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शनिवार, 1 अप्रैल 2023

धरतीपुत्र केंचुआ


धरतीपुत्र केंचुआ



 
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केंचुआ सच्चे अर्थों में धरतीपुत्र है,प्राकृतिक खेती का केंचुआ मुख्य आधार है ।जंगल के पेड़ को यूरिया व डीएपी कौन डालता है? किटनाशक का छिड़काव कौन करता है ?पानी कौन देता है ?लेकिन समय आने पर वह पेड़ फलों से लद जाते हैं। आप जंगल के किसी पेड़ के पत्ते को लैब में टेस्ट कराओ एक भी तत्व की कमी नहीं मिलेगी जंगल में जो नियम काम करता है वही हमारे खेत में करना चाहिए ,इसी का नाम प्राकृतिक कृषि है। केंचुआ रात के अंधेरे में क्योंकि दिन में उसे पक्षियों  द्वारा उठा ले जाने का डर रहता है अपनी माता धरती के लिए उसकी उर्वरता  खुशहाली के लिए रात्रि भर अनथक परिश्रम करता है... जमीन को ऑक्सीजन देता है खाद तैयार करता है । केचुआ के द्वारा बनाए गए असंख्य छिद्रों  से वर्षा का जल भूमि में नीचे जाता है उससे भूमिगत जलस्तर बढ़ता है भूमि को नमी मिलती है जो भीषण गर्मी में भी पौधों को सूखने नहीं देती। बात यदि भारतीय केचुआ की करें उसमें विलक्षण विशेषता है। वर्मी कंपोस्टिंग के लिए विदेशों से आयात किये केचुआ केवल गोबर को खाते हैं लेकिन भारतीय केंचुआ मिट्टी और गोबर दोनों को खाता है विदेशी केंचुआ 16 डिग्री से नीचे और 28 डिग्री से ऊपर के तापमान पर जीवित नही रहता जबकि भारतीय केचुआ अधिक गर्मी अधिक सर्दी  दोनों को ही सहन कर लेता है। इतना ही नहीं यह एक छिद्र से जमीन में नीचे जाता है दूसरे छिद्र से ऊपर आता है हर बार एक नया छेद बनाता है। 8 से 10 फुट तक छिद्र बनाते हुए जमीन में जाता है और अपने शरीर से वर्मी वाश से छेद को लिपते हुए जाता है जिससे  छेद जल्दी बंद नहीं होता । भारतीय केचुआ धरती में जो खनिज है उनको खा कर पेट से निकालकर पौधों की जड़ को देता है। जिनमें अनेक प्रकार के पोषक तत्व होते हैं जो जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं  धरती माता का कायाकल्प करते हुए इस प्रकार यह किसान का भी कितना बड़ा उपकार करता है। लेकिन रासायनिक खेती 'अधिक अन्न उपजायो 'की प्रतिस्पर्धा में यह परोपकारी जीव अकाल मौत मरता है यूं तो इंसान भी धरती का ही पुत्र है वह भी धरती को माता मानता है बड़े-बड़े नारे लगाता है लेकिन धरती का इंसान रूपी कुपुत्र कभी-कभी जानबूझकर तो अधिकार अज्ञानतावश धरती के सैकड़ों लाखों सपूतों को एक झटके में मौत की नींद सुला देता है। एक उदाहरण से समझे एक केंचुए को पकड़ो उसके ऊपर यूरिया, डीएपी डालो देखो वह जिएगा मरेगा निश्चित तौर पर वह तुरंत मर जायेगा  इससे बड़ा प्रमाण और क्या होगा परंतु उसी केंचुए के ऊपर  यदि गाय का गोबर डाल तो तो वह स्वस्थ होगा अपना परिवार बढ़ाएगा क्योंकि उसको उसका भोजन मिल गया है। 1 एकड़ खेत में लाखों की संख्या में केंचुआ  बिना पैसे के मजदूर की तरह दिन-रात काम करता है वह सारी जमीन को मुलायम बना देता है नीचे की जमीन को उलट देता है खनिजों को नीचे से ऊपर कर देता है और बारिश का सारा पानी इन छिद्रों  के द्वारा धरती मां के पेट में चला जाता है। सरकारे 'रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम' के लिए करोडो खर्च करती है जो ठीक से काम भी नहीं करते लेकिन केचुआ यह काम निशुल्क कर देता है लेकिन आज जमीन को यूरिया डीएपी ने पत्थर बना दिया है केंचुआ  जैसे मित्र जीव बचे नहीं है। धरती में छिद्र नही है जब बारिश आती है तो पानी तेजी से बेहकर नदी नालों में जाकर बाढ़ आने का कारण बनता है। धरती को हरी-भरी, शस्य श्यामला केवल केंचुए जैसे जीव ही बनाते हैं सच्चे अर्थों में केंचुआ ही धरतीपुत्र है इंसान जब था तब था धरती पुत्र आज उसके क्रियाकलापों के कारण उसे धरती को माता कहने का भी अधिकार नहीं है क्योंकि धरती के पुत्र इंसान ने धरती के केंचुआ  जैसे लाखों परोपकारी जीवो को जहरीली रासायनिक खेती के माध्यम से धरती के गर्भ में ही दफन कर दिया है। अब भी समय है हमें  जैविक खेती व प्राकृतिक खेती की ओर लौटना होगा यदि दुनिया को अकाल महामारी कुपोषण वैश्विक प्रदूषण कैंसर जैसी बीमारियों से बचाना है।

आर्य सागर खारी✍✍✍

सोमवार, 27 मार्च 2023

एक थी बेहद शरीफ भाजपा!!!जिसे केवल 1 वोटों से संसद भवन में गिरा दिया गया था!


एक थी बेहद शरीफ भाजपा!!!
जिसे केवल 1 वोटों से संसद भवन में गिरा दिया गया था!
और इटली की शातिर महिला गुलाबी होंटों से मंद मंद मुस्करा रही थी,  वाजपेयी हाथ हिला हिला कर अपनी शैली मे व्यस्त थे!
जब तक भाजपा वाजपेयीजी की विचारधारा पर चलती रही,वो राम के बताये मार्गपर चलती रही।
मर्यादा, नैतिकता, और शुचिता, इनके लिए कड़े मापदंड तय किये गये थे। परन्तु कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी

फिर होता है नरेन्द्र मोदी  का पदार्पण! ........मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरण चिन्हों पर चलने वाली भाजपा को मोदी जी, कर्मयोगी श्री कृष्ण की राह पर ले आते हैं !
श्री कृष्ण अधर्मी को मारने में किसी भी प्रकार की गलती नहीं करते हैं। ...........छल हो तो छल से, कपट हो तो कपट से, अनीति हो तो अनीति से , अधर्मी को नष्ट करना ही उनका ध्येय होता है!

इसीलिए वो अर्जुन को केवल कर्म करने की शिक्षा देते हैं !


बिना सत्ता के आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं ! इसलिए भाजपा के कार्यकर्ताओं को चाहिए कि कर्ण का अंत करते समय कर्ण के विलापों पर ध्यान ना दें! .........केवल ये देखें कि अभिमन्यु की हत्या के समय उनकी नैतिकता कहाँ चली गई थी ?

कर्ण के रथ का पहिया जब कीचड़ में धंस गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा: पार्थ, देख क्या रहे हो ? ......इसे समाप्त कर दो!

संकट में घिरे कर्ण ने कहा: यह तो अधर्म है !

भगवान श्री कृष्ण ने कहा: अभिमन्यु को घेर कर मारने वाले, और द्रौपदी को भरे दरबार में वेश्या कहने वाले के मुख से आज अधर्म की बातें करना शोभा नहीं देता है !!

आज राजनीतिक गलियारा जिस तरह से संविधान की बात कर रहा है, तो लग रहा है जैसे हम पुनः महाभारत युग में आ गए हैं !

विश्वास रखो, महाभारत का अर्जुन नहीं चूका था ! आज का अर्जुन भी नहीं चूकेगा !
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः!
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् !

चुनावी जंग में अमित शाह जो कुछ भी जीत के लिए पार्टी के लिए कर रहे हैं, वह सब उचित है!

साम, दाम, दण्ड , भेद ,राजा या क्षत्रिय द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियाँ हैं, 
जिन्हें उपाय-चतुष्टय (चार उपाय) कहते हैं !

राजा को राज्य की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिये सात नीतियाँ वर्णित हैं !

उपाय चतुष्टय के अलावा तीन अन्य हैं - माया, उपेक्षा तथा इन्द्रजाल !!

राजनीतिक गलियारे में ऐसा विपक्ष नहीं है, जिसके साथ नैतिक-नैतिक खेल खेला जाए! सीधा धोबी पछाड़ ही आवश्यक है !
धर्म की जय हो अधर्मी का नाश हो🚩
प्राणियों में सद्भावना हो विश्व का कल्याण हो वसुधैव कुटुंबकम
 हर हर महादेव जय महाकाल🚩

कांग्रेस और हिंदुत्व**इतने के बाद भी हिन्दू कांग्रेस को नहीं समझ सके*

*कांग्रेस और हिंदुत्व*

*इतने के बाद भी हिन्दू कांग्रेस को नहीं समझ सके*




अनुच्छेद 25, 28, 30 (1950) 
एचआरसीई अधिनियम (1951) 
एचसीबी एमपीएल (1956) 
धर्मनिरपेक्षता (1975) 
अल्पसंख्यक अधिनियम (1992) 
पीओडब्ल्यू अधिनियम (1991) 
वक्फ अधिनियम (1995) 
राम सेतु हलफनामा (2007) 
भगवा आतंकवाद (2009) 

अनुच्छेद 25 द्वारा धर्मांतरण को वैध बनाया 

उन्होंने अनुच्छेद 28 में हिंदुओं से धार्मिक शिक्षा छीन ली 

लेकिन अनुच्छेद 30 में मुस्लिम और ईसाई को धार्मिक शिक्षा की अनुमति दी 

उन्होंने एचआरसीई अधिनियम 1951 बनाकर हिंदुओं से सभी मंदिर और मंदिरों का पैसा छीन लिया जो सरकारी खजानें में जाता है  

उन्होंने हिंदु बहुविवाह को समाप्त कर दिया तलाक कानून, 

हिंदू कोड बिल के तहत दहेज कानून द्वारा परिवारों को नष्ट कर दिया 

लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीया कानुन) को हाथ नहीं लगाया। उन्हें बहुविवाह की अनुमति दी ताकि वे अपनी जनसंख्या में वृद्धि करते रहें 
1954 में विशेष विवाह अधिनियम लाया गया ताकि मुस्लिम आसानी से हिंदू लड़कियों से शादी कर सके 

उन्होंने आपातकाल लगाया और जबरदस्ती संविधान में *सेकुलरिज्म* शब्द जोड़ा और जबरन भारत को *धर्मनिरपेक्ष* बना दिया 

लेकिन कांग्रेस यहीं नहीं रुकी। 

1991 में वे अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम लाए और मुस्लिम को अल्पसंख्यक घोषित किया, हालांकि धर्मनिरपेक्ष देश में बहुसंख्यक अल्पसंख्यक नहीं हो सकते है 

उन्होंने अल्पसंख्यक अधिनियम के तहत मुसलमानों को छात्रवृत्ति, सरकारी लाभ जैसे विशेष अधिकार दिए 

1992 में, उन्होंने हिंदुओं को कानूनी तरीके से अपने मंदिरों को वापस लेने से रोक दिया और पूजा स्थल अधिनियम द्वारा हिंदुओं से 40000 मंदिरों को छीन लिया

कांग्रेस यहीं नहीं रुकी 1995 में ,

उन्होंने वक्फ बोर्ड एक्ट द्वारा मुस्लिम को किसी भी जमीन पर दावा करने, किसी भी हिंदू की जमीन छीनने का अधिकार दिया और मुस्लिम को भारत का दूसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक बना दिया। 

और हिंदू विरोधी धर्मयुद्ध में चरम बिंदु 2009 था जब कांग्रेस ने भगवा आतंकवाद शब्द गढ़कर हिंदू धर्म को आतंकवादी धर्म घोषित किया वहीं कांग्रेस ने अपने 136 साल के इतिहास में कभी भी इस्लामिक आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया 

कांग्रेस धीरे-धीरे बहुत चालाकी से हिंदुओं से एक-एक करके हिंदू अधिकारों को छीनते गए और अब हिंदू पूरी तरह से नग्न हो गए हैं 
और मजेदार बात यह है कि अधिकांश हिंन्दुओं को इस छल कपट का पता भी नहीं है और कुछ को इन बातों का ज्ञान है पर पदलोभ और मुफ्तखौरी के कारण शतुर्मुर्ग की तरह अपना सर जमीन में गाडे़ हुए है  |

उनके पास अपना मंदिर नहीं है, उनके पास उनकी धार्मिक शिक्षा व्यवस्था नहीं है, उनके बाप दादा की पुश्तेनी जमीन उनकी स्थायी नहीं है। 

और वे सवाल भी नहीं पूछते हैं क्यों मस्जिद और चर्च मुक्त हैं लेकिन मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं 

सरकार द्वारा वित्त पोषित मदरसा, कॉन्वेंट मिशनरी स्कूल क्यों हैं लेकिन सरकार द्वारा वित्त पोषित गुरुकुल नहीं? 

वक्फ अधिनियम क्यों है लेकिन हिंदू भूमि अधिनियम नहीं? 

 मुस्लिम पर्सनल लाॕ बोर्ड क्यों है लेकिन हिंदू पर्सनल लाॕ बोर्ड नहीं? 
एक देश में दो कानुन क्युं ?

अगर भारत धर्मनिरपेक्ष देश है तो बहुसंख्यक अल्पसंख्यक क्यों है? 

स्कूलों में रामायण महाभारत क्यों नहीं पढ़ाई जाती? 

औरंगजेब ने हिंदू धर्म को नष्ट करने के लिए तलवार का इस्तेमाल किया, कांग्रेस ने हिंदू धर्म को नष्ट करने के लिए संविधान, अधिनियम, बिल का इस्तेमाल किया 

और जहां तलवार विफल रही, वहां संविधान ने किया। 

और फिर मीडिया है। 
अगर कोई इन सवालों को पूछने की कोशिश करता है, तो उसे सांप्रदायिक, भगवा आतंकवादी घोषित कर दिया जाता है 
यदि कोई राजनेता इन गलतियों को सुधारने का प्रयास करता है तो उसे लोकतंत्र को कमजोर करने वाला कहा जाता है 

*याद रखें कि इसमें सिर्फ 80 साल लगे शक्तिशाली रोमन धर्म का गिरना ।*
*हिंदू को रोमन सभ्यता के पतन के बारे में अवश्य पढ़ना चाहिए। कोई बाहरी ताकत उन्हें पराजित नहीं कर सकती थी, वे अपने ही शासक कॉन्सटेंटाइन एन द्वारा ईसाई धर्म से आंतरिक रूप से हार गए थे।*

शनिवार, 25 मार्च 2023

विनायक चतुर्थी आज

विनायक चतुर्थी आज
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विनायक चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। कहते हैं जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से गणेश जी की भक्ति करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम या पूजा पाठ के समय सबसे पहले गणेश जी की पूजा होती है। हिंदू पंचांग की प्रत्येक मास की चतुर्थी को भगवान गणेश का व्रत किया जाता है। ये दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए बहुत शुभ होता है। इस दिन विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। मान्यता है विनायक चतुर्थी का व्रत करने से गणपति भगवान की विशेष कृपा मिलती है जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। 

शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि
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शनिवार, 25 मार्च 2023
चतुर्थी तिथि प्रारंभ : 24 मार्च 2023 को शाम 5:00 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त : 25 मार्च 2023 को शाम 4 बजकर 23 मिनट पर

विनायक चतुर्थी की पूजन विधि 
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ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछा दें ,भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें ।
भगवान गणेश के समक्ष धूप ,दीप , फल ,फूल अर्पित करें।
गणेश जी को दूर्वा अति प्रिय होती है , गणपति को दूर्वा अर्पित करें
गणेश जी को लड्डू, मोदक और मिष्ठान का भोग लगाए ।
विनायक चतुर्थी की कथा पढ़े और गणेश जी की आरती करें।

विनायक चतुर्थी की कथा
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पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है जब भगवान शंकर तथा माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे। वहां पर माता पार्वती ने भगवान शिव से समय व्यतीत करने के लिये चौपड़ खेलने को कहा। भगवान शिव चौपड़ खेलने के लिए तैयार तो हो गए, लेकिन इस खेल में हार-जीत का फैसला करने के लिए कोई नही था ।भगवान शिव ने आस पास देख तो कुछ घास के तिनके पड़े हुए थे। भगवान शिव ने कुछ तिनके इकट्ठे किए और उसका एक पुतला बना दिया । उसकी प्राण-प्रतिष्ठा कर दी और पुतले से कहा- 'बेटा, हम चौपड़ खेलना चाहते हैं, परंतु हमारी हार-जीत का फैसला करने वाला कोई नहीं है इसीलिए तुम ही बताना कि हम दोनों में से कौन हारा और कौन जीता?'

उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का चौपड़ खेलने लगे ।दोनो ने यह खेल 3 बार खेला और संयोग से तीनों बार माता पार्वती जीत गई। खेल समाप्त होने के बाद जब बालक से हार-जीत का फैसला करने के लिए कहा गया, तो उस बालक ने कहा कि चौपड के खेल में भगवान शिव जीते हैं ।
बालक की यह बात सुनकर मां पार्वती को गुस्सा आया।उन्होंने बालक को अपाहिज रहने के श्राप दे दिया। यह सुनकर बालक को बहुत दुख हुआ उसने माता पार्वती से माफी मांगी और कहा कि यह हे मां पार्वती मुझसे गलती से अज्ञानतावश ऐसा हुआ है,ये मैंने किसी द्वेष भाव में नहीं किया।

बालक द्वारा क्षमा मांगने पर माता ने कहा श्राप तो वापिस नहीं हो सकता लेकिन इसका पश्चाताप हो सकता है। तुम ऐसा करना 'यहां गणेश पूजन के लिए नागकन्याएं आएंगी, उनके कहे अनुसार तुम गणेश व्रत करो, ऐसा करने से तुम मुझे प्राप्त करोगे।' यह कहकर माता पार्वती शिव के साथ कैलाश पर्वत पर चली गईं।
जब उस स्थान पर नागकन्याएं आईं, तब बालक ने उनसे श्री गणेश के व्रत की विधि पूछी । उस बालक ने 21 दिन तक लगातार गणेशजी का व्रत किया। उसकी यह श्रद्धा से गणेशजी प्रसन्न हो गए। उन्होंने बालक को मनोवांछित फल मांगने के लिए कहा।
उस पर उस बालक ने कहा- 'हे विनायक! मुझमें इतनी शक्ति दीजिए कि मैं अपने पैरों से चलकर अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पर जा सकूं।
भगवान गणेश बालक को यह वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए। इसके बाद वह बालक कैलाश पर्वत पर पहुंच गया और कैलाश पर्वत पर पहुंचने की अपनी कथा उसने भगवान शिव को सुनाई।
चौपड़ वाले दिन से माता पार्वती शिवजी से भी विमुख हो गई थीं अत: देवी के रुष्ट होने पर भगवान शिव ने भी बालक के बताए अनुसार 21 दिनों तक श्री गणेश का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती के मन से भगवान शिव के लिए जो नाराजगी थी, वह समाप्त हो गई।
मान्यता है कि जो भी भगवान गणेश की आराधना करता है उसके सारे दुख दूर होते हैं।

विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व 
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हिंदू धर्म में गणेश जी को सबसे पहले पूजा जाता है उनके बिना कोई भी पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है। गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए चतुर्थी तिथि पर उनकी पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। विनायक चतुर्थी का व्रत करने से गणेश जी का आशीर्वाद मिलता है। जो महिला विनायक चतुर्थी का व्रत करती है उसे कभी संतान दुख नहीं होता। भगवान गणेश की कृपा से उसके सारे दुख दूर होते हैं।

गुरुवार, 23 मार्च 2023

गणगौर व्रत आज

गणगौर व्रत आज
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हिन्दू धर्म में पति की लंबी आयु और संतान के अच्छे स्वास्थ्य के लिए महिलाएं कई व्रत रखती हैं।

हिन्दू धर्म में महिलाएं पति की लंबी आयु और संतान के अच्छे स्वास्थ्य के लिए अनेकों व्रतों का पालन करती हैं जिनमें से कुछ नियमित होते हैं तो कुछ विशेष स्थान रखते हैं। खास व्रतों की इसी सूची में से एक है गणगौर का व्रत। 

इस साल गणगौर 24 मार्च, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। गणगौर के दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पड़ रही है। तृतीया तिथि का शुभारंभ 23 मार्च, दिन गुरुवार (गुरुवार के दिन न करें इन चीजों का दान) को शाम 6 बजकर 20 मिनट से होगा वहीं, इसका समापन 24 मार्च को शाम 4 बजकर 59 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस साल गणगौर का व्रत मार्च की 24 तारीख को रखा जाना है।

गणगौर का महत्व
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गणगौर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। गण का अर्थ है भगवान शिव और गौर का अर्थ है माता गौरा अर्थात मां पार्वती। गणगौर के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। खास बात यह है कि इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की प्रतिमाएं अपने हाथों से बनाती हैं और फिर उनका श्रृंगार कर उनकी पूजा करती हैं।

गणगौर के व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि इस व्रत का पालन महिलाएं अपने पति से छुपकर करती हैं। गणगौर का व्रत सिर्फ विवाहित ही नहीं बल्कि कुंवारी कन्याएं भी करती हैं। गणगौर का पर्व मुख्य तौर पर मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में मनाया जाता है। मान्यता है कि गणगौर का व्रत रखने से मन चाहा वर प्राप्त होता है और शादीशुदा महिलाओं को अखंड सौभग्य मिलता है।

गणगौर की पूजा सामग्री
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गणगौर की पूजा में लकड़ी का साफ़ पटरा, कलश, काली मिट्टी, होलिका की राख, गोबर या फिर मिट्टी के उपले, दीपक, गमले, कुमकुम (कुमकुम को पैरों में लगाने के लाभ), अक्षत, सुहाग से जुड़ी चीज़ें जैसे: मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, काजल, रंग, शुद्ध और साफ़ घी, ताजे फूल, आम के पत्ते, पानी से भरा हुआ कलश, नारियल, सुपारी, गणगौर के कपड़े, गेंहू और बांस की टोकरी, चुनरी, कौड़ी, सिक्के, घेवर, हलवा, चांदी की अंगुठी, पूड़ी आदि का प्रयोग किया जाता है।

गणगौर की पूजा विधि
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प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
स्नान के पश्चात अगर आप विवाहिता हैं तो अपना पूर्ण श्रृंगार करें।
अगर आप अविवाहित हैं तो बस स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
श्रृंगार कर एक लोटे में ताजा जल भरें। उस जल में फूल और दूब मिलाएं।
साथ ही किसी स्वच्छ बगीचे से कंकड़-पत्थर रहित मिट्टी घर लाएं।
उस साफ मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं।
भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों को साथ में स्थापित करें।
अब गणगौर को सुंदर वस्त्र पहनाकर रोली, मोली, हल्दी, काजल, मेहंदी आदि सुहाग की चीजें अर्पित करें।
गणगौर का को वस्तुएं अर्पित करते हुए गीत गाएं।
घर की दीवार पर सोलह-सोलह बिंदियां रोली, मेहंदी व काजल की लगाएं।
एक थाली में जल, दूध-दही, हल्दी, कुमकुम घोलकर सुहागजल तैयार करें।
दोनों हाथों में दूब लेकर सुहागजल से गणगौर को छींटे लगाएं।
बाद में महिलाएं खुद के ऊपर भी इस जल को छिड़कें।
आखिर में मीठे गुने या चूरमे का भोग लगाकर गणगौर माता की कहानी सुनें।
शाम के समय गणगौर को पानी पिलाकर किसी पवित्र सरोवर या कुंड आदि में विसर्जित कर दें।

गणगौर व्रत की पावन कथा
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मान्यता के अनुसार एक बार माता पार्वती, भगवान शिव और नारद मुनि किसी गांव में गये थे। गांव के लोगों को जब यह बात पता चली कि उनके गांव में स्वंय देवता पधारे हैं, तो उन्होंने भगवान को प्रसन्न करने के लिए पकवान बनाने शुरू कर दिए। इसी प्रक्रिया में गांव की अमीर महिलायें भगवान को प्रसन्न करने के लिए पकवान बनाने लगी, जबकि गरीब महिलाओं ने भगवान को श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

गरीब महिलाओं की सच्ची आस्था को देख कर माता पार्वती ने उन्हें सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दे दिया था। तभी दूसरी तरफ से अमीर घरों की महिलायें पकवान लेकर भगवान के पास पहुंचती हैं, जिसके बाद सभी महिलायें मां पार्वती से पूछती हैं कि अब आप हमें क्या आशीर्वाद प्रदान करेंगी। ऐसे में माता पार्वती उनसे कहती हैं कि जो भी महिला उनके लिए सच्चे मन से आस्था लेकर आयी है, उन सभी के पात्रों पर माता के रक्त के छींटे पड़ेंगे। इसके बाद माता पार्वती ने अपनी ऊंगली काटकर अपना थोड़ा-सा लहू उन महिलाओं के बीच छिड़क दिया, जिससे उन महिलाओं को निराश होकर घर वापस जाना पड़ता है, जो मन में किसी भी तरह का लालच लेकर भगवान से मिलने आयीं थीं।

गणगौर व्रत को अपने पति से गुप्त क्यों रखा जाता है?
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इसके बाद देवी पार्वती, भगवान शिव और नारद मुनि को वहीं छोड़ कर नदी में स्नान करने के लिए चली जाती हैं। वहां नदी के तट पर माता भगवान शिव की रेत की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा करती हैं और उन्हें रेत के लड्डू का भोग लगाती हैं। जब वो वापस पहुंचती हैं, तो भगवान शिव उनसे देर से आने की वजह पूछते हैं। तब माता पार्वती उन्हें बताती हैं कि नदी से लौटते हुए उनके कुछ रिश्तेदार मिल गए थे, जिन्होंने उनके लिए दूध भात बनाया था, उसी को खाने में उन्हें विलम्ब हो गया। लेकिन शिव जी तो अन्तर्यामी ठहरे। उन्हें सारी बात पता थी इसलिए वो देवी पार्वती के रिश्तेदारों से मिलने की इच्छा जताते हैं। तब माता पार्वती अपनी माया से वहां एक महल का निर्माण कर देती हैं, जहां भगवान शिव और नारद मुनि की खूब आवभगत की जाती है। 

भगवान शिव और नारद मुनि वहां से प्रसन्न होकर लौट रहे होते हैं तब भगवान शिव नारद मुनि से कहते हैं कि वे अपनी रुद्राक्ष की माला वहीं महल में भूल गए हैं, इसलिए नारद मुनि वापस जाकर उनके लिए वह माला ले आएं। नारद मुनि वहां पहुंचते हैं, तो वहां उन्हें कोई महल नहीं मिलता और भगवान शिव की माला उन्हें एक पेड़ की टहनी पर टंगी हुई दिखती है। जब नारद मुनि भगवान शिव को यह बात बताते हैं, तो भगवान शिव मुस्कुराते हुए नारद मुनि को देवी पार्वती की माया के बारे में बताते हैं। बस इसी के बाद से गणगौर पर्व मनाने की परंपरा शुरू हो गयी, जहां पत्नी अपने पति को देवताओं की पूजा के बारे में कोई जानकारी नहीं देती।


बुधवार, 22 मार्च 2023

चेटीचंड पर्व आज

चेटीचंड पर्व आज
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चेटीचंड सिंधी समुदाय की ओर से मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। यह पर्व सिंधी समाज के आराध्य देवता भगवान झूलेलाल के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है इसलिए इसे झूलेलाल जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस त्यौहार के साथ ही सिंधी नव वर्ष की शुरुआत होती है। चेटी चंड पर्व चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। इस मौके पर सिंधी समाज के लोग जीवन में सुख-समृद्धि की कामना के लिए वरुण देवता की पूजा करते हैं। क्योंकि भगवान झूले लाल को जल देवता का अवतार माना जाता है। चेटी चंड पर्व अब धार्मिक महत्व तक ही सीमित नहीं है बल्कि सिंधु सभ्यता के प्रतीक के तौर पर भी जाना जाने लगा है।

चेटीचंड का मुहूर्त
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मार्च 22, 2023 को 20:23:34 से द्वितीया आरम्भ।

मार्च 23, 2023 को 18:23:22 पर द्वितीया समाप्त।

चेटीचंड की पूजा विधि
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चेटी चंड के अवसर पर सिंधी समुदाय द्वारा भगवान झूले लाल की शोभा यात्रा निकाली जाती है। इसके अलावा इस दिन कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

1.  चेटी चंड की शुरुआत सुबह टिकाणे (मंदिरों) के दर्शन और बुज़ुर्गों के आशीर्वाद से होती है।
2.  चेटी चंड के दिन सिंधी समाज के लोग नदी और झील के किनारे पर बहिराणा साहिब की परंपरा को पूरा करते हैं। बहिराणा साहिब, इसमें आटे की लोई पर दीपक, मिश्री, सिंदूर, लौंग, इलायची, फल रखकर पूजा करते हैं और उसे नदी में प्रवाहित किया जाता है। इस परंपरा का उद्देश्य है, मन की इच्छा पूरी होने पर ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करना और जलीय जीवों के भोजन की व्यवस्था करना।
3.  इस मौके पर भगवान झूले लाल की मूर्ति पूजा की जाती है। पूजन के दौरान सभी लोग एक स्वर में जय घोष करते हुए कहते हैं ‘’चेटी चंड जूं लख-लख वाधायूं’’ ।
4.  चेटी चंड के मौके पर जल यानि वरुण देवता की भी पूजा की जाती है। क्योंकि भगवान झूले लाल को जल देवता के अवतार के तौर पर भी पूजा जाता है। इस दिन सिंधु नदी के तट पर ‘’चालीहो साहब’’ नामक पूजा-अर्चना की जाती है। सिंधी समुदाय के लोग जल देवता से प्रार्थना करते हैं कि वे बुरी शक्तियों से उनकी रक्षा करें।
5.  चेटी चंड के मौके पर सिंधी समाज में नवजात शिशुओं का मंदिरों में मुंडन भी कराया जाता है।

चेटीचंड से जुड़ी पौराणिक कथा
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चेटी चंड पर्व सिंधी नववर्ष का शुभारंभ दिवस है। इसी दिन विक्रम संवत 1007 सन 951 ईस्वी में सिंध प्रांत के नरसपुर नगर में भगवान झूले लाल का जन्म रतन लाल लुहाना के घर माता देवकी के गर्भ से हुआ था। भगवान झूले लाल को लाल साईं, उडेरो लाल, वरुण देव और ज़िंदा पीर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान झूले लाल ने धर्म की रक्षा के लिए कई साहसिक कार्य किये। भगवान झूलेलाल ने हिंदू-मुस्लिम की एकता के बारे में अपने विचार रखे और एक ईश्वर के सिद्धांत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ‘’ईश्वर एक है और हम सब को मिलकर शांति के साथ रहना चाहिए’’। इस वजह से भगवान झूले लाल की वंदना हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय करते हैं।

मंगलवार, 21 मार्च 2023

What happens if you do not link your Aadhaar and PAN?

*What happens if you do not link your Aadhaar and PAN?*

If you fail to link Aadhaar and PAN within the due date, you may have to face the below-mentioned consequences:

1.  PAN becomes inoperative
If an individual does not link PAN to Aadhaar within the due date, his/her PAN will become inoperative. Once PAN becomes inoperative, it will not be possible to furnish, intimate, or quote the PAN number anywhere. This may further result in:
•  Higher tax rate applied for income tax purposes
•  Higher TDS collection 
•  Inability to file income tax returns, which can further attract interest, penalty and even prosecution as a result of not furnishing details of income generated
•  Penalty for not quoting PAN during certain financial transactions

1) Link to Check PAN Aadhar Linking Status::

https://www.pan.utiitsl.com/panaadhaarlink/forms/pan.html/panaadhaar


2)Link to Link PAN & Aadhar with Charges:

https://eportal.incometax.gov.in/iec/foservices/#/pre-login/bl-link-aadhaar

*If your PAN & Aadhar is Linked then no need to go for 2nd link..*

www.sanwariyaa.blogspot.com

सोमवार, 20 मार्च 2023

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फूलन देवी के कंधे पर बंदूक रख कर हिन्दु को तोड़नें वाले बौद्धिक डकैतो का नंगा सच !

 फूलन देवी के कंधे पर बंदूक रख कर हिन्दु को तोड़नें वाले बौद्धिक  डकैतो का नंगा सच !

राई का पहाड़ ~
♦️आप फूलन देवी पर कुछ तथ्य जानिए और आप चाहे तो जालौन जिले में फूलन देवी के गांव जाकर इन तथ्यों को पता कर सकते हैं कि फूलन देवी पर जुल्म किसने किए है

इसके सगे चाचा ने इसकी जमीन पर कब्जा कर लिया था..10 साल की उम्र में इसने अपनी मां से पूछा की मां हमारे चाचा के पास हमसे ज्यादा जमीन क्यों है तब इसकी मां ने बताया कि उन्होंने हमारी जमीन पर जबरदस्ती हथिया ली है क्योंकि उनके लड़के हमसे ताकतवर हैं

तब ये 9 साल की उम्र में अपने चाचा का सर फोड़ दी थी क्योंकि यह एक बच्ची थी इसलिए कोई पुलिस केस नहीं हुआ था।

♦️10 साल की उम्र में फूलन देवी के बाप ने इसे एक 45 साल के बूढ़े को ₹3000 में बेच दिया था इसका बूढ़ा पति भी इसी के जाति का था और इसके ऊपर बहुत अत्याचार करता था।
♦️एक दिन फूलन देवी पति के अत्याचार से तंग आकर अपने मायके आ गई.. कुछ दिन के बाद इसके भाइयों ने इसे जबरदस्ती इसके पति के घर भेज दिया वहां जाकर पता चला कि उसके पति ने कोई और महिला से शादी कर ली है फिर इसके पति और इसके पति की दूसरी पत्नी ने इसे घर से भगा दिया फिर यह वापस अपने गांव आ गई,,
 ♦️पर मायके में सगे भाइयों से इसका बहुत झगड़ा हुआ तब उसके सगे भाइयों ने इसके विरुद्ध पुलिस में रिपोर्ट करवा दी, जिससे यह थाने में बंद हो गई तब गांव के ठाकुरों ने ही यह सोचकर इसका जमानत करवाई कि गांव की लड़की जेल में बंद हो तो यह गांव के लिए शर्मनाक बात है।

♦️एक दिन इसकी गांव में विक्रम मल्लाह नामक एक डकैत में धावा बोला और उसने फूलन देवी के साथ बलात्कार किया और विक्रम मल्लाह 4 दिन तक गांव में रुका छुपा रहा और जाते हुए वह फूलन देवी को भी अपने साथ बीहड़ में लेकर चला गया।
♦️विक्रम मल्लाह डकैतों की गैंग का सरदार नहीं था बल्कि सरदार बाबू गुर्जर था। एक दिन बाबू गुर्जर ने फूलन देवी का बलात्कार किया जिससे गुस्से में विक्रम मल्लाह ने बाबू गुर्जर की हत्या कर दी और पूरी गैंग की कमान अपने हाथ में ले लिया फूलन देवी विक्रम मल्लाह की रखैल बन गई उसके बाद फूलन देवी विक्रम मल्लाह के साथ अपने पति के गांव गई और अपने पति को और अपने पति के दूसरी पत्नी को मरणासन्न हालत तक पीटा और बीच-बचाव करने आए दो लोगों को गोली मार दी।

डकैतों के एक दूसरे गैंग का मुखिया दादा ठाकुर जो मीणा/मैना था वह बाबू गुर्जर की हत्या से विक्रम मल्लाह से नाराज था ,,ने विक्रम मल्लाह की हत्या कर दी।

विक्रम मल्लाह की हत्या से नाराज होकर फूलन देवी ने मीणा जाति के गैंग के सदस्य ठाकुर लालाराम मीणा को मार दिया।
इससे दादा ठाकुर ने एक गांव में घुसकर मल्लाह जाति के 25 लोगों को मार दिया।

♦️फूलन देवी को शक था गांव के छत्रिय यानी ठाकुर समाज के लोग दादा ठाकुर मीणा के प्रति सहानुभूति रखते हैं और उसे संरक्षण देते हैं तब उसने बेहमई गांव में एक बारात को गोलियों से भून डाला जिसमे पुरुष,महिला और बच्चे भी सम्मिलित थे और एक 6 महीने की बच्ची को उठाकर आसमान में फेंक दिया जिससे वह बच्ची जमीन पर गिरी और उसकी गर्दन की हड्डी और रीढ़ की हड्डी टूट गई वह बच्ची आज भी जिंदा है लेकिन न चल सकती है ना बैठ सकती है वह बच्ची आज एक जिंदा लाश बन कर एक युवती बन चुकी है।

यह सारे फैक्ट है:👇
📍लेकिन मीडिया ने फूलन देवी को यह कहकर हीरोइन बना दिया कि उच्च जातियों के अत्याचारों से तंग आकर फूलन देवी ने बदला लिया !

अब आप स्वयं विचार करिए कि फूलन देवी पर अत्याचार करने वाले कौन लोग थे❓

क्या फूलन देवी का पिता दोषी नहीं है जिसने फूलन देवी को 45 साल के बूढ़े को बेच दिया❓

क्या फूलन देवी का चाचा दोषी नहीं है जिसने फूलन देवी के जमीन पर कब्जा किया❓

क्या फूलन देवी के सगे भाई दोषी नहीं है जो उसे बार-बार उसके अत्याचारी पति के पास छोड़ आते थे❓

क्या फूलन देवी का पति दोषी नहीं है जो उसके ऊपर अत्याचार करता था❓

क्या विक्रम मल्लाह दोषी नहीं है जिसने देवी का बलात्कार किया और उसे उठाकर बीहड़ लेकर चला गया और उसे अपराध की दुनिया में ढकेल दिया❓

फूलन देवी ने जिन 22 ठाकुरो की हत्या बेहमई गाव मे की थी उनमे से किसी का भी कभी फूलन से कोई लेना देना नही था। वे सभी एक शादी मे उस गाव मे आये थे। सिर्फ ठाकुर जाति का होने की वजह से मरे।❓

हां पर ,,गाँव के ठाकुर ही दोषी होंगे जिन्होंने फूलन को गाँव की लड़की होने के नाते ज़मानत करवा कर पुलिस कैद से मुक्त करवा ली⁉️

लेकिन दुःख है कि लोगों को यही बताया जाता है दोषी तो उच्च वर्ग के लोग हैं।

#भगवाएहिन्द 🚩🚩

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