश्योरेंस में ही बचा सकते है।*
दोस्तों हम गाडी के ब्रांड/मॉडल आदि की खूबियों/कमियों पर तो खूब रिसर्च कर लेते है लेकिन इंश्योरेंस जैसी चीजों को भू
ल जाते है। एक आम व्यक्ति को इंश्योरेंस के मामले में अधिक जानकारी नहीं होती है और न कोई सही और सटीक जानकारी देने वाला मिलता है । कुछ लोगो को तो यह भी मालूम नहीं होगा की General Insurance Sector में कितनी Private और सरकारी कम्पनियाँ है। मेरी आपको सलाह है कि कभी भी नया वाहन लेते समय Insurance प्रीमियम पर भी रिसर्च कीजिये। आँखें बंद करके डीलर की सब बातों पर कभी भी विश्वास न करे, सरकारी बीमा कंपनी से पता कीजिये कि Insurance प्रीमियम कितना पड़ेगा क्यूंकि *सरकारी बीमा कम्पनिया सीधे कस्टमर को प्रीमियम राशि में अच्छा खासा डिस्काउंट देती है।* डीलर को सरकारी बीमा कंपनी से कमीशन के अलावा ज्यादा कुछ मिलता नहीं है इसलिए ये लोग आपको इनकी पॉलिसी देते भी नहीं है, यहाँ तक की बताते भी नहीं है। आप इस विषय में ज्यादा पूछते नहीं है तो वो समझ जाते है कि ये भोंदूराम है, लूट लो। पूछेंगे तो गुमराह करेंगे इनकी सर्विस अच्छी नहीं है जी। अब ये थोडे बोलेगा कि मुझे कमीशन के अलावा कुछ नही मिलेगा। दोस्तों चोर लुटेरे तो चाकू छुरी कि नोंक पे लूटते है यहां मीठा बोलकर आपकी जेब काटी जाती है और आप खुशी-खुशी जेब कटवाकर आ भी जाते है । माना गाडी़ लेना आपकी जरुरत है लेकिन गाडी़ बेचना इनकी मजबूरी भी है इसलिए Negotiation कीजिए। *दोस्तों आप डीलर पॉइंट से इंश्योरेंस न लेकर खुद ही सीधे अपनी मनपसंद इंश्योरेंस कंपनी से बीमा ले सकते है इसके लिए सिर्फ आपको व्हीकल का Engine No./ Chasis No., Make & Model और Price, Colour आदि जरुरी जानकारी देनी होती है। और ऐसा करने से आपको कोई भी रोक नही सकता है।*
दोस्तों यहां पे आपको झांसे दिए जायेंगे कि हम जिस इंश्योरेंस कंपनी का बीमा देंगे उसमें क्लेम आया तो Cash-less कि व्यवस्था हो जाएगी जबकि पता इनको भी है साला शुरू के 2-4 साल तो क्लेम नहीं आने वाला है बंदा सुबह-शाम 2 बार गाडी को धोएगा, कपडा मारेगा, कवर से ढक कर रखेगा। क्यूंकि हम नई गाडी को बहुत सावधानी और सुरक्षित रूप से चलाते है अगर होता भी है तो बहुत छोटा मोटा क्लेम होता है, कही स्क्रैच आ गए या बम्पर डैमेज हो गया, क्यूंकि नए व्हीकल में बड़े क्लेम आने की सम्भावना बहुत ही कम होती है। दोस्तों डीलर लोग सरकारी बीमा कंपनियों से Cash-less का टाई-अप इसलिये ही नहीं रखते कि इनकी लूट-खसोट कि दुकानें बंद हो जाएँगी। दूसरा आपको बताया जायेगा की हमारी पॉलिसी में Consumables (Engine Oil, Oil Filter, Fuel Filter, Break Oil) भी कवर है। दोस्तों ये सब चीजें तभी कवर है जब आपके व्हीकल का कोई बड़ा एक्सीडेंट हुआ है और इन सब पार्ट्स को चेंज करना पड़े। Engine & Gearbox Protection कवर लगभग सभी कम्पनियाँ देती है आप Add-on कवर के रूप में ले सकते है, भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है। तीसरा ये भी बोलेंगे की अनलिमिटेड क्लेम कर सकते है अरे भाई! किसी भी पॉलिसी में जितनी बार क्लेम आएगा वो मिलता ही है। सरकारी कंपनी दे देगी प्राइवेट में क्या कंडीशन डाला होगा आपको बताएंगे भी नहीं, क्लेम के समय पता चलता है ये भी एक कंडीशन थी, क्यूंकि शुरू में आपको एक पेज की पॉलिसी थमा दी जाती है, इसलिए आपको ज्यादा जानकारी नहीं होती है। मेरी आपसे गुजारिश है पूरी पॉलिसी पढ़िए जो सामन्यता 8-10 पेज की होती है। जो पॉलिसी आपकी बीमा कंपनी ने IRDAI से बेचने की अनुमति ली है (under file & use)। डीलर या बीमा कंपनी के भ्रामक प्रचार में ना आये। क्योंकि सबसे ज्यादा शिकायतें इन प्राइवेट कंपनियों के ही खिलाफ है, जो पॉलिसी देते समय पॉलिसी के नियम और शर्तों की सही-सही जानकारी कस्टमर को नहीं देती है। अगर वाहन लेते समय आपको प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी की पॉलिसी थमा दी गयी है तो आप रिन्यूअल के समय सरकारी कंपनी से प्रीमियम राशि पता कर पॉलिसी रीन्यू करवा सकते है।
दोस्तों कितने गलत तरीके से आपको फंसाते है इसके लिए यहाँ मैं एक जानकारी और आपको शेयर कर दूँ मारुती व्हीकल बेचने के अलावा इंश्योरेंस भी बेचती है, मारुती इंश्योरेंस ब्रोकर एजेंट के द्वारा। जिनको एजेंट और ब्रोकर एजेंट में फर्क नहीं पता उनको संक्षेप में बता दूँ एजेंट सिर्फ एक बीमा कंपनी से लाइसेंस ले सकता है जबकि ब्रोकर एजेंट सभी बीमा कंपनियों से लाइसेंस ले सकता है और अपनी सुविधानुसार या ये कहुँ फ़ायदेनुसार किसी भी बीमा कंपनी की पॉलिसी दे सकता है। जब जुलाई 2017 से GST लागू हुआ तब मारुती ने अपने सभी डीलरों को आदेश दिया था की अगर कोई Non-Maruti Insurance ब्रोकर वाली गाडी रिपेयर के लिए आती है तो आप बिल उसकी इंश्योरेंस कंपनी के नाम से मत दो, कस्टमर के नाम से दो ताकि कस्टमर को क्लेम में GST का अमाउंट नहीं मिलेगा (क्यूंकि बिल उसकी इंश्योरेंस कंपनी के नाम से नहीं रहेगा तो वो GST amount क्लेम नहीं कर पायेगी) और मजबूरन Customer अगली बार हमारे ब्रोकर कोड से पॉलिसी लेंगे वो भी प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी की और महंगे दाम में। क
्या कहुँ इसे ये एक इनकी बहुत ही अनैतिक बिज़नेस प्रैक्टिस थी। क्यूंकि उस समय मेरी गाडी का क्लेम था तो मुझे इन लोगो से बहुत जदो-जहद करनी पड़ी थी। मुझे ये लोग बेवकूफ नहीं बना पाये थे, और मैंने बोल दिया था आप लिखित में दीजिये की मेरी बीमा कंपनी के नाम से बिल नहीं देंगे, IRDAI में शिकायत करके तुम्हारा ब्रोकर लाइसेंस ही कैंसिल करवाता हूँ। दोस्तों *क्या आपको पता है- आपका Car Manufacturer भी आपको किसी विशेष बीमा कंपनी या अपने ब्रोकर चैनल से पॉलिसी लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है* डीलर तो दूर की बात है। MISP का उद्देश्य ही यही था की कस्टमर को फायदा हो। लेकिन अपने फायदे के लिए ये लोग आपको बेवकूफ बनाते आ रहे है। क्या आपको पता है मारुती इंश्योरेंस ब्रोकर ने 2018-19 फाइनेंसियल ईयर में लगभग 8889 करोड़ की प्रीमियम धनराशि बुक की है, इस पर कमीशन कितना बनता है आप खुद गणना कर लीजिये। दोस्तों जागरूक बनिए, समझदार बनिए ।
2. दोस्तों अगर आपको Car Accessories जैसे सीट कवर या मैट्रेस्स लगवानी ही है तो बाहर से लगवाइये क्यूंकि बाहर से ये आपको बहुत सस्ते में पड़ जाएँगी। मैंने बाहर से मात्र 3000 में लगवाई थी जो अमूमन डीलर के यहाँ आपको 12-15 हजार में पड़ती है। आप नया व्हीकल लेते है तो अमूमन बोला जाता होगा आप इतने रूपये तक का कोई भी आइटम लगवा सकते है लेकिन मेरी सिटी में इतने हरामखोर है सीट कवर नहीं लगाते है, बोलते है- सर इसी में तो हमारा प्रॉफिट मार्जिन है।
3. दोस्तों आप अपना नया व्हीकल लेते है तो आपको एक अलग चाव होता है, यहाँ आपकी Psychology के साथ खेला जाता है सर टेफ़लोन कोटिंग करवा लो पेंट प्रोटेक्शन होगा, स्क्रैच नहीं दिखेगा but my dear friends its useless हफ्ता दस दिन चमक रहती है उसके बाद सब वैसे का वैसा, इस से आपके व्हीकल की ओरिजिनल shine भी चली जाती है। दूसरा बोला जाता होगा की अंडर बॉडी रस्ट कोटिंग करवा लो, तो दोस्तों अगर आप ड्राई एरिया में है तो इसकी कोई जरुरत नहीं है और आपके कार निर्माता द्वारा केमिकल प्रोसेस से कार बॉडी को ट्रीट किया जाता है तो मुझे नहीं लगता इस सब की कोई जरुरत है ।
दोस्तों आपको इंश्योरेंस और RTO के नाम पर जमकर लूटा जाता है अगर आप नया वाहन ले रहे है या पॉलिसी रीन्यू करवाना चाहते है तो सरकारी बीमा कंपनी *_(New India Assurance, United India Insurance, National Insurance, Oriental Insurance)_* से इंश्योरेंस प्रीमियम की राशि जरूर पता कर लीजिये, इसके लिए आप इनके कार्यालय जा सकते है या इनके किसी बीमा एजेंट की मदद ले सकते है। इनके कार्यालयों की जानकारी आपको इनकी वेबसाइट पर ऑफिस लोकेटर सेक्शन के अंतर्गत मिल जाएगी। RTO में भी आपको एक एकमुश्त राशि बता दी जाती है उसमे अपने डीलर से पूछिए Road Tax कितना है, रजिस्ट्रेशन फीस कितनी है, स्मार्ट कार्ड की फीस कितनी है, Hypothecation Charges कितना है, HSPR (High Security) No. Plate का चार्ज कितना है, Local Municipality Tax कितना है, बाकी बचा वो उनका सुविधा शुल्क है।
www.sanwariya.org
दोस्तों, ये सब जानकारी आपको किसी वेबसाइट पर नहीं मिलेगी और न ही कोई बताने समझाने वाला मिलेगा तो अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिये ताकि अगली बार कोई आपको बेवकूफ ना बना पाये।
अंत मे यही कहना चाहूँगा- *Money is Yours, Choice is Yours!*
https://sanwariyaa.blogspot.com
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