जब हमें किसी पर बहुत गुस्सा आता है तो हम कह बैठते हैं तुम्हें रत्ती भर भी शर्म नहीं है?
हममें से अधिकतर लोग रत्ती का यही अर्थ निकालते हैं कि "जरा सी भी"।बोलने वाला भी यही सोच कर बोलता है और सुनने वाला भी इसी अर्थ में लेता है। पर असल में इसका कुछ और ही अर्थ तथा उपयोगिता है।
आपको यह जानकर बहुत ही हैरानी होगी कि यह एक प्रकार का पौधा है । रत्ती एक पौधा है, और रत्ती के दाने काले और लाल रंग के होते हैं। यह बहुत आश्चर्य का विषय सबके लिए है। जब आप इसे छूने की कोशिश करेंगे तो यह आपको मोतियों की तरह कड़ा प्रतीत होगा, यह पक जाने के बाद पेड़ों से गिर जाता है।
इस
पौधे को ज्यादातर आप पहाड़ों में ही पाएंगे। रत्ती के पौधे को आम भाषा में
‘गूंजा ‘ कहा जाता है। अगर आप इसके अंदर देखेंगे तो इसमें मटर जैसी फली
में दाने होते हैं।
गुंजा या रत्ती (Coral Bead) लता जाति की एक वनस्पति है। शिम्बी के पक जाने पर लता शुष्क हो जाती है। गुंजा के फूल सेम
की तरह होते हैं। शिम्बी का आकार बहुत छोटा होता है, परन्तु प्रत्येक में
4-5 गुंजा बीज निकलते हैं अर्थात सफेद में सफेद तथा रक्त में लाल बीज
निकलते हैं। अशुद्ध फल का सेवन करने से विसूचिका की भांति ही उल्टी और दस्त हो जाते हैं। इसकी जड़े भ्रमवश मुलहठी
के स्थान में भी प्रयुक्त होती है।
रत्ती
एक बहुत ज़हरीला पौधा है. दवाई के रूप में इसकी पत्तिया, जड़ और बीज का
प्रयोग किया जाता है. पत्तियां और जड़ में कम विष होता है. अजीब बात हैं की
इसके बीज बहुत विषाक्त होते हैं. इसका प्रयोग केवल लगाने की दवाई के रूप
में किया जाता है. लेकिन भूलकर भी ये जड़ी बूटी खुले घाव वाले स्थान पर न
लगायी जाय. और इसका प्रयोग केवल काबिल हकीम और वैद्य की निगरानी में ही
किया जाए.
किसी खाने की दवा में अगर रत्ती का इस्तेमाल लिखा हो तो ऐसे नुस्खे का प्रयोग भूलकर भी न करें क्योंकि रत्ती या गुंजा खतरनाक ज़हर है.
चित्र गूगल से प्राप्त
सोना को मापने के लिए होता था इस्तेमाल
जब लोगों ने इसमें रुचि दिखाइ, और इसकी जांच पड़ताल शुरू की तो सामने आया कि प्राचीन काल में या पुराने जमाने में कोई मापने का सही पैमाना नहीं था। इसी वजह से रत्ती का इस्तेमाल सोने या किसी जेवरात के भार को मापने के लिए किया जाता था। वहीं सात रत्ती सोना या मोती माप के चलन की शुरुआत मानी जाती है।
आपको बता दें कि यह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे एशिया महाद्वीप में होता आ रहा था। अभी की भी बात करें तो यह विधि, या कहें तो इस मापन की विधि को किसी भी आधुनिक यंत्र से ज्यादा विश्वासनीय और बढ़िया माना जाता है। आप इसका पता अपने आसपास के सुनार या जौहरी से भी लगा सकते हैं।
मुंह के छालों को भी करता है ठीक
ऐसा माना जाता है कि अगर आप रत्ती के पत्ते को चबाना शुरू करें तो मुंह में होने वाले सारे छाले ठीक हो जाते हैं। साथ ही साथ इस के जड़ को भी सेहत के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। आपने कई लोगों को’ रत्ती’, ‘ गूंजा’ पहनते हुए भी देखा होगा। कुछ लोग अंगूठी बनवा देते हैं तो कुछ लोग माला बनाकर इसे पहनते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह एक सकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करता है जो की बहुत ही अच्छी बात है।
हमेशा एक जैसा होता है इसका भार
आपको यह जानकर बहुत ही आश्चर्य होगा कि इसकी फली की आयु कितनी भी क्यों ना हो, लेकिन जब आप इसके अंदर के उपस्थित बीजों को लेंगे और उनका वजन करेंगे, तब आपको हमेशा यह एक समान ही दिखेगा। इसमें 1 मिलीग्राम का भी फर्क कभी नहीं पड़ता है।
इंसानों की बनाई गई मशीन पर तो कभी-कभी भरोसा उठ भी जाए और यंत्र से गलती हो भी जाए लेकिन इस पर आप आंख बंद करके विश्वास कर सकते हैं। प्रकृति द्वारा दिए गए इस ‘गूंजा ‘ नामक पौधे के बीज की रत्ती का वजन कभी इधर से उधर नहीं होता है।
अगर वजन मापने की आधुनिक मशीन को देखा जाए तो एक रत्ती लगभग — 0.121497 ग्राम की हो जाती है।
गूंजा के बीज तंत्र मंत्र में भी उपयोग किए जाते हैं।ये तांत्रिकों के बीच जितने मशहूर हैं उतने ही आयुर्वेद चिकित्सा में भी इनका प्रयोग किया जाता है।श्वेत गूंज का आयुर्वेद में सबसे ज्यादा प्रयोग होता है। कुछ गूंजे विषैले भी होते हैं इसलिए बिना जांच पड़ताल के इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
धन्यवाद 🙏