जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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शनिवार, 11 दिसंबर 2021
पथरी को जड़ से खत्म करने के 4 सबसे कारगर उपाय
रविवार, 28 नवंबर 2021
हिंदुओं गांठ बांध लो
हिंदुओं गांठ बांध लो।
🪢 लड़कियों का विवाह 21 वें वर्ष और लड़के का विवाह 24 वें वर्ष में हर स्थिति में हो जाना चाहिए।
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🪢 फ्लैट भूलकर मत लो जमीन खरीदो और उस पर मकान बनाओ वर्ना बच्चों का भविष्य पिंजरे के पंछी की तरह हो जाएगा।
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🪢 नयी युवा पीढ़ी को कम से कम तीन संतान पैदा करने के लिए प्रेरित करो।
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🪢 गांव से नाता जोड़ कर रखो।और गांव की पैतृक सम्पत्ति और वहां से नाता जोड़कर रखो।
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🪢 बच्चों को धर्म की शिक्षा अवश्य दो और उनके शारीरिक विकास पर ध्यान दो।
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🪢 हिंदी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग और प्रचार-प्रसार करो।
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🪢 किसी भी जेहादी और आतंकवादी प्रवृत्ति के व्यक्ति से सामान लेने से बचो।
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🪢 घर में बागवानी करने की आदत डालो और यदि प्रयाप्त जगह है तो देशी गाय पालो।
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🪢हर हिंदू के घर वाल्मीकि रामायण- योग वशिष्ठ- भागवत गीता-वेद-उपनिषद होने चाहिए जब होंगे तो पढ़ोगे भी।
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🪢होली-दीपावली-नवरात्रि आदि जितने भी हिंदू त्योहार आयें उनमें सामूहिक यज्ञ करें।
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🪢 अपने बच्चों को प्रत्येक वर्ष एक विद्या प्रदान करें।
जैसे संगीत विद्या-युद्ध विद्या-योग विद्या-तैराकी-भोजन बनाने की विद्या बच्चों को व्यस्त रखें।
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🪢 वर्ष में कम से कम दो पैदल तीर्थ अवश्य करें।
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🪢 प्रात: काल 5 बजे उठ जाएं और रात्रि को 11 बजे तक सोने का नियम बनाएं।
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🪢 यदि बच्चा पढ़ाई में असक्षम है तो उसको तकनीक ज्ञान दें।
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🪢 आपके बच्चों को कम से कम तीन फोन नम्बर स्मरण होने चाहिए और आपको भी।
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🪢 जब भी बाहर समाज में जाएं तो बच्चों को भी ले जाएं इससे उनका मानसिक विकास होगा।
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🪢 परिवार के साथ मिल बैठकर भोजन करने का प्रयास करें और भोजन करते समय सेल फोन और टीवी बंद कर लें।
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🪢 बच्चों को बालिवुड की फिल्मों से बचाएं और प्रेरणादायक फिल्में दिखाएं।
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🪢 जंक फूड और फास्ट फूड से बचें।
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🪢चिकन-मटन खाने की बीमारी हो तो हिंदू विक्रेता से ही खरीदें।
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🪢 सांयकाल के समय 10 मिनट भक्ति संगीत लगाएं।
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🪢 दिखावे के चक्कर में पड़कर व्यर्थ का खर्चा ना करें।
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🪢 दो किमी तक जाना हो तो पैदल जाएं या साइकिल का प्रयोग करें।
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🪢 अपने बच्चों के मन में किसी भी प्रकार के नशे के विरुद्ध चेतना पैदा करें।
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लड़कियां पैदा होने पर अधिक प्रसन्न हों क्योंकि सकन्द पुराण में कहा गया है कि एक लड़की 10 पुत्रों के बराबर होती है।
आंखों के लिए अमृत — शहद
आंखों के लिए अमृत — शहद
आयुर्वेद में ऐसी मान्यता है कि अलग-अलग स्थानों पर लगने वाले छत्तों के शहद के गुण वृक्षों के आधार पर होते हैं। जैसे नीम पर लगे शहद का उपयोग आँखों के लिए, जामुन का मधुमेह, सहजने का हृदय, वात तथा रक्तचाप के लिए बेहतर होता है। इसके अलावा भी शहद का सेवन कई रोगों में उपयोगी है ।
पिछले कुछ समय से मोबाइल और लैपटॉप के लगातार इस्तेमाल करने से लोगों की लाइफस्टाइल बहुत ही हेल्दी हो गई है। कई लोगों को आंखों में सबसे ज्यादा समस्या होती है इसके लिए वो कई तरीके के आईड्रॉप भी डालते हैं या फिर जेल का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ये कितना सुरक्षित है।
अगर आपको आंखों में कोई समस्या है जैसे- खुजली, दर्द, सूखापन या किसी प्रकार संक्रमण तो शहद इसमें मददगार साबित हो सकता है और आपकी समस्या को दूर कर सकता है। आइए जानते हैं इस बारे में खास बातें-
1. आंखों के सूखेपन को दूर भगाने में मददगार -
शहद
को गुनगुने पानी में मिलाएं और उससे सोने से पहले अपनी आंखों को अच्छे से
धो लें। इससे आंखों की ड्राईनेस, लालामी और खुजली आदि की समस्या दूर हो
जाती है।
2 आंखों में फूलापन होना -
अगर
आपको आंखों के नीचे फूलापन हो गया हो, जैसाकि लम्बे समय तक नींद पूरी न
हो पाने के कारण होता है, तो आप शहद की कुछ बूदों को वहां पर डालकर मसाज कर
दें और 15 मिनट बाद धो लें।
3. कन्जक्टीवाईटिस का उपचार -
अगर
आपकी आंखें आ गई हों तो आप शहद को आंखों पर लगा सकते हैं, इससे आंखों की
करकराहट दूर हो जाएगी। ऐसा कई शोध से निष्कर्ष में पता चला है।
4. आंखों के संक्रमण को दूर भगाने में -
आंखों
के संक्रमण को दूर करने में भी यह बहुत लाभदायक होता है। इसके लिए आप शहद
को गुनगुने पानी में मिला लें और कॉटन बॉल से उसे आंखों के ऊपर लगाएं। इससे
आंखों का संक्रमण जल्द ही सही हो जाएगा।
5. आंखों की मांसपेशियों को स्वस्थ बनाएं -
शहद, आंखों की मांसपेशियों को स्वस्थ बनाता है। साथ ही दृष्टि को कमजोर होने से बचाता है।
6. ग्लूकोमा होने से बचाएं -
अगर
आंखों में शहद की बूंद को ड्रॉप की तरह डाला जाएं, तो ग्लूकोमा होने से
बचा जा सकता है। लेकिन शहद में किसी प्रकार की मिलावट नहीं होनी चाहिए।
7. दृष्टि कमजोर होने से बचाएं -
शहद
में कई सारे एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो कि आंखों की नर्व को स्वस्थ
बनाएं रखने में मददगार साबित हो सकते हैं। इससे निगाह में कमी नहीं आएगी,
और आंखों पर लम्बे तक समय चश्मा लगाने की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी।
8. आंखों में खुजली होने पर राहत -
शहद को आंख पर लगाने से खुजली में आराम मिलती है। साथ ही आंखों के नीचे पड़ने वाले रिंकल्स भी सही हो जाते हैं।
9 झुर्रियां कम करे –
आंखों की झुर्रियों को कम करने के लिए शहद बहुत फायदेमंद होता है। इसके
लिए झुर्रियों पर शहद लगाएं और 15 मिनट तक आराम करें। बाद में गर्म पानी से
आंखों को धो लें।
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हैरान कर देंगे आपको
शहद खाने के फायदे
👉 यह शहद हमने नहीं बनाया है हमने केवल पैकिंग करी है जंगल की मधुमक्खियों द्वारा तैयार किया गया नेचुरल प्रोडक्ट आप तक पहुंचाने के हम केवल माध्यम हैं यह ओपन मार्केट में नहीं मिलेगा प्राप्त करने के लिए संपर्क करें
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🐝 शहद को लहसुन के साथ खाने से कभी हार्टअटैक नहीं आता
🐝यह कोलेस्ट्रॉल को खत्म करता हैं
🐝 शहद को प्याज के साथ खाने से नपुंसकता व नाईट फॉल जैसी समस्या दूर होती हैं
🐝शहद को चुकंदर के साथ लेने से खून बढ़ता है
🐝नींबू पानी के साथ लेने से वजन घट आता है
🐝शहद खाने से याददाश्त बढ़ती हैं
🐝यह कैल्शियम को ऑब्जर्व करता है जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं
🐝इसमें फोलिक एसिड की मात्रा अधिक होती है जो गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए फायदेमंद है
🐝 शहद को हल्दी के साथ खाने से शरीर निरोगी रहता है
🐝 शहद को अदरक के साथ खाने से खांसी दूर होती हैं
🐝 शहद से सांस और दमा को ठीक किया जा सकता है
🐝यह बी पी हाई लो से आराम दिलाता है
🐝 शहद पाचन क्रिया को बढ़ाता है
🐝 शहद हमारे खून को पतला करता है
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गुरुवार, 25 नवंबर 2021
पौराणिक कथा : क्या सचमुच 84 लाख योनियों में भटकना होता है?
मंगलवार, 23 नवंबर 2021
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घर में बना सकते हैं च्यवनप्राश
घर में बना सकते हैं च्यवनप्राश
आज की तारीख़ मे वास्तविक शास्त्रोक्त च्यवनप्राश बनाना असंभव है। जो भी कंपनियांं बेच रही हैं, वह वास्तविक च्यवनप्राश है ही नही।
कारण आयुर्वेद मे वर्णित विधी के अनुसार उसमे डाली जाने वाली कम से कम तीन महत्वपूर्ण जडी बूटियों का अब कोई अतापता नही है। कंपनी वाले उनके स्थान पर सफे़द मूसली डाल कर काम चलाते हैं।
दूसरे, आयुर्वेद के अनुसार च्यवनप्राश का मुख्य पदार्थ होना चाहिए ताजा, हरा देशी आंवला। आज की तारीख मे हर कंपनी गांव देहात से दलालों द्वारा एकत्रित किए सूखे आंवले लेती है। उसे पीस कर पाउडर बना कर उससे ही च्यवनप्राश बनाते हैं।
मै विगत 5/6 वर्षों से सुबह शाम च्यवनप्राश का सेवन कर रहा हूं, व लगभग सभी ब्रांडेड व अनब्रांडेड कंपनियों का च्यवनप्राश आजमा चुका हूं।
मुझे केवल पतंजलि (बाबा रामदेव) का ही ठीक लगा, हालांकि वह भी पिसे सूखे आंवले से बनता है।
मै यहां घर पर बनाने योग्य च्यवनप्राश की रेसिपी दे रहा हूं।
आवश्यक सामग्री -
अच्छे पके, हल्के पीले आंवले - 2 / 2.5 किलो
जडी बूटियां आंवलों के साथ पकाने वाली सामग्री
बिदरीकन्द,
सफेद चन्दन, वसाका, अकरकरा, शतावरी, ब्राह्मी , बिल्व, छोटी हर्र
(हरीतकी), कमल केशर, जटामानसी , गोखरू, बेल , कचूर, नागरमोथा, लोंग,
पुश्करमूल, काकडसिंघी, दशमूल, जीवन्ती, पुनर्नवा, अंजीर , असगंध
(अश्वगंधा), गिलोय, तुलसी के पत्ते, मीठा नीम, संठ, मुनक्का व मुलेठी सभी
50–50 ग्राम, मोटा कूट लें।
गाय का घी 250 ग्राम, तिल का तेल - 250 ग्राम
मिश्री या चीनी - ढाई से तीन किलो, शहद - 250 ग्राम।
बारीक पीस कर च्यवनप्राश मे मिलाने वाली सामग्री -
पिप्पली - 100 ग्राम, बंशलोचन - 150 ग्राम, दालचीनी - 50 ग्राम, तेजपत्र - 20 ग्राम, नागकेशर - 20 ग्राम, छोटी इलायची - 20 ग्राम, केसर - 2 ग्राम।
विधि -
आवले को धो लीजिये. धुले आंवले को कपड़े की पोटली में बांध लीजिये।
किसी बड़े स्टील के भगोने में 10-12
लीटर पानी लीजिए, प्रथम सामग्री की जड़ी बूटियां डालिये और बंधे हुये
आंवले की पोटली डाल दीजिये। भगोने को तेज आग पर रखिये, उबाल आने के बाद आग
धीमी कर दीजिये, आंवले और जड़ी बूटियों को धीमी आग पर एक से डेड़ घंटे तक
उबलने दीजिये, जब आंवले बिलकुल नरम हो जायें तब आग बन्द कर दीजिये। आंवले
और जड़ी बूटियों को उसी तरह भगोने में उसी पानी में रातभर या 10 -12 घंटे
ढककर पड़े रहने दीजिये।
आप बर्तन की उपलब्धता के अनुसार इसे एक, दो या तीन भागों में बांटकर भी उबाल सकते हैं।
अब आंवले की पोटली निकाल कर जड़ी बूटियों से अलग कीजिये, आप देखेंगे कि आंवले काले हो गये हैं, आंवलों ने जड़ी बूटियों का रस अपने अन्दर तक सोख लिया है. सारे आंवले से गुठली निकाल कर अलग कर लीजिये।
जड़ी बूटियां का ठोस भाग छलनी से छान कर अलग कर दीजिये। जड़ी बूटियों का पानी अपने पास छान कर संभाल कर रख लीजिये यह च्यवनप्राश बनाने के काम आयेगा।
जड़ी बूटियों के साथ उबाले हुये आंवलों को, जड़ी बूटियों से निकला थोड़ा थोड़ा पानी मिलाकर मिक्सर से एकदम बारीक पीस लीजिये और बड़ी छ्लनी में डालकर, चमचे से दबा दबा कर छान लीजिये. सारे आंवले इसी तरह पीस कर छान लीजिये। आंवले के सारे रेशे छलनी के ऊपर रह जायेंगे उन्हे फैंक दें।
जड़ी बूटी से छाना हुआ पानी बचा हुआ है तो इसे भी इसी पल्प में मिला सकते हैं। जड़ी बूटियों के रस और आवंले के पल्प के मिश्रण को हम च्यवनप्राश बनाने के काम लेंगे।
लोहे की कढ़ाई जिसमें पल्प आसानी से भूना जा सके। आग पर गरम करने के लिये रखिये। कढ़ाई में तिल का तेल डाल कर गरम कीजिये, गरम तेल में घी डाल कर घी पिघलने तक गरम कीजिये। जब तिल का तेल अच्छी तरह गरम हो जाय तब आंवले का छाना हुआ पल्प डालिये और पलटे से चलाते हुये पकाइये। मिश्रण में उबाल आने के बाद चीनी डालिये और लगातार चमचे से चलाते हुये मिश्रण को एकदमा गाड़ा होने तक पका लीजिये। आप बडी लोहे की कडाही की उपलब्धतानुसार इसे 1 या दो बार में पका सकते हैं। इसे लोहे की कडाही मे ही पकाना है।
जब मिश्रण एकदम गाढा हो जाय तो गैस से उतार इस मिश्रण को 5-6 घंटे तक लोहे की कढ़ाई में ही ढककर रहने दीजिये। पांच या 6 घंटे बाद इस मिश्रण को आप स्टील के बर्तन में निकाल कर रख सकते हैं।
दूसरी लिस्ट की सामग्री में से छोटी इलायची को छील लीजिये। इसके बाद छिली हुई छोटी इलायची के दानो में पिप्पली, बंशलोचन, दालचीनी, तेजपात, नागकेशर को मिक्सी में एकदम बारीक पीस लीजिये। पीसते समय या पीसने के बाद मिक्सी के ढक्कन को थोड़ा देर से खोलें ताकि पिप्पली और बंसलोचन की धस आपको न लगे
अब यह पिसी सामग्री, पिसी चीनी या मिश्री, शहद और केसर को आंवले के मिश्रण में अच्छी तरह से फेंट कर मिला दीजिये. आपका च्यवनप्राश तैयार है।
इसे एयरटाइट कंटेनरों मे निकालकर स्टोर कर लें।
प्लेटलेट ( Platelet) को बढ़ाने के घरेलू उपाय
डेंगू
और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों में प्लेटलेट्स की संख्या बड़ी तेजी से घटती
है। ऐसे में अगर इनके कम होने को नियंत्रित न किया जाए तो स्थित गंभीर हो
सकती है। प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने में कुछ आहार हमारी मदद कर सकते
हैं,जो कि प्राकृतिक रूप से प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने में मददगार होते
हैं।
उनमें से कुछ प्रमुख आहार है:—
गिलोय –
गिलोय का जूस प्लेटलेट्स को बढ़ाने मेंसर्वोत्तम है। इससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। दो चुटकी गिलोय के सत्व को एक चम्मच शहद के साथ दिन में दो बार लें या फिर गिलोय की डंडी को रात भर पानी में भिगो कर सुबह उसका छना हुआ पानी पी लें। ब्लड में प्लेटलेट्स बढ़ने लगेंगे।
चुकंदर –
चुकंदर प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और हेमोस्टैटिक गुणों से भरपूर होता है। अगर दो से तीन चम्मच चुकंदर के रस को एक गिलास गाजर के रस में मिलाकर पिया जाये तो ब्लड प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ते हैं। साथ ही साथ इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को भी बढ़ाते हैं।
पपीता –
पपीते के फल और पत्तियां दोनों ही प्लेटलेट्स बढ़ाने में मददगार हैं। डेंगू बुखार में गिरने वाले प्लेटलेट्स को पपीता के पत्ते के रस के सेवन से तेजी से बढ़ाया जा सकता है। पपीते की पत्तियों को चाय की तरह भी पानी में उबालकर पी सकते हैं।
पालक –
दो कप पानी में 4 से 5 ताजा पालक के पत्तों को डालकर कुछ मिनट के लिए उबाल लें। इसे ठंडा होने के लिए रख दें। फिर इसमें आधा गिलास टमाटर मिला दें। इसे मिश्रण को दिन में तीन बार पिएं। इसके अलावा पालक का सेवन सूप, सलाद, स्मूदी या सब्जी के रूप में भी कर सकते हैं।
नारियल पानी –
नारियल पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स अच्छी मात्रा में होते हैं। इसके अलावा यह मिनिरल्स का भी अच्छा स्रोत है जो शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं।
पपीते के पत्ते-
पपीते के पत्तों को पानी में उबालकर उसे ग्रीन टी के रूप में पीने से काफी लाभ होता है। साल 2009 में मलेशिया के शोधकर्ताओं ने ये दावा किया था कि प्लेटलेट्स बढ़ाने में पपीता ही नहीं, उसकी पत्तियां भी मददगार साबित होती हैं। ‘खासतौर पर डेंगू बुखार के कारण कम हुए प्लेटलेट्स को संतुलित करने में पपीता फायदेमंद होता है।
आंवला-
ये एक आयुर्वेदिक उपचार है। आंवले में मौजूद विटामिन-सी शरीर में प्लेटलेट्स का उत्पादन बढ़ाता है, इससे शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है। इसका नियमित सेवन करना बेहद जरूरी है। इसके लिए हर दिन सुबह खाली पेट 3 से 4 आंवला खाएं। आप इसका सेवन चुकंदर के जूस में डालकर भी कर सकती हैं।
इसके अलावा ये चीजें भी हो सकती हैं मददगार :—
- प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए कीवी का सेवन करें।
- गाजर का नियमित सेवन करें।
- नारियल पानी का सेवन करें। इसमें मौजूद इलेक्ट्रोलाइट्स और मिनरल्स प्लेटलेट्स बढ़ाने में बेहद मददगार साबित होते हैं।
- बकरी का दूध भी प्लेटलेट्स बढ़ाने में बहुत लाभकारी होता है।
हिमालय की एक ऐसी जड़ी बूटी, जो 10 लाख रुपए किलो तक बिकती है
हिमालय की एक ऐसी जड़ी बूटी, जो 10 लाख रुपए किलो तक बिकती है
हिमालय में एक खास जड़ी बूटी होती है. जिसे हिमालयन वियाग्रा भी कहते हैं. ये ताकत की दवाओं समेत कई काम में इस्तेमाल होती है लेकिन ये दुर्लभ भी है और खासी महंगी भी
हिमालय वियाग्रा जड़ी बूटी का साइंटिफिक नाम 'कोर्डिसेप्स साइनेसिस' (Caterpillar fungus) है. इसे कीड़ा-जड़ी, यार्सागुम्बा या यारसागम्बू नाम से भी जानी जाती है. यह हिमालयी क्षेत्रों में तीन से पांच हजार मीटर की ऊंचाई वाले बर्फीले पहाड़ों पर पाई जाती है.
हिमालय वियाग्रा चीन में काफी मशहूर है. ये जड़ी बूटी यार्सागुम्बा और यारसागम्बू नाम से चीन में ही जानी जाती है. निर्वासित तिब्बती भी इसके कारोबार के साथ जुड़े हैं. तिब्बत और चीन दोनों जगहों पर इसका इस्तेमाल यौनोत्तेजक दवा की तरह किया जाता है.
हिमालय वियाग्रा को जड़ी-बूटी के रूप में मध्य प्रदेश के भी कुछ इलाकों में इस्तेमाल किया जाता है. ये जड़ी बूटी शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में भी मददगार है. कहा जाता है कि सांस और गुर्दे (किडनी) की बीमारी में भी इसका इस्तेमाल दवा की तरह किया जाता है.
हिमालय वियाग्रा जड़ी बूटी का नाम यार्सागुम्बा एक कीड़े के आधार पर लिया जाता है. इस नाम का कीड़ा नेपाल में पाया जाता है. भूरे रंग का ये कीड़ा लगभग 2 इंच लंबा होता है. (Caterpillar fungus)
यार्सागुम्बा कीड़ा नेपाल में उगने वाले कुछ ख़ास पौधों पर, सर्दियों में पौधों से निकलने वाले रस के साथ पैदा होता है. इस कीड़े की ज़िंदगी लगभग छह महीने बताई जाती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
यार्सागुम्बा कीड़ा मई-जून में जीवन चक्र पूरा कर मर जाते हैं. मरने के बाद पहाड़ियों पर घास-पौधों के बीच बिखरते हैं. इन्हीं मृत यार्सागुम्बा कीड़ों का उपयोग आयुर्वेद में किया जाता है. इस कीड़े का स्वाद मीठा बताया जाता है. (Caterpillar fungus)
हिमालय वियाग्रा जड़ी-बूटी भारत में प्रतिबंधित है. नेपाल में भी 2001 तक इस पर प्रतिबंध था. 2001 के बाद नेपाल सरकार ने इसपर से प्रतिबंध हटा लिया. अब वहां उत्पादक क्षेत्रों में यार्सागुम्बा सोसायटी है. ये सासायटी यार्सागुम्बा को बेचती है.
नेपाल में मई-जून में यार्सागुम्बा इकठ्ठा करने की होड़ मच जाती है. वहां के लोग इसे इकट्ठा करने के लिए पहाड़ों पर ही टेंट लगाकर रहते हैं. ये ज़डी बूटी सेक्स पॉवर बढ़ाने के गुण की वजह से इस ज़डी बूटी की चीन समेत विदेशों मांग रहती है. इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल हजारों सालों से किया जा रहा है.
हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबित, यार्सागुम्बा से बनी जड़ी बूटी को नई दिल्ली और नेपाल के व्यापारी 10 लाख रुपए प्रति किलो तक खरीदते हैं. जबकि उत्तराखंड फॉरेस्ट डेवलपमेंट कोर्पोरेशन इसे 50 हजार रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीदता है. जिसमें से 5% अपनी रॉयल्टी के रूप में रखता है.
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